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हमारे लिए नदियाँ एक भौतिक वस्तु नहीं है, हमारे लिए नदी एक जीवंत इकाई है : पीएम मोदी
मुझे मिले उपहारों की विशेष ई-नीलामी इन दिनों चल रही है। इससे होने वाली आय नमामि गंगे अभियान को समर्पित की जाएगी: पीएम मोदी
छोटे प्रयास बड़े बदलाव लाते हैं: मन की बात में पीएम मोदी
महात्मा गांधी ने स्वच्छता को जन आंदोलन बनाया: पीएम मोदी
जिस तरह शौचालयों के निर्माण ने गरीबों की गरिमा को बढ़ाया है, उसी तरह 'आर्थिक स्वच्छता' (भ्रष्टाचार का उन्मूलन) गरीबों के अधिकार सुनिश्चित करती है, उनके जीवन को आसान बनाती है: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने देशवासियों से 2 अक्टूबर को बापू की जयंती पर खादी प्रोडक्ट खरीदने का आग्रह किया।
मन की बात: पीएम मोदी ने सियाचिन ग्लेशियर में दिव्यांगजनों द्वारा बनाए गए विश्व रिकॉर्ड का उल्लेख किया।
पीएम मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि दी और कहा- वह आज भी सबके लिए प्रेरणा हैं।

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार ! आप जानते हैं कि एक जरुरी कार्यक्रम के लिए मुझे अमेरिका जाना पड़ रहा है तो मैंने सोचा कि अच्छा होगा कि अमेरिका जाने से पहले ही मैं ‘मन की बात’ रिकॉर्ड कर दूँ | सितम्बर में जिस दिन ‘मन की बात’ है, उसी तारीख को एक और महत्वपूर्ण दिन होता है | वैसे तो हम लोग बहुत सारे Days याद रखते हैं, तरह-तरह के Days मनाते भी हैं और अगर अपने घर में नौजवान बेटे-बेटी हों अगर उनको पूछोगे तो पूरे साल-भर के कौन से day कब आते हैं आपको पूरी सूची सुना देंगे, लेकिन एक और Day ऐसा है जो हम सबको याद रखना चाहिए और ये day ऐसा है जो भारत की परम्पराओं से बहुत सुसंगत है | सदियों से जिस परम्पराओं से हम जुड़े हैं उससे जोड़ने वाला है | ये है ‘वर्ल्ड रिवर डे’ यानी ‘विश्व नदी दिवस’ |

हमारे यहाँ कहा गया है –
“पिबन्ति नद्यः, स्वय-मेव नाम्भः

अर्थात् नदियाँ अपना जल खुद नहीं पीती, बल्कि परोपकार के लिये देती हैं | हमारे लिये नदियाँ एक भौतिक वस्तु नहीं है, हमारे लिए नदी एक जीवंत इकाई है, और तभी तो, तभी तो हम, नदियों को माँ कहते हैं | हमारे कितने ही पर्व हो, त्यौहार हो, उत्सव हो, उमंग हो, ये सभी हमारी इन माताओं की गोद में ही तो होते हैं |

आप सब जानते ही हैं – माघ का महीना आता है तो हमारे देश में बहुत लोग पूरे एक महीने माँ गंगा या किसी और नदी के किनारे कल्पवास करते हैं | अब तो ये परंपरा नहीं रही लेकिन पहले के जमाने में तो परंपरा थी कि घर में स्नान करते हैं तो भी नदियों का स्मरण करने की परंपरा आज भले लुप्त हो गई हो या कहीं बहुत अल्पमात्रा में बची हो लेकिन एक बहुत बड़ी परंपरा थी जो प्रातः में ही स्नान करते समय ही विशाल भारत की एक यात्रा करा देती थी, मानसिक यात्रा! देश के कोने-कोने से जुड़ने की प्रेरणा बन जाती थी | और वो क्या था भारत में स्नान करते समय एक श्लोक बोलने की परंपरा रही है-

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति |
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिं कुरु ||

पहले हमारे घरों में परिवार के बड़े ये श्लोक बच्चों को याद करवाते थे और इससे हमारे देश में नदियों को लेकर आस्था भी पैदा होती थी | विशाल भारत का एक मानचित्र मन में अंकित हो जाता था | नदियों के प्रति जुड़ाव बनता था | जिस नदी को माँ के रूप में हम जानते हैं, देखते हैं, जीते हैं उस नदी के प्रति एक आस्था का भाव पैदा होता था | एक संस्कार प्रक्रिया थी |

साथियो, जब हम हमारे देश में नदियों की महिमा पर बात कर रहे हैं, तो स्वाभाविक रूप से हर कोई एक प्रश्न उठाएगा और प्रश्न उठाने का हक भी है और इसका जवाब देना ये हमारी जिम्मेवारी भी है | कोई भी सवाल पूछेगा कि भई आप नदी के इतने गीत गा रहे हो, नदी को माँ कह रहे हो तो ये नदी प्रदूषित क्यों हो जाती है ? हमारे शास्त्रों में तो नदियों में जरा सा प्रदूषण करने को भी गलत बताया गया है | और हमारी परम्पराएं भी ऐसी रही हैं, आप तो जानते हैं हमारे हिंदुस्तान का जो पश्चिमी हिस्सा है, खास करके गुजरात और राजस्थान, वहाँ पानी की बहुत कमी है | कई बार अकाल पड़ता है | अब इसलिए वहाँ के समाज जीवन में एक नई परंपरा develop हुई है | जैसे गुजरात में बारिश की शुरुआत होती है तो गुजरात में जल-जीलनी एकादशी मनाते हैं | मतलब की आज के युग में हम जिसको कहते है ‘Catch the Rain’ वो वही बात है कि जल के एक-एक बिंदु को अपने में समेटना, जल-जीलनी | उसी प्रकार से बारिश के बाद बिहार और पूरब के हिस्सों में छठ का महापर्व मनाया जाता है | मुझे उम्मीद है कि छठ पूजा को देखते हुए नदियों के किनारे, घाटों की सफाई और मरम्मत की तैयारी शुरू कर दी गई होगी | हम नदियों की सफाई और उन्हें प्रदूषण से मुक्त करने का काम सबके प्रयास और सबके सहयोग से कर ही सकते हैं | ‘नमामि गंगे मिशन’ भी आज आगे बढ़ रहा है तो इसमें सभी लोगों के प्रयास, एक प्रकार से जन-जागृति, जन-आंदोलन, उसकी बहुत बड़ी भूमिका है |

साथियो, जब नदी की बात हो रही है, माँ गंगा की बात हो रही है तो एक और बात की ओर भी आपका ध्यान आकर्षित करने का मन करता है | बात जब ‘नमामि गंगे’ की हो रही है तो जरुर एक बात पर आपका ध्यान गया होगा और हमारे नौजवानों का तो पक्का गया होगा | आजकल एक विशेष E-ऑक्शन, ई-नीलामी चल रही है | ये इलेक्ट्रॉनिक नीलामी उन उपहारों की हो रही है, जो मुझे समय-समय पर लोगों ने दिए हैं | इस नीलामी से जो पैसा आएगा, वो ‘नमामि गंगे’ अभियान के लिये ही समर्पित किया जाता है | आप जिस आत्मीय भावना के साथ मुझे उपहार देते हैं, उसी भावना को ये अभियान और मजबूत करता है |

साथियो, देश भर में नदियों को पुनर्जीवित करने के लिये, पानी की स्वच्छता के लिये सरकार और समाजसेवी संगठन निरंतर कुछ-न-कुछ करते रहते हैं | आज से नहीं, दशकों से ये चलता रहता है | कुछ लोग तो ऐसे कामों के लिए अपने आप को समर्पित कर चुके होते हैं | और यही परंपरा, यही प्रयास, यही आस्था हमारी नदियों को बचाए हुए है | और हिंदुस्तान के किसी भी कोने से जब ऐसी खबरें मेरे कान पे आती हैं तो ऐसे काम करने वालों के प्रति एक बड़ा आदर का भाव मेरे मन में जागता है और मेरा भी मन करता है कि वो बातें आपको बताऊँ | आप देखिये तमिलनाडु के वेल्लोर और तिरुवन्नामलाई जिले का एक उदाहरण देना चाहता हूँ | यहाँ एक नदी बहती है, नागानधी | अब ये नागानधी बरसों पहले सूख गई थी | इस वजह से वहाँ का जलस्तर भी बहुत नीचे चला गया था | लेकिन, वहाँ की महिलाओं ने बीड़ा उठाया कि वो अपनी नदी को पुनर्जीवित करेंगी | फिर क्या था, उन्होंने लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से नहरें खोदी, चेकडैम बनाए, री-चार्ज कुएँ बनाएँ | आप को भी जानकर के खुशी होगी साथियों कि आज वो नदी पानी से भर गई है | और जब नदी पानी से भर जाती है न तो मन को इतना सुकून मिलता है मैंने प्रत्यक्ष से इसका अनुभव किया है |

आप में से बहुत लोग जानते होंगे कि जिस साबरमती के तट पर महात्मा गाँधी ने साबरमती आश्रम बनाया था पिछले कुछ दशकों में ये साबरमती नदी सूख गयी थी | साल में 6-8 महीने पानी नजर ही नहीं आता था, लेकिन नर्मदा नदी और साबरमती नदी को जोड़ दिया, तो अगर आज आप अहमदाबाद जाओगे तो साबरमती नदी का पानी ऐसा मन को प्रफुल्लित करता है | इसी तरह बहुत सारे काम जैसे तमिलनाडु की हमारी ये बहनें कर रही हैं देश के अलग अलग कोने में चल रहे हैं | मैं तो जानता हूँ कई हमारे धार्मिक परम्परा से जुड़े हुए संत हैं, गुरुजन हैं, वे भी अपनी अध्यात्मिक यात्रा के साथ-साथ पानी के लिए नदी के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं, कई नदियों के किनारे पेड़ लगाने का अभियान चला रहे हैं | तो कहीं नदियों में बह रहे गंदे पानी को रोका जा रहा है |

साथियो, ‘वर्ल्ड रिवर डे’ जब आज मना रहे हैं तो इस काम से समर्पित सबकी मैं सराहना करता हूँ, अभिनन्दन करता हूँ | लेकिन हर नदी के पास रहने वाले लोगों को, देशवाशियों को मैं आग्रह करूँगा कि भारत में, कोने-कोने में साल में एक बार तो नदी उत्सव मनाना ही चाहिए |

मेरे प्यारे देशवासियो, कभी भी छोटी बात को छोटी चीज़ को, छोटी मानने की गलती नहीं करनी चाहिए | छोटे-छोटे प्रयासों से कभी कभी तो बहुत बड़े-बड़े परिवर्तन आते हैं, और अगर महात्मा गांधी जी के जीवन की तरफ हम देखेंगे तो हम हर पल महसूस करेंगे कि छोटी-छोटी बातों की उनके जीवन में कितनी बड़ी अहमियत थी और छोटी-छोटी बातों को ले करके बड़े बड़े संकल्पों को कैसे उन्होंने साकार किया था | हमारे आज के नौजवान को ये जरुर जानना चाहिए कि साफ़-सफाई के अभियान ने कैसे आजादी के आन्दोलन को एक निरंतर ऊर्जा दी थी | ये महात्मा गांधी ही तो थे, जिन्होंने स्वच्छता को जन-आन्दोलन बनाने का काम किया था | महात्मा गाँधी ने स्वच्छता को स्वाधीनता के सपने के साथ जोड़ दिया था | आज इतने दशकों बाद, स्वच्छता आन्दोलन ने एक बार फिर देश को नए भारत के सपने के साथ जोड़ने का काम किया है | और ये हमारी आदतों को बदलने का भी अभियान बन रहा है और हम ये न भूलें कि स्वच्छता यह सिर्फ एक कार्यक्रम है | स्वच्छता ये पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कार संक्रमण की एक जिम्मेवारी है और पीढ़ी दर पीढ़ी स्वच्छता का अभियान चलता है, तब सम्पूर्ण समाज जीवन में स्वच्छता का स्वभाव बनता है | और इसलिए ये साल-दो साल, एक सरकार-दूसरी सरकार ऐसा विषय नहीं है पीढ़ी दर पीढ़ी हमें स्वच्छता के संबंध में सजगता से अविरत रूप से बिना थके बिना रुके बड़ी श्रद्धा के साथ जुड़े रहना है और स्वच्छता के अभियान को चलाए रखना है | और मैंने तो पहले भी कहा था, कि स्वच्छता ये पूज्य बापू को इस देश की बहुत बड़ी श्रद्धांजलि है और ये श्रद्धांजलि हमें हर बार देते रहना है, लगातार देते रहना है |

साथियो, लोग जानते हैं कि स्वच्छता के सम्बन्ध में बोलने का मैं कभी मौका छोड़ता ही नहीं हूँ और शायद इसीलिए हमारे ‘मन की बात’ के एक श्रोता श्रीमान रमेश पटेल जी ने लिखा हमें बापू से सीखते हुए इस आजादी के “अमृत महोत्सव” में आर्थिक स्वच्छता का भी संकल्प लेना चाहिए | जिस तरह शौचालयों के निर्माण ने गरीबों की गरिमा बढ़ाई, वैसे ही आर्थिक स्वच्छता, गरीबों को अधिकार सुनिश्चित करती है, उनका जीवन आसान बनाती है | अब आप जानते हैं जनधन खातों को लेकर देश ने जो अभियान शुरू किया | इसकी वजह से आज गरीबों को उनके हक का पैसा सीधा, सीधा उनके खाते में जा रहा है जिसके कारण भ्रष्टाचार जैसे रुकावटों में बहुत बड़ी मात्रा में कमी आई है | ये बात सही है आर्थिक स्वच्छता में technology बहुत मदद कर सकती है | हमारे लिए ख़ुशी की बात है आज गाँव देहात में भी fin-tech UPI से डिजिटल लेन-देन करने की दिशा में सामान्य मानवी भी जुड़ रहा है, उसका प्रचलन बढ़ने लगा है | आपको मैं एक आंकड़ा बताता हूँ आपको गर्व होगा, पिछले अगस्त महीने में, एक महीने में UPI से 355 करोड़ transaction हुए, यानि करीब-करीब 350 करोड़ से ज्यादा transaction, यानि हम कह सकते हैं कि अगस्त के महीने में 350 करोड़ से ज्यादा बार डिजिटल लेन-देन के लिये UPI का इस्तेमाल किया गया है | आज average 6 लाख करोड़ रूपये से ज्यादा का डिजिटल पेमेंट UPI से हो रहा है | इससे देश की अर्थव्यवस्था में स्वच्छता, पारदर्शिता आ रही है और हम जानते है अब fin-tech का महत्व बहुत बढ़ रहा है |

साथियो, जैसे बापू ने स्वच्छता को स्वाधीनता से जोड़ा था, वैसे ही खादी को आज़ादी की पहचान बना दिया था | आज आज़ादी के 75वें साल में हम जब आज़ादी के अमृत महोत्सव को मना रहे हैं, आज हम संतोष से कह सकते हैं कि आज़ादी के आंदोलन में जो गौरव खादी को था आज हमारी युवा पीढ़ी खादी को वो गौरव दे रही है | आज खादी और हैंडलूम का उत्पादन कई गुना बढ़ा है और उसकी मांग भी बढ़ी है | आप भी जानते हैं ऐसे कई अवसर आये हैं जब दिल्ली के खादी शोरूम में एक दिन में एक करोड़ रूपए से ज्यादा का कारोबार हुआ है | मैं भी फिर से आपको याद दिलाना चाहूँगा कि 2 अक्टूबर, पूज्य बापू की जन्म-जयंती पर हम सब फिर से एक बार एक नया record बनाए | आप अपने शहर में जहाँ भी खादी बिकती हो, हैंडलूम बिकता हो, हेंडीक्राफ्ट बिकता हो और दिवाली का त्योहार सामने है, त्योहारों के मौसम के लिए खादी, हैंडलूम, कुटीर उद्योग से जुड़ी आपकी हर खरीदारी ‘Vocal For Local’ इस अभियान को मजबूत करने वाली हो, पुराने सारे record तोड़ने वाली हो |

साथियो, अमृत महोत्सव के इसी कालखंड में देश में आज़ादी के इतिहास की अनकही गाथाओं को जन-जन तक पहुँचाने का एक अभियान भी चल रहा है और इसके लिए नवोदित लेखकों को, देश के और दुनिया के युवाओं को आह्वान किया गया था | इस अभियान के लिए अब तक 13 हज़ार से ज्यादा लोगों ने अपना registration किया है और वो भी 14 अलग-अलग भाषाओँ में | और मेरे लिए खुशी की बात ये भी है कि 20 से ज्यादा देशों में कई अप्रवासी भारतीयों ने भी इस अभियान से जुड़ने के लिए अपनी इच्छा जताई है | एक और बहुत दिलचस्प जानकारी है, करीब 5000 से ज्यादा नए नवोदित लेखक आज़ादी के जंग की कथाओं को खोज रहे हैं | उन्होंने जो Unsung Heroes हैं, जो अनामी हैं, इतिहास के पन्नो में जिनके नाम नज़र नहीं आते हैं, ऐसे Unsung Heroes पर theme पर, उनके जीवन पर, उन घटनाओं पर कुछ लिखने का बीड़ा उठाया है यानि देश के युवाओं ने ठान लिया है उन स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास को भी देश के सामने लाएंगे जिनकी गत् 75 वर्ष में कोई चर्चा तक नहीं हुई है | सभी श्रोताओं से मेरा आग्रह है, शिक्षा जगत से जुड़े सब से मेरा आग्रह है | आप भी युवाओं को प्रेरित करें | आप भी आगे आयें और मेरा पक्का विश्वास है कि आजादी के अमृत महोत्सव में इतिहास लिखने का काम करने वाले लोग इतिहास बनाने भी वाले हैं|

मेरे प्यारे देशवासियो, सियाचिन ग्लेशियर के बारे में हम सभी जानते हैं | वहाँ की ठण्ड ऐसी भयानक है, जिसमें रहना आम इंसान के बस की बात ही नहीं है | दूर-दूर तक बर्फ ही बर्फ और पेड़-पौधों का तो नामोनिशान नहीं है | यहाँ का तापमान minus 60 degree तक भी जाता है | कुछ ही दिन पहले सियाचिन के इस दुर्गम इलाके में 8 दिव्यांग जनों की टीम ने जो कमाल कर दिखाया है वो हर देशवासी के लिए गर्व की बात है | इस टीम ने सियाचिन ग्लेशियर की 15 हज़ार फीट से भी ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित ‘कुमार पोस्ट’ पर अपना परचम लहराकर World Record बना दिया है | शरीर की चुनौतियों के बावजूद भी हमारे इन दिव्यांगों ने जो कारनामा कर दिखाया है वो पूरे देश के लिए प्रेरणा है और जब इस टीम के सदस्यों के बारे में जानेंगे तो आप भी मेरी तरह हिम्मत और हौसले से भर जायेंगे | इन जांबाज दिव्यांगों के नाम है - महेश नेहरा, उत्तराखंड के अक्षत रावत, महाराष्ट्र के पुष्पक गवांडे, हरियाणा के अजय कुमार, लद्दाख के लोब्सांग चोस्पेल, तमिलनाडु के मेजर द्वारकेश, जम्मू-कश्मीर के इरफ़ान अहमद मीर और हिमाचल प्रदेश की चोन्जिन एन्गमो | सियाचिन ग्लेशियर को फतह करने का ये ऑपरेशन भारतीय सेना के विशेष बलों के veterans की वजह से सफल हुआ है | मैं इस ऐतिहासिक और अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए इस टीम की सराहना करता हूँ | यह हमारे देशवासियों के “Can Do Culture”, “Can Do Determination” “Can Do Attitude” के साथ हर चुनौती से निपटने की भावना को भी प्रकट करता है |

साथियो, आज देश में दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए कई प्रयास हो रहे हैं | मुझे उत्तरप्रदेश में हो रहे ऐसे ही एक प्रयास One Teacher, One Call के बारे में जानने का मौका मिला | बरेली में यह अनूठा प्रयास दिव्यांग बच्चों को नई राह दिखा रहा है | इस अभियान का नेतृत्व कर रही हैं डभौरा गंगापुर में एक स्कूल की principal दीपमाला पांडेय जी | कोरोना काल में इस अभियान के कारण न केवल बड़ी संख्या में बच्चों का एडमिशन संभव हो पाया बल्कि इससे करीब 350 से अधिक शिक्षक भी सेवा-भाव से जुड़ चुके हैं | ये शिक्षक गाँव-गाँव जाकर दिव्यांग बच्चों को पुकारते हैं, तलाशते हैं और फिर उनका किसी-न-किसी स्कूल में दाखिला सुनिश्चित कराते हैं | दिव्यांग जनों के लिए दीपमाला जी और साथी शिक्षकों की इस नेक प्रयास की मैं भूरी-भूरी प्रशंसा करता हूँ | शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा हर प्रयास हमारे देश के भविष्य को संवारने वाला है |

मेरे प्यारे देशवासियो, आज हम लोगों की ज़िन्दगी का हाल ये है कि एक दिन में सैकड़ों बार कोरोना शब्द हमारे कान पर गूंजता है, सौ साल में आई सबसे बड़ी वैश्विक महामारी, COVID-19 ने हर देशवासी को बहुत कुछ सिखाया है | Healthcare और Wellness को लेकर आज जिज्ञासा भी बढ़ी है और जागरूकता भी | हमारे देश में पारंपरिक रूप से ऐसे Natural Products प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं जो Wellness यानि सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है | ओडिशा के कालाहांडी के नांदोल में रहने वाले पतायत साहू जी इस क्षेत्र में बरसों से एक अनोखा कार्य कर रहे हैं | उन्होंने डेढ़ एकड़ जमीन पर Medicinal Plant लगाए हैं | यही नहीं, साहू जी ने इन Medicinal Plants को Documentation भी किया है | मुझे रांची के सतीश जी ने पत्र के माध्यम से ऐसी ही एक और जानकारी साझा की है | सतीश जी ने झारखंड के एक Aloe Vera Village की ओर मेरा ध्यान दिलाया है | रांची के पास ही देवरी गाँव की महिलाओं ने मंजू कच्छप जी के नेतृत्व में बिरसा कृषि विद्यालय से एलोवेरा की खेती का प्रशिक्षण लिया था | इसके बाद उन्होंने एलोवेरा की खेती शुरू की | इस खेती से न केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में लाभ मिला, बल्कि इन महिलाओं की आमदनी भी बढ़ गई | Covid महामारी के दौरान भी इन्हें अच्छी आमदनी हुई | इसकी एक बड़ी वजह यह थी कि sanitizer बनाने वाली कंपनियां सीधे इन्हीं से एलो वेरा खरीद रही थीं | आज इस कार्य में करीब चालीस महिलाओं की team जुटी है | और कई एकड़ में एलो वेरा की खेती होती है | ओड़िसा के पतायत साहू जी हों या फिर देवरी में महिलाओं की ये team, इन्होंने खेती को जिस प्रकार स्वास्थ्य के क्षेत्र से जोड़ा है, वो एक अपने आप में एक मिसाल है |

साथियो, आने वाली 2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री जी की भी जन्मजयंती होती है | उनकी स्मृति में ये दिन हमें खेती में नए नए प्रयोग करने वालो की भी शिक्षा देता है | Medicinal Plant के क्षेत्र में Start-up को बढ़ावा देने के लिए Medi-Hub TBI के नाम से एक Incubator, गुजरात के आनन्द में काम कर रहा है | Medicinal और Aromatic Plants से जुड़ा ये Incubator बहुत कम समय में ही 15 entrepreneurs के business idea को support कर चुका है | इस Incubator की मदद पाकर ही सुधा चेब्रोलू जी ने अपना start-up शुरू किया है | उनकी company में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है और उन्हीं पर innovative herbal formulations की भी जिम्मेदारी है | एक और entrepreneur सुभाश्री जी ने जिन्हें भी इसी Medicinal और Aromatic Plants Incubator से मदद मिली है | सुभाश्री जी की company herbal room और car freshener के क्षेत्र में काम कर रही है | उन्होंने एक हर्बल terrace garden भी बनाया है जिसमें 400 से ज्यादा Medicinal Herbs हैं |
साथियो, बच्चो में Medicinal और Herbal Plants के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने एक दिलचस्प पहल की है और इसका बीड़ा उठाया है हमारे professor आयुष्मान जी ने | हो सकता है कि जब आप ये सोचें कि आखिर professor आयुष्मान हैं कौन? दरअसल professor आयुष्मान एक comic book का नाम है | इसमें अलग अलग cartoon किरदारों के जरिए छोटी-छोटी कहानियां तैयार की गई हैं | साथ ही एलो वेरा, तुलसी, आंवला, गिलॉय, नीम, अश्वगंधा और ब्रह्मी जैसे सेहतमंद Medicinal Plant की उपयोगिता बताई गई है |

साथियो, आज के हालात में जिस प्रकार Medicinal Plant और हर्बल उत्पादों को लेकर दुनिया भर में लोगों का रुझान बढ़ा है, उसमें भारत के पास अपार संभावनाएं हैं | बीते समय में आयुर्वेदिक और हर्बल product के export में भी काफी वृद्धि देखने को मिली है |

मैं Scientists, Researchers और Start-up की दुनिया से जुड़े लोगों से, ऐसे Products की ओर ध्यान देने का आग्रह करता हूं, जो लोगों की Wellness और Immunity तो बढाए हीं, हमारे किसानों और नौजवानों की आय को भी बढ़ाने में मददगार साबित हो |

साथियो, पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर, खेती में हो रहे नए प्रयोग, नए विकल्प, लगातार, स्वरोजगार के नए साधन बना रहे हैं | पुलवामा के दो भाइयों की कहानी भी इसी का एक उदाहरण है | जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बिलाल अहमद शेख और मुनीर अहमद शेख ने जिस प्रकार अपने लिए नए रास्ते तलाशे, वो New India की एक मिसाल है | 39 साल के बिलाल अहमद जी Highly Qualified हैं, उन्होंने कई डिग्रियां हासिल कर रखी हैं | अपनी उच्च शिक्षा से जुड़े अनुभवों का इस्तेमाल आज वो कृषि में खुद का Start-up बनाकर कर रहे हैं | बिलाल जी ने अपने घर पर ही Vermi composting की Unit लगाई है | इस Unit से तैयार होने वाले बायो फर्टिलाइजर से न केवल खेती में काफी लाभ हुआ है, बल्कि यह लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी लेकर आया है | हर साल इन भाइयों की यूनिट से किसानों को करीब तीन हजार क्विंटल Vermi compost मिल रहा है | आज उनकी इस Vermi composting Unit में 15 लोग काम भी कर रहे हैं | उनकी इस Unit को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं, और उनमें ज्यादातर ऐसे युवा होते हैं, जो कृषि क्षेत्र में कुछ करना चाहते हैं | पुलवामा के शेख भाइयों ने Job Seeker बनने की जगह Job Creator बनने का संकल्प लिया और आज वो जम्मू-कश्मीर ही नहीं, बल्कि देश भर के लोगों को नई राह दिखा रहे हैं|

मेरे प्यारे देशवासियो, 25 सितम्बर को देश की महान संतान पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की जन्म-जयंती होती है | दीन दयाल जी, पिछली सदी के सबसे बड़े विचारकों में से एक हैं | उनका अर्थ-दर्शन, समाज को सशक्त करने के लिए उनकी नीतियाँ, उनका दिखाया अंत्योदय का मार्ग, आज भी जितना प्रासंगिक है, उतना ही प्रेरणादायी भी है | तीन साल पहले 25 सितम्बर को उनकी जन्म-जयंती पर ही दुनिया की सबसे बड़ी Health Assurance Scheme – आयुष्मान भारत योजना लागू की गई थी | आज देश के दो-सवा-दो करोड़ से अधिक गरीबों को आयुष्मान भारत योजना के तहत अस्पताल में 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिल चुका है | गरीब के लिए इतनी बड़ी योजना, दीन दयाल जी के अंत्योदय दर्शन को ही समर्पित है | आज के युवा अगर उनके मूल्यों और आदर्शों को अपने जीवन में उतारें तो ये उनके बहुत काम आ सकता है | एक बार लखनऊ में दीन दयाल जी ने कहा था – “कितनी अच्छी-अच्छी चीजें, अच्छे-अच्छे गुण हैं – ये सब हमें समाज से ही तो प्राप्त होते हैं | हमें समाज का कर्ज चुकाना है, इस तरह का विचार करना ही चाहिए |” यानि दीन दयाल जी ने सीख दी, कि हम समाज से, देश से इतना कुछ लेते हैं, जो कुछ भी है, वो देश की वजह से ही तो है इसलिए देश के प्रति अपना ऋण कैसे चुकाएंगे, इस बारे में सोचना चाहिए | ये आज के युवाओं के लिए बहुत बड़ा सन्देश है |

साथियो, दीन दयाल जी के जीवन से हमें कभी हार न मानने की भी सीख मिलती है | विपरीत राजनीतिक और वैचारिक परिस्थितियों के बावजूद भारत के विकास के लिए स्वदेशी मॉडल के विजन से वे कभी डिगे नहीं | आज बहुत सारे युवा बने-बनाए रास्तों से अलग होकर आगे बढ़ना चाहते हैं | वे चीजों को अपनी तरह से करना चाहते हैं | दीन दयाल जी के जीवन से उन्हें काफी मदद मिल सकती है | इसलिए युवाओं से मेरा आग्रह है कि वे उनके बारे में जरूर जानें |

मेरे प्यारे देशवासियो, हमने आज बहुत से विषयों पर चर्चा की | जैसा हम बात भी कर रहे थे, आने वाला समय त्यौहारों का है | पूरा देश मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की असत्य पर विजय का पर्व भी मनाने वाला है | लेकिन इस उत्सव में हमें एक और लड़ाई के बारे में याद रखना है - वो है देश की कोरोना से लड़ाई | टीम इंडिया इस लड़ाई में रोज नए रिकॉर्ड बना रही है | Vaccination में देश ने कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए हैं जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है | इस लड़ाई में हर भारतवासी की अहम भूमिका है | हमें अपनी बारी आने पर Vaccine तो लगवानी ही है पर इस बात का भी ध्यान रखना है कि कोई इस सुरक्षा चक्र से छूट ना जाए | अपने आस-पास जिसे Vaccine नहीं लगी है उसे भी Vaccine centre तक ले जाना है | Vaccine लगने के बाद भी जरुरी protocol का पालन करना है | मुझे उम्मीद है इस लड़ाई में एक बार फिर टीम इंडिया अपना परचम लहराएगी | हम अगली बार कुछ और विषयों पर ‘मन की बात’ करेंगे| आप सभी को, हर देशवासी को, त्यौहारों की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ|
धन्यवाद |

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PM to inaugurate ITU Area Office & Innovation Centre on 22nd March
March 21, 2023
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PM to unveil Bharat 6G Vision Document and launch 6G R&D Test Bed
These will enable an environment for innovation, capacity building and faster technology adoption in the country
PM to also launch ‘Call before u dig’ App
App signifies ‘Whole-of-government approach’ under PM Gati Shakti
It will save potential business loss and minimise discomfort to the citizens due to reduced disruption in essential services

Prime Minister Shri Narendra Modi will inaugurate the new International Telecommunication Union (ITU) Area office & Innovation Centre in India at a programme in Vigyan Bhawan on 22nd March, 2023 at 12:30 PM. During the programme, Prime Minister will unveil Bharat 6G Vision Document and launch 6G R&D Test Bed. He will also launch ‘Call before u dig’ App. Prime Minister will also address the gathering on the occasion.

ITU is the United Nations specialised agency for information and communication technologies (ICTs). Headquartered in Geneva, it has a network of field offices, regional Offices and area offices. India signed a Host Country Agreement in March 2022 with ITU for establishment of Area Office. The Area Office in India also envisaged to have an Innovation Centre embedded to it, making it unique among other area offices of ITU. The Area Office, which is fully funded by India, is located on the second floor of the Centre for Development of Telematics (C-DoT) building at Mehrauli New Delhi. It will serve India, Nepal, Bhutan, Bangladesh, Sri Lanka, Maldives, Afghanistan and Iran, enhancing coordination among nations and fostering mutually beneficial economic cooperation in the region.

Bharat 6G vision document is prepared by Technology Innovation Group on 6G (TIG-6G) that was constituted in November 2021 with members from various Ministries/Departments, research and development institutions, academia, standardisation bodies, Telecom Service Providers and industry to develop roadmap and action plans for 6G in India. 6G Test bed will provide academic institutions, industry, start-ups, MSMEs, industry etc, a platform to test and validate the evolving ICT technologies. The Bharat 6G Vision Document and 6G Test bed will provide an enabling environment for innovation, capacity building and faster technology adoption in the country.

Exemplifying the Prime Minister’s vision of integrated planning and coordinated implementation of infrastructure connectivity projects under PM Gati Shakti, the Call Before You Dig (CBuD) app is a tool envisaged for preventing damage to underlying assets like optical fibre cables, that occurs because of uncoordinated digging and excavation, leading to loss of about Rs 3000 crore every year to the country. The mobile app CBuD will connect excavators and asset owners through SMS/Email notification & click to call, so that there are planned excavations in the country while ensuring the safety of underground assets.

CBuD, which illustrates the adoption of ‘Whole-of-government approach’ in the governance of the country, will benefit all stakeholders by improving ease of doing business. It will save potential business loss and minimise discomfort to the citizens due to reduced disruption in essential services like road, telecom, water, gas and electricity.

The programme will witness participation of IT/Telecom Ministers of various Area Offices of ITU, Secretary General and other senior officials of ITU, Heads of United Nations/other international bodies in India, Ambassadors, Industry Leaders, Start-up and MSME, leaders Academia, students and other stakeholders.