डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने इस सेंटर के लिए सहयोग प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी को धन्यवाद दिया
डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के लिए विश्व के नेताओं ने भारत को धन्यवाद दिया
“ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में भारत के योगदान और क्षमता के सम्मान का प्रतीक है डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन”
"भारत इस साझेदारी को पूरी मानवता की सेवा की एक बड़ी जिम्मेदारी के रूप में लेता है"
“डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के साथ वेलनेस के क्षेत्र में जामनगर के योगदानों को वैश्विक पहचान मिलेगी”
"वन प्लानेट आवर हेल्थ” का नारा देकर डब्ल्यूएचओ ने 'एक धरती, एक स्वास्थ्य' के भारत के विजन को आगे बढ़ाया है"
"भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं है। यह जीवन का एक समग्र विज्ञान है"
 


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज जामनगर में मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस की उपस्थिति में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) की आधारशिला रखी। जीसीटीएम दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए पहला और एकमात्र वैश्विक आउटपोस्ट केंद्र होगा। यह वैश्विक कल्याण के अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में उभरेगा। इस अवसर पर बांग्लादेश, भूटान, नेपाल के प्रधानमंत्रियों और मालदीव के राष्ट्रपति के वीडियो संदेश चलाए गए। केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, श्री सर्बानंद सोनोवाल, श्री मुंजपारा महेंद्रभाई और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल उपस्थित थे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस ने जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना के लिए पूर्ण सहयोग प्रदान करने में प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्वकारी भूमिका के लिए उनको धन्यवाद दिया। महानिदेशक ने इस सेंटर को वास्तव में एक वैश्विक परियोजना करार दिया, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 107 सदस्य देशों के अपने देश विशिष्ट सरकारी कार्यालय हैं, जिसका अर्थ है कि दुनिया पारंपरिक चिकित्सा में नेतृत्व के लिए भारत आएगी। उन्होंने कहा कि पारंपरिक दवाओं के उत्पाद विश्व स्तर पर प्रचुर मात्रा में हैं और केंद्र पारंपरिक चिकित्सा के वादे को पूरा करने में एक लंबा सफर तय करेगा। दुनिया के कई क्षेत्रों के लिए पारंपरिक चिकित्सा, उपचार का पहला चरण है। उन्होंने कहा कि नया केंद्र डेटा, नवाचार और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करेगा और पारंपरिक चिकित्सा के उपयोग का अनुकूलन करेगा। डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस ने कहा कि केंद्र के पांच मुख्य क्षेत्रों में अनुसंधान एवं नेतृत्व, साक्ष्य एवं शिक्षा, डेटा एवं विश्लेषण, स्थायित्व एवं समानता तथा नवाचार एवं प्रौद्योगिकी शामिल होंगे।

मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने इस अवसर के साथ मॉरीशस को जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने विभिन्न संस्कृतियों में स्वदेशी चिकित्सा प्रणाली और हर्बल उत्पादों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि केंद्र की स्थापना के लिए इससे अधिक उपयुक्त समय नहीं हो सकता। उन्होंने केंद्र की स्थापना में नेतृत्व संभालने में प्रधानमंत्री श्री मोदी के व्यक्तिगत योगदान के बारे में बताया। श्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने कहा, "हम इस उदार योगदान के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, भारत सरकार और भारतीय लोगों के बहुत आभारी हैं।" उन्होंने 1989 से मॉरीशस में आयुर्वेद को विधायी मान्यता दिए जाने के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने जामनगर में आयुर्वेदिक चिकित्सा का अध्ययन करने के लिए मॉरीशस के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए गुजरात को भी धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस को उनके सहृदय निवेदन के लिए धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस के भारत के साथ जुड़ाव और डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) की परियोजना में उनकी व्यक्तिगत भागीदारी के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि उनका स्नेह डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के साकार होने से प्रकट हुआ है। प्रधानमंत्री ने महानिदेशक को आश्वासन दिया कि भारत उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा।

प्रधानमंत्री ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और उनके परिवार के साथ तीन दशक लंबे जुड़ाव पर भी प्रकाश डाला और उनकी बातों एवं उनकी उपस्थिति के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। श्री मोदी ने उन नेताओं को भी धन्यवाद दिया जिनके वीडियो संदेश चलाए गए थे।

प्रधानमंत्री ने कहा, "ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में भारत के योगदान और क्षमता के सम्मान का प्रतीक है डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन।" उन्होंने आगे घोषणा की "भारत इस साझेदारी को पूरी मानवता की सेवा की एक बड़ी जिम्मेदारी के रूप में लेता है।"

डब्ल्यूएचओ केंद्र के आयोजन स्थल पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, "डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के साथ वेलनेस के क्षेत्र में जामनगर के योगदानों को वैश्विक पहचान मिलेगी।" श्री मोदी ने कहा कि पांच दशक से भी अधिक समय पहले, जामनगर में विश्व की पहली आयुर्वेद यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी। यहां एक बेहतरीन आयुर्वेद संस्थान- इंस्टीट्यूट ऑफ टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हमारा अंतिम लक्ष्य अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि रोगमुक्त रहना जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है लेकिन अंतिम लक्ष्य स्वस्थ होना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी की अवधि के दौरान स्वास्थ्य के महत्व को काफी महसूस किया गया। “दुनिया आज स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने के नए आयाम खोज रही है। मुझे खुशी है कि 'वन प्लानेट आवर हेल्थ' का नारा देकर डब्ल्यूएचओ ने 'एक धरती, एक स्वास्थ्य' के भारत के विजन को आगे बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं है। यह जीवन का समग्र विज्ञान है।" श्री मोदी ने कहा कि आयुर्वेद उपचार और इलाज से भी बढ़कर है, उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में उपचार और उपचार के अलावा; सामाजिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य-प्रसन्नता, पर्यावरणीय स्वास्थ्य, सहानुभूति, करुणा और उत्पादकता शामिल हैं। श्री मोदी ने कहा, "आयुर्वेद को जीवन के ज्ञान के रूप में लिया गया है और इसे पांचवां वेद माना गया है।" प्रधानमंत्री ने कहा कि अच्छे स्वास्थ्य का सीधा संबंध संतुलित आहार से है। उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वज आहार को आधा इलाज मानते थे और हमारी चिकित्सा प्रणाली आहार संबंधी सलाह से परिपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत के लिए बहुत गर्व की बात है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में चुना गया है। उन्होंने कहा कि यह कदम मानवता के लिए लाभदायक साबित होगा।

प्रधानमंत्री ने विश्व स्तर पर आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी नुस्खों की बढ़ती मांग के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि कई देश महामारी से निपटने के लिए पारंपरिक चिकित्सा पर जोर दे रहे हैं। इसी तरह, योग दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल कर रहा है। श्री मोदी ने कहा कि योग मधुमेह, मोटापा और अवसाद जैसी बीमारियों से लड़ने में बेहद उपयोगी साबित हो रहा है। योग मानसिक तनाव को कम करने तथा मन-शरीर एवं चेतना में संतुलन खोजने में भी लोगों की मदद कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने नए केंद्र के लिए पांच लक्ष्य निर्धारित किए। पहला, प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए पारंपरिक ज्ञान प्रणाली का डेटाबेस बनाना; दूसरा, जीसीटीएम पारंपरिक दवाओं के परीक्षण और प्रमाणन के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक बना सकता है ताकि इन दवाओं में विश्वास बढ़े। तीसरा, जीसीटीएम को एक ऐसे मंच के रूप में विकसित किया जाएगा जहां पारंपरिक दवाओं के वैश्विक विशेषज्ञ एक साथ आएं और अनुभव साझा करें। उन्होंने केंद्र से एक वार्षिक पारंपरिक चिकित्सा उत्सव की संभावना तलाशने को भी कहा। चौथा, जीसीटीएम को पारंपरिक दवाओं के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए धन जुटाना चाहिए। अंत में, जीसीटीएम को विशिष्ट रोगों के समग्र उपचार के लिए प्रोटोकॉल विकसित करना चाहिए ताकि रोगियों को पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा दोनों से लाभ मिल सके।

श्री मोदी ने कहा, 'हम भारतीय वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे संतु निरामयः की भावना से जीने वाले लोग हैं। पूरी दुनिया एक ही परिवार है और यह पूरा परिवार हमेशा निरोग रहे, ये हमारा दर्शन रहा है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ-जीसीटीएम की स्थापना से यह परंपरा और समृद्ध होगी।

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भारत की 81% कंपनियों का पीएम की इंटर्नशिप स्कीम को समर्थन: निर्मला सीतारमण ने इंडस्ट्री के गेम-चेंजिंग सपोर्ट को सराहा
January 17, 2025

केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री की इंटर्नशिप योजना को लेकर कॉरपोरेट इंडिया से मिले जबरदस्त समर्थन की सराहना की और युवाओं तथा देश की अर्थव्यवस्था के लिए इसकी परिवर्तनकारी क्षमता का हवाला दिया। इस योजना के लिए भारतीय उद्योग जगत से मिले 81% प्रभावशाली समर्थन पर प्रकाश डालने वाली रिपोर्टों पर बोलते हुए मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यह पहल शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई को पाटेगी और कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के माध्यम से स्किल डेवलपमेंट की संस्कृति को बढ़ावा देगी।

टीमलीज और जी-न्यूज द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार, बढ़ती संख्या में कंपनियां अपनी CSR रणनीतियों में इंटर्नशिप को एकीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। रिपोर्टों के अनुसार, 2025 में कॉरपोरेट इंडिया का 10% पीएम-इंटर्नशिप योजना के तहत इंटर्न को जोड़ने की योजना बना रहा है, जो उद्योग और शिक्षा क्षेत्र दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

मंत्री सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि पीएम-इंटर्नशिप योजना केवल रोजगार की पहल नहीं है, बल्कि स्किल्ड वर्कफोर्स को विकसित करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा, "यह पहल हमारे युवाओं को व्यावहारिक अनुभव के साथ सशक्त बनाने और उन्हें तेजी से आगे बढ़ रहे वैश्विक नौकरी बाजार की मांगों को पूरा करने के लिए तैयार करने की दिशा में एक कदम है।"

रिपोर्ट से पता चला है कि व्यवसायों के बीच यह मान्यता बढ़ रही है कि इंटर्नशिप न केवल छात्रों के लिए फायदेमंद है, बल्कि संगठनों को नए दृष्टिकोण, इनोवेटिव सॉल्यूशंस और भविष्य के लिए तैयार प्रतिभाओं की एक पाइपलाइन भी प्रदान करती है। यह सरकार के आत्मनिर्भर भारत के विजन के साथ पूरी तरह से मेल खाता है, जहाँ स्किल डेवलपमेंट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मंत्री सीतारमण ने इस योजना को सफल बनाने में पब्लिक-प्राइवेट सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "पीएम-इंटर्नशिप योजना शिक्षा और उद्योग के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए हमारी सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह साझेदारी यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है कि हमारे युवा अपनी शैक्षणिक शिक्षा के साथ व्यावहारिक ज्ञान और तकनीकी कौशल हासिल करें।"

उन्होंने अपने ऑर्गनाइजेशनल फ्रेमवर्क में इंटर्नशिप को शामिल करने में सक्रिय भूमिका के लिए कॉर्पोरेट क्षेत्र की भी प्रशंसा की। 81% भारतीय कंपनियों ने इस योजना का समर्थन किया है, जो राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ उद्योग के तालमेल को दर्शाता है। यह कार्यक्रम कंपनियों को युवाओं की ऊर्जा और रचनात्मकता का लाभ उठाने का अवसर प्रदान करता है, जबकि छात्रों को उद्योग के मानकों और कार्य संस्कृति से परिचित होने का अवसर मिलता है।

इंटर्नशिप को अपने CSR पहलों में इंटीग्रेट करके, कंपनियाँ स्किल्ड वर्कफोर्स प्राप्त करते हुए सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करती हैं। मंत्री सीतारमण ने पीएम-इंटर्नशिप योजना के दोहरे लाभों पर जोर देते हुए इसे "विन-विन" स्थिति बताया, जहाँ छात्रों को व्यावहारिक अनुभव मिलता है, और व्यवसाय; सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए भविष्य के लिए तैयार प्रतिभाओं का निर्माण करते हैं।

मंत्री सीतारमण ने कहा, "पीएम-इंटर्नशिप योजना सिर्फ़ शहरी छात्रों के लिए ही नहीं बल्कि ग्रामीण और वंचित समुदायों के छात्रों के लिए भी बनाई गई है। हम ऐसे स्ट्रक्चर बनाने के लिए काम कर रहे हैं जो भौगोलिक या सामाजिक-आर्थिक बाधाओं के बावजूद अवसरों तक समान पहुँच सुनिश्चित करें।"

मंत्री सीतारमण ने भारत के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने पर पीएम-इंटर्नशिप योजना के दीर्घकालिक प्रभाव के बारे में भी आशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, "आज के युवा कल के नेता हैं। उन्हें उद्योग-संबंधित स्किल और वास्तविक दुनिया के अनुभव के साथ तैयार करके, हम अपने देश के भविष्य में निवेश कर रहे हैं।"

जैसे-जैसे पीएम-इंटर्नशिप योजना गति पकड़ती जा रही है; यह एजुकेशन, स्किल डेवलपमेंट और रोजगार के अवसरों को एक साथ लाने के सरकार के संकल्प का एक शानदार उदाहरण है। मंत्री निर्मला सीतारमण की टिप्पणी एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने में सामूहिक प्रयास के महत्व को दर्शाती है जहाँ युवाओं की आकांक्षाएँ आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत के दृष्टिकोण के साथ मेल खाती हैं।