भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल पड़ा है: प्रधानमंत्री
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आज भारत दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल है: प्रधानमंत्री
आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत को दो प्रमुख चीजों - ऊर्जा और सेमीकंडक्टर की आवश्यकता है, असम इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है: प्रधानमंत्री
हम असम की पहचान को निरंतर मजबूत बना रहे हैं: प्रधानमंत्री

स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज असम के गोलाघाट स्थित नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) में असम बायोएथेनॉल संयंत्र का उद्घाटन किया और पॉलीप्रोपाइलीन संयंत्र की आधारशिला रखी। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने सभी नागरिकों और असम के लोगों को शारदीय दुर्गा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने महान आध्यात्मिक विभूति श्रीमंत शंकरदेव की जयंती के महत्व को स्वीकार किया और पूज्य गुरुजनों को सादर श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह पिछले दो दिनों से पूर्वोत्तर में हैं और हर बार जब भी वह इस क्षेत्र में आते हैं, तो उन्हें असाधारण स्नेह और आशीर्वाद मिलता है। उन्होंने असम के इस हिस्से में अनुभूत विशिष्‍ट गर्मजोशी और अपनेपन की भावना को रेखांकित किया और लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।

श्री मोदी ने कहा कि आज का दिन विकसित असम और विकसित भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। उन्होंने घोषणा की कि असम को लगभग 18,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएँ आवंटित की गई हैं। उन्होंने बताया कि आज दिन में, वह दरांग में थे, जहाँ उन्होंने कनेक्टिविटी और स्वास्थ्य संबंधी परियोजनाओं की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान स्थान पर उन्‍होंने ऊर्जा सुरक्षा से संबंधित परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया है, जो असम के विकास पथ को और मज़बूती प्रदान करेंगी।

इस बात को रेखांकित करते हुए कि असम, भारत की ऊर्जा क्षमताओं को मज़बूती प्रदान करने वाली भूमि है, प्रधानमंत्री ने कहा कि असम से निकलने वाले पेट्रोलियम उत्पाद राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इस क्षमता को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री मोदी ने बताया कि वर्तमान स्थल पर पहुँचने से पहले, उन्होंने पास में ही एक अन्य कार्यक्रम में भाग लिया, जहाँ उन्होंने बाँस से बायो-एथेनॉल बनाने वाले एक आधुनिक संयंत्र का उद्घाटन किया और इसे असम के लिए गर्व की बात बताया। एथेनॉल संयंत्र के उद्घाटन के साथ ही, उन्होंने एक पॉलीप्रोपाइलीन संयंत्र की भी आधारशिला रखी। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये परियोजनाएँ असम में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देंगी, राज्य के विकास में तेज़ी लाएंगी तथा किसानों व युवाओं के लिए नए अवसरों का सृजन करेंगी। उन्होंने इन पहलों के लिए सभी को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत वर्तमान में दुनिया की सबसे तेज़ रफ्तार से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है।” उन्होंने कहा कि देश जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, बिजली, गैस और ईंधन की माँग भी बढ़ रही है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत लंबे समय से अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए विदेशी स्रोतों पर निर्भर रहा है और बड़ी मात्रा में कच्चा तेल और गैस का आयात करता रहा है। इसके परिणामस्वरूप, देश को दूसरे देशों को सालाना लाखों करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ता है, जिससे विदेशों में रोज़गार और आय में वृद्धि होती है। श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि इस स्थिति में बदलाव लाने की ज़रूरत है। उन्होंने दृढ़तापूर्वक कहा कि भारत अब अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल पड़ा है।

इस बात का उल्लेख करते हुए कि भारत अपनी हरित ऊर्जा क्षमताओं को बढ़ाने के साथ-साथ देश में कच्चे तेल और गैस के नए भंडारों की खोज पर भी काम कर रहा है, श्री मोदी ने ‘समुद्र मंथन’ पहल के बारे में लाल किले से की गई अपनी घोषणा को याद किया। उन्होंने विशेषज्ञों के आकलन को रेखांकित किया कि भारत के समुद्रों में तेल और गैस के प्रचुर भंडार हो सकते हैं। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के विकास के लिए इन संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए 'नेशनल डीप वाटर एक्सप्लोरेशन मिशन' के शुभारंभ का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने इस बात को भी रेखांकित किया कि भारत हरित ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में तेज़ी से प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि एक दशक पहले, सौर ऊर्जा उत्पादन में भारत काफ़ी पिछड़ा हुआ था। हालाँकि, आज सौर ऊर्जा क्षमता के क्षेत्र में भारत दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल है।

प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा, “बदलते समय में, तेल और गैस पर निर्भरता कम करने के लिए भारत को वैकल्पिक ईंधन की आवश्यकता है।” उन्होंने एथेनॉल को एक व्यवहार्य विकल्प बताया। उन्होंने बताया कि बांस से एथेनॉल बनाने वाले एक नए संयंत्र का आज उद्घाटन किया गया है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस पहल से असम के किसानों और जनजातीय समुदायों को बहुत लाभ होगा।

श्री मोदी ने बताया कि बायो-एथेनॉल संयंत्र के संचालन के लिए बांस की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि सरकार स्थानीय किसानों को बांस की खेती में सहयोग देगी और उसकी सीधे खरीद भी करेगी। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में बांस की चिपिंग से संबंधित छोटी इकाइयाँ स्थापित की जाएँगी। प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र में सालाना लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की घोषणा की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस अकेले संयंत्र से क्षेत्र के हज़ारों लोगों को लाभ पहुँचेगा।

भारत द्वारा अब बांस से एथेनॉल बनाए जाने की बात पर ज़ोर देते हुए प्रधानमंत्री ने जनता को उस दौर की याद दिलाई, जब विपक्ष के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में बांस काटने पर जेल हो सकती थी। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जनजातीय समुदायों के दैनिक जीवन का अभिन्न अंग रहे बांस पर भी प्रतिबंध लगे हुए थे। श्री मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वर्तमान सरकार ने बांस काटने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है और इस फ़ैसले से अब पूर्वोत्तर के लोगों को काफ़ी लाभ हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग अपने दैनिक जीवन में प्लास्टिक से निर्मित बाल्टी, मग, बक्से, कुर्सियाँ, मेज और पैकेजिंग सामग्री जैसी अनेक वस्तुओं का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी उत्पादों के लिए पॉलीप्रोपाइलीन की आवश्यकता होती है, जिसके बिना आधुनिक जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि पॉलीप्रोपाइलीन का उपयोग कालीन, रस्सियाँ, बैग, रेशे, मास्क, चिकित्सा किट और वस्त्र बनाने में किया जाता है, और यह ऑटोमोटिव क्षेत्र के साथ-साथ चिकित्सा और कृषि उपकरणों के उत्पादन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। श्री मोदी ने घोषणा की कि असम को एक आधुनिक पॉलीप्रोपाइलीन संयंत्र का उपहार मिला है। उन्होंने कहा कि यह संयंत्र 'मेक इन असम' और 'मेक इन इंडिया' की नींव को मजबूत करेगा और क्षेत्र में अन्य विनिर्माण उद्योगों को भी बढ़ावा देगा।

श्री मोदी ने कहा कि जिस तरह असम अपने पारंपरिक गमोसा और प्रसिद्ध एरी और मुगा सिल्‍क के लिए जाना जाता है, उसी तरह राज्य की पहचान अब पॉलीप्रोपाइलीन से बने वस्त्रों से भी होगी।

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि राष्ट्र आत्मनिर्भर भारत अभियान के प्रति असाधारण प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर रहा है और असम इसके प्रमुख केंद्रों में से एक है, श्री मोदी ने असम की क्षमताओं पर दृढ़ विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य को एक प्रमुख राष्ट्रीय पहल - सेमीकंडक्टर मिशन - के लिए चुना गया है। उन्होंने कहा कि असम पर उनका विश्वास इसकी प्रमाणित क्षमता से उपजा है, और बताया कि कैसे औपनिवेशिक काल में अपेक्षाकृत गुमनाम रही असम की चाय को असम की धरती और लोगों ने एक वैश्विक ब्रांड में बदल दिया। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि इस नए युग में, भारत की आत्मनिर्भरता दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों : ऊर्जा और सेमीकंडक्टर पर निर्भर करती है, और असम इन दोनों में बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंक कार्ड और मोबाइल फ़ोन से लेकर कार, विमान और अंतरिक्ष मिशन तक, हर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का मूल एक छोटी सी इलेक्ट्रॉनिक चिप में निहित है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यदि भारत इन उत्पादों का निर्माण घरेलू स्तर पर करना चाहता है, तो उसे अपनी चिप्स भी बनानी होंगी। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत ने सेमीकंडक्टर मिशन का शुभारंभ किया है और असम इस पहल का प्रमुख आधार है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मोरीगांव में 27,000 करोड़ रुपये के निवेश से तेज़ी से एक सेमीकंडक्टर फ़ैक्टरी का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह असम के लिए बहुत गर्व की बात है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विपक्ष ने लंबे समय तक देश पर शासन किया और कई दशकों तक असम में सत्ता संभाली। उन्होंने कहा कि उन वर्षों में विकास की गति धीमी रही और असम की सांस्कृतिक विरासत को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि केंद्र और राज्य की उनकी सरकारें अब असम की पारंपरिक पहचान को सशक्त बनाने के साथ-साथ उसे आधुनिक स्वरूप भी दे रही हैं। श्री मोदी ने असम और पूर्वोत्तर में अलगाववाद, हिंसा और विवाद लाने के लिए विपक्ष की आलोचना की, जबकि उनकी पार्टी असम को विकास और विरासत से समृद्ध राज्य में बदल रही है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह वर्तमान सरकार ही है जिसने असमिया भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि असम सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तेज़ी से लागू कर रही है और स्थानीय भाषाओं में शिक्षा को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है।

श्री मोदी ने कहा कि विपक्ष पूर्वोत्तर और असम के महान सपूतों को उचित सम्मान देने में विफल रहा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस धरती ने वीर लाचित बोरफुकन जैसे वीर योद्धाओं को जन्म दिया है, फिर भी विपक्ष ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया, जिसके वे वास्तव में हकदार थे। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वर्तमान सरकार ने लाचित बोरफुकन की विरासत को उचित सम्मान दिया है। उन्होंने बताया कि उनकी 400वीं जयंती राष्ट्रीय स्तर पर मनाई गई और उनकी जीवनी 23 भाषाओं में प्रकाशित की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें जोरहाट में लाचित बोरफुकन की एक भव्य प्रतिमा का अनावरण करने का अवसर मिला। प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए अपनी बात समाप्‍त की कि विपक्ष ने जिन लोगों की उपेक्षा की थी , वर्तमान सरकार अब उन्हें महत्‍वपूर्ण स्‍थान दे रही है।

प्रधानमंत्री ने शिवसागर स्थित ऐतिहासिक रंगघर का उल्‍लेख करते हुए कहा कि यह लंबे समय से उपेक्षित रहा और वर्तमान सरकार ने इसका जीर्णोद्धार करवाया है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सरकार श्रीमंत शंकरदेव की जन्मस्थली, बाताद्रवा को एक विश्वस्तरीय पर्यटन केंद्र बनाने की दिशा में काम कर रही है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम परिसर और उज्जैन में महाकाल महालोक के विकास से तुलना करते हुए, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि असम में माँ कामाख्या कॉरिडोर भी विकसित किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार असम की समृद्ध संस्कृति और इतिहास से जुड़े अनेक प्रतीकों और स्थलों का भावी पीढ़ियों के लिए सक्रिय रूप से संरक्षण कर रही है। उन्होंने कहा कि इस पहल से न केवल असम की विरासत को लाभ होगा, बल्कि राज्य में पर्यटन का दायरा भी बढ़ेगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जैसे-जैसे असम में पर्यटन बढ़ेगा, वैसे-वैसे युवाओं के लिए रोज़गार के अधिक अवसरों का सृजन होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान में जारी विकास के प्रयासों के बीच, असम -अवैध घुसपैठ की बढ़ती चुनौती का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्षी सरकार के कार्यकाल में घुसपैठियों को ज़मीन आवंटित की गई और अवैध अतिक्रमणों को संरक्षण दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि वोट बैंक की राजनीति की खातिर विपक्ष ने असम के जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ दिया। श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार असम के लोगों के साथ मिलकर इस मुद्दे को सक्रिय रूप से हल कर रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार घुसपैठियों से ज़मीन वापस ले रही है और ज़रूरतमंद जनजातीय परिवारों को ज़मीन के पट्टे आवंटित कर रही है। उन्होंने मिशन बसुंधरा के लिए असम सरकार की प्रशंसा की, जिसके तहत लाखों परिवारों को ज़मीन के पट्टे पहले ही मिल चुके हैं। उन्होंने कहा कि कुछ जनजातीय इलाकों में अहोम, कोच राजबोंगशी और गोरखा समुदायों के भूमि अधिकारों को मान्यता दी गई है और उन्हें संरक्षित वर्गों की सूची में शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि उनकी पार्टी जनजातीय समुदायों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारी सरकार का विकास मंत्र “नागरिक देवो भव” है, जिसका अर्थ है कि नागरिकों को असुविधा का सामना न करना पड़े और न ही उन्हें बुनियादी ज़रूरतों के लिए इधर-उधर भटकना पड़े।” उन्होंने कहा कि विपक्ष के लंबे शासन में, गरीबों की उपेक्षा की गई और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा गया, क्योंकि शासन चुनावी लाभ के लिए चुनिंदा समूहों के तुष्टिकरण से प्रेरित था। श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि इसके विपरीत, उनकी पार्टी तुष्टिकरण पर नहीं, बल्कि संतुष्टि पर ध्यान केंद्रित करती है और यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी गरीब या क्षेत्र पीछे न छूटे। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि असम में गरीबों के लिए पक्के मकानों के निर्माण का काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, और 20 लाख से ज़्यादा मकान पहले ही उपलब्ध कराए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि असम के हर घर में नल का पानी पहुँचाने की पहल भी तेज़ी से आगे बढ़ रही है।

इस बात को रेखांकित करते हुए कि उनकी सरकार की कल्याणकारी योजनाएँ असम के चाय बागानों में काम करने वाले भाइयों और बहनों को सीधे लाभ पहुँचा रही हैं, श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि चाय बागान श्रमिकों का कल्याण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि चाय बागानों में काम करने वाली महिलाओं और बच्चों को लक्षित सहायता मिल रही है, जिसमें महिलाओं के स्वास्थ्य और बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार क्षेत्र में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए योजनाओं को सक्रिय रूप से लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के कार्यकाल में चाय बागान श्रमिकों को चाय कंपनी प्रबंधन की दया के सहारे छोड़ दिया गया था। इसके विपरीत, उनकी सरकार इन श्रमिकों की आवास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा कर रही है, बिजली और पानी के कनेक्शन सुनिश्चित कर रही है, और उनके स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने इन कल्याणकारी पहलों में करोड़ों रुपये का निवेश किए जाने की पुष्टि की।

प्रधानमंत्री ने कहा, “असम में विकास के नए युग का सूत्रपात हो चुका है और असम व्यापार एवं पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है।” उन्होंने विकास परियोजनाओं के लिए एक बार फिर सभी को शुभकामनाएँ देते हुए, विकसित असम और विकसित भारत के निर्माण के सामूहिक संकल्प की पुष्टि करते हुए अपने भाषण का समापन किया।

इस कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा, केंद्रीय मंत्री श्री सर्वानंद सोनोवाल, श्री हरदीप सिंह पुरी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने गोलाघाट के नुमालीगढ़ में, नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) में असम बायोएथेनॉल संयंत्र का उद्घाटन किया। इसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना है।

उन्होंने नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) में पॉलीप्रोपाइलीन संयंत्र की भी आधारशिला रखी, जो असम के पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इससे रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा और क्षेत्र के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

 

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भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है: रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान पीएम मोदी
December 05, 2025

Your Excellency, My Friend, राष्ट्रपति पुतिन,
दोनों देशों के delegates,
मीडिया के साथियों,
नमस्कार!
"दोबरी देन"!

आज भारत और रूस के तेईसवें शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। उनकी यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हमारे द्विपक्षीय संबंध कई ऐतिहासिक milestones के दौर से गुजर रहे हैं। ठीक 25 वर्ष पहले राष्ट्रपति पुतिन ने हमारी Strategic Partnership की नींव रखी थी। 15 वर्ष पहले 2010 में हमारी साझेदारी को "Special and Privileged Strategic Partnership” का दर्जा मिला।

पिछले ढाई दशक से उन्होंने अपने नेतृत्व और दूरदृष्टि से इन संबंधों को निरंतर सींचा है। हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने आपसी संबंधों को नई ऊंचाई दी है। भारत के प्रति इस गहरी मित्रता और अटूट प्रतिबद्धता के लिए मैं राष्ट्रपति पुतिन का, मेरे मित्र का, हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

Friends,

पिछले आठ दशकों में विश्व में अनेक उतार चढ़ाव आए हैं। मानवता को अनेक चुनौतियों और संकटों से गुज़रना पड़ा है। और इन सबके बीच भी भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है।परस्पर सम्मान और गहरे विश्वास पर टिके ये संबंध समय की हर कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं। आज हमने इस नींव को और मजबूत करने के लिए सहयोग के सभी पहलुओं पर चर्चा की। आर्थिक सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जाना हमारी साझा प्राथमिकता है। इसे साकार करने के लिए आज हमने 2030 तक के लिए एक Economic Cooperation प्रोग्राम पर सहमति बनाई है। इससे हमारा व्यापार और निवेश diversified, balanced, और sustainable बनेगा, और सहयोग के क्षेत्रों में नए आयाम भी जुड़ेंगे।

आज राष्ट्रपति पुतिन और मुझे India–Russia Business Forum में शामिल होने का अवसर मिलेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि ये मंच हमारे business संबंधों को नई ताकत देगा। इससे export, co-production और co-innovation के नए दरवाजे भी खुलेंगे।

दोनों पक्ष यूरेशियन इकॉनॉमिक यूनियन के साथ FTA के शीघ्र समापन के लिए प्रयास कर रहे हैं। कृषि और Fertilisers के क्षेत्र में हमारा करीबी सहयोग,food सिक्युरिटी और किसान कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। मुझे खुशी है कि इसे आगे बढ़ाते हुए अब दोनों पक्ष साथ मिलकर यूरिया उत्पादन के प्रयास कर रहे हैं।

Friends,

दोनों देशों के बीच connectivity बढ़ाना हमारी मुख्य प्राथमिकता है। हम INSTC, Northern Sea Route, चेन्नई - व्लादिवोस्टोक Corridors पर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे। मुजे खुशी है कि अब हम भारत के seafarersकी polar waters में ट्रेनिंग के लिए सहयोग करेंगे। यह आर्कटिक में हमारे सहयोग को नई ताकत तो देगा ही, साथ ही इससे भारत के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे।

उसी प्रकार से Shipbuilding में हमारा गहरा सहयोग Make in India को सशक्त बनाने का सामर्थ्य रखता है। यह हमारेwin-win सहयोग का एक और उत्तम उदाहरण है, जिससे jobs, skills और regional connectivity – सभी को बल मिलेगा।

ऊर्जा सुरक्षा भारत–रूस साझेदारी का मजबूत और महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। Civil Nuclear Energy के क्षेत्र में हमारा दशकों पुराना सहयोग, Clean Energy की हमारी साझा प्राथमिकताओं को सार्थक बनाने में महत्वपूर्ण रहा है। हम इस win-win सहयोग को जारी रखेंगे।

Critical Minerals में हमारा सहयोग पूरे विश्व में secure और diversified supply chains सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे clean energy, high-tech manufacturing और new age industries में हमारी साझेदारी को ठोस समर्थन मिलेगा।

Friends,

भारत और रूस के संबंधों में हमारे सांस्कृतिक सहयोग और people-to-people ties का विशेष महत्व रहा है। दशकों से दोनों देशों के लोगों में एक-दूसरे के प्रति स्नेह, सम्मान, और आत्मीयताका भाव रहा है। इन संबंधों को और मजबूत करने के लिए हमने कई नए कदम उठाए हैं।

हाल ही में रूस में भारत के दो नए Consulates खोले गए हैं। इससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क और सुगम होगा, और आपसी नज़दीकियाँ बढ़ेंगी। इस वर्ष अक्टूबर में लाखों श्रद्धालुओं को "काल्मिकिया” में International Buddhist Forum मे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का आशीर्वाद मिला।

मुझे खुशी है कि शीघ्र ही हम रूसी नागरिकों के लिए निशुल्क 30 day e-tourist visa और 30-day Group Tourist Visa की शुरुआत करने जा रहे हैं।

Manpower Mobility हमारे लोगों को जोड़ने के साथ-साथ दोनों देशों के लिए नई ताकत और नए अवसर create करेगी। मुझे खुशी है इसे बढ़ावा देने के लिए आज दो समझौतेकिए गए हैं। हम मिलकर vocational education, skilling और training पर भी काम करेंगे। हम दोनों देशों के students, scholars और खिलाड़ियों का आदान-प्रदान भी बढ़ाएंगे।

Friends,

आज हमने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। यूक्रेन के संबंध में भारत ने शुरुआत से शांति का पक्ष रखा है। हम इस विषय के शांतिपूर्ण और स्थाई समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत सदैव अपना योगदान देने के लिए तैयार रहा है और आगे भी रहेगा।

आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भारत और रूस ने लंबे समय से कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया है। पहलगाम में हुआ आतंकी हमला हो या क्रोकस City Hall पर किया गया कायरतापूर्ण आघात — इन सभी घटनाओं की जड़ एक ही है। भारत का अटल विश्वास है कि आतंकवाद मानवता के मूल्यों पर सीधा प्रहार है और इसके विरुद्ध वैश्विक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है।

भारत और रूस के बीच UN, G20, BRICS, SCO तथा अन्य मंचों पर करीबी सहयोग रहा है। करीबी तालमेल के साथ आगे बढ़ते हुए, हम इन सभी मंचों पर अपना संवाद और सहयोग जारी रखेंगे।

Excellency,

मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हमारी मित्रता हमें global challenges का सामना करने की शक्ति देगी — और यही भरोसा हमारे साझा भविष्य को और समृद्ध करेगा।

मैं एक बार फिर आपको और आपके पूरे delegation को भारत यात्रा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ।