विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए 'पीएम विश्वकर्मा' लॉन्च किया
पीएम विश्वकर्मा लोगो, टैगलाइन 'सम्मान सामर्थ्य समृद्धि' और पोर्टल लॉन्च किया
कस्टमाइज्ड स्टाम्प शीट और टूलकिट पुस्तिका का विमोचन किया
18 लाभार्थियों को विश्वकर्मा प्रमाण-पत्र वितरित
“मैं यशोभूमि देश के हर श्रमिक को, हर विश्वकर्मा को समर्पित करता हूं”
"यह समय की मांग है कि विश्वकर्मा को मान्यता और सहायता दी जाए"
"आउटसोर्स का काम हमारे विश्वकर्मा मित्रों को मिलना चाहिए और उन्हें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनना चाहिए"
"इस बदलते समय में, विश्वकर्मा मित्रों के लिए प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और उपकरण महत्वपूर्ण हैं"
"मोदी उन लोगों के साथ खड़ा है, जिनकी परवाह करने के लिए कोई उनके साथ नहीं है"
"वोकल फॉर लोकल पूरे देश की जिम्मेदारी है"
"आज का विकसित भारत हर सेक्टर में अपनी एक नई पहचान बना रहा है"
'यशोभूमि का संदेश जोरदार और स्पष्ट है, यहां आयोजित होने वाला कोई भी कार्यक्रम सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त करेगा
"भारत मंडपम और यशोभूमि सेंटर दिल्ली को सम्मेलन पर्यटन का सबसे बड़ा केंद्र बनाएंगे"
"भारत मंडपम और यशोभूमि दोनों भारतीय संस्कृति और अत्याधुनिक सुविधाओं का संगम हैं, और ये भव्य प्रतिष्ठान विश्व के सामने भारत की गाथा व्यक्त करते हैं"
"हमारे विश्वकर्मा साथी मेक इन इंडिया के गौरव हैं और यह अंतराष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र विश्व के समक्ष इस गौरव को प्रदर्शित करने का एक माध्यम बनेगा"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के द्वारका में भारत अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और एक्सपो केन्द्र - 'यशोभूमि' के पहले चरण को राष्ट्र को समर्पित किया। 'यशोभूमि' में एक भव्य कन्वेंशन सेंटर, कई प्रदर्शनी हॉल और अन्य सुविधाएं हैं। उन्होंने विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए 'पीएम विश्वकर्मा योजना' भी शुरू की। प्रधानमंत्री ने पीएम विश्वकर्मा लोगो, टैगलाइन और पोर्टल भी लॉन्च किया। उन्होंने इस अवसर पर एक कस्टमाइज्ड स्टाम्प शीट, एक टूल किट, ई-बुकलेट और वीडियो भी जारी किया। प्रधानमंत्री ने 18 लाभार्थियों को विश्वकर्मा प्रमाण पत्र वितरित किए।

 

प्रधानमंत्री ने आयोजन स्थल पर पहुंचने के बाद, प्रदर्शनी 'गुरु-शिष्य परंपरा' और 'नई प्रौद्योगिकी' का अवलोकन किया। उन्होंने यशोभूमि के 3डी मॉडल का भी निरीक्षण किया। इससे पूर्व, प्रधानमंत्री ने द्वारका सेक्टर-21 से एक नए मेट्रो स्टेशन 'यशोभूमि द्वारका सेक्टर-25' तक दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन के विस्तार का उद्घाटन किया।

उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को समर्पित है। उन्होंने देश भर के लाखों विश्वकर्मा से जुड़ने का अवसर मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने इस अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी का दौरा करने और कारीगरों और शिल्पकारों के साथ बातचीत करने के शानदार अनुभव पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने नागरिकों से इस अवसर पर आने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि लाखों कारीगरों और उनके परिवारों के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना आशा की किरण बनकर आ रही है।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और एक्सपो केन्द्र - 'यशोभूमि' के बारे में प्रधानमंत्री ने इस उत्कृष्ट सुविधा केन्द्र निर्माण में श्रमिकों और विश्वकर्माओं के योगदान को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि आज मैं देश के हर श्रमिक को, हर विश्वकर्मा साथी को यशोभूमि समर्पित करता हूं। उन्होंने आज के कार्यक्रम से जुड़े विश्वकर्माओं से कहा कि 'यशोभूमि' उनके कामों को विश्व और वैश्विक बाजारों से जोड़ने वाला जीवंत केंद्र बनने जा रही है।

प्रधानमंत्री ने देश के रोजमर्रा के जीवन में विश्वकर्मा के योगदान और महत्व को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वकर्मा हमेशा समाज में महत्वपूर्ण बने रहेंगे, चाहे प्रौद्योगिकी में कितनी भी प्रगति क्यों न हुई हो। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि विश्वकर्मा को मान्यता और सहायता मिले।

श्री मोदी ने कहा, “सरकार विश्वकर्मा समुदाय के लोगों के सम्मान को बढ़ाने, क्षमताओं को बढ़ाने और उनकी समृद्धि बढ़ाने के लिए एक भागीदार के रूप में आगे आई है।” कारीगरों और शिल्पकारों के 18 फोकस क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि पीएम विश्वकर्मा योजना में बढ़ई, लोहार, सुनार, मूर्तिकार, कुम्हार, मोची, दर्जी, राजमिस्त्री, हेयरड्रेसर, धोबी आदि को शामिल किया गया है और इस पर 13,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

अपनी विदेश यात्राओं के दौरान कारीगरों से बात करने के अपने व्यक्तिगत अनुभव का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने हस्तनिर्मित उत्पादों की बढ़ती मांग पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विश्व भर की बड़ी कंपनियां अपने काम को छोटे उद्यमों को सौंप देती हैं। यह आउटसोर्स काम हमारे विश्वकर्मा मित्रों को मिले और वे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनें, इसके लिए हम काम कर रहे हैं। यही कारण है कि यह योजना विश्वकर्मा मित्रों को आधुनिक युग में ले जाने का एक प्रयास है।

कुशल कारीगरों और व्यवसायों को प्रशिक्षण प्रदान करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "इस बदलते समय में, विश्वकर्मा मित्रों के लिए प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और उपकरण महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान विश्वकर्मा मित्रों को 500 रुपये प्रतिदिन भत्ता दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक टूलकिट के लिए 15 हजार रुपये का टूलकिट वाउचर भी दिया जाएगा और सरकार उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि टूलकिट केवल जीएसटी पंजीकृत दुकानों से ही खरीदे जाएं और ये उपकरण मेड इन इंडिया होने चाहिए।

विश्वकर्मा समुदाय के लिए संपार्श्विक मुक्त वित्त के प्रावधान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब गारंटी मांगी जाती है तो वह गारंटी मोदी देते हैं। उन्होंने बताया कि विश्वकर्मा मित्रों को बिना किसी संपार्श्विक के बहुत कम ब्याज पर 3 लाख रुपये तक का ऋण मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने एक जिला, एक उत्पाद योजना पर प्रकाश डालते हुए कहा, “केंद्र सरकार वंचितों के विकास को प्राथमिकता देती है”, यह योजना हर जिले से अद्वितीय उत्पादों को प्रोत्साहित करती है। उन्होंने पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से स्ट्रीट वेंडर्स के लिए बैंक के द्वार खोलने और 'दिव्यांगों' को विशेष सुविधाएं प्रदान किए जाने का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “मोदी उन लोगों के साथ खड़ा है, जिनकी परवाह करने के लिए कोई उनके साथ नहीं है।” उन्होंने कहा कि वह यहां सेवा करने, गरिमापूर्ण जीवन प्रदान करने और यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि सेवाएं बिना किसी विफलता के उपलब्ध कराईं जाएं। उन्होंने कहा, “यह मोदी की गारंटी है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया ने जी-20 शिल्प बाजार में प्रौद्योगिकी और परंपरा के संगम का परिणाम देखा है। यहां तक कि आगंतुक गणमान्य व्यक्तियों के लिए उपहारों में विश्वकर्मा मित्रों के उत्पाद शामिल थे। उन्होंने कहा, "वोकल फॉर लोकल" के प्रति यह समर्पण पूरे देश की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, पहले हमें वोकल फॉर लोकल बनना होगा और फिर हमें लोकल ग्लोबल को अपनाना होगा।

देश में गणेश चतुर्थी, धनतेरस, दीपावली और अन्य उत्सवों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने देश के प्रत्येक नागरिक से स्थानीय उत्पादों, विशेष रूप से उन उत्पादों को जिनमें राष्ट्र के विश्वकर्मा ने योगदान दिया है, को खरीदने का आग्रह किया है।

प्रधानमंत्री ने विश्व भर में चर्चा का विषय बने भारत मंडपम का जिक्र करते हुए कहा, "आज का विकसित भारत हर सेक्टर में अपनी एक नई पहचान बना रहा है। उन्होंने कहा, यशोभूमि का संदेश जोरदार और स्पष्ट है। श्री मोदी ने जोर देकर कहा, यहां होने वाला कोई भी आयोजन सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त करेगा"। उन्होंने यह भी कहा कि यशोभूमि भविष्य के भारत को प्रदर्शित करने का एक माध्यम बनेगी।

उन्होंने कहा कि भारत के भव्य आर्थिक कौशल और वाणिज्यिक शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए, यह देश की राजधानी में एक योग्य केंद्र है। उन्होंने कहा कि यह मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी और पीएम गतिशक्ति दोनों को दर्शाता है। उन्होंने आज मेट्रो द्वारा केंद्र को प्रदान की गई कनेक्टिविटी और मेट्रो टर्मिनल के उद्घाटन के बारे में बात करने के द्वारा इसकी व्याख्या की। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यशोभूमि का इको सिस्टम उपयोगकर्ताओं की यात्रा, कनेक्टिविटी, आवास और पर्यटन आवश्यकताओं का ध्यान रखेगा।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि बदलते समय के साथ विकास और रोजगार के नए सेक्टर उभर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी व्यक्ति ने पचास से साठ साल पहले भारत में इतने व्यापक स्तर और अनुपात के आईटी क्षेत्र की कल्पना नहीं की होगी। यहां तक कि सोशल मीडिया भी तीस से पैंतीस साल पहले काल्पनिक था। सम्मेलन पर्यटन के भविष्य पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में भारत के लिए अपार संभावनाएं हैं और बताया कि यह क्षेत्र 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का है। उन्होंने रेखांकित किया कि विश्व में हर साल 32 हजार से अधिक बड़ी प्रदर्शनियों और एक्सपो का आयोजन किया जाता है, जहां सम्मेलन पर्यटन के लिए आने वाले लोग एक सामान्य पर्यटक की तुलना में अधिक पैसा व्यय करते हैं। श्री मोदी ने यह भी बताया कि इतने बड़े उद्योग में भारत की हिस्सेदारी केवल एक प्रतिशत के आसपास है और भारत में कई बड़ी कंपनियां हर साल अपने कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए विदेशों में जाती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत अब सम्मेलन पर्यटन के लिए भी खुद को तैयार कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सम्मेलन पर्यटन भी वहीं प्रगति करेगा, जहां कार्यक्रमों, बैठकों और प्रदर्शनियों के लिए आवश्यक संसाधन होंगे, इसलिए भारत मंडपम और यशोभूमि केंद्र अब दिल्ली को सम्मेलन पर्यटन का सबसे बड़ा केंद्र बनाने जा रहे हैं। इससे लाखों युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना है। श्री मोदी ने कहा कि भविष्य में यशोभूमि एक ऐसा स्थान बन जाएगा जहां विश्व भर के देशों के लोग अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों, बैठकों और प्रदर्शनियों के लिए आएंगे।

प्रधानमंत्री ने हितधारकों को यशोभूमि में आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, "आज मैं विश्व भर के देशों से प्रदर्शनी और इवेंट उद्योग से जुड़े लोगों को दिल्ली आने के लिए आमंत्रित करता हूं। मैं देश के हर क्षेत्र, पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण के फिल्म उद्योग और टीवी उद्योग को आमंत्रित करूंगा। आप यहां अपने पुरस्कार समारोह, फिल्म समारोह आयोजित करें, यहां पहला फिल्म शो आयोजित करें। मैं इंटरनेशनल इवेंट कंपनियों, प्रदर्शनी क्षेत्र से जुड़े लोगों को भारत मंडपम और यशोभूमि में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूं।

प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत मंडपम और यशोभूमि भारत के आतिथ्य, श्रेष्ठता और भव्यता के प्रतीक बनेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत मंडपम और यशोभूमि दोनों भारतीय संस्कृति और अत्याधुनिक सुविधाओं का संगम हैं और ये भव्य प्रतिष्ठान विश्व के समक्ष भारत की गाथा को व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि यह नए भारत की आकांक्षाओं को भी दर्शाता है जो अपने लिए सर्वोत्तम सुविधाओं की इच्छा रखता है। श्री मोदी ने नागरिकों से आगे बढ़ते रहने, नए लक्ष्य बनाने, उनके लिए प्रयास करने और 2047 तक भारत को एक विकसित देश में बदलने का आग्रह किया। संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने सभी नागरिकों को कड़ी मेहनत करने और एक साथ आने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री मोदी ने कहा कि हमारे विश्वकर्मा सहयोगी मेक इन इंडिया के गौरव हैं और यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र विश्व को इस गौरव को प्रदर्शित करने का एक माध्यम बनेगा।

इस अवसर पर केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल, केन्द्रीय शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान, केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री नारायण राणे और केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

यशोभूमि

देश में बैठकों, सम्मेलनों और प्रदर्शनियों की मेजबानी के लिए विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे के प्रधानमंत्री के विजन को द्वारका में 'यशोभूमि' के प्रचालन के साथ सुदृढ़ किया जाएगा। 8.9 लाख वर्ग मीटर से अधिक के कुल परियोजना क्षेत्र और 1.8 लाख वर्ग मीटर से अधिक के कुल निर्मित क्षेत्र के साथ, 'यशोभूमि' दुनिया की सबसे बड़ी एमआईसीई (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियां) सुविधाओं में अपना स्थान बनाएगी।

'यशोभूमि', जिसे लगभग 5400 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है, एक भव्‍य कन्वेंशन सेंटर, कई प्रदर्शनी हॉल और अन्य सुविधाओं से सु‍सज्जित है। 73 हजार वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में बने कन्वेंशन सेंटर में मुख्य सभागार, ग्रैंड बॉलरूम सहित 15 सम्‍मेलन कक्ष और 13 बैठक कक्ष शामिल हैं, जिनकी कुल क्षमता 11,000 प्रतिनिधियों को रखने की है। कन्वेंशन सेंटर में देश का सबसे बड़ा एलईडी मीडिया अग्रभाग है। कन्वेंशन सेंटर का पूर्ण हॉल लगभग 6,000 मेहमानों की बैठने की क्षमता से सुसज्जित है। ऑडिटोरियम में सबसे नवीन स्वचालित बैठने की प्रणालियों में से एक है जो फर्श को एक सपाट फर्श या अलग-अलग बैठने की व्यवस्था के लिए ऑडिटोरियम शैली में बैठने में सक्षम बनाती है। सभागार में उपयोग किए गए लकड़ी के फर्श और ध्वनिक दीवार (एकुस्टिक वॉल) पैनल आगंतुक को विश्वस्तरीय अनुभव प्रदान करेंगे। अद्वितीय पंखुड़ी की छत वाला ग्रैंड बॉलरूम लगभग 2,500 मेहमानों की मेजबानी कर सकता है। इसमें एक विस्तारित खुला क्षेत्र भी है जिसमें 500 लोग बैठ सकते हैं। आठ मंजिलों में फैले 13 बैठक कक्षों में विभिन्न स्तरों की विभिन्न बैठकें आयोजित करने की परिकल्पना की गई है।

'यशोभूमि' में दुनिया के सबसे बड़े प्रदर्शनी हॉलों में से एक है। 1.07 लाख वर्ग मीटर से अधिक में बने इन प्रदर्शनी हॉलों का उपयोग प्रदर्शनियों, व्यापार मेलों और व्यावसायिक कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए किया जाएगा, और ये एक भव्य अग्रदीर्घा (फ़ोयर) स्थान से जुड़े हुए हैं, जिसे तांबे की छत के साथ विशिष्ट रूप से डिज़ाइन किया गया है जो विभिन्न स्‍काईलाइट के माध्यम से अंतरिक्ष में प्रकाश को फ़िल्टर करता है। फ़ोयर में मीडिया रूम, वीवीआईपी लाउंज, क्लोक सुविधाएं, आगंतुक सूचना केंद्र, टिकटिंग जैसे विभिन्न सहायता क्षेत्र होंगे।

'यशोभूमि' में सभी सार्वजनिक परिसंचरण क्षेत्रों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह सम्मेलन केंद्रों के बाहरी स्थान के साथ निरंतरता का बोध कराता है। यह टेराज़ो फर्श के रूप में भारतीय संस्कृति से प्रेरित सामग्रियों और वस्तुओं से बना है, जिसमें पीतल की जड़ाई रंगोली पैटर्न, सस्‍पेंडेड साउंड एव्‍जोरवेंट मेंटल सिलेंडर और रोशनी की पैटर्न वाली दीवारों का प्रतिनिधित्व करती है।

'यशोभूमि' स्थिरता के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित करती है क्योंकि यह 100 प्रतिशत अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग, वर्षा जल संचयन के प्रावधानों के साथ अत्याधुनिक अपशिष्ट जल उपचार प्रणाली से सुसज्जित है, और इसके परिसर को सीआईआई के भारतीय ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) से प्लेटिनम प्रमाणन प्राप्त हुआ है।

'यशोभूमि' आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उच्च तकनीक सुरक्षा प्रावधानों से भी सुसज्जित है। 3,000 से अधिक कारों के लिए भूमिगत कार पार्किंग सुविधा भी 100 से अधिक इलेक्ट्रिक चार्जिंग पॉइंट से सुसज्जित है।

नए मेट्रो स्टेशन 'यशोभूमि द्वारका सेक्टर 25' के उद्घाटन के साथ 'यशोभूमि' दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन से भी जुड़ जाएगी। नए मेट्रो स्टेशन में तीन सबवे होंगे - स्टेशन को प्रदर्शनी हॉल, कन्वेंशन सेंटर और सेंट्रल एरिना से जोड़ने वाला 735 मीटर लंबा सबवे; द्वारका एक्सप्रेसवे में प्रवेश/निकास को जोड़ने वाला दूसरा सबवे; जबकि तीसरा सबवे मेट्रो स्टेशन को 'यशोभूमि' के भविष्य के प्रदर्शनी हॉल के फ़ोयर से जोड़ता है।

पीएम विश्वकर्मा

प्रधानमंत्री का पारंपरिक शिल्प में लगे लोगों को सहायता प्रदान करने पर निरंतर ध्यान केन्द्रित रहा है। यह फोकस न केवल कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करने बल्कि स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और विविध विरासत को जीवित और समृद्ध बनाए रखने की इच्छा से भी प्रेरित है।

पीएम विश्वकर्मा को 13,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाएगा। इस योजना के तहत, बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से विश्वकर्माओं का निःशुल्क पंजीकरण किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान-पत्र, मूलभूत और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक संपार्श्विक-मुक्त ऋण सहायता, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी ।

इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले विश्वकर्माओं द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित प्रथा को सुदृढ़ बनाना और पोषित करना है। पीएम विश्वकर्मा का मुख्य केंद्र कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत हों।

यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के अंतर्गत अठारह पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा। इनमें (i) बढ़ई; (ii) नौका निर्माता; (iii) शस्‍त्रसाज; (iv) लोहार; (v) हथौड़ा और टूल किट निर्माता; (vi) ताला बनाने वाला; (vii) सुनार; (viii) कुम्हार; (ix) मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला; (x) मोची (जूता/जूता कारीगर); (xi) राजमिस्त्री; (xii) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर; (xiii) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक); (xiv) नाई; (xv) माला बनाने वाला; (xvi) धोबी; (xvii) दर्जी; और (xviii) मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला शामिल हैं।

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PM Modi congratulates Shri Devendra Fadnavis on taking oath as Maharashtra's Chief Minister
December 05, 2024
Congratulates Shri Eknath Shinde and Shri Ajit Pawar on taking oath as Deputy Chief Ministers
Assures all possible support from Centre in furthering development in Maharashtra

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has congratulated Shri Devendra Fadnavis on taking oath as Chief Minister of Maharashtra. He also congratulated Shri Eknath Shinde and Shri Ajit Pawar on taking oath as Deputy Chief Ministers. Shri Modi assured all possible support from the Centre in furthering development in Maharashtra.

The Prime Minister posted on X:

“Congratulations to Shri Devendra Fadnavis Ji on taking oath as Maharashtra's Chief Minister.

Congratulations to Shri Eknath Shinde Ji and Shri Ajit Pawar Ji on taking oath as the Deputy Chief Ministers of the state.

This team is a blend of experience and dynamism, and it is due to this team's collective efforts that the Mahayuti has got a historic mandate in Maharashtra. This team will do everything possible to fulfil the aspirations of the people of the state and to ensure there is good governance.

I assure all possible support from the Centre in furthering development in Maharashtra.”