"पिछले 75 वर्षों में गुरुकुल ने छात्रों के मन-मस्तिष्क को अच्छे विचारों और मूल्यों से सींचा है, ताकि उनका समग्र विकास हो सके"
"सच्चा ज्ञान फैलाना दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण कार्य है; भारत इस कार्य के लिए समर्पित रहा है”
"अध्यात्म के क्षेत्र में समर्पित छात्रों से लेकर इसरो और बीएआरसी के वैज्ञानिकों तक, गुरुकुल की परंपरा ने देश के हर क्षेत्र को पोषित किया है"
"खोज और शोध, यह भारत की जीवन पद्धति का हिस्सा रहे हैं"
"हमारे गुरुकुलों ने विज्ञान, अध्यात्म और लैंगिक समानता के बारे में मानवता का मार्गदर्शन किया"
"देश में शिक्षा के बुनियादी ढांचे के विस्तार में अभूतपूर्व काम हो रहा है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से श्री स्वामीनारायण गुरुकुल राजकोट संस्थान के 75वें अमृत महोत्सव को संबोधित किया।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने श्री स्वामीनारायण गुरुकुल राजकोट संस्थान से जुड़े सभी लोगों को 75 वर्ष पूरे होने पर बधाई दी और इस यात्रा में जबरदस्त प्रयासों के लिए शास्त्रीजी महाराज श्री धर्मजीवनदासजी स्वामी के प्रयासों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान श्री स्वामी नारायण के नाम का स्मरण करने मात्र से व्यक्ति नई चेतना का अनुभव कर सकता है।

प्रधानमंत्री ने अमृत काल की अवधि में हो रहे सुखद संयोग के सुयोग के बारे में चर्चा की। प्रधानमंत्री ने इसे एक सुखद अवसर बताया, क्योंकि पूरे इतिहास में ऐसे संयोगों से भारतीय परंपरा को ऊर्जा मिलती रही है। प्रधानमंत्री ने इन सुयोगों को कर्मठता और कर्तव्य, संस्कृति और समर्पण, अध्यात्म और आधुनिकता के सुयोग के इतिहास के रूप में गिनाया। प्रधानमंत्री ने आजादी के तत्काल बाद शिक्षा और प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली के गौरव को पुनर्जीवित करने के कर्तव्य की उपेक्षा पर दुख व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां पहले की सरकारें अटक जाती थीं, देश के संतों और आचार्यों ने उन्हें चुनौती के रूप में स्वीकार किया। प्रधानमंत्री ने कहा, "स्वामीनारायण गुरुकुल इस 'सुयोग' का जीवंत उदाहरण है।" इस संस्था का विकास स्वतंत्रता आंदोलन के आदर्शों की नींव पर किया गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा, "सच्चा ज्ञान फैलाना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है और यह दुनिया में ज्ञान तथा शिक्षा के प्रति भारत का समर्पण है जिसने भारतीय सभ्यता की जड़ें स्थापित की हैं।" प्रधानमंत्री ने बताया कि भले ही गुरुकुल विद्या प्रतिष्ठान राजकोट में केवल सात छात्रों के साथ शुरू हुआ, लेकिन आज दुनिया भर में इसकी चालीस शाखाएं हैं, जहां हर वर्ष हजारों की संख्या में विद्यार्थी आते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों में गुरुकुल ने छात्रों के मन-मस्तिष्क को अच्छे विचारों और मूल्यों से सींचा है, ताकि उनका समग्र विकास हो सके। उन्होंने कहा, "अध्यात्म के क्षेत्र में समर्पित छात्रों से लेकर इसरो और बीएआरसी के वैज्ञानिकों तक, गुरुकुल की परंपरा ने देश के हर क्षेत्र को पोषित किया है।" प्रधानमंत्री ने गुरुकुल की प्रथा पर प्रकाश डाला जहां गरीब छात्रों से केवल एक रुपये का शुल्क लिया जाता है जिससे उनके लिए शिक्षा प्राप्त करना आसान हो जाता है।

ज्ञान को जीवन की सर्वोच्च खोज मानने की भारतीय परंपरा के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस कालखंड में दुनिया के दूसरे देशों की पहचान वहाँ के राज्यों और राजकुलों से होती थी, तब भारत को, भारतभूमि के गुरुकुलों से जाना जाता था। उन्होंने कहा, "हमारे गुरुकुल सदियों से समता, समानता और सेवा भाव की वाटिका की तरह रहे हैं।" उन्होंने कहा कि नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय भारत की इस गुरुकुल परंपरा के वैश्विक वैभव के पर्याय हुआ करते थे। प्रधानमंत्री ने कहा, "खोज और शोध, यह भारत की जीवन पद्धति का हिस्सा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि आत्म-खोज से देवत्व तक, आयुर्वेद से आध्यात्म तक, सामाजिक विज्ञान से सौर विज्ञान तक, गणित से धातु विज्ञान तक और शून्य से अनंत तक, हमने हर क्षेत्र में शोध किए, नए निष्कर्ष निकाले। उन्होंने कहा, "भारत में अंधकार से भरे युवाओं में मानवता को प्रकाश की वह किरणें दीं, जिनसे आधुनिक विश्व और आधुनिक विज्ञान की यात्रा शुरू हुई।" प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि स्वामीनारायण गुरुकुल इस पुरातन परंपरा को, आधुनिक भारत को आगे बढ़ाने के लिए ‘कन्या गुरुकुल’ की शुरुआत कर रहा है। उन्होंने 'कन्या गुरुकुल' शुरू करने के लिए स्वामीनारायण गुरुकुल की सराहना की। प्रधानमंत्री ने भारतीय प्राचीन गुरुकुल परंपरा में लैंगिक समानता और संवेदनशीलता पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस कालखंड में विश्व में जेंडर इक्वलिटी जैसे शब्दों का जन्म भी नहीं हुआ था, तब हमारे यहां गार्गी-मैत्रेयी जैसी विदुषी शास्त्रार्थ कर रही थीं और महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में लव-कुश के साथ आत्रेयी भी पढ़ रही थीं।

प्रधानमंत्री ने भारत के उज्ज्वल भविष्य को आकार देने में शिक्षा प्रणाली और शिक्षण संस्थानों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि आजादी का अमृत काल में देश हर स्तर पर देश में शिक्षा के बुनियादी ढांचे और नीतियों को विकसित करने के लिए तेज गति से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में आईआईटी, आईआईआईटी, आईआईएम और एम्स की संख्या में वृद्धि देखी गई है और मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 2014 से पहले के समय की तुलना में 65 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए देश में पहली बार उस शिक्षा व्यवस्था को तैयार किया जा रहा है जो फॉरवार्ड लुकिंग है, फ्यूचरिस्टिक है। नतीजतन, नई पीढ़ी जो नई व्यवस्था में अपनी शिक्षा प्राप्त करेगी, वह देश के आदर्श नागरिकों का निर्माण करेगी।

प्रधानमंत्री ने अगले 25 साल की यात्रा में संतों के महत्व पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, “आज भारत के संकल्प नए हैं और उन्हें साकार करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। आज देश डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, वोकल फॉर लोकल, हर जिले में 75 अमृत सरोवर और एक भारत श्रेष्ठ भारत के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। सामाजिक परिवर्तन और समाज सुधार की इन परियोजनाओं में सबका प्रयास करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा।” प्रधानमंत्री ने गुरुकुल के छात्रों से कम से कम 15 दिनों के लिए पूर्वोत्तर भारत की यात्रा करने और राष्ट्र को और मजबूत करने के लिए लोगों से जुड़ने का भी आग्रह किया। उन्होंने बेटी बचाओ और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर भी प्रकाश डाला और लोगों से एक भारत श्रेष्ठ भारत को मजबूत करने के लिए एक साथ आने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा, "मुझे यकीन है कि स्वामीनारायण गुरुकुल विद्या प्रतिष्ठान जैसे संस्थान भारत के संकल्पों की इस यात्रा को शक्ति देना जारी रखेंगे।”

पृष्ठभूमि

श्री स्वामीनारायण गुरुकुल राजकोट संस्थान की स्थापना 1948 में गुरुदेव शास्त्रीजी महाराज श्री धर्मजीवनदासजी स्वामी द्वारा राजकोट में की गई थी। संस्थान का विस्तार हुआ है और वर्तमान में इसकी दुनिया भर में 40 से अधिक शाखाएं हैं, जो 25,000 से अधिक छात्रों को स्कूल, स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा की सुविधा प्रदान करती हैं।

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Prime Minister greets valiant personnel of the Indian Navy on the Navy Day
December 04, 2024

Greeting the valiant personnel of the Indian Navy on the Navy Day, the Prime Minister, Shri Narendra Modi hailed them for their commitment which ensures the safety, security and prosperity of our nation.

Shri Modi in a post on X wrote:

“On Navy Day, we salute the valiant personnel of the Indian Navy who protect our seas with unmatched courage and dedication. Their commitment ensures the safety, security and prosperity of our nation. We also take great pride in India’s rich maritime history.”