Quote"जब भारत की चेतना क्षीण हुई, तो देश के कोने-कोने में संतों-ऋषियों ने पूरे भारत को मथकर देश की आत्मा को पुनर्जीवित कर दिया"
Quote"मंदिरों और मठों ने कठिन दौर में संस्कृति और ज्ञान को जीवित रखा"
Quote"भगवान बसवेश्वर ने हमारे समाज को जो ऊर्जा दी थी, उन्होंने लोकतंत्र, शिक्षा और समानता के जो आदर्श स्थापित किए थे, वो आज भी भारत की बुनियाद में हैं"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज मैसूर के श्री सुत्तूर मठ में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर परम पूज्य जगद्गुरु श्री शिवरात्रि देशिकेंद्र महास्वामीजी, श्री सिद्धेश्वर स्वामीजी, कर्नाटक के राज्यपाल श्री थावर चंद गहलोत, मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई और केंद्रीय मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी उपस्थित थे।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने देवी चामुंडेश्वरी को नमन किया और मठ में संतों के बीच उपस्थिति को अपना सौभाग्य बताया। उन्होंने श्री सुत्तूर मठ की आध्यात्मिक परंपरा का स्मरण किया। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि जो आधुनिक पहल चल रही है, उससे संस्था अपने संकल्पों को नए सिरे से आगे बढ़ाएगी। प्रधानमंत्री ने श्री सिद्धेश्वर स्वामीजी द्वारा नारद भक्ति सूत्र, शिव सूत्र और पतंजलि योग सूत्र के कई 'भाष्यों' को लोगों समर्पित किया। उन्होंने कहा कि श्री सिद्धेश्वर स्वामीजी प्राचीन भारत की 'श्रुति' परंपरा से संबंधित हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि ज्ञान के समान पवित्र कुछ और नहीं है, ज्ञान का कोई और विकल्प नहीं है। और इसलिए, हमारे ऋषियों, मनीषियों ने भारत को उस चेतना के साथ गढ़ा- जो ज्ञान से प्रेरित है, विज्ञान से विभूषित है। जो बोध से बढ़ती है, और शोध से सशक्त होती है। प्रधानमंत्री ने कहा, “युग बदले, समय बदला, भारत ने समय के अनेक तूफानों का सामना किया। लेकिन, जब भारत की चेतना क्षीण हुई, तो देश के कोने-कोने में संतों-ऋषियों ने पूरे भारत को मथकर देश की आत्मा को पुनर्जीवित कर दिया।" उन्होंने कहा कि मंदिरों और मठों ने सदियों के कठिन दौर में संस्कृति और ज्ञान को जीवित रखा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सत्य का अस्तित्व सिर्फ शोध पर नहीं बल्कि सेवा और बलिदान पर आधारित है। श्री सुत्तूर मठ और जेएसएस महा विद्यापीठ इस भावना के उदाहरण हैं जो सेवा और बलिदान को आस्था से भी ऊपर रखते हैं।

दक्षिण भारत के समतावादी और आध्यात्मिक लोकाचार के बारे में, प्रधानमंत्री ने कहा, "भगवान बसवेश्वर ने हमारे समाज को जो ऊर्जा दी थी, उन्होंने लोकतंत्र, शिक्षा और समानता के जो आदर्श स्थापित किए थे, वो आज भी भारत की बुनियाद में हैं।" श्री मोदी ने उस अवसर को याद किया जब उन्होंने लंदन में भगवान बसवेश्वर की प्रतिमा को समर्पित किया था। इस अवसर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यदि हम मैग्ना कार्टा और भगवान बसवेश्वर की शिक्षाओं की तुलना करते हैं तो हमें सदियों पहले समान समाज के दृष्टिकोण के बारे में पता चलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि नि:स्वार्थ सेवा की यह प्रेरणा हमारे राष्ट्र की नींव है। उन्होंने कहा कि 'अमृत काल' का यह समय ऋषियों की शिक्षाओं के अनुसार सबका प्रयास के लिए एक अच्छा अवसर है। इसके लिए हमारे प्रयासों को राष्ट्रीय संकल्पों से जोड़ने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने भारतीय समाज में शिक्षा के प्राकृतिक जैविक स्थान के बारे में चर्चा करते हुए कहा, "शिक्षा के क्षेत्र में आज ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ का उदाहरण हमारे सामने है। शिक्षा हमारे भारत के लिए सहज स्वभाव रही है। इसी सहजता के साथ हमारी नई पीढ़ी को आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए। इसके लिए स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई के विकल्प दिये जा रहे हैं।” श्री मोदी ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि एक भी नागरिक देश की विरासत से अनजान न रहे। उन्होंने इस अभियान और बालिका शिक्षा, पर्यावरण, जल संरक्षण और स्वच्छ भारत जैसे अभियानों में आध्यात्मिक संस्थाओं की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने प्राकृतिक खेती के महत्व के बारे में भी बताया। अंत में, प्रधानमंत्री ने अपनी सभी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए महान परंपरा और संतों के मार्गदर्शन और आशीर्वाद की मांग की।

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पीएम मोदी 15 से 19 जून तक साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया के दौरे पर रहेंगे
June 14, 2025

रिपब्लिक ऑफ साइप्रस के राष्ट्रपति महामहिम श्री निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 15-16 जून, 2025 को साइप्रस की आधिकारिक यात्रा करेंगे। यह दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस की पहली यात्रा होगी। निकोसिया में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति क्रिस्टोडौलिडेस के साथ वार्ता करेंगे और लिमासोल में बिजनेस लीडर्स को संबोधित करेंगे। यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने और भूमध्यसागरीय क्षेत्र और यूरोपियन-यूनियन के साथ भारत के जुड़ाव को मजबूत करने के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगी।

अपनी यात्रा के दूसरे चरण में, कनाडा के प्रधानमंत्री महामहिम श्री मार्क कार्नी के निमंत्रण पर, प्रधानमंत्री 16-17 जून को कनाडा के कनानास्किस की यात्रा करेंगे, जहाँ वे G-7 समिट में भाग लेंगे। यह प्रधानमंत्री की G-7 समिट में लगातार छठी भागीदारी होगी। समिट में, प्रधानमंत्री G-7 देशों के नेताओं, अन्य आमंत्रित आउटरीच देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों के साथ ऊर्जा सुरक्षा, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन, विशेष रूप से एआई-ऊर्जा गठजोड़ और क्वांटम से संबंधित मुद्दों सहित महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। प्रधानमंत्री, समिट के दौरान कई द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे।

अपने दौरे के अंतिम चरण में, रिपब्लिक ऑफ क्रोएशिया के प्रधानमंत्री महामहिम श्री आंद्रेज प्लेंकोविच के निमंत्रण पर, प्रधानमंत्री 18 जून 2025 को क्रोएशिया की आधिकारिक यात्रा करेंगे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली यात्रा होगी, जो द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। प्रधानमंत्री, पीएम प्लेंकोविच के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे और क्रोएशिया के राष्ट्रपति महामहिम श्री ज़ोरान मिलनोविच से मिलेंगे। क्रोएशिया की यात्रा यूरोपियन-यूनियन में भागीदारों के साथ अपने जुड़ाव को और मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करेगी।