वाराणसी के साथ पूरा देश अब इस बात का गवाह है कि अगली पीढ़ी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से परिवहन के साधनों में कैसे बदलाव लाया जा सकता है: प्रधानमंत्री मोदी
अंतर्देशीय जलमार्ग समय और धन बचाएगा, सड़कों पर भीड़ को कम करेगा, ईंधन की लागत को कम करेगा और वाहन प्रदूषण को कम करेगा: पीएम मोदी
पिछले 4 सालों में आधुनिक बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास हुआ है: प्रधानमंत्री
दूरदराज के इलाकों में हवाई अड्डे, पूर्वोत्तर के हिस्सों में रेल कनेक्टिविटी, गांव में सड़के और राजमार्ग केंद्र सरकार की पहचान बन गए हैं: प्रधानमंत्री मोदी

हर हर महादेव !!!

आस्था, पवित्रता से भरल सूर्य उपासना के महान पर्व छठ कऽ आप सब माता भगिनि लोगन के बहुत बधाई बा।

चार दिन के इ पर्व से हर घर परिवार में सुख समृद्धि कऽ कामना हौ।

आप सब लोग दीवाली मनवलन, भाई दूज अउर गोवर्धन पूजा। फिर देव दीपावली कऽ तैयारी। सब पर्व कऽ एक साथ बधाई।

मंच पर उपस्थित केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्री नितिन गडकरी जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या जी, यूपी सरकार में मंत्री श्री सुरेश खन्ना जी, संसद में मेरे सहयोगी, डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडे जी और श्री रामचरित निशाद जी, यहां उपस्थित अन्य महानुभाव और मेरे प्यारे वाराणसी के भाइयों और बहनों,

साथियों,

दशहरे और दीपावली के त्योहार के बाद आज फिर एक बार आप सभी काशीवासियों से मिलने का मुझे अवसर मिला है। इस बार मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे दीपावली के दिन बाबा केदारनाथ के दर्शन करने का अवसर मिला। अब एक हफ्ते के भीतर ही बाबा विश्वनाथ की नगरी में, आपसे आशीर्वाद लेने का मौका मिला है। उत्‍तराखंड में, मैं माता भगीरथी की पूजा करके धन्य हुआ, तो आज यहां, अब से कुछ देर पहले मां गंगा के दर्शन का सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ।

आज महामना मालवीय जी की पुण्‍य तिथि भी है। मैं उनके महान कार्यों को उनके तपस्‍या को आज आदरपूर्वक नमन करता हूं। 

साथियों, काशी के लिए, पूर्वांचल के लिए, पूर्वी भारत के लिए, पूरे भारतवर्ष के लिए, आज का ये दिन बहुत ही ऐतिहासिक है।

  • आज वाराणसी और देश, विकास के उस कार्य का गवाह बना है, जो दशकों पहले हो जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ।
  • आज वाराणसी और देश, इस बात का भी गवाह बना है कि संकल्प लेकर जब कार्य समय पर सिद्ध किए जाते हैं, तो उसकी तस्वीर कितनी भव्य, कितनी उज्जवल और कितनी गौरवमयी होती है।
  • आज वाराणसी और देश, इस बात का भी गवाह बना है कि Next Generation Infrastructure की अवधारणा, कैसे देश में ट्रांसपोर्ट के तौर-तरीकों का कायाकल्प करने जा रही है।

देश का प्रधानसेवक होने के साथ ही वाराणसी का सांसद होने के नाते, मेरे लिए आज दोहरी खुशी का मौका है। इस पवित्र भूमि से हर किसी का आध्यात्मिक संपर्क तो है ही, आज जल-थल-नभ, तीनों को ही जोड़ने वाली नई ऊर्जा का संचार इस क्षेत्र में हुआ है।

साथियों, अब से कुछ देर पहले मैंने नदी मार्ग से पहुंचे देश के पहले कंटेनर वेसल का स्वागत किया। इसके स्वागत के साथ ही 200 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से बने मल्टी मॉडल टर्मिनल का लोकार्पण भी किया गया है। इस काम में दशकों लग गए, लेकिन आज मैं प्रफुल्लित हूं, आनंदित हूं, कि देश ने जो सपना देखा था, वो आज काशी की धरती पर साकार हुआ है। ये कंटेनर वेसल चलने का मतलब है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, पूर्वांचल और पूर्वी भारत जलमार्ग से अब बंगाल की खाड़ी से जुड़ गया है।

भाइयों और बहनों,

आज यहां बाबतपुर हवाई अड्डे से शहर को जोड़ने वाली सड़क, रिंग रोड, काशी शहर की कनेक्टिविटी से जुड़े प्रोजेक्ट, बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करने से जुड़ी परियोजना, मां गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के प्रयासों को बल देने वाली अनेक परियोजनाओं का भी लोकार्पण और शिलान्यास यहां किया गया है। करीब-करीब ढ़ाई हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा के ये प्रोजेक्ट, बदलते हुए बनारस की तस्वीर को और भव्य बनाएंगे और दिव्‍य बनाएंगे। इन तमाम परियोजनाओं के लिए मैं आप सभी काशी वासियों को, पूरे पूर्वांचल को हृदयपूर्वक बधाई देता हूं।

साथियों,

आज़ादी के बाद ये पहला अवसर है जब हम अपने नदी मार्ग को व्यापार के लिए, कारोबार के लिए इतने व्यापक स्तर पर इस्तेमाल करने में सक्षम हुए हैं। आप काशीवासी साक्षी हैं, कि चार वर्ष पहले जब मैंने बनारस और हल्दिया को जलमार्ग से कनेक्ट करने का विचार रखा था, तो किस प्रकार इसका मजाक उड़ाया गया था, तमाम नकारात्मक बातें कही गई थीं, लेकिन थोड़ी देर पहले कोलकाता से आए जहाज ने, आलोचना करने वालों को खुद जवाब दे दिया है।

देश का ये पहला कन्टेनर वे सल सिर्फ माल ढुलाई की एक प्रक्रिया का हिस्सा नहीं, न्यू इंडिया के न्यू विजन जीता-जागता सबूत है। ये उस सोच का प्रतीक है कि जिसमें देश के संसाधनों और देश के सामर्थ्य पर भरोसा किया जाता है।

भाइयों और बहनों,

आज वाराणसी में जो कन्टेनर वेसल आया है, इसमें कोलकाता से औद्योगिक सामान आया है और यहां से ये जहाज फर्टीलाइजर लेकर वापस जाएगा। यानि यूपी, पूर्वांचल में फर्टिलाइज़र समेत जितने भी कारखाने हैं, वहां बना सामान अब सीधे पूर्वी भारत के बंदरगाहों तक पहुंच पाएगा।

ये सिर्फ एक उदाहरण है। वो दिन दूर नहीं जब वाराणसी और आसपास के इलाकों में होने वाली सब्जियां, अनाज, मेरे बुनकर बंधुओं द्वारा बनाई गई चीजें, इसी जलमार्ग से जाया करेंगी। आप सोचिए, यहां के किसानों के लिए, लघु उद्योगों से जुड़े लाखों लोगों के लिए, कितना बड़ा रास्ता खुला है। अपने उद्योगों के लिए, कृषि के लिए Input मंगाने, कच्चा माल मंगाने और फिर उसमें वैल्यू एडिशन करके उसे वापस भेजने में, इस जलमार्ग की बहुत बड़ी भूमिका होगी।

आपका प्‍यार आपका उत्‍साह, बहुत-बहुत धन्‍यवाद, मुझे बोलने दीजिए और लोग भी सुनना चाहते हैं। आपके उत्‍साह के लिए प्‍यार के लिए मैं हृदय से आपका आभारी हूं। लेकिन ये ऊर्जा थोड़ा बचाए रखिये 19 तक जरूरत पड़ेगी। तो मैं शुरू करूं, मैं बोलूं। आप शांति से सुनेंगे या फिर मोदी-मोदी करते रहोगे। मैं आपका बहुत आभारी हूं नौजवानों इतने प्‍यार के लिए इतने उत्‍साह के लिए लेकिन बहुत बड़ी मात्रा में आज काशी के लोग ये इस बात की बारीकियों को जानना और समझना चाहते हैं। और इसलिए ये बदलाव कैसे आ रहा है, ये बदलाव कैसे आने वाला है। उसको मैं जरा बारीकी से समझाने का प्रयास कर रहा हूं।

आने वाले दिनों में जब वाराणसी में बने मल्टी मॉडल टर्मिनल से रो-रो सर्विस शुरू होगी, तो लंबी दूरी तय करने के लिए, आपको एक और नया विकल्प मिलेगा। बड़े-बड़े टैंकर-ट्रक, बसें, कारें, सीधे जहाज के माध्यम से दूसरे शहरों तक पहुंच जाएंगी।

साथियों, आज जितना सामान इस जहाज में आया है, उसे अगर सड़क से लाया जाता तो इसके लिए 16 ट्रक लगते। इतना ही नहीं, जलमार्ग से लाने की वजह से प्रति कंटेनर लगभग साढ़े 4 हजार रुपए की बचत भी हुई है। मतलब ये जो सामान आया है। 70-75 हजार रुपए सीधे-सीधे बच गया है। यानि कुल मिलाकर, इस जलमार्ग से समय और पैसा बचेगा, सड़क पर भीड़ भी कम होगी, ईंधन का खर्च भी कम होगा और गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण से भी राहत मिलेगी।

साथियों, एक जमाना था जब हमारे देश की नदियों में भी बड़े-बड़े जहाज चला करते थे। लेकिन आजादी के बाद इन वर्षों में इस मार्ग को मजबूत करने पर बहुत ध्यान देने के बजाए उसकी उपेक्षा की गई है। देश का नुकसान कर दिया। आप सोचिए, देश के सामर्थ्य, हमारी नदियों की शक्ति के साथ पहले की सरकार ने कितना बड़ा अन्नाय किया था।

देश के सामर्थ्य के साथ हो रहे इस अन्नाय को समाप्त करने का कार्य हमारी सरकार कर रही है। अब आज देश में 100 से ज्यादा नेशनल वॉटरवेज पर काम हो रहा है। वाराणसी-हल्दिया वॉटरवे भी उनमें से एक है। वाराणसी से हल्दिया के बीच फरक्का, साहिबगंज, बक्सर में 5 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च करके अनेक सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। इस वॉटरवे से उत्तर प्रदेश ही नहीं बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल, यानि पूर्वी भारत के एक बड़े हिस्से को बहुत बड़ा फायदा होगा।

भाइयों और बहनों, ये जलमार्ग सिर्फ सामान की ढुलाई के काम नहीं आएंगा बल्कि ये हमारे टूरिज्म को, पूर्वी भारत के तीर्थों को पूर्वी एशियाई देशों से जोड़ने के काम भी करने वाला है। वाराणसी समेत पूर्वांचल, पूर्वी भारत के अनेक इलाके, समय के साथ क्रूज़ टूरिज्म के लिए भी जाने जाएंगे। और ये सब काशी की संस्कृति और काशी की सभ्‍यता के अनुरूप ही होगा, पारंपरिक काशी के आधुनिक स्वरूप की अवधारणा के साथ विकास का नक्‍शा चलेगा।

भाइयों और बहनों, आधुनिक सुविधाओं के साथ ये प्राचीन रास्ते, Nature, Culture और Adventure के संगम स्थल बनने वाले हैं।

साथियों, वाराणसी हो, भदोही हो, मिर्जापुर हो, ये कार्पेट उद्योग के सेंटर रहे हैं और अब ये देश के Textile Export का भी Global Hub बन रहे हैं। पिछले महीने ही पहली बार, दीन दयाल हस्तकला संकुल मेंबहुत ही सफलता के साथ India Carpet Expo का आयोजन किया गया। दिल्ली से मैंने इस एक्सपो की शुरूआत की थी। वाराणसी से कोलकाता तक नेशनल वॉटरवे की शुरुआत से इस सेक्टर से जुड़े लोगों को भी बहुत फायदा होगा,उन्हें Export में और मदद मिलेगी।

साथियों, सुगमता का सुविधा से सीधा रिश्ता होता है और सुविधाएं कभी-कभी गौरव का कारण भी बनती हैं। बाबतपुर हवाई अड्डे से जोड़ने वाली World Class सड़क इसका उदाहरण है। मुझे बताया गया कि लोग दूर-दूर से selfie लेने आते हैं। पूरे social media में बनारस छाया हुआ है। ये रास्‍ता छाया हुआ है। अभी त्यौहारों का समय है। आप लोगों में जो भी इस बार हवाई जहाज से घर आया होगा वो बाबतपुर हवाई अड्ड़े से निकलते ही गर्व से भर गया होगा। मुझे बताया गया है कि कुछ दिन के लिए बाहर गए लोग, अब जब शहर में वापस आ रहे हैं तो उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि वो उसी हरहुआ और तरना-शिवपुर के रास्ते से गुजर रहे हैं। आप वो भी दिन याद करिए, जब इसी सड़क पर जाम की वजह से आपकी फ्लाइट छूट जाती थी, एयरपोर्ट पहुंचने के लिए कई घंटे पहले निकलना होता था। सड़क के गड्ढे आपको रुला देते थे। अब ये स्थिति बदल गई है।

साथियों, 800 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से बाबतपुर एयरपोर्ट को शहर से जोड़ने वाली सड़क ना सिर्फ चौड़ी हो गई है- 4 लेन की हो गई है, बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करने लगी है। इस सड़क से काशी वासियों का, यहां आने वाले पर्यटकों का समय तो बचेगा ही, जौनपुर, सुल्तानपुर और लखनऊ तक की यात्रा भी सुगम हो जाएगी। शहर के रिंग रोड का पहला चरण भी आज काशी वासियों को समर्पित किया गया है। करीब 760 करोड़ रुपए खर्च कर बनाई गई इस सड़क से गोरखपुर, लखनऊ, आज़मगढ़ और अयोध्या की तरफ आने-जाने वाले वाहनों को शहर के अंदर एंट्री की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

साथियों, रोड के ये दोनों प्रोजेक्ट, बनारस शहर की दशकों पुरानी मांग थे। प्रधानमंत्री बनने के 6 महीने के भीतर ही मैंने इन दोनों ही परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने का प्रयास शुरू किया था। आपके सहयोग से ही ये दोनों प्रोजेक्ट पूरे हुए हैं। अब रिंग रोड के दूसरे चरण का काम भी तेजी से चल रहा है। उसे भी जल्दी ही पूरा कर लिया जाएगा।

इन परियोजनाओं से जहां एक ओर बनारस शहर में जाम की समस्या कम होगी, वहीं प्रदूषण भी घटेगा और आपका समय भी बचेगा। इससे पर्यटकों का सारनाथ जाना भी आसान हो जाएगा। रामनगर में जो हेलीपोर्ट बनने वाला है, जिसका शिलान्यास थोड़ी देर पहले हुआ है, उससे भी यहां के पर्यटन को विशेष लाभ मिलने वाला है।

साथियों, कनेक्टिविटी से टूरिज्म और रोज़गार तो बढ़ता ही है, देश के प्रति विश्वास, तंत्र के प्रति भरोसा वो भी बहुत बढ़ जाता है। आज ही बनारस में जितनी परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्‍यास हुआ है। उससे भी यहां के नौजवानों के लिए रोजगार के अनेक नये अवसर खुले हैं।

भाइयों एवं बहनों। भाजपा की सरकारों के लिए, भाजपा की अगुवाई में चल रही सरकारों के लिए देश और देशवासियों का विकास यही हमारा सब कुछ है। अब देश सिर्फ और सिर्फ विकास की राजनीति चाहता है। जनता अपने फैसले विकास देखकर करती है, वोट बैंक की राजनीति देखकर नहीं।

बीते चार वर्षों में कितनी तेजी के साथ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हुआ है, वो अब साफ-साफ नज़र आता है। दुर्गम स्थानों पर नए-नए एयरपोर्ट, आदिवासी क्षेत्रों, नॉर्थ ईस्ट के दूर दराज के क्षेत्रों में पहली बार पहुंच रही ट्रेन, ग्रामीण सड़कों और शानदार नेशनल हाईवे, एक्सप्रेसवे का जाल, ये हमारी सरकार की पहचान बन चुका है।

साथियों, हमने सिर्फ संसाधनों के विकास पर ही बल नहीं दिया, बल्कि सामान्य मानवी की छोटी-छोटी ज़रूरतों, जैसे स्वच्छता और स्वास्थ्य पर भी गंभीरता से काम किया है। ग्रामीण स्वच्छता का जो दायरा 2014 में हमारे आने से पहले 40 प्रतिशत से कम था, वो अब 95 प्रतिशत से ज्यादा हो चुका है। आयुष्मान भारत योजना की वजह से, गरीब से गरीब व्यक्ति का, गंभीर बीमारी की स्थिति में अस्पताल में इलाज सुनिश्चित हुआ है। इस योजना के तहत अब तक 2 लाख से ज्यादा गरीबों को मुफ्त इलाज मिला है। और योजना को अभी 40 दिन से ज्‍यादा का समय नहीं हुआ है।

साथियों, हमने सिर्फ इंसान के स्वास्थ्य की ही चिंता नहीं की बल्कि हमारी जीवनधारा, हमारी नदियों को स्वस्थ रखने का भी संकल्प लिया है। इसी भावना के साथ मां गंगा की साफ-सफाई के लिए चल रहा मिशन नमामि गंगे आज नए पड़ाव पर पहुंचा है।

गंगा जी में मिलने वाले गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए 4 सौ करोड़ से ज्यादा के 4 प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास अभी कुछ देर पहले मुझे करने का मौका मिला है। दीनापुर में सीवर ट्रीटमेंट से जुड़े तीन प्लांट आने वाले अनेक वर्षों तक शहर की गंदगी को मां गंगा में मिलने से बचाने वाले हैं। वहीं रामनगर का प्लांट भी जल्द ही मां गंगा की सेवा के लिए तैयार हो जाएगा।

साथियों, हमारी सरकार गंगा जी का पैसा पानी में नहीं बहा रही बल्कि गंगा जी में जो गंदा पानी आ रहा है, उसे साफ करने में लगा रही है। नमामि गंगे मिशन के तहत अब तक 23 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं को स्वीकृति दी जा चुकी है। 5 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं पर काम चल रहा है। गंगा के किनारे के करीब-करीब सारे गांव अब खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। ये प्रोजेक्ट्स गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक गंगा को अविरल, निर्मल बनाने के हमारे संकल्प का हिस्सा हैं।

आज अगर ये अभियान तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है तो इसके पीछे जनभागीदारी है, नदियों के प्रति हर नागरिक के मन में जगी जिम्मेदारी की भावना है। वरना मां गंगा की सफाई के नाम पर कैसे पुरानी सरकारों ने हज़ारों करोड़ बहा दिए, ये हम भली-भांति जानते हैं।

साथियों, आज यहां वाराणसी के कुछ इलाकों में हुए बिजली सुधार के कार्यों का भी लोकार्पण किया गया है। पुरानी काशी के अतिरिक्त कुछ और क्षेत्रों में IPDS स्कीम के तहत काम पूरा हो चुका है। जो बिजली के तारों का जाल लटका रहता था, वो अब अंडरग्राउंड हो चुका है। ये भी भव्य काशी के हमारे सपने को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है। आने वाले दिनों में शहर के अन्य क्षेत्रों में भी इस काम को विस्तार दिया जाएगा।

साथियों, आपके प्रयासों और प्रेरणा से आज चिरपुरातन काशी की नई तस्वीर देश-दुनिया के सामने आने लगी है। अब हमें इसको सहेजना है, सुरक्षित रखना है, ताकि हमारे इस गौरवशाली शहर का गौरवगान दुनियाभर में होता रहे।

अगले साल जनवरी में प्रवासी भारतीय दिवस भी काशी की पावन भूमि पर होना है। इस आयोजन के लिए मैं भी आप लोगों की तरह ही देश-दुनिया से आए लोगों का स्वागत करने के लिए वाराणसी में मौजूद रहूंगा। उस समय प्रयागराज में अर्धकुंभ का भी आयोजन हो रहा होगा। वहां से भी अनेक लोग वाराणसी आएंगे।

हम सभी की इच्छा है कि दुनिया के सबसे प्रचीन शहर काशी की गरिमा और सबसे अच्छी सुविधा का ऐसा संगम हो कि काशी की स्मृति, यहां आने वालों के जीवन में अमिट हो जाए, वे बार-बार यहां आएं, ऐसा माहौल पैदा हो।

अंत में एक बार फिर आप सभी को इन तमाम सुविधाओं के लिए, विकास के नए-नए प्रोजेक्ट्स के लिए अनेक-अनेक बधाई देता हूं,  शुभकामनाएं देता हूं। आप सभी को, पूर्वांचल और पूर्वी भारत के मेरे साथियों को छठ पूजा की पुन: बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

जय छठी मइया !!!

हर-हर महादेव!

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PM Modi hails the commencement of 20th Session of UNESCO’s Committee on Intangible Cultural Heritage in India
December 08, 2025

The Prime Minister has expressed immense joy on the commencement of the 20th Session of the Committee on Intangible Cultural Heritage of UNESCO in India. He said that the forum has brought together delegates from over 150 nations with a shared vision to protect and popularise living traditions across the world.

The Prime Minister stated that India is glad to host this important gathering, especially at the historic Red Fort. He added that the occasion reflects India’s commitment to harnessing the power of culture to connect societies and generations.

The Prime Minister wrote on X;

“It is a matter of immense joy that the 20th Session of UNESCO’s Committee on Intangible Cultural Heritage has commenced in India. This forum has brought together delegates from over 150 nations with a vision to protect and popularise our shared living traditions. India is glad to host this gathering, and that too at the Red Fort. It also reflects our commitment to harnessing the power of culture to connect societies and generations.

@UNESCO”