Quoteमहिलाओं ने दिखाया कि कैसे ग्रामीण भारत में एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत हुई। वे एक विशिष्ट बदलाव ला रही हैं: प्रधानमंत्री
Quoteबेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के मंत्र से प्रेरित होकर सरकार एक सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रही है: प्रधानमंत्री
Quoteलड़का हो या लड़की, दोनों को शिक्षा के समान अवसर मिलने चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteस्वच्छता हमारा स्वभाव बनना चाहिए, गरीबों को सबसे ज्यादा लाभ तब होगा जब हम स्वच्छता लाने और गंदगी को हटाने में कामयाब होंगे: प्रधानमंत्री 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में देशभर की महिला सरपंचों को संबोधित किया। स्वच्छता के लिए महिलाओं को सम्मानित करने के बाद श्री मोदी ने कहा कि महिलाएं ही बदलाव का नेतृत्व कर सकती हैं। वे गांवों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

स्वच्छता शक्ति सम्मान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन महिलाओं ने भी ये सम्मान पाया है उनके योगदान को देखकर कई बातें साफ हो गयी हैं। इन महिलाओं ने उन लोगों का भ्रम तोड़ दिया है जो ये मानते थे कि पढ़े लिखे लोग ही ये काम कर सकते हैं। श्री मोदी ने कहा, “जो अपनी भाषा के सिवा कोई भाषा भी नहीं जानते, उन बहनों ने भी स्वच्छता के मकसद को अंजाम दिया है।“

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प्रधानमंत्री ने मानसिकता में बदलाव की जरूरत बताते हुए शास्त्रों के जरिए बताया कि बेटियां हमारे समाज में कितनी अहम रही हैं।

यावत गंगा कुरूक्षेत्रे, यावत तिष्ठति मेदिनी

यावत सीता कथा लोके, तावत जीवेतु बालिका

श्री मोदी ने इसका अर्थ समझाते हुए कहा कि जब तक गंगा, कुरूक्षेत्र, हिमालय है, जब तक सीता की गाथा इस लोक में है। बालिका तुम तब तक जीवित रहो, तुम्हारा नाम तब तक दुनिया याद रखेगी।

श्री मोदी ने कहा कि भ्रूण हत्या रोकने में महिला सरपंच बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। महिला सरपंच गांव में बहुओं पर जुल्म जैसे मामलों में भी रक्षक बनकर खड़ी हो सकती हैं। वह बच्चियों को स्कूल नहीं भेजने जैसी प्रवृत्तियों के खिलाफ भी जागरुकता पैदा करने का काम कर सकती हैं। श्री मोदी ने कहा, “1000 बेटों के सामने 800, 850 बेटियां हों, इस दुर्दशा को बदलना होगा। इस पाप को खत्म करना होगा।”

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प्रधानमंत्री मोदी ने गांवों की प्राकृतिक रक्षा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि गांवों को ऐसा बनाया जा सकता है कि आत्मा गांव की हो, सुविधा शहर की हो। श्री मोदी ने कहा,” हम ऐसा गांव क्यों न बनाएं कि शहर में रहने वालों के भी मन कर जाएं कि एक छोटा सा घर गांव में भी बनाएं और कभी हफ्ते में एक-दो दिन रह जाएं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन गांवों को पता नहीं कि उनका जन्म दिन क्या है, उन्हें भी बैठकर एक दिन निश्चित कर लेना चाहिए। जन्म दिन पर उन सभी लोगों को बुलाना चाहिए जो गांव से बाहर रह रहे हैं। उस दिन बड़े-बूढ़ों का सम्मान करना चाहिए, पौधों लगाने के लिए कहना चाहिए। श्री मोदी ने कहा, “पूरा गांव प्राणवान बन जाएगा, जीवंत गांव बन जाएगा।”

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श्री मोदी ने कहा कि 14वें वित्त आयोग के बाद आज 2 लाख करोड़ रुपया सीधे-सीधे गांवों में जाता है। ये छोटी रकम नहीं है। श्री मोदी ने महिला सरपंचों से कहा,” आप गांव के अंदर अगर निर्धारित करें कि 5 साल में ये 25 काम करने हैं तो आप आराम से कर सकती हैं। सफलतापूर्वक कर सकती हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि गंदगी के कारण जो गरीब परिवारों में बीमारी आती है। औसतन 7 हजार रुपया एक गरीब परिवार को दवाई में साल का खर्चा हो जाता है। श्री मोदी ने कहा, “अगर हम स्वच्छता रखें। इन बीमारियों को गांव में घुसने ना दें तो इन गरीब का साल का 7 हजार रुपया बचेगा। उन पैसों से वो बच्चों को दूध पिलाएगा।”

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परिणामों की सूची: प्रधानमंत्री की घाना की राजकीय यात्रा
July 03, 2025

I. घोषणा

  • द्विपक्षीय संबंधों का व्यापक भागीदारी में उन्नयन

II. समझौता ज्ञापनों की सूची

  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (सीईपी) पर समझौता: कला, संगीत, नृत्य, साहित्य और विरासत में अधिक सांस्कृतिक समझ और आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
  • भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) और घाना मानक प्राधिकरण (जीएसए) के बीच समझौता: मानकीकरण, प्रमाणन और अनुरूपता मूल्यांकन में सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से।
  • घाना के पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा संस्थान (आईटीएएम) और भारत के आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) के बीच समझौता: पारंपरिक चिकित्सा शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान में सहयोग करना।
  • संयुक्त आयोग की बैठक पर समझौता: उच्च स्तरीय संवाद को संस्थागत बनाना और नियमित आधार पर द्विपक्षीय सहयोग तंत्र की समीक्षा करना।