आज जब मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके 75वें जन्मदिन पर हार्दिक बधाई देता हूं, तो एक नागरिक और पूर्व उपराष्ट्रपति के रूप में मुझे इस बात पर गर्व महसूस हो रहा है कि एक दशक से अधिक समय में उनके नेतृत्व में देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है।

प्रगति और राष्ट्रीय गर्व की भावना से प्रेरित विजन के साथ भारत आर्थिक सुधार, तकनीकी उन्नति, जन-सरोकार की योजनाओं और कूटनीतिक साहस को एक शक्तिशाली और आदर्श शासन मॉडल में बदल रहा है। “इंडिया फर्स्ट” बनाए रखने का अटूट संकल्प—चाहे वह सरकार की विदेश नीति और कूटनीतिक पहलें हों या आंतरिक सुरक्षा—इस शासन मॉडल का मुख्य आधार है।


ऑपरेशन सिंदूर एक नए भारत का उदाहरण है, जो दृढ़, संप्रभु और त्वरित कार्रवाई करने वाला है। कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट आर्थिक प्रबंधन और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के मामले में भी हम यही निर्णायक दृष्टिकोण देखते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस सरकार की विरासत, लागू की जा रही नीतियों से आगे बढ़कर, जागृत हुई आकांक्षाओं तक फैली हुई है। रिफॉर्म्स के प्रति साहसी रवैया, आपसी सम्मान और रणनीतिक स्वतंत्रता के आधार पर दुनिया से जुड़ने का नया तरीका, और लोगों को देश की प्रगति के केंद्र में रखने का विश्वास—इन सबके जरिए हम Purpose-Driven लीडरशिप देखते हैं।


जैसे-जैसे भारत अमृत काल की ओर बढ़ रहा है, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है और अनुमान से भी जल्दी तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। यह ध्यान देने योग्य है कि 2025–26 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है, जिसकी वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत तक अनुमानित है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) ने अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत किया। उत्तर-पूर्व में कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत की गई, जिससे देश के लंबे समय से उपेक्षित हिस्सों को मुख्यधारा में शामिल किया गया। इसरो ने भी अंतरिक्ष क्षेत्र में शानदार उपलब्धियाँ हासिल कीं, जिनमें 2023 में चंद्रयान-3 मिशन शामिल है। 2014 के बाद से कई अन्य महत्वपूर्ण मुकाम भी हासिल किए गए हैं, जिनमें से कुछ पर मैं संक्षेप में चर्चा करूंगा।


जैसा कि दुनिया ने देखा, अनुच्छेद 370 को समाप्त करना एक ऐतिहासिक कानून था और मुझे गर्व है कि मैं 5 अगस्त 2019 को इस ऐतिहासिक बिल के पारित होने के समय राज्यसभा की अध्यक्षता कर रहा था। एक कदम में जिसने मुस्लिम महिलाओं को सशक्त किया और उनके अधिकारों की सुरक्षा की, मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों की सुरक्षा) अधिनियम, 2019 ने “तीन तलाक” के द्वारा तुरंत दिया गया तलाक अवैध घोषित कर दिया।


पिछले 11 वर्षों में विकासवाद, एक सशक्त विकास-केंद्रित अप्रोच, इस सरकार की कार्यशैली का आधार बन गया है। JAM (जन-धन, आधार और मोबाइल) के माध्यम से उनके दृष्टिकोण के कार्यान्वयन ने कल्याणकारी योजनाओं में क्रांति ला दी है। इससे अभूतपूर्व पारदर्शिता आई है, बिचौलियों का सफाया हुआ है और नागरिकों को सीधे लाभ पहुँचाने में मदद मिली है।


हकीकत को समझने के लिए कुछ आंकड़े: विश्व बैंक द्वारा जारी संशोधित अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा (IPL) के अनुसार, जिसे 2.15 डॉलर प्रतिदिन (2017 पीपीपी) से बढ़ाकर 3.00 डॉलर प्रतिदिन (2021 पीपीपी) कर दिया गया है, भारत की अत्यधिक गरीबी दर 2011-12 के 27.1 प्रतिशत से तेज़ी से घटकर 2022-23 में 5.3 प्रतिशत हो गई है। आज, जल जीवन मिशन के तहत आठ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में 15.59 करोड़ ग्रामीण घरों में 100 प्रतिशत कवरेज के साथ नल का जल उपलब्ध है, जबकि सौभाग्य योजना के तहत 2.86 करोड़ घरों का विद्युतीकरण किया गया है। मार्च 2025 तक, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत लगभग 10.33 करोड़ एलपीजी कनेक्शन वितरित किए जा चुके हैं, जिनके 32.94 करोड़ एक्टिव यूजर्स हैं।

2014 से ही घर बनाना प्राथमिकता रहा है, और अब तक प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत 4 करोड़ से अधिक घर बनाए जा चुके हैं। इसमें PMAY-शहरी के तहत 92.72 लाख घर (जिनमें से 90 लाख महिलाओं के नाम हैं) और PMAY-ग्रामीण के तहत 2.77 करोड़ घर शामिल हैं।

दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना मानी जाने वाली प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में एक सफाई क्रांति आई है, जिसमें पूरे देश में 12 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए हैं और 6 लाख से अधिक गाँव ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्त) हो गए हैं।

किसानों को अब प्रमुख स्टेकहोल्डर्स के रूप में देखा जा रहा है, जो भारत को वैश्विक खाद्य नेतृत्व की ओर अग्रसर कर रहे हैं। कृषि बजट में लगभग पाँच गुना वृद्धि हुई है, जो 27,663 करोड़ रुपये (2013-14) से बढ़कर 1,37,664.35 करोड़ रुपये (2024-25) हो गया है। पीएम-किसान के तहत, मई 2025 तक, 11 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता के रूप में 3.7 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए, जबकि किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत 7.71 करोड़ किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये का ऋण प्रदान किया गया और 2025-26 के लिए ऋण सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई। परिणामस्वरूप, खाद्यान्न उत्पादन 265.05 मिलियन टन (2014-15) से बढ़कर 347.44 मिलियन टन (2024-25) हो गया।


फाइनेंशियल और डिजिटल इंक्लूजन इस दौर की सबसे बड़ी पहचान है। मार्च 2025 तक पीएम जन धन योजना के तहत 55.17 करोड़ बैंक खाते खुले हैं, 2.61 लाख करोड़ रुपये जमा हैं और 30.80 करोड़ खाते महिलाओं के नाम हैं। स्टार्टअप इंडिया ने देश को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप और यूनिकॉर्न (118) इकोसिस्टम बना दिया है। एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि ग्रामीण क्षेत्रों में 4 लाख किलोमीटर सड़कों और 40,000 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण है।

देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। 2014–24 के दौरान $667.74 बिलियन का FDI आया, जो 2000 के बाद कुल FDI का 67% है। आज भारत डिजिटल लेनदेन में दुनिया में अग्रणी है और सिर्फ 2024 में ही UPI ने 172 अरब ट्रांजेक्शन किए।


आने वाली पीढ़ियाँ भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण को याद रखेंगी, जिसमें काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और अयोध्या में रामलला मंदिर सहित अन्य तीर्थस्थलों और मंदिर मार्गों का पुनर्विकास शामिल है।

हालाँकि ये उपलब्धियाँ पूरी सूची नहीं हैं, फिर भी ये 2014 के बाद सरकार की कुछ बड़ी सफलताओं की झलक दिखाती हैं। यह नए भारत की कहानी है, जिसे पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में युवाओं, वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों, उद्यमियों, महिलाओं और किसानों के योगदान से लिखा गया है। ये उपलब्धियाँ विकासशील भारत को अमृत काल की ओर आगे बढ़ाने की नींव हैं।

लेखक भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हैं।

Explore More
आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी
Jan Dhan accounts hold Rs 2.75 lakh crore in banks: Official

Media Coverage

Jan Dhan accounts hold Rs 2.75 lakh crore in banks: Official
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
भारत की कहानी के अगले अध्याय को आकार
September 27, 2025

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की करिश्माई उपस्थिति और संगठनात्मक नेतृत्व की खूब सराहना हुई है। लेकिन कम समझा और जाना गया पहलू है उनका पेशेवर अंदाज, जिसे उनके काम करने की शैली पहचान देती है। एक ऐसी अटूट कार्यनिष्ठा जो उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री और बाद में भारत के प्रधानमंत्री रहते हुए दशकों में विकसित की है।


जो उन्हें अलग बनाता है, वह दिखावे की प्रतिभा नहीं बल्कि अनुशासन है, जो आइडियाज को स्थायी सिस्टम में बदल देता है। यह कर्तव्य के आधार पर किए गए कार्य हैं, जिनकी सफलता जमीन पर महसूस की जाती है।

साझा कार्य के लिए योजना

इस साल उनके द्वारा लाल किले से दिए गए स्वतंत्रता दिवस के भाषण में यह भावना साफ झलकती है। प्रधानमंत्री ने सबको साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया है। उन्होंने आम लोगों, वैज्ञानिकों, स्टार्ट-अप और राज्यों को “विकसित भारत” की रचना में भागीदार बनने के लिए आमंत्रित किया। नई तकनीक, क्लीन ग्रोथ और मजबूत सप्लाई-चेन में उम्मीदों को व्यावहारिक कार्यक्रमों के रूप में पेश किया गया तथा जन भागीदारी — प्लेटफॉर्म बिल्डिंग स्टेट और उद्यमशील जनता की साझेदारी — को मेथड बताया गया।

GST स्ट्रक्चर को हाल ही में सरल बनाने की प्रक्रिया इसी तरीके को दर्शाती है। स्लैब कम करके और अड़चनों को दूर करके, जीएसटी परिषद ने छोटे कारोबारियों के लिए नियमों का पालन करने की लागत घटा दी है और घर-घर तक इसका असर जल्दी पहुंचने लगा है। प्रधानमंत्री का ध्यान किसी जटिल रेवेन्यू कैलकुलेशन पर नहीं बल्कि इस बात पर था कि आम नागरिक या छोटा व्यापारी बदलाव को तुरंत महसूस करे। यह सोच उसी cooperative federalism को दर्शाती है जिसने जीएसटी परिषद का मार्गदर्शन किया है: राज्य और केंद्र गहन डिबेट करते हैं, लेकिन सब एक ऐसे सिस्टम में काम करते हैं जो हालात के हिसाब से बदलता है, न कि स्थिर होकर जड़ रहता है। नीतियों को एक living instrument माना जाता है, जिसे अर्थव्यवस्था की गति के अनुसार ढाला जाता है, न कि कागज पर केवल संतुलन बनाए रखने के लिए रखा जाता है।

हाल ही में मैंने प्रधानमंत्री से मिलने के लिए 15 मिनट का समय मांगा और उनकी चर्चा में गहराई और व्यापकता देखकर प्रभावित हुआ। छोटे-छोटे विषयों पर उनकी समझ और उस पर कार्य करने का नजरिया वाकई में गजब था। असल में, जो मुलाकात 15 मिनट के लिए तय थी वो 45 मिनट तक चली। बाद में मेरे सहयोगियों ने बताया कि उन्होंने दो घंटे से अधिक तैयारी की थी; नोट्स, आंकड़े और संभावित सवाल पढ़े थे। यह तैयारी का स्तर उनके व्यक्तिगत कामकाज और पूरे सिस्टम से अपेक्षा का मानक है।

नागरिकों पर फोकस

भारत की वर्तमान तरक्की का बड़ा हिस्सा ऐसी व्यवस्था पर आधारित है जो नागरिकों की गरिमा सुनिश्चित करती है। डिजिटल पहचान, हर किसी के लिए बैंक खाता और तुरंत भुगतान जैसी सुविधाओं ने नागरिकों को सीधे जोड़ दिया है। लाभ सीधे सही नागरिकों तक पहुँचते हैं, भ्रष्टाचार घटता है और छोटे बिजनेस को नियमित पैसा मिलता है, और नीति आंकड़ों के आधार पर बनाई जाती है। “अंत्योदय” — अंतिम नागरिक का उत्थान — सिर्फ नारा नहीं बल्कि मानक बन गया है और प्रत्येक योजना, कार्यक्रम के मूल में ये देखने को मिलता है।

हाल ही में मुझे, असम के नुमालीगढ़ में भारत के पहले बांस आधारित 2G एथेनॉल संयंत्र के शुभारंभ के दौरान यह अनुभव करने का सौभाग्य मिला। प्रधानमंत्री इंजीनियरों, किसानों और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ खड़े होकर, सीधे सवाल पूछ रहे थे कि किसानों को पैसा उसी दिन कैसे मिलेगा, क्या ऐसा बांस बनाया जा सकता है जो जल्दी बढ़े और लंबा हो, जरूरी एंज़ाइम्स देश में ही बनाए जा सकते हैं, और बांस का हर हिस्सा डंठल, पत्ता, बचा हुआ हिस्सा काम में लाया जा रहा है या नहीं, जैसे एथेनॉल, फ्यूरफुरल या ग्रीन एसीटिक एसिड।

चर्चा केवल तकनीक तक सीमित नहीं रही। यह लॉजिस्टिक्स, सप्लाई-चेन की मजबूती और वैश्विक कार्बन उत्सर्जन तक बढ़ गई। उनके द्वारा की जा रही चर्चा के मूल केंद्र मे समाज का अंतिम व्यक्ति था कि उसको कैसे इस व्यवस्था के जरिए लाभ पहुंचाया जाए।

यही स्पष्टता भारत की आर्थिक नीतियों में भी दिखती है। हाल ही में ऊर्जा खरीद के मामलें में भी सही स्थान और संतुलित खरीद ने भारत के हित मुश्किल दौर में भी सुरक्षित रखे। विदेशों में कई अवसरों पर मैं एक बेहद सरल बात कहता हूँ कि सप्लाई सुनिश्चित करें, लागत बनाए रखें, और भारतीय उपभोक्ता केंद्र में रहें। इस स्पष्टता का सम्मान किया गया और वार्ता आसानी से आगे बढ़ी।

राष्ट्रीय सुरक्षा को भी दिखावे के बिना संभाला गया। ऐसे अभियान जो दृढ़ता और संयम के साथ संचालित किए गए। स्पष्ट लक्ष्य, सैनिकों को एक्शन लेने की स्वतंत्रता, निर्दोषों की सुरक्षा। इसी उद्देश्य के साथ हम काम करते हैं। इसके बाद हमारी मेहनत के नतीजे अपने आप दिखाई देते हैं।

कार्य संस्कृति

इन निर्णयों के पीछे एक विशेष कार्यशैली है। उनके द्वारा सबकी बात सुनी जाती है, लेकिन ढिलाई बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाती है। सबकी बातें सुनने के बाद जिम्मेदारी तय की जाती है, इसके साथ ये भी तय किया जाता है कि काम को कैसे करना है। और जब तक काम पूरा नहीं हो जाता है उस पर लगातार ध्यान रखा जाता है। जिसका काम बेहतर होता है उसका उत्साहवर्धन भी किया जाता है।

प्रधानमंत्री का जन्मदिन विश्वकर्मा जयंती, देव-शिल्पी के दिवस पर पड़ना महज़ संयोग नहीं है। यह तुलना प्रतीकात्मक भले हो, पर बोधगम्य है: सार्वजनिक क्षेत्र में सबसे चिरस्थायी धरोहरें संस्थाएं, सुस्थापित मंच और आदर्श मानक ही होते हैं। आम लोगों को योजनाओं का समय से और सही तरीके से फायदा मिले, वस्तुओं के मूल्य सही रहें, व्यापारियों के लिए सही नीति और कार्य करने में आसानी हो। सरकार के लिए यह ऐसे सिस्टम हैं जो दबाव में टिकें और उपयोग से और बेहतर बनें। इसी पैमाने से नरेन्द्र मोदी को देखा जाना चाहिए, जो भारत की कहानी के अगले अध्याय को आकार दे रहे हैं।

(श्री हरदीप पुरी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री, भारत सरकार)