प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आमंत्रण पर न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन 16 से 20 मार्च 2025 तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं। प्रधानमंत्री के तौर पर श्री लक्सन की भारत की यह पहली यात्रा है। वे नई दिल्ली और मुंबई का दौरा कर रहे हैं। उनके साथ पर्यटन और आतिथ्य मंत्री लुईस अपस्टन, जातीय समुदाय और खेल और मनोरंजन मंत्री, मार्क मिशेल और व्यापार और निवेश, कृषि और वानिकी मंत्री टॉड मैक्ले तथा अधिकारियों, व्यावसाइयों, प्रवासी समुदाय, मीडिया और सांस्कृतिक समूहों के प्रतिनिधियों सहित एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है।

प्रधानमंत्री लक्सन का नई दिल्ली में भव्‍य और पारंपरिक स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने न्‍यूजीलैंड के प्रधानमंत्री लक्सन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। प्रधानमंत्री मोदी 17 मार्च 2025 को नई दिल्ली में 10वें रायसीना डायलॉग का उद्घाटन करेंगे, जिसमें श्री लक्सन मुख्य अतिथि के तौर पर उद्घाटन भाषण देंगे। प्रधानमंत्री लक्‍सन ने राजघाट पर महात्मा गांधी स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की।

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने भारत और न्यूजीलैंड के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ बनाने की साझा इच्छा दोहराई जो दोनों देशों के लोकतांत्रिक मूल्यों और लोगों के आपसी संबंधों पर आधारित है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों में और प्रगति की संभावना जताई। उन्होंने व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा, शिक्षा और अनुसंधान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, कृषि-तकनीक, अंतरिक्ष, लोगों के आवागमन और खेल सहित विभिन्‍न क्षेत्रों में निकट सहयोग पर सहमति व्यक्त की।

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने परस्‍पर हित के क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर बातचीत की और बहुपक्षीय सहयोग सुदृढ़ करने पर अपनी सहमति व्यक्त की। दोनों नेताओं ने अनिश्चित और असुरक्षित दुनिया में समुद्री राष्ट्रों के रूप में भारत और न्यूजीलैंड के खुले, समावेशी, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत और साझा हित को स्‍वीकार किया जहां नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था कायम है।

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय अधिनियम, विशेषकर 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री अधिनियम सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के अनुरूप नौवहन और उड्डयन की स्वतंत्रता तथा समुद्र के अन्य वैध उपयोग के अधिकार की पुष्टि की। उन्‍होंने अंतर्राष्ट्रीय अधिनियमों विशेषकर यूएनसीएलओएस के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता की पुष्टि की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के लोगों के मैत्रीपूर्ण संबंधों पर संतोष व्यक्त किया जिसमें न्यूजीलैंड की आबादी के करीब छह प्रतिशत भारतीय मूल के निवासी हैं। दोनों नेताओं ने न्यूजीलैंड में भारतीय प्रवासियों के अहम योगदान और दोनों देशों के संबंधों को प्रगाढ बनाने में उनकी सकारात्मक भूमिका की सराहना की। दोनों नेताओं ने न्यूजीलैंड में विद्यार्थियों समेत भारतीय समुदाय और भारत में न्यूजीलैंड के लोगों और न्‍यूजीलैंड से भारत आने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व पर सहमति जताई।

व्यापार, निवेश और वित्तीय मामलों में सहयोग:

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने भारत और न्यूजीलैंड के बीच निरंतर व्यापार और निवेश का स्वागत किया और द्विपक्षीय व्यापार के विस्तार की संभावनाओं का पता लगाने की आवश्‍यकता बताई। उन्होंने दोनों देशों के व्यावसायियों को आपसी संबंध विकसित करने तथा दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के पूरक क्षेत्रों में सहयोग के लिए उभरते आर्थिक और निवेश अवसरों का पता लगाने को प्रोत्साहित किया।

दोनों नेताओं ने मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग में अधिक दोतरफा निवेश का आह्वान किया।

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने भारत और न्यूजीलैंड के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को व्‍यापक बनाने पर सहमति व्यक्त की ताकि इसकी अप्रयुक्त क्षमता का पता लगाकर समावेशी और सतत आर्थिक विकास में योगदान दिया जा सके।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने गहन आर्थिक समेकन के लिए संतुलित, महत्वाकांक्षी, व्यापक और पारस्परिक लाभकारी व्यापार समझौते के लिए मुक्‍त व्‍यापार समझौते-एफटीए वार्ता के आरंभ होने का स्वागत किया। यह समग्र व्यापार समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने का महत्वपूर्ण उपाय है। दोनों देशों की परस्‍पर शक्ति का लाभ उठाकर और संबंधित चिंताओं के समाधान और चुनौतियों से निपटकर यह द्विपक्षीय व्यापार समझौता परस्पर लाभकारी व्यापार और निवेश में वृद्धि को बढ़ावा दे सकता है। इससे दोनों देशों को समान लाभ और पूरकता सुनिश्चित होगी। भारत और न्‍यूजीलैंड के प्रधानमंत्रियों ने वार्ता यथाशीघ्र पूरी करने के लिए वरिष्‍ठ प्रतिनिधि नियुक्‍त करने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की।

मुक्‍त व्‍यापार समझौता वार्ता के संदर्भ में दोनों प्रधानमंत्रियों ने डिजिटल भुगतान क्षेत्र में सहयोग के शीघ्र कार्यान्वयन की संभावना के लिए दोनों देशों के संबंधित अधिकारियों के बीच बातचीत पर सहमति व्यक्त की।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने 2024 में हस्ताक्षरित सीमा शुल्क सहयोग व्यवस्था (सीसीए) के अंतर्गत अधिकृत पारस्परिक आर्थिक संचालक मान्यता व्यवस्था (एईओ-एमआरए) पर समझौते का स्वागत किया। यह सीमा शुल्क अधिकारियों के माध्यम से दोनों देशों के बीच माल की सुगम आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। दोनों नेताओं ने बागवानी और वानिकी क्षेत्र में नए सहयोग का भी स्वागत किया। बागवानी क्षेत्र में सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर से ज्ञान और अनुसंधान के आदान-प्रदान तथा बागवानी उत्‍पाद और विपणन बुनियादी ढांचे के विकास में बढ़ावा मिलेगा। वानिकी सहयोग पर आशय पत्र पर हस्ताक्षर से नीतिगत संवाद और तकनीकी आदान-प्रदान को प्रोत्साहन मिलेगा।

दोनों नेताओं ने आर्थिक विकास, व्यापारिक जुड़ाव और दोनों देशों के लोगों के बीच बेहतर समझ उत्पन्न करने में पर्यटन क्षेत्र की सकारात्मक भूमिका स्‍वीकार की। उन्होंने भारत और न्यूजीलैंड के बीच बढ़ते पर्यटन का स्वागत किया और दोनों देशों के बीच हवाई सेवा समझौता अद्यतन किए जाने की सराहना की। उन्‍होंने भारत और न्‍यूजीलैंड के बीच सीधी उड़ान संचालन शुरू करने के लिए अपने देशों के उड्डयन संचालकों को प्रोत्साहित करने पर सहमति व्यक्त की।

राजनीतिक, रक्षा और सुरक्षा सहयोग:

भारत और न्‍यूजीलैंड के प्रधानमंत्रियों ने संसदीय सम्‍पर्क के महत्व को रेखांकित करते हुए संसदीय प्रतिनिधिमंडलों की परस्‍पर नियमित यात्रा पर सहमति व्‍यक्‍त की।

उन्‍होंने दोनों देशों के सैन्य कर्मियों के बलिदान के साझा इतिहास को स्वीकार किया और जिन्होंने पिछली शताब्दी में दुनिया भर में एक-दूसरे के साथ मिलकर युद्ध में भाग लिया।

भारत और न्‍यूजीलैंड के प्रधानमंत्रियों ने संयुक्‍त सैन्य अभ्यास, सैन्‍य स्टाफ कॉलेज आदान-प्रदान, नौसेना के जहाजों द्वारा एक-दूसरे के बंदरगाहों पर नियमित ठहराव और उच्च-स्तरीय रक्षा प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान सहित रक्षा सम्‍पर्क में निरंतर प्रगति का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने भारतीय नौसेना के सागर परिक्रमा अभियान के तहत नौवहन पोत तारिणी के दिसंबर 2024 में न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च के लिटलटन बंदरगाह पहुंचने का भी स्‍मरण किया। उन्होंने रॉयल न्यूजीलैंड नौसेना के जहाज एचएमएनजेडएस ते काहा के आने वाले समय में मुंबई बंदरगाह पर पहुंचने का भी उल्लेख किया। दोनों नेताओं ने भारत और न्यूजीलैंड के बीच रक्षा सहयोग समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया। उन्‍होंने कहा कि इससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग सुदृढ़ होगा और नियमित जुड़ाव स्थापित होगा। दोनों देशों ने समुद्री संचार मार्ग सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया और समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए नियमित बातचीत की आवश्यकता बताई।

न्यूजीलैंड ने संयुक्त समुद्री बलों में भारत के शामिल होने का स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने न्यूजीलैंड के कमांड टास्क फोर्स 150 के दौरान रक्षा संबंधों में हुई प्रगति पर संतोष व्‍यक्‍त किया।

दोनों नेताओं ने पारस्परिक आधार पर रक्षा कॉलेजों सहित अधिकारियों के नियमित प्रशिक्षण आदान-प्रदान का भी स्‍वागत किया। उन्‍होंने क्षमता निर्माण उन्‍नयन सहयोग पर सहमति जताई।

प्रधानमंत्री श्री लक्सन ने हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) में शामिल होने में न्यूजीलैंड की रुचि व्यक्त की। श्री मोदी ने समान विचार वाले देशों के साथ इस संगठन में न्यूजीलैंड का स्वागत किया। यह संगठन समुद्री क्षेत्र के प्रबंधन, संरक्षण और उसे सतत बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत और न्यूजीलैंड के बीच समुद्री सहयोग की आगे और संभावना तलाशी जा रही है। गुजरात के लोथल में स्थापित किए जा रहे राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) पर विशेषज्ञों के बीच चर्चा चल रही है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा आपदा प्रबंधन में सहयोग:

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय साझेदारी के महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में अनुसंधान, वैज्ञानिक संबंधों, प्रौद्योगिकी साझेदारी और नवोन्‍मेष के महत्व को रेखांकित करते हुए परस्‍पर हित में ऐसे अवसरों की तलाश का आह्वान किया। दोनों देशों ने व्यवसाय और उद्योगों में घनिष्ठ सहयोग द्वारा चिन्हित क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी विकसित करने और उनके व्यावसायीकरण के लिए सुदृढ़ सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। दोनों पक्षों ने जलवायु परिवर्तन और कम कार्बन उत्सर्जन वाली जलवायु अनुकूल अर्थव्यवस्थाओं को अपनाने की अर्थव्यवस्थाओं की चुनौतियों की पहचान की। प्रधानमंत्री लक्सन ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में भारत के नेतृत्व का स्वागत किया और न्यूजीलैंड के 2024 से इसके सदस्य के तौर पर मजबूत समर्थन दोहराया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने आपदा रोधी बुनियादी ढांचे गठबंधन (सीडीआरआई) में न्यूजीलैंड के शामिल होने का स्वागत किया, जिसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी), पेरिस जलवायु समझौते और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए जापान के सेंडाई में हुए समझौते सेंडाई फ्रेमवर्क के उद्देश्यों के लिए प्रणालियों और बुनियादी ढांचे को अनुकूल बनाना है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत और न्यूजीलैंड के बीच भूकंप शमन सहयोग पर समझौता ज्ञापन के लिए काम करने का स्वागत किया। यह भूकंप से निपटने की तैयारी, आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र और क्षमता निर्माण में अनुभवों के आदान-प्रदान को सुगम बनाएगा।

शिक्षा, गतिशीलता, खेल और लोगों के बीच संबंध:

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत और न्यूजीलैंड के बीच बढ़ते शिक्षा और सामुदायिक संबंधों को और मजबूत करने की संभावना पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने दोनों देशों के शैक्षणिक संस्थानों को विज्ञान, नवाचार, नई और उभरती प्रौद्योगिकियों सहित परस्‍पर हित के क्षेत्रों पर केंद्रित भविष्योन्मुखी साझेदारी के लिए प्रोत्साहित किया।

दोनों नेताओं ने न्यूजीलैंड में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए भारतीय छात्रों को अधिक अवसर और सुगमता प्रदान करने की बात कही। उन्होंने विज्ञान, नवाचार और नई तथा उभरती प्रौद्योगिकियों सहित इन क्षेत्रों में कौशल विकास और कुशल कर्मियों की एक-दूसरे के यहां जाने के महत्व पर गौर किया। दोनों नेताओं ने मुक्‍त व्यापार समझौते वार्ता के संदर्भ में दोनों देशों के बीच पेशेवरों और कुशल श्रमिकों के एक-दूसरे के यहां आने-जाने को सुगम बनाने की व्यवस्था पर बातचीत आरंभ करने पर भी सहमति व्यक्त की। उन्‍होंने अनियमित प्रवास के मुद्दे पर भी बातचीत की।

प्रधामंत्रियों ने दोनों देशों के शिक्षा मंत्रालयों के बीच शिक्षा सहयोग समझौते का भी स्वागत किया। यह समझौता भारत और न्यूजीलैंड की संबंधित शिक्षा प्रणालियों पर सूचनाओं के निरंतर आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेगा। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत और न्यूजीलैंड के बीच क्रिकेट, हॉकी और अन्य ओलंपिक खेलों में घनिष्ठता का भी उल्‍लेख किया। उन्होंने खेल में अधिक जुड़ाव और सहयोग बढ़ाने के लिए सहयोग ज्ञापन हस्ताक्षर का स्वागत किया। उन्होंने भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेल संपर्क के 100 वर्षों के उपलक्ष्‍य में 2026 में आयोजित होने वाले "खेल एकता" कार्यक्रमों का भी स्वागत किया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत और न्यूजीलैंड में सुदृढ़ पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के महत्व को स्वीकार करते हुए सहयोग के संभावित क्षेत्रों का पता लगाने के लिए दोनों पक्षों के विज्ञान और अनुसंधान विशेषज्ञों सहित विशेषज्ञों के बीच चर्चा की बात कही। इसमें सूचना और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और विशेषज्ञों का दौरा शामिल है।

 दोनों प्रधानमंत्रियों ने योग तथा भारतीय संगीत और नृत्य में न्यूजीलैंड के लोगों की बढ़ती रुचि के साथ ही भारतीय त्योहारों को उन्‍मुक्‍त रूप से वहां मनाए जाने की चर्चा की। उन्होंने संगीत, नृत्य, रंगमंच, फिल्मों और त्योहारों द्वारा द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक प्रगाढ बनाने की बात कही।

क्षेत्रीय और बहुपक्षीय संगठनों में सहयोग:

भारत और न्‍यूजीलैंड के प्रधानमंत्रियों ने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए खुले, समावेशी, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत का समर्थन की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

दोनों नेताओं ने आसियान के नेतृत्व वाले पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस और आसियान क्षेत्रीय मंच सहित विभिन्न क्षेत्रीय मंचों में भारत और न्यूजीलैंड के बीच सहयोग का उल्लेख किया। दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि को व्‍यापक बनाने के लिए इन क्षेत्रीय संगठनों और आसियान की केंद्रीयता के महत्व की पुष्टि की। उन्‍होंने इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए सभी पक्षों के प्रयासों के महत्व पर जोर दिया।

दोनों नेताओं ने वैश्विक चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण संगठन के रूप में समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने वाले संयुक्त राष्ट्र पर केंद्रित प्रभावी बहुपक्षीय प्रणाली के महत्व पर बल दिया। उन्‍होंने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए सदस्यता विस्तार द्वारा सुरक्षा परिषद को अधिक प्रतिनिधित्‍वपूर्ण विश्वसनीय और प्रभावी बनाने की आवश्‍यकता बताई। न्यूजीलैंड ने सुधारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का प्रबल समर्थन किया। दोनों देश बहुपक्षीय संगठनों में एक-दूसरे की उम्मीदवारी को परस्‍पर समर्थन देने की संभावना पर सहमत हुए।

दोनों नेताओं ने वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार व्यवस्था कायम रखने पर जोर दिया। उन्‍होंने भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों और परमाणु अप्रसार साख को स्‍वीकारते हुए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के शामिल होने के महत्व को स्वीकार किया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने पश्चिम एशिया (मध्य पूर्व) में शांति और स्थिरता के प्रति अपना दृढ़ समर्थन दोहराया। उन्‍होंने हमास द्वारा बंधकों की रिहाई और जनवरी 2025 के युद्ध विराम समझौते का स्वागत किया। उन्होंने स्थायी शांति के लिए निरंतर वार्ता का आह्वान दोहराते हुए सभी बंधकों की रिहाई और गाजा में तेजी से, सुरक्षित और निर्बाध मानवीय सहायता की बात कही। दोनों नेताओं ने बातचीत के जरिए दो-देश समाधान के महत्व पर जोर दिया, जिससे फिलिस्तीन में संप्रभु, व्यवहार्य और स्वतंत्र देश स्थापित हो सके और शांति और सुरक्षा के साथ वह इजरायल के साथ पारस्परिक सहअस्तित्‍व में रह सके।

दोनों नेताओं ने यूक्रेन में युद्ध समाप्‍त किए जाने की संभावना पर विचार-विमर्श किया और अंतरराष्ट्रीय अधिनियमों, संयुक्त राष्ट्र चार्टर सिद्धांतों तथा क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता और परस्‍पर सम्मान के आधार पर न्यायपूर्ण और स्थायी शांति के प्रति समर्थन व्यक्त किया।

दोनों नेताओं ने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद तथा सीमा पार से आतंकवादियों के छद्म उपयोग की निंदा की। उन्‍होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों के खिलाफ तुरंत, निरंतर और ठोस कार्रवाई के लिए सभी देशों के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों को ध्‍वस्‍त करने, ऑनलाइन सहित आतंकी ढांचे को नष्ट करने और आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में शीघ्र लाने का आह्वान किया। उन्‍होंने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय तंत्रों द्वारा आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने में सहयोग पर आपसी सहमति व्यक्त की।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने आपसी द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए पारस्परिक लाभ के साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में द्विपक्षीय साझेदारी और सुदृढ़ बनाने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की। उन्होंने द्विपक्षीय जुड़ाव और गहरा बनाने की संभावनाओं का पता लगाने तथा हरित और कृषि प्रौद्योगिकी क्षेत्रों सहित सहयोग के नवीन क्षेत्रों का पता लगाने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री लक्सन ने प्रधानमंत्री मोदी, भारत सरकार तथा भारत के लोगों को उन्हें तथा उनके प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के आतिथ्‍य सत्‍कार के लिए धन्यवाद दिया। उन्‍होंने प्रधानमंत्री मोदी को न्यूजीलैंड की यात्रा पर आने का न्‍यौता दिया।

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Today, the world sees the Indian Growth Model as a model of hope: PM Modi
November 17, 2025
India is eager to become developed, India is eager to become self-reliant: PM
India is not just an emerging market, India is also an emerging model: PM
Today, the world sees the Indian Growth Model as a model of hope: PM
We are continuously working on the mission of saturation; Not a single beneficiary should be left out from the benefits of any scheme: PM
In our new National Education Policy, we have given special emphasis to education in local languages: PM

विवेक गोयनका जी, भाई अनंत, जॉर्ज वर्गीज़ जी, राजकमल झा, इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के सभी अन्य साथी, Excellencies, यहां उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

आज हम सब एक ऐसी विभूति के सम्मान में यहां आए हैं, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र में, पत्रकारिता, अभिव्यक्ति और जन आंदोलन की शक्ति को नई ऊंचाई दी है। रामनाथ जी ने एक Visionary के रूप में, एक Institution Builder के रूप में, एक Nationalist के रूप में और एक Media Leader के रूप में, Indian Express Group को, सिर्फ एक अखबार नहीं, बल्कि एक Mission के रूप में, भारत के लोगों के बीच स्थापित किया। उनके नेतृत्व में ये समूह, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय हितों की आवाज़ बना। इसलिए 21वीं सदी के इस कालखंड में जब भारत विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो रामनाथ जी की प्रतिबद्धता, उनके प्रयास, उनका विजन, हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा है। मैं इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप का आभार व्यक्त करता हूं कि आपने मुझे इस व्याख्यान में आमंत्रित किया, मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

रामनाथ जी गीता के एक श्लोक से बहुत प्रेरणा लेते थे, सुख दुःखे समे कृत्वा, लाभा-लाभौ जया-जयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व, नैवं पापं अवाप्स्यसि।। अर्थात सुख-दुख, लाभ-हानि और जय-पराजय को समान भाव से देखकर कर्तव्य-पालन के लिए युद्ध करो, ऐसा करने से तुम पाप के भागी नहीं बनोगे। रामनाथ जी आजादी के आंदोलन के समय कांग्रेस के समर्थक रहे, बाद में जनता पार्टी के भी समर्थक रहे, फिर जनसंघ के टिकट पर चुनाव भी लड़ा, विचारधारा कोई भी हो, उन्होंने देशहित को प्राथमिकता दी। जिन लोगों ने रामनाथ जी के साथ वर्षों तक काम किया है, वो कितने ही किस्से बताते हैं जो रामनाथ जी ने उन्हें बताए थे। आजादी के बाद जब हैदराबाद और रजाकारों को उसके अत्याचार का विषय आया, तो कैसे रामनाथ जी ने सरदार वल्‍लभभाई पटेल की मदद की, सत्तर के दशक में जब बिहार में छात्र आंदोलन को नेतृत्व की जरूरत थी, तो कैसे नानाजी देशमुख के साथ मिलकर रामनाथ जी ने जेपी को उस आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए तैयार किया। इमरजेंसी के दौरान, जब रामनाथ जी को इंदिऱा गांधी के सबसे करीबी मंत्री ने बुलाकर धमकी दी कि मैं तुम्हें जेल में डाल दूंगा, तो इस धमकी के जवाब में रामनाथ जी ने पलटकर जो कहा था, ये सब इतिहास के छिपे हुए दस्तावेज हैं। कुछ बातें सार्वजनिक हुई, कुछ नहीं हुई हैं, लेकिन ये बातें बताती हैं कि रामनाथ जी ने हमेशा सत्य का साथ दिया, हमेशा कर्तव्य को सर्वोपरि रखा, भले ही सामने कितनी ही बड़ी ताकत क्‍यों न हो।

साथियों,

रामनाथ जी के बारे में कहा जाता था कि वे बहुत अधीर थे। अधीरता, Negative Sense में नहीं, Positive Sense में। वो अधीरता जो परिवर्तन के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कराती है, वो अधीरता जो ठहरे हुए पानी में भी हलचल पैदा कर देती है। ठीक वैसे ही, आज का भारत भी अधीर है। भारत विकसित होने के लिए अधीर है, भारत आत्मनिर्भर होने के लिए अधीर है, हम सब देख रहे हैं, इक्कीसवीं सदी के पच्चीस साल कितनी तेजी से बीते हैं। एक से बढ़कर एक चुनौतियां आईं, लेकिन वो भारत की रफ्तार को रोक नहीं पाईं।

साथियों,

आपने देखा है कि बीते चार-पांच साल कैसे पूरी दुनिया के लिए चुनौतियों से भरे रहे हैं। 2020 में कोरोना महामारी का संकट आया, पूरे विश्व की अर्थव्यवस्थाएं अनिश्चितताओं से घिर गईं। ग्लोबल सप्लाई चेन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा और सारा विश्व एक निराशा की ओर जाने लगा। कुछ समय बाद स्थितियां संभलना धीरे-धीरे शुरू हो रहा था, तो ऐसे में हमारे पड़ोसी देशों में उथल-पुथल शुरू हो गईं। इन सारे संकटों के बीच, हमारी इकॉनमी ने हाई ग्रोथ रेट हासिल करके दिखाया। साल 2022 में यूरोपियन क्राइसिस के कारण पूरे दुनिया की सप्लाई चेन और एनर्जी मार्केट्स प्रभावित हुआ। इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा, इसके बावजूद भी 2022-23 में हमारी इकोनॉमी की ग्रोथ तेजी से होती रही। साल 2023 में वेस्ट एशिया में स्थितियां बिगड़ीं, तब भी हमारी ग्रोथ रेट तेज रही और इस साल भी जब दुनिया में अस्थिरता है, तब भी हमारी ग्रोथ रेट Seven Percent के आसपास है।

साथियों,

आज जब दुनिया disruption से डर रही है, भारत वाइब्रेंट फ्यूचर के Direction में आगे बढ़ रहा है। आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं कह सकता हूं, भारत सिर्फ़ एक emerging market ही नहीं है, भारत एक emerging model भी है। आज दुनिया Indian Growth Model को Model of Hope मान रहा है।

साथियों,

एक सशक्त लोकतंत्र की अनेक कसौटियां होती हैं और ऐसी ही एक बड़ी कसौटी लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी की होती है। लोकतंत्र को लेकर लोग कितने आश्वस्त हैं, लोग कितने आशावादी हैं, ये चुनाव के दौरान सबसे अधिक दिखता है। अभी 14 नवंबर को जो नतीजे आए, वो आपको याद ही होंगे और रामनाथ जी का भी बिहार से नाता रहा था, तो उल्लेख बड़ा स्वाभाविक है। इन ऐतिहासिक नतीजों के साथ एक और बात बहुत अहम रही है। कोई भी लोकतंत्र में लोगों की बढ़ती भागीदारी को नजरअंदाज नहीं कर सकता। इस बार बिहार के इतिहास का सबसे अधिक वोटर टर्न-आउट रहा है। आप सोचिए, महिलाओं का टर्न-आउट, पुरुषों से करीब 9 परसेंट अधिक रहा। ये भी लोकतंत्र की विजय है।

साथियों,

बिहार के नतीजों ने फिर दिखाया है कि भारत के लोगों की आकांक्षाएं, उनकी Aspirations कितनी ज्यादा हैं। भारत के लोग आज उन राजनीतिक दलों पर विश्वास करते हैं, जो नेक नीयत से लोगों की उन Aspirations को पूरा करते हैं, विकास को प्राथमिकता देते हैं। और आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं देश की हर राज्य सरकार को, हर दल की राज्य सरकार को बहुत विनम्रता से कहूंगा, लेफ्ट-राइट-सेंटर, हर विचार की सरकार को मैं आग्रह से कहूंगा, बिहार के नतीजे हमें ये सबक देते हैं कि आप आज किस तरह की सरकार चला रहे हैं। ये आने वाले वर्षों में आपके राजनीतिक दल का भविष्य तय करेंगे। आरजेडी की सरकार को बिहार के लोगों ने 15 साल का मौका दिया, लालू यादव जी चाहते तो बिहार के विकास के लिए बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन उन्होंने जंगलराज का रास्ता चुना। बिहार के लोग इस विश्वासघात को कभी भूल नहीं सकते। इसलिए आज देश में जो भी सरकारें हैं, चाहे केंद्र में हमारी सरकार है या फिर राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें हैं, हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता सिर्फ एक होनी चाहिए विकास, विकास और सिर्फ विकास। और इसलिए मैं हर राज्य सरकार को कहता हूं, आप अपने यहां बेहतर इंवेस्टमेंट का माहौल बनाने के लिए कंपटीशन करिए, आप Ease of Doing Business के लिए कंपटीशन करिए, डेवलपमेंट पैरामीटर्स में आगे जाने के लिए कंपटीशन करिए, फिर देखिए, जनता कैसे आप पर अपना विश्वास जताती है।

साथियों,

बिहार चुनाव जीतने के बाद कुछ लोगों ने मीडिया के कुछ मोदी प्रेमियों ने फिर से ये कहना शुरू किया है भाजपा, मोदी, हमेशा 24x7 इलेक्शन मोड में ही रहते हैं। मैं समझता हूं, चुनाव जीतने के लिए इलेक्शन मोड नहीं, चौबीसों घंटे इलेक्शन मोड में रहना जरूरी होता है, इमोशनल मोड में रहना जरूरी होता है, इलेक्शन मोड में नहीं। जब मन के भीतर एक बेचैनी सी रहती है कि एक मिनट भी गंवाना नहीं है, गरीब के जीवन से मुश्किलें कम करने के लिए, गरीब को रोजगार के लिए, गरीब को इलाज के लिए, मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, बस मेहनत करते रहना है। इस इमोशन के साथ, इस भावना के साथ सरकार लगातार जुटी रहती है, तो उसके नतीजे हमें चुनाव परिणाम के दिन दिखाई देते हैं। बिहार में भी हमने अभी यही होते देखा है।

साथियों,

रामनाथ जी से जुड़े एक और किस्से का मुझसे किसी ने जिक्र किया था, ये बात तब की है, जब रामनाथ जी को विदिशा से जनसंघ का टिकट मिला था। उस समय नानाजी देशमुख जी से उनकी इस बात पर चर्चा हो रही थी कि संगठन महत्वपूर्ण होता है या चेहरा। तो नानाजी देशमुख ने रामनाथ जी से कहा था कि आप सिर्फ नामांकन करने आएंगे और फिर चुनाव जीतने के बाद अपना सर्टिफिकेट लेने आ जाइएगा। फिर नानाजी ने पार्टी कार्यकर्ताओं के बल पर रामनाथ जी का चुनाव लड़ा औऱ उन्हें जिताकर दिखाया। वैसे ये किस्सा बताने के पीछे मेरा ये मतलब नहीं है कि उम्मीदवार सिर्फ नामांकन करने जाएं, मेरा मकसद है, भाजपा के अनगिनत कर्तव्य़ निष्ठ कार्यकर्ताओं के समर्पण की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना।

साथियों,

भारतीय जनता पार्टी के लाखों-करोड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने पसीने से भाजपा की जड़ों को सींचा है और आज भी सींच रहे हैं। और इतना ही नहीं, केरला, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, ऐसे कुछ राज्यों में हमारे सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने खून से भी भाजपा की जड़ों को सींचा है। जिस पार्टी के पास ऐसे समर्पित कार्यकर्ता हों, उनके लिए सिर्फ चुनाव जीतना ध्येय नहीं होता, बल्कि वो जनता का दिल जीतने के लिए, सेवा भाव से उनके लिए निरंतर काम करते हैं।

साथियों,

देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचे। दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित, सभी तक जब सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचता है, तो सामाजिक न्याय सुनिश्चित होता है। लेकिन हमने देखा कि बीते दशकों में कैसे सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ दलों, कुछ परिवारों ने अपना ही स्वार्थ सिद्ध किया है।

साथियों,

मुझे संतोष है कि आज देश, सामाजिक न्याय को सच्चाई में बदलते देख रहा है। सच्चा सामाजिक न्याय क्या होता है, ये मैं आपको बताना चाहता हूं। 12 करोड़ शौचालयों के निर्माण का अभियान, उन गरीब लोगों के जीवन में गरिमा लेकर के आया, जो खुले में शौच के लिए मजबूर थे। 57 करोड़ जनधन बैंक खातों ने उन लोगों का फाइनेंशियल इंक्लूजन किया, जिनको पहले की सरकारों ने एक बैंक खाते के लायक तक नहीं समझा था। 4 करोड़ गरीबों को पक्के घरों ने गरीब को नए सपने देखने का साहस दिया, उनकी रिस्क टेकिंग कैपेसिटी बढ़ाई है।

साथियों,

बीते 11 वर्षों में सोशल सिक्योरिटी पर जो काम हुआ है, वो अद्भुत है। आज भारत के करीब 94 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी नेट के दायरे में आ चुके हैं। और आप जानते हैं 10 साल पहले क्या स्थिति थी? सिर्फ 25 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी के दायरे में थे, आज 94 करोड़ हैं, यानि सिर्फ 25 करोड़ लोगों तक सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ पहुंच रहा था। अब ये संख्या बढ़कर 94 करोड़ पहुंच चुकी है और यही तो सच्चा सामाजिक न्याय है। और हमने सोशल सिक्योरिटी नेट का दायरा ही नहीं बढ़ाया, हम लगातार सैचुरेशन के मिशन पर काम कर रहे हैं। यानि किसी भी योजना के लाभ से एक भी लाभार्थी छूटे नहीं। और जब कोई सरकार इस लक्ष्य के साथ काम करती है, हर लाभार्थी तक पहुंचना चाहती है, तो किसी भी तरह के भेदभाव की गुंजाइश भी खत्म हो जाती है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से पिछले 11 साल में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त करके दिखाया है। और तभी आज दुनिया भी ये मान रही है- डेमोक्रेसी डिलिवर्स।

साथियों,

मैं आपको एक और उदाहरण दूंगा। आप हमारे एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम का अध्ययन करिए, देश के सौ से अधिक जिले ऐसे थे, जिन्हें पहले की सरकारें पिछड़ा घोषित करके भूल गई थीं। सोचा जाता था कि यहां विकास करना बड़ा मुश्किल है, अब कौन सर खपाए ऐसे जिलों में। जब किसी अफसर को पनिशमेंट पोस्टिंग देनी होती थी, तो उसे इन पिछड़े जिलों में भेज दिया जाता था कि जाओ, वहीं रहो। आप जानते हैं, इन पिछड़े जिलों में देश की कितनी आबादी रहती थी? देश के 25 करोड़ से ज्यादा नागरिक इन पिछड़े जिलों में रहते थे।

साथियों,

अगर ये पिछड़े जिले पिछड़े ही रहते, तो भारत अगले 100 साल में भी विकसित नहीं हो पाता। इसलिए हमारी सरकार ने एक नई रणनीति के साथ काम करना शुरू किया। हमने राज्य सरकारों को ऑन-बोर्ड लिया, कौन सा जिला किस डेवलपमेंट पैरामीटर में कितनी पीछे है, उसकी स्टडी करके हर जिले के लिए एक अलग रणनीति बनाई, देश के बेहतरीन अफसरों को, ब्राइट और इनोवेटिव यंग माइंड्स को वहां नियुक्त किया, इन जिलों को पिछड़ा नहीं, Aspirational माना और आज देखिए, देश के ये Aspirational Districts, कितने ही डेवलपमेंट पैरामीटर्स में अपने ही राज्यों के दूसरे जिलों से बहुत अच्छा करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ का बस्तर, वो आप लोगों का तो बड़ा फेवरेट रहा है। एक समय आप पत्रकारों को वहां जाना होता था, तो प्रशासन से ज्यादा दूसरे संगठनों से परमिट लेनी होती थी, लेकिन आज वही बस्तर विकास के रास्ते पर बढ़ रहा है। मुझे नहीं पता कि इंडियन एक्सप्रेस ने बस्तर ओलंपिक को कितनी कवरेज दी, लेकिन आज रामनाथ जी ये देखकर बहुत खुश होते कि कैसे बस्तर में अब वहां के युवा बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन कर रहे हैं।

साथियों,

जब बस्तर की बात आई है, तो मैं इस मंच से नक्सलवाद यानि माओवादी आतंक की भी चर्चा करूंगा। पूरे देश में नक्सलवाद-माओवादी आतंक का दायरा बहुत तेजी से सिमट रहा है, लेकिन कांग्रेस में ये उतना ही सक्रिय होता जा रहा था। आप भी जानते हैं, बीते पांच दशकों तक देश का करीब-करीब हर बड़ा राज्य, माओवादी आतंक की चपेट में, चपेट में रहा। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य था कि कांग्रेस भारत के संविधान को नकारने वाले माओवादी आतंक को पालती-पोसती रही और सिर्फ दूर-दराज के क्षेत्रों में जंगलों में ही नहीं, कांग्रेस ने शहरों में भी नक्सलवाद की जड़ों को खाद-पानी दिया। कांग्रेस ने बड़ी-बड़ी संस्थाओं में अर्बन नक्सलियों को स्थापित किया है।

साथियों,

10-15 साल पहले कांग्रेस में जो अर्बन नक्सली, माओवादी पैर जमा चुके थे, वो अब कांग्रेस को मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, MMC बना चुके हैं। और मैं आज पूरी जिम्मेदारी से कहूंगा कि ये मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, अपने स्वार्थ में देशहित को तिलांजलि दे चुकी है। आज की मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, देश की एकता के सामने बहुत बड़ा खतरा बनती जा रही है।

साथियों,

आज जब भारत, विकसित बनने की एक नई यात्रा पर निकल पड़ा है, तब रामनाथ गोयनका जी की विरासत और भी प्रासंगिक है। रामनाथ जी ने अंग्रेजों की गुलामी से डटकर टक्कर ली, उन्होंने अपने एक संपादकीय में लिखा था, मैं अंग्रेज़ों के आदेश पर अमल करने के बजाय, अखबार बंद करना पसंद करुंगा। इसी तरह जब इमरजेंसी के रूप में देश को गुलाम बनाने की एक और कोशिश हुई, तब भी रामनाथ जी डटकर खड़े हो गए थे और ये वर्ष तो इमरजेंसी के पचास वर्ष पूरे होने का भी है। और इंडियन एक्सप्रेस ने 50 वर्ष पहले दिखाया है, कि ब्लैंक एडिटोरियल्स भी जनता को गुलाम बनाने वाली मानसिकता को चुनौती दे सकते हैं।

साथियों,

आज आपके इस सम्मानित मंच से, मैं गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के इस विषय पर भी विस्तार से अपनी बात रखूंगा। लेकिन इसके लिए हमें 190 वर्ष पीछे जाना पड़ेगा। 1857 के सबसे स्वतंत्रता संग्राम से भी पहले, वो साल था 1835, 1835 में ब्रिटिश सांसद थॉमस बेबिंगटन मैकाले ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान शुरू किया था। उसने ऐलान किया था, मैं ऐसे भारतीय बनाऊंगा कि वो दिखने में तो भारतीय होंगे लेकिन मन से अंग्रेज होंगे। और इसके लिए मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन नहीं, बल्कि उसका समूल नाश कर दिया। खुद गांधी जी ने भी कहा था कि भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था एक सुंदर वृक्ष थी, जिसे जड़ से हटा कर नष्ट कर दिया।

साथियों,

भारत की शिक्षा व्यवस्था में हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना सिखाया जाता था, भारत की शिक्षा व्यवस्था में पढ़ाई के साथ ही कौशल पर भी उतना ही जोर था, इसलिए मैकाले ने भारत की शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़ने की ठानी और उसमें सफल भी रहा। मैकाले ने ये सुनिश्चित किया कि उस दौर में ब्रिटिश भाषा, ब्रिटिश सोच को ज्यादा मान्यता मिले और इसका खामियाजा भारत ने आने वाली सदियों में उठाया।

साथियों,

मैकाले ने हमारे आत्मविश्वास को तोड़ दिया दिया, हमारे भीतर हीन भावना का संचार किया। मैकाले ने एक झटके में हजारों वर्षों के हमारे ज्ञान-विज्ञान को, हमारी कला-संस्कृति को, हमारी पूरी जीवन शैली को ही कूड़ेदान में फेंक दिया था। वहीं पर वो बीज पड़े कि भारतीयों को अगर आगे बढ़ना है, अगर कुछ बड़ा करना है, तो वो विदेशी तौर तरीकों से ही करना होगा। और ये जो भाव था, वो आजादी मिलने के बाद भी और पुख्ता हुआ। हमारी एजुकेशन, हमारी इकोनॉमी, हमारे समाज की एस्पिरेशंस, सब कुछ विदेशों के साथ जुड़ गईं। जो अपना है, उस पर गौरव करने का भाव कम होता गया। गांधी जी ने जिस स्वदेशी को आज़ादी का आधार बनाया था, उसको पूछने वाला ही कोई नहीं रहा। हम गवर्नेंस के मॉडल विदेश में खोजने लगे। हम इनोवेशन के लिए विदेश की तरफ देखने लगे। यही मानसिकता रही, जिसकी वजह से इंपोर्टेड आइडिया, इंपोर्टेड सामान और सर्विस, सभी को श्रेष्ठ मानने की प्रवृत्ति समाज में स्थापित हो गई।

साथियों,

जब आप अपने देश को सम्मान नहीं देते हैं, तो आप स्वदेशी इकोसिस्टम को नकारते हैं, मेड इन इंडिया मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को नकारते हैं। मैं आपको एक और उदाहरण, टूरिज्म की बात करता हूं। आप देखेंगे कि जिस भी देश में टूरिज्म फला-फूला, वो देश, वहां के लोग, अपनी ऐतिहासिक विरासत पर गर्व करते हैं। हमारे यहां इसका उल्टा ही हुआ। भारत में आज़ादी के बाद, अपनी विरासत को दुत्कारने के ही प्रयास हुए, जब अपनी विरासत पर गर्व नहीं होगा तो उसका संरक्षण भी नहीं होगा। जब संरक्षण नहीं होगा, तो हम उसको ईंट-पत्थर के खंडहरों की तरह ही ट्रीट करते रहेंगे और ऐसा हुआ भी। अपनी विरासत पर गर्व होना, टूरिज्म के विकास के लिए भी आवश्यक शर्त है।

साथियों,

ऐसे ही स्थानीय भाषाओं की बात है। किस देश में ऐसा होता है कि वहां की भाषाओं को दुत्कारा जाता है? जापान, चीन और कोरिया जैसे देश, जिन्होंने west के अनेक तौर-तरीके अपनाए, लेकिन भाषा, फिर भी अपनी ही रखी, अपनी भाषा पर कंप्रोमाइज नहीं किया। इसलिए, हमने नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई पर विशेष बल दिया है और मैं बहुत स्पष्टता से कहूंगा, हमारा विरोध अंग्रेज़ी भाषा से नहीं है, हम भारतीय भाषाओं के समर्थन में हैं।

साथियों,

मैकाले द्वारा किए गए उस अपराध को 1835 में जो अपराध किया गया 2035, 10 साल के बाद 200 साल हो जाएंगे और इसलिए आज आपके माध्यम से पूरे देश से एक आह्वान करना चाहता हूं, अगले 10 साल में हमें संकल्प लेकर चलना है कि मैकाले ने भारत को जिस गुलामी की मानसिकता से भर दिया है, उस सोच से मुक्ति पाकर के रहेंगे, 10 साल हमारे पास बड़े महत्वपूर्ण हैं। मुझे याद है एक छोटी घटना, गुजरात में लेप्रोसी को लेकर के एक अस्पताल बन रहा था, तो वो सारे लोग महात्‍मा गांधी जी से मिले उसके उद्घाटन के लिए, तो महात्मा जी ने कहा कि मैं लेप्रोसी के अस्पताल के उद्घाटन के पक्ष में नहीं हूं, मैं नहीं आऊंगा, लेकिन ताला लगाना है, उस दिन मुझे बुलाना, मैं ताला लगाने आऊंगा। गांधी जी के रहते हुए उस अस्पताल को तो ताला नहीं लगा था, लेकिन गुजरात जब लेप्रोसी से मुक्त हुआ और मुझे उस अस्पताल को ताला लगाने का मौका मिला, जब मैं मुख्यमंत्री बना। 1835 से शुरू हुई यात्रा 2035 तक हमें खत्म करके रहना है जी, गांधी जी का जैसे सपना था कि मैं ताला लगाऊंगा, मेरा भी यह सपना है कि हम ताला लगाएंगे।

साथियों,

आपसे बहुत सारे विषयों पर चर्चा हो गई है। अब आपका मैं ज्यादा समय लेना नहीं चाहता हूं। Indian Express ग्रुप देश के हर परिवर्तन का, देश की हर ग्रोथ स्टोरी का साक्षी रहा है और आज जब भारत विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर चल रहा है, तो भी इस यात्रा के सहभागी बन रहे हैं। मैं आपको बधाई दूंगा कि रामनाथ जी के विचारों को, आप सभी पूरी निष्ठा से संरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं। एक बार फिर, आज के इस अद्भुत आयोजन के लिए आप सभी को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं। और, रामनाथ गोयनका जी को आदरपूर्वक मैं नमन करते हुए मेरी बात को विराम देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!