भारत माता की जय..!

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय राजनाथ सिंह जी, पूरे छत्तीसगढ़ की छाती को सारी दुनिया के अंदर एक ताकतवर छाती के रूप में बनाने वाले मितभाषी मेरे मित्र मुख्यमंत्री डॉ. रमण सिंह जी, छत्तीसगढ़ भाजपा के अध्यक्ष श्रीमान् रामसेवक पैकरा जी, विधानसभा के अध्यक्ष आदरणीय श्री धरम लाल जी, भारतीय जनता पार्टी के महासचिव और राज्यसभा के सदस्य श्री जगत प्रकाश नड्डा जी, मंच पर विराजमान छत्तीसगढ़ सरकार के भिन्न-भिन्न आदरणीय मंत्रीगण, सांसद गण, विधायक गण और विशाल संख्या में पधारे हुए प्यारे भाइयों और बहनों..!

मैं सरगुजा कई बार आया हूँ, अंबिकापुर में भी छोटी मीटिंगों से लेकर के बड़ी जनसभाएं करने का भी मुझे अवसर मिला है, लेकिन आज मुझे स्वीकार करना होगा कि मैंने सरगुजा की धरती पर इससे पूर्व ऐसा जनसागर कभी देखा नहीं है, ऐसा विराट दृश्य कभी देखा नहीं है और इस द्रश्य को देख कर के मुझे लगता है कि कल तक हम कहते थे सरगुजा, अब कहेंगे ‘सर ऊंचा’, सरगुजा ने छत्तीसगढ़ का सिर ऊंचा कर दिया है..! मैं सरगुजा के सभी भाइयों-बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ..!

हमारे शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जब कोई व्यक्ति यात्रा करके आता है और आप उस यात्री को अगर नमन करते हो तो उसका आधा पुण्य आपको मिलता है। ये मेरा सौभाग्य है कि छह हजार किलोमीटर की लंबी यात्रा करके, समाज व्यवस्था के चरण स्पर्श करके, आज सरगुजा पहुंचे हुए एक यात्री डॉ. रमण सिंह जी को नमन करने का मुझे सौभाग्य मिला है। इस यात्रा का पुण्य ले जाने के लिए मैं नहीं आया हूँ, मैं इस यात्रा के पुण्य को इस छत्तीसगढ़ की धरती को नमन करके समर्पित करता हूँ..!

मित्रों, जब-जब छत्तीसगढ़ के बारे में सोचता हूँ तो मुझे अटल बिहारी बाजपेयी जी के उस महान निर्णय पर नमन करने का मन करता है। मैंने संयुक्त मध्यप्रदेश में भी काम किया है और जब अलग छत्तीसगढ़ बना, तो उन दिनों में भी मैं आपके बीच में संगठन का काम करता था। भारतीय जनता पार्टी की कार्य संस्कृति क्या है, निर्णय प्रक्रिया क्या है, साशन चलाने के तौर तरीके क्या है, इसका उत्तम उदाहरण देखना है तो छत्तीसगढ़ की रचना, उत्तराखंड की रचना, झारखंड की रचना देखिए और उधर कांग्रेस ने तेलंगाना बना कर के जो पूरे आंध्र में आग लगा दी है..! किस तरीके से बनाया..! जब छत्तीसगढ़ बना तो मध्यप्रदेश भी मीठाई बांट रहा था और छत्तीसगढ़ भी मीठाई बांट रहा था, जब उत्तराखंड बना तो उत्तर प्रदेश भी मीठाई बांट रहा था और उत्तराखंड भी मीठाई बांट रहा था, जब झारखंड बना तो बिहार भी मीठाई बांट रहा था और झारखंड भी मीठाई बांट रहा था... लेकिन जब तेलंगाना बना तो कर्फ्यू लगाने पड़े..! ये कांग्रेसी कार्यशैली का नमूना है..!

सबको विश्वास में ले करके, उनके हर सवाल का समाधान करते हूए, निर्णयों की प्रक्रिया को विकसित की जा सकती है, लेकिन वो संस्कार अहंकार से भरी हुई कांग्रेस के पास से अपेक्षा करने जैसे नहीं है। कांग्रेस का अहंकार सातवें आसमान पर चढ़ा हुआ है। और इस देश के नागरिकों को नागरिक मानने के लिए तैयार नहीं है। जैसे सामान्य मानवी को एक वोट बैंक की तरह हमेशा ही उसके साथ व्यवहार करते हुए आए हैं। और उसका परिणाम ये है कि आज वो जहाँ भी हाथ लगाते हैं सोना मिट्टी हो जाता है, समस्याएं विकराल हो जाती हैं, संकट गहरे हो जाते हैं और जनता की पीड़ा अपरंपार बढ़ जाती है, ये कांग्रेस की परंपरा रही है और दिल्ली सरकार ने क्या किया..?

Vikas Yatra, Chhattisgarh

भाइयो-बहनों, छत्तीसगढ़ के कार्यकाल के प्रारंभ से मैं यहाँ से जुड़ा हूँ और जब डॉ. रमण सिंह जी यहाँ मुख्यमंत्री बने तब उनके सामने दो रास्ते थे। एक तो दिन रात रोते रहना कि हम मध्य प्रदेश से निकले हैं, यहाँ पर तो सब आदिवासियों की जनसंख्या है, यहाँ पर बिजली नहीं है, पानी नहीं है, सड़के नहीं हैं, क्या करेंगे... दिल्ली कुछ दे दे, दिल्ली कुछ दे दे, दिल्ली कुछ दे दे..! एक तो ये रास्ता हो सकता था..! और दूसरा रास्ता ये हो सकता था कि छत्तीसगढ़ जैसा हो वैसा, लेकिन हम पूरी कोशिश करेंगे, छत्तीसगढ़ के सामर्थ्य को जुटाएंगे, छत्तीसगढ़ के नौजवानों को जोड़ेंगे, छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के साथ विकास की नई राह को चुन लेंगे..!

और रमण सिंह जी ने दिल्ली के दरबार में समय बिताने का रास्ता नहीं चुना, मैं उनका अभिनंदन करता हूँ, उन्होंने तय किया कि दिल्ली कुछ करे या ना करे, दिल्ली साथ दे या ना दे, दिल्ली रुकावट डालती रहे, लेकिन छत्तीसगढ़ की जनता के भरोसे, छत्तीसगढ़ के संसाधनों के भरोसे हिन्दुस्तान में एक शानदार राज्य प्राप्त करके दिखाउंगा, ये रास्ता उन्होंने चुना..! ये रास्ता कठिन था, दिल्ली जा कर के मांगने का रास्ता सरल होता। और आए दिन कई मुख्यमंत्रियों की आदत होती है, वे राज्य का भला नहीं कर सकते, दिल्ली में जाकर के रोते बैठते हैं..! रमण सिंह जी ने रोते हुए बैठना पंसद नहीं किया और वे दिल्ली के साथ लड़ते भी रहे, झूझते भी रहे, लेकिन कभी झुकते नहीं दिखे, ये रमण सिंह जी की ताकत है और उसके कारण आज छत्तीसगढ़ खड़ा हो गया..!

भाइयों-बहनों, दिल्ली में भी एक सिंह है, और छत्तीसगढ़ में भी एक सिंह है। दिल्ली में डॉ. मनमोहन सिंह को दस साल होने जा रहे हैं और छत्तीसगढ़ में रमण सिंह जी को भी दस साल होने जा रहे हैं। वे भी डोक्टर हैं, ये भी डॉक्टर हैं। ये इंसान के डॉक्टर हैं, वे रूपयों के डॉक्टर हैं। उन्होंने पी.एच.डी. किया हुआ है फाइनेंस में, रमण सिंह जी में छत्तीसगढ़ को एक ऐसे डॉक्टर मिले जिन्होंने अपनी डॉक्टरी के माध्यम से छत्तीसगढ़ के हर इंसान को शानदार और जानदार बना दिया, यहाँ के इंसान को प्राणवान बना दिया..! और दिल्ली के सिंह जो रूपये के डॉक्टर थे, और रूपया आज अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच खड़ा हुआ है..! इन दिनों सोशल मीडिया की ताकत बहुत बड़ी है। फेसबुक, ट्विटर, वॉट्स-ऐप... ना जाने क्या-क्या चल रहा है..! मुझे किसी ने एक मेल भेजा, बड़ा इन्टरेस्टिंग था। उसने महात्मा गांधी की एक तस्वीर भेजी। महात्मा गांधी की उस तस्वीर में महात्मा गांधी सूक्ष्मदर्शक यंत्र को देख रहे हैं। ये तस्वीर हम सब लोगों ने देखी है बचपन में, कई किताबों में भी होती है। लेकिन वो सोशल मीडिया में जो नौजवान होते हैं उनका दिमाग बहुत तेज काम करता है। उसमें लिखा था कि महात्मा गांधी सूक्ष्मदर्शक यंत्र में हिन्दुस्तान का रूपया खोज रहे हैं और खुद की तस्वीर कहाँ गई वो ढूंढ रहे हैं..! मित्रों, क्या हाल करके रखा है..!

मित्रों, राष्ट्र के जीवन में कभी-कभी अच्छे-बुरे दिन आते हैं, कभी संकट भी आता है, लेकिन इस संकट के समय नेतृत्व की कसौटी होती है कि वो जनता जनार्दन को भरोसा कैसे दें, जनता जनार्दन के विश्वास को टूटने ना दें, संकटों से बाहर आने की कोशिशों में जनता का भरोसा हो..! मित्रों, पहली बार हिंदुस्तानने पिछले दस साल में दिल्ली में ऐसी सरकार देखी है जिस सरकार के हर कारनामे अंहकार से भरे हुए हैं। जिस सरकार की हर कार्यशैली, जनता को कोई जवाब नहीं देना, जवाबदेही से मुक्त अपने आप को तीसमार खां मानना, इस प्रकार का उनका कार्यकाल रहा है। देश की सामान्य जनता मंहगाई के कारण मर रही है, गरीब के घर में शाम को चुल्हा नहीं जल रहा है, बच्चे आंसू पी कर के सो रहे हैं, लेकिन दिल्ली में बैठी हुई सरकार गरीबों की परिभाषाएं करने में लगी हुई है। जिस प्लांनिग कमीशन के अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री हैं, वो प्लानिंग कमीशन कहता है कि शहर में व्यक्ति को जीने के लिए 32 रूपया काफी है और गाँव में गरीब को जीने के लिए 27 रूपया काफी है..!

भाइयों-बहनों, आज 32 रूपयों में मुश्किल से चाय भी दो टाइम नहीं मिल सकती है, लेकिन दिल्ली की सरकार की गरीबी के हिसाब ऐसे है कि वे घोषणा करते हैं..! उनके एक मंत्री, उनके एक नेता, उनके स्पोक्स-पर्सन चीख-चीख कर दुनिया को समझा रहे हैं कि अरे, पाँच रूपये में तो जैसा चाहिए वैसा खाना मिल जाता है..! ये बोलने वाले लोगों पर मुझे नाराजी नहीं है, इस प्रकार की बातें करने वाले लोगों पर मुझे गुस्सा नहीं है, मुझे बहुत पीड़ा है कि दिल्ली में ऐसे लोग बैठे हैं जिनको हिन्दुस्तान के गरीब को खाने में कितना खर्च होता है उसका पता तक नहीं है, ऐसे लोग बैठे हैं कि जिनको ये तक मालूम नहीं है कि गरीब कैसे जिदंगी गुजार रहा है..! मेरा आदिवासी, मेरा गरीब, मेरे शोषित, पीड़ित, वंचित भाई-बहन..! जिनको ये भी मालूम नहीं है कि माँ घर में बच्चों को कितनी कठिनाई से दो टाइम खाना खिलाती है, उनको ये तक मालूम नहीं है..! जो आपके दर्द नहीं जानता, जो आपकी पीड़ा नहीं जानता, जो आपके दर्द को नहीं समझ पाए, वो आपके दर्द की दवा कैसे कर सकता है, भाइयों-बहनों..? और इसलिए मैँ कहता हूँ कि दिल्ली का पूरा शासन संवेदनाहीन है, मानवता हीन है, उनसे गरीब की भलाई की अपेक्षा करना मुश्किल काम है..!

मैं तो हैरान हूँ कि कांग्रेस जिनके भरोसे अपनी नैया पार करना चाहती है, जिनको कहीं से सूरज का ताप ना लग जाए, ठंड ना लग जाए, किसी के शब्द बाण ना लग जाएं, इसलिए बड़ा सुरक्षित रखा हुआ है, चारों तरफ से उसको बचाने के लिए भरपूर कोशिश की गई है, लेकिन फिर भी कभी-कभी आवाज बाहर निकल आती है और जब आवाज सुनते हैं तो सिर पटकने का मन करता है..! मित्रों, गरीबी का सबसे बड़ा मजाक किया कांग्रेस के ये आशास्पद नेता, जिनके भरोसे कांग्रेस चलना चाहती है, उन्होंने कहा कि गरीबी तो स्टेट ऑफ माइंड है, ये मन की स्थिति का परिणाम है, गरीबी-बरीबी कुछ होती नहीं है..! मैं हैरान हूँ ये वाक्य सुन कर के..! उनकी नानी, जो गरीबी हटाओ के नारे लगा रही थी, उनको कितनी पीड़ा हुई होगी कि उनकी तीसरी पीढ़ी आते-आते उनको लगने लगा कि गरीबी तो मन की अवस्था है, गरीबी जैसा कुछ होता नहीं है..! भाइयों-बहनों, गरीबों के दु:ख-दर्द पर एसिड छिड़कने का काम किया है। उनके घाव पर मलहम लगाने के बजाय उनके घाव को गहरा करने का प्रयास हुआ है। और इसके ये कहने के बाद भी अभी तक अपने इस वाक्यों के प्रति ना कोई शोक का, ना कोई दर्द का, ना कोई पीड़ा का, इस देश की जनता को कोई अहसास तक नहीं हुआ है, और उसका मूल कारण है कि कांग्रेस पार्टी अहंकार के सातवें आसमान पर चल रही है। और भाइयों-बहनों, जब जनता जनार्दन को, उसके अरमानों को, उसकी आशा-आकांक्षाओं को कुचलने का प्रयास होता है, तब ये जनता जनार्दन लोकतांत्रिक ताकतों से उनके अहंकार को चूर-चूर कर देती है और मुझे विश्वास है कि आने वाले छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस की इस पूरी पंरपरा को छत्तीसगढ़ की जनता हमेशा-हमेशा के लिए उखाड़ फैंकेगी..!

भाइयों-बहनों, विकास की नई ऊचांइयों को पार करना..! मैं यहीं पर 2008 में आया था, जब गरीबों को चावल देने की योजना का प्रारंभ हुआ था। और मैं डॉ. रमण सिंह जी का आभारी हूँ कि चावल की उस योजना का आरंभ करते समय, उस पवित्र कार्य में शरीक होने का मुझे सौभाग्य दिया था। ‘चावल वाले बाबा’ घर-घर में गुंजने लग गए थे, इसलिए नहीं कि किसी अखबार ने तंत्री लेख लिखा था, बल्कि इसलिए क्योंकि उन्होंने गरीबों की भलाई के लिए काम किया था..!

मित्रों, भारत की सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की सरकार को आए दिन कोई ना कोई डंडा मारा है। ये वही सुप्रीम कोर्ट है जिसने डॉ. रमण सिंह जी की गरीबों को अन्न वितरण करने की पूरी व्यवस्था के संबंध में सराहा था और हिन्दुस्तान की सरकार को कहा था कि छत्तीसगढ़ से कुछ सीखो, छत्तीसगढ़ की योजना को लागू करो, ये भारत की सुप्रीम कोर्ट ने कहा था..! भाइयों-बहनों, ये छत्तीसगढ़ के शान की बात है, छत्तीसगढ़ के गौरव की बात है, इतना महान काम डॉ. रमण सिंह जी ने करके दिखाया है और विकास को प्राथमिकता देने वाले व्यक्ति रहे हैं..!

मित्रों, हम भारतीय जनता पार्टी की सरकारों का एक चरित्र है, हम लोगों की एक कार्य संस्कृति है, हमारी कार्यशैली है, कि हम राजनैतिक छुआछूत में विश्वास नहीं करते हैं। हम ‘सर्व समाज को लिए साथ में आगे है बढ़ते जाना’, इस मंत्र को लेकर के काम करने वाले लोग हैं। और इसलिए हिन्दुस्तान में किसी भी दल की सरकार क्यों ना हो, कोई भी राज्य क्यों ना हो, लेकिन वहाँ अगर कोई अच्छी बात हुई हो तो हमारी सरकारें उसका अध्ययन करती है, उसमें जो अच्छाईयाँ हो वो लेती हैं और उसको और अच्छा करने का प्रयास करती है..! हमने जब छत्तीसगढ़ की पी.डी.एस. सिस्टम के संबंध में सुना था, तो मैंने छत्तीसगढ़ के अफसरों को गुजरात बुलाया था और मैंने कहा था कि भाई, आपने इतना अच्छा काम किया है, तो हमें सिखाओ..! और यहाँ के अफसर दो दिन मेरे यहाँ आ करके रहे थे, हमारे सभी अफसरों को सिखाया था और मैंने खुद दो घंटे बैठ कर के इस छत्तीसगढ़ की योजना का अध्ययन किया था और हमने हमारे यहाँ उसको लागू किया था। मित्रों, ये हमारी संस्कृति है, हम हिन्दुस्तान में कहीं पर भी अच्छा हो, तो उसको सीखते हैं, अच्छा करने का प्रयास करते हैं, क्योंकि हमारा सपना है कि भारत माता जगतगुरू के स्थान पर विराजमान हो, हमारा देश गरीबी से मुक्त हो, हमारी माताएं-बहनें सुरक्षा के साथ, सम्मान के साथ गौरवपूर्ण जीवन जीएं..! हमारा सपना है कि हमारे नौजवानों को रोजगार मिले। परमात्मा ने उनको दो भुजाएं दी हैं, मस्तिष्क दिया है, उसको स्किल मिलना चाहिए, हुनर मिलना चाहिए, अवसर मिलना चाहिए, इन बातों पर हमने बल दिया है और उसी का परिणाम है कि आज भारतीय जनता पार्टी की सभी सरकारें वहाँ की जनता की आशा-आकांक्षाओं की पूर्तिै करने की कसौटी पर पार उतरती चली जा रही हैं..!

हर पल नए विकास की बातें आपको सुनाई देती हैं। हमारे शिवराज जी हो मध्य प्रदेश में, हमारे रमण सिंह जी हो छत्तीसगढ़ में, कभी हमें अवसर मिला हिमाचल में, कभी मिला राजस्थान में, कभी आप गोवा में जाकर देखिए, कर्नाटक में जाकर देखिए, जहाँ-जहाँ पर भारतीय जनता पार्टी को सेवा करने का अवसर मिला है, हमने जनता की सेवा करने में कोई कोताही नहीं बरती है। हमने शासन को राजनीतिक खेल का हथियार नहीं बनाया है, हमने शासन और प्रशासन को विकास के लिए एक ऊर्जावान स्रोत के रूप में उपयोग किया है, ये हमारी कार्यशक्ति रही है और उसी कार्यशैली को लेकर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं..!

भाइयों-बहनों, आने वाले दिनों में चुनाव हैं। मैं एक बात यहाँ के नौजवानों को कहना चाहता हूँ। आपका मन तो करता है कि रमण सिंह जी तीसरी बार चुन कर के आएं, लेकिन अगल-बगल में देखोगे तो कई नौजवान ऐसे होंगे जिनकी आयु 18-19-20 साल की हुई है और वे मतदाता के नाते रजिस्टर नहीं हुए हैं। ये हम सबका काम है कि हमारे छत्तीसगढ़ का कोई भी नौजवान मतदाता सूची से वंचित ना रह जाए। एक जन आंदोलन खड़ा होना चाहिए, जन जागरण होना चाहिए और सभी मतदाओं को इस बात का गर्व होना चाहिए कि भारत के संविधान ने आज मुझे सरकार चुनने का अधिकार दे दिया..! जिस दिन मताधिकार मिले, वो जीवन की एक गौरवपूर्ण घटना होनी चाहिए, ये माहौल हमें बनाना चाहिए। और मैं चाहता हूँ कि छत्तीसगढ़ के नौजवान इस काम में जो भी कर सकते हैं, पूरी ताकत से करें..!

भाइयों-बहनों, हिन्दुस्तान के अंदर श्रीमती इंदिरा गांधी के समय से गरीबों के कल्याण के लिए एक बीस मुद्दा योजना चल रही है। सभी सरकारों ने इसे चालू रखा, अटल जी ने भी चालू रखा था, मोरारजी भाई ने भी चालू रखा था। और हर तीन महीने पर इसका मूल्यांकन होता था। भाइयों-बहनों, सारे रिकार्ड गवाह हैं, हर मूल्यांकन में गरीबों की भलाई के इस टवेंटी पाइंट प्रोग्राम के इम्पलीमेंटेशन में हमेशा या तो भाजपा की सरकारें या फिर एन.डी.ए. की सरकारें पहले पाँच में आई। मित्रों, कांग्रेस की एक भी सरकार को गरीबों की भलाई के किसी काम को लागू करने में एक से पाँच के अंदर कभी मौका नहीं मिला है..! और जब एक बार प्रधानमंत्री के सामने मैंने ये गर्वपूर्ण बात कही तों कांग्रेस वाले चौंक गए और उन्होंने अपनी सरकारों में सुधार लाने के लिए कुछ नहीं किया, उन्होंने क्या किया कि मूल्याकंन करना ही बंद कर दिया। मूल्याकंन करें तो नम्बर मिले और तब जा कर के उनकी बुराई हो..! भाइयों-बहनों, इस प्रकार की अगर सोच है तो कभी विकास की स्पर्धा नहीं हो सकती..!

भाइयों-बहनों, आज देश को आवश्यकता है कि कौन सा राज्य किससे आगे बढ़ रहा है, विकास की यात्रा में कौन सा राज्य ज्यादा योगदान दे रहा है, उस पर बल दिया जाए। और मैं आज गर्व के साथ कहता हूँ, हिन्दुस्तान के अंदर पिछले दस साल में सर्वाधिक विकास करने वाला कोई राज्य है तो वो भारतीय जनता पार्टी द्वारा संचालित राज्य है और उन्होंने प्रगति की नई ऊंचाइयों को पार किया है। और एक दिल्ली सरकार है, पिछले साठ साल में जितनी तबाही नहीं हुई थी इतनी तबाही इन दस सालों में हुई है..! इन दिनों संसद में चर्चा चल रही थी कि कोयले की फाइलें खो गई। पूरी संसद इस पर चर्चा कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट पूछ रही है कि कोयले की फाइलें गुम हो गई, तो कहाँ गई..? भाइयों-बहनों, संसद तो इस बात की चिंता कर रही है कि कोयले की फाइलें कहाँ खो गईं, लेकिन सवा सौ करोड देशवासी चर्चा कर रहे हैं कि हमारी हिन्दुस्तान की सरकार कहाँ खो गई..? पूरी सरकार खो गई, सिर्फ फाइल नहीं, पूरी सरकार खो गई..! तिजोरी से रूपये खो गए हैं, ईमान खो गया है..! भाइयों-बहनों, ऐसी दुदर्शा हिन्दुस्तान ने कभी देखी नहीं है..! और इसलिए भाइयों-बहनों, महामाया की इस पवित्र धरती से मैं आह्वान करता हूँ, समय की माँग है कि देश को बचाने का बीड़ा एक एक नागरिक उठाए, एक-एक नौजवान उठाए, देश को तबाह करने वाली सरकारों को उखाड़ फैंकने का संकल्प कर आगे बढ़ें..!

सुशासन को साकार करना समय की मांग है और उसको लेकर आगे बढ़ें। और भाइयों-बहनों, जब मैं सरकार की बात करता हूँ तो मेरे विचार बहुत साफ हैं, मैं इस स्पष्ट मत का हूँ, सरकार का एक ही धर्म होता है, ‘नेशन फर्स्ट’..! सरकार का एक ही धर्म ग्रंथ होता है, ‘भारत का संविधान’..! सरकार की एक ही भक्ति होती है, ‘भारत भक्ति’..! सरकार की एक ही पूजा होती है, ‘सवा सौ करोड़ देशवासियों की भलाई’..! सरकार की एक ही कार्यशैली होती है, ‘सबका साथ, सबका विकास’..! और इसी मंत्र को लेकर के हिन्दुस्तान को भव्य और दिव्य बनाने का सपना लेकर के आगे बढ़ें, रमण सिंह जी के नेतृत्व में तीसरी बार छत्तीसगढ़ को हम आगे बढ़ाएं..!

भाइयों-बहनों, आने वाले पाँच वर्ष छत्तीसगढ़ के जीवन लिए महत्वपूर्ण हैं। अब छत्तीसगढ़ तेरह साल का हो चुका है। और हमने अपने घर में भी देखा है, तेरह साल तक बच्चे का ज्यादा विकास नहीं होता है। कपड़े पुराने दो-दो साल तक चलते हैं, ना उसकी आवाज में बदलाव आती है ना उसकी रहन-सहन में बदलाव आती है। लेकिन तेरह साल के बाद अठारह साल तक बच्चे इतना तेजी से बढ़ने लगते हैं कि हर छह महीने में कपड़े नए लाने पड़ते हैं, एकदम से उनका विकास होने लगता है, तरुणाई आ जाती है..! भाइयों-बहनों, आने वाले पाँच साल, पिछले दस साल से अधिक महत्वपूर्ण हैं। इसी पाँच साल में सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ की केयर-टेकिंग की आवश्यकता है। जैसे बेटी-बेटों का तेरह साल से अठारह साल में माँ-बाप बहुत ख्याल रखते हैं, वैसे ही ये तेरह से अठारह साल छत्तीसगढ़ की सबसे ज्यादा चिंता करने की जरूरत है। ऐसे विकास का दौर होने वाला है जिसको संभालने के लिए योग्य व्यक्ति की जरूरत है। और मैं दस साल के अनुभव से कहता हूँ कि 13 से 18 साल के पाँच वर्ष छत्तीसगढ़ को नई ताकत से उभरने का समय है, छत्तीसगढ़ का हाथ-पैर फैलाने का समय है, छत्तीसगढ़ को नई ऊचाइयों को पार करने का समय है, उस समय कोई गलती ना हो..! फिर एक बार डॉ. रमण सिंह के हाथ में छत्तीसगढ़ सुपुर्द कीजिए, ये जवानी के पाँच साल छत्तीसगढ़ को एक नई ताकत दे देंगे। और एक बार 18 साल तक छत्तीसगढ़ बनते बनते मजबूत और ताकतवर बन गया, तो साठ-सत्तर साल तक कभी बीमारी नहीं आएगी, कोई कठिनाई नहीं आएगी..! आने वाले पाँच-छह दशक के भविष्य की ये रमण सिंह जी नींव डाल कर जाएंगे, ये मुझे पूरा विश्वास है और इसलिए मैं आग्रह करता हूँ, फिर एक बार भाजपा को अवसर दीजिए, फिर एक बार डॉ. रमण सिंह को अवसर दीजिए, फिर एक बार छत्तीसगढ़ की तरूणाई को खिलने का अवसर दें, इसी एक अपेक्षा के साथ मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं..!

भारत माता की जय..!

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असम ने विकास की नई गति पकड़ी है: पीएम मोदी
December 21, 2025
असम ने विकास की नई गति पकड़ी है-प्रधानमंत्री
हमारी सरकार किसानों के कल्याण को अपने सभी प्रयासों के केंद्र में रख रही है-प्रधानमंत्री मोदी
कृषि को बढ़ावा देने और किसानों का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन जैसी पहलें शुरू की गई हैं- प्रधानमंत्री
'सबका साथ, सबका विकास' की परिकल्पना से प्रेरित होकर हमारे प्रयासों ने गरीबों के जीवन को बदल दिया है-प्रधानमंत्री मोदी

उज्जनिर रायज केने आसे? आपुनालुकोलोई मुर अंतोरिक मोरोम आरु स्रद्धा जासिसु।

असम के गवर्नर लक्ष्मण प्रसाद आचार्य जी, मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा जी, केंद्र में मेरे सहयोगी और यहीं के आपके प्रतिनिधि, असम के पूर्व मुख्यमंत्री, सर्बानंद सोनोवाल जी, असम सरकार के मंत्रीगण, सांसद, विधायक, अन्य महानुभाव, और विशाल संख्या में आए हुए, हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आए हुए, मेरे सभी भाइयों और बहनों, जितने लोग पंडाल में हैं, उससे ज्यादा मुझे वहां बाहर दिखते हैं।

सौलुंग सुकाफा और महावीर लसित बोरफुकन जैसे वीरों की ये धरती, भीमबर देउरी, शहीद कुसल कुवर, मोरान राजा बोडौसा, मालती मेम, इंदिरा मिरी, स्वर्गदेव सर्वानंद सिंह और वीरांगना सती साध`नी की ये भूमि, मैं उजनी असम की इस महान मिट्टी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ।

साथियों,

मैं देख रहा हूँ, सामने दूर-दूर तक आप सब इतनी बड़ी संख्या में अपना उत्साह, अपना उमंग, अपना स्नेह बरसा रहे हैं। और खासकर, मेरी माताएँ बहनें, इतनी विशाल संख्या में आप जो प्यार और आशीर्वाद लेकर आईं हैं, ये हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, सबसे बड़ी ऊर्जा है, एक अद्भुत अनुभूति है। मेरी बहुत सी बहनें असम के चाय बगानों की खुशबू लेकर यहां उपस्थित हैं। चाय की ये खुशबू मेरे और असम के रिश्तों में एक अलग ही ऐहसास पैदा करती है। मैं आप सभी को प्रणाम करता हूँ। इस स्नेह और प्यार के लिए मैं हृदय से आप सबका आभार करता हूँ।

साथियों,

आज असम और पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए बहुत बड़ा दिन है। नामरूप और डिब्रुगढ़ को लंबे समय से जिसका इंतज़ार था, वो सपना भी आज पूरा हो रहा है, आज इस पूरे इलाके में औद्योगिक प्रगति का नया अध्याय शुरू हो रहा है। अभी थोड़ी देर पहले मैंने यहां अमोनिया–यूरिया फर्टिलाइज़र प्लांट का भूमि पूजन किया है। डिब्रुगढ़ आने से पहले गुवाहाटी में एयरपोर्ट के एक टर्मिनल का उद्घाटन भी हुआ है। आज हर कोई कह रहा है, असम विकास की एक नई रफ्तार पकड़ चुका है। मैं आपको बताना चाहता हूँ, अभी आप जो देख रहे हैं, जो अनुभव कर रहे हैं, ये तो एक शुरुआत है। हमें तो असम को बहुत आगे लेकर के जाना है, आप सबको साथ लेकर के आगे बढ़ना है। असम की जो ताकत और असम की भूमिका ओहोम साम्राज्य के दौर में थी, विकसित भारत में असम वैसी ही ताकतवर भूमि बनाएंगे। नए उद्योगों की शुरुआत, आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, Semiconductors, उसकी manufacturing, कृषि के क्षेत्र में नए अवसर, टी-गार्डेन्स और उनके वर्कर्स की उन्नति, पर्यटन में बढ़ती संभावनाएं, असम हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मैं आप सभी को और देश के सभी किसान भाई-बहनों को इस आधुनिक फर्टिलाइज़र प्लांट के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ। मैं आपको गुवाहटी एयरपोर्ट के नए टर्मिनल के लिए भी बधाई देता हूँ। बीजेपी की डबल इंजन सरकार में, उद्योग और कनेक्टिविटी की ये जुगलबंदी, असम के सपनों को पूरा कर रही है, और साथ ही हमारे युवाओं को नए सपने देखने का हौसला भी दे रही है।

साथियों,

विकसित भारत के निर्माण में देश के किसानों की, यहां के अन्नदाताओं की बहुत बड़ी भूमिका है। इसलिए हमारी सरकार किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए दिन-रात काम कर रही है। यहां आप सभी को किसान हितैषी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। कृषि कल्याण की योजनाओं के बीच, ये भी जरूरी है कि हमारे किसानों को खाद की निरंतर सप्लाई मिलती रहे। आने वाले समय में ये यूरिया कारख़ाना यह सुनिश्चित करेगा। इस फर्टिलाइज़र प्रोजेक्ट पर करीब 11 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यहां हर साल 12 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खाद बनेगी। जब उत्पादन यहीं होगा, तो सप्लाई तेज होगी। लॉजिस्टिक खर्च घटेगा।

साथियों,

नामरूप की ये यूनिट रोजगार-स्वरोजगार के हजारों नए अवसर भी बनाएगी। प्लांट के शुरू होते ही अनेकों लोगों को यहीं पर स्थायी नौकरी भी मिलेगी। इसके अलावा जो काम प्लांट के साथ जुड़ा होता है, मरम्मत हो, सप्लाई हो, कंस्ट्रक्शन का बहुत बड़ी मात्रा में काम होगा, यानी अनेक काम होते हैं, इन सबमें भी यहां के स्थानीय लोगों को और खासकर के मेरे नौजवानों को रोजगार मिलेगा।

लेकिन भाइयों बहनों,

आप सोचिए, किसानों के कल्याण के लिए काम बीजेपी सरकार आने के बाद ही क्यों हो रहा है? हमारा नामरूप तो दशकों से खाद उत्पादन का केंद्र था। एक समय था, जब यहां बनी खाद से नॉर्थ ईस्ट के खेतों को ताकत मिलती थी। किसानों की फसलों को सहारा मिलता था। जब देश के कई हिस्सों में खाद की आपूर्ति चुनौती बनी, तब भी नामरूप किसानों के लिए उम्मीद बना रहा। लेकिन, पुराने कारखानों की टेक्नालजी समय के साथ पुरानी होती गई, और काँग्रेस की सरकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजा ये हुआ कि, नामरूप प्लांट की कई यूनिट्स इसी वजह से बंद होती गईं। पूरे नॉर्थ ईस्ट के किसान परेशान होते रहे, देश के किसानों को भी तकलीफ हुई, उनकी आमदनी पर चोट पड़ती रही, खेती में तकलीफ़ें बढ़ती गईं, लेकिन, काँग्रेस वालों ने इस समस्या का कोई हल ही नहीं निकाला, वो अपनी मस्ती में ही रहे। आज हमारी डबल इंजन सरकार, काँग्रेस द्वारा पैदा की गई उन समस्याओं का समाधान भी कर रही है।

साथियों,

असम की तरह ही, देश के दूसरे राज्यों में भी खाद की कितनी ही फ़ैक्टरियां बंद हो गईं थीं। आप याद करिए, तब किसानों के क्या हालात थे? यूरिया के लिए किसानों को लाइनों में लगना पड़ता था। यूरिया की दुकानों पर पुलिस लगानी पड़ती थी। पुलिस किसानों पर लाठी बरसाती थी।

भाइयों बहनों,

काँग्रेस ने जिन हालातों को बिगाड़ा था, हमारी सरकार उन्हें सुधारने के लिए एडी-चोटी की ताकत लगा रही है। और इन्होंने इतना बुरा किया,इतना बुरा किया कि, 11 साल से मेहनत करने के बाद भी, अभी मुझे और बहुत कुछ करना बाकी है। काँग्रेस के दौर में फर्टिलाइज़र्स फ़ैक्टरियां बंद होती थीं। जबकि हमारी सरकार ने गोरखपुर, सिंदरी, बरौनी, रामागुंडम जैसे अनेक प्लांट्स शुरू किए हैं। इस क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। आज इसी का नतीजा है, हम यूरिया के क्षेत्र में आने वाले कुछ समय में आत्मनिर्भर हो सके, उस दिशा में मजबूती से कदम रख रहे हैं।

साथियों,

2014 में देश में सिर्फ 225 लाख मीट्रिक टन यूरिया का ही उत्पादन होता था। आपको आंकड़ा याद रहेगा? आंकड़ा याद रहेगा? मैं आपने मुझे काम दिया 10-11 साल पहले, तब उत्पादन होता था 225 लाख मीट्रिक टन। ये आंकड़ा याद रखिए। पिछले 10-11 साल की मेहनत में हमने उत्पादन बढ़ाकर के करीब 306 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच चुका है। लेकिन हमें यहां रूकना नहीं है, क्योंकि अभी भी बहुत करने की जरूरत है। जो काम उनको उस समय करना था, नहीं किया, और इसलिए मुझे थोड़ा एक्स्ट्रा मेहनत करनी पड़ रही है। और अभी हमें हर साल करीब 380 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत पड़ती है। हम 306 पर पहुंचे हैं, 70-80 और करना है। लेकिन मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं, हम जिस प्रकार से मेहनत कर रहे हैं, जिस प्रकार से योजना बना रहे हैं और जिस प्रकार से मेरे किसान भाई-बहन हमें आशीर्वाद दे रहे हैं, हम हो सके उतना जल्दी इस गैप को भरने में कोई कमी नहीं रखेंगे।

और भाइयों और बहनों,

मैं आपको एक और बात बताना चाहता हूं, आपके हितों को लेकर हमारी सरकार बहुत ज्यादा संवेदनशील है। जो यूरिया हमें महंगे दामों पर विदेशों से मंगाना पड़ता है, हम उसकी भी चोट अपने किसानों पर नहीं पड़ने देते। बीजेपी सरकार सब्सिडी देकर वो भार सरकार खुद उठाती है। भारत के किसानों को सिर्फ 300 रुपए में यूरिया की बोरी मिलती है, उस एक बोरी के बदले भारत सरकार को दूसरे देशों को, जहां से हम बोरी लाते हैं, करीब-करीब 3 हजार रुपए देने पड़ते हैं। अब आप सोचिए, हम लाते हैं 3000 में, और देते हैं 300 में। यह सारा बोझ देश के किसानों पर हम नहीं पड़ने देते। ये सारा बोझ सरकार खुद भरती है। ताकि मेरे देश के किसान भाई बहनों पर बोझ ना आए। लेकिन मैं किसान भाई बहनों को भी कहूंगा, कि आपको भी मेरी मदद करनी होगी और वह मेरी मदद है इतना ही नहीं, मेरे किसान भाई-बहन आपकी भी मदद है, और वो है यह धरती माता को बचाना। हम धरती माता को अगर नहीं बचाएंगे तो यूरिया की कितने ही थैले डाल दें, यह धरती मां हमें कुछ नहीं देगी और इसलिए जैसे शरीर में बीमारी हो जाए, तो दवाई भी हिसाब से लेनी पड़ती है, दो गोली की जरूरत है, चार गोली खा लें, तो शरीर को फायदा नहीं नुकसान हो जाता है। वैसा ही इस धरती मां को भी अगर हम जरूरत से ज्यादा पड़ोस वाला ज्यादा बोरी डालता है, इसलिए मैं भी बोरी डाल दूं। इस प्रकार से अगर करते रहेंगे तो यह धरती मां हमसे रूठ जाएगी। यूरिया खिला खिलाकर के हमें धरती माता को मारने का कोई हक नहीं है। यह हमारी मां है, हमें उस मां को भी बचाना है।

साथियों,

आज बीज से बाजार तक भाजपा सरकार किसानों के साथ खड़ी है। खेत के काम के लिए सीधे खाते में पैसे पहुंचाए जा रहे हैं, ताकि किसान को उधार के लिए भटकना न पड़े। अब तक पीएम किसान सम्मान निधि के लगभग 4 लाख करोड़ रुपए किसानों के खाते में भेजे गए हैं। आंकड़ा याद रहेगा? भूल जाएंगे? 4 लाख करोड़ रूपया मेरे देश के किसानों के खाते में सीधे जमा किए हैं। इसी साल, किसानों की मदद के लिए 35 हजार करोड़ रुपए की दो योजनाएं नई योजनाएं शुरू की हैं 35 हजार करोड़। पीएम धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन, इससे खेती को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

हम किसानों की हर जरूरत को ध्यान रखते हुए काम कर रहे हैं। खराब मौसम की वजह से फसल नुकसान होने पर किसान को फसल बीमा योजना का सहारा मिल रहा है। फसल का सही दाम मिले, इसके लिए खरीद की व्यवस्था सुधारी गई है। हमारी सरकार का साफ मानना है कि देश तभी आगे बढ़ेगा, जब मेरा किसान मजबूत होगा। और इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

साथियों,

केंद्र में हमारी सरकार बनने के बाद हमने किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से पशुपालकों और मछलीपालकों को भी जोड़ दिया था। किसान क्रेडिट कार्ड, KCC, ये KCC की सुविधा मिलने के बाद हमारे पशुपालक, हमारे मछली पालन करने वाले इन सबको खूब लाभ उठा रहा है। KCC से इस साल किसानों को, ये आंकड़ा भी याद रखो, KCC से इस साल किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद दी गई है। 10 लाख करोड़ रुपया। बायो-फर्टिलाइजर पर GST कम होने से भी किसानों को बहुत फायदा हुआ है। भाजपा सरकार भारत के किसानों को नैचुरल फार्मिंग के लिए भी बहुत प्रोत्साहन दे रही है। और मैं तो चाहूंगा असम के अंदर कुछ तहसील ऐसे आने चाहिए आगे, जो शत प्रतिशत नेचुरल फार्मिंग करते हैं। आप देखिए हिंदुस्तान को असम दिशा दिखा सकता है। असम का किसान देश को दिशा दिखा सकता है। हमने National Mission On Natural Farming शुरू की, आज लाखों किसान इससे जुड़ चुके हैं। बीते कुछ सालों में देश में 10 हजार किसान उत्पाद संघ- FPO’s बने हैं। नॉर्थ ईस्ट को विशेष ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने खाद्य तेलों- पाम ऑयल से जुड़ा मिशन भी शुरू किया। ये मिशन भारत को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर तो बनाएगा ही, यहां के किसानों की आय भी बढ़ाएगा।

साथियों,

यहां इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हमारे टी-गार्डन वर्कर्स भी हैं। ये भाजपा की ही सरकार है जिसने असम के साढ़े सात लाख टी-गार्डन वर्कर्स के जनधन बैंक खाते खुलवाए। अब बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ने की वजह से इन वर्कर्स के बैंक खातों में सीधे पैसे भेजे जाने की सुविधा मिली है। हमारी सरकार टी-गार्डन वाले क्षेत्रों में स्कूल, रोड, बिजली, पानी, अस्पताल की सुविधाएं बढ़ा रही है।

साथियों,

हमारी सरकार सबका साथ सबका विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। हमारा ये विजन, देश के गरीब वर्ग के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आया है। पिछले 11 वर्षों में हमारे प्रयासों से, योजनाओं से, योजनाओं को धरती पर उतारने के कारण 25 करोड़ लोग, ये आंकड़ा भी याद रखना, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। देश में एक नियो मिडिल क्लास तैयार हुआ है। ये इसलिए हुआ है, क्योंकि बीते वर्षों में भारत के गरीब परिवारों के जीवन-स्तर में निरंतर सुधार हुआ है। कुछ ताजा आंकड़े आए हैं, जो भारत में हो रहे बदलावों के प्रतीक हैं।

साथियों,

और मैं मीडिया में ये सारी चीजें बहुत काम आती हैं, और इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं मैं जो बातें बताता हूं जरा याद रख के औरों को बताना।

साथियों,

पहले गांवों के सबसे गरीब परिवारों में, 10 परिवारों में से 1 के पास बाइक तक होती नहीं थी। 10 में से 1 के पास भी नहीं होती थी। अभी जो सर्वे आए हैं, अब गांव में रहने वाले करीब–करीब आधे परिवारों के पास बाइक या कार होती है। इतना ही नहीं मोबाइल फोन तो लगभग हर घर में पहुंच चुके हैं। फ्रिज जैसी चीज़ें, जो पहले “लग्ज़री” मानी जाती थीं, अब ये हमारे नियो मिडल क्लास के घरों में भी नजर आने लगी है। आज गांवों की रसोई में भी वो जगह बना चुका है। नए आंकड़े बता रहे हैं कि स्मार्टफोन के बावजूद, गांव में टीवी रखने का चलन भी बढ़ रहा है। ये बदलाव अपने आप नहीं हुआ। ये बदलाव इसलिए हुआ है क्योंकि आज देश का गरीब सशक्त हो रहा है, दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले गरीब तक भी विकास का लाभ पहुंचने लगा है।

साथियों,

भाजपा की डबल इंजन सरकार गरीबों, आदिवासियों, युवाओं और महिलाओं की सरकार है। इसीलिए, हमारी सरकार असम और नॉर्थ ईस्ट में दशकों की हिंसा खत्म करने में जुटी है। हमारी सरकार ने हमेशा असम की पहचान और असम की संस्कृति को सर्वोपरि रखा है। भाजपा सरकार असमिया गौरव के प्रतीकों को हर मंच पर हाइलाइट करती है। इसलिए, हम गर्व से महावीर लसित बोरफुकन की 125 फीट की प्रतिमा बनाते हैं, हम असम के गौरव भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी का वर्ष मनाते हैं। हम असम की कला और शिल्प को, असम के गोमोशा को दुनिया में पहचान दिलाते हैं, अभी कुछ दिन पहले ही Russia के राष्ट्रपति श्रीमान पुतिन यहां आए थे, जब दिल्ली में आए, तो मैंने बड़े गर्व के साथ उनको असम की ब्लैक-टी गिफ्ट किया था। हम असम की मान-मर्यादा बढ़ाने वाले हर काम को प्राथमिकता देते हैं।

लेकिन भाइयों बहनों,

भाजपा जब ये काम करती है तो सबसे ज्यादा तकलीफ काँग्रेस को होती है। आपको याद होगा, जब हमारी सरकार ने भूपेन दा को भारत रत्न दिया था, तो काँग्रेस ने खुलकर उसका विरोध किया था। काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा था कि, मोदी नाचने-गाने वालों को भारत रत्न दे रहा है। मुझे बताइए, ये भूपेन दा का अपमान है कि नहीं है? कला संस्कृति का अपमान है कि नहीं है? असम का अपमान है कि नहीं है? ये कांग्रेस दिन रात करती है, अपमान करना। हमने असम में सेमीकंडक्टर यूनिट लगवाई, तो भी कांग्रेस ने इसका विरोध किया। आप मत भूलिए, यही काँग्रेस सरकार थी, जिसने इतने दशकों तक टी कम्यूनिटी के भाई-बहनों को जमीन के अधिकार नहीं मिलने दिये! बीजेपी की सरकार ने उन्हें जमीन के अधिकार भी दिये और गरिमापूर्ण जीवन भी दिया। और मैं तो चाय वाला हूं, मैं नहीं करूंगा तो कौन करेगा? ये कांग्रेस अब भी देशविरोधी सोच को आगे बढ़ा रही है। ये लोग असम के जंगल जमीन पर उन बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाना चाहते हैं। जिनसे इनका वोट बैंक मजबूत होता है, आप बर्बाद हो जाए, उनको इनकी परवाह नहीं है, उनको अपनी वोट बैंक मजबूत करनी है।

भाइयों बहनों,

काँग्रेस को असम और असम के लोगों से, आप लोगों की पहचान से कोई लेना देना नहीं है। इनको केवल सत्ता,सरकार और फिर जो काम पहले करते थे, वो करने में इंटरेस्ट है। इसीलिए, इन्हें अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए ज्यादा अच्छे लगते हैं। अवैध घुसपैठियों को काँग्रेस ने ही बसाया, और काँग्रेस ही उन्हें बचा रही है। इसीलिए, काँग्रेस पार्टी वोटर लिस्ट के शुद्धिकरण का विरोध कर रही है। तुष्टीकरण और वोटबैंक के इस काँग्रेसी जहर से हमें असम को बचाकर रखना है। मैं आज आपको एक गारंटी देता हूं, असम की पहचान, और असम के सम्मान की रक्षा के लिए भाजपा, बीजेपी फौलाद बनकर आपके साथ खड़ी है।

साथियों,

विकसित भारत के निर्माण में, आपके ये आशीर्वाद यही मेरी ताकत है। आपका ये प्यार यही मेरी पूंजी है। और इसीलिए पल-पल आपके लिए जीने का मुझे आनंद आता है। विकसित भारत के निर्माण में पूर्वी भारत की, हमारे नॉर्थ ईस्ट की भूमिका लगातार बढ़ रही है। मैंने पहले भी कहा है कि पूर्वी भारत, भारत के विकास का ग्रोथ इंजन बनेगा। नामरूप की ये नई यूनिट इसी बदलाव की मिसाल है। यहां जो खाद बनेगी, वो सिर्फ असम के खेतों तक नहीं रुकेगी। ये बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक पहुंचेगी। ये कोई छोटी बात नहीं है। ये देश की खाद जरूरत में नॉर्थ ईस्ट की भागीदारी है। नामरूप जैसे प्रोजेक्ट, ये दिखाते हैं कि, आने वाले समय में नॉर्थ ईस्ट, आत्मनिर्भर भारत का बहुत बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा। सच्चे अर्थ में अष्टलक्ष्मी बन के रहेगा। मैं एक बार फिर आप सभी को नए फर्टिलाइजर प्लांट की बधाई देता हूं। मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

और इस वर्ष तो वंदे मातरम के 150 साल हमारे गौरवपूर्ण पल, आइए हम सब बोलें-

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।