श्रीमान प्रभाकर जी, श्री शिवानंद जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव, इस शै‍क्षणिक यात्रा से जुड़े हुए अनेकविध महानुभाव, स्वस्थ‍ हिंदुस्तान, हेल्दी इंडिया के स्वप्न‍ को साकार करने का कार्य जिन नौजवानों के माध्यम से होने वाला है, उन सभी विद्यार्थियों का अभिनंदन..! इस अवसर पर आने का मुझे सौभाग्यं मिला, मेरा स्वागत-सम्मान किया गया, मैं इसके लिए सोसायटी के सभी महानुभावों का तहे दिल से धन्यवाद प्रकट करता हूं..!

मित्रो, समाज और जीवन में, अलग-अलग जातियां और बिरादरी में, कोई न कोई सामाजिक कार्य चलते रहते हैं और ज्यादातर समाज का संगठन राजनीतिक गतिविधियों के लिए किया जाता है। समाज को एकत्र करके, समाज का विश्वास जुटाकर राजनीतिक जीवन में प्रगति करने के लिए सामाजिक भावनाओं को जोड़ने का प्रयास हिंदुस्तान के हर कोने में होता है। लेकिन कुछ ऐसे महापुरूष पैदा होते हैं जो बहुत दूर का सोच सकते हैं। जब वह कार्य को आरम्भ करते हैं तो समकालीन लोगों को अंदाजा तक नहीं लगता है कि ये छोटा सा प्रयास कितनी बड़ी क्रांति का कारण बन जाएगा..! 98 साल पहले जिन महापुरूषों ने शिक्षा के सामर्थ्य का अनुभव किया होगा, शिक्षा के महत्व को समझा होगा, और समाज के सभी लोगों को शिक्षा कैसे उपलब्ध हो, समाज के किसान परिवार तक भी शिक्षा कैसे पहुंचे, ये सपना देखकर के जिन्होने इस केएलई का बीज बोया होगा, मैं आज उन सभी दीघदृष्ट्रा महानुभाव को नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूं, उनका वंदन करता हूं..!

चीन में एक कहावत है कि जो एक साल का सोचता है वह अनाज बोता है, जो दस साल का सोचता है वह फलों का पेड़ उगाता है, लेकिन जो पीढि़यों का सोचता है वह मनुष्यो को बोता है..! ये केएलई जैसी सोसायटी ने मनुष्य बोने का पवित्र काम किया है ताकि शिक्षा और संस्कार के माध्यम से सशक्त व्यक्ति के द्वारा सशक्ते समाज और सशक्ता राष्ट्रका निर्माण हो और पीढि़यों तक इसके सुफल मिलते रहें..! जब शुरूआती दौर में इसको प्रारम्भ किया होगा तो कितनी कठिनाईयां आई होगी..! किसी एक संस्था या संगठन को तकरीबन सौ साल चलाना, ये कोई छोटा काम नहीं है..! कितने उतार-चढ़ाव आते होगें, कितने आरोप-प्रत्यारोप लगते होगें, उसके बावजूद भी सभी ने मिलकर इस कार्य का निरंतर विस्तार और विकास किया है, इसलिए जे. एन. मेडीकल कॉलेज की गोल्डन जुबली पर और इस संस्था की 98 वर्षो की यात्रा पर, इस पूरे कालखंड में जिस किसी ने भी सहयोग किया है, वह सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं..!

बेलगाम, शिक्षा के कारण और विशेष रूप से केएलई सोसायटी के कारण, लघु भारत बन गया है। हिंदुस्तान के हर कोने से हर भाषा-भाषी, हर प्रकार के खान-पान वाले विद्यार्थी पिछले 5-6 दशक से बेलगाम आते रहे हैं और इसके कारण बेलगाम का ये शिक्षा धाम, सरस्वती धाम न सिर्फ बेलगाम या कर्नाटक में बल्कि पूरे हिंदुस्तान में अपनी पहचान बना चुका है और एक आस्था् का निर्माण कर चुका है। अगर कोई समाज, समयानुकूल परिर्वतन नहीं करता है, शिक्षा को महत्व नहीं देता है तो वह कभी भी प्रगति नहीं कर सकता है। शिक्षण ही सबसे पहला क्षेत्र होता है जो आने वाले युग के बदलाव को भांप सकता है। जैसे-व्यापारी अगले सीजन का अंदाज लगा सकता है, ज्यादा से ज्याादा अगले साल का अंदाज लगा सकता है, ठीक उसी प्रकार शिक्षा से जुड़ा हुआ व्यक्ति आने वाली पीढि़यों की परिस्थितियों को भांप सकता है। अगर वह उसको अनुमानित करके आज से व्यवस्थाएं विकसित करता है तो यह परिवर्तन का बहुत बड़ा कारण बन जाता है..!

चीन में अंग्रेजी भाषा की कोई शुरूआत ही नहीं हुई थी। जब दुनिया इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी की ओर चल पड़ी, ग्लोबल इकोनॉमी का युग शुरू हुआ तो चाइना को लगा कि हमें प्राइमरी स्कूल से ही बच्चों को अंग्रेजी सिखाना पड़ेगा और उन्हे अगर आईटी प्रोफेशनल बनाना है, क्यों कि अगर दुनिया में टिकना है तो यह जरूरी है। उन लोगों ने बहुत ही कम समय में अपनी परम्पराओं को सम्हाालते हुए अपने आपको इस स्थिति में जोड़ दिया। एक समय ऐसा था, आज से 30 साल पहले, चाइना की कोई भी यूनीवर्सिटी विश्व में जानी नहीं जाती थी, लेकिन इन 30 सालों में दुनिया की टॉप यूनीवर्सिटी में उन्होने अपनी 10 यूनीवर्सिटी को शामिल कर दिया..! सरकार कोई भी हो, उस सरकार के मन में एक जिजिषवा होनी चाहिए, एक महत्वकांक्षा होनी चाहिए कि हमारा देश भी शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया में अपना नाम रोशन करे..! हम वो लोग हैं जो ज्ञान के उपासक रहे हैं। विश्व में यूनीवर्सिटी की कल्पना की उम्र लगभग 2800 हुई है, 2800 साल लम्बा इतिहास यूनीवर्सिटी एजूकेशन का है और हमारे ही देश में कभी नालंदा, तक्षशिला और बल्भी जैसी यूनीवर्सिटी ने पूरे विश्व में अपना लोहा जमाया था। 2800 साल में से 1600 साल इस ज्ञान की दुनिया में भारत का रूतबा रहा था। उस जमाने में समुद्री तट पर गुजरात का हिस्सा बल्भी , सदियों पहले वहां 80 देशों के स्टूडेंट पढ़ते थे। लेकिन गुलामी के कालखंड में हम हमारी वो विधा खो चुके हैं, अनेक प्रकार से हम आश्रित बन गए। परन्तु आजादी के तुंरत बाद इस विशेष क्षेत्र पर ध्याान केंद्रित किया गया होता, बल प्रदान किया गया होता, तो हो सकता था कि हम आजादी के बाद के इस 50 साल के कालखंड में पूरे विश्व में ज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी शक्ति बनकर उभरते..!

दुनिया कहती है कि 21 वीं सदी हिंदुस्तान की सदी है। विश्व ने जब-जब ज्ञान युग के अंदर प्रवेश किया, हर बार भारत ने उसका नेतृत्वे किया। 21 वीं सदी ज्ञान की सदी है, ज्ञान के क्षेत्र में अप्रीतम रिव्युलेशन का कालखंड हम सभी अपनी आंखों के सामने देखने वाले हैं। हम सदियों से ऋषि-मुनियों के ज़माने से ज्ञान के उपासक रहे हैं। आधुनिक विज्ञान और टैक्नोलॉजी को स्वीकार करके आने वाली शताब्दी में दुनिया को हम क्या दे सकते हैं, हमें इन सपनों को लेकर हमारे शिक्षा धामों या यूनीवर्सिटी को, हमारी शिक्षा व्यवस्थाओं को एक सीमित दायरे में नहीं बल्कि ग्लोाबल विजन के साथ विकसित करना होगा और विश्व के साथ ताल मिलाते हुए शिक्षा के सहारे नई ऊचाईयों को प्राप्ति करने का प्रयास करना होगा..!

Valedictory Program of Golden Jubilee Celebrations of  J. N. Medical College, Belgaum

मित्रों, आज देश में हेल्थ सेक्टर चिंता का सबसे बड़ा कारण बन चुका है। बीमारियां बढ़ती जा रही हैं, बीमार लोग बढ़ते जा रहे हैं, जितने अनुपात में डॉक्टरों की जरूरत है उतने डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं। हेल्थ सेक्टर में अनेक प्रकार की सर्विस डेपलेप हुई हैं जैसे - पैरामेडिकल स्टाफ, लेकिन उसकी भी देश में बहुत बड़ी कमी महसूस हो रही है। आप सोचिए, एक तरफ देश में 65% जनसंख्या 35 से कम आयु की है यानि यंगेस्ट कंट्री इन द वर्ल्ड , वहीं दूसरी ओर हमारे पास पैरामेडिकल क्षेत्र के लिए स्किल्ड मैन पावर नहीं है..! जितनी आवश्यतकता डॉक्टर्स की है, उतनी ही आवश्यकता पैरामेडिकल स्टाफ की है। और जितनी आवश्य कता पैरामेडिकल स्टाफ की है, उतनी ही हेल्थ़ टेक्नोटलॉजी की है। मित्रों, आज भी बहुत बड़ी मात्रा में मेडीकल इक्वीपमेंट्स को हमें विदेशों से लाना पड़ता है। क्या हमारे देश के नौजवानों में वह सामर्थ्यक नहीं है कि वह इन्हे तैयार कर पाएं..? जिस प्रकार से ह्यूमन रिसोर्स डेपलेपमेंट की आवश्यकता है उसी प्रकार से इसकी भी आवश्यकता है। टेक्नोलॉजी ने मेडीकल सांइस को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है, टेक्नालॉजी के बिना मेडीकल साइंस एक भी कदम आगे नहीं बढ़ सकता है, ऐसी स्थिति आ गई है। कोई ज़माना था कि हाथ की नाड़ी देखकर दवा दे दी जाती थी और आदमी ठीक हो जाता था लेकिन आज लेबोरेट्री में 100 प्रकार के टेस्ट होते है, बिना टेस्ट के दर्द का भी पता नहीं चलता है। इसीलिए, टेक्नोलॉजी बहुत बड़ा रोल प्ले कर रही है। लेकिन इस क्षेत्र में जितनी मात्रा में रिसर्च होनी चाहिए, इस प्रकार की रिसर्च में हिंदुस्तान बहुत पीछे है..!

हमें हेल्थ सेक्टर में ह्यूमन रिसोर्स चाहिए, चाहे मेडीकल कॉलेज या पैरामेडिकल स्टाफ में शिक्षा की व्यवस्था करनी हों, लाखों की तादाद में देश को इसकी आवश्य कता है। आज गरीब इंसान के लिए बीमार होना सबसे ज्यादा महंगा है। अभी हाल ही में हमारे राष्ट्रपति जी ने उल्लेख किया था कि हमारे देश में औसतन चार करोड़ लोग बीमारी के कारण कर्जदार बन जाते हैं, अगर परिवार में कोई बीमार पड़ जाता है तो उन्हे कहीं न कहीं से इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ता है। एक तरफ दवाई में और एक तरफ कर्ज में उसकी पूरी जिंदगी तबाह हो जाती है। क्यों न हम इसके लिए नई व्यवस्थाओं को विकसित करें..! मैं पिछले कुछ वर्षो से इंश्योरेंस कम्पनियों से हमेशा एक सवाल करता हूं, हालांकि मुझे अभी तक जवाब मिला नहीं है, यहां भी मैं सार्वजनिक रूप से रखता हूं, अगर आप लोगों में से कोई कभी किसी ऐसे व्यक्ति से मिलें तो अवश्य पूछें कि - अगर किसी कार का इश्योरेंस है और उस कार का एक्सीडेंट हो जाता है तो कार में बैठा हर व्यक्ति इंश्यरेंस का हकदार है, चाहें उसका कार के मालिक के साथ कोई सम्बंध हो या नहीं। अगर कार में बैठा हर व्यक्ति इंश्योरेंस का हकदार हो सकता है, तो अस्पताल के हर बेड का भी इंश्योरेंस होना चाहिए, जो भी बेड पर लेटे उसका इंश्योरेंस हो जाएं, वह भी इंश्योरेंस का हकदार बन जाए..! इंश्योरेंस कम्पेनियों को लगता है कि इसमें कोई कमाई नहीं है और इसीलिए वह मुझे इसका जवाब नहीं दे रहे हैं..! मित्रों, हेल्थ इंश्योरेंस तो है, लेकिन हमें गांरटी देनी होगी और हेल्थ एश्योारेंस पर सोचना होगा। सिर्फ हेल्थि इंश्योरेंस काफी नहीं है, हमें हेल्थ एश्योहरेंस पर बल देना पड़ेगा..!

हेल्थ एश्योरेंस के साथ प्रीवेंशन की बातें आती हैं। दुनिया में अगर शुद्ध पानी पहुंचे तो ज्यादातर बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन आज यह देश की कठिनाई है..! मैं आप सभी के साथ गुजरात का एक अनुभव शेयर करता हूं, आप में से कई लोगों ने अहमदाबाद देखा होगा, वहां एक साबरमती नदी है, महात्मा गांधी के कारण इस नाम का उल्लेख अक्सार आता है। अगर आज से कुछ साल पहले बच्चे को बोला जाता कि साबरमती पर निबन्ध लिखो तो वह लिखता था कि साबरमती में बालू के ढ़ेर होते हैं, नदी में क्रिकेट खेला जाता है, नदी में सर्कस आता है क्योंकि उसने नदी में पानी देखा ही नहीं था। मित्रों, हमने रिवर ग्रिड किया, नर्मदा का पानी साबरमती में ले आए और नदी को जिन्दा कर दिया, अब आप जाएं तो वहां देखने जैसा है..! अब दुनिया की नजरों में तो यही है कि हमने साबरमती में नर्मदा का पानी लाकर शहर की शोभा बढ़ा दी, दोनों ओर नदी बहती है, आनंद आता है..! लेकिन इस छोटे से प्रयास से सारे वॉटर लेवल ऊपर आएं। पहले 2500-3000 टीसीएफ वाला पानी पीते थे, पानी ऊपर आने के कारण शुद्ध पानी मिलने लगा। क्वालिटी ऑफ वॉटर चेंज हो गया, टीसीएफ एकदम से कम हो गया, बिसलरी बॉटल के जैसा पानी नल में बहने लग गया, जिसके परिणामस्वरूप हमारे अहमदाबाद के म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन का बिजली का बिल प्रतिवर्ष 15 करोड़ कम हो गया..! लेकिन जब वहां लगातार 5-7 बारिश होती थी तो अस्पताल भर जाते थे, लोग बीमार हो जाते थे और डॉक्टर भी जब बारिश आती थी तो कहते थे कि ये सीजन अच्छा है..! लोग बीमार हो रहे हैं और डॉक्टर बोलते हैं कि सीजन अच्छा है..! पर हमारे यहां पानी शुद्ध पहुंचने के कारण पिछले 8-9 सालों में कोई महामारी नहीं फैली। इसीलिए, प्रीवेंशन को जितना ज्यादा महत्व हमारे देश में दिया जाएगा, पर्सनल हाईजिन का जितना महत्व है उतना ही महत्व सोशल हाईजिन का बढ़ेगा..!

अभी बीच में पाकिस्तान की एक रिर्पोट आई थी कि वहां पर जो छोटे बच्चे मरते हैं, उनमें से 40% बच्चे सिर्फ बिना हाथ धोएं खाना खाने के कारण मर जाते हैं..! ये चीज छोटी है लेकिन हमारी भी कुछ आदतें ऐसी ही हैं, हम लोग एक ही भूमि के रहने वाले थे तो कमियां भी वैसी ही होती हैं..! लेकिन परिवार में अगर ये आदत हो तो बच्चों के जीवन को बदला जा सकता है, उनको रक्षा दी जा सकती है। हमारे देश में इंफेंट मॉरटीलिटी रेट यानि शिशु मृत्यु दर, आईएमआर और एमएमआर की चर्चा बहुत ज्यादा होती है। क्या रास्ते खोजे जा सकते है या नहीं..? हमें गुजरात में एक स्कीम चालू की जिसको दुनिया भर के कई पुरस्कार मिले हैं, चिरंजीव योजना..! पहली बार हमने हेल्थ सेक्टर में पब्लिक-प्राईवेट पार्टनरशिप का मॉडल विकसित किया। इस मॉडल में हमने डॉक्टर्स को जोड़ा और कहा कि अगर गरीब परिवार की कोई भी प्रेग्नेंट वूमन आपके यहां आती है तो पेमेंट हम देंगे, उसको सही ट्रीटमेंट मिलनी चाहिए। इस स्की्म के कारण मां की जिन्दगी बची, बेटे की जिन्दगी बची, बच्चों की जिदंगी बची..! पहले हमारे यहां इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी 40-45% हुआ करती थी, जो आज लगभग 96% तक पहुंचा दी गई है..! हमने हमारे समय की मांग को देखते हुए सरकारों के द्वारा पब्लिक- प्राईवेट पार्टनरशिप के मॉडल को किस प्रकार आगे बढ़ाते हैं, गांवों के अंदर जाने के लिए डॉक्टरों को कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं, मोबाइल हॉस्पीटल का नेटवर्क कितना ज्यादा इफेक्टिव बना सकते हैं, इस बारे में ध्यान दें तो हम अपने आप एक स्वस्थो हिंदुस्तान का सपना देखकर बहुत कुछ योगदान कर सकते हैं..!

मित्रों, पांच साल बाद महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती आएगी, गांधीजी को 150 साल हो जाएंगे। गांधीजी जीवन भर एक बात के प्रति बहुत आग्रही थे, वह बात थी-सफाई, स्वच्छता..! गांधीजी अपने आश्रम में और जहां भी जाते थे, सफाई के विषय में अवश्य आग्रह से बोलते थे। क्या हिंदुस्तान इन 5 सालों में ‘गांधी 150’ मिशन लेकर पूरे देश में सफाई व स्वच्छता पर बल दे सकता है..! हेल्थ के लिए सबसे बड़ी यही बात होती है जो परिवर्तन लाती है। 2022 में हमारी आजादी के 75 साल होगें, अमृत पर्व का अवसर आएगा। क्या हम अभी से 2022 के लिए हेल्दी इंडिया का सपना लेकर योजनाएं विकसित कर सकते हैं..! इससे बड़ी प्रेरणा कोई नहीं हो सकती है कि एक तरफ गांधी हों और एक तरफ आजादी के 75 साल हो..! हम इस बात को लेकर चल सकते हैं..!

मित्रों, कुछ छोटे-छोटे प्रयास होते हैं जो बहुत बड़ा बदलाव लाते हैं। गुजरात में हमने एनीमल हॉस्टल का प्रयोग किया। यह यूनीक है..! हमारे देश में पढ़ने के लिए बच्चों के हॉस्टल हैं, गुजरात में हमने एनीमल हॉस्टिल का कॉन्सेप्ट शुरू किया। गांव के बाहर एक हॉस्टल बनाया और उस गांव के जितने भी लगभग 900 कैटल्स थे, उन सभी को हॉस्टल में रखा और उस हॉस्टल के मैनेजमेंट के लिए कुछ लोगों को रख दिया। हमारे देश में आज भी गांवों में घरों के सामने तीन-चार पशु होते है, जगह कम होती है, पशु के कारण कई बीमारियां फैलती है, गंदगी फैलती है, लेकिन गांव के लोग ऐसी ही जिन्दगी जीने के आदी हो गए हैं। हम उसमें बदलाव चाहते थे। एनीमल हॉस्टेल बनाने के कारण गांव साफ-सुथरा रहने लगा। परिवार के लोग दिन में दो घंटे जाकर अपने पशु के साथ रहते हैं, पशु की देखभाल करते हैं, बाकी के समय वहां के कर्मचारी देखभाल करते हैं। इससे परिणाम इतना आया कि हॉस्टल में पशु रहने के कारण, डॉक्टेर उपलब्ध होने के कारण, वैज्ञानिक तरीके से देखभाल होने के कारण, उनके मिल्क प्रोडक्शकन में 20% की वृद्धि हो गई। इससे ये एक फायदा हुआ और दूसरी तरफ, पूरे दिन पशुओं की देखभाल में जिन बहनों की जिन्दगी खप जाती थी, वो इस काम से बाहर आकर अपने बच्चों का ख्याल रखने लगी, कोई हैंडीक्राफ्ट का काम करने लगी, कोई र्इकोनॉमीकल एक्टींविटी में जुड़ गई, पढ़ने-लिखने में रूचि रखने लगी और इस तरह पूरे गांव के जीवन में बदलाव आ गया और हेल्थ के व्यूम प्वाइंट से भी पूरे गांव का जीवन बदल गया..!

मित्रों, मैं मानता हूं कि आने वाले समय में हेल्थ को ध्यान में रखते हुए प्रीवेंशस के लिए कई नए इनिशिएटिव्स लेने पड़ेंगे। इसके लिए अगर मेडीकल क्षेत्र से जुड़े लोगों, सामाजिक सेवा करने वाले लोग और एजुकेशन सोसाइटी से जुडे लोग समाज के साथ मिलकर अगर इन चीजों पर बल देते हैं तो हम एक स्गस्थ हिंदुस्तान का सपना पूरा कर सकते हैं..! मैं मानता हूं कि यहां जो विद्यार्थी आने वाले दिनों में समाज के स्वा‍स्य्के साथ-साथ हिंदुस्तान के स्वास्य्दे की चिंता करने वाले हैं इस बारे में ध्यान देगें..! आज हमारे देश में मेडीकल को सेवा क्षेत्र के रूप में माना जाता है, सेवा को परमोधर्म के रूप में माना जाता है, दरिद्र नारायण की सेवा के रूप में माना जाता है, इस पवित्र भाव के साथ यहां मेडीकल सेक्टर से निकले हुए लोग, यहां के सभी विद्यार्थी, भारत को स्वास्थ बनाने में अपना बहुत योगदान देगें..! मेरी ओर से आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं..! मुझे आप सभी के बीच आने का अवसर मिला, इसके लिए मैं आप सभी का बहुत आभारी हूं। धन्यवाद..!

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असम सहित पूरा नॉर्थ ईस्ट आज भारत के विकास का नया प्रवेशद्वार: गुवाहाटी में पीएम मोदी
December 20, 2025
प्रधानमंत्री ने कहा- आधुनिक हवाई अड्डे और आधुनिक संपर्क अवसंरचना किसी भी राज्य के लिए नई संभावनाओं और नए अवसरों के द्वार हैं
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा - आज असम और पूरा पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के विकास का नया प्रवेश द्वार बन रहा है
प्रधानमंत्री ने कहा-पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के भविष्य के विकास का नेतृत्व करेगा

नोमोस्कार। लुइटपोरिया राइजोलोई मुर श्रोद्धा अरु मरोम ज़ासिसु!

असम के गर्वनर लक्ष्मण प्रसाद आचार्य जी, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जी, केंद्र में मेरे सहयोगी, हमारे पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल जी, राम मोहन नायडू जी, मुरलीधर मोहोल जी, पबित्रा मार्गेरिटा जी, असम सरकार के मंत्रिगण, अन्य महानुभाव, भाईयों और बहनों।

मैं अपना भाषण शुरू करूं उससे पहले, मैं आप सबसे एक प्रार्थना करता हूं, कि आज विजय का आज का जो दिवस है, एक प्रकार से विकास के उत्सव का दिवस है और ये सिर्फ असम नहीं, पूरे नॉर्थ ईस्ट के विकास का उत्सव है, और इसलिए मेरी आपसे प्रार्थना है कि अपना मोबाइल फोन निकालिए, उसपर फ्लैश लाईट चालू कीजिए और सब के सब इस विकास उत्सव में भागीदार बनिए। हर एक के मोबाईल फोन का लाईट जलना चाहिए, देखिए तालियों के गूंज से पूरा देश देखेगा, कि असम विकास का उत्सव मना रहा है। जब विकास का प्रकाश पहुंचता है, तो जिंदगी की हर राह नई ऊंचाईयों को छूने लग जाती है। बहुत-बहुत धन्यवाद सबका।

साथियों,

असम की धरती से मेरा लगाव, यहां के लोगों का प्यार और स्नेह, और खासकर असम और पूर्वोत्तर की मेरी माताओं-बहनों का अपनापन, ये मुझे निरंतर प्रेरित करते हैं, पूर्वोत्तर के विकास के हमारे संकल्प को ताकत देते हैं। मैं देख रहा हूं, आज एक बार फिर असम के विकास में नया अध्याय जुड़ रहा है, और ऐसे में भारत रत्न भूपेन दा की पंक्तियां बहुत सटीक हो जाती हैं। लुइदोर पार जिलिकाई टुलिबोलोई, आमी प्रोतिज्ञाबोद्ध! आमी हॉन्कल्पबोद्ध! यानी लुइत नदी का तट उज्जवल होगा, अंधकार की हर दीवार टूटेगी और ये होकर रहेगा, यही हमारा संकल्प है, यही हमारी प्रतिज्ञा है।

साथियों,

भूपेन दा की ये पंक्तियां केवल एक गीत नहीं थी, ये असम को प्यार करने वाली हर महान आत्मा का संकल्प था और आज ये संकल्प हमारे सामने सिद्ध हो रहा है। जैसे असम में विशाल ब्रह्मपुत्र की धाराएं कभी नहीं रूकती, वैसे ही बीजेपी की डबल इंजन सरकार में यहां विकास की धारा भी अनवरत बह रही है। आज लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का उद्धघाटन हमारे इस संकल्प का प्रमाण है। मैं सभी असमवासियों को, देश के लोगों को, इस नई टर्मिनल बिल्डिंग के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहनों और भाईयों,

अब से कुछ देर पहले मुझे गोपीनाथ बोरदोलोई जी की प्रतिमा का अनावरण करने का सौभाग्य मिला है। बोरदोलोई जी असम के पहले मुख्यमंत्री थे, असम का गौरव थे, असम की पहचान, असम का भविष्य और असम के हित उन्होंने कभी भी इससे समझौता नहीं किया। उनकी ये प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी, उनमें असम को लेकर गौरव की भावना जगाएगी।

साथियों,

आधुनिक एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं कनेक्टिविटी का आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चऱ ये किसी भी राज्य के लिए नई संभावनाओं और नए अवसरों के गेटवे होते हैं। ये राज्य के बढ़ते आत्मविश्वास और लोगों के भरोसे के स्तम्भ होते हैं। आप भी जब देखते हैं कि असम में इतने शानदार हाईवे बन रहे हैं एय़रपोर्ट बन रहे हैं तो आप भी कहते हैं- अब जाकर असम के साथ न्याय होना शुरू हुआ है।

वरना साथियों,

काँग्रेस की सरकारों के लिए असम और पूर्वोत्तर का विकास उनके एजेंडे में ही नहीं था। काँग्रेस की सरकारें, और उनमें बैठे लोग कहते थे, असम और पूर्वोत्तर में जाता ही कौन है? काँग्रेस कहती थी, असम को, पूर्वोत्तर को, आधुनिक एयरपोर्ट की, हाइवेज और बेहतर रेलवेज की जरूरत ही क्या है? इसी सोच की वजह से कांग्रेस ने दशकों तक इस पूरे क्षेत्र की उपेक्षा की।

साथियों,

कांग्रेस 6-7 दशक तक जो गलतियां करती रही, और मोदी एक एक करके उसको सुधार रहा है। मोदी कहता है, काँग्रेस वाले नॉर्थईस्ट जाएँ या न जाएँ, मुझे तो नॉर्थईस्ट और असम आते ही अपने लोगों के बीच होने का एहसास होता है। मोदी के लिए असम का विकास, ये जरूरत भी है, ज़िम्मेदारी भी है, और इसकी जवाबदेही भी है।

और इसीलिए साथियों,

बीते 11 वर्षों में असम और नॉर्थईस्ट के लिए लाखों करोड़ रुपए की विकास परियोजनाएं शुरू हुईं हैं। आज असम आगे भी बढ़ रहा है, और नए कीर्तिमान भी गढ़ रहा है। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि असम भारतीय न्याय संहिता लागू करने में देश में नंबर-1 राज्य बना है। असम ने 50 लाख से ज्यादा स्मार्ट प्री-पेड मीटरलगाकर भी एक नया रिकॉर्ड बनाया है। कांग्रेस के समय में असम में बिना पर्ची, बिना खर्ची के सरकारी नौकरी मिलना असंभव था। लेकिन आज यहां हजारों युवाओं को बिना पर्ची-बिना खर्ची नौकरी मिल रही है। भाजपा की सरकार में असम की संस्कृति को हर मंच पर बढ़ावा दिया जा रहा है। मैं भूल नहीं सकता, जब पिछले साल 13 अप्रैल को गुवाहाटी स्टेडियम में 11 हजार से ज्यादा कलाकारों ने एक साथ बिहू नृत्य किया था। इस घटना को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। ऐसे ही नए रिकॉर्ड बनाते हुए असम तेजी से आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

अब इस नई टर्मिनल बिल्डिंग से गुवाहाटी और असम की क्षमता और ज्यादा बढ़ जाएगी। इस टर्मिनल पर हर साल करीब सवा करोड़ से ज्यादा यात्री सफर कर सकेंगे! यानी, बड़ी संख्या में पर्यटक भी असम आ सकेंगे। श्रद्धालुओं के लिए माँ कामाख्या के दर्शन की सुविधा भी आसान हो जाएगी। इस नए एयरपोर्ट टर्मिनल में कदम रखते ही ये साफ दिखता है विकास भी औऱ विरासत भी, ये मंत्र के मायने क्या हैं? इस एयरपोर्ट को असम की प्रकृति और संस्कृति को ध्यान में रखकर गढ़ा गया है। टर्मिनल के अंदर हरियाली है। Indoor forest जैसी व्यवस्था है। चारों तरफ प्रकृति से जुड़ा डिजाइन है, यहां आने वाला हर यात्री सुकून महसूस करे। इसकी बनावट में बांस का खास इस्तेमाल किया गया है। बांस असम के जीवन का अभिन्न हिस्सा है, वो यहां मजबूती भी दिखाता है और खूबसूरती भी। और दिल्ली में बैठे हुए भूतकाल की सरकारों को ये बंबू क्या है, इसकी पहचान भी नहीं थी। आप हैरान होंगे, 2014 में आपने मुझे काम दिया उसके पहले हमारे देश में एक कानून था, ये कानून ऐसा था कि आप बंबू को काट नहीं सकते, अब कोई मुझे समझाए भई क्यों? क्योंकि उन्होंने कह दिया बंबू एक ट्री है, वृक्ष है, और जब एक बार वृक्ष कह दिया, तो फिर सारे दरवाजे बंद हो गए। जबकि बंबू दुनिया मानती है, कि ये एक पौधा है और हमने कानून हटाया और ग्रास की कैटेगरी में, जो सचमुच में बंबू की पहचान है उसमें लाया और तब जाकर के आज ये बंबू से इतनी बड़ी भव्य इमारत निर्माण हुई है और आज अगर आप सोशल मीडिया देखोगे, तो दुनिया भर में भारत के एयरपोर्ट की रचनाओं की चर्चा हो रही है।

साथियों,

इनफ्रास्ट्रक्चर के इस विकास का बहुत बड़ा संदेश, भारत की विकास यात्रा की पहचान बन रहा है। इससे उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। निवेशकों को कनेक्टिविटी का भरोसा मिलता है। लोकल प्रोडक्ट्स को दुनिया भर में पहुंचाने का रास्ता खुलता है। और, सबसे बड़ा भरोसा उस युवा को मिलता है, जिसके लिए नए अवसर पैदा होते हैं। और इसलिए आज हम असम को, असीम संभावनाओं की इसी उड़ान पर आगे बढ़ते देख रहे हैं।

साथियों,

आज भारत को देखने का दुनिया का नज़रिया बदला है, और भारत की भूमिका भी बदली है। भारत अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। 11 साल के भीतर-भीतर ये कैसे हुआ?

साथियों,

इसमें बहुत बड़ी भूमिका आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर के विकास की है। भारत 2047 की तैयारी कर रहा है, विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए हम इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस कर रहे हैं। और सबसे अहम बात ये है कि, विकास के इस महान अभियान में देश के हर राज्य की, हर क्षेत्र की भागीदारी है। हम पिछड़ों को प्राथमिकता दे रहे हैं। देश का हर राज्य एक साथ प्रगति करे, और विकसित भारत के मिशन में अपना योगदान दे, हमारी सरकार इस दिशा में काम कर रही है। और मुझे खुशी है कि आज असम और पूर्वोत्तर हमारे इस मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं। हमने Act East पॉलिसी के जरिए पूर्वोत्तर को प्राथमिकता दी, और आज, हम असम को भारत के ईस्टर्न गेटवे के रूप में उभरता देख रहे हैं। असम भारत को ASEAN देशों से जोड़ने के लिए ब्रिज की भूमिका निभा रहा है। ये शुरुआत अभी बहुत आगे तक जाएगी। और, असम कई क्षेत्रों में विकसित भारत का इंजन बनेगा।

साथियों,

आज असम और पूरा नॉर्थ ईस्ट भारत के विकास का नया प्रवेशद्वार बन रहा है। मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के संकल्प ने इस क्षेत्र की दिशा और इसकी दशा, दोनों बदली हैं। असम में नए पुल बनाने की रफ्तार, नए मोबाइल टावर लगाने की स्पीड, विकास के हर काम की गति, सपनों को हकीकत में बदल रही है। ब्रह्मपुत्र पर बने पुलों ने असम की कनेक्टिविटी को नई मजबूती और नया आत्मविश्वास दिया है। आजादी के बाद के 6-7 दशक में यहाँ केवल तीन बड़े पुल बन पाए थे। लेकिन पिछले एक दशक में चार नए मेगा ब्रिज पूरे किए गए हैं, इनके अलावा कई ऐतिहासिक परियोजनाएँ आकार ले रही हैं। बोगीबील और ढोला-सादिया जैसे सबसे लंबे पुलों ने असम को रणनीतिक रूप से और अधिक सशक्त बना दिया है। रेलवे कनेक्टिविटी में भी एक क्रांतिकारी बदलाव आया है। बोगीबील ब्रिज के शुरू होने से अपर असम और देश के बाकी हिस्सों के बीच की दूरी सिमट गई है। गुवाहाटी से न्यू जलपाईगुड़ी तक चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ने यात्रा के समय को कम कर दिया है। देश में वाटरवेज के विकास का फायदा भी असम को मिल रहा है। कार्गो ट्रैफिक में 140 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, ये इस बात का प्रमाण है कि ब्रह्मपुत्र केवल नदी नहीं, बल्कि आर्थिक शक्ति का प्रवाह है। पांडु में पहली शिप रिपेयर सुविधा विकसित हो रही है, वाराणसी से डिब्रूगढ़ तक चलने वाली गंगा विकास क्रूज़ को लेकर उत्साह है, इससे नॉर्थ ईस्ट, ग्लोबल क्रूज़ टूरिज्म के मानचित्र पर स्थापित हो गया है।

साथियों,

काँग्रेस की सरकारों ने असम और पूर्वोत्तर को विकास से दूर रखने का जो पाप किया था, उसका बहुत बड़ा खामियाजा देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता को उठाना पड़ा। काँग्रेस की सरकारों में हिंसा का दौर दशकों तक फलता फूलता रहा, हम केवल 10-11 साल के भीतर उसे खत्म करने की तरफ बढ़ रहे हैं। पूर्वोत्तर में पहले जहां हिंसा और खून-खराबा होता था, आज वहाँ 4G और 5G टेक्नालजी से डिजिटल कनेक्टिविटी पहुँच रही है। जो जिले, कभी हिंसा ग्रस्त माने जाते थे, आजवो आकांक्षी जिलों के रूप में विकसित हो रहे हैं। आने वाले समय में यही इलाके इंडस्ट्रियल कॉरिडॉर भी बनेंगे। इसीलिए, आज नॉर्थईस्ट को लेकर एक नया भरोसा जगा है। हमें इसे और मजबूती देनी है।

साथियों,

हमें असम और पूर्वोत्तर के विकास में कामयाबी इसलिए भी मिल रही है, क्योंकि हम इस क्षेत्र की पहचान और संस्कृति की सुरक्षा कर रहे हैं। काँग्रेस ने एक और पाप किया था, उसने यहाँ की पहचान को मिटाने की साजिश की थी। और ये षड्यंत्र केवल कुछ वर्षों का नहीं है! काँग्रेस के इस पाप की जड़ें आज़ादी के पहले से जुड़ी हैं। वो समय, जब मुस्लिम लीग और अँग्रेजी हुकूमत मिलकर भारत के विभाजन की जमीन तैयार कर रहे थे, उस समय असम को भी अविभाजित बंगाल का, यानी ईस्ट पाकिस्तान का हिस्सा बनाने की योजना बनाई गई थी। काँग्रेस उस साजिश का हिस्सा बनने जा रही थी। तब बोरदोलोई जी अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े हो गए थे। उन्होंने असम की पहचान को खत्म करने के इस षड्यंत्र का विरोध किया। और, असम को देश से अलग होने से बचा लिया। भाजपा पार्टी, हमेशा पार्टी लाइन से ऊपर उठकर हर देशभक्त का सम्मान करती है। अटल जी के नेतृत्व में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई, तब उन्हें भारत रत्न दिया गया।

भाइयों बहनों,

बोरदोलोई जी ने आज़ादी के पहले तो असम को बचा लिया था, लेकिन, उनके बाद काँग्रेस ने फिर से असम विरोधी और देश विरोधी काम शुरू कर दिये। काँग्रेस ने अपना वोटबैंक बढ़ाने के लिए मजहबी तुष्टीकरण के षड्यंत्र रचे हैं। बंगाल और असम में अपने वोटबैंक वाले घुसपैठियों को खुली छूट दी गई है। यहाँ की डेमोग्राफी को बदला गया है। इन घुसपैठियों ने हमारे जंगलों पर कब्जा किया, हमारी ज़मीनों पर कब्जा किया। इसका नतीजा ये हुआ कि पूरे असम की सुरक्षा और पहचान दांव पर लग गई है।

साथियों,

आज हिमंत जी की सरकार और उनकी टीम के सभी साथी बहुत मेहनत से, असम के संसाधनों को इस गैर-कानूनी और देशविरोधी अतिक्रमण से मुक्त करा रही है। असम के संसाधन असम के लोगों के काम आयें, इसके लिए हर स्तर पर काम हो रहा है। केंद्र सरकार ने भी घुसपैठ रोकने के लिए सख्ती की है। अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए उनकी पहचान भी कराई जा रही है।

लेकिन भाइयों बहनों,

काँग्रेस पार्टी और इंडी गठबंधन के लोग खुलकर देशविरोधी एजेंडों पर उतर आए हैं। देश का सुप्रीम कोर्ट तक घुसपैठियों को बाहर करने की बात कर चुका है। लेकिन, ये लोग घुसपैठियों के बचाव में बयानबाजी कर रहे हैं। इनके वकील कोर्ट में घुसपैठियों को बसाने की पैरवी कर रहे हैं। चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव के लिए SIR की प्रक्रिया करवा रहा है, तो, इन लोगों को देश के हर कोने में तकलीफ हो रही है। ऐसे लोग, असमिया भाई-बहनों के हितों को नहीं बचाएंगे। ये लोग आपकी जमीन और जंगलों पर किसी और का कब्जा होने देंगे, इनकी देशविरोधी मानसिकता पुराने दौर की हिंसा और अशांति वाले हालात पैदा कर सकती है। और इसलिए मेरे असम के भाई-बहन, हमें बहुत सावधान रहना है। जिस असम की अस्मिता के लिए बोरदोलोई जी जैसे लोगों ने जीवन भर अपना सब कुछ नौछावर किया, हमें उसकी रक्षा करनी है। असम के लोगों को एकजुट रहना है। हमें असम के विकास को डिरेल होने से बचाना है, काँग्रेस के षडयंत्रों को पल-पल, कदम-कदम पर विफल करते रहना है।

साथियों,

आज दुनिया भारत की ओर उम्मीद से देख रही है। भारत के भविष्य का नया सूर्योदय पूर्वोत्तर से ही होना है। इसके लिए, हमें साथ मिलकर अपने सपनों के लिए काम करना होगा। हमें असम के विकास को सबसे आगे रखकर चलना होगा। मुझे विश्वास है, हमारे ये सामूहिक प्रयास असम को नई ऊंचाई पर लेकर जाएंगे। हम विकसित भारत के सपने पूरा करेंगे। और विकसित असम से विकसित भारत का रास्ता बनने वाला है। इसी कामना के साथ मैं एक बार फिर नए टर्मिनल की बधाई देता हूं। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद। मेरे साथ बोलिए-

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।