भारत-आसियान भागीदारी 25 साल पुरानी हो सकती है, लेकिन दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भारत के संबंध दो सदियों से भी ज्यादा पुराने हैं: प्रधानमंत्री मोदी
आसियान क्षेत्र में भारत का मुक्त व्यापार समझौता सबसे पुराना और सबसे महत्वाकांक्षी: पीएम मोदी
आसियान देशों में 60 लाख से अधिक भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जिनके मूल में विविधता और गतिशीलता है, यह एक असाधारण मानवीय बंधन को दर्शाता है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘आसियान-भारत: साझा मूल्य, समान नियति’ के शीर्षक से प्रकाशित अपने लेख में आसियान-भारत साझेदारी के बारे में अपना दृष्टिकोण साझा किया है। यह लेख आसियान के सदस्य देशों के प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों के संपादकीय पन्‍ने पर प्रकाशित हुआ है। इस लेख का पूर्ण पाठ निम्‍नलिखित है।

 ‘आसियान-भारत: साझा मूल्य, समान नियति’

द्वारा: श्री नरेन्द्र मोदी

 

आज 1.25 अरब भारतीयों को देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में 10 प्रतिष्ठित अतिथियों यथा आसियान राष्ट्रों के राजनेताओं की मेजबानी करने का गौरव प्राप्‍त होगा।

गुरुवार को मुझे आसियान-भारत साझेदारी के 25 वर्षों का जश्‍न मनाने के अवसर पर आयोजित स्मारक शिखर सम्मेलन के लिए आसियान के राजनेताओं की मेजबानी करने का सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ था। हमारे साथ उनकी उपस्थिति आसियान राष्‍ट्रों की ओर से अभूतपूर्व सद्भाव को परिलक्षित करती है। इस सद्भाव पर सौम्‍य प्रतिक्रियास्‍वरूप सर्दियों के इस मौसम में भारत ने आज प्रात: गर्मजोशी भरी मित्रता का परिचय देते हुए उनका सम्‍मानपूर्वक स्‍वागत किया है।

यह कोई सामान्य आयोजन नहीं है। यह उस उल्लेखनीय यात्रा में ऐतिहासिक मील का पत्थर है जिसने भारत और आसियान को अपने 1.9 अरब देशवासियों यानी दुनिया की लगभग एक-चौथाई आबादी के लिए अत्‍यंत अहम वादों से भरी आपसी साझेदारी के एक सूत्र में बांध दिया है।

भारत-आसियान साझेदारी भले ही सिर्फ 25 साल पुरानी हो, लेकिन दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत के रिश्‍ते दो सहस्राब्दियों से भी अधिक पुराने हैं। शांति एवं मित्रता, धर्म व संस्कृति, कला एवं वाणिज्य, भाषा और साहित्य के क्षेत्रों में अत्‍यंत प्रगाढ़ हो चुके ये चिरस्थायी रिश्‍ते अब भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया की शानदार विविधता के हर पहलू में मौजूद हैं जिससे हमारे लोगों के बीच सहूलियत और अपनेपन का एक अनूठा आवरण बन गया है।

दो दशक से भी अधिक समय पहले भारत ने व्‍यापक बदलावों के साथ दुनिया के लिए अपने दरवाजे खोल दिए थे और विगत सदियों के दौरान विकसित सहज रुझान से प्रेरित होकर वह स्‍वाभाविक रूप से पूरब की ओर उन्‍मुख हो गया। इस प्रकार पूरब के साथ भारत के एकीकरण की एक नई यात्रा शुरू हुई। भारत की दृष्टि से हमारे ज्‍यादातर प्रमुख साझेदार और बाजार यथा आसियान एवं पूर्वी एशिया से लेकर उत्तरी अमेरिका तक दरअसल पूरब की ओर ही अवस्थित हैं। यही नहीं, भूमि एवं समुद्री मार्गों से जुड़े हमारे पड़ोसी यथा दक्षिण-पूर्व एशिया और आसियान हमारी ‘लुक ईस्ट’ नीति एवं पिछले तीन वर्षों से हमारी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत ऊंची कारोबारी छलांग लगाने में अत्‍यंत मददगार साबित होते रहे हैं।

आसियान और भारत इसके साथ ही संवाद करने वाले साझेदारों के बजाय अब रणनीतिक साझेदार बन गए हैं। हम 30 व्‍यवस्‍थाओं के जरिए व्यापक आधार वाली आपसी साझेदारी को आगे बढ़ा रहे हैं। आसियान के प्रत्येक सदस्‍य देश के साथ हमारी राजनयिक, आर्थिक और सुरक्षा साझेदारी बढ़ रही है। हम अपने समुद्रों को सुरक्षित और निरापद रखने के लिए मिलकर काम करते हैं। हमारा व्यापार और निवेश प्रवाह कई गुना बढ़ गया है। आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और भारत आसियान का सातवां सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। भारत द्वारा विदेश में किए जाने वाले निवेश का 20 प्रतिशत से भी अधिक हिस्‍सा आसियान के ही खाते में जाता है। सिंगापुर की अगुवाई में आसियान भारत का प्रमुख निवेश स्रोत है। इस क्षेत्र में भारत द्वारा किए गए मुक्त व्यापार समझौते अपनी तरह के सबसे पुराने समझौते हैं और किसी भी अन्‍य क्षेत्र की तुलना में सबसे महत्वाकांक्षी हैं।

हवाई संपर्कों का अत्‍यंत तेजी से विस्तार हुआ है और हम नई अत्यावश्यकता एवं प्राथमिकता के साथ महाद्वीपीय दक्षिण-पूर्व एशिया में काफी दूर तक राजमार्गों का विस्तार कर रहे हैं। बढ़ती कनेक्टिविटी के परिणामस्‍वरूप आपसी सान्निध्य और ज्‍यादा बढ़ गया है। यही नहीं, इसके परिणामस्‍वरूप दक्षिण-पूर्व एशिया में पर्यटन के सबसे तेजी से बढ़ते स्रोतों में अब भारत भी शामिल हो गया है। इस क्षेत्र में रहने वाले 6 मिलियन से भी अधिक प्रवासी भारतीय, जो विविधता में निहित और गतिशीलता से ओत-प्रोत हैं, हमारे लोगों के बीच आपसी मानवीय जुड़ाव बढ़ाने की दृष्टि से अद्भुत हैं।   

प्रधानमंत्री ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान के प्रत्‍येक देश के बारे में अपने विचार इस प्रकार साझा किये हैं।

थाईलैंड

थाईलैंड आसियान देशों में से एक महत्‍वपूर्ण व्‍यापारिक साझेदार के रूप में उभर कर सामने आया है और भारत में निवेश करने वाले महत्‍वपूर्ण देशों में से एक है। भारत और थाईलैंड के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार पिछले दशक में बढ़कर दुगने से अधिक हो गया है। दोनों देशों के संबंध कई क्षेत्रों में विस्‍तृत रूप से फैले हुए हैं। हम दक्षिण और दक्षिण-पूर्व को जोड़ने वाले महत्‍वपूर्ण क्षेत्रीय साझेदार हैं। हम आसियान, पूर्वी एशिया शिखर सम्‍मेलन और बिमस्‍टेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी के देशों के संगठन) में घनिष्‍ठ सहयोगी तो हैं ही, मीकांग-गंगा सहयोग, एशिया सहयोग वार्ता और हिन्‍द महासागर के तटवर्ती देशों के संगठन में भी साझेदार हैं। 2016 में थाईलैंड के प्रधानमंत्री की भारत की राजकीय यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों में दीर्घकालीन असर पड़ा।    

थाईलैंड के महान और जनप्रिय नरेश भूमिबोल अदुल्‍यदेज के देहांत पर पूरा भारत थाईलैंड के अपने भाई-बहनों के साथ शोकमग्‍न हो गया था। अपने थाई मित्रों के साथ भारत के लोगों ने भी नये नरेश महामहिम महा वाजिरालोंगकोर्न बोदी‍न्द्रदेबायावारांगकुन के खुशहाल और शांतिपूर्ण शासन के लिए प्रार्थना की।

वियतनाम

भारत के वियतनाम के साथ परम्‍परागत रूप से घनिष्‍ठ और सद्भावपूर्ण संबंधों की जड़ें विदेशी शासन से मुक्ति के लिए एक जैसे संघर्ष और राष्‍ट्रीय स्‍वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हैं। महात्‍मा गांधी और राष्‍ट्रपति हो चि मिन्‍ह जैसे महान नेताओं ने उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ाई में देशवासियों को ऐतिहासिक नेतृत्‍व प्रदान किया। 2007 में वियतनाम के प्रधानमंत्री एंगुयेन तान डुंग की भारत यात्रा के दौरान हमने सामरिक साझेदारी समझौते पर दस्‍तखत किये। 2016 में मेरी वियतनाम यात्रा से इस सामरिक साझेदारी ने समग्र सामरिक साझेदारी का रूप ले लिया।

वियतनाम के साथ भारत के संबंध बढ़ते हुए आर्थिक और वाणिज्यिक संपर्कों को रेखांकित करते हैं। भारत और वियतनाम के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार दस वर्षों में करीब 10 गुना बढ़ गया है। रक्षा सहयोग भारत और वियतनाम के बीच सामरिक साझेदारी के महत्‍वपूर्ण आधार स्‍तंभ के रूप में उभर कर सामने आया है। विज्ञान और टेक्‍नोलाजी दोनों देशों के बीच सहयोग का एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण क्षेत्र है।

म्‍यांमार

भारत और म्‍यांमार के बीच 1600 किलोमीटर से ज्यादा लंबी साझा जमीनी और समुद्री सीमा है। हमारे बीच मित्रता की जड़ें धार्मिक और सांस्‍कृतिक परम्‍पराओं में निहित हैं और हमारी साझा बौद्ध बिरासत हमें उतने ही घनिष्‍ठ रूप से बांधे हुए है जितना पुराना हमारा ऐतिहासिक अतीत है। भला इस मित्रता को श्‍वेडगोन पगोडा की लगमगाती मीनार से अधिक भव्‍य तरीके से कौन उजागर कर सकता है। भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण की मदद से बेगान के आनंद मंदिर का जीर्णोद्धार भी मित्रता की इस साझी बिरासत का द्योतक है।

औपनिवेशिक युग में हमारे नेताओं के बीच राजनीतिक संबंध बने थे और उन्‍होंने आजादी की साझा लड़ाई में बड़ी उम्‍मीदों और एकता का प्रदर्शन किया। गांधीजी ने कई बार यांगून का दौरा किया था। बालगंगाधर तिलक को तो कई साल के लिए यांगून भेजकर देश निकाला दे दिया गया था। भारत की आजादी के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आह्वान ने म्‍यांमार में बहुत से लोगों को उद्वेलित कर दिया था।    

पिछले दशक में हमारा व्‍यापार दुगने से भी ज्‍यादा बढ़ गया है। हमारे निवेश संबंध भी काफी सुदृढ़ हुए हैं। म्‍यांमार के साथ भारत के संबंधों में विकास संबंधी सहयोग की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। फिलहाल भारत की ओर से सहायता राशि 1.73 अरब डालर से अधिक है। भारत का पारदर्शी विकास सहयोग म्‍यांमार की राष्‍ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार है जिसका आसियान से जुड़ने के मास्‍टर प्‍लान यानी वृहद योजना के साथ पूरा तालमेल है।   

सिंगापुर

सिंगापुर, इस क्षेत्र के साथ भारत के संबंधों की विरासत के झरोखे, वर्तमान की प्रगति और भविष्‍य की संभावनाओं तरह है। सिंगापुर भारत और आसियान के बीच एक पुल की तरह है।

आज यह पूर्व के साथ हमारे प्रवेश का मुख्‍य मार्ग है, यह हमारा प्रमुख आर्थिक साझेदार है और महत्वपूर्ण सामरिक सहयोगी भी है जिसकी झलक कई क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों में हमारी सदस्‍यता से परिलक्षित होती है। सिंगापुर और भारत सामरिक सहयोगी भी हैं।

हमारे राजनीतिक संबंध सद्भाव, सौहार्द और भरोसे पर टिके हुए हैं। हमारे रक्षा संबंध दोनों के सुदृढ़तम रक्षा संबंधों में से हैं। 

हमारी आर्थिक साझेदारी में दोनों देशों की प्राथमिकताओं का प्रत्येक क्षेत्र शामिल है। सिंगापुर भारत का प्रमुख गंतव्‍य और निवेश स्रोत है।

हजारों भारतीय कंपनियां सिंगापुर में पंजीकृत हैं।

16 भारतीय शहरों से सिंगापुर के लिए सप्‍ताह में 240 सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। सिंगापुर की यात्रा करने वाले पर्यटकों की संख्‍या की दृष्टि से भारतीय पर्यटक समूह तीसरे स्‍थान पर है।

सिंगापुर की विविधतापूर्ण संस्‍कृति भारत के लिए प्रेरणास्‍पद है। प्रतिभा का सम्‍मान करने की भावना की वजह से वहां भारतीयों की उपस्थिति बड़ी जीवंत और गतिशील है और ये लोग दोनों राष्‍ट्रों की घनिष्‍ठता बढ़ाने में योगदान कर रहे हैं।      

फिलीपींस

करीब दो महीने पहले अपनी फिलीपींस यात्रा करने पर मुझे बड़ा संतोष हुआ था। आसियान-भारत, ईएएस और इनसे संबंधित शिखर सम्‍मेलनों में भाग लेने के अलावा मुझे राष्‍ट्रपति दुतेर्ते से मुलाकात का सुअवसर मिला और हमने अपने घनिष्‍ठ और समस्‍यामुक्‍त संबंधों को आगे बढ़ाने पर चर्चा की। दोनों देश सेवा के क्षेत्र में मजबूत हैं और हम सबसे ऊंची विकासदर वाले दुनिया के प्रमुख देशों में शामिल हैं। व्‍यापार और कारोबार की हमारी क्षमताओं की वजह से हमारे सामने अनेक संभावनाएं हैं।

मैं समावेशी विकास लाने और भ्रष्‍टाचार से संघर्ष के बारे में राष्‍ट्रपति दुते‍र्ते की वचनबद्धता की सराहना करता हूं। ये ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें दोनों देश मिल कर कार्य कर सकते हैं। हमें यूनीवर्सल आईडी कार्ड, वित्‍तीय समावेशन, बैंकिंग को सबकी पहुंच के दायरे में लाने, प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण और नकदी विहीन लेन-देन को बढ़ावा देने के बारे में अपने अनुभवों को फिलीपींस के साथ साझा करने में बड़ी प्रसन्‍नता हो रही है। सभी को वाजिब दामों पर दवाएं उपलबध कराना फिलीपींस सरकार की प्राथमिकता का एक अन्‍य विषय है और हम इसमें योगदान करने को तैयार हैं। मुंबई से मरावी तक आतंकवाद ने किसी को नहीं बख्‍शा है। इस साझा चुनौती से निबटने में हम फिलीपींस के साथ सहयोग बढ़ा रहे हैं। 

मलेशिया

भारत और मलेशिया के बीच समसामयिक संबंध काफी विस्‍तृत हैं और कई क्षेत्रों में फैले हुए हैं। मलेशिया और भारत सामरिक साझेदार हैं और कई बहुपक्षीय तथा क्षेत्रीय मंचों में भी सहयोगी हैं। 2017 में मलेशिया के प्रधानमंत्री की भारत की राजकीय यात्रा हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा असर डाला है।

आसियान में मलेशिया भारत के तीसरे सबसे बड़े व्‍यापारिक साझेदार के रूप में उभर कर सामने आया है और भारत में निवेश करने वाला आसियान देशों में से महत्‍वपूर्ण निवेशक है। पिछले दस वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार दुगने से ज्‍यादा बढ़ गया है। 2011 से भारत और मलेशिया के बीच विस्‍तृत द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग समझौता है। यह समझौता इस अर्थ में अनोखा है कि इसने सामान के व्‍यापार के क्षेत्र में आसियान से कही अधिक वचनबद्धाओं वाला प्रस्‍ताव किया और सेवाओं के विनिमय में डब्‍ल्‍यूटीओ से भी अधिक के प्रस्‍ताव किये। दोनों देशों के बीच दोहरे कराधान को रोकने के संशोधित समझौते पर मई 2012 में दस्‍तखत किये गये और सीमा शुल्‍क के क्षेत्र में सहयोग के लिए 2013 में समझौता हुआ जिसने हमारे व्‍यापार और निवेश सहयोग को और भी सुविधाजनक बना दिया है।      

 

ब्रूनेई

भारत और ब्रूनेई के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार पिछले दशक में दुगने से ज्यादा हो गया है। भारत और ब्रूनेई संयुक्‍त राष्‍ट्र, गुट निरपेक्ष आंदोलन (नाम), राष्‍ट्रमंडल, एआरएफ आदि संगठनों के साझा सदस्‍य हैं। विकासशील देशों के रूप में मजबूत पारम्‍परिक और सांस्‍कृतिक संबंधों के साथ प्रमुख अंतर्राष्‍ट्रीय विषयों पर ब्रूनेई और भारत के विचारों में काफी हद तक समानता है। 2008 में ब्रूनेई के सुल्‍तान की भारत यात्रा दोनों देशों के संबंधों में एक मील का पत्‍थर साबित हुई। भारत के उपराष्‍ट्रपति ने फरवरी 2016 में ब्रूनेई का दौरा किया।   

 

लाओ पीडीआर

भारत और लाओ पीडीआर के बीच संबंध व्यापक रूप से कई क्षेत्रों में फैले हुये हैं। भारत लाओ पीडीआर के विद्युत वितरण एवं कृषि क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। आज, भारत और लाओ पीडीआर अनेक बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग करते हैं।

यद्यपि भारत और लाओ पीडीआर के बीच व्यापार संभावनाओं से कम है लेकिन भारत ने लाओ पीडीआर से भारत में निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिये लाओ पीडीआर को ड्यूटी फ्री टैरिफ प्रेफरेंस स्कीम की सुविधा प्रदान की हुई है। हमारे पास सेवा क्षेत्र में अपार संभावनायें जो कि लाओ पीडीआर की अर्थव्यवस्था के निर्माण में काम आती हैं। आसियान-भारत सेवा और निवेश समझौते का लागू होना सेवा क्षेत्र में हमारे व्यापार को बढ़ाने में मदद करेगा।

इंडोनेशिया

हिंद महासागर में केवल 90 समुद्री मील की दूरी पर स्थित भारत और इंडोनेशिया दो सहस्त्राब्दियों से सभ्यता आधारित एक संबंध की निरंतरता को साझा करते हैं।

चाहे यह ओडिशा में वार्षिक बालीजात्रा का उत्सव हो या रामायण और महाभारत की कहानियां जो कि पूरे इंडोनेशियाई भूक्षेत्र में दिखती हैं, यह अनोखे सांस्कृतिक तंतु एशिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के लोगों को एक विशेष मैत्रीपूर्ण रिश्ते में बांधते हैं।

'विविधता में एकता' या भिन्नेका तुंगल इका दोनों ही देशों में मान्य साझा सामाजिक मूल्यों के ढांचे का एक महत्वपूर्ण पक्ष है, वैसे ही लोकतंत्र के साझा मूल्य और कानून का शासन भी है।

आज, रणनीतिक सहयोगियों के रूप में, हमारा सहयोग राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा एवं सुरक्षा, सांस्कृतिक एवं लोगों के बीच संबंधों जैसे सभी क्षेत्रों में फैला हुआ है। आसियान में इंडोनेशिया हमारा लगातार सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी बना हुआ है। भारत और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले 10 वर्षों में 2.5 गुना बढ़ा है। वर्ष 2016 में राष्ट्रपति जोको विडोडो की भारत की राजकीय यात्रा का द्विपक्षीय संबंधों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा है।

कंबोडिया

भारत और कंबोडिया के बीच परंपरागत और मैत्रीपूर्ण संबंध सभ्यताओं पर आधारित हैं जो गहराई से जुड़े हुए हैं। अंगकोर वाट मंदिर का भव्य ढांचा हमारे प्राचीन ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों का एक शानदार गवाह और भव्य प्रतीक है। 1986-1993 के मुश्किल समय में अंग्कोर वाट मंदिर का पुनरुद्धार और पुनर्स्थापन कार्य करने में भारत गौरवान्वित हुआ। ता-प्रोह्म मंदिर में चल रहे पुनरुद्धार के काम में भारत एक मूल्यवान सहयोगी बना हुआ है।

खमेर रूज की सत्ता समाप्त होने के बाद भारत पहला ऐसा देश था जिसने 1981 में नई सरकार को मान्यता दी थी। पेरिस शांति समझौता एवं 1991 में इसको पूर्ण किये जाने में भी भारत शामिल था। नियमित तौर पर होने वाले उच्च-स्तरीय दौरों की वजह से मित्रता के यह परंपरागत संबंध और सुदृढ़ हुए है। हमने अपने सहयोग का विविध क्षेत्रों जैसे संस्थागत क्षमता विकास, मानव संसाधन विकास, विकासात्मक एवं सामाजिक परियोजनायें, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, सैन्य सहयोग, पर्यटन और लोगों के बीच संबंधों जैसे क्षेत्रों में विस्तार किया है।

आसियान के संबंध में और अन्य वैश्विक मंचों पर कंबोडिया भारत का एक महत्वपूर्ण सहयोगी और साझीदार है। भारत कंबोडिया के आर्थिक विकास में एक साझीदार बनने के लिये प्रतिबद्ध है और परंपरागत संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की दिशा में उन्मुख है।

यही नहीं, भारत एवं आसियान और भी बहुत कुछ कर रहे हैं। आसियान के नेतृत्व वाली अन्य संस्थाओं जैसे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, एडीएमएम (आसियान रक्षा मंत्री एवं अन्य की बैठक) तथा एआरएफ (आसियान क्षेत्रीय मंच) में हमारी साझेदारी इस क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा दे रही है। भारत व्यापक क्षेत्रीय आर्थिक भागीदारी समझौते का एक उत्सुक भागीदार है जो कि सभी 16 भागीदारों के लिये एक व्यापक, संतुलित और निष्पक्ष समझौते की अपेक्षा करता है।

भागीदारी में शक्ति एवं स्थायित्व केवल संख्याबल से ही नहीं आता है बल्कि संबंधों की गहराई से भी आता है। भारत एवं आसियान देशों के संबंध किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा एवं दावेदारी से मुक्त हैं। हमारे पास भविष्य के लिये एक साझा दृष्टिकोण है जो कि समावेषण एवं एकीकरण, सभी राष्ट्रों की सार्वभौमिक समानता तथा व्यापार और पारस्परिक संबंधों के लिये स्वतंत्र एवं खुले मार्गों के समर्थन के प्रति प्रतिबद्धता पर आधारित है। यह इनके आकार पर आधारित न हो। आसियान-भारत साझेदारी लगातार प्रगति करेगी। युवा जनसंख्या, गतिशीलता एवं मांग के मामले में हसिल बढ़त के साथ-साथ तेजी से परिपक्व होतीं अर्थव्यवस्थायें  - भारत एवं आसियान - एक मजबूत आर्थिक साझेदारी का सृजन करेंगी। संपर्क के साधन बढ़ेंगे और व्यापार का विस्तार होगा। एक ऐसे समय में जब भारत में एक सहयोगात्मक एवं प्रतिस्पर्धात्मक संघीय प्रणाली है, हमारे राज्य भी दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ एक फलदायी सहयोग संबंधों का विकास कर रहे हैं।

भारत का उत्तर-पूर्व एक पुनरुत्थान के पथ पर है। दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संपर्क इसकी प्रगति को और गति प्रदान करेगा। इस तरह से एक जुड़ा हुआ उत्तर-पूर्व हमारे सपनों के आसियान भारत संबंधों के लिये एक सेतु का काम करेगा।

एक प्रधानमंत्री के तौर पर मैंने चार वार्षिक आसियान-भारत शिखर सम्मेलनों एवं पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में भाग लिया है। इसने क्षेत्र को स्वरूप देने के दृष्टिकोण में आसियान की एकता, इसकी केंद्रीय भूमिका और नेतृत्व के संबंध में मेरे विश्वास को और मजबूत किया है।

यह उपलब्धियों से भरा वर्ष है। पिछले वर्ष भारत की स्वतंत्रता के 70 वर्ष पूरे हुये। आसियान ने 50 वर्षों का स्वर्णकाल पूरा किया। हममें से प्रत्येक अपने भविष्य की ओर आशा भरी नजरों से और साथ ही हमारी साझेदारी की ओर विश्वासपूर्वक देख सकता है।

70 वर्ष की आयु में भारत अपनी युवा जनसंख्या की वजह से चेतना, उद्यमशीलता एवं ऊर्जा बिखेर रहा है। विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने की वजह से भारत वैश्विक अवसरों का नया स्थल और विश्व अर्थव्यवस्था में स्थिरता का आधार बन गया है। प्रत्येक दिन बीतने के साथ भारत में व्यापार करना और आसान एवं सुगम बन रहा है। मुझे आशा है कि एक पड़ोसी और मित्र के नाते आसियान देश एक नये भारत के बदलाव का एक अभिन्न हिस्सा बनेंगे।

हम आसियान की खुद की प्रगति की सराहना करते हैं। आसियान ऐसे समय में अस्तित्‍व में आया था जब दक्षिण एशिया एक क्रूर युद्ध का अखाड़ा तथा अनिश्चित भविष्य वाले देशों का क्षेत्र बना हुआ था, ऐस समय में आसियान ने 10 देशों को एक समान उद्देश्य और साझा भविष्य के लिये संगठित किया। हममें ऊंची महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने और अपने समय की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता है चाहें वे चुनौतियां आधारभूत ढांचे और शहरीकरण की हों या टिकाऊ कृषि की या एक स्वस्थ धरती की हों। हम डिजिटल तकनीक, आविष्कार और संपर्क के साधनों की शक्ति का प्रयोग करके जीवन को एक अभूतपूर्व गति से और विशाल स्तर पर बदल सकते हैं।

भविष्य की उम्मीद को शांति की एक ठोस चट्टान की जरूरत होती है। यह युग बदलावों, अस्थिरता और ऐसे परिवर्तनों का है जो कि इतिहास में दुर्लभ है। आसियान और भारत के पास अपने समय की अनिश्चितता और विप्लव से निकल कर अपने क्षेत्र एवं विश्व के लिये एक स्थिर और शांतिपूर्ण भविष्य के निर्माण के लिये एक स्थिर मार्ग तैयार करने के अपार अवसर भी हैं लेकिन वास्तव में विशाल जिम्मेदारियां भी हैं।

भारतीयों ने पूरब की तरफ हमेशा एक पोषण करने वाले सूर्योदय और प्रकाश के अवसरों के लिये देखा है। अब, पहले की ही तरह, पूरब या हिंद-प्रशान्त क्षेत्र भारत के भविष्य और हमारी साझा नियति के लिये अपरिहार्य है। आसियान-भारत साझेदारी इन दोनों के लिये ही एक निर्णायक भूमिका अदा करेगी। इस बीच, दिल्ली में आसियान और भारत दोनों ने ही अपने भविष्य की यात्रा के लिये अपने संकल्प को दोहराया है।

आसियान के समाचार-पत्रों के संपादकीय पन्‍ने पर प्रकाशित प्रधानमंत्री के लेख को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है....

https://www.bangkokpost.com/opinion/opinion/1402226/asean-india-shared-values-and-a-common-destiny

 

https://vietnamnews.vn/opinion/421836/asean-india-shared-values-common-destiny.html#31stC7owkGF6dvfw.97

 

https://www.businesstimes.com.sg/opinion/asean-india-shared-values-common-destiny

 

https://www.globalnewlightofmyanmar.com/asean-india-shared-values-common-destiny/

 

https://www.thejakartapost.com/news/2018/01/26/69th-republic-day-india-asean-india-shared-values-common-destiny.html

 

https://www.mizzima.com/news-opinion/asean-india-shared-values-common-destiny

 

https://www.straitstimes.com/opinion/shared-values-common-destiny

 

https://news.mb.com.ph/2018/01/26/asean-india-shared-values-common-destiny/

Explore More
आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी
'Will walk shoulder to shoulder': PM Modi pushes 'Make in India, Partner with India' at Russia-India forum

Media Coverage

'Will walk shoulder to shoulder': PM Modi pushes 'Make in India, Partner with India' at Russia-India forum
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है: पीएम मोदी
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।