मंत्री परिषद् के मेरे सभी साथी, और उपस्थित सभी महानुभाव,

आप सभी सुबह 9 बजे से बैठे हैं. काफी थकान भी महसूस कर रहे हैं. क्योंकि यहाँ खुद के संबधित विषय बहुत कम होंगे, लेकिन और विषयों को भी झेलना पढ़ रहा है.

सामान्य रूप से सरकार का एक स्वभाव रहता है, secrecy का. आज के इस अवसर पर आप अनुभव करते होंगे openness का - एक खुलापन। सरकार क्याा सोचती है, अब यह चीजें जितनी आज आपके सामने आई हैं, यही चीजें पाने के लिए पता नहीं कितनी आरटीआई करनी पड़ती है आपको। तो व्यकवस्था ऐसी विकसित की जा सकती है कि... उसी प्रकार से हमने देखा है कि बजट जब आता है तो ढेर सारे delegations memorandum लेकर के आते हैं। वो भी एक ऐसी formality हो जाती है कि सरकार कागज ले लेती है, कितना ही बड़ा higher position पर क्यों न हो, “अच्छा-अच्छा देख लेंगे।“ फिर वो कागज process में चला जाता है।

आज आपने देखा होगा कि आपकी जो concerns है उसकी आज चर्चा हुई है। सिर्फ सुना गया ऐसा नहीं है। चर्चा हुई, इतना ही नहीं उसमें से रास्ते खोजे गए। रास्ते खोजकर के हम मिलकर के achieve कैसे करे? हमारी collective responsibility का एक feeling आज आया। feeling of oneness - उस दिशा में एक प्रयास है।

जब मैं प्रारंभ से कहता हूं कि Minimum Government, Maximum Governance. यह विषय बहुत कम लोग समझ पाते है। कुछ लोग तो यह मानते है कि मंत्रियों की संख्या के आधार पर तय होता है कि Minimum Government है या नहीं है। यह उनकी समझदारी का problem है। लेकिन Minimum Government, Maximum Governance क्या होता है वो आज एक दिन में आपने देख लिया। शायद जितने निर्णय आज आप कर रहे हैं, मिल करके कर रहे हैं, शायद सरकारी फाइल और process में हुआ होता तो सालों निकल जाते। यह है Maximum Governance. Minimum Governance to Maximum Governance की दिशा में कैसे जा सकते है इसका यह एक स्वभाविक आपके सामने प्रस्तुत है।

मैं जब नया-नया आया मैंने 15 अगस्त को भी इस बात का उल्लेख किया था लाल किले पर से। मैं अनुभव कर रहा था यहां सरकार silo में चलती है। हरेक का अपना-अपना एक रजवाड़ा बना हुआ है वो अपना... पिछले छह-सात महीनों में सबसे पहला हमने काम किया उन सारे barriers को खत्म कर दिया। मिल-बैठकर के निर्णय करें, कागजी कार्रवाई आखिर में होती है।

आज हम उसमें से एक step आगे गए हैं और वो step है कि Public private partnership का model सिर्फ पूंजी और प्रोजेक्टि नहीं होता है। Public private partnership का model – design making process में भी हो सकता है। एक नया approach है। और उस नये approach को आज आपने अनुभव किया है। It is a beginning. लेकिन इससे आपको संकेत मिलता होगा कि किस दिशा में जाया जा सकता है। तो in true sense, Public private partnership का model “meeting of mind” से शुरू होता है, तो फिर achievement in manufacturing तक पहुंचता है और मैं मानता हूं कि आज पूरे दिनभर में आपने इस बात को अनुभव किया होगा।

मुझे याद है जिस दिन 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म> जयंती पर मैंने Make In India कार्यक्रम की यहां शुरूआत की थी, आप में से कई मित्र यहां थे। उसके बाद मैं काफी कुछ उसकी आलोचनाएं सुन रहा था। लेकिन आपने देखा होगा कि पिछले तीन महीने में एक विचार को सिद्ध करने के लिए government machinery ने किस प्रकार से अपने आपको तैयार किया है, सज्य किया है। आपको अनुभव आया होगा चर्चा में। कानून बदलने पड़े - तैयार है, नियम बदलने पड़े - तैयार है, व्यावस्थाओं को speedy करना है - तैयार है, यह जो एक बदलाव है उस बदलाव को हमें real धरती पर आगे उतारना है। और इसलिए आपको इसके साथ जोड़कर के इसके लिए हमने प्रयास किया है।

हम जानते है सरकार ज्याकदातर ABCD में फंसी हुई रहती है। सरकार का culture ABCD culture होता है। और यह ऊपर से नीचे तक होता है। और जब मैं ABCD कहता हूं मतलब..

A मतलब avoid,

B – Bypass,

C – Confuse,

D - Delay.

हमारी कोशिश है ABCD culture से एक ऐसे Road map पर जाए, जिसमें success ही success हो। और जब मैं success ही success Road की बात करता हूं, तो मैं उस Road की चर्चा करता हूं जिसमें R O A D:

R - Responsibility,

O - Ownership,

A - Accountability,

D - Discipline.

यह Roadmap पर हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

पूरी सरकारी व्यवस्था को उस दिशा में तैयार करने की हम कोशिश कर रहे हैं। इसके कारण शासन में काम करने वाले व्यक्तियों को भी “सामान्य जन की क्याा अपेक्षाएं हैं”, उसके अनुरूप अपनी चीजों को prioritise करने की आदत बन जाती हैं।

मैं समझता हूं इससे एक बहुत बड़ा लाभ होगा। एक उससे आगे का कदम जो मेरे मन में है, जिस पर हमें सोचना चाहिए। जिस प्रकार से आज हम इस forum में इस प्रकार के लोग मिले हैं, मैं मानता हूं मैं विकास के लिए जिन बातों को बल देना है, उसमें man, material, money, machine, minerals - इसका maximum movement कैसे हो। कोई stagnancy न हो, इन पांचों क्षेत्रों में। इन five M’s की movement कैसे बढ़े, उसको लेकर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

जैसा अभी अरूण जी ने बताया हम जनवरी 1st week में financial sector को attend कर रहे हैं, विशेषकर के Banking sector के लोगों को बुला रहे हैं। इस गोल को पाने के लिए उनका रोल क्याह होगा उसकी वहां चर्चा करेंगे, रास्ते तय करेंगे।

एक महत्व, जैसा मैंने कहा हमारा काम है human resource development का, हमारा काम है innovation का, हमारा काम है research का। इन सारे क्षेत्रों को भी अगर हमें next generation की ओर ले जाना है, तो इन तीन बातों को हमारे DNA के रूप में लाना पड़ेगा। आज दुर्भाग्य से हमारी व्यावस्था में वो DNA नहीं है। Innovation, research, and human resource development ये पूरे part of the process होना चाहिए। Isolated नहीं होना चाहिए। और इसलिए मेरा second phrase का काम ऐसा है कि क्याह हम देश में पांच या छह या आठ regions में universities को, institutions को, manufacturing world को, और government policy makers को - साथ मिलकर के human resource development की हमारी next 20-30 years के लिए किस प्रकार के लोगों की जरूरत है। उन लोगों को तैयार करने के लिए हमारे आज जो सिलेबस है, हमारे institutions है वो capable enough है क्या? उसको हम बदलाव ला सकते हैं क्या? उसमें कोई नया मॉडल ला सकते हैं क्या? हम कल्पना कर सकते हैं, आज अगर मान लीजिए हम सोच रहे हैं हम बुलेट ट्रेन। क्या? बुलेट ट्रेन के लिए engineering skill के लोग हमारे पास है क्या? नहीं है तो We will have to create! हमने जिस गोल को achieve करना है उसको ध्यान में रखते हुए human resource development इस पर हम कैसे बल दें और हमारी इन व्यवस्थाओं को, और मैं चाहता हूं कि within a month or two इस एक skill development और human resource development को लेकर के एक हमार joint - उसको National level पर नहीं कर सकते, क्योंकि हमने कोई area identify करना हो, मानो chemical zone है तो chemical zone के लोग मिले फिर उसके साथ संबंधित institutions मिले तो शायद हमारा productive debate होगा। इस प्रकार से हम चर्चा कर करके इस पर काम करे, और उसी में - innovation and research.

अगर हम दुनिया के सामने innovation लेकर नहीं जाएंगे... हमारे IT sector में हम लोगों ने बहुत बड़ा अपना तजुर्बा बताया 25 साल पहले, लेकिन हम Google नहीं बना पाए। हमारा जो talented manpower था हमारा बाहर चला गया। क्या हम उस दिशा में सोच सकते हैं कि जगत में जो श्रेष्ठ है वो हमारे यहां भी पैदा हो सकता है और दुनिया इस बात को मानेगी। हमारे space का जब presentation हो रहा था मैं देख रहा था कि सब लोग तालियां बजा रहे थे। यह भारत के नौजवान scientist कर रहे हैं जी दुनिया में अपना रूतबा दिखा रहे हैं तो और क्षेत्र तो इससे सरल है। हम इसको कर सकते हैं।

और एक दूसरा जो विषय जैसे मैंने कहा हम जनवरी 1st week में Banking or financial sector को इसी विषय को लेकर के मिल रहे हैं। मैं चाहता हूं कि संबंधित लोग मिलकर के “regional दिशा में कैसे काम करे?”

और एक विषय है जिस पर हमें बल देने की आवश्यरकता है भारत का विकास संतुलित होना चाहिए। अगर पश्चिम का हिस्सा भारत का समृद्धि की ओर बढ़े और पूरब का हिस्सा हमारे वैसे का वैसा रह जाए तो देश के लिए उचित नहीं है। हम - industrial houses को भी सोचना होगा और हम कैसे लोग हैं? कोयला east में है और बिजली west में पैदा करते हैं। मैं नहीं मानता हूं ऐसी कौन सी strategy है हमारी। हमारे पास प्राकृतिक सम्पदा सारी की सारी eastern part of India है। क्या हम हमारी योजनाओं में, और मैं चाहूंगा इसके लिए हमारे नीति निर्धारक भी attention दे और आप जो विकास करना चाहते हैं - अपना विकास, अपनी कंपनी का विकास, देश का विकास भी सोचिए। Eastern part of India उसके पास जो potential है, उसके पास जो सामर्थ्य है, वो सामर्थ्य हमारे देश के विकास में किस प्रकार से उपयोग हो, हमारी manufacturing center कैसे बने। वहां पर भी talented youth है, वहां minerals है, वहां संभावनाएं पड़ी है। उन संभावनाओं पर हम एक दशक में अगर ध्यान दें तो भारत का पश्चिमी छोर जिस प्रकार से आगे बढ़ा है अगर पूरब का छोर इक्वल आ जाएगा तो आप कल्पना कर सकते हैं कि जिस growth target की चर्चा पूरी दुनिया हिंदुस्तान से अपेक्षा करती है उसको पाने का वो उत्तम से उत्तम रास्ता बन सकता है।

और इसलिए हम उस दिशा में भी अगर आगे बढ़े तो मैं समझता हूं कि हम काफी कुछ दे सकते हैं। मैं ज्यादा लम्बा समय नहीं लेना चाहता आपका। आज पूरे दिनभर यह जो प्रयास हुआ है, हरेक की जिम्मेदारी तय हो चुकी है, Roadmap तैयार हो चुका है, क्या‍ achieve करना है वो निर्धारित हो चुका है, नीतियों में क्या, परिवर्तन लाना है वो तय हो चुका है। अब मैं नहीं मानता हूं कि कोई कागजी कार्रवाई की जरूरत पड़ेगी अपने आप चीजें implement होगी। और हम जो Make in India का concept लेकर के चल रहे हैं, उस पर आगे बढ़ेंगे।

लेकिन बात Make in India से अटक नहीं सकती। हमारी कोशिश उससे आगे हो। हम दुनिया में India Brand कैसे develop कर सकते हैं? अगर दुनिया में India Brand develop करना है, तो Make in India उसके साथ एक catchline लगेगी: “Zero Defect”. अगर Zero Defect नहीं है, तो हम ग्लोबल मार्केट में archive नहीं कर सकते। उसी प्रकार से दुनिया environment conscious है। बहुत बड़ी हमारी जिम्मेदारी है तो “Zero Defect, Zero Effect”. हम वो manufacturing करेंगे environment पर effect न करे। हम वो manufacturing करेंगे जो zero defect हो और दुनिया भर के अंदर जिसकी मांग हो - उस काम के लिए हम आगे बढ़े।

मेरी आप सबको बहुतबहुत शुभकामनाएं। पूरे दिनभर इस का मंथन - पहली बार प्रयोग हुआ है। इसको हम और आगे बढ़ाने वाले हैं। सेक्टेर स्पेसिफिक तक जाने वाले हैं। मैं चाहता हूं कि आपके सुझाव हम सब मिलकर के देश को आगे बढ़ाने में काम आएंगे।

बहुत-बहुत धन्यनवाद। बहुत-बहुत शुभकामनाएं। इसी हफ्ते 2015 में हम प्रवेश करेंगे। मेरी आप सबको नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।

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भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

रऊआ सब लोगन के प्रणाम कर तानी। बाबा महेंद्र नाथ, बाबा हंसनाथ, सोहगरा धाम, मां थावे भवानी, मां अंबिका भवानी, प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद अऊरी लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पावन भूमि पर रऊआ सब के अभिनंदन कर तानी!

बिहार के राज्यपाल श्रीमान आरिफ मोहम्मद खान जी, यहां की जनता की सेवा में समर्पित मुख्यमंत्री श्रीमान नीतीश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे साथी जीतन राम मांझी जी, गिरिराज सिंह जी, ललन सिंह जी, चिराग पासवान जी, रामनाथ ठाकुर जी, नित्‍यानंद राय जी, सतीश चंद्र दुबे जी, राजभूषण चौधरी जी, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी जी, विजय कुमार सिन्हा जी, संसद के मेरे साथी उपेंद्र कुशवाहा जी, बिहार बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल जी, अन्य मंत्रीगण, सांसद और विधायक गण और मेरे प्यारे बिहार के भाइयों और बहनों!

सिवान की ये धरती हमारे स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरक स्‍थली है। यह हमारे लोकतंत्र को, देश को, संविधान को ताकत देने वाली भूमि है। सिवान ने राजेंद्र बाबू जैसी महान संतान देश को दी। संविधान निर्माण से लेकर देश को दिशा दिखाने में राजेंद्र बाबू की बहुत बड़ी भूमिका रही। सिवान ने ब्रज किशोर प्रसाद जी जैसी महान समाज सुधारक भी देश को दिए। ब्रज बाबू ने महिला सशक्तिकरण को अपने जीवन का मकसद बनाया था।

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साथियों,

मुझे खुशी है ऐसी ही महान आत्माओं के जीवन मिशन को एनडीए की यह डबल इंजन सरकार दृढ़ निश्‍चय के साथ आगे बढ़ा रही है। आज का यह कार्यक्रम इन्हीं प्रयासों का हिस्सा है। आज इस मंच से हजारों करोड़ रुपए की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। विकास की ये सारी परियोजनाएं बिहार को उज्ज्वल भविष्‍य की तरफ ले जाएगी, समृद्ध बिहार बनाएगी। सिवान, सासाराम, बक्सर, मोतिहारी, बेतिया और आरा जैसे बिहार के सारे इलाके फलें-फूलें, इस दिशा में ये प्रोजेक्ट बड़ी भूमिका निभाएंगे। इनसे गरीब, वंचित, दलित, महादलित, पिछड़े, अति पिछड़े, हर समाज का जीवन आसान होगा। मैं बिहार की जनता को, आप सभी को इन प्रोजेक्‍ट्स के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं अभी जब आप लोगों के बीच से आ रहा था, अभी कल ही बारिश हुई। सुबह भी थोड़ा बारिश का लाभ आया, इसके बावजूद भी इतनी बड़ी मात्रा में आपका आना, हमें आशीर्वाद देना, मैं आपका हृदय से जितना धन्यवाद करूं, उतना कम है।

भाइयों और बहनों,

जैसा आप सब जानते हैं, मैं कल ही विदेश से लौटा हूं। इस दौरे में मेरी दुनिया के बड़े-बड़े समृद्ध देशों के नेताओं से बात हुई। सारे नेता भारत की तेज प्रगति से बहुत प्रभावित हैं। वो भारत को दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनते देख रहे हैं और निश्चित तौर पर इसमें बिहार की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। बिहार समृद्ध होगा और देश की समृद्धि में भी बड़ी भूमिका निभाएगा।

साथियों,

मेरे इस विश्वास का कारण बिहार के आप सभी लोगों का सामर्थ्य है। आपने मिलकर बिहार में जंगलराज का सफाया किया है। यहां के हमारे नौजवानों ने तो 20 साल पहले के बिहार की बदहाली सिर्फ किस्सों और कथाओं में ही सुनी है। उन्हें बहुत अंदाजा नहीं है कि जंगलराज वालों ने बिहार की क्या हालत बना दी थी। जिस बिहार ने सदियों तक भारत की प्रगति को नेतृत्व दिया, उसको पंजे और लालटेन के शिकंजे ने पलायन का प्रतीक बना दिया था।

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साथियों,

बिहार के रहने वाले हर व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी बात होती है, उसका स्‍वाभिमान। मेरे बिहारी भाई-बहन कठिन से कठिन परिस्थिति में काम करके दिखा देते हैं। वह कभी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करते। लेकिन पंजे और लालटेन वालों ने मिलकर बिहार के स्वाभिमान को बहुत ठेस पहुंचाई। इन लोगों ने ऐसी लूट-खसोट मचाई की गरीबी बिहार का दुर्भाग्य बन गई। अनेक चुनौतियों को पार करते हुए नीतीश जी के नेतृत्व में NDA सरकार बिहार को विकास की पटरी पर वापस लाई है और मैं बिहारवासियों को विश्वास देने आया हूं, हमने भले ही बहुत कुछ किया हो, करते रहे हैं, करते रहेंगे, लेकिन इतने से शांत होकर के चुप रहने वाला मोदी नहीं है, अब बहुत हो गया, बहुत कर लिया जी नहीं, मुझे तो बिहार के लिए और भी बहुत कुछ करना है, आपके लिए करना है, यहां के गांव-गांव के लिए करना है, यहां के घर-घर के लिए करना है, यहां के हर नौजवान के लिए करना है। अगर मैं सिर्फ बीते 10-11 साल की बात करूं तो इन 10 वर्षों में बिहार में करीब 55 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनी हैं, डेढ़ करोड़ से ज्यादा घरों को बिजली के कनेक्शन से जोड़ा गया है, डेढ़ करोड़ लोगों को, वहां के घरों को पानी का कनेक्शन दिया गया है, 45 हजार से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर्स बनाए गए हैं, आज बिहार के छोटे-छोटे शहरों में नए-नए स्टार्ट-अप्स खुल रहे हैं।

साथियों,

बिहार की प्रगति की ये गति लगातार बढ़ती है, इसको बढ़ाते रहना है और इसी समय बिहार में जंगलराज लाने वाले मौका देख रहे हैं कि किसी भी तरह फिर से अपने पुराने कारनामे करने का मौका ढूंढ रहे हैं। बिहार के आर्थिक संसाधनों पर कब्जा करें, इसके लिए वो तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं, इसलिए मेरे बिहार के प्यारे भाइयों-बहनों, आप के उज्ज्वल भविष्‍य के लिए, आपके बच्‍चों के उज्ज्वल भविष्‍य के लिए, आपको बहुत ही सतर्क रहना है। समृद्ध बिहार की यात्रा पर ब्रेक लगाने के लिए तैयार बैठे लोगों को कोसों दूर रखना है।

साथियों,

गरीबी हटाओ के नारे हमारे देश ने दशकों तक सुने हैं, आपकी दो-दो, तीन-तीन पीढ़ी ने गरीबी हटाओ! गरीबी हटाओ! हर चुनाव में, ये आकर के बोलते थे। लेकिन जब आपने हमें मौका दिया, एनडीए को मौका दिया, तो NDA सरकार ने दिखाया है कि गरीबी कम भी हो सकती है। बीते एक दशक में रिकॉर्ड 25 करोड़ भारतीयों ने गरीबी को पराजित किया है। वर्ल्ड बैंक जैसी दुनिया की जानी-मानी संस्थाएं, भारत की इस बड़ी उपलब्धि की प्रशंसा कर रही हैं। और भारत ने जो ये कमाल किया है, इसमें बिहार का यहां हमारे नीतीश जी की सरकार का बहुत बड़ा योगदान है। पहले बिहार की आधे से अधिक आबादी, बहुत अधिक गरीब की श्रेणी में आती थी। लेकिन बीते दशक में बिहार के करीब पौने चार करोड़ साथियों ने खुद को गरीबी से मुक्त किया है।

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साथियों,

आज़ादी के इतने दशकों तक भी इतने लोग गरीब थे, नारे गूंजते रहे, गरीबी बढ़ती रही और ये इसलिए नहीं हुआ कि बिहार के लोगों की मेहनत में कोई कमी थी, देशवासियों की मेहनत में कोई कमी थी। बल्कि इसलिए क्योंकि इनके सामने आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं था। लंबे समय तक कांग्रेस के लाइसेंस राज ने देश को गरीब रखा और गरीब को अति गरीबी में धकेल दिया। जब हर चीज के लिए कोटा-परमिट फिक्स था। छोटे-छोटे काम करने के लिए परमिट चाहिए होता था। कांग्रेस-RJD के राज में गरीब को घर नहीं मिलता था, राशन, बिचौलिए खा जाते थे, इलाज गरीब की पहुंच से दूर था, पढ़ाई और कमाई के लिए संघर्ष था, बिजली-पानी का एक कनेक्शन लगाने के लिए ही सरकारी दफ्तरों के अनगिनत चक्कर लगाने पड़ते थे। गैस कनेक्शन के लिए सांसदों की सिफारिश लगानी पड़ती थी। नौकरी बिना घूस, बिना सिफारिश के मिलती ही नहीं थी। और इसके सबसे बड़े भुक्तभोगी कौन थे, इनमें से ज्यादातर साथी मेरे दलित समाज के, महादलित समाज के, पिछड़े समाज के, अति पिछड़े समाज के यही मेरे भाई-बहन इसके शिकार हुए थे। इन्हें गरीबी हटाने का सपना दिखाकर खुद कुछ परिवार करोड़पति-अरबपति हो गए।

साथियों,

बीते 11 वर्षों से हमारी सरकार, गरीब के रास्ते की हर मुश्किल को दूर करने में जुटी है और आगे भी करती रहेगी और इतनी मेहनत करते हैं, तब ऐसे अच्‍छे परिणाम आज देखने को मिल रहे हैं। अब जैसे गरीबों के लिए आवास हैं, अभी जिन परिवारों को मुझे आवास की चाबी देने का मुझे मौका मिला, वह इतने आशीर्वाद दे रहे थे, उनके चेहरे पर इतना संतोष था, भाव-विभोर थे।

साथियों,

बीते दशक में देशभर में चार करोड़ से अधिक गरीबों को पक्के घर मिल चुके हैं। मैं आपको पूछूं, जवाब देंगे आप लोग? मैं अगर पूछूं, तो आप जवाब देंगे? मैंने अभी कहा, चार करोड़ लोगों को यानी चार करोड़ परिवारों को पक्के घर, कितने लोगों को, जरा जोर से बोलिए कितने लोगों को? चार करोड़! आप कल्पना कीजिए, चार करोड़ लोगों को पक्के घर मिलना, सिर्फ वह चार दीवारें नहीं हैं, उन घरों में सपने सजते हैं, उन घरों में संकल्प पलते हैं। आने वाले समय में तीन करोड़ और पक्के घर तैयार होने जा रहे हैं। मैंने पहले कहा ना, सेवा के काम में मैं रुकने वाला नहीं हूं। जितना हुआ, पहले वालों से बहुत अच्छा हुआ, फिर भी मोदी चैन की नींद नहीं सोएगा, वह दिन-रात काम करता रहेगा, आपके लिए करता रहेगा क्योंकि आप मेरे परिवार के सदस्य हैं और मेरे परिवार का एक भी सदस्य पीछे न रहे, दुखिया न रहे, यह मैं सपना लेकर के चला हूं। इसका बहुत अधिक फायदा बिहार के मेरे गरीब भाई-बहन, दलित भाई-बहन, महादलित भाई-बहन, पिछड़े भाई-बहन, अति पिछड़े भाई-बहन, ये सारी जो योजनाएं चला रहा हूं, सबसे पहले फायदा इनको मिल रहा है। बिहार में पीएम आवास योजना से 57 लाख से ज्यादा पक्के घर बने हैं। यहां सिवान जिले में भी गरीबों के एक लाख दस हजार से ज्यादा पक्के घर बन चुके हैं, मैं एक जिले की बात बोल रहा हूं और ये काम निरंतर जारी है। आज भी बिहार के 50 हज़ार से अधिक परिवारों के लिए घर की किश्त जारी की गई है। और जानते हैं, मेरे लिए दोहरी खुशी किस बात की है? ये घर ज्यादातर माताओं-बहनों के नाम पर हैं, मेरी जिन बहनों-बेटियों के नाम पर कभी कोई भी संपत्ति नहीं होती थी, अब वो अपने घर की मालकिन बन रही हैं।

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साथियों,

हमारी सरकार घर के साथ-साथ मुफ्त राशन, बिजली और पानी की सुविधा भी दे रही है। बीते सालों में देशभर में 12 करोड़ से अधिक नए परिवारों के घर नल पहुंचा है। इसमें सिवान के भी साढ़े चार लाख से अधिक परिवारों को पहली बार नल से जल मिला है। गांवों में हर घर में नल हो, शहरों में पीने के लिए पर्याप्त पानी हो, हम इस लक्ष्य को लेकर काम कर रहे हैं। बीते सालों में बिहार के अनेक शहरों के लिए पानी की पाइप लाइन और सीवेज ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट बनाए गए। अब दर्जनों और शहरों के लिए पाइप लाइन और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स स्वीकृत किए गए हैं। ये सारे प्रोजेक्ट, गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों का जीवन और बेहतर बनाएंगे।

भाइयों और बहनों,

आरजेडी-कांग्रेस की करतूतें, इनके कारनामे, बिहार विरोधी हैं, निवेश विरोधी हैं। जब भी अपने मुंह से ये लोग विकास की बात करते हैं, तो लोगों को दुकान-कारोबार, उद्योग-धंधे, सब में ताले लटकते नजर आते हैं। इसलिए, ये बिहार के नौजवानों के दिल में कभी भी जगह नहीं बना पाए। ये लोग, बेहाल इंफ्रास्ट्रक्चर, माफिया राज, गुंडाराज और भ्रष्टाचार के पोषक रहे हैं।

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साथियों,

बिहार का प्रतिभाशाली नौजवान आज जमीन पर होने वाले काम देख रहा है, उसे परख रहा है। NDA, कैसा बिहार बना रही है, इसका उदाहरण मढ़ौरा रेल फैक्ट्री है। आज मढ़ौरा की लोकोमोटिव फैक्ट्री से पहला इंजन, अफ्रीका को एक्सपोर्ट किया जा रहा है। यह आप ही का जाएगा, वहां की गाड़ी को खींचेगा। आप सोचिए, अफ्रीका में भी बिहार की जय-जयकार होने वाली है। ये फैक्ट्री उसी सारण जिले में बनी है, जिसको पंजे और आरजेडी वालों ने पिछड़ा कहकर अपने हाल पर छोड़ दिया था। आज ये जिला दुनिया के मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट मैप पर अपनी जगह बना चुका है। जंगलराज वालों ने तो बिहार का विकास इंजन ही ठप कर दिया था, अब बिहार में बना इंजन, अफ्रीका की रेल चलाएगा। ये बहुत बड़े गर्व की बात है, मुझे पक्का विश्वास है बिहार, मेड इन इंडिया का एक बड़ा सेंटर बनेगा। यहां का मखाना, यहां के फल-सब्जियां तो बाहर जाएंगी ही, बिहार के कारखानों में बनने वाला सामान भी दुनिया के बाज़ारों तक पहुंचेगा। बिहार के नौजवान जो सामान बनाएंगे, वो आत्मनिर्भर भारत को ताकत देगा।

साथियों,

इसमें बिहार में बन रहा आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत काम आएगा। आज बिहार में रोड, रेल, हवाई यात्रा और जलमार्ग, हर प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। बिहार को लगातार नई ट्रेनें मिल रही हैं। यहां वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें चल रही हैं। आज हम एक और बड़ी शुरुआत करने जा रहे हैं। सावन शुरु होने से पहले आज बाबा हरिहरनाथ की धरती, वंदे भारत ट्रेन से बाबा गोरखनाथ की धरती से जुड़ गई है। पटना से गोरखपुर की नई वंदे भारत ट्रेन, पूर्वांचल के शिव भक्तों को मिली नई सवारी है। ये ट्रेन भगवान बुद्ध की तपोभूमि को, उनकी महापरिनिर्वाण भूमि कुशीनगर से जोड़ने का भी माध्यम है।

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साथियों,

ऐसे प्रयासों से बिहार में उद्योग-धंधों को तो बल मिलेगा ही, इससे पर्यटन को सबसे अधिक फायदा होगा। इससे दुनिया के टूरिज्म मैप में भी बिहार और अधिक निखर कर सामने आएगा। यानी बिहार के नौजवानों के लिए रोजगार के अनगिनत अवसर बनने वाले हैं।

साथियों,

देश में सबको आगे बढ़ने के अवसर मिले, किसी के साथ भी भेदभाव न हो, ये हमारे संविधान की भावना है। हम भी इसी भाव से कहते हैं- सबका साथ, सबका विकास। लेकिन ये लालटेन और पंजे वाले कहते हैं- परिवार का साथ, परिवार का विकास। हम कहते हैं- सबका साथ, सबका विकास। वह कहते हैं- परिवार का साथ, परिवार का विकास। इनकी राजनीति का कुल जमा निचोड़ यही है। अपने-अपने परिवारों के हित के लिए ये देश के, बिहार के करोड़ों परिवारों का अहित करने से भी नहीं चूकते हैं। खुद बाबा साहेब अंबेडकर भी इस प्रकार की राजनीति के बिल्कुल खिलाफ थे। इसलिए ये लोग कदम-कदम पर बाबा साहेब का अपमान करते हैं। अभी पूरे देश ने देखा है कि RJD वालों ने बाबा साहेब की तस्वीर के साथ क्या व्यवहार किया हैं। मैं देख रहा था, बिहार में पोस्टर लगे हैं कि बाबा साहेब के अपमान पर माफी मांगो, लेकिन मैं जानता हूं, ये लोग कभी माफी नहीं मांगेंगे, क्योंकि इन लोगों के मन में दलित, महादलित, पिछड़े, अति पिछड़े के प्रति कोई सम्मान नहीं है। आरजेडी और कांग्रेस बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर को पैरों में रखती है, जबकि मोदी बाबा साहेब अंबेडकर को अपने दिल में रखता है। बाबा साहेब का अपमान करके ये लोग खुद को बाबा साहेब से भी बड़ा दिखाना चाहते हैं। बिहार के लोग बाबा साहेब का ये अपमान कभी नहीं भूलेंगे।

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साथियों,

बिहार की तेज प्रगति के लिए जो लॉन्चिंग पैड चाहिए, वो नीतीश जी के प्रयासों से तैयार हो चुका है। अब एनडीए को मिलकर, बिहार को तरक्की की नई बुलंदी देनी है। मुझे बिहार के नौजवानों पर भरोसा है। हम सभी मिलकर बिहार का प्राचीन गौरव फिर लौटाएंगे, बिहार को विकसित भारत का मजबूत इंजन बनाएंगे, इसी विश्वास के साथ, आप सभी को विकास कार्यों की फिर से अनेक-अनेक शुभकामनाएं। मेरे साथ दोनों मुट्ठी बंद करके हाथ ऊपर करके बोलिए, भारत माता की जय! जिसके पास तिरंगा है, वह तिरंगा लहराएंगे।

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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