QuoteInternational Solar Alliance (ISA) has created a large platform in order to ensure climate justice, says PM Modi
QuoteRole being played by oil wells today will one day be played by sun rays: PM Modi at 1st assembly of ISA
QuoteWe have decided to generate 40% of our electricity using non fossil fuel based resources by 2030: PM Modi
QuoteTo fulfill the goals of Paris Agreement, we have started working on the action plan for the deployment of renewable energy: PM Modi
QuoteAlong with Solar and Wind power, we are working fast on B3 i.e Biomass-Biofuel-Bioenergy: PM Modi at 1st assembly of ISA 

संयुक्‍त राष्‍ट्र के Secretary General, Excellency, Antonio Guterres, International Solar Alliance Assembly और Indian Ocean Rim Association, इन देशों से पधारे हुए सभी मंत्रीगण, केबिनेट के मेरे तमाम सहयोगी, उद्योग जगत के साथी, सम्‍मानीय अतिथिगण, विशेष रूप से नौजवान विद्यार्थी मित्र, देवियो और सज्‍जनों।

आज सुबह स्‍वच्‍छता से जुड़े एक महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम में  Excellency, Antonio Guterres के साथ मुझे हिस्‍सा लेने का अवसर मिला। आज से ही महात्‍मा गांधी की 150वीं जन्‍म जयंती के आयोजन भी देश और दुनिया में प्रारंभ हो रहे हैं। Green future के लिए हो रहे इस मंथन की शुरूआत के लिए आज के दिवस से उचित अवसर कोई और नहीं हो सकता है।

International Solar Alliance (ISA), और मैं चाहूंगा कि popularly वो आईसा शब्‍द हो जाएगा यानी आईसा असेंबली हो। Global renewable energy investment and Expo and a Re-invest की बैठक हो या India Ocean Rim Association Energy Meet हो, तीनों का बृहद लक्ष्‍य एक है- Green future के लिए Clean energy का विकल्‍प तैयार करना।

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साथियो, पिछले 150-200 वर्षों में मानव जाति अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए धरती के नीचे दबे संसाधनों पर ही ज्‍यादा निर्भर रही है। हमारी प्रकृति ने कैसे इसका विरोध किया है और आज भी कर रही है, ये हम सब देख रहे हैं। प्रकृति हमें लगातार संदेश दे रही है कि जमीन के ऊपर मौजूद ऊर्जा चाहे सूर्य में हो, वायु में हो या पानी में, यही बेहतर और सुरक्षित भविष्‍य का समाधान है।

मुझे खुशी है कि आज हम, हम सभी प्रकृत्ति से मिल रहे इस संदेश पर मंथन के लिए एकजुट हुए हैं। साथियों, मुझे याद है तीन वर्ष पहले re-invest की पहली मीटिंग में मैंने renewable energy के क्षेत्र में मेगावाट से गीगावॉट की तरफ भारत की यात्रा का संकल्‍प हमारे देशवासियों के सामने रखा था। तब मैंने ये स्‍पष्‍ट किया था कि Solar और green energy का लाभ तभी मिल पाएगा अगर ये सस्‍ती होगी और सुलभ होगी। और इसके लिए मैंने Solar resource reach countries का एक common platform बनाने का भी प्रस्‍ताव सामने रखा था। मुझे प्रसन्‍नता है कि हमें बहुत ही कम समय में इन योजनाओं को आगे बढ़ाने में अभूतपूर्व सफलता मिली है।

साथियों, आज International Solar Alliance दुनिया के लिए उम्‍मीद की एक बड़ी किरण बनकर सामने आया है। तीन वर्षों के भीतर ये संगठन एक treaty based inter governmental organization  बन चुका है। सवा सौ करोड़ भारतीयों को इस बात की भी खुशी है कि ISA का हेडक्‍वार्टर भारत में ही है। ये ISA के प्रति अपनत्‍व को और बढ़ाता है।

मुझे लगता है जब भी भविष्‍य में 21वीं सदी में स्‍थापित मानव कल्‍याण के बड़े संगठनों की चर्चा होगी तो ISA का नाम उसमें सबसे ऊपर होगा। ISA के तौर पर हम सभी ने climate justice को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बहुत बड़ा मंच तैयार किया है। आने वाली पीढ़ियों को मानवता से जुड़ा बहुत बड़ा उपहार हम सबने मिल करके दिया है।

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साथियो, मेरा हमेशा से ये मानना रहा है कि दुनिया की ऊर्जा आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए जो भूमिका आज OPEC निभा रहा है, वही भूमिका आने वाले समय में International Solar Alliance(आईसा) की होने वाली है। जो रोल आज तेल के कुंओं का है, वही रोल भविष्‍य में सूर्य की किरणों का होने वाला है। आज आईसा का ये initiative जहां पहुंचा है, इसमें सक्रिय सहयोग के लिए मैं United Nations का विशेष तौर पर आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

पेरिस में हुए ISA के launch कार्यक्रम में तब के महासचिव Excellency, Ban Ki-moon का मौजूद रहना और आज के कार्यक्रम में Excellency, Antonio Guterres का शामिल होना, ये इस बात को दिखाता है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र इस मंच को कितना महत्‍व देता है। मैं इस मौके पर फ्रांस के राष्‍ट्रपति का, उसकी सरकार का भी उनके सहयोग और समर्थन के लिए हृदयपूर्वक आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

साथियो, ISA की इस पहली assembly में 40 देशों के प्रतिनिधि मौजूद हैं। लेकिन अब हमें उस दिशा की तरफ आगे बढ़ना है जब सौर ऊर्जा के ये विकल्‍प सिर्फ Cancer और Capricorn के इर्द-गिर्द बसे सिर्फ सवा सौ देशों तक सीमित न रहें बल्कि पूरी दुनिया को इसका लाभ मिले। Universal  cooperation on solar energy की भावना के तहत भारत ISA की assembly में यूनियन के सभी सदस्‍य देशों को membership का प्रस्‍ताव रखने वाला है।

सा‍थियो, भारत India Ocean Rim Association का अहम सदस्‍य होने के नाते इस संगठन को बहुत महत्‍व देता है। हमारी ऊर्जा संबंधी चुनौतियां एक जैसी हैं। इसलिए अपनी energy security को देखते हुए renewable energy पर हमें मिलकर बल देना है।

मैं पहले भी SAGAR यानि security and growth for all in the region की भावना को सामने रख चुका हूं। मुझे विश्‍वास है कि इस बैठक से सहयोग के नए द्वार खुलेंगे।

साथियो, renewable energy के बढ़ते उपयोग का भारत में असर दिखने लगा है। पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्‍यों को पूरा करने के लिए renewable energy की deployment के action plant पर काम हम शुरू कर चुके हैं। हमने तय किया है कि साल 2030 तक हमारी 40 प्रतिशत बिजली की क्षमता non fossil fuel based संसाधन से पैदा हो। इसी लक्ष्‍य के तहत बीते चार वर्षों में भारत ने  renewable energy की अपनी क्षमता को 72 गीगावॉट यानी दोगुना किया है। इसमें भी solar energy की capacity में 9 गुना की बढ़ोत्‍तरी हुई है।  आज जितनी बिजली का उत्‍पादन हम करते हैं उसका 20% हिस्‍सा non hydro renewable का है। इतना ही नहीं, करीब-करीब 50 गीगावॉट की क्षमता बहुत जल्‍द इसमें और जुड़ने वाली है। ये साफ संकेत है कि वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉटrenewable energy  उत्‍पादन का लक्ष्‍य जो हम लोगों ने रखा है, उस रास्‍ते पर हम सफलता के साथ आगे बढ़ रहे हैं और उसको हम करके रहेंगे।

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साथियो, आज भारत poverty to power, इन नए आत्‍मविश्‍वास के साथ विकास की गति को तेज कर रहा है। इस नए आत्‍मविश्‍वास को शक्ति देने के लिए भी हमने उसको चुना है जो हजारों वर्षों से हमारी शक्ति का स्रोत रहा है, ऊर्जा का भंडार रहा है। ये भंडार है सूर्य का जिसको हम भारत के लोग सूर्यदेव के रूप में भी पूजा करते हैं।

साथियों, सूर्य हमारे लिए प्रकाश के देवता हैं, ऊर्जा के देवता हैं। हमारे यहां मान्‍यता है कि सूर्य सम्‍पूर्ण सृष्टि के गतिदाता हैं। ओम सूर्याय नम: के मंत्र से और सूर्य की पहली किरण को अर्ध्‍य देने से दिन की शुरूआत की हमारे यहां समाज जीवन में सहज परम्‍परा है। वेद से ले करके योग तक सूर्य हमारे चिंतन, हमारी उपासना, हमारी आं‍तरिक ऊर्जा का स्रोत रहा है। अब इस आं‍तरिक ऊर्जा को आधुनिक विज्ञान की शक्ति के साथ हम बाहरी ऊर्जा के समाधान में बदलने के लिए कटिबद्ध हैं, प्रतिबद्ध हैं।

साथियो, Solar power के क्षेत्र में भारत बहुत तेज गति से काम कर रहा है। बीते चार वर्षों के दौरान Solar power बहुत सस्‍ती हुई है, जिससे अनेक गरीबों को बिजली से जोड़ने का हमारा लक्ष्‍य तेजी से संभव हो पाया है। घर-घर रोशनी पहुंचाने के हमारे लक्ष्‍य में panel to power और Make in India बहुत महत्‍वपूर्ण पड़ाव हैं। मुझे खुशी है कि पिछले चार वर्षों में renewable energy के क्षेत्र में भारत दुनिया का सबसे पसंदीदा destination बनकर आज उभरा है। करीब 42 अरब का निवेश इस दौरान हुआ है।

साथियों, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आ रहे ये बदलाव सिर्फ विदेशी निवेश ही नहीं बल्कि हमारे अपने उद्यमियों के लिए भी एक अभूतपूर्व अवसर है। हमारी कोशिश है कि देश में ही Solar panel manufacturing का एक मजबूत eco system बने। Renewable energy  के सेक्‍टर में निवेश का ये सबसे उपयुक्‍त समय है। आने वाले चार वर्षों में इस सेक्‍टर में करीब 70 से 80 अरब डॉलर के business की संभावनाएं मैं देख रहा हूं।

साथियों, power generation के साथ-साथ power storage भी बहुत महत्‍वपूर्ण है और इसके लिए जरूरी infrastructure तैयार करने के लिए National energy storage mission पर काम किया जा रहा है। इस मिशन के तहत सरकार demand creation, indigenous manufacturing, innovation और energy storage की क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी policy support पर बल दे रही है।

KUSAM यानि किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्‍थान महाअभियान के माध्‍यम से गांव में खेत में ही Solar panel लगाने और उन्‍हें grid से जोड़ने की व्‍यवस्‍था की जा रही है। आने वाले चार वर्षों में देशभर में करीब 28 लाख solar pump लगाए जाने वाले हैं। इससे करीब 10 गीगावॉट की क्षमता विकसित करने का लक्ष्‍य रखा गया है।

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साथियो, Solar और wind power के साथ-साथ हम B-3 यानी biomass, bio fuel, bio energy पर भी तेजी से काम कर रहे हैं। भारत में transport system को clean fuel based बनाने की तरफ गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। बायोगैस से बायो फ्यूल बनाकर हम इस चुनौती को अवसर में बदल रहे हैं। हमने गोबरधन, एक बहुत बड़ी योजना इसके लिए प्रस्‍तुत की है। Waste to energy को लेकर गांव-गांव, शहर-शहर में अनेक नवीन प्रयोग हो रहे हैं।

साथियों, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए renewable energy पर तो काम हो ही रहा है, बिजली की बचत हो ये भी हमारी प्राथमिकताओं में से है। उजाला स्‍कीम के तहत देश के घरों, गलियों और सड़कों को LED bulb से रोशन करने का सबसे बड़ा अभियान आज भारत के हर कोने में चल रहा है। इसके तहत अब तक करीब 31 करोड़ LED bulb बांटे गए हैं। ये 31 करोड़ LED bulb बहुत बड़ा आंकड़ा होता है, जिससे हर वर्ष करीब 40 हजार मिलियन किलोवॉट आवर बिजली की बचत हो रही है। कोई कल्‍पना कर सकता है कितना बड़ा है। इतना ही नहीं इससे देशवासियों का बिजली के बिल में हर वर्ष करीब-करीब 16 हजार करोड़ रुपयों की बचत हुई है और बड़ी मात्रा में कार्बन डाईऑक्‍साडड के generation को हमने रोका है।

और फिर मैं कहना चाहूंगा, ये तो अभी शुरूआत ही है। आने वाला समय और अनेक अवसरों से भरा हुआ है। आने वाली पीढ़ियों के लिए हमें climate justice से जुड़े हर अवसर की संभावनाओं को तलाशना है और सफलता प्राप्‍त करके ही रहना है।

मुझे विश्‍वास है कि आने वाले तीन दिनों में इन अवसरों पर विस्‍तार से आप सभी महानुभाव चर्चा करेंगे और renewable future को और प्रकाशित, प्रसाधित करने में योगदान देंगे।

मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि आपका हर सुझाव, हर innovative idea हमारे लिए बहुत महत्‍वपूर्ण होगा। और इसलिए अब खुल करके Human Resource Development हो, technology up gradation हो, नए-नए दुनिया के देशों में छोटे-छोटे  लोगों ने प्रयोग किए हों, इन सारी बातों को हम एक बार सामने लाएंगे और मुझे विश्‍वास है कि हम इस मिशन को पूरा कर सकते हैं। और हम दुनिया के सामने आर्थिक जगत की दुनिया में globalization की चर्चा हुई, technology ने दुनिया को बहुत निकट ला दिया। हम भी एक dream ले करके चले कि एक दुनिया, एक सूरज, एक grid. One World, One Sun, One Grid.

अगर इस मिशन को पार करेंगे, आप कल्‍पना कर सकते हैं कि जहां सूर्योदय होता है, वहां से चालू करें तो सूर्यास्‍त तक ये Grid बनी रहे तो चौबीसों घंटे सूरज से बिजली निकल सकती है। आज तो हमारे देश में जितने घंटे सूरज है उसी की हम सोचते हैं लेकिन One World, One Sun, One Grid, इस सपने को ले करके हम चलेंगे तो कभी भी, कहीं पर भी जब तक सूरज ढलता नहीं है, बिजली पाना असंभव नहीं होगा और सूरज कहीं न कहीं तो होता ही है, कभी ढलता नहीं है तो फिर बिजली का प्रवाह क्‍यों बंद होगा। 

एक नए तरीके से, नए सिरे से सोचने की आवश्‍यकता है। और मुझे विश्‍वास है कि ISA के इस महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम के अवसर पर हम जरूर एक नए विश्‍वास के साथ, नए विचारों के साथ, नई ऊर्जा के साथ, नए संकल्‍प के साथ, एक नए विश्‍व के निर्माण में अपनी एक अहम भूमिका निभाने के लिए आगे बढ़ेंगे।

एक बार फिर भारत आने के लिए, यहां आ करके इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर शरीक होने के लिए मैं दुनिया के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य में अपनी सहभागिता के लिए आप सभी का बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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प्रधानमंत्रीशुभांशु नमस्कार!

शुभांशु शुक्लानमस्कार!

प्रधानमंत्रीआप आज मातृभूमि से, भारत भूमि से, सबसे दूर हैं, लेकिन भारतवासियों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभारंभ भी है। इस समय बात हम दोनों कर रहे हैं, लेकिन मेरे साथ 140 करोड़ भारतवासियों की भावनाएं भी हैं। मेरी आवाज में सभी भारतीयों का उत्साह और उमंग शामिल है। अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए मैं आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मैं ज्यादा समय नहीं ले रहा हूं, तो सबसे पहले तो यह बताइए वहां सब कुशल मंगल है? आपकी तबीयत ठीक है?

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शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! बहुत-बहुत धन्यवाद, आपकी wishes का और 140 करोड़ मेरे देशवासियों के wishes का, मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं, सुरक्षित हूं। आप सबके आशीर्वाद और प्यार की वजह से… बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत नया एक्सपीरियंस है यह और कहीं ना कहीं बहुत सारी चीजें ऐसी हो रही हैं, जो दर्शाती है कि मैं और मेरे जैसे बहुत सारे लोग हमारे देश में और हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है। यह जो मेरी यात्रा है, यह पृथ्वी से ऑर्बिट की 400 किलोमीटर तक की जो छोटे सी यात्रा है, यह सिर्फ मेरी नहीं है। मुझे लगता है कहीं ना कहीं यह हमारे देश के भी यात्रा है because जब मैं छोटा था, मैं कभी सोच नहीं पाया कि मैं एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का भी मौका देता है। तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व feel कर रहा हूं कि मैं यहां पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी!

प्रधानमंत्रीशुभ, आप दूर अंतरिक्ष में हैं, जहां ग्रेविटी ना के बराबर है, पर हर भारतीय देख रहा है कि आप कितने डाउन टू अर्थ हैं। आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! यह कुछ चीजें मैं अपने देश की खाने की लेकर आया था, जैसे गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस और मैं चाहता था कि यह बाकी भी जो मेरे साथी हैं, बाकी देशों से जो आए हैं, वह भी इसका स्वाद लें और चखें, जो भारत का जो rich culinary हमारा जो हेरिटेज है, उसका एक्सपीरियंस लें, तो हम सभी ने बैठकर इसका स्वाद लिया साथ में और सबको बहुत पसंद आया। कुछ लोग कहे कि कब वह नीचे आएंगे और हमारे देश आएं और इनका स्वाद ले सकें हमारे साथ…

प्रधानमंत्री: शुभ, परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है। आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है। अभी आप पृथ्वी के किस भाग के ऊपर से गुजर रहे होंगे?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! इस समय तो मेरे पास यह इनफॉरमेशन उपलब्ध नहीं है, लेकिन थोड़ी देर पहले मैं खिड़की से, विंडो से बाहर देख रहा था, तो हम लोग हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे और हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं। 16 सूर्य उदय और 16 सनराइज और सनसेट हम देखते हैं ऑर्बिट से और बहुत ही अचंभित कर देने वाला यह पूरा प्रोसेस है। इस परिक्रमा में, इस तेज गति में जिस हम इस समय करीब 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे हैं आपसे बात करते वक्त और यह गति पता नहीं चलती क्योंकि हम तो अंदर हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह गति जरूर दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्रीवाह!

शुभांशु शुक्ला: इस समय हम यहां पहुंचे हैं और अब यहां से और आगे जाना है।

प्रधानमंत्री: अच्छा शुभ अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहले विचार क्या आया आपको?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, सच में बोलूं तो जब पहली बार हम लोग ऑर्बिट में पहुंचे, अंतरिक्ष में पहुंचे, तो पहला जो व्यू था, वह पृथ्वी का था और पृथ्वी को बाहर से देख के जो पहला ख्याल, वो पहला जो thought मन में आया, वह ये था कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है, मतलब बाहर से कोई सीमा रेखा नहीं दिखाई देती, कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता। और दूसरी चीज जो बहुत noticeable थी, जब पहली बार भारत को देखा, तो जब हम मैप पर पढ़ते हैं भारत को, हम देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है, हमारा आकार कैसा है, वह मैप पर देखते हैं, लेकिन वह सही नहीं होता है क्योंकि वह एक हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D यानी पेपर पर हम उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य दिखता है, बहुत बड़ा दिखता है। जितना हम मैप पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा और जो oneness की फीलिंग है, पृथ्वी की oneness की फीलिंग है, जो हमारा भी मोटो है कि अनेकता में एकता, वह बिल्कुल उसका महत्व ऐसा समझ में आता है बाहर से देखने में कि लगता है कि कोई बॉर्डर एक्जिस्ट ही नहीं करता, कोई राज्य ही नहीं एक्जिस्ट करता, कंट्रीज़ नहीं एक्जिस्ट करती, फाइनली हम सब ह्यूमैनिटी का पार्ट हैं और अर्थ हमारा एक घर है और हम सबके सब उसके सिटीजंस हैं।

प्रधानमंत्रीशुभांशु स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबरदस्त मेहनत की है। लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप रियल सिचुएशन में हैं, सच में अंतरिक्ष में हैं, वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे अडॉप्ट कर रहे हैं?

शुभांशु शुक्ला: यहां पर तो सब कुछ ही अलग है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग की हमने पिछले पूरे 1 साल में, सारे systems के बारे में मुझे पता था, सारे प्रोसेस के बारे में मुझे पता था, एक्सपेरिमेंट्स के बारे में मुझे पता था। लेकिन यहां आते ही suddenly सब चेंज हो गया, because हमारे शरीर को ग्रेविटी में रहने की इतनी आदत हो जाती है कि हर एक चीज उससे डिसाइड होती है, पर यहां आने के बाद चूंकि ग्रेविटी माइक्रोग्रेविटी है absent है, तो छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। अभी आपसे बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है, नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा और माइक को भी ऐसे जैसे यह छोटी-छोटी चीजें हैं, यानी ऐसे छोड़ भी दूं, तो भी यह ऐसे float करता रहा है। पानी पीना, पैदल चलना, सोना बहुत बड़ा चैलेंज है, आप छत पर सो सकते हैं, आप दीवारों पर सो सकते हैं, आप जमीन पर सो सकते हैं। तो पता सब कुछ होता है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग अच्छी है, लेकिन वातावरण चेंज होता है, तो थोड़ा सा used to होने में एक-दो दिन लगते हैं but फिर ठीक हो जाता है, फिर normal हो जाता है।

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प्रधानमंत्री: शुभ भारत की ताकत साइंस और स्पिरिचुअलिटी दोनों हैं। आप अंतरिक्ष यात्रा पर हैं, लेकिन भारत की यात्रा भी चल रही होगी। भीतर में भारत दौड़ता होगा। क्या उस माहौल में मेडिटेशन और माइंडफूलनेस का लाभ भी मिलता है क्या?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बिल्कुल सहमत हूं। मैं कहीं ना कहीं यह मानता हूं कि भारत already दौड़ रहा है और यह मिशन तो केवल एक पहली सीढ़ी है उस एक बड़ी दौड़ का और हम जरूर आगे पहुंच रहे हैं और अंतरिक्ष में हमारे खुद के स्टेशन भी होंगे और बहुत सारे लोग पहुंचेंगे और माइंडफूलनेस का भी बहुत फर्क पड़ता है। बहुत सारी सिचुएशंस ऐसी होती हैं नॉर्मल ट्रेनिंग के दौरान भी या फिर लॉन्च के दौरान भी, जो बहुत स्ट्रेसफुल होती हैं और माइंडफूलनेस से आप अपने आप को उन सिचुएशंस में शांत रख पाते हैं और अपने आप को calm रखते हैं, अपने आप को शांत रखते हैं, तो आप अच्छे डिसीजंस ले पाते हैं। कहते हैं कि दौड़ते हो भोजन कोई भी नहीं कर सकता, तो जितना आप शांत रहेंगे उतना ही आप अच्छे से आप डिसीजन ले पाएंगे। तो I think माइंडफूलनेस का बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल होता है इन चीजों में, तो दोनों चीजें अगर साथ में एक प्रैक्टिस की जाएं, तो ऐसे एक चैलेंजिंग एनवायरमेंट में या चैलेंजिंग वातावरण में मुझे लगता है यह बहुत ही यूज़फुल होंगी और बहुत जल्दी लोगों को adapt करने में मदद करेंगी।

प्रधानमंत्री: आप अंतरिक्ष में कई एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा एक्सपेरिमेंट है, जो आने वाले समय में एग्रीकल्चर या हेल्थ सेक्टर को फायदा पहुंचाएगा?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने 7 यूनिक एक्सपेरिमेंट्स डिजाइन किए हैं, जो कि मैं अपने साथ स्टेशन पर लेकर आया हूं और पहला एक्सपेरिमेंट जो मैं करने वाला हूं, जो कि आज ही के दिन में शेड्यूल्ड है, वह है Stem Cells के ऊपर, so अंतरिक्ष में आने से क्या होता है कि ग्रेविटी क्योंकि एब्सेंट होती है, तो लोड खत्म हो जाता है, तो मसल लॉस होता है, तो जो मेरा एक्सपेरिमेंट है, वह यह देख रहा है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मसल लॉस को रोक सकते हैं या फिर डिले कर सकते हैं। इसका डायरेक्ट इंप्लीकेशन धरती पर भी है कि जिन लोगों का मसल लॉस होता है, ओल्ड एज की वजह से, उनके ऊपर यह सप्लीमेंट्स यूज़ किए जा सकते हैं। तो मुझे लगता है कि यह डेफिनेटली वहां यूज़ हो सकता है। साथ ही साथ जो दूसरा एक्सपेरिमेंट है, वह Microalgae की ग्रोथ के ऊपर। यह Microalgae बहुत छोटे होते हैं, लेकिन बहुत Nutritious होते हैं, तो अगर हम इनकी ग्रोथ देख सकते हैं यहां पर और ऐसा प्रोसेस ईजाद करें कि यह ज्यादा तादाद में हम इन्हें उगा सके और न्यूट्रिशन हम प्रोवाइड कर सकें, तो कहीं ना कहीं यह फूड सिक्योरिटी के लिए भी बहुत काम आएगा धरती के ऊपर। सबसे बड़ा एडवांटेज जो है स्पेस का, वह यह है कि यह जो प्रोसेस है यहां पर, यह बहुत जल्दी होते हैं। तो हमें महीनों तक या सालों तक वेट करने की जरूरत नहीं होती, तो जो यहां के जो रिजल्‍ट्स होते हैं वो हम और…

प्रधानमंत्री: शुभांशु चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में, युवाओं में विज्ञान को लेकर एक नई रूचि पैदा हुई, अंतरिक्ष को explore करने का जज्बा बढ़ा। अब आपकी ये ऐतिहासिक यात्रा उस संकल्प को और मजबूती दे रही है। आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वो यह सोचते हैं, मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही सोच, यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशंस की असली बुनियाद है। आप भारत की युवा पीढ़ी को क्या मैसेज देंगे?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, मैं अगर मैं अपनी युवा पीढ़ी को आज कोई मैसेज देना चाहूंगा, तो पहले यह बताऊंगा कि भारत जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत बोल्ड और बहुत ऊंचे सपने देखे हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए, हमें आप सबकी जरूरत है, तो उस जरूरत को पूरा करने के लिए, मैं ये कहूंगा कि सक्सेस का कोई एक रास्ता नहीं होता कि आप कभी कोई एक रास्ता लेता है, कोई दूसरा रास्ता लेता है, लेकिन एक चीज जो हर रास्ते में कॉमन होती है, वो ये होती है कि आप कभी कोशिश मत छोड़िए, Never Stop Trying. अगर आपने ये मूल मंत्र अपना लिया कि आप किसी भी रास्ते पर हों, कहीं पर भी हों, लेकिन आप कभी गिव अप नहीं करेंगे, तो सक्सेस चाहे आज आए या कल आए, पर आएगी जरूर।

प्रधानमंत्री: मुझे पक्का विश्वास है कि आपकी ये बातें देश के युवाओं को बहुत ही अच्छी लगेंगी और आप तो मुझे भली-भांति जानते हैं, जब भी किसी से बात होती हैं, तो मैं होमवर्क जरूर देता हूं। हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है, हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है, और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशंस में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। मुझे विश्वास है, आप वहां अपने अनुभवों को जरूर रिकॉर्ड कर रहे होंगे।

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, बिल्कुल ये पूरे मिशन की ट्रेनिंग लेने के दौरान और एक्सपीरियंस करने के दौरान, जो मुझे lessons मिले हैं, जो मेरी मुझे सीख मिली है, वो सब एक स्पंज की तरह में absorb कर रहा हूं और मुझे यकीन है कि यह सारी चीजें बहुत वैल्युएबल प्रूव होंगी, बहुत इंपॉर्टेंट होगी हमारे लिए जब मैं वापस आऊंगा और हम इन्हें इफेक्टिवली अपने मिशंस में, इनके lessons अप्लाई कर सकेंगे और जल्दी से जल्दी उन्हें पूरा कर सकेंगे। Because मेरे साथी जो मेरे साथ आए थे, कहीं ना कहीं उन्होंने भी मुझसे पूछा कि हम कब गगनयान पर जा सकते हैं, जो सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने बोला कि जल्द ही। तो मुझे लगता है कि यह सपना बहुत जल्दी पूरा होगा और मेरी तो सीख मुझे यहां मिल रही है, वह मैं वापस आकर, उसको अपने मिशन में पूरी तरह से 100 परसेंट अप्लाई करके उनको जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे।

प्रधानमंत्री: शुभांशु, मुझे पक्का विश्वास है कि आपका ये संदेश एक प्रेरणा देगा और जब हम आपके जाने से पहले मिले थे, आपके परिवारजन के भी दर्शन करने का अवसर मिला था और मैं देख रहा हूं कि आपके परिवारजन भी सभी उतने ही भावुक हैं, उत्साह से भरे हुए हैं। शुभांशु आज मुझे आपसे बात करके बहुत आनंद आया, मैं जानता हूं आपकी जिम्मे बहुत काम है और 28000 किलोमीटर की स्पीड से काम करने हैं आपको, तो मैं ज्यादा समय आपका नहीं लूंगा। आज मैं विश्वास से कह सकता हूं कि ये भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है। आपकी यह ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, ये हमारी विकसित भारत की यात्रा को तेज गति और नई मजबूती देगी। भारत दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा। मैं चाहता हूं, कुछ और भी सुनने की इच्छा है, आपके मन में क्योंकि मैं सवाल नहीं पूछना चाहता, आपके मन में जो भाव है, अगर वो आप प्रकट करेंगे, देशवासी सुनेंगे, देश की युवा पीढ़ी सुनेगी, तो मैं भी खुद बहुत आतुर हूं, कुछ और बातें आपसे सुनने के लिए।

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शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी! यहां यह पूरी जर्नी जो है, यह अंतरिक्ष तक आने की और यहां ट्रेनिंग की और यहां तक पहुंचने की, इसमें बहुत कुछ सीखा है प्रधानमंत्री जी मैंने लेकिन यहां पहुंचने के बाद मुझे पर्सनल accomplishment तो एक है ही, लेकिन कहीं ना कहीं मुझे ये लगता है कि यह हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा कलेक्टिव अचीवमेंट है। और मैं हर एक बच्चे को जो यह देख रहा है, हर एक युवा को जो यह देख रहा है, एक मैसेज देना चाहता हूं और वो यह है कि अगर आप कोशिश करते हैं और आप अपना भविष्य बनाते हैं अच्छे से, तो आपका भविष्य अच्छा बनेगा और हमारे देश का भविष्य अच्छा बनेगा और केवल एक बात अपने मन में रखिए, that sky has never the limits ना आपके लिए, ना मेरे लिए और ना भारत के लिए और यह बात हमेशा अगर अपने मन में रखी, तो आप आगे बढ़ेंगे, आप अपना भविष्य उजागर करेंगे और आप हमारे देश का भविष्य उजागर करेंगे और बस मेरा यही मैसेज है प्रधानमंत्री जी और मैं बहुत-बहुत ही भावुक और बहुत ही खुश हूं कि मुझे मौका मिला आज आपसे बात करने का और आप के थ्रू 140 करोड़ देशवासियों से बात करने का, जो यह देख पा रहे हैं, यह जो तिरंगा आप मेरे पीछे देख रहे हैं, यह यहां नहीं था, कल के पहले जब मैं यहां पर आया हूं, तब हमने यह यहां पर पहली बार लगाया है। तो यह बहुत भावुक करता है मुझे और बहुत अच्छा लगता है देखकर कि भारत आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है।

प्रधानमंत्रीशुभांशु, मैं आपको और आपके सभी साथियों को आपके मिशन की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। शुभांशु, हम सबको आपकी वापसी का इंतजार है। अपना ध्यान रखिए, मां भारती का सम्मान बढ़ाते रहिए। अनेक-अनेक शुभकामनाएं, 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं और आपको इस कठोर परिश्रम करके, इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। भारत माता की जय!

शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, धन्यवाद और सारे 140 करोड़ देशवासियों को धन्यवाद और स्पेस से सबके लिए भारत माता की जय!