Government is formed with 'Bahutmat' but runs through 'Sarvamat': PM Modi

Published By : Admin | March 12, 2017 | 19:31 IST
Elections were about ‘Lok Shikshan’ and deepening the bond between people and democracy: PM
A new India of the dreams of its Yuva Shakti is taking shape: PM Modi
A new India that fulfils aspirations of its Nari Shakti is taking shape: PM
Power is not about posts. Power is an opportunity to serve, says PM Modi
Antyodaya is integral to our work. We understand the strength of India's poor: PM Modi
Government is formed with 'Bahutmat' but runs through 'Sarvamat'. Ours is a government of everyone: PM

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान अमित शाह जी, मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्ठ साथी, कार्यकर्ता भाइयों और बहनों। आपको और देशवासियों को होली के पावन पर्व की अनेक-अनेक शुभकामनाएं।

भारत में हर त्योहार इस बात का संदेश लेकर आता है, हमें बार-बार स्मरण कराता है, चाहे व्यक्ति के जीवन में हो, समाज के जीवन में हो, राष्ट्र के जीवन में हो बुराइयों को परास्त करते हुए, अच्छाइयों पर बल देते हुए आगे बढ़ने की सीख हमारे हर उत्सव हमें देते हैं। ये होली का पावन पर्व भी हमारे भीतर अगर कोई कमियां हैं, समाज जीवन में अगर कोई कमियां हैं, राष्ट्र जीवन में अगर कोई कमियां हैं, उन्हें परास्त करते हुए आगे बढ़ने का संकल्प रहना चाहिए। हर त्योहार में इस संकल्प को दोहराना चाहिए और होली का पावन पर्व भी हम सबको वो शक्ति दे, सवा सौ करोड़ देशवासियों को शक्ति दे ताकि हम अच्छाइयों को लेकर के मानव जाति के कल्याण के काम के लिए आगे बढ़ते चलें।

साथियों।

लोकतंत्र में चुनाव सरकारें बनाने का तो काम होते ही हैं लेकिन लोकतंत्र में चुनाव, एक लोकशिक्षण का महापर्व होता है। लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता और अधिक गहरी होती जाए, लोकतंत्र के प्रति सामान्य मानवी का विश्वास सिर्फ मतदान तक सीमित न रहे। राष्ट्र निर्माण में उसकी भागीदारी बढ़ती चले। भारत जैसे देश के लिए बहुत आवश्यक है। जिस प्रकार से हमारे देश में मतदान का प्रतिशत बढ़ रहा है। उत्साह उमंग के साथ लोकतंत्र के इस पर्व को मनाने में राजनैतिक दलों के सिवाय भी लोग जुड़ते चले जा रहे हैं। मैं इसे लोकतंत्र की दृष्टि से एक शुभ संकेत मानता हूं। और जब कभी-कभार विजय होने के अनेक कारण होते हैं लेकिन अकल्पनीय भारी मतदान के बाद, अकल्पनीय भारी विजय होता है वो पॉलीटिकल पंडितों के लिए विचार करने के लिए मजबूर कर रहा है। मैं कल भी कुछ पॉलीटिकल पंडितों को सुन रहा था। आज भी मैं कुछ पढ़ रहा था। इस देश में इमोशनल इश्यूज पर, चुनावों पर वे वेब दिखाई दिये हैं। चुनाव के ऊपर उसका प्रभाव भी दिखाई दिया है लेकिन इमोशनल इश्यूज के सिवाय विकास एक कठिन से कठिन मुद्दा होता है चुनाव का। बहुत मुश्किल मुद्दा होता है, सब राजनैतिक दल पिछले 50 साल से इन मुद्दों को लेकर के जाने से कतराते रहे हैं और कभी उपयोग भी किया है तो एक पासिंग रिमार्क के रूप में किया है। इस चुनाव का उस दृष्टि से भी मूल्यांकन होना बहुत जरूरी है कि इमोशनल इश्यू न होने के बावजूद भी इतना भारी मतदान होना।

विकास के मुद्दे पर देश का गरीब से गरीब व्यक्ति भी मतदान के लिए आगे आना, एक नये हिंदुस्तान के दर्शन हो रहे हैं मुझे। और मैं इन पांच राज्यों के चुनाव को और विशेषकर उसमें उत्तर प्रदेश जो कि भारत को दिशा देने की, ताकत देने की, प्रेरणा देने की सर्वाधिक क्षमता रखता है, इतना बड़ा प्रदेश है। वहां जब चुनाव के नतीजे आए हैं, तब इन पांच राज्यों के चुनाव को नये हिंदुस्तान की एक नई नींव के रूप में मैं देख रहा हूं।

न्यू इंडिया।

65 प्रतिशत 35 साल से कम उम्र के नौजवानों के सपनों का न्यू इंडिया। अभूतपूर्व रूप से जागरूक महिला समूहों का सपनों का न्यू इंडिया। ऐसा न्यू इंडिया, जो देश के गरीबों में कुछ पाने की इच्छा की बजाय कुछ करने की इच्छा के लिए अवसर की खोज, ये अपने आपमें एक बहुत बड़ा बदलाव है। देश का गरीब भी, आप कुछ दे दो, आप मुझे अच्छे लगोगे, इस मानसिकता को छोड़ चुका है। गरीब कहता है मैं अपने बलबूते पर आगे जाना चाहता हूं, आप मेरे लिए अवसर उपलब्ध करा दीजिए, मेहनत मैं करूंगा। ये न्यू इंडिया की नींव है। और इसलिए इस चुनाव में कौन जीता, कौन हारा। हमने किसको परास्त किया, किसको, क्या किया। मैं इस दायरे में सोचने वालों में से नहीं हूं। चुनाव विजय भारतीय जनता पार्टी के लिए जनता जनार्दन का एक पवित्र आदेश होता है आदेश। और मैं आदेश पर बल देता हूं। और हमें उस आदेश को पूर्ण करने के लिए ईश्वर ने हमें जितनी क्षमता दी है। उसका पूरा उपयोग करते हुए निरंतर कोशिश करते रहना चाहिए ताकि हम जनता जनार्दन की आशा-अकाक्षाओं को पूर्ण करने में अपने आप को करके दिखाने की दिशा में सफल पाएं।

विजय।

पेड़ भी हमें सिखाता है, पौधे भी हमें सिखाते हैं। कोई भी पेड़ कितना भी ऊंचा हो लेकिन जैसे ही फल लगते हैं, वो झुकने लग जाता है। प्रकृति हमें प्रेरणा देती है और जब भारतीय जनता पार्टी के इस वटवृक्ष पर विजयरूपी फल लगे हैं तो हम भारतीय जनता पार्टी का सबसे ज्यादा झुकने का जिम्मा बनता है। अधिक नम्र बनने का जिम्मा बनता है। सत्ता ये पद शोभा का हिस्सा नहीं होती है। सत्ता सेवा करने का एक अवसर होती है। इस बात को लेकर हमें चलना है। हमने कई बार विजय प्राप्त की है। चार-चार पीढ़ियां इस काम के लिए खप गई हैं। अटल जी, आडवाणी जी, कुशाभाऊ, जना कृष्णमूर्ति जी, अनगिनत लोग, जिन्होंने अपने जीवन को, अपनी जवानी को, इस विचार को बीज के रूप में हिंदुस्तान के कोने-कोने में बोने के लिए अपना पसीना बहाया है, तब जाकर के ये वटवृक्ष बना है। लक्षावधी कार्यकर्ताओं ने अखंड एकनिष्ठ पुरुषार्थ किया है। उसी का नतीजा है कि आज जनता जनार्दन की आशा आकांक्षाओं के हम प्रतीक बने हैं। और इसलिए गत 50-60 साल तक निरंतर इस पार्टी के लिए तपस्या करने वाले उन सबके सपनों के अनुकूल हमें अधिकतम कार्य करते हुए जन सामान्य की सेवा करनी है। इस चुनाव के नतीजे हमारे लिए एक इमोशनल इश्यू भी है। इसलिए हैं कि यह वर्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्मशति का वर्ष है और पंडित दीनदयाल उपाध्याय उत्तर प्रदेश भी कभी उनकी कर्मभूमि रहा था। ऐसे महापुरुष की जन्मशति के समय इतने बड़े आशीर्वाद हमें दीनदयाल जी का अंत्योदय का जो आदेश है, चिंतन है। गरीबों का कल्याण, गरीब, गरीब में सामर्थ में देख पाता हूं। मैं देश के गरीबों की शक्ति को पहचान पाता हूं और राष्ट्र के भविष्य के निर्माण में जितना ज्यादा गरीबों को अवसर मिलेगा, उतना ज्यादा देश तेज गति से आगे बढ़ेगा। गरीब अगर शिक्षित होगा तो समाज को ज्यादा परिणाम देगा। गरीब को अगर कार्य का अवसर मिला तो देश के लिए ज्यादा करके दिखाएगा। और इस देश की सबसे बड़ी ताकत वो हमारे देश का गरीब है।

कभी-कभी आज मध्यम वर्ग के लोगों को ज्यादा बोझ झेलना पड़ता है। कर भी मध्यम वर्ग को ज्यादा देना पड़ता है। नियम का पालन भी मध्यम वर्ग को ज्यादा करना पड़ता है, समाज की सब मर्यादाओं का पालन भी मध्यम वर्ग को करना पड़ता है। सारे आर्थिक बोझ भी क्वांटम के रूप से देखें तो सबसे ज्यादा मध्यम वर्ग का व्यक्ति वहन करता है। उस पर ये बोझ कम होना चाहिए। ये मध्यम वर्ग पर जो बोझ रहता है और उसके कारण, उसके पास क्षमता भी है। तेज गति से जाने के लिए उसको किसी के मदद जरूरत नहीं है। सिर्फ वह इतना ही चाहता है कि रूकावटें दूर हों वो दौड़कर के कुछ करने के लिए क्षमता रखता है। एक बार देश के गरीब के अंदर खुद का बोझ उठाने की ताकत आ जाएगी। इस देश के मध्यम वर्ग का बोझ पूरी तरह हट जाएगा। अर्थशास्त्र के इस रूप को, अर्थशास्त्र के इस रूप को मैं न्यू इंडिया में अनुभव कर रहा हूं। और एक बार देश के गरीब की ताकत, देश के मध्यम वर्ग के सपने इनको अगर मिला लें तो इस देश को दुनिया में नई ऊंचाइयों पर ले जाने से कोई रोक नहीं सकता।

 

और इसलिए भाइयों-बहनों।

जितने भी चुनाव हुए हमारे देश में लगातार भारतीय जनता पार्टी का समर्थन बढ़ता गया है। विजय यात्रा लगातार आगे चल रही है। हिंदुस्तान के हर क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी ने पहले से अच्छा करके दिखाया है और इसलिए हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान अमित शाह जी और उनके साथ संगठन का कार्य संभालने वाली केंद्रीय टीम, राज्यों की टीम, लक्षावधी कार्यकर्ता इस विजय यात्रा के यशभागी हैं, उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। अमित भाई ने पार्टी के अध्यक्ष के रूप में सदस्यता के अभियान के द्वारा पूरे विश्व में सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी के रूप में भारतीय जनता पार्टी पहुंचा दिया। चुनाव जीतना एक बात है लेकिन लोकतांत्रिक ठंग से समाज के हर तबके में भारत के हर भूभाग पर भारतीय जनता पार्टी को पहुंचाना, ये भी लोकतंत्र की एक बहुत बड़ी सेवा है। और हम सबने भी गर्व के साथ दुनिया में जहां जाएं वहां, दुनिया में जिसे भी मिलने का मौका मिले उन्हें सीना तान के कहना चाहिए कि हम उस पार्टी के सदस्य हैं जो विश्व में सबसे बड़ा संगठन है। जनसंघ कहो, भारतीय जनता पार्टी कहो, उसकी पूरी विजय यात्रा में सबसे अधिक जनसंख्या की सेवा करने का आज अवसर भारतीय जनता पार्टी को उपलब्ध हुआ है। केंद्र के द्वारा भी, राज्यों के द्वारा भी और स्थानीय स्वराज्य निकायों के द्वारा भी, ये अपने आपमें भारतीय जनता पार्टी की विजय यात्रा के इतिहास में एक स्वर्णिम समय है ये, स्वर्णिम समय है। और इस स्वर्णिम समय को अचानक प्राप्त नहीं हुआ है, हालात के कारण अचानक नहीं मिल गया है। कठोर परिश्रम से, त्याग-तपस्या से सार्वजनिक जीवन की मर्यादाओं का पालन करते हुए लक्षावधी लोगों ने चार-चार पीढ़ी तक अखंड एक नई पुरुषार्थ करके आज हम यहां पहुंचे हैं। हम लोगों को सौगात में कभी कुछ नहीं मिला और हमें इसका गिला-शिकवा भी नहीं है क्योंकि हम समाज के लिए करना चाहते हैं, देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। इस संकल्प के साथ निकले हुए लोग हैं।

भाइयों-बहनों।

देश के सामने चुनाव केंद्रित सपनों की वर्षा हमने बहुत देखी है। हम सवा सौ करोड़ देशवासियों को साथ लेकर के न्यू इंडिया को सफलता पूर्वक आगे बढ़ाना चाहते हैं। एक पहला मुकाम हमारे सामने है 2022। मैं चुनाव के हिसाब-किताब से चलने वाला इंसान नहीं हूं। पहले से मैं कहता हूं। मेरे दिमाग में सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों का हिंदुस्तान है, सवा सौ करोड़ देशवासी हैं। 2022 भारत की आजादी के 75 साल होंगे। 75 साल में जो भी यात्रा चली है, जिस रूप में चली है। जिसको भी सेवा करने का मौका मिला है, हर किसी ने अपने-अपने तरीके से की है और हम इस बात को कभी नकारते भी नहीं है। जिस सरकार को अवसर मिला, उसने काम किया है। जिस प्रधानमंत्री को अवसर मिला, उसने काम किया, जिस मुख्यमंत्री को अवसर मिला, उन्होंने काम किया। हरेक के काम को हम स्वीकार करते हैं, आदर करते हैं लेकिन 2022 भारत की आजादी के 75 साल। हमारे पास 5 साल का वक्त है। अगर सवा सौ करोड़ देशवासी, पांच साल अपने व्यक्तिगत जीवन में एक संकल्प हर वर्ष, संगठन के जीवन में हर वर्ष एक नया संकल्प, जिस इकाई में काम करते हैं। उस इकाई में एक नया संकल्प 2022 तक उसको पूरा करके रहेंगे। अगर देश में ये मूड बन जाए तो देश पीछे नहीं रहेगा मैं विश्वास दिलाता हूं दोस्तों। और इसको बल मिला है चुनाव नतीजों से। 2022 के भारत के सपनों को पूरा करने के लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों में एक विकास का जो आंदोलन पैदा करना है। इन सपनों के लिए कुछ कर गुजरने की एक जो तैयारी करनी है, माहौल बनाना है, हर इंसान को जोड़ना है, उसको बल देने के काम इन पांच राज्यों के चुनाव नतीजों ने किया है।

और इसलिए भाइयों-बहनों।

मैं सबसे पहले इन पांचों राज्यों के मतदाता का ह्रदयपूर्वक बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं और मैं इन पांचों राज्यों के मतदाताओं को विश्वास दिलाता हूं कि भारतीय जनता पार्टी पर आपने जो भरोसा रखा है। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के पास जो भरोसा रखा है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं वो ऐसे-ऐसे चेहरे चुनकर के आए हैं, जिनको शायद कभी किसी ने टीवी पर भी देखा नहीं होगा। ऐसे-ऐसे चेहरे चुनकर के आपने भेजे हैं, जो कभी अखबार की लकीरों में भी कभी उनको स्थान मिला है कि नहीं मिला है, मैं नहीं जानता लेकिन उसके बावजूद भी आपने भरोसा रखा। हो सकता है हमारे लोगों का अनुभव कम होगा। हो सकता है हमारी पहचान व्यापक नहीं होगी लेकिन इन पांचों राज्यों को मैं भरोसा देता हूं कि हमारे ये साथी आपकी आशा-अकांक्षाओं को पूर्ण करने में कोई कमी नहीं रखेंगे। नई चीज सीखनी पड़ेगी तो सीखेंगे, अच्छे इरादे से करेंगे। अच्छा करने का भरपूर प्रयास करेंगे।

भाइयों-बहनों।

आज हम जिन सपनों को लेकर के चल रहे हैं तब मैं आज फिर एक बार स्मरण दिलाना चाहता हूं। इसी 11 अशोका रोड पर 2014 में यही वरिष्ठ टीम मंच पर बैठी थी और भारतीय जनता पार्टी का संकल्प पत्र जो पॉलीटिकल फिल्ड में घोषणा पत्र कहते हैं। भारतीय जनता पार्टी उसे संकल्प पत्र मानती है। उसका जब देश की जनता के सामने प्रस्तुत करने का अवसर था, उस दिन मैंने एक बात कही थी। खैर कुछ चीजें ऐसी होती हैं कि इस समय पर समझ नहीं पाते हैं। लोग उनकी सीमा रहते हैं या समझना चाहते नहीं हैं। तो मैंने उस दिन जो कहा था उसको बहुत गलत अर्थ में लिया गया था और इतना गलत कर दिया था कि कोई दोबारा बोलने की हिम्मत न करे लेकिन आज जब सरकार को ढाई साल से ज्यादा का समय हो गया है। एक प्रकार से 5 साल के कार्यकाल के बीच पड़ाव पर हम खड़े हैं। तब मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों के सामने मेरी ही उस बात को दोहराने की हिम्मत करता हूं। तीन बातें। मैंने कहीं थी और उसमें से गलत करने का कोई कारण नहीं था। लेकिन करने वालों ने किया था। एक मैंने कहा था कि हम नए हैं। हमारा अनुभव भी कम था क्योंकि कभी संसद के सदस्य भी नहीं रहे थे लेकिन संकल्प पत्र रखते समय मैंने कहा था कि हम मनुष्य कोई भी है, गलती कर सकता है तो मैंने कहा था ‘हम से गलती हो सकती है लेकिन गलत इरादे से कोई काम नहीं करेंगे’। दूसरी बात मैंने कही थी ‘हम परिश्रम की पराकाष्ठा करेंगे, परिश्रम की पराकाष्ठा करेंगे’। ये मैंने दूसरा देश को वादा किया था। और तीसरा मैंने कहा था ‘हम जो कुछ भी करेंगे प्रमाणिकता के साथ करेंगे’। मुझे खुशी है साथियों कि ये एक ऐसा प्रधानमंत्री है जिस पर ये पूछा जाता है कि इतना काम क्यों करते हो? इतनी मेहनत क्यों करते हो? इससे बड़ा जीवन का सौभाग्य क्या हो सकता है।  

मैं फिर एक बार पांचों राज्यों के मतदाताओं को, वहां के नागरिकों को ह्रदय से बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं, हम पर विश्वास रखने के लिए और ये बात मैं कहना चाहूंगा कि लोकतंत्र में सरकार बनती है बहुमत से लेकिन चलती है सर्वमत से। और इसलिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार जिन्होंने वोट दिया है, उनकी भी है। जिन्होंने वोट नहीं दिया, उनकी भी है। जो साथ चले, उनकी भी है, जो सामने रहे, उनकी भी है। सरकार को कोई भेदभाव करने का हक नहीं है और न ही भारतीय जनता पार्टी ऐसे किसी हक को स्वीकार करती है। और इसलिए वोट दिया न दिया, वो चुनाव नतीजों तक ठीक है। उसके बाद उत्तर प्रदेश है तो सबके सब उत्तर प्रदेश की वो सरकार है, वो सरकार सब उत्तर प्रदेश वासियों के लिए है। मणिपुर की सरकार है, गोवा की सरकार है, पंजाब की सरकार है, उत्तराखंड की सरकार, सरकार सबकी होती है, सबके लिए होती है और सबको साथ लेकर के चलने के लिए होती है। इस पवित्र विचार को लेकर के ही, हम काम करते आए हैं, काम करते रहेंगे और हम जितने नये अवसर मिलेंगे। हर नये अवसर में न्यू इंडिया बनाने के लिए, नये हिंदुस्तान को बनाने के लिए, न्यू हिंदुस्तान के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। ये मैं देशवासियों को विश्वास देता हूं। फिर एक बार आप इतनी बड़ी संख्या में आए, विजयश्री के बाद देशवासियों को मेरे भाव व्यक्त का आपने अवसर दिया मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। फिर एक बार अमित शाह और उनकी टीम को ह्रदय से बहुत-बहुत अभिनंदन। मेरे साथ बोलें। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। वंदे मातरम। वंदे मातरम। वंदे मातरम।

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Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM Modi
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।