India's soldiers are a symbol of humanity: PM Modi
Our jawans put their lives on the line whenever there is a natural disaster: PM Modi
Indian Armed Forces rank among the best in the world on parameters such as discipline and conduct: PM Modi
India is one of the foremost contributors to peace keeping forces worldwide, says the Prime Minister
Indian Armed Forces had evacuated not just thousands of Indian citizens, but citizens of other nations as well: PM
India has never coveted territories of other nations: Prime Minister Modi
During the World Wars, so many Indian soldiers sacrificed their lives defending foreign lands: PM
We must not forget, and we should also make sure that the world does not forget, the sacrifices made by our jawans: PM
The strength of the Indian Armed Forces is the morale of its jawans, which comes from the support of 125 crore Indians: PM
Our Govt fulfilled its promise of One Rank, One Pension: PM

शहीदो अमर रहो अमर रहो शहीदो अमर रहो अमर रहो

शहीदो अमर रहो अमर रहो

शहीदो अमर रहो अमर रहो

बंदे मातरम बंदे मातरम

बंदे मातरम बंदे मातरम

बंदे मातरम बंदे मातरम

मेरा सौभाग्‍य है इस महत्‍वपूर्ण ऐतिहासिक अवसर पर आप सबके बीच आ करके इस देश के वीर जवानों को नमन करने का मुझे अवसर मिला है, श्रद्धा सुमन अर्पित करने का सौभाग्‍य मिला है। हमारे देश में जब सेना का हम स्‍मरण करते हैं तो उसका ज्‍यादातर चर्चा एक ही रूप की होती है, यूनिफॉर्म, हाथ में शस्‍त्र, आंखों में ज्‍वाला जैसे हर पल दुश्‍मन की तलाश में हो। लेकिन कभी-कभी ये भी सो‍चें कि भारत के सैन्‍य बल मानवता की एक बहुत बड़ी मिसाल हैं। कहीं पर भी प्राकृतिक संकट आया हो, पिछले कुछ दिनों में हम सबकी स्‍मृति में है बद्रीनाथ, केदारनाथ का प्राकृतिक संकट। अब पूरा देश, देश के जवानों को अपने अपने स्‍थान से नमन कर रहा था। जिस प्रकार से वो जद्दोजहद करके आपत्ति में फंसे हुए लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जिंदगी खपा देते थे।

दो वर्ष पूर्व जब श्रीनगर में बड़ी भयंकर बाढ़ आई, पहली बार श्रीनगर ने इतनी भयंकर बाढ़ देखी। ऐसी समस्‍याओं से जूझना एक सरकार के लिए भी कठिन काम था। ऐसे समय देश ने देखा कि हमारी सेना के जवान श्रीनगर की इस वादियों में बाढ़ पीडि़तों के जीवन बचाने के लिए अपने-आप को खपा रहे थे। और जब वो इन मुसीबत में फंसे लोगों की सेवा कर रहे थे, उनको बचाने में लगे थे, ये मेर सेना का प्रशिक्षण देखिए, मेरी सेना के भीतर भरी हुई उस मानवता देखिए, कि कभी उन्‍होंने ये नहीं सोचा कि ये तो वो लोग हैं, जो कभी पत्‍थर मारते हैं, कभी हमारी आंखे फोड़ देते हैं, कभी हमारा सिर फोड़ देते हैं, कभी पत्‍थरों का हमला इतना भयंकर होता है कि मौत का शरण हो जाता है। ये सब अनुभव करने के बाद भी जब मानवता ने ललकारा, यही मेरे फौज के जवान, कल क्‍या हुआ था; किसने क्‍या किया था; इसका रत्‍ती भर मन में न रखते हुए, उसकी भी जिंदगी मेरे देशवासी की जिंदगी है, उसको बचाने के लिए वो जी-जान से जुटे रहे।


आज पूरे विश्‍व में दुनिया के जो रक्षा बल हैं, सुरक्षा बल हैं, हो सकता है कि दुनिया के कई देशों के पास सैन्‍य शक्ति हमसे सैंकड़ो गुना ज्‍यादा होगी, लेकिन विश्‍व जब हमारे सुरक्षा बलों के भिन्‍न-भिन्‍न पैरामीटर से मूल्‍यांकन करते हैं तो discipline, आचार, सामान्‍य नागरिकों के प्रति व्‍यवहार, इन सारे मानकों में भारत की सेना प्रथम प‍ंक्ति में नजर आती है, पूरे विश्‍व में नजर आती है। पूरे विश्‍व में शांति के लिए एक peace keeping फोर्स बना हुआ है। जिसमें दुनिया भर के रक्षा बल के जवान बारी-बारी से आते हैं, कोई दो साल वहां सेवा देते हैं; कोई तीन साल देते हैं; जिस देश में उनको लगाया जाये वहां जाते हैं; उस देश की शांति के लिए वो अपना जीवन लगा देने के लिए तैयार हो जाते हैं। विश्‍व का जो peace keeping फोर्स है, हर हिन्‍दुस्‍तानी को गर्व होगा कि विश्‍व के इस peace keeping फोर्स में इतने वर्षों में लगातार सबसे अधिक योगदान करने वाला कोई देश है, तो उस देश का नाम हिन्‍दुस्‍तान है। और ये इसलिए संभव होता है कि हमारे सुरक्षा बल के जवानों ने सिर्फ शस्‍त्र के आधार पर नहीं, नैतिकता के अधिष्‍ठान पर, अपने आचरण पर, अपने व्‍यवहार पर विश्‍व को जीतने में सफलता पाई है, जब जा करके ये सिद्धि प्राप्‍त होती है।

इन दिनों West Asia में लगातार बम धमाके की आवाज सुनाई दे रही है। आतंकवाद ने भयंकर रूप ले लिया है। यमन में हिन्‍दुस्‍तान के हजारों नागरिक फंसे थे, बम वर्षा हो रही थी, जीवन और मृत्‍यु के बीच भारत के नागरिक वहां मुसीबत से घिरे हुए थे, हमने सेना के जवानों को वहां भेजा, मदद के लिए हर व्‍यवस्‍था ले करके भेजा, और ये सेना के जवानों का पराक्रम देखिए, 5 हजार से ज्‍यादा वहां पर फंसे हमारे भाई-बहनों को सलामत हिन्‍दुस्‍तान वापस लेकर आए। और सिर्फ हिन्‍दुस्‍तान के नहीं, दुनिया के अनेक देशों के नागरिकों को भी; पाकिस्‍तान के नागरिकों को भी; बचा करके ले आए थे। ये भारत की सेना इसके इन रूपों को अभी भी हम समय-समय पर तो कभी नजर पड़ जाती है, लेकिन सात्‍यत्‍य रूप से हम इस शक्ति को कभी-कभी भूल जाते हैं और सिर्फ सीमा, गोलियां, बम, बंदूक, पिस्‍तोल, दुश्‍मन, उसी के इर्द-गिर्द इस ताकत को तराजू पर तोलते रहते हैं। बहुत कम लोगों को मालूम होगा, हिन्‍दुस्‍तान का इतिहास तो इस बात का गवाह है, हजारों साल का हमारा इतिहास है, हमारे पूर्वजों ने कभी भी किसी की एक ईंच जमीन के लिए झगड़ा नहीं किया है, युद्ध नहीं किया है, दुनिया के किसी देश को दबोचने के लिए, अपना बनाने के लिए आक्रमण नहीं किया है। लेकिन अगर मूल्‍यों के, आदर्शों के लिए जीवन-मृत्‍यु का जंग खेलने की नौबत आई, हिन्‍दुस्‍तान की सेना कभी पीछे नहीं है। 


मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, बहुत कम लोगों को पता होगा कि प्रथम विश्‍वयुद्ध और द्वितीय विश्‍वयुद्ध, ये लड़ाइयां न हमने की थीं, न ही ये युद्ध हमारे लिए हुआ था, न ही इस युद्ध के नतीजे का हमें कोई लाभ होना था। इससे हमारा कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन दो विश्‍वयुद्ध में इसी धरती की संतान, मेरे देश के वीर जवान, मेरे वीर सैनिक, डेढ़ लाख जवानों ने बलिदान दिया था, डेढ़ लाख। पूरा विश्‍व इस बात को भुला दे रहा है, दुर्भाग्‍य है कि कभी-कभी हम भी भुला देते हैं। डंके की चोट पर दुनिया के सामने हमारे पूर्वजों का मानवता के लिए किया हुआ ये त्‍याग और बलिदान बार-बार दुनिया को स्‍मरण कराने की आवश्‍यकता है। यहां गांधी ऐसे पैदा नहीं होते हैं, यहां बुद्ध ऐसे पैदा नहीं होते हैं, एक महान परम्‍परा है जिसमें से वीर सैनिक भी मानवता के लिए मरते हैं तो गांधी भी मानवता के लिए जीते हैं, ये इस धरती की विशेषता रही है। और उसी विशेषता को ली करके आज दुनिया में हमारी सेना पर गर्व कर सकते हैं। जल हो, थल हो, नभ हो, हमारे और भी सुरक्षा बल, BSF के जवान, जिस प्रकार से सीमा पर डटे होते हैं, CRPF के जवान, Coast guard के जवान, अनगिनत व्‍यवस्थाएं हैं, जो इसलिए अपनी जवानी खपा देते हैं, कि हम चैन की नींद सो सकें। मेरे देश की सेना को हम चैन की नींद सो जाएं, उसे सर्वाधिक खुशी मिलती है। हम चैन की नींद से सो जाएं, उसे संतोष होता है। हमारे सोने पर उसको शिकायत नहीं होती है। लेकिन जागने के वक्‍त भी अगर सो जाएं तो सेना हमें कभी माफ नहीं करती है और दुर्भाग्‍य ये है कि कभी-कभी हम जागने के समय भी सोए पाए जाते हैं। संस्‍कृत में कहा है :

राष्‍ट्रायाम जागरयाम वयम Eternal Vigilance is the Price of Liberty.

सतत् जागते रहो। और सिर्फ सेना के जवान जागते रहें, ये तो उनके साथ अन्‍याय होगा। हमें भी जागने के समय तो जागना ही चाहिए। उस समय सोने का हमें हक नहीं है। अगर कोई ये भ्रम रखता है कि हाथ में कितना आधुनिक शस्‍त्र है, गोली कितनी दूर तक जा सकती है, इतने मात्र से सेना जीत जाती है तो ये हमारा भ्रम है। सेना का सबसे बड़ा जो शस्‍त्र होता है वो उसका मनोबल होता है। उसके मन की ताकत होती है। और ये मनोबल ये मन की ताकत शस्‍त्र से नहीं आती है, सवा सौ करोड़ देशवासियों की एक साथ मिल करके उनके पीछे खड़े रहने से आती है।

हमारे देश में मैं बड़ी पुरानी एक घटना मुझे स्‍मरण है, 62 (sixty two) के war बाद दिवाली के दिन थे, तो लोग मिठाई के पैकेट फोज को भेजते रहते थे, कोई भी पता मिल जाए तो, ठीक है कि देश के आर्मी के जवान ऐसा कह करके भेजते रहते थे। पहुंचते पहुंचते शायद वो खराब भी हो जाए लेकिन भक्ति भाव से पहुंचते थे। मैंने कभी सुना था कि बड़ौदा से एक बेटी ने किसी जवान को मिठाई भेजी, अपना पता भी उसमें डाल दिया साथ-साथ। जिस जवान के पास वो मिठाई पहुंची, साथ में वो पता भी पहुंचा। और बाद में मुझे पता चला कि जीवनभर उस फौजी ने उस बहन को अपनी सगी बहन से ज्‍यादा प्‍यार दिया। ये सेना के रूप जो हैं, इसे कभी-कभी हम भलीभांति समझ नहीं पाते हैं। हमारी सेना, और मैंने कहा था सेना बोलती नहीं है, सेना पराक्रम करती है। और उस दिन रोज मेरे बाल नोच लिए जाते थे, मोदी सो रहा है, मोदी कुछ कर नहीं रहा है। लेकिन जैसे हमारी सेना बोलती नहीं, पराक्रम करती हैं, हमारे रक्षा मंत्री भी बोलते नहीं हैं।

प्‍यारे देशवासियो, मैं मध्‍यप्रदेश सरकार को विशेष रूप से अभिनंदन करता हूं कि उन्‍होंने ये शौर्य स्‍मारक का निर्माण किया, युद्ध स्‍मारक तो होते हैं, शहीद स्‍मारक भी होते हैं; लेकिन शौर्य स्‍मारक इसके अंदर ये सब कुछ समाहित होता है, उससे भी प्‍लस (Plus) होता है। ये शौर्य स्‍मारक हम सबके लिए एक तीर्थ क्षेत्र है। हमारी आने वाली पीढि़यों के लिए ये प्रेरणा का मंदिर है। हम देखें तो सही, अनुभव तो करें, हम जानें तो सही सेना है क्‍या? जिंदगी क्‍या है उनकी? ऐसी कौन सी ट्रेनिंग है कि रग-रग में हिन्‍दुस्‍तान समाया हुआ है। क्‍या कारण है पूरे भारत मां को अपना परिवार बना लिया है और अपनों को अकेले छोड़कर चल दिए। ये छोटा त्‍याग नहीं है दोस्‍तो; शब्‍दों में इसका वर्णन नहीं हो सकता। ये वीरों की गाथा है, हर पल हर कदम प्रेरणा की एक नई शक्ति इन वीरों से हमें प्राप्‍त होती है। उनका जीवन, उनका कार्य हर हिन्‍दुस्‍तानी के जीवन को देश के लिए जीने की, देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा देता रहता है। और हमारे देश के सभी गणमान्‍य कवि, उनकी कलम, कोई ऐसी कलम नहीं होगी कवियों की, जिसने देश के वीर जवानों को, शहीदों को, वीरों को, योद्धाओं को, सैनिकों को स्मरण न किया हो, अंजलि न दी हो। हम लोग बचपन में पढ़ा करते थे माखनलाल चतुर्वेदी जी की कविता, और माखनलाल जी ने कहा था:-

मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक।

भाइयो-बहनों, रामधारी सिंह दिनकर, आज इस शौर्य स्‍मारक के उद्घाटन के समय उनकी एक कविता बहुत सटीक बैठती है, उन्‍होंने लिखा है :-

कलम, कलम, आज उनकी जय बोल

कलम आज उनकी जय बोल

जला अस्थियां बारी-बारी, जला अस्थियां बारी-बारी

चिटकाई जिनमें चिन्‍गारी

जला अस्थियां बारी-बारी, चिटकाई जिनमें चिन्‍गारियां

जो चढ़ गए पुण्‍य वेदी पर, जो चढ़ गए पुण्‍य वेदी पर

लिए बिना गर्दन का मोल, लिए बिना गर्दन का मोल,

वो चढ़ गए पुण्‍य वेदी पर

ऐसे महापुरुषों का, वीर पुरुषों का, हम जानते हैं हमारे देश के जवान पिछले कई दशकों से हर सरकार से एक मांग कर रहे थे One Rank One Pension. अनेक लोग निवृत्‍त हो गए, मांग करते रहे, लेकिन फौजी थे, Disciplined थे, देश उनके लिए पहले था, खुद बाद में था इसलिए यूनियन वालों की तरह उन्‍होंने कभी झगड़े किए नहीं, तौर-तरीके से अपनी बात बता रहे थे। और हर सरकार बहुत ही बढि़या-बढि़या शब्‍दों में वादे भी करती थी। कोई ऐसी सरकार नहीं है जिसने वादे न किए हों। और कुछ लोग तो इतने बड़े होशियार थे कि दो सौ, पांच सौ करोड़ रुपये बजट में डाल भी देते थे। ये सरकार आने के बाद हमने वादा किया था कि हम One Rank One Pension लागू करेंगे। और मैं आज मेरे वीर जवानों के सामने सर झुका करके इस वादा हमने पूरा कर दिया, आज मैं सन्‍तोष की अनुभूति कर रहा हूं। चार किस्‍त में, चार किस्‍त में उसकी भुगतान करने के लिए हमने तय किया है, क्‍यों‍कि इतना बड़ा आर्थिक बोझ है कि एक साल में भारत सरकार के लिए भी देना मुश्किल है। तो इसलिए उसको चार किस्‍त में बांटा है। अब तक साढ़े पांच हजार करोड़ रुपया वितरित हो चुके हैं। फौजी के घर, उसके खाते में जमा हो चुके हैं। और लाभ कितना हुआ है, जो हवालदार, जो हवालदार जिसने 17 साल, Seventeen Years फौज में काम किया और निवृत्‍त हुआ, OROP के पहले उसको चार हजार रुपये 4090 रुपया मिलता था, 4090। OROP के बाद उसको करीब-करीब 7600 रुपया मिलना शुरू हुआ। यानी करीब करीब 30 percent से भी ज्‍यादा इजाफा।


भाइयो-बहनों, अभी 7वां Pay Commission आया। हर Pay Commission में कोई न कोई Anomaly रहती हैं, हर एक बार रहती हैं, एक Anomaly Committee बैठती है वो समस्‍या का समाधान के रास्‍ते खोजती है। भारत सरकार भी उस दिशा में है, Seventh Pay Commission के बाद हमारी सेना के जो मुखिया हैं उन्‍होंने भी हमें चिट्ठी दी है, उस पर हम काम कर रहे हैं। और जरूर अच्‍छा परिणाम उससे भी आएगा। लेकिन एक महत्‍वपूर्ण बात मैं बताता हूं, 7th Pay Commission ने कहा है कि 6th Pay Commission से जो वेतन मिलता था 7th Pay Commission में उसको 2.57 गुना बढ़ाया जाये। भारत सरकार ये कर सकती थी क्‍योंकि 7th Pay Commission ने कहा था। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। हमने कहा 6th Pay Commission को आधार मान करके अगर फौज के लोगों को देंगे, निवृत्‍त लोगों को पेंशन देंगे तो उनको बहुत कम फायदा होगा। हमने कहा कि निर्णय हमने किया कि OROP मिलने के बाद जो उनका वेतन का Wage बना है उसी के आधार पर 7th Pay Commission गिना जाएगा, उनको भले ही double फायदा हो जाए लेकिन मेरे देश के जवानों के लिए ये करना जरूरी है, हमने किया।

मैंने एक बार, मेरा एक प्रगति कार्यक्रम चलता है। जिसमें में Video Conference के सभी Department सभी राज्‍यों के साथ समस्‍याओं का समाधान करता हूं। मैंने पड़ताल की, निवृत्‍त फौजियों की complaint का क्‍या हाल है। और मैं हैरान था ढेर सारी complaint pending पड़ी थीं। हमने Technology का इस्‍तेमाल किया है, और बहुत तेज गति से हमारे निवृत्‍त फौजियों की जो शिकायतें हैं, उसका समाधान करने के लिए और बहुत बड़ी सफलता, तेज गति से सफलता प्राप्‍त्‍ हुई है। एक और काम हमने किया है। हम जानते हैं, Civilian Society को ये ध्‍यान में नहीं आता है। Civilian Society सोचती है कि भाई जवानी में तो जरा जो कुछ भी करना है कर लो, बाद में क्‍या कर पाएंगे। उसके दिमाग में जवानी का ख्‍याल अलग होता है, और 35-40 साल का होने के बाद सोचता है चलो यार अब बहुत कुछ कर लिया, अब देखो ठीक से आराम से जिंदगी गुजार लेंगे। फौज का उलटा होता है, जिस जीवन उम्र को हम मौज की उम्र समझते हैं, कुछ कर गुजरने की उम्र होती है, उस समय मेरे देश का जवान अपनी जवानी सीमा पर खपा देता है। सुख-वैभव, ऐश-आराम, मौज, सपने, अरमान मां भारती को, मिट्टी को समर्पित करके अपना जीवन गुजारता है। और 15-17 साल की नौकरी के बाद जब घर आता है, 40, 42, 35 साल की उम्र होती है, हम लोग उस समय बहुत कर लिया अब आराम से जिएंगे और सोचते हैं। वो आ करके सोचता है अब नई जिंदगी शुरू कैसे करूं। एक Question Mark के साथ जिंदगी शुरू करते हैं।

आज हम हर वर्ष निवृत्‍तमान फौजियों को, 50,000 लोगों को तत्‍काल रोजगार का प्रबन्‍ध करते हैं। अभी एक बड़ा महत्‍वपूर्ण काम किया है भारत सरकार ने। फौज में से जो रिटायर होना तय कर लेता है कि बस मुझे अब नहीं रहना है जाना है, एक उम्र के बाद उसको जाने दिया जाता है। तो आखिरी वर्ष सरकार की तरफ से उसको Skill Development के Certificate Course के लिए Training दी जाती है। भारत सरकार का Skill Development Department और हमारी सेना के तीनो अंग, उनके साथ MOU हुआ है। Skill Development करने के बाद उसको Certificate दिया जाता है। अब फौज के लोग फौज के अंदर Training तो पाते ही हैं, वहां भी Communication Expert होते हैं, वहां भी Technology के Expert होते हैं, वहां भी Expert Driver होते हैं, लेकिन जब वो बाहर आते हैं, तो लोग कहते हैं भई तुम्‍हारे पास Certificate है क्‍या? तो काम नहीं मिलता है।

पहली बार भारत सरकार ने फौज में निवृत्‍त होने वाले लोगों के पास जो Skill है उसको Special Training आखिरी वर्ष में देना, Certificate देना और जिस प्रकार के जो Market हैं वहां उसको एक रोजगार मिले, वरना उसकी जिंदगी आने के बाद भी कहीं न कहीं चौकीदार के नाते जाती थी। अब वो के Trainer रूप में काम करेगा, Skill Developer के रूप में काम करेगा, देश की युवा पीढ़ी को Skill देने का काम करेगा। ये एक बहुत बड़ा अहम फैसला इस सरकार ने किया है।

शायद बहुत नागरिकों को कम पता होता है। सरकार में एक रक्षा मंत्री विवेकाधीन राशि रहती है, जो निवृत्‍त फौजी होते हैं उनके परिवारों में कोई तकलीफ हो, आवश्‍यकता हो, कोई बच्‍चों की पढ़ाई का विषय हो, कोई जरूरत हो, बेटी की शादी हो, इन सारे विषयों के लिए वो मदद करता है। पहले एवरेज ये लाभ 10 से 12 हजार लोगों को साल में मिलता था। ये हमारे रक्षामंत्री जी इतने Pro Active हैं कि आज हर वर्ष 50 हजार परिवारों को कोई न कोई मदद इस व्‍यवस्‍था से दी जाती है। पहले फौज से जो निवृत्‍त हुए उनके बच्‍चों को Scholarship देते थे और वो करीब-करीब साल पूरा होने के बाद पहुंचती थी। अब उसको Technology से जोड़ दिया है, ताकि उसको पहले सत्र में ही ये Scholarship मिल जाए, ताकि उसके जो व्‍यवस्‍था हैं उसको चलती रहें।

पहले Scholarship 4,000 रुपये मिलती थी, इस सरकार ने आ करके फौज के इन संतानों के लिए 4,000 से बढ़ा करके इस राशि को 5,500 कर दिया है ताकि उनको इसका लाभ मिल सके। हवालदार तक के जो फौजी होते हैं, जो निवृत्‍त होते हैं और सेना में 80-90 Percent लोग यही होते हैं। बाकी तो 10 Percent में सब आ जाते है। 80-90 Percent यही लोग होते हैं। हवालादार तक के जो लोग रिटायर होते हैं, अगर उनकी बेटी की शादी हो रही है तो पहले सरकार बेटी की शादी के लिए 16,000 रुपये देती थी। हमारे रक्षामंत्री जी की उदारता है, अब ये राशि 50,000 रुपया कर दी गई। हमारे यहां फौज में जो Disable लोग होते हैं, लड़ाई में चोट पहुंचती है, Injury होती है, फौज के लोगों को परेशानी रहती थी, अस्‍पताल से Certificate लेना कि कितने Percent Disable हैं। बहुत बड़ा संकट का काम रहता था और वो इसको बड़ी मुश्किल से पार करता था। कोई कहता था नहीं 20 Percent है, कोई कहता था 25 Percent, कोई कहता था 30 Percent, कभी ज्‍यादा हुआ तो कोई 45, 50, 55, और उसके आधार पर उसको आर्थिक सहायता मानदंड रहता है। इस उलझन से फौजियों को बड़ी तकलीफ होती थी। कुछ फौज के लोग मुझे मिले थे, ये बाते मेरे ध्‍यान में लाए थे। अब हमने उसको एक Broad Branding की व्‍यवस्‍था बना दी है जिसके कारण 50 से कम वाले, 75 और 50 के बीच वाले और 75 से ऊपर वाले तीन ही Slab में सब डाल दिया ताकि अब फौजी को इस संकट से गुजरना न पड़े और इस काम को वो आराम से कर सके।

इतना ही नहीं हमारे फौज के जवानों को निवृत्‍त होने के बाद भी Medical Help के लिए हमने करीब Four Hundred Seventy Two नए अस्‍पताल Empanel किए हैं जिसमें फौजी को Cashless Treatment दी जाती है। हमारे मध्‍यप्रदेश में हमने Sixty Four अस्‍पताल को फौजियों के लिए Empanel किया है। तो एक के बाद एक ऐसे अनेक काम आज फौजियों के लिए, हमारे जवानों के लिए, एक संवेदनशील सरकार, भारत की आन-बान-शान, ये हमारे जवान, उनके लिए प्राथमिकता देते हुए हम देश के अंदर योजनाएं बनाते हैं। हमारी कोशिश है कि रक्षा के क्षेत्र में भारत आत्‍मनिर्भर कैसे बने? सशस्‍त्र हमारे देश में उत्‍पादन कैसे हो? हमारे देश के नौजवानों में भी Ability है, Talent है, दम है। पिछले दो साल से मैं लगातार इस दिशा में प्रयास कर रहा हूं और मुझे विश्‍वास है कि वो दिन जरूरत आएगा जब हिन्‍दुस्‍तान अपनी आवश्‍यकताओं की पूर्ति के तो शस्‍त्रात्र यहां बनाएगा, बनाएगा, लेकिन दुनिया को भी बेचने की ताकतवाला बन सकता है, ये ताकत इस देश में पड़ी है। और हम उस दिशा में भी काम कर रहे हैं।

मेरे प्‍यारे-भाइयो, बहनों, मैं फिर एक बार वीर शहीदों को प्रणाम करता हूं। मैं उन माताओं को प्रणाम करता हूं जिन माताओं ने ऐसे वीर योद्धाओं को जन्‍म दिया है। मैं उन बहनों को प्रणाम करता हूं जिसने शायद अपना पति खोया होगा, जिसने शायद अपना भाई खोया होगा और उसके बाद भी मां भारती की सेवा करने का प्रण ले करके जीने वाले इन परिवारों को भी मैं आज नमन करता हूं।

भाइयो-बहनों, दुनिया में, दुनिया में कई देशों में परम्‍परा है, अभी वो परम्‍परा हमारे देश में पनपी नहीं है। लेकिन वो पनपे ऐसी है, हम कर सकते हैं। आपने देखा होगा कि दुनिया के किसी देश में मान लीजिए आप Airport पर बैठे हैं, सैंकड़ों मुसाफिर बैठे होते हैं Airport पर। और अगर फौज के दो-चार जवान यूनिफॉर्म में वहां से निकलते हैं, तो Airport पर बैठे हुए सारे नागरिक खड़े हो जाते हैं, तालियों से उनका अभिनंदन करते हैं और वो अपने रास्‍ते पर चलते रहते हैं। अपने जो जहाज में जाना है, चले जाते हैं। रेलवे में कहीं दिखाई दिए, तो वहां के देश के नागरिक उनको देखते ही खड़े होते हैं, तालियां बजाते हैं, उनका गौरवगान करते हैं। क्‍या हम हमारे देश में, हम हमारे देश में धीरे-धीरे ये स्‍वभाव बना सकते हैं क्‍या? मेरे फौज के लोग जाते हों कहीं भी, हर समय युद्ध के समय उनको याद करें वो ठीक नहीं है। चौबिसों घंटे उनके प्रति हमारे मन में आदर रहना चाहिए, उनके प्रति भक्तिभाव रहना चाहिए।

क्‍या आप लोग कभी भी इस प्रकार से फौजियों को आते-जाते देखेंगे तो तालियों की गड़गड़ाहट से उनका सम्‍मान करेंगे? भूल तो नहीं जाएंगे? चीजें छोटी होती हैं लेकिन सामान्‍य जीवन पर और खास करके फौजी के जीवन पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव होता है। मुझे विश्‍वास है कि शौर्य स्‍मारक जैसी व्‍यवस्‍था के द्वारा हम हमारे देश के नागरिकों को भी प्रशिक्षित कर पाएंगे। ये सिर्फ जवानों का सम्‍मान है, इतना ही नहीं, हमारी पीढि़यों को संस्‍कारित करने का भी एक Open School है ये। ये Open University है, उस रूप में उसका उपयोग हो। मैं फिर एक बार आप सबका हृदय से अभिनंदन करता हूं, मध्‍यप्रदेश सरकार का भी अभिनंदन करता हूं। मेरे साथ पूरी ताकत से दोनों मुट्ठी बंद करके बोलिए:-

शहीदो - अमर रहो।

अवाज दूर-दूर तक जानी चाहिए।

शहीदो - अमर रहो।

शहीदो - अमर रहो।

शहीदो - अमर रहो।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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PM Modi addresses a vibrant crowd in Jharkhand’s Jamshedpur
September 15, 2024
We made the district mineral foundation... The BJP is working at the centre for the development of Jharkhand: PM Modi in Jamshedpur
I am confident that the people of Jharkhand will vote for the state's development, says PM Modi in Jamshedpur
The relationship between Jharkhand and the BJP is not just a political one. It is a bond of the heart, a relationship of belonging: PM Modi
The three biggest enemies of Jharkhand are JMM, RJD, and Congress, says PM Modi in Jamshedpur
Congress ruled the country from Delhi for so many decades but they did not let backwards, Adivasi and Dalits come forward: PM Modi

Jamshedpur, Jharkhand warmly welcomed Prime Minister Narendra Modi at a vibrant public rally. The PM said, "Amid the excitement of Karma Puja, I had the privilege of giving Jharkhand several major development gifts before coming here. Today, Jharkhand has received six new Vande Bharat trains. People in different cities across Jharkhand will now experience high-speed travel with modern amenities. It will also create opportunities for employment and progress for the youth."

Addressing the huge gathering, PM Modi said, "The relationship between Jharkhand and the BJP is not just a political one. It's a bond of the heart, a relationship of belonging. Jharkhand's dream is BJP's own dream. PM Modi asked, "Who fulfilled the dream of a separate Jharkhand? The BJP government! Who first focused on Jharkhand's backward districts with the Aspirational Districts Program? The BJP! Who launched Janjatiya Gaurav Divas on Birsa Munda's birth anniversary? The BJP! For decades, tribal youth were denied education—who ensured quality schooling for them? Who built over 400 Eklavya Residential Schools? The BJP! And who made a tribal woman the President of India? The BJP!"

While urging people to give the BJP a chance, PM Modi stated, “The BJP will leave no stone unturned for Jharkhand's development. Jharkhand has three biggest enemies—JMM, RJD, and Congress. RJD is still taking revenge on Jharkhand for its formation, and Congress outright despises Jharkhand. The Congress party ruled the country for decades, yet they never allowed the Dalit, backward, and tribal communities to progress."

Talking about infiltration - a major issue facing Jharkhand right now, the PM asserted, “Just a few days ago, the Jharkhand High Court ordered an independent panel to investigate this infiltration. However, the JMM government refuses to acknowledge that infiltration is happening in Jharkhand. Bangladeshi and Rohingya infiltration poses a significant threat in Santhal Pargana and Kolhan. In Santhal Pargana, the tribal population is decreasing at an alarming rate. The lands of the local people are being seized. Infiltrators are taking control of panchayats and the system, and incidents of atrocities against daughters are rising. The truth is, the JMM is siding with these Bangladeshi and Rohingya infiltrators.”

Lashing out at the ruling party, the PM iterated, “Those who play vote-bank politics are loyal to no one, and the JMM government's five-year term is proof of that. Today, the poor tribals of Jharkhand are asking: Was Champai Soren not a tribal? Did he not come from a poor family? Yet, the way he was humiliated and removed just to seize the Chief Minister's chair hurt every poor tribal in Jharkhand. Even Sita Soren, who is from their own family, was insulted and sidelined despite being a woman."

Coming down heavily on the JMM-Congress, PM Modi noted, "The most dishonest and corrupt party in this country is the Congress party. And the most corrupt family in the country is the Congress family where all streams of corruption originate. The JMM is trained in the same place—the Congress School of Corruption. In five years, the Jharkhand Mukti Morcha has done only one thing—loot and corruption in Jharkhand. The JMM government has brought corruption to everything—Jal, Jungle aur Jameen."

The PM also highlighted the rampant corruption, he said, “On one hand, the poor and the middle class living in the cities here sweat over every single rupee. On the other hand, hundreds of crores in cash are recovered from the residences of this government’s ministers and MPs, and from their servants' hideouts. There are scams worth thousands of crores. Remember how mountains of cash were found in Jharkhand? That was your money."

Furthermore, PM Modi stated that the opposition had promised to conduct JPSC and JSSC exams every year. However, rather than fulfilling this promise, job-selling gangs have prospered under government protection, and those involved in paper leaks are being shielded. “Congress promised to give ₹1 lakh each to youths and women. However, when women went to Congress offices to claim this money, they were met with humiliation. Wherever Congress governments are in power, such deceitful promises and falsehoods are prevalent,” he added.

Concluding his speech, the PM said, “I am confident that the people of Jharkhand will vote for the state's development. You will once again shower your blessings on the BJP."