For BJP, entire Uttar Pradesh is a family: PM Modi

Published By : Admin | February 6, 2022 | 13:31 IST
UP is now safe for girls and women; young women can now step out without fear and pursue their ambitions: PM Modi at virtual Jan Chaupal
Earlier, the government meant a single family; for BJP the entire UP is a family: PM Modi
The places of religious interest were forgotten by the previous regime. After BJP's development works, they are now seeing the gods in their dreams: PM Modi

आज हमारे लिए एक बहुत दुखद खबर आई है। हमारी लता दीदी आज हमें छोड़कर चली गईं हैं, परमात्मा में विलीन हो गईं। कल ही बसंत पंचमी का पर्व था, मां शारदा की हम आराधना कर रहे थे। जिनके कंठ से मां सरस्वती का आर्शीवाद छोटे-बड़े हर किसी को मिलता था। वो लता दी ब्रह्मलोक की यात्रा पर चली गईं। उनके व्यक्तित्व का विस्तार सिर्फ गानों की संख्या पर सीमित नहीं था। मेरे जैसे अनेकों लोग हैं जो गर्व से कहेंगे कि लता दीदी के साथ उनका निकट संबंध था। जीवन के हर क्षेत्र के लोग हमें लता दीदी के प्रति अपना स्नेह जताते हुए हर पल मिलेंगे। इससे पता चलता है कि लता दीदी के व्यक्तित्व की विशालता कितनी बड़ी थी। वो अपने संबंधों को संवेदना से सिंचित करती थी, निरंतर मजबूती देती थीं। आज हम सब दुःखी हैं, पूरा देश दुःखी है। लता जी जैसी आत्माएं मानवता को सदियों में कभी कभार वरदान की तरह मिलती हैं। भारत की जो पहचान उन्होंने बनाई, भारत के संगीत को जो स्वर दिया, उससे दुनिया को भारत को देखने का एक नया नजरिया मिला। आप दुनिया में कहीं भी जाइए, भारत रत्न लता जी के चाहने वाले आपको जरूर मिलेंगे। और हर पीढ़ी में मिलेंगे। वो आज भौतिक रूप से हमारे बीच भले ही न हों, लेकिन स्वर और स्नेह के रूप में वह हमारे बीच हमेशा उपस्थित रहेंगी। उनकी मधुर आवाज हमारे साथ हमेशा रहेगी। मैं भारी मन से लता दी को श्रद्धांजलि देता हूं।

साथियों,

आज मथुरा, बुलंदशहर और आगरा के आप सभी लोगों ने इस कार्यक्रम की तैयारी कर ली थी, आप मेरा इंतजार कर रहे थे, इसलिए मैं आपसे बात करने आया हूं। ये भी लोकतंत्र का एक ऐसा दायित्व है, जिसकी अपेक्षा हमेशा लता दीदी ने मुझसे की थी।

साथियों,
बृज भूमि का कण-कण श्री कृष्ण और राधारानी मय है। मथुरा, आगरा, बुलंदशहर के क्रांतिकारियों ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। मैं ब्रज की इस पुण्य भूमि को नमन करता हूं।

साथियों,

उत्तर प्रदेश, भारत का दिल है, यूपी भारत की धड़कन है। यूपी ने हमेशा देश को दिशा दिखाई है। आज एक बार फिर यूपी देश को नया रास्ता दिखा रहा है। यूपी के लोगों ने दो टूक कह दिया है कि धन-दौलत, बाहुबल, जातिवाद, संप्रदायवाद के दम पर, परिवारवाद के दम पर भले कुछ लोग कितनी ही राजनीति कर लें, लेकिन वो जनता का प्यार नहीं पा सकते। जनता का आशीर्वाद तो उसे ही मिलेगा, तो सच्चे अर्थ में सेवा भावना से, सेवक बनकर यूपी के लोगों की सेवा करेगा, यूपी के लोगों का विकास करेगा। इसलिए यूपी की जनता ने तय कर दिया है कि इस बार भी चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा एक ही है- यूपी का विकास, यूपी का सबसे तेज विकास। और भाइयों और बहनों, पिछले पांच साल में योगी जी की सरकार ने दिखा दिया है कि अगर यूपी का विकास कोई कर सकता है, तो वो भाजपा है, भाजपा के नेतृत्व वाली डबल इंजन की सरकार है। इसलिए, पिछले कई महीनों से यूपी के लोग ये ठानकर बैठे हैं कि कमल का बटन फिर दबाना है, भाजपा को ही जिताना है।

साथियों,

पिछली बार मैं जब मथुरा आया था, ब्रज क्षेत्र में गया था तो आप सबसे जो प्यार मिला, जो स्नेह मिला, वो मैं कभी भूल नहीं सकता हूं। हमारी सरकार मथुरा को, यहां की पहचान को वैश्विक पहचान दिलाने का प्रयास कर रही है। ब्रज के धार्मिक स्थानों के विकास के लिए योगी जी की सरकार ने ब्रज तीर्थ विकास परिषद का निर्माण किया है। चुनाव देखकर कृष्ण भक्ति का चोला ओढ़ने वाले जब सरकार में थे, तो वृंदावन, बरसाना, गोवर्धन, बलदेव, नंद गांव, इन सब क्षेत्रों को वो भूल ही गए थे। यूपी के नक्शे में ये क्षेत्र हैं, उन्हें पता ही नहीं आता था। आज बीजेपी को अपार समर्थन देख, इन लोगों को अब सपने में भगवान कृष्ण की याद आने लगी है। और मैंने पहले ही कहा था जो सोते रहते हैं, वो सपने देखते हैं, जो जागते रहते हैं, वो संकल्प लेते हैं।

भाइयों और बहनों,

जो पहले सरकार में थे उन्हें ना तो आप लोगों की आस्था से मतलब रहा है और आप लोगों की जरूरतों से कोई लेना-देना। उनका सिर्फ एक ही एजेंडा रहा है- यूपी को लूटो। उन्हें यूपी के विकास से कोई वास्ता नहीं हैं उन्हें बस सरकार बनाने से मतलब रहा है। इसलिए आज वो योगी जी को, बीजेपी सरकार को पानी पी-पी कर कोस रहे हैं।

साथियों,

यूपी का इन लोगों ने जो हाल बना दिया था, वो इन नकली समाजवादियों के कर्मों का कच्चा-चिट्ठा है। पिछली सरकार में अपराधियों के हौसले इतने बुलन्द थे कि हाइवे पर गाड़ी रोक कर गाड़ियों से लूट पाट की जाती थी। बीच हाइवे पर ही महिलाओं, बेटियों के साथ क्या होता था बुलंदशहर के लोग ये अच्छी तरह जानते हैं। तब उत्तर प्रदेश में घरों-दुकानों पर अवैध कब्जे होना आम बात थी। लोग अपना घर छोड़कर पलायन को मजबूर होते थे। आगरा के दंगों में आरोपियों के सिर पर किसका हाथ था ये आप भली-भांति जानते हैं।

साथियों,

पहले की सरकारें भय फैलाने में जुटी थीं। भय निर्माण करना यही उनका काम था, जबकि हम भविष्य का निर्माण कर रहें हैं। अब रिकार्ड हाईवे भी बन रहे हैं और उन हाइवेज़ पर लोग निडर होकर सफर भी कर रहे हैं। अब बेटी घर से बाहर निकल भी रही है और उसके करियर की अनंत संभावनाओं के लिए अनेकों यूनिवर्सिटी कॉलेज भी बन रहे हैं। यही फर्क है भाजपा की सरकार और पिछली सरकारों में। इसलिए आज यूपी में बहनें-बेटियां खुले दिल से कह रही हैं-

पहले हमें घर से निकलने में लगता था डर,

अब भाजपा राज में अपराधी कांपे थर-थर।

भाजपा सरकार में अपराधी या तो जेल गए या प्रदेश छोड़ गये। कुछ ने जमानत रद्द करा ली, कुछ जेल से बाहर आने से कतराने लगे। और याद रखिए, ये सब योगी जी के कारण हुआ है ऐसा मैं नहीं कहता हूं। ये सब आपके कारण हुआ है, उत्तर प्रदेश के लोगों के कारण हुआ है, उत्तर प्रदेश की माताओं और बहनों के संकल्प के कारण हुआ है। क्योंकि आपने एक वोट योगी जी को दिया था। आपने एक वोट मोदी जी को दिया था, आपने भाजपा के कमल पर बटन दबाया था। ये आपके एक वोट की ताकत है जो यूपी को नई पहचान दिला रही है।

साथियों,

पहले की सरकारों का एक और पसंदीदा खेल होता था। तिजोरियों को भरने का खेल। सब मिलकर खेलते थे। मिलकर खाते थे। आज ऐसे लोगों का पूरा खेल बिगड़ गया है। पहले परिवार ही सरकार थी अब पूरा यूपी भाजपा सरकार का परिवार है।

भाइयों और बहनों,

परिवारवादी सरकारों के लिए सत्ता शासन का माध्यम थी। हमारे लिए सत्ता सिर्फ और सिर्फ जनता की सेवा करने का रास्ता है। हम लगातार इसी उद्देश्य से काम कर रहे हैं। हमारी सरकार गांव, गरीब को सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। पिछले 2 साल से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से परेशान है। महामारी की शुरुआत में बहुत से लोगों ने भारत को लेकर कई तरह की आशंका जताई थी। वो लोग सोचते थे, कैसे हमारे गांव, हमारे गरीब इस महामारी में खुद को बचा पाएंगे। लेकिन आज दो साल के बाद भारत के प्रयासों से दुनिया सीख रही है। पिछले दो साल से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से हमने करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया है। हमारी सरकार ने चावल-दाल, गेहूं, चना,नमक और तेल गरीब के घर पहुंचाया है। इसका बहुत बड़ा लाभ यूपी के लोगों को हुआ है, गरीबों-दलितों-पिछड़ों को हुआ है, और आज भी हो रहा है।

साथियों,

आज आयुष्मान भारत योजना की वजह से यूपी के हर गरीब परिवार को 5 लाख रुपए तक का इलाज मिलना संभव हुआ है। पीएम आवास योजना के जरिए गरीब की सिर पर छत की चिंता भी दूर हो रही है। जिन गरीबों को घर नहीं मिला है उन्हें भी घर मिले इसके लिए इस बजट में सरकार ने करीब-करीब 50 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था भी की है। जो यूपी के काम आएगी। योगी जी की सरकार दोबारा बनने के बाद, गरीबों को घर देने का काम और तेजी से किया जाएगा। और मैं आपको बता दूं, अगर ये कोरोना काल न आया होता, कोरोना की वैश्विक महामारी का संकट न आया होता, आने-जाने में इतनी रूकावट न आई होती, तो इस दो साल में योगी जी ये काम कर देते, ऐसे अनेक काम दो साल में कर देते। लेकिन ये दो साल बीच में कठिनाइयों से गुजारना पड़ा। सरकार की शक्ति को भी लोगों की जान बचाने में लगाड़ी पड़ी। नहीं तो जिस तरीके से 2017 से योगी जी ने मामला उठाया था काम का, अगर दो साल में ये रूकावट न आई होती तो आज यूपी कहां से कहां पहुंच गया होता। लेकिन मुझे विश्वास है उत्तर प्रदेश के लोग आने वाले पांच साल के लिए ऐसा भरपूर बहुमत देंगे, सरकार को ऐसी मजबूती देंगे और योगी जी भी इतनी ताकत से दौड़ेंगे कि जो दो साल बीमारी के कारण तकलीफ आई है न, उससे वे बाहर निकाल कर यूपी को आगे ले जाएंगे।

साथियों,

गरीब के घरों को लेकर नकली समाजवादियों का परिवारवादियों का क्या रवैया रहा है, ये मैं आपको जरूर याद दिलाना चाहता हूं। आगरा, मथुरा और बुलंदरशहर के शहरी क्षेत्रों में पिछली सरकार ने आठ हजार से भी कम घर गरीबों के लिए बनवाए थे। पिछले पांच साल में योगी जी की सरकार ने आगरा-मथुरा और बुलंदशहर में ही करीब 85 हजार घर बनाकर गरीबों को दिए हैं। आप सोचिए पहले की सरकार के कहां 8 हजार से भी कम और योगी जी के समय में कहां 85 हजार। यानि 10 गुना ज्यादा काम। यही फर्क है जो आज पूरे यूपी के लोगों को दिख रहा है। हमारी सरकार की योजनाओं से दलितों को, पिछड़ों को, गरीबों को सबसे ज्यादा लाभ हो रहा है।

साथियों,

आगरा, मथुरा और बुलंदशहर में उज्जवला योजना के तहत साढ़े सात लाख से ज्यादा गैस कनेक्शन दिए गए हैं। इससे महिलाओं के जीवन में जो इतना बड़ा फर्क आया है, वो हमारी माताएं-बहनें ही भली-भांति समझती हैं। इसलिए, यूपी की नारीशक्ति भी ठानकर बैठी हैं कि भाजपा को जिताना है, योगी जी को फिर मुख्यमंत्री बनवाना है।

भाइयों और बहनों,

यूपी की भलाई के लिए इन नकली समाजवादियों और उनके साथियों का सत्ता से दूर रहना आवश्यक है। आज भी वो किसानों से झूठे वादे किए जा रहे हैं, गन्ना किसानों को झूठी बातों को बता कर उकसाने का प्रयास भी कर रहे हैं। किसान भूले नहीं हैं कि सत्ता में रहकर उन्होंने क्या किया था, कैसे गन्ना किसानों को भुगतान के नाम पर रुला दिया था।

साथियों,

योगी जी की सरकार ने पिछले पांच साल में गन्ना किसानों का डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान किया है। ये योगी जी से पहले की सरकारों में 10 साल में हुए भुगतान से भी काफी ज्यादा है। इतना ही नहीं हमने पिछली सरकारों के समय जो बकाया था, उसका भुगतान भी किया है। इन लोगों का एक खेल गन्ना पर्चियों का भी था। गन्ना माफिया, किसानों की उपज औने-पौने खरीद कर अपनी जेब भरते थे। आज लाखों गन्ना किसानों को ई-गन्ना एप के जरिए पर्ची से सम्बंधित सभी जानकारी मिल रही है।

भाइयों और बहनों,

यूपी के किसानों को एमएसपी का पैसा मिले, इसके लिए भी टेक्नोलॉजी की ज्यादा से ज्यादा मदद ली जा रही है। ज्यादा खरीद केंद्र खोले जाने की वजह से खऱीद में भी हर साल नए रिकार्ड बनाए गये हैं। पीएम किसान सम्मान निधि भी छोटे किसानों के लिए बड़ी ताकत बन रही है। आगरा, मथुरा और बुलंदशहर के लाखों किसानों को इसका लाभ मिला है। उनके खाते में 1600 करोड़ से ज्यादा की रकम पहुंची है। इस बार के बजट में किसानों के लिए एक और बड़ी घोषणा की गई है। अब गंगा जी के दोनों किनारों पर प्राकृतिक खेती यानि नैचुरल फार्मिंग का एक कॉरिडोर बनाया जाएगा। इसके गंगा जी केमिकल फ्री तो होंगी ही, किसानों को भी उपज के अच्छे दाम मिलेंगे।

साथियों,

सरकार की एक और योजना का लाभ हमारे ब्रज के साथियों को मिला है। आज मैं उसका विशेष तौर पर जिक्र करना चाहता हूं। पहले किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ पशुपालकों और मछली पालकों को नहीं मिलता था। हमारी सरकार ने नियमों में बदलाव किया। इस बदलाव के बाद यूपी के करीब 1 लाख पशुपालकों को-मछलीपालकों को केसीसी दिया गया है। किसान क्रेडिट कार्ड दिया गया। इस वजह से उन्हें बैंक से 1100 हजार करोड़ रुपये की मदद भी मिली है। इसका बड़ा हमारे ब्रज क्षेत्र के पशुपालकों को भी हुआ है। हमारी सरकार जो यूपी में बायोगैस प्लांट का नेटवर्क बना रही है, गोबर-धन योजना को प्रोत्साहन दे रही है, उससे भी हमारे पशुपालकों को बहुत मदद मिल रही है।

भाइयों और बहनों,

यूपी का युवा भूला नहीं है कि कैसे इसी प्रदेश में पहले की सरकारों में नौकरी के लिए क्या योग्यता तय थी? क्या-क्या खेल होते थे? कहां-कहां से खेल होते थे? आज सब लोगों को पर्याप्त और समान अवसर मिल रहें हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार ने युवाओं को रिकार्ड सरकारी नियुक्तियां दी है। भाजपा सरकार में दलित, शोषित, वंचित, गरीब, महिला, कारोबारी कोई भी हो सभी को हर योजना का लाभ मिला है। इसलिए, यूपी चाहे असरदार सरकार, फिर एक बार योगी सरकार। मैं आपसे भारी मतदान करने का आग्रह भी कर रहा हूं। पहले मतदान फिर जलपान, ये आप ज़रूर याद रखिएगा। आपका हर वोट कमल के फूल पर पड़ेगा, इसी विश्वास के साथ आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद ! और आने वाले दिनों के लिए मेरी अनेक-अनेक शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यवाद !

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Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।