Left Front and TMC governments have not done enough for irrigation in Purulia: PM Modi
Purulia ranks among the backward regions in Purulia due to lackadaisical attitude of TMC government: PM Modi
We will have to live up to the 'Sonar Bangla' dream of Tagore, Netaji and Vivekananda: PM Modi
Centre has stressed on education, health and income generation of tribal people: PM Modi
TMC govt has given Purulia only water crisis, forced migration and administration that discriminates: PM Modi at West Bengal rally

भारत माता की.... जय!

भारत माता की.... जय!

नमोष्कार !

आपनारा कैमोन आछेन?

“आमी एई रांगामाटिर देशे पा रेखे, निजेके औनेक भाग्योशाली मोने कोरछि”
मेरे लिए यह बहुत सुखद है कि आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब जंगलमहल की इस पवित्र धरती पर आने का मुझे सौभाग्य मिला है। ऋषि निबारण चन्द्र, मानभूम केसरी अतुल चन्द्र घोष, मानभूम जननी लाबन्या प्रभा घोष की कर्मभूमि को मेरा शत-शत प्रणाम! भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू, पंडित रघुनाथ मुर्मू, जैसे अनेक वीर राष्ट्रनायकों को मैं आज आदरपूर्वक नमन करता हूं, उन महापुरुषों को वंदन करता हूं।

यह धरती भगवान राम और मां सीता के वनवास की भी साक्षी रही है। यह ऐसी धरती है, जहां अजुध्या पर्बत है, सीता कुंड है, इतना ही नहीं अजुध्या नाम से ग्राम पंचायत भी है। कहते हैं कि वनवास के दौरान जब मां सीता को प्यास लगी थी, तो राम जी ने जमीन पर बाण मारकर पानी की धारा निकाल दी थी। सोचिए, तब पुरुलिया में भूजल की क्या स्थिति रही होगी। और यह विडंबना है कि आज पुरुलिया में पानी का संकट, बहुत बड़ी समस्या है। यहां के किसानों को, मेरे आदिवासी-वनवासी भाई-बहनों को इतना पानी भी नहीं मिलता कि वे सही से खेती कर सकें। यहां की महिलाओं को पीने के पानी के इंतजाम के लिए बहुत दूर तक पैदल चलकर जाना पड़ता है। पहले वामपंथियों की सरकार और फिर टीएमसी सरकार ने यहां पर उद्योग-धंधे पनपने नहीं दिए। फिर यहां जितना सिंचाई के लिए काम होना चाहिए था, वो भी नहीं हुआ। कम पानी की वजह से पशुओं को पालने में जो दिक्कत होती है, वो भी मैं भलीभांति जानता हूं। खेती-किसानी को अपने हाल पर छोड़कर, टीएमसी सरकार सिर्फ अपने खेल में ही लगी रही। इन लोगों ने पुरुलिया को दिया है- जल संकट से भरा जीवन। इन लोगों ने पुरुलिया को दिया है- पलायन। इन लोगों ने पुरुलिया के गरीबों को दिया है- भेदभाव भरा शासन। इन लोगों ने पुरुलिया की पहचान बनाई है देश के सबसे पिछड़े क्षेत्र के रूप में। ये लोग कैसे काम करते हैं, इसका बहुत बड़ा उदाहरण है पुरुलिया पाइप्ड वॉटर सप्लाई प्रोजेक्ट। आठ साल हो गए, ये अब तक अधूरा पड़ा है। साहेब बांध सरोवर की स्थिति भी आपके सामने है। यहां के किसानों को, यहां के लोगों को इसका जवाब कौन देगा दीदी?

दीदी, ये लोग आपसे जवाब मांग रहे हैं। जवाब मांग रहो कि नहीं मांग रहे हो। दीदी को जवाब देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए। दीदी को अपने काम का हिसाब देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए। अरे दीदी, “बोच्छोरेर पोर बोच्छोर धोरे, ऐकटा सेतुओ तोयरी कोरते पार्लोना तृणमूल, एखोन बोल्छे उन्नोयोनेर कोथा।” और इसलिए, आज मैं पुरुलिया के लोगों को, पूरे जंगलमहल क्षेत्र के लोगों को विश्वास दिलाने आया हूं। बंगाल में भाजपा सरकार बनने के बाद, आपकी इन दिक्कतों को प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जाएगा। जब बंगाल में डबल इंजन की सरकार बनेगी, एक दिल्ली का इंजन और दूसरा बंगाल का इंजन, जब डबल इंजन की सरकार बनेगी, तो यहां विकास भी होगा और आपका जीवन भी आसान बनेगा। यहां पुरुलिया में तो टूरिज्म की भी इतनी संभावनाएं हैं। यहां पर हैंडीक्राफ्ट का इतना बेहतरीन काम होता है। इन सभी को बढ़ावा दिया जाएगा।

भाइयो और बहनो,

इस क्षेत्र जैसा ही जलसंकट देश के अन्य क्षेत्रों में भी रहा है। जहां-जहां भाजपा को सेवा करने का मौका मिला, भाजपा सरकारों ने वहां सैकड़ों किलोमीटर लंबी पाइपलाइनें बिछाईं , हजारों तालाब बनवाए। और आज इन क्षेत्रों में पानी का संकट तेजी से दूर हो रहा है। पानी की उपलब्धता बढ़ी है, तो आज वहां के किसान अलग-अलग तरह की फसलों को उगाने लगे हैं। अब यही काम बंगाल के उन सभी क्षेत्रों में भी किया जाएगा, जहां पानी की दिक्कतें हैं।

साथियो,
पुरुलिया सहित इस पूरे क्षेत्र में विकास की असीम संभावनाएं हैं। इसके लिए इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी को सुधारना बहुत जरूरी है। पश्चिम बंगाल के हर हिस्से को रेल सेवा से जोड़ना हमारी प्राथमिकता में है। इस समय पश्चिम बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में करीब 50 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स के लिए स्वीकृति दे दी गई है। पूर्वी भारत के विकास को नई बुलंदी देने का सामर्थ्य रखने वाले Eastern Dedicated Freight Corridor का एक सेक्शन शुरू भी हो चुका है। 2 मई के बाद यहां जब भाजपा सरकार बनेगी तो पश्चिम बंगाल में जो डानकुनी तक का सेक्शन है, उस पर भी तेजी से काम शुरू कर दिया जाएगा। पुरुलिया भी इस कॉरिडोर से जुड़ेगा और यहां उद्योगों के लिए, रोजगार के लिए अनेक अवसर बनेंगे। रेल के अलावा रोड कनेक्टिविटी को भी सशक्त किया जा रहा है। इस वर्ष के केंद्र सरकार के बजट में पश्चिम बंगाल में हाइवे का सिस्टम मजबूत करने के लिए हजारों करोड़ रुपए की भी विशेष व्यवस्था की गई है।

साथियो,
2 मई के बाद जब यहां भाजपा सरकार बनेगी, तो पुरुलिया सहित इस पूरे क्षेत्र में ऐसी व्यवस्थाएं बनाई जाएंगी ताकि लोगों को पलायन के लिए मजबूर न होना पड़े। यहां कृषि आधारित उद्योगों को बल दिया जाएगा, ताकि यहां के युवाओं को यहीं पर ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके। दलित, आदिवासी, पिछड़े इलाकों के हमारे युवा भी रोजगार के अवसरों से जुड़ सकें, इसके लिए उनके कौशल विकास पर और ज्यादा फोकस किया जाएगा। यहां के छाऊ कलाकारों, यहां के हस्तशिल्पियों को कमाई और मान-सम्मान से जुड़ी दूसरी सुविधाएं मिले, यह सुनिश्चित किया जाएगा।

साथियो,
पुरुलिया और जंगलमहल के सामर्थ्य के साथ हमेशा अन्याय किया गया है। मैं आपका दुख, आपकी तकलीफ दिल्ली में रहते हुए भी भलीभांति समझता हूं, इसलिए इसे दूर करने का भरोसा मैं आपको दे रहा हूं। मैं जानता हूं, किस तरह यहां के युवाओं का हक, तुष्टिकरण के नाम पर आपसे छीनकर के आपके अधिकार को छीनकर के किसी और को दे दिया गया। मैं जानता हूं, किस तरह OBC समुदाय से आने वाले मेरे अन्य भाई-बहनों के साथ यहां पर विश्वासघात किया गया है। मां-माटी-मानुष की बात करने वाली दीदी को अगर दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, वनवासियों के प्रति ममता होती, तो वो ऐसा कभी नहीं करतीं। यहां तो दीदी की निर्मम सरकार ने माओवादियों की एक नई नस्ल बना दी है, जो टीएमसी के माध्यम से गरीबों का पैसा लूटती है। गरीबों के हकों को लूटती है। पूरा बंगाल जानता है कि कोयला माफिया, बालू माफिया, इन लोगों को यहां किसका संरक्षण मिला हुआ है। अपने राजनीतिक लाभ के लिए दीदी की सरकार, माओवादी हिंसा को भी बढ़ावा देती है। और इन सबका नुकसान उठाना पड़ता है आपको, मेरे गरीब भाइयों-बहनों को, मेरे नौजवानों को, मेरी माताओं-बहनों को, यहां की महिलाओं को, यहां के बच्चों को। और इसलिए आज बंगाल की जनता कह रही है, एक-एक बंगाली कह रहा है-
ऑत्याचार ऑनेक कोरेछो दीदी,
भॉय देखानोई तोमार ओस्त्रो...
रूखे दांड़ाबे एबार बांग्लार मानुष
मां दुर्गार आशीर्बादे कोरबे तोमाय पोरास्तो

भाइयो और बहनो,
आपका ये उत्साह दिखा रहा है कि टीएमसी की पराजय तय है।
तय है ना...तय है ना...
इस बार बंगाल के चुनाव में सिंडिकेट वालों की पराजय होगी।
इस बार बंगाल के चुनाव में कट मनी वालों की पराजय होगी।
इस बार बंगाल के चुनाव में तोलाबाजों की पराजय होगी।

पश्चिम बंगाल में टीएमसी के दिन अब गिनती के ही रह गए हैं। और ये बात ममता दीदी भी अच्छी तरह समझ रही हैं। और इसलिए वो कह रही हैं, खैला हौबे। खैला हौबे। जब जनता की सेवा की प्रतिबद्धता हो, जब बंगाल के विकास के लिए दिन-रात एक करने का संकल्प हो, तो दीदी खेला नहीं खेला जाता दीदी !
और इसलिए,
दीदी बोलेन खैला होबे, बीजेपी बौले चाकरी होबे
दीदी बोलेन खैला होबे, बीजेपी बौले बीकाश होबे
दीदी बोलेन खैला होबे, बीजेपी बौले शीक्खा होबे
दीदी बोलेन खैला होबे, बीजेपी बौले मोहिलादेर उत्थान होबे
दीदी बोलेन खैला होबे, बीजेपी बौले जुबो-शोक्तीर शंपूर्नो बीकाश होबे
दीदी बोलेन खैला होबे, बीजेपी बौले शोबार पाका बाड़ी होबे
दीदी बोलेन खैला होबे, बीजेपी बौले प्रोत्तेक घोरे कोल होबे आर कोले पोरिष्कार जोल होबे
दीदी बोलेन खैला होबे, बीजेपी बौले ग्रामे-ग्रामे जोनोशुबिधा होबे
दीदी बोलेन खैला होबे, बीजेपी बौले अस्पताल होबे
दीदी बोलेन खैला होबे, बीजेपी बौले इस्कूल होबे दीदी, इस्कूल होबे
दीदी ! ओ दीदी!
बांगलार भाई-बोनेदेर चिंतार खैला आपनि दोश बोच्छोर खेले छेन।
खैला शेष होबे, बीकाश आरोम्भो होबे।
आपका ये प्यार, आपका ये आशीर्वाद, ये बंगाल का मिजाज है।

साथियो,
दीदी को बंगाल के लोगों के हितों से ज्यादा खेल की चिंता पड़ी है। लेकिन दीदी ये भूल रही हैं कि इस बार खुद बंगाल की जनता उनके विरोध में खड़ी है। दस साल का विश्वासघात, दस साल की दुर्नीति की सजा अब बंगाल के लोग इस चुनाव में उन्हें देकर रहेंगे। कोलकाता की ब्रिगेड रैली के बाद जो कुछ भी हो रहा है, वो आप भी देख रहे हैं, देश भी देख रहा है। दस साल के तुष्टिकरण के बाद, लोगों पर लाठियां-डंडे चलवाने के बाद, अब ममता दीदी अचानक बदली-बदली सी दिख रही हैं। ये हृदय परिवर्तन नहीं है, ये हारने का डर है। ये बंगाल की जनता की नाराजगी है, जो दीदी से ये सब करवा रही है। दीदी, आप ये सब करते रहिए, हर तरह से खेलते रहिए, लेकिन ये मत भूलिए कि बंगाल की जनता की याददाश्त बहुत तेज होती है। बंगाल की जनता को याद है कि गाड़ी से उतर कर आपने कितने लोगों को डांटा-फटकारा है। तुष्टिकरण के लिए आपकी हर कार्रवाई बंगाल के लोगों को याद है। साथियो, आपको याद है न? दीदी के सारे कारनामे याद है न? बंगाल की जनता को याद है जब आपने देश की सेना पर तख्तापलट की कोशिश का आरोप लगाया था। जब पुलवामा हमला हुआ तो आप किसके साथ खड़ी थीं, ये भी बंगाल के लोग भूले नहीं हैं।

साथियो,
दो-तीन दिन पहले दिल्ली की एक अदालत ने एक बहुत बड़ा फैसला सुनाया है। ये फैसला बाटला हाउस एनकाउंटर से जुड़ा है। इस एनकाउंटर ने भारत में आतंकवाद और आतंकवाद के पीछे जो ताकतें हैं, उनके असली चेहरों को उजागर कर दिया था। इसी एनकाउंटर में एक आतंकी की गोली ने देश के जांबांज सपूत इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा जी को शहीद कर दिया था। अदालत ने अब उस आतंकी को फांसी की सजा सुनाई है। लेकिन ममता दीदी और उनकी पार्टी का उस समय का व्यवहार कोई भूल नहीं सकता। ये लोग उस समय आतंकवादियों के साथ खड़े थे, एनकाउंटर पर सवाल खड़े कर रहे थे। तुष्टिकरण के लिए ये लोग किस हद तक जा सकते हैं, ये इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। बंगाल में घुसपैठ को हवा देने के पीछे भी वजह एक ही है- तुष्टिकरण, वोटबैंक की सियासत। देश को वंदे मातरम का पाठ पढ़ाने वाली इस पवित्र धरती पर दीदी के इस व्यवहार की उम्मीद किसी को नहीं थी। इसलिए बंगाल के लोग बहुत पहले से मन बना चुके हैं। बंगाल के लोग बहुत पहले से कह रहे हैं- लोकसभा में TMC Half और इस बार पूरी साफ। लोगों का ये इरादा देख, दीदी अपनी खीज मुझ पर निकाल रही हैं। वो क्या-क्या नहीं कह रहीं। वो भाजपा के कार्यकर्ताओं पर भी भड़की हुई हैं। लेकिन हमारे लिए तो देश की करोड़ों बेटियों की तरह दीदी भी भारत की एक बेटी हैं, जिनका सम्मान हमारे संस्कारों में रचा-बसा है। इसलिए, जब दीदी को चोट लगी तो हमें भी चिंता हुई। मेरी भगवान से प्रार्थना है कि उनके पैरों की चोट जल्द से जल्द ठीक हो। भोगोबान के प्रार्थना कोरी आपनी शिघ्रो-ही सुस्तो होए उठून !

साथियो,
पश्चिम बंगाल तभी प्रगति कर सकता है, जब विकास प्रक्रिया में सभी साझीदार एक साथ आ सकें। लेकिन दीदी ने बंगाल के दलितों-पिछड़ों, आदिवासियों-वनवासियों को कभी अपना साझीदार माना ही नहीं। बीते 10 सालों में कट, कमीशन और तोलाबाजी कल्चर का सबसे बड़ा नुकसान बंगाल के गरीब, बंगाल के दलित, बंगाल के वंचित, बंगाल के आदिवासी को ही हुआ है। यहां जो लाखों गरीबों को पक्के घर मिल रहे हैं, उसमें भी टीएमसी के तोलाबाज हर कदम पर अड़ंगा लगाते हैं। केंद्र से गरीब के लिए सस्ता चावल भेजा जाता है, उसको भी टीएमसी के तोलाबाज नहीं छोड़ते। बीते साल कोरोना के समय जब महीनों तक मुफ्त चावल और दाल का प्रबंध किया गया तो, दीदी के तोलाबाजों ने उसमें भी घोटाला कर दिया।

साथियो,
आप याद करिए, जब अम्फान साइक्लोन आया और बंगाल की जनता राज्य सरकार की ओर उम्मीद लगाए देख रही थी तो दीदी ने क्या किया था? अगर सहायता राशि चाहिए तो एक हिस्सा पार्टी ऑफिस में जमा करवाइए। अगर नुकसान न भी हुआ हो तो भी आपको सहायता राशि मिल सकती है, बस एक ही शर्त है, पार्टी ऑफिस में पैसा जमा कर के आ जाइए। जरा सोचिए, ऐसी आपदा में भी टीएमसी की कट मनी चलती रही।

साथियो,
इस क्षेत्र के हमारे संथाल भाई-बहन, अन्य आदिवासी साथी वन अधिकारों को लेकर, कृषि उत्पादों के सही मूल्य को लेकर कब से मांग कर रहे हैं। लेकिन दीदी ने उनकी बातों पर भी ध्यान नहीं दिया। खेती और वन उत्पादों पर निर्भर रहने वाले हमारे आदिवासी साथियों को ममता दीदी ने अपने हाल पर छोड़ दिया है। जबकि भाजपा सरकार, कहीं भी हो, केंद्र में हो या राज्य में, आदिवासी हितों की रक्षा, उनके बच्चों का कल्याण, ये हमारी सबसे पहली प्राथमिकता में रहा है।

साथियो,
ये अटल जी की ही सरकार थी, जिसने आदिवासी हितों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए अलग से एक मंत्रालय बनाया था। आदिवासी हितों के लिए केंद्र सरकार ने अलग बजट दिया, अनेक योजनाएं शुरू की गई हैं। बंगाल में 36 लाख से ज्यादा उज्ज्वला के गैस कनेक्शन दलित-आदिवासी और पिछड़े परिवारों को मिले हैं। वन उत्पादों की MSP बढ़ाने के साथ ही हमारी सरकार ने वन-उपज की संख्या में भी वृद्धि की है। इस वर्ष के केंद्रीय बजट में भी आदिवासी क्षेत्रों की पढ़ाई, दवाई और कमाई के लिए बहुत बड़ा प्रावधान किया गया है। केंद्र सरकार ने दलित परिवारों, SC परिवारों के बच्चों को पढ़ाई और कमाई के बेहतर अवसर देने के लिए आर्थिक मदद बहुत ज्यादा बढ़ाई है। डबल इंजन की सरकार बनने के बाद इसका लाभ बंगाल के लाखों दलितों, लाखों मेरे आदिवासी बच्चों को भी होगा। आदिवासी बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, इसके लिए सैकड़ों एकलव्य स्कूल खोले जा रहे हैं। यहां का एकलव्य स्कूल भी गरीब आदिवासी बच्चों का भविष्य बनाने का काम करेगा। स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासी महापुरुषों के योगदान का गौरवगान, उनके त्याग-तपस्या और बलिदान के गौरवगान को आने वाली पीढ़ियां याद रखे, आदिवासी वीर पुरुषों को याद रखे, इसलिए उनके म्यूजियम भी बनाए जा रहे हैं।

साथियो,

युवाओं को रोजगार, यहां बनने वाली भाजपा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक होगा। यहां की भर्ती परीक्षाओं में जो खेल टीएमसी सरकार ने खेले हैं, वो सारे खेल बंद किए जाएंगे। जो युवा, शिक्षक परीक्षा देने के बाद बरसों से इंतजार कर रहे हैं, उनकी मुश्किलें भी दूर की जाएंगी। राज्य सरकार में जो कर्मचारी कॉन्ट्रेक्ट पर हैं, सभी की स्किल और ज्यादा बढ़े, वो और अच्छी तरह से बंगाल के विकास में योगदान कर सकें, इस पर भी बहुत जोर दिया जाएगा। राज्य सरकार के जो बाकी कर्मचारी हैं, उन्हें भी ममता सरकार द्वारा अनेक सुविधाओं और मानदेयों से वंचित रखा गया है। भाजपा सरकार में ये सारी विसंगतियां दूर की जाएंगी।

साथियो,
भाजपा की केंद्र सरकार की नीति है- DBT- यानि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर। पश्चिम बंगाल में दीदी सरकार की दुर्नीति है- TMC- यानि ट्रांसफर माय कमीशन !! हम DBT वाले हैं जो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की बात करते हैं, वो TMC ट्रांसफर माय कमीशन में ही डूबे हुए हैं। यहां आयुष्मान योजना क्यों नहीं लागू हुई? क्योंकि ट्रांसफर माय कमीशन नहीं हो पाया। यहां किसानों के बैंक खातों में हजारों रुपए जाने से क्यों रोक दिया गया? क्योंकि ट्रांसफर माय कमीशन नहीं हो पाया। अब आप ही बताइए साथियो, पश्चिम बंगाल में भाजपा सरकार चाहिए कि नहीं चाहिए, पश्चिम बंगाल को विकास चाहिए कि नहीं चाहिए, पश्चिम बंगाल के नौजवानों का भविष्य चाहिए कि नहीं चाहिए, पश्चिम बंगाल के आदिवासियों को हक मिलना चाहिए कि नहीं चाहिए? पश्चिम बंगाल की माताओं और बहनों को सम्मान मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए?

बस आपका यही जोश, हर सिंडिकेट, हर टोलाबाज का होश उड़ा रहा है। और इसलिए दीदी को आपके जनधन बैंक खातों से डर लगता है। बंगाल में खुले करोड़ों जनधन खाते, आपका हक आपको ही मिले, इसकी गारंटी हैं। दीदी, दीदी, दीदी चान चुरीर खैला चोलते थाकुक, आमरा चाई एई खैला शेष होक। इसलिए आज पुरुलिया के लोगों का, जंगलमहल का, बंगाल का दीदी को संदेश साफ है-
चुरीर खैला चोलबे ना! चोलबे ना!
मेरे साथ बोलिए.. चुरीर खेला… चोलबे ना! चोलबे ना!
चुरीर खेला…
चुरीर खेला…
चुरीर खेला…
अरे, दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए-
चुरीर खेला…
चुरीर खेला…

साथियो,
आपकी ये गर्जना बताती है कि दीदी सरकार जाने का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। अब बंगाल के भ्रष्टाचार से, कुशासन से मुक्त होने का समय आ गया है। क्या हालत बना दी है दीदी ने बंगाल की? क्राइम है, क्रिमिनल है, लेकिन जेल में नहीं है। माफिया हैं, घुसपैठिए हैं, लेकिन खुलेआम घूम रहे हैं। सिंडिकेट है, स्कैम है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती है।

साथियो,
आज मुझे वो परिवार आशीर्वाद देने आए हैं, जिन्होंने दीदी के अत्याचारों को सहा है। किसी ने अपने को खोया है, परिवार के लोग शहीद हो गए हैं। ये पुरुलिया के वो परिवार हैं जिन्हें दीदी के विरोध की सजा दी गई। इनके परिवार के नौजवानों को फांसी पर लटका दिया गया, उनकी निर्ममता से हत्या कर दी गई। खुलेआम ये धमकी दी गई कि बीजेपी का साथ दोगे तो यही होगा। ये किस तरह का राज चला रही हैं आप दीदी? अभी कल रात ही 24 उत्तर परगना में दर्जन से ज्यादा जगहों पर बमबारी हुई है, बम फेंके गए हैं। बीजेपी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया है। ये स्थिति ठीक नहीं है। ये बदले की हिंसा, ये अत्याचार, ये माफियाराज और नहीं चलेगा। मैं स्थानीय प्रशासन से भी कहूंगा, बंगाल की पुलिस से आग्रह करूंगा कि संविधान को सर्वोपरि रखें, लोकतंत्र को सर्वोपरि रखें। मैं बंगाल के लोगों को विश्वास दिलाता हूं, हर भाजपा कार्यकर्ता को विश्वास दिलाता हूं कि 2 मई को बीजेपी की सरकार बनने के बाद, हर अत्याचारी पर कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी। बीजेपी की सरकार में, कानून का राज फिर से स्थापित किया जाएगा। क्रिमिनल, माफिया और भ्रष्टाचारी को कानून जेल के हवाले करके रहेगा।

मेरे प्यारे भाइयो-बहनो,
हमारे लिए जनता-जनार्दन ही ईश्वर का रूप है। 130 करोड़ देशवासी, यही हमारे परमात्मा हैं। उनकी प्रतिष्ठा, उनका पराक्रम, उनकी सेवा के लिए हम जी जान से जुटे हैं। हम रामकृष्ण परमहंस की सीख को जीवन में उतारने वाले, रामकृष्ण परमहंस देव ने कहा था जीव में ही शिव को देखो। हम जीव में ही शिव को देखकर के 130 करोड़ देवता-रूप देशवासियों की सेवा करने में लगे हुए हैं। हम सब को मिलकर गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, स्वामी विवेकानंद जैसे महान व्यक्तित्वों के सपनों को, उन सपनों को साकार करते हुए सोनार बांग्ला का फिर से निर्माण करना है। वो सोनार बांग्ला, जहां बंगाल के स्वर्णिम गौरव का समावेश होगा और आत्मनिर्भर का सामर्थ्य होगा। वो सोनार बांग्ला जहां हर गरीब, मजदूर, आदिवासी, किसान भाई-बंधु एक सम्मानित जीवन जिए। वो सोनार बांग्ला जहां की मां-बहन-बेटी सब सुरक्षित और भयमुक्त रहें। वो सोनार बांग्ला जहां के युवाओं के पास शिक्षा और रोजगार के भरपूर अवसर हों। वो सोनार बांग्ला जहां उद्योगों की कोई कमी न हो। वो सोनार बांग्ला जहां तोलाबाजी, कटमनी, सिंडिकेट जैसे भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह न हो। वो सोनार बांग्ला जहां गुंडे-अपराधी, उग्रवादियों की जगह जेल में हो, सड़कों पर ना हो। वो सोनार बांग्ला जहां सबके पास एक आवास हो, हर घर साफ जल पहुंचे, आयुष्मान भारत का साथ रहे। आज पूरा बंगाल हमारी भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर इसी सोनार बांग्ला के पुनर्निर्माण के लिए संकल्पबद्ध है। मैं देख रहा हूं, बंगाल की ये धरती सोनार बांग्ला का अब और इंतजार नहीं कर सकती। इसलिए, अब ये तय हो गया है- 2 मई दीदी जाच्छे, 2 मई दीदी जाच्छे, 2 मई दीदी जाच्छे, 2 मई दीदी जाच्छे, 2 मई दीदी जाच्छे। आशोल पोरिबोर्तन आश्छे, आशोल पोरिबोर्तन आश्छे।

इस बार,
भॉय नहीं, सिर्फ जॉय!
भॉय नहीं, सिर्फ जॉय!
पश्चिम बांग्लार मानुषेर जॉय!!
इस बार,
जोर से छाप, कमल छाप!!
इस बार,
जोर से छाप, कमल छाप !!
आपका एक-एक वोट डबल इंजन की ताकत बनेगा।
कमल छाप पर पड़ा हर वोट, आशोल पोरिबोर्तन लाएगा, शोनार बांग्ला का निर्माण करेगा। बंगाल के एक-एक व्यक्ति को याद रखना है। ये समय अपनी मातृभूमि के लिए कुछ कर गुजरने का समय है, ये हमारे बंगाल को कुशासन से मुक्त करने का समय है, ये दमनकारी और अत्याचारी शासन से बंगाल को मुक्त करने का समय है, ये अपने आदर्शों और विचारों के लिए पूरी ताकत लगा देने का समय है। आपके पास सुनहरा अवसर है, अपने राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का। हम बस मंजिल तक पहुंच ही गए हैं। आशोल पोरिबोर्तन के संकल्प के साथ, हम यहां से अपने गांव, अपने घर जाएंगे और घर-घर ये संदेश पहुंचाएंगे, एक-एक परिवार तक पहुंचाएंगे, पहुंचाएंगे न....घर-घर जाएंगे....लोगों को बताएंगे....मतदान करवाएंगे....कमल खिलाएंगे....सोनार बांग्ला बनाएंगे....

इसी आग्रह के साथ, आप सभी का बहुत धन्यवाद ! मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए...दोनों हाथ ऊपर करके बोलिए....
भारत माता की.... जय!
भारत माता की.... जय!
वंदे.... मातरम्!
वंदे.... मातरम्!

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM Modi
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।