Let us make the bar, bench and courts tech savvy: PM Narendra Modi

Published By : Admin | March 12, 2016 | 13:32 IST
QuotePM Modi attends centenary years celebration of Patna High Court
QuotePM Modi calls for making the bar, bench and court tech savvy
QuoteQuality of argument and judgement can improve with active use of technology: PM
QuotePatna High Court has scaled new heights of progress in last 100 years. May this continue for years to come: PM

उपस्थित सभी वरिष्‍ठ महानुभाव!

नीतीश जी ने विस्‍तार से सबके नाम बोले हैं इसलिए मैं पुनरावर्तन नहीं करता हूं लेकिन उन सबका मैं आदर से स्‍वागत करता हूं।

पटना हाईकोर्ट की शताब्‍दी का ये समापन कार्यक्रम है। एक प्रकार से नई सदी की जिम्‍मेवारियों का आरंभ है और इसलिए गत शताब्‍दी में इस हाईकोर्ट ने जिन ऊंचाइयों को प्राप्‍त किया है, जिन परंपराओं के द्वारा सामान्‍य मानविकी में एक विश्‍वास पैदा किया है, जिस कार्य संस्‍कृति के द्वारा समाज में आशा बनती चली गई हैं, उसमें से जो उत्‍तम है, उसको carry forward करते हुए पटना की अगली शताब्‍दी, इस हाईकोर्ट की अगली शताब्‍दी कैसी हो, उसकी नींव मजबूत रखने की जिम्‍मेवारी, यहां उपस्थित सभी की है।

अगर हम आने वाली शताब्‍दी का foundation जितना मजबूत रखेंगे, उतना देश के सामान्‍य मानविकी का व्‍यवस्‍थाओं के प्रति, लोकतंत्र के प्रति विश्‍वास और गहरा होता जाएगा। और इसलिए हम जब इस प्रकार से समारोह का आयोजन करते हैं तो उसके साथ-साथ नए संकल्‍पों का भी अवसर होता है। मैं आशा करूंगा कि आज जब शताब्‍दी वर्ष का समापन हो रहा है तब चाहे Bar हो या bench हो, हम नए benchmark के लिए कैसे आगे बढ़ें, मुझे विश्‍वास है कि जिस व्‍यवस्‍था के पास एक शताब्‍दी की विरासत हो, वो देश को बहुत कुछ दे सकते हैं और ये पटना, यहां का Bar जिसने अनेक महापुरुषों को जन्‍म दिया है, अनेक गणमान्य महापुरुष आप ही के बीच से निकलकर के आए हैं। आने वाले समय में भी उस उज्‍ज्‍वल परंपरा को आप बनाए रखेंगे, ऐसा मुझे आप पर पूरा भरोसा है।

कभी-कभी मुझे लगता है कि हमारे देश में बहुत ही कम जगह ऐसे होती हैं जहां पर लोगों का ध्‍यान रहता है कि उसके 50 साल हुए, 100 साल हुए और उस अवसर को मनाया जाए। मैं एक बार जब मुख्‍यमंत्री था तो एक गांव के स्‍कूल में गया था। वहां शिक्षा बहुत कम थी। Hardly 30-32 percent उस गांव में शिक्षा थी। तो मेरा मन कर गया भई चलो देखें तो सही क्‍या है? मैं जब वहां गया तो मैं हैरान था, वहां जो स्‍कूल बनी थी उस स्‍कूल की उम्र करीब 120 साल थी। यानी जिस गांव में 120 साल पहले स्‍कूल का जन्‍म हुआ उस गांव की शिक्षा 30-32 पर्सेंट के इर्द-गिर्द आ करके अटकी हुई थी। तब हमारे मन में एक चुनौती पैदा होती है कि व्‍यवस्‍थाएं अगर प्राणवान नहीं होंगी, अगर ये व्‍यवस्‍थाएं dynamic नहीं होंगी, अगर ये व्‍यवस्‍थाएं progressive नहीं होंगी, तो हम न समय के साथ चल पाएंगे, न हम समय की मांग को पूरा कर पाएंगे इसलिए हम लोगों के सामने चुनौती हैं कि हमारी व्‍यवस्‍थाओं को हम प्राणवान कैसे बनाएं। कभी-कभी व्‍यवस्‍थाओं का विकास मुश्किल नहीं होता है लेकिन व्‍यवस्‍थाओं को प्राणवान बनाने के लिए बहुत ताकत लगती है, बहुत लंबे अरसे तक जूझना पड़ता है। और इसलिए उस दिशा में इन 100 साल के अनुभव से हम कुछ करें।

|

आने वाले दिनों में ...मैं एक सुझाव के रूप में सोच रहा हूं। जब मैं यहां बैठा था तो विचार आया, क्‍या हर वर्ष हमारे कोर्ट एक बुलेटिन निकाल सकते हैं क्‍या कि हमारी कोर्ट में सबसे पुराना pending case इतने साल पुराना है| कहीं 50 साल पुराना हो सकता है, कहीं 40 साल पुराना हो सकता है। इससे एक sensitivity पैदा होगी। समाज में भी इसके कारण एक चर्चा होगी, Bar में बैठे हुए लोग भी चर्चा करेंगे, यार हम इतने सालों से यहां बैठे हैं, ये 50 साल से मुकदमा चल रहा है हम लोगों ने कुछ करना चाहिए। एक ऐसा माहौल बनेगा जो परिणाम लक्ष्यीय  काम की योजना के लिए हमें प्रेरित करेगा। और ये कोई मुश्किल काम नहीं है। और ये गलत काम भी नहीं है। अगर मान लीजिए कि कोई 50 साल पुराना कोई केस का नाम निकल गया तो कोई आज बैठे हुए लोगों की जिम्‍मेवारी नहीं होगी, वो तो सब रिटायर्ड हो चुके होंगे। लेकिन अच्‍छा होगा कि उसके कारण pendency की जो चिन्‍ता है उसमें से बाहर निकलने का एक मनोवैज्ञानिक वातावरण तैयार होगा।

दूसरी एक सुविधा है इन दिनों जो आज से पुरानी पीढ़ी के जो Bar के member थे उनको ये सौभाग्‍य प्राप्‍त नहीं हुआ था, जो आज की पी‍ढ़ी को प्राप्‍त हुआ है, आज के Bar को प्राप्‍त हुआ है। और वो है technology. पहले अगर अगर आपको किसी केस को लड़ना है तो लंबे अरसे तक research में टाइम जाता था, पूरी टीम लगी रहती थी पुराने reference ढूंढने के लिए। आज Google एक ऐसा आपका bar member है कि आप जो चाहो वो Google खोज करके निकाल करके दे देता है और आसानी से perfect judgment को quote करके अपनी बात मनवा सकते हो और इसलिए हमारा Bar, हमारी bench, हमारी कोर्ट इसको हम कितने ज्‍यादा techno savy बना सकते हैं, कितनी तेजी से हम digital system को हमारी व्‍यवस्‍था में inject कर सकते हैं और उसके कारण quality of argument, quality of judgments, space of the judgment, इन सबमें एक बहुत बड़ा आमूल-चूल परिवर्तन आ सकता है। और उस दिशा में हम प्रयास करें।

हमारे देश के आजादी के आंदोलन की तरफ देखें तो इस बात को हमें स्‍वीकार करना होगा कि भारत की आजादी के आंदोलन का नेतृत्‍व प्रमुखतया वकीलों के द्वारा, बैरिस्‍टरों के द्वारा हुआ। Bar  के ही member थे जिन्‍होंने देश की आजादी की लड़ाई को लड़ा। अंग्रेज़ सल्‍तनत के सामने अपनी बुद्धि का उपयोग, कानूनी व्‍यवस्‍था का उपयोग करते हुए कैसे लड़ा जा सकता है, यह मिसाल अगर किसी ने कायम की तो इस देश की Bar की परंपरा ने की, वकीलों की परंपरा ने की है और इस इस प्रकार से इस पेश से जुड़े हुए लोगों का एक बहुत बड़ा योगदान भारत की आजादी के आंदोलन से जुड़ा हुआ है। उसके बाद भी जब-जब भारत में संकट आया, मूलभूत बातों पर संकट आया, ज्‍यादातर Bar ने आवाज़ उठाई है, ज्‍यादातर न्‍यायालयों ने उसको एक नई ताकत देने का प्रयास किया इसलिए भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए जहां विविधता इतनी है। समाज को बांधकर रखना है, देश को जोड़कर रखना है तो एक सक्रिय प्रयास और वो भी जो समाज में दूरिया पैदा न करें, समाज को जोड़ने के प्रयास में उपकारक हो, उस प्रकार के हमारे movement की आज समय की मांग है। उसको अगर हम Bar के माध्‍यम से चला दे तो बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।

कभी-कभार एक Intuit democratic values में किस प्रकार का बदलाव आता है। एक घटना मेरे लिए बड़ी.. It was a touchy for me so मैं share करना चाहूंगा। मैं पिछले दिनों UK के प्रवास में था तो वहां के प्रधानमंत्री ने मुझे एक सनद गिफ्ट की। Bar की सनद गिफ्ट की और उसका इतिहास ऐसा था कि भारत की आजादी में जो सशस्‍त्र क्रान्‍ति में विश्‍वास करते थे। दो प्रवाह थे – एक अहिंसा में विश्‍वास करता था, एक सशस्‍त्र क्रान्‍ति में विश्‍वास करता था। सशस्‍त्र क्रान्‍ति में विश्‍वास करने वाले लोगों के क्रान्‍ति गुरु थे, श्‍यामजी कृष्‍ण वर्मा। 1930 में उनका स्‍वर्गवास हुआ और लंदन में अंग्रेजों की नाक के नीचे बैठकर के वो आजादी की लड़ाई लड़ते थे। मदनलाल ढींगरा समेत कई लोगों को प्रेरणा देते रहते थे और इसलिए वहां के Bar ने उनकी सनद को withdraw कर लिया।

|

मैं इस Bar जब गया तो Bar ने officially पुनर्विचार किया और इतने सालों के बाद, शायद 1920 के बाद, करीब-करीब 100 साल के बाद उस सनद को उन्‍होंने सम्‍मानपूर्वक लौटाया। यानी भारत की आजादी का एक रवैया, अंग्रेजों ने जिसकी सनद को ले लिया था। बाद में ले लिया था लेकिन 100 साल के बाद उस सनद को लौटाया। इस घटना का मैं इसलिए जिक्र करता हूं कि 100 साल के बाद उस व्‍यक्‍ति का कोई रिश्‍तेदार भी वहां मौजूद नहीं है लेकिन न्‍याय व्‍यवस्‍था से जुड़े हुए लोगों के मन में एक था कि यह स्‍थिति बदलनी चाहिए और उन्‍होंने initiative लिया और बदला। भारत का प्रधानमंत्री वहां जाता है तो एक महत्‍वपूर्ण घटना के रूप में उसको लौटाया जाता है। ये है हमारे यहां मूल्‍यों की प्रतिबद्धता के संबंध में पूरी वैश्‍विक सोच, हम उन चीजों को लेकर के कैसे आगे बढ़े।

मैं आज इस शताब्‍दी समारोह के समापन के साथ नई शताब्‍दी के शुभारंभ के समय आप सबको बहुत शुभकामनाएं देता हूं और देश को बहुत-सी अमानत आपकी तरफ से मिलती रहेगी। इसी एक अपेक्षा के साथ सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

Explore More
প্ৰতিগৰাকী ভাৰতীয়ৰ তেজ উতলি আছে: মন কী বাতত প্ৰধানমন্ত্ৰী মোদী

Popular Speeches

প্ৰতিগৰাকী ভাৰতীয়ৰ তেজ উতলি আছে: মন কী বাতত প্ৰধানমন্ত্ৰী মোদী
India flash PMI surges to 65.2 in August on record services, mfg growth

Media Coverage

India flash PMI surges to 65.2 in August on record services, mfg growth
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
PM Narendra Modi receives a telephone call from President Macron
August 21, 2025
QuoteLeaders exchange views on efforts for peaceful resolution of the conflicts in Ukraine and the West Asia Region
QuotePrime Minister Modi reiterates India’s consistent support for early restoration of peace and stability
QuoteThe leaders discuss ways to further strengthen India-France strategic partnership

Today, Prime Minister Shri Narendra Modi received a phone call from the President of the French Republic H.E. Emmanuel Macron.

The leaders exchanged views on the ongoing efforts for peaceful resolution of conflicts in Ukraine and the West Asia region.

President Macron shared assessment on the recent meetings held between the leaders of the Europe, US and Ukraine in Washington. He also shared his perspectives on the situation in Gaza.

Prime Minister Modi reiterated India’s consistent support for peaceful resolution of the conflicts and early restoration of peace and stability.

The leaders also reviewed progress in the bilateral cooperation agenda, including in the areas of trade, defence, civil nuclear cooperation, technology and energy. They reaffirmed joint commitment to strengthen India-France Strategic Partnership and mark 2026 as ‘Year of Innovation’ in a befitting manner.

President Macron also conveyed support for early conclusion of Free Trade Agreement between India and the EU.

The leaders agreed to remain in touch on all issues.