हिंदी पट्टी के तीन राज्यों के परिणामों के बाद राजनीतिक विरोधी भी अब अटकलें लगा रहे हैं कि मोदी सरकार आगामी चुनावों में 300 सीटों के पार जाएगी या उससे नीचे इसे कोई रोक सकता है? 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए की बैठक होने वाली है और उससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फिर से हर वर्ग के लिए विकास के नए अवसर देने, नए बजट में नई कल्याणकारी योजनाएं लाने का इरादा जताते हुए और मोदी की गारंटी का अर्थ भी समझाते हैं।

पीएम मोदी ने इसी के साथ 22 जनवरी 2024 को भव्य स्वरूप में अयोध्या में श्रीराम मंदिर के उद्घाटन को हर घर अयोध्या और हर घर राम का दिन बताया। पीएम ने तमाम मुद्दों को लेकर दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा के साथ बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश.....

- चुनावी राज्यों में जीत की आपको बधाई। आपने इस हैट्रिक से लोकसभा चुनाव में हैट्रिक की बात की। लेकिन आप भी कहते रहे हैं कि विधानसभा के चुनाव लोकसभा के लिए सेमीफाइनल नहीं माने जाने चाहिए?
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपको इस जनादेश को दो पैमानों पर देखना चाहिए। पहली बात, ये लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही आया है और दूसरी बात यह कि जनादेश यूपीए का नया रूप आइएनडीआइए बनने के बाद आया है । एक प्रकार से आइएनडीआइए के लिए ये पहला टेस्ट था और इस टेस्ट में जनता ने विपक्षी गठबंधन को बुरी तरह फेल कर दिया है। जनता ने अस्थिरता और स्वार्थ की राजनीति को पूरी तरह से नकार दिया है। इन चुनाव परिणामों से देश के मूड की झलक भी मिल चुकी है। जनता ने राष्ट्रहित में स्थिर, स्थायी और सेवाभाव से समर्पित सरकार के लिए जनादेश दिया है।

इसके अलावा इन चुनावों ने कुछ लोगों के फैलाए गए एक और झूठ को भी खारिज कर दिया है। एक राजनीतिक वर्ग था जोकि ये कहता था कि राष्ट्रीय स्तर पर तो भाजपा के सामने कोई चुनौती नहीं है, लेकिन राज्यों में पार्टी को उतना समर्थन नहीं मिल रहा। जो परिणाम आए, उससे वह मिथक भी टूट गया है। हमने तीन राज्यों में तो सरकार बनाई ही है, तेलंगाना में भी भाजपा के वोट प्रतिशत में रिकार्ड वृद्धि हुई है। ये दिखाता है 2024 के चुनाव में भाजपा एक बार फिर ऐतिहासिक जीत दर्ज करने जा रही है।

इस बार तीनों राज्यों में पहली बार खुलकर भाजपा ने सिर्फ आपके नाम पर वोट मांगे और आपने लोगों को मोदी की गारंटी दी और नतीजे भी अभूतपूर्व आए। क्या मान लेना चाहिए कि यह फार्मूला आगे भी चलता रहेगा?
इस गारंटी शब्द को सिर्फ तीन अक्षरों तक सीमित मत कीजिए। सामान्य नागरिक के मन में गारंटी बोलते ही चार प्रमुख मानदंड उभरकर सामने आते हैं और इन चार पैमानों पर जो खरा उतरता है वो गारंटी का आधार बनता है। इसमें चार मापदंड हैं- नीति, नीयत, नेतृत्व और काम करने का ट्रैक रिकार्ड। ये वो चार कसौटियां हैं जिन पर जनता आपको परखती है।

इन चारों में से कुछ भी कम होगा तो वो गारंटी नहीं, बल्कि खोखली घोषणा हो जाएगी। वह शब्दों का सिर्फ मायाजाल बनकर रह जाएगी। इसलिए जब मैं मोदी की गारंटी कहता हूं तो जनता बीते वर्षों के पूरे इतिहास को देखती है। जनता हमारी नीतियों की समर्थक है, हमारी नीयत की सहभागी है, हमारे नेतृत्व की समर्थक है और हमारे ट्रैक रिकार्ड को लगातार देख रही है।

हमने पिछले नौ साल में गरीबों को चार करोड़ घर बनाकर दिए हैं। इसलिए आज जब मैं कहता हूं कि दो करोड़ और घर बनाकर गरीबों को दूंगा और ये मोदी की गारंटी है तो लोग इस पर विश्वास करते हैं। कोरोना के संकट में हमने गरीबों को मुफ्त अनाज देने की योजना शुरू की थी। तब लोगों को राशन की दुकान पर बिना परेशानी मुफ्त राशन मिला। अब जब मैंने कहा है कि मुफ्त राशन की इस योजना को अगले पांच साल के लिए बढ़ा रहा हूं और ये मोदी की गारंटी है तो लोगों के मन में कोई संशय नहीं है।

पीएम ने कहा कि आज लोग प्रत्यक्ष देखते हैं कि रेलवे का कायाकल्प हो रहा है। लोग इन्फ्रास्ट्रक्चर में बदलाव अपने सामने होते हुए देख रहे हैं। इससे देश को विश्वास होता है कि हां भई, अब मोदी कह रहा है तो रेलवे आगे बढ़ेगा ही। नीति और नीयत की कसौटी से गुजरने के साथ ही आपको अपने काम से ट्रैक रिकार्ड नाना होता है। वरना हमने तो वो समय भी देखा है जब गरीबी हटाने की बातें की गईं, लेकिन दशकों बाद भी स्थितियां बदली नहीं। जब मैं नेतृत्व की बात करता हूं तो इसका मतलब सिर्फ मोदी का नेतृत्व नहीं है।

बल्कि हर स्तर पर चाहे पंचायतें हों, स्थानीय निकाय हों, राज्य हों या फिर जहां भी भाजपा का नेतृत्व है, हर कोई कर्मठता के साथ काम करता है। जब ये प्रतिबद्धता लोगों को दिखती है, तब जाकर हर गारंटी पर लोगों का भरोसा होता है। आजकल आप लोग देख रहे होंगे, विकसित भारत संकल्प यात्रा चल रही है।

पीएम ने कहा कि मैं तो दैनिक जागरण से भी आग्रह करूंगा कि वो इस यात्रा की विस्तार से कवरेज करे। आपको अपने आप पता चलेगा कि मोदी की गारंटी का मतलब क्या है ? किस प्रकार हर लाभार्थी को सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए सरकार जनता तक पहुंच रही है, ये प्रतिबद्धता आपको दिखाई देगी। पहले जनता को अपना हक पाने के लिए सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ते थे, घूस देनी पड़ती थी। अब सरकार जनता के पास जा रही है, जिसका हक है, वह उस तक पहुंच रहा है। सरकार और जनता के बीच जो ये नया विश्वास बना है, यही मोदी की गारंटी का आधार है।

अभी जो भाजपा की जीत हुई, वह कांग्रेस के खिलाफ थी। अब एकजुट विपक्ष सामने होगा। थोड़ी चिंता तो हो रही होगी?
पीएम मोदी हंसते हुए बोले कि ये धारणा भी विपक्षी गठबंधन की बनाई हुई है कि ये चुनाव सिर्फ कांग्रेस के विरुद्ध थे, जबकि हकीकत कुछ और है। ये नए-नए प्रयोग करते रहते हैं । इस चुनाव में भी इन्होंने ऐसा करने की कोशिश की । इन्होंने हर सीट पर ऐसे उम्मीदवार उतारे और ऐसे दलों को सपोर्ट किया, जिससे भाजपा को मिलने वाले वोटों का विभाजन हो सके। भाजपा के सामने ये आइएनडीआइए गठबंधन तो था ही एक नई प्रकार की रणनीति और एक नया प्रयोग भी था। सामने कुछ था लेकिन पर्दे के पीछे आइएनडीआइए गठबंधन था । इन्होंने योजना बनाकर भाजपा उम्मीदवारों के वोट काटने का मायाजाल रचा था, लेकिन जनता ने इनकी सारी साजिशों को नाकाम कर दिया। अब ऐसा संभव नहीं है कि विपक्षी गठबंधन के लोग जो भी झूठ कहेंगे, जनता उसे मान लेगी।

उत्तर-दक्षिण भारत के चुनाव को लेकर एक बहस छिड़ गई है। आप कैसे देखते हैं?
पीएम ने कहा कि सच्चाई यह है कि देश के जनमानस के बीच इस प्रकार की कोई बहस है ही नहीं। भारत के लोग किसी भी प्रकार के भेदभाव में यकीन ही नहीं रखते हैं। ये बहस विशुद्ध रूप से घमंडिया गठबंधन की ओर से फुलाया हुआ झूठ का एक और गुब्बारा है। देश को बांटने की ऐसी राजनीति भी निराशा से जन्म लेती है। जिनके पास विचारधारा नहीं होती और जनहित के लिए कोई सार्थक विचार नहीं होते, ऐसी सूरत में विभाजन की सोच घमंडिया गठबंधन पर हावी होना स्वाभाविक है। ये लोग सत्ता में आने के लिए कुछ भी कर गुजरने का प्रयास कर रहे हैं। इनके लिए देश का भविष्य कोई मायने नहीं रखता, बल्कि ये लोग अपने बच्चों के भविष्य के लिए सरकार पर कब्जा चाहते हैं। देश ये देख रहा है, देश के लोग देख रहे हैं। मुझे देश के लोगों की समझ पर पूरा भरोसा है।

आजकल आप जहां भी जा रहे है वहां अबकी बार 400 पार के नारे लगते हैं। क्या सचमुच में पार्टी ने ऐसा कोई लक्ष्य रखा है ?
जनता द्वारा दिए जा रहे किसी भी आंकड़े का विशेष आधार होता है, उस आंकड़े के पीछे एक भाव होता है और उसका अपना एक महत्व होता है, हमें ये समझना होगा। आज देश का जन-जन ये समझ रहा है कि 2014 के पहले की तीन दशकों की राजनीतिक अस्थिरता देश का कितना बड़ा नुकसान किया है आज पूरी दुनिया की नजर भारत पर है। पूरी दुनिया भारत से नई उम्मीदें लगाए बैठी है। ऐसे माहौल में अब देश का कोई नागरिक भारत को अस्थिरता में नहीं झोंकना चाहता है।

हमने देखा है, गांव के लोग भी ये अक्सर कहते हैं कि कोरोना की भयंकर महामारी के दौरान अगर भारत में अस्थिर सरकार होती तो देश का क्या होता ? वैश्विक महामारी और युद्ध की वजह से आज विश्व की आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। ऐसे में अगर भारत में भी अस्थिरता होती तो क्या होता? इसलिए सामान्य व्यक्ति आज पहले से अधिक मजबूत सरकार, अधिक समर्थ सरकार के पक्ष में है। लोकतंत्र के लिए भी मजबूती बहुत आवश्यक होती है।

वैसे मेरे लिए सीटों की गिनती से ज्यादा जनता-जनार्दन के दिलों को जीतना हमेशा से प्राथमिकता रहा है। मैं दिल जीतने के लिए प्रयास करता हूं, मेहनत करता हूं तो जनता खुद ही मेरी झोली भर देती है। जहां तक लक्ष्य की बात है तो आज मैं ही नहीं, बल्कि पूरा देश 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। आज जो 18 से 28 साल के युवक-युवती हैं, ये उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कालखंड है। वे अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण समय में समृद्ध भारत के वाहक बने। उनके प्रयत्नों के आगे कोई भी रुकावट नहीं आए और रास्ते की हर बाधा हटे, यही प्रयास है।

राम मंदिर का निर्माण पूरा होने ही वाला है। आगामी 22 जनवरी को आप वहां मौजूद होंगे। आपके लिए यह कितना बड़ा दिन होगा?
यानी श्री राम के दर्शन से जीवन सफल हो जाता है। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस अत्यंत पवित्र कार्य में जाने का न्योता मिला है, वहां जाने का अवसर मिला है। हजारों साल से प्रभुराम ने हम सबके जीवन में कोई न कोई सकारात्मकता भरी है। पल भर के लिए सोच लीजिए कि मैं इस पवित्र अवसर पर एक प्रधानसेवक के बजाय एक सामान्य नागरिक हूं, जो किसी गांव बैठा है, तो भी मेरे मन में उतना ही आनंद और संतोष होगा जितना कि एक प्रधानसेवक के रूप में मुझे वहां जाने का अवसर मिलने पर मिला है।

खुशी सिर्फ मोदी की नहीं है । ये हिंदुस्तान के 140 करोड़ हृदयों की खुशी, मन के संतोष का अवसर है। मेरे लिए 22 जनवरी का ये अवसर 'हर घर अयोध्या, हर घर राम' आने का है।

एक चर्चा खूब होती है। आपके आलोचक भी कहते हैं कि मोदी में कुछ है, लेकिन इस 'कुछ' के लिए कोई शब्द नहीं ढूंढ पाता है। क्या आप इसकी पहचान कर पाए हैं?
आप जिस 'कुछ' की बात कर रहे हैं, ये भाव उठना तो बहुत स्वाभाविक है । हर किसी के मन में ये विचार आना स्वाभाविक है। एक व्यक्ति जो गरीब परिवार में जन्मा, सरकारी स्कूल में किसी तरह पढ़ा, जो पिछले पांच दशक से सिर्फ और सिर्फ देश की जनता के लिए समर्पित है, जो पिछले 23 साल से पहले सीएम और फिर पीएम के तौर पर सेवाभाव से जुटा है, जनता ये सब कुछ देखती है। ये 'कुछ' क्या है इसका मेरे पास भी कोई ठोस जवाब नहीं है, लेकिन ये मानता हूं कि मैं आज जो कुछ हूं, वो दो आशीर्वाद के बिना संभव नहीं है। पहला तो जनता जनार्दन का आशीर्वाद है। मैं स्वयं अनुभव करता हूं, प्रकट रूप से अनुभव करता हूं कि जनता-जनार्दन ईश्वर का रूप है और मैं उस जनता का पुजारी हूं, मैं 140 करोड़ देशवासियों का पुजारी हूं। मैं जहां भी जाता हूं, लोगों से मिलता हूं तो वहां लोग मोदी को सिर्फ प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखते, बल्कि वे मोदी को अपना बेटा, अपना भाई रूप में देखते हैं। वो मुझे अपने परिवार के सदस्य के रूप में देखते हैं। हर उम्र, हर समाज, हर वर्ग के लोग मोदी में खुद को ढूंढ़ते हैं, किसी अपने को ढूंढ़ते हैं, ये मेरे लिए बहुत बड़ा सौभाग्य है।

जनता-जनार्दन के अलावा जो दूसरा आशीर्वाद है, वो एक दैवीय शक्ति का है । ये दैवीय शक्ति मुझे चलायमान रखे हुए है, निरंतर मुझे देशसेवा के लिए प्रेरित करती है। मेरे पास अपने स्वयं के जीवन के अलावा इस दैवीय शक्ति का कोई प्रमाण नहीं है। शक्ति का साक्षात आशीर्वाद मेरा दूसरा सबसे बड़ा सौभाग्य है। इन दोनों आशीर्वाद के बिना ये संभव नहीं है। फिर भी कहता हूं कि मैं कितनी भी कोशिश करूं तो भी इस 'कुछ' का शब्दों में वर्णन नहीं कर सकता।

आपने चार जाति - गरीब, महिला, युवा और किसान की बात की है। क्या इससे जातिवादी राजनीति खत्म होगी ?
मैं जब किसान, महिला, युवा और गरीब, इन चार जातियों की बात करता हूं तो इसके पीछे ठोस कारण है। आप किसान को देखिए। वो किसी भी कुल-वंश में और परिवार में पैदा हुआ हो, लेकिन उसकी समस्या तो एक जैसी ही है। उनकी समस्याओं का समाधान भी एक जैसा है। इसी प्रकार गरीब परिवार चाहे किसी भी समाज का हो, उसकी जरूरतें और अपेक्षाएं भी एक ही जैसी हैं गरीबी दूर करने का रास्ता जब सरकार ढूंढ़ती है तो वो सभी गरीब परिवारों पर ही लागू होता है। ऐसे ही जब हम नारीशक्ति और युवाशक्ति को देखते हैं तो उनकी आशाएं, अपेक्षाएं और आकांक्षाएं भी एक जैसी ही हैं।

गांव-गरीब, मध्यम वर्गीय परिवारों की हमारी बहनों बेटियों की स्थिति हर समाज में एक जैसी ही है । घर के फैसलों और शिक्षा-रोजगार में उचित भागीदारी से लेकर सुविधा, सुरक्षा और सम्मान से जुड़ी समस्याओं का समाधान सबके लिए एक जैसा ही है। जब समस्या समान हैं, समाधान समान हैं तो देखने का नजरिया भी उस आधार पर ही होना चाहिए। इसलिए जब इन चार जातियों का सशक्तीकरण होगा तो हर समाज और हर वर्ग का सामर्थ्य बढ़ेगा।

वैश्विक अर्थव्यवस्था जिन हालात से गुजर रही है, उनमें भारत में आप कल्याणकारी योजनाओं के विस्तार के लिए कितनी संभावनाएं देखते हैं?
आपने सही कहा कि दुनिया की बड़ी-बड़ी और समृद्ध से समृद्ध अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति ठीक नहीं है । पहले 100 साल की सबसे बड़ी महामारी और फिर विश्व के दो हिस्सों में युद्ध की स्थिति। ये वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा झटका है। लेकिन देखिए, इस घोर अनिश्चितता के बावजूद भारत सबसे अलग दिखता है। अभी तक दो क्वार्टर के आंकड़े हमारे सामने आए हैं। आप देखेंगे कि पहले क्वार्टर में 7.8 फीसद और दूसरे क्वार्टर में 7.6 फीसद की ग्रोथ हुई है। अब ये ट्रेंड बनता जा रहा है कि हर बार भारत हमारे एक्सपर्ट्स के आकलन से भी बेहतर कर रहा है। 2013 में स्थिति इसके उल्टी थी।

भारत को लेकर जो आकलन होते थे, उससे भी कम परिणाम आते थे। तब भारत पांच प्रतिशत की ग्रोथ रेट के लिए तरस गया था। आज भारत में अर्थव्यवस्था को गति देने वाला हर सेक्टर बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। जीएसटी कलेक्शन हो, डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन हो, कोर सेक्टर आउटपुट हो, हर जगह नया उत्साह नजर आ रहा है। गाड़ियों की खरीद हो, घरों की खरीद हो, मार्केट में निवेश हो, ये निरंतर बढ़ रहा है। देश और विदेश के निवेशकों को आज भारत मैं नया भरोसा, नया अवसर दिख रहा है।

जब देश का आर्थिक सामर्थ्य बढ रहा है तो इसका प्रभाव सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि देश के हर नागरिक का जीवन इससे बदलना चाहिए। देश का कोई तबका अगर कमजोर हो, अविकसित हो तो देश विकसित नहीं हो सकता। इसलिए कल्याणकारी योजनाएं ऐसी होनी चाहिए, जिससे गरीब का सशक्तीकरण हो ।

जैसे जब हम गरीबों को घर देते हैं तो सिर्फ उसको सुविधा मात्र नहीं मिलती, बल्कि उस पूरे परिवार की और उसकी भावी पीढ़ियों की आकांक्षाएं जागती हैं। जब गरीब का बैंक में खाता खुलता है तो उसे बचत करने का मन करता है।

उसे लगता है कि मैं बैंक में जा सकता हूं, उसमें एक आत्मविश्वास आता है। आयुष्मान भारत के तहत मिल रहे मुफ्त इलाज की पूरी दुनिया में बहुत चर्चा होती है। इसके प्रभाव का आकलन करके देखिए । जो आबादी कभी अस्पताल तक नहीं जा पाती थी, उसको आज अच्छा इलाज मिल पाया है। एक समय था, जब इलाज के लिए अनेक परिवारों को कर्ज लेना पड़ता था और उनकी जमीन- जायदाद - गाड़ी तक बिक जाती थी । इससे कई-कई पीढ़ियां गरीबी रेखा से नीचे चल जाती थीं। ये कितना बड़ा संकट इस एक योजना ने दूर किया है। यहां तक कि पशुओं के मुफ्त टीकाकरण की चर्चा उतनी नहीं होती, लेकिन ये बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। हजारों करोड़ रुपये सरकार इस पर इसलिए खर्च कर रही है क्योंकि पशुधन आजीविका का एक बहुत बड़ा माध्यम है। वेलफेयर को मैं एक मजबूरी के रूप में नहीं, बल्कि देश को सशक्त करने के माध्यम के रूप में देखता हूं। स्वभाविक है कि जब देश का आर्थिक सामर्थ्य बढ़ रहा है तो उसका लाभ देश की कल्याणकारी योजनाओं को भी होगा। सरकार नए बजट के साथ नई कल्याणकारी योजनाएं भी बनाएगी।

आपने हाल में कहा कि विपक्ष को सकारात्मक होना चाहिए। वह रोजगार का मुद्दा उठाते हैं तो आप आंकड़े देते हैं कि बढ़ रहा है। वह महंगाई का मुद्दा उठाते हैं तो आप आंकड़ा पेश कर देते हैं। फिर वह अपनी राजनीति कैसे करें, आप कोई मुद्दा सुझाएंगे?
पीएम मोदी ने कहा कि ये लोकतंत्र है। हर पार्टी के अपने- अपने विचार हैं। लेकिन भाजपा को गाली देते-देते आप भारत को गाली देने की तरफ चले जाएं तो जनता इसको पसंद नहीं करती। मैं उन्हें सलाह दूं, ये उचित भी नहीं है। वे आत्मचिंतन करेंगे ही कि देश की जनता उनकी बातों को क्यों स्वीकार नहीं करती है, ऐसा वे जरूर सोचेंगे।

अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट में जिस तरह का निर्णय आया है, उसे कैसे देखते हैं?
पीएम मोदी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर अपनी मुहर लगा दी है कि एक देश में किसी तरह से दो विधान नहीं चल सकते हैं। अनुच्छेद 370 का हटना किसी राजनीति से ज्यादा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के लिए बहुत जरूरी था । अनुच्छेद 370 का हटना लोगों के विकास, उनके जीवन की सुगमता के लिए जरूरी था। इसे कुछ परिवारवादियों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के कारण मुट्ठी में बंद कर लिया था। जम्मू-कश्मीर का आमजन न तो किसी की स्वार्थ भरी राजनीति का हिस्सा है, न ही बनना चाहता है। वो अतीत की परेशानियों से निकलकर देश के हर नागरिक की तरह बिना भेदभाव के अपने बच्चों का भविष्य और अपना वर्तमान सुरक्षित करना चाहता है।

अनुच्छेद 370 के बाद आज जम्मू- कश्मीर और लद्दाख दोनों की सूरत बदल गई है। अब वहां पर सिनेमा हाल चल रहे हैं। वहां पर टेररिस्ट हीं, अब टूरिस्ट्स का मेला है। अब वहां पर पत्थरबाजी नहीं होती, बल्कि फिल्मों की शूटिंग हो रही है। आम कश्मीरी परिवार इसे पसंद कर रहा है। आज भी राजनीतिक स्वार्थ में जो लोग अनुच्छेद 370 को लेकर भ्रम फैला रहे हैं, उन्हें मैं दो टूक कहूंगा- अब ब्रह्मांड की कोई शक्ति अनुच्छेद 370 की वापसी नहीं करा सकती।

भाजपा ने तीनों राज्यों में अपेक्षाकृत नए और अनजान चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया है। इसका क्या संदेश है?
हमारे देश का एक दुर्भाग्य रहा है कि जो लोग अपनी वाणी से अपनी बुद्धि और अपने व्यक्तित्व से सामाजिक जीवन में प्रभाव पैदा करते हैं, उनमें से एक बहुत बड़ा वर्ग एक घिसी-पिटी, बंद मानसिकता में जकड़ा हुआ है। ये सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है । जीवन के सभी क्षेत्रों में ये प्रवृत्ति हमें परेशान करती है। जैसे किसी भी सेक्टर में कोई नाम अगर बड़ा हो गया, किसी ने अपनी ब्रांडिंग कर दी तो बाकी लोगों पर ध्यान नहीं जाता चाहे वो कितने ही प्रतिभाशाली क्यों न हों, कितना भी अच्छा काम क्यों न करते हों, वैसा ही राजनीतिक क्षेत्र में भी होता है। दुर्भाग्य से अनेक दशकों से कुछ ही परिवारों पर मीडिया का फोकस सबसे ज्यादा रहा।

इस वजह से नए लोगों की प्रतिभा और उपयोगिता की चर्चा ही नहीं हो पाई। इसके कारण आपको कई बार कुछ लोग नए लगते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि वे नए नहीं होते। उनकी अपनी एक लंबी तपस्या होती है, अनुभव होता है। भाजपा तो एक काडर आधारित राजनीतिक दल है। संगठन के हर स्तर पर काम करते-करते कार्यकर्ता कितने ही आगे पहुंच जाएं, लेकिन उनके भीतर का कार्यकर्ता हमेशा जगा रहता है।

Source: Dainik Jagran

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PM pays homage to Dr. Babasaheb Ambedkar on his Mahaparinirvan Diwas
December 06, 2024

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has paid homage to Dr. Babasaheb Ambedkar on his Mahaparinirvan Diwas, today. Prime Minister Shri Narendra Modi remarked that Dr. Ambedkar’s tireless fight for equality and human dignity continues to inspire generations.

In a X post, the Prime Minister said;

"On Mahaparinirvan Diwas, we bow to Dr. Babasaheb Ambedkar, the architect of our Constitution and a beacon of social justice.

Dr. Ambedkar’s tireless fight for equality and human dignity continues to inspire generations. Today, as we remember his contributions, we also reiterate our commitment to fulfilling his vision.

Also sharing a picture from my visit to Chaitya Bhoomi in Mumbai earlier this year.

Jai Bhim!"