Today, Sansad Khel Mahotsav has truly become a people’s movement: PM Modi

Published By : Admin | December 25, 2025 | 17:30 IST
I see the confidence of a new India in the passion, energy and determination of our young athletes: PM Modi
Sansad Khel Mahotsav has become a people’s movement: PM Modi
Today, talent in India is selected on merit, not on influence or access: PM Modi
India will host the Commonwealth Games in Ahmedabad in 2030, placing the world’s spotlight on our country: PM Modi
India must aim to top the medal tables at global sporting events: PM Modi

कार्यक्रम में उपस्थित खेल मंत्री मनसुख मांडविया जी, मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य, भाजपा के सांसद, एनडीए के सांसद, अन्य जनप्रतिनिधिगण, खिलाड़ियों के कोच, खिलाड़ियों के माता-पिता, उनके परिवारगण और देश के कोने-कोने में उपस्थित सभी खिलाड़ी और खेल प्रेमी। सभी प्यारे भाइयों और बहनों, आप सभी का बहुत-बहुत अभिनंदन है।

अभी मैं इस प्रतियोगिता के कुछ प्रतिभागी खिलाड़ियों से बात कर रहा था। उनका जोश, उनका जज़्बा, उनका उत्साह, उनके शब्दों में मुझे भारत के सामर्थ्य के दर्शन हो रहे थे। जो विश्वास मुझे इन खिलाड़ियों के भीतर दिख रहा था, आज भारत के करोड़ों युवा उसी विश्वास से भरे हुए हैं। इसलिए स्टार्टअप, स्पेस, साइंस और स्पोर्ट्स। भारत के युवाओं ने हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रखा है।

मेरे युवा साथियों,
आज सांसद खेल महोत्सव एक जनआंदोलन बन चुका है। अब देखिए, देशभर में 290 से अधिक सांसदों के इस कार्यक्रम का योजना करना, लाखों नौजवानों को जोड़ना और एक करोड़ से ज्यादा युवा खिलाड़ियों द्वारा इसमें रजिस्ट्री करवाना। देश के हर कोने की हिस्सेदारी है और शहरों से लेकर गांव तक, हर पृष्ठभूमि के युवाओं की सहभागिता ये दिखाता है कि इसका स्केल कितना बड़ा है। काशी का सांसद होने के नाते मैं अपने क्षेत्र में, मेरे संसदीय क्षेत्र काशी में इस खेल महोत्सव के आयोजन से बहुत करीबी से जुड़ा रहा हूं और आज भी मैं देख रहा हूं कि मेरे सामने सब बैठे हुए हैं। इसके अलावा अनेकों बार मैंने अलग-अलग सांसदों के खेल महोत्सव का शुभारंभ करने का काम भी किया है। और मुझे ये देखकर खुशी होती है कि युवाओं ने सांसद खेल महोत्सव प्लेटफॉर्म के जरिए नए-नए कीर्तिमान गढ़े हैं। इस साल भी कई हफ्तों तक चले इस विशाल आयोजन ने युवाओं के लिए एक मजबूत मंच का काम किया है। अनेक दिव्यांग खिलाड़ियों को भी इसमें आगे बढ़ने का मौका मिला है। मैं आप सभी खिलाड़ियों को और देश के युवाओं को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,
सांसद खेल महोत्सव का स्केल जितना बड़ा है, उतना ही बड़ा इसका इंपैक्ट भी है। आज इससे देश को हजारों की संख्या में प्रतिभाशाली खिलाड़ी मिल रहे हैं और साथ ही साथ ये महोत्सव युवा निर्माण से राष्ट्र निर्माण, युवा निर्माण से राष्ट्र निर्माण के मंत्र का एक मजबूत स्तंभ भी बन रहा है। क्योंकि जीत और हार से अलग खेलों में हमें जो स्पोर्ट्स स्पिरिट, जो खेल भावना सीखने को मिलती है। उस स्पोर्ट्स स्पिरिट से, उस भावना से ही सक्षम और अनुशासित युवाओं का निर्माण होता है। और ऐसे सक्षम अनुशासित युवा ही राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करते हैं। मुझे खुशी है कि सांसद खेल महोत्सव के जरिए देश के युवाओं में इस भावना का निरंतर विकास हो रहा है।

साथियों,
सांसद खेल महोत्सव की एक और खास बात है और वो है समाज की सोच बदलने में अहम भूमिका निभाना। आज देश के कोने-कोने से छोटे-छोटे गांवों से दूर-सुदूर इलाकों से कितने ही ऐसे उदाहरण आ रहे हैं, जो पूरे देश को प्रेरित करते हैं। कहीं छोटे से गांव में कोई बेटा फुटबॉल के साथ अपना पसीना बहा रहा है। कहीं कोई दिव्यांग खिलाड़ी चुनौतियों को छोटा बनाकर बुलंदियों को छू रहा है। कहीं किसी स्पोर्ट्स ग्राउंड पर कोई बिटिया अपने सपनों को पूरा करने में लगी है। और सांसद खेल महोत्सव ऐसे खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दे रहा है।

साथियों,
यह उसी समाज के उदाहरण है, जहां कुछ साल पहले तक घर के लोग बच्चे के ज्यादा खेलने पर उसे डांटते-फटकारते थे। तब खेलने को समय की बर्बादी समझा जाता था। फिर समाज में एक दशक के भीतर-भीतर ये बदलाव कैसे हुआ? ये बदलाव इसलिए मुमकिन हुआ क्योंकि आज समाज को माता-पिता को भी एहसास हुआ है कि खेलने से जीवन बर्बाद नहीं होता। अब वह समझते हैं कि उनके बेटे-बेटी खेल में आगे बढ़कर केवल अपनी और परिवार की ही नहीं, पूरे गांव और समाज की किस्मत बदल सकते हैं।

साथियों,
आज खेलों में अवसर सीमित नहीं, असीमित अवसर है। आज देश में एक ऐसा इको सिस्टम बना है, जहां खिलाड़ियों का सिलेक्शन पहुंच के आधार पर नहीं, परिचय के आधार पर नहीं, पहचान के आधार पर नहीं। आज खेल को मैदान से लेकर के बाहर देखना हो प्रतिभा के आधार पर होता है। प्रतिभा को महत्व दिया जाता है। 2014 से पहले खेल विभाग में टीम सिलेक्शन में और स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर में खेलों के नाम पर जो गड़बड़ी होती थी आज वह सब कुछ बंद हो चुकी है। गरीब से गरीब परिवार का बच्चा भी आज कम उम्र में ही शिखर तक पहुंच सकता है। अभी कल ही आपने देखा होगा। 15-20 साल के नौजवानों ने खेल के मैदान में किसी ने 32 बॉल में सेंचुरी बना दी। किसी ने 30-35 गेंद में बना दी, किसी ने 35-40 बॉल में बना दी। यह है युवाओं की ताकत।

साथियों
आज केंद्र सरकार देश के आप सभी युवा खिलाड़ियों को हर स्तर पर सपोर्ट कर रही है। हम अपनी युवा प्रतिभाओं के लिए खेलने के ज्यादा से ज्यादा मौके बना रहे हैं। खेलो इंडिया, स्कूल गेम्स, यूथ गेम्स, यूनिवर्सिटी गेम्स और सांसद खेल महोत्सव इन सबसे प्रतिभाओं की पहचान हो रही है। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की टीमें हर कोने में जाकर नए खेल सितारे खोज रही हैं। आज हमारे देश के टियर टू और टियर थ्री शहरों में विश्वस्तरीय खेल सुविधाएं बन रही है। खिलाड़ियों की डाइट से लेकर उनकी ट्रेनिंग, कोचिंग, हर फिटनेस तक की हर सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। आप देखिए 2014 से पहले देश का स्पोर्ट्स बजट सिर्फ, सिर्फ 1200 करोड़ रूपये से भी कम था। आज यह बढ़कर 3000 करोड़ रूपये से अधिक हो चुका है। टॉप्स योजना के जरिए खिलाड़ियों को 25,000 रुपये से लेकर 50,000 हजार रूपये तक हर महीने मदद दी जा रही है।

साथियों,
इन सारे प्रयासों का देश को लाभ भी होता दिख रहा है। स्पोर्ट्स में बीते कुछ वर्ष भारत के लिए नए रिकॉर्ड्स, नई उपलब्धियों के वर्ष रहे हैं। आप देखिए 65 साल बाद वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में भारत ने 26 मेडल जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया। भारत ने टोक्यो ओलंपिक में सात मेडल जीतकर एक नई शुरुआत की। पैरा ओलंपिक में भारत ने पेरिस में 29 मेडल जीतकर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। एशियन गेम्स में भारत ने 100 से अधिक मेडल जीतकर अपने खेल इतिहास का अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन किया। आज भारत के खिलाड़ी रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। नए मानक गढ़ रहे हैं और भारत को ग्लोबल स्पॉटिंग मैप पर नई ऊंचाई दे रहे हैं।

साथियों,
अब हमें ग्लोबल स्पोर्ट्स इवेंट से टेबल टॉप करने को अपना टारगेट बनाना है। आने वाले समय में भारत बड़े-बड़े स्पोर्ट्स इवेंट्स को होस्ट करने जा रहा है। 2030 में भारत अहमदाबाद में कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजित करेगा। तब पूरी दुनिया की नजर भारत पर होगी। आप जैसे युवा खिलाड़ियों के लिए यह एक बड़ा मौका होगा। यही नहीं 2036 में स्पोर्ट्स के सबसे बड़े आयोजन यानी ओलंपिक्स की मेजबानी के लिए भी भारत प्रयासरत है। 2036 ओलंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व वो युवा करेंगे, जो आज 10 या 12 साल के हैं। हमें अभी से उसे तलाशना है। तराशना है और राष्ट्रीय पटल पर उसे लेकर आना है। सांसद खेल महोत्सव इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है। इसलिए मैं आज सभी सांसदों से भी कहूंगा। यह आपकी बड़ी जिम्मेदारी है। आप अपने क्षेत्रों में ऐसी प्रतिभाओं को खोजो, जो राष्ट्रीय स्तर पर, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और खेलते-खेलते ओलंपिक्स में भी भारत का नाम रोशन कर ले। आप उन्हें हर संभव मदद दें। उनका मार्गदर्शन करें। सरकार की योजनाओं का उनको लाभ मिले। ऐसे आयोजनों के साथ-साथ देश की तमाम योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने में जनप्रतिनिधि बहुत मदद कर सकते हैं। ऐसे किसी खिलाड़ी की सफलता मेरे संसदीय क्षेत्र के अनुभव से मैं कहता हूं। जब एक खिलाड़ी, एक बच्चा, एक बेटी कुछ करके आते हैं ना पूरे क्षेत्र में एक बड़ा गौरव का वातावरण बन जाता है। आपको भी उसका फायदा मिलेगा। एक सांसद के रूप में मैं आपको भी, मैं पक्का कहता हूं क्योंकि मैंने यह अनुभव किया है। एक सांसद के नाते मैं देख रहा हूं कि जब मैं काशी में इन सारी चीजों के जुड़ता हूं। इन बेटे-बेटियों से जुड़ता हूं। बहुत कुछ मुझे सीखने को मिलता है। आपको भी मिलेगा। और वैसे भी मैं इन दिनों देखता हूं, हमारे जो सांसद मेरे जो साथी सांसद हैं और जो खेल महोत्सव में बड़ी रुचि से जुड़े हैं, उन्हें युवाओं से जैन जी से करीब से जुड़ने का बहुत बड़ा अवसर मिल जाता है। इससे उन्हें जैन जी को जानने-समझने का और बेहतर तरीके से एक सुविधा पैदा हो जाती है। मौका मिल जाता है। कई सांसद जब मुझसे पार्लियामेंट में मिलते हैं तो बढ़-चढ़कर के खेल महोत्सव के अनुभव मुझे जरूर बताते हैं। मैं चाहूंगा हर सांसद इससे जुड़े। अपने क्षेत्र में ऐसी प्रतियोगिता कराएं।

साथियों,
आप सब जानते हैं खेलों में हमें सबसे पहले जिस चीज की जरूरत होती है वह है आत्मविश्वास। ये आत्मविश्वास लगातार मिली जीत से नहीं आता। यह आत्मविश्वास आता है हारकर जीतने के जुनून से। गिरना, संभलना, फिर उठना, हार से हताशा को अलग करने की कला सीखना। जब हम यह सीखते हैं तो जीवन के प्रति दृष्टिकोण और व्यापक हो जाता है। हम एक बेहतर नागरिक के रूप में, बेहतर समाज के निर्माण में अपनी भूमिका निभा पाते हैं। सांसद खेल महोत्सव जैसे आयोजन हमें इस दिशा में भी प्रेरित करते हैं।

साथियों,
आज मैं देश के हर खिलाड़ी से कहना चाहता हूं आप केवल अपनी जीत के लिए नहीं खेल रहे हैं। आप देश के लिए खेल रहे हैं। आप तिरंगे के मान-सम्मान के लिए खेल रहे हैं। मेरा हर माता-पिता से भी निवेदन है अपने बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित कीजिए। खेलने के लिए अवसर दीजिए। उन्हें खेलने के लिए खुले मैदान में भेजिए आप। उंगली पकड़ कर के ले जाइए। क्योंकि खेल केवल सीखने का हिस्सा नहीं है। खेलना स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मस्तिष्क की भी अनिवार्य शर्त है। आप सब ने महसूस किया होगा। कुछ घरों में बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी खूब आगे होते हैं। जबकि कुछ घरों में केवल पढ़ाई को ही बोझ की तरह बच्चों पर डाल दिया जाता है। दोनों घरों के माहौल में एक स्वाभाविक फर्क पैदा हो जाता है। जो बच्चे खेलते हैं, वह ज्यादा एनर्जेटिक रहते हैं, खुश रहते हैं। उसका सकारात्मक असर घर के वातावरण पर भी पड़ता है। जहां बच्चे खेलों से दूर होते हैं। सिकुड़ते जाते हैं। अकेले-अकेले हो जाते हैं। तनावग्रस्त अवस्था में बच्चा पहुंच जाता है और घर का माहौल भी बोझिल बन जाता है। बिगड़ने लगता है। इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का समन्वय बहुत जरूरी है। जब बच्चे खेलेंगे तो वह फिट भी होंगे और हिट भी होंगे। वह बेहतर परिवार का बेहतर वातावरण बनाने का एक कैटेलिक एजेंट बन जाता है और उसको भविष्य में बेहतर समाज का नियंता बनने का भी अवसर मिल जाता है। इसलिए एक माता-पिता के रूप में ये आपकी पारिवारिक जिम्मेदारी तो है ही। एक नागरिक के रूप में ये हम सभी का राष्ट्र के प्रति कर्तव्य भी है।

साथियों,
मुझे विश्वास है हम सबके सामूहिक प्रयास वैश्विक अवसरों पर भारत की साख बढ़ाएंगे। मैं एक बार फिर सांसद खेल महोत्सव में हिस्सा लेने वाले हमारे युवा खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देता हूं। खेलते रहिए,
खिलते रहिए और खिलखिलाते भी रहिए। बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्कार।

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