मंच पर विराजमान यहां के राज्यपाल आदरणीय एन एन वोहरा जी, यहां के मुख्यमंत्री श्रीमान उमर अब्दुल्ला जी, केंद्र सरकार में मेरे साथी मंत्री, ऊर्जा मंत्री, श्रीमान पीयूष गोयल जी, राज्यसभा के सांसद श्री मुख्तार अब्बास नकवी जी, अभी –अभी जिनको आपने लोकसभा में भेजा है विजयी बनाकर के और आपके आशीर्वाद से लोकसभा में बैठ कर आपके विकास के कामों की दिन रात चिंता चर्चा करते हैं, ऐसे मेरे साथी श्री थूपस्टल चेवांग जी, एडिशनल सचिव ऊर्जा विभाग, श्रीमान देवेन्द्र चौधरी जी और विशाल संख्या में पधारे हुए, मेरे प्यारे भाइयो और बहनो। ये मेरा सदभाग्य है कि मुझे हिंदुस्तान के एक आखिरी छोर पर रहने वाले कारगिल के मेरे भाइयो–बहनो से बातचीत करने का अवसर मिला है।
मैं कारगिल पहले भी आया हूं और जैसे मुख्यमंत्री जी बता रहे थे कि आज जब मैं आया तो तालियों की गड़गड़ाहट सुन रहा हूं, लेकिन पहले तब भी आया था जब बम, बंदूक और पिस्तौल की आवाजें सुनाई दे रही थी। सीमापार से गोलियां चल रही थी, युद्ध जारी था। उसी समय मैं यहां पर था, आपके बीच रहता था। आज एक बात जो मेरे मन को छू गई थी मैं पत्रकार नहीं था, सबको मालूम था कि मैं भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता हूं, लेकिन जितना समय मैं रूका, मुझे किसी भी चीज की जरूरत पड़ी, यहां के लोगों ने मेरे से एक नया पैसा नहीं लिया था। यह एक बहुत बड़ी बात है। पानी पीओ, चाय पीयो, पकौड़े खाओ, खाना खाओं, रात रूकों, एक पैसा लेने को कोई तैयार नहीं था, वो कह रहे थे कि यह भी एक देश सेवा है और हम देश सेवा कर रहे हैं। मैं देख रहा था कि सेना के जवान जो लड़ाई लड़ रहे थे, उनको जितनी मदद जितना सहयोग आप नागरिकों की तरफ से मिलता था और जिसके कारण उनका हौंसला इतना बुलंद रहता था यह मैंने अपनी आंखों से देखा है।
जिस दिन टाइगर हिल जीता गया था कारगिल ने जिस दिन आनंद उत्सव मनाया था, वह आज भी मेरे आंखों के सामने है ओर इसलिए कारगिल के लोगों की देशभक्ति, भारत की रक्षा के लिए उनकी जागरूकता, ये पूरे देश को प्ररेणा देने वाली है और मैं इस धरती को वंदन करता हूं, यहां के लोगों का अभिनंदन करता हूं। भाइयो बहनो पुराने जमाने में कहा जाता था कि पानी और जवानी कभी पहाड़ के काम नहीं आती, ऐसा पुराने जमाने में कहा जाता था। भाइयो बहनो युग बदल चुका है। इस मान्यता को बदलना हमने ठान लिया है। पहले भले पानी और जवानी पहाड़ के काम न आती हो, हम ऐसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं, पानी भी पहाड़ के काम आये, जवानी भी पहाड़ के काम आये। जब पानी से बिजली पैदा करते हैं, बिजली पहाड़ों को पहुंचाते है, वह पानी परोक्ष रूप से पहाड़ों को काम आता है और यहां की जवानी रोजी रोटी कमाने के लिए परिवार के नौजवान, बूढ़े मां-बाप को गांव व पहाड़ों में छोड़कर करके चले कही जाते हैं, रोजी रोटी कमाने के लिए। घर छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं। यार दोस्तों को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है और कहीं जा करके रोजी रोटी कमाने के लिए, मजदूरी करने के लिए झुग्गी- झोपड़ी में गुजारा करना पड़ता है इधर-उधर, फुटपाथ पर रहना पड़ता है। क्या हम हमारी जवानी को ऐसे ही बेकार जाने देंगे। भाइयों, बहनों पहाड़ की जवानी भी पहाड़ को काम आ सकती है। अगर पहाड़ के जवानों के पास हुनर हो, कौशल्य हों, विकास का अवसर हो, रोजी रोटी कमाने के लिए अगर उसको मौका दिया जाएं तो पहाड़ के जवान को शहर की भीड़ में जिंदगी गुजारना अच्छा नहीं लगता है और इसलिए यह जो बिजली यहां पहुंची है वह सिर्फ घर के अंदर उजाला कराने के लिए नहीं है, लट्टू जलाने के लिए नहीं है, मोबाइल फोन सिर्फ चार्ज करने के लिए नहीं है, टी वी पर भिन्न-भिन्न प्रकार के सीरियल देखने के लिए सिर्फ नहीं हैं, यह बिजली यहां के औद्योगिक विकास के लिए उसकी प्राथमिकता है। छोटे-बड़े उद्योग शुरू हो अगर बिजली है तो उद्योग की संभावनाएं बढ़ती हैं। कृषि आधारित कामों को अवसर मिलें। यहां का जो पारंपरागत हुनर हैं, कला है, उसको आधुनिक रूप मिलें टेक्नॉलोजी का अवसर मिले। मुझे विश्वास है यहां का नौजवान अपने पसीने से पैसे कमा भी सकता है, अपने परिवार को चला भी सकता है और गौरवपूर्ण अपनी जिंदगी का गुजारा भी कर सकता है। ये दूर-सुदूर रहने वाले लोग जब बर्फ बीच में जाती है तो हिंदुस्तान से कट जाते हैं। हमको क्नेटिविटी चाहिए। हम प्रतिबद्ध हैं, उनको क्नेटिविटी के लिए आज मैंने लद्दाख में घोषणा की है। ये रोड का काम बंद पड़ा था, क्यों? क्योंकि टेंडर की जो रकम थी वह इतनी बड़ी आई थी कि कोई सरकार पैसे देने के लिए तैयार नहीं था सरकार आई, गई रोड वहीं के वहीं लटके रहे जो रोड बना नहीं। मैंने उसका जब रिव्यू किया तो ध्यान में आया कि जितना बजट हमने तय किया है उससे काम नहीं चलेगा,अतिरिक्त बजट की जरूरत पड़ेगी। भाइयों बहनों हमने तय किया है कि आठ हजार करोड़ रूपया लगा करके ये काम पूरा कर दिया जायेगा।
मैं जब लाहुल स्पिति जाता था सब सीजन में काम करता था। मैं यहां भी काम करता हूं। मैं रोहतांग पास से जब रास्ता देखता था, तो मुझे लगता था कि लाहुल स्पिति से कारगिल अगर जुड़ जाये तो देश को कितनी बड़ी ताकत मिल जाएगी और वह ताकत देने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। यहां पर शिक्षा के लिए क्षेत्र खुले। यहां के नौजवानों को हिंदुस्तान के किसी भी नौजवान के साथ आंख से आंख मिलाकर के खड़ा हो सके, ऐसी शिक्षा उपलब्ध हो, ऐसे शिक्षा के विकास के लिए भी दिल्ली में बैठी हुई भारत सरकार प्रतिबद्ध और आने वाले दिनों में आप इसको देखेंगे। आज एक ट्रांसमिशन लाइन का शिलान्यास हुआ, ये सपना अटल बिहारी वाजपेयी जी ने देखा था, लेकिन बीच में बात ही रह गई। वाजपेयी जी का वह सपना पूरा करने के लिए हमने कदम उठाया है। करीब-करीब 18 सौ करोड़ रूपया लगा करके यह ट्रांसमिशन लाइन से बिजली की क्नेकटविटी सीधे आपके श्रीनगर के साथ जुड़ जायेगी। आप हिंदुस्तान के साथ जुड़ जाओगे ताकि बिजली की कभी कटौती का मुकाबला आपको करना पड़े। उस प्रकार की व्यवस्था होगी। भाइयों, बहनों जम्मू-कश्मीर आर्थिक विकास की धरोहर बन सकता है। विकास की नई ऊचांईयों को पार कर सकता है। उसकी समस्याओं को गिनती कर करके जन भावनाओं को लुभाने काम मेरा नहीं है, मैं एक एक समस्याओं को हाथ में ले करके उन समस्याओं के समाधान के लिए रास्ते खोजने वाला इंसान हूं और मेरी पूरी कोशिश यही है कि आप लोगों ने मुझे जो आशीर्वाद दिए हैं, आपने जो प्रेम दिया हैं, देश की जनता की आशा और आकांक्षाओं को पूरा करना, कारगिल की जनता की आशा और आकांक्षाओं को पूर्ण करना, इसमें मैं पूरी कोशिश करूंगा, पूरी ताकत लगाऊंगा और जी जान से जुटा रहूंगा। ये आपको मैं विश्वास दिलाता हूं।
अब देखिए जम्मू- कश्मीर का हाल यहां की पूरी जनसंख्या में करीब 20 प्रतिशत लोग विस्थापित है। इन विस्थापितों को भी अगर हम स्थापित नहीं करेंगे, उनको रोजी रोटी कमाने का अवसर नहीं देंगे, ये 20 प्रतिशत जनता जम्मू - कश्मीर के भाग्य को बदलने का हिस्सा बने, इसके लिए जो भी आवश्यक योजना हो उस पर कार्य करने के लिए हम प्रतिबद्ध है। 2 लाख से ज्यादा को विस्थापित वेस्ट पाकिस्तान के रिफ्यूजी हैं, 1 लाख से ज्यादा विस्थापित शंभ सेक्टर के हैं, 4 लाख से ज्यादा विस्थापित कश्मीरी पंडित हैं, 8-10 लाख लोग आंतकवादियों के कारण जिनका अपने परिवार को स्वजनों को खोना पड़ा है, बेहाल हो गये ये भी तो अपने भाई हैं, उनके जीवन की भी तो कुछ चिंता होनी चाहिए। इसलिए भाईयों और बहनों, ये 20 प्रतिशत के करीब जनसंख्या उनको गौरव के साथ जीने के लिए उनके मान-सम्मान क्योंकि उन्होंने भारत के लिए प्यार किया है, भारत के लिए वह जी रहे है, उनके लिए अब तक बहुत उदासीनता बरती गई है, नेग्लेक्ट किया गया। अब वह दिन चले गए मैं पूरे जम्मू कश्मीर के ऐसे विस्थापित भाई-बहनों किसी भी प्रकार के विस्थापित क्यों न हो, वो हमारे भाई है वो हमारे परिवार-जन हैं, उनका सुख-दु:ख हमारा सुख दु:ख है, उनकी प्रगति ये हमारा मकसद है, उनका विकास ही हमारा मकसद है और उस काम को आगे बढ़ाने के लिए यहां विकास की नित्य नवीन योजनाओं के द्वारा हम आगे बढ़ाना चाहते हैं।
भाईयो-बहनो एक बात मैं अपने अनुभव से कहना चाहता हूं। अब मुझे लगता है कि मैं कारगिल में वो बात करूगा तो अच्छा लगेगा। मैं जब गुजरात में काम करता था तो कभी भी हम कच्छ जाते थे तो हमेशा हम सीमा की समस्या,पाकिस्तान, वहां से आने वाली तकलीफें उसी की चर्चा करते थे, जो भी राजनेता जाए वहीं बोलता था मैं मुख्यमंत्री बना तो वहां से 5-7 लोग मुझसे मिले आए, क्योंकि भूंकप के बाद मैं मुख्यमंत्री बना था, भूंकप तो था भयानक बर्बादी हुई थी वहां तो, वह मुझसे मिलने आए थे, उन्होंने कहा साहब हमने सुना है आप शपथ के बाद तुरंत कच्छ पहुंच रहे हो, मैंने कहा हां शपथ के बाद मैं पहला काम करने वाला हूं कच्छ के भूंकप पीडि़तों को मिलने जा रहा हूं। उन्होंने कहा हमारा एक सुझाव है मैंने कहा क्या बोले मेहरबानी करके जब आप कच्छ आए तो सिर्फ सीमा, सीमा की समस्याएं, पाकिस्तान इसमें अपना टाइम बर्बाद मत किजिए। उसी चर्चा के अंदर सब नेताओं ने हर साल यही काम किया। आप भविष्य की बात करके जाइए। मैं भी पहले कच्छ जाता तो यही बातें करता, लेकिन उस दिन जब उन्होंने कहा तो मेरे मन मे स्पार्क हुआ, मुझे लगा हां इस बात को नए ढंग से सोचना चाहिए और मैं जब भी कच्छ गया मैं चार टाइम मुख्यमंत्री रहा, मैं जब भी कच्छ के लोगों के पास गया मैंने सिवा विकास के कोई बात नहीं की,आज विकास को महत्वपूर्ण पहलू बना दिया और कच्छ ऐसा जिला है हमारे यहां, जहां पूरे गुजरात की सबसे ज्यादा मुस्लिम पॉप्युलेशन इस जिले में है। कच्छ की एक ओर भी विशेषता है। हमारे जम्मू कश्मीर के गुजर लोग जो है वो जिस प्रकार के रंग-रंगीन कपड़े पहनते है जिस प्रकार का सर पर बांधते है मेरे कच्छ के अंदर भी वैसे ही बांधते है बिल्कुल, हमारा कच्छी मुसलमान और यहां का गुजर को खड़ा कर दो तो लगता है कि एक ही बिरादरी के लोग हैं, इतनी साम्यता है, इतनी निकटता है। मैं चार बार मुख्यमंत्री रहा इतने सालों तक वहां एक ही काम किया, डिवलेपमेंट का। सारे विषयों की चर्चा करना मैंने मेरे लेवल पर बंद कर दिया। भईयो-बहनो आज मैं गर्व से कहता हूं वो कच्छ जिला, हिन्दुस्तान का तेज गति से विकास करने वाला जिला बना गया जबकि वो कच्छ किसी समय माइनस ग्रोथ वाला रहा था। हर बार जनसंख्या लोग खाली करके चले जाते थे। उस अनुभव से मैं कहता हूं चाहे लेह हो, लद्दाख हो, कारगिल हो, सीमावर्ती इलाका हो, चाहे नॉर्थ-ईस्ट हो, मेरे लिए यहां की जीवन बदलने का सबसे उचित रास्ता जो मैं अनुभव से सीख कर आया हूं, वो है विकास, मुझे विकास के रास्ते पर चलना है, मुझे समस्याओं के समाधान का रस है। और मुझे जन-जन को अपने साथ लेकर आगे चलने में रस है। आपने हमारा साथ दिया है और आगे भी साथ देंगे, मुझे पूरा विश्वास है और हम सब मिलकर के जो भारत का भाग्य बदलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन आज जो उस भाग्य को बदलने में दूर खड़े हैं उनको सबसे पहले आगे ले जाना है यह मकसद लेकर मैं काम कर रहा हूं।
चाहे हवाई कनेक्टिविटी हो, रेल कनेक्टिविटी हो, रोड कनेक्टिविटी हो, टेलिकॉम कनेक्टिविटी सब प्रकार से हिन्दुस्तान का कोई कोना अछूत नहीं रहना चाहिए। उसके विकास के लिए पूरा प्रयास होना चाहिए लेकिन सबसे पहली प्राथमिकता है रोजगार मेरे नौजवान को रोजगार मिले उसके लिए हर वो जो उपलब्ध संसाधन है उसी को केन्द्र में रखकर के आगे बढ़ना है। पशमिना हमारी पहचान थी धीरे-धीरे हम खो रहे है। इसी बजट में हमने कहा है पशमिना प्रमोशन के लिए पी-3 प्रोजेक्ट शुरू करने वाले है ताकि यहां से दूर-दूर पहाड़ों में रहने वाले लोगों को एक नया अवसर मिले। यहां का केसर दुनिया के अच्छे क्वालिटी के केसर में जम्मू कश्मीर का केसर है यह दुनिया के बाजार में अपना डंका क्यों न जमाएं और अगर एक बार विश्व के बाजार में जम्मू कश्मीर के केसर की पहचान बन गई तो मार्केट अपने आप मिलेगा तब यहां का मेरा किसान आर्थिक रूप से संपन्न होगा। पैकेजिंग की भी इंडस्ट्री आएगी, मार्केटिंग की इंडस्ट्री आएगी, एक्सपोर्ट करने वाले यूनिट आ जाएंगे तो यहां का किसान कमाना शुरू कर देगा। फलों से लदे हुए इलाके हैं हमारे पास। हम एपल की खेती करते हैं लेकिन एपल बाजार में पहुंचते पहुंचते बिगड़ जाता है, बेचारे किसान का 15-20 प्रतिशत नुकसान वहीं हो जाता है। लेकिन अगर हम वॅल्यू एडिशन करें, और जब जब बिजली आ रही हो तो छोटे-छोटे यूनिट लगा करके, वॅल्यू एडिशन करके, पैक टीन के अंदर उनका जूस हों, उसके कट फ्रूट हो , या एप्पल को ऐसे ही सुरक्षित रखना हो,वो सब संभव है टैक्नालाजी से। हमारे यहां जो कृषि उत्पादन है, उसको वॅल्यू आडेलीशन करके, उद्योगिक इकाइयों को जोड़ करके हमारे यहां के किसान को हम ताकतवर बनाना चाहते हैं। मजबूत बनाना चाहते है।
भाइयो एवं बहनो, विकास तो करना है। लेकिन मैं अनुभव से कहता हूं, इस देश को आगे बढ़ने के लिए पैसों की कमी नहीं है। इस देश को आगे बढ़ाने के लिए देश के नागरिकों के पसीने में खोट नहीं है। पुरूषार्थ में भी खोट नहीं है, पैसों में भी खोट नहीं है, उसके बाद भी हमारा देश वहीं का वहीं न जाने कहां ठप्प हो गया है। सामान्य मानव की जिन्दगी में बदलाव क्यों नहीं आता, उसका एक महत्वपूर्ण कारण है, भ्रष्टाचार ने हमें तबाह करके रखा है। आप मुझे बताइए भाइयों एवं बहनों, भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहिए या नहीं चाहिए? भ्रष्टाचार जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? हिंदुस्तान के हर कोने से भ्रष्टाचार जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? भाईयों एवं बहनों, मैंने बेड़ा उठाया है। मेरा तो मंत्र है न खाउंगा न खाने दूंगा। इतने पैसे अगर भ्रष्टाचार के पापाचार में बंद हो जाए, उन्हीं पैसों से देश को आगे बढ़ाया जा सकता है। लोगों की, नौजवानों की इच्छाओं को पूर्ण किया जा सकता है। मुझे आपसे मदद चाहिए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए, मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए, मुझे आपकी तरफ से ताकत चाहिए ताकि भ्रष्टाचार मुक्त शासन को विकसित करें, ताकि गरीब से गरीब आदमी की भलाई के लिए हमें अवसर मिले और पैसे आयेंगे, जाएंगे, कोई भलाई ही नहीं। बात बिगड़ती चली जाती है, मुझे बात को बनाना है। इसलिए भाईयों एवं बहनों अटल बिहारी बाजपेयी जी ने जम्मू और कश्मीर के लिए जो सपने देखे थे, उन सपनों को हमें पूरा करना है। यहां के जनसामान्य को ताकत देनी है। भाइयों एवं बहनों कोई हिंदुस्तान के किसी कोने में कल्पना नहीं कर सकता लेह लद्दाख हो या कारगिल हो, इतनी बड़ी जनसभा को संबोधन करने का हमें अवसर मिला। हिंदुस्तान में कई लोगों को कल्पना तक नहीं है। आज जब टीवी पर चीजें देखेंगे पूरा देश चकित हो जाएगा, आपकी देशभक्ति से चकित हो जाएगा, आपके उत्साह से चकित हो जाएगा, और हिंदुस्तान के कई कोनों के लोगों को भी कारगिल के उत्साह से भी प्रेरणा मिलेगी, ये प्रेरणा लेकर आज मैं जा रहा हूं।
मैं फिर एक बार आप सब का हृदय से धन्यवाद करता हूं। विकास के लिए दिल्ली में बैठी हुई सरकार पीछे मुड़कर देखने वाली नहीं है। आप आशा आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए दिल्ली बैठी हुई सरकार जितना भी कर सकती है करने के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि दिल से हम जुड़े हुए हैं। और उसी के कारण हम इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद।