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उपस्थित सभी महानुभाव,

मैं पीयूष जी और उनकी टीम को बधाई देता हूं कि उन्हों।ने बहुत बड़े पैमाने पर आगे बढ़ने के लिए निर्णय किया है और उसी के अनुसंधान में आज ये तीन दिवसीय workshop का आरंभ हो रहा है। एक बहुत बड़ा बदलाव हम लोगों ने नोटिस किया कि नहीं मुझे मालूम नहीं - सामान्य रूप से जब हम लोग देश में जब उर्जा की चर्चा करते आएं है तो Megawatt के संदर्भ में करते आएं हैं। पहली बार भारत ने Gigawatt की चर्चा करना शुरू किया है। कोई कल्पना कर सकता है कि Megawatt से Gigawatt की तरफ ये यात्रा कितनी Ambitious है, कितनी focussed है, और परिणाम प्राप्त करने का कितना आत्मविशवास भरा हुआ है।

भारत में, जब मैं उर्जा के संदर्भ में सोचता हूँ, तब वैश्विक संदर्भों में जो चर्चाएं हो रही हैं वो अपनी जगह पर है। मेरे चिंतन के केंद्र बिंदु और कुछ है। हम सभी जानते हैं कि मानव की जो विकास यात्रा है, उस विकास यात्रा में उर्जा की अहम भूमिका रही है। पत्थर युग में भी लोग पत्थर घिस-घिस करके ऊर्जा की भूख मिटाने की कोशिश करता था। और तब से लेकर अब तक यह यात्रा निरंतर चल रही है। निरंतर नए-नए प्रयास हो रहे हैं। क्योंकि मानव ये मानता है कि उसकी विकास यात्रा में उर्जा की एक अहम भूमिका है।

भारत में आज भी लाखों परिवार ऐसे हैं, जो ऊर्जा से वंचित हैं। गरीब से गरीब परिवार को भी यह अपेक्षा है कि उसका बच्चाि पढ़े, पढ़-लिख कर आगे जाए। लेकिन जब exam का समय होता है वो रात को पढ़ नहीं पाता है, क्योंसकि घर में ऊजाला नहीं होता है, और उसकी जिंदगी वहीं रूक जाती है। क्याक यह एक सरकार का, समाज का, देश का दायित्वक नहीं है कि हमारे गरीब से गरीब व्‍यक्ति को अपने सपनों को साकार करने के लिए जिस ऊर्जा की जरूरत है वो ऊर्जा उसे प्राप्तत हो? विकास का प्रकाश उसके घर तब तक नहीं पहुंचेगा तब तक कि वो खुद रोशनी से लाभान्वित नहीं होगा। और इसलिए मेरे दिल-दिमाग के अंदर भारत का एक सामान्यम व्य क्ति बैठा हुआ है, वह गरीब व्यदक्ति बैठा हुआ है। वो अंधेरे में डुबे हुए गांव मेरे दिमाग में सवार हैं। और उसके रास्तेय मैं खोज रहा हूं ताकि हमारे पास जो भी आज सामर्थ्य है, शक्ति है उसको optimum utilize करके हम इन आवश्यहकताओं की पूर्ति कैसे करें।

सामान्यि से सामान्य व्य क्ति आज अपने आपको विश्वम के साथ जोड़कर के देखता है। कोई भी खबर सुनता है तो उसको लगता है कि हां यह मेरे पास भी होना चाहिए। उसके सपने अब बहुत ऊंचे हैं। और इसलिए उसे ज्याउदा इंतजार भी नहीं है। अपने देखते ही अपने सामने बदलाव देखना चाहता है, अपने बच्चोंइ के लिए कुछ करके जाना चाहता है और इसलिए हम one point आगे गए, टू प्वाचइंट आगे गए, फाइव प्वाेइंट आगे गए.. आंकड़े तो बहुत अच्छेव लगते हैं। लेकिन हमें quantum jump के बिना कोई चारा नहीं है। और इसलिए हम पहले जिस गति से आगे बढ़ते होंगे,इसे हम गति तेज भी करना चाहते हैं और नई ऊंचाईयों को पार करके आगे बढ़ जाए, उस सीमा की दिशा में आगे बढ़ने की सारी योजनाओं को लेकर के चल रहे हैं। उसमें ऊर्जा एक क्षेत्र है।

दूसरी तरफ ऊर्जा के लिए जो हमारे स्रोत है। कौन से स्रोत से हम ऊर्जा पैदा कर पाएंगे उसका हिसाब लगाए बिना हम लम्बार सफर तय नहीं कर सकते। क्याओ हम ऊर्जा के संबंध में आश्रित रहना चाहते हैं? हमारे पास resources कौन से है? उनresources को optimum utilizationकरने का तरीका कैसे हो? और सफलता तब मिलती है कि जब हम हमारे पास उपलब्धu जो संसाधन है, उसको ध्या?न में रखकर के हमारी योजनाओं को बनाते हैं तो वो योजनाएं हमें लम्बे अर्से तक टिकने की ताकत देते है। और इसलिए ऊर्जा के क्षेत्र में अगर हमें हिंदुस्ताnन के हर गांव गरीब तक जाना है तो हमारी योजना का केंद्र बिंदु हमारे अपने उपलब्धह resources हैं उसी को केंद्रित करने की आवश्य कता है। एक तरफ climate को लेकर के दुनिया बहुत चिंतित है। Resources खत्मत होते जा रहे हैं लोग भयभीत हैं। और दूसरी तरफ प्रकृति के साथ जीवन जीते-जीते भी अपनी आवश्‍कताओं की पूर्ति कैसे की जाए उस पर अब गंभीरता से सोचा जा रहा है।

और उसी के तहत आज Renewal energy जिसमें भारत अपना ध्याशन केंद्रित करना चाहता है और भारत अपनी आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए, हमें दुनिया में अपना झंडा ऊंचा करने के लिए मेहनत नहीं कर रहे। मैं तो मेरे गरीब के घर में दीया जलें, रोशनी आएं उसके सपने साकार होने के लिए नए रास्तेक खुल जाएं इसलिए यह सब मेहनत कर रहे हैं। और इसलिए यह कोशिश है हमारी। और वही हमारा inspiration है। गरीब की झोपड़ी हमारा inspiration है और इसलिए इस मेहनत में रंग आएगा,यह मेरा विश्वाेस है।

आज दुनिया जो climate की चर्चा कर रही है। अलग-अलग तरीके से उसको address करने के प्रयास हो गए हैं। लेकिन मैं एक बात की जब चर्चा करता हूं दुनिया अभी मेरे साथ उस विषय को चलने को तैयार नहीं है, न ही मेरी बात मानने को तैयार है। मैं हमेशा कहता हूं कि हम climate की इतनी सारी चर्चा करते हैं लेकिन हम... Carbon Emission का क्‍या होगा क्याइ नहीं होगा, हम इस पर तो बड़े लंबे-लंबे सेमिनार करते है। लेकिन ये हमारा अपना Lifestyle क्या है और उस पर चर्चा करने के लिए कोई तैयार नहीं है, क्योंूकि सभी लोगों को मालूम है कि लाइफ स्टाऔइल की चर्चा करते ही मुश्किल कहां आने वाली है। और हम और यह आदतें इतनी बदली है कि हमें भी पता नहीं है कि हम जिंदगी को कैसे जी रहे है, पता नहीं है।

आपने देखा होगा एयरपोर्ट पर एक्स लेटर पर हम चढ़ते है जब कुछ लोगों को बाते करते हुए सुनाई देता है कि मैं रेग्युहलर 15 मिनट जिम में वॉक करता हूं। और यहां एक्स लेटर पर जाता हूं। यानी पता नहीं है उसको कि लाइफ स्टा इल कैसे बदल गया हैकि वो खुद तो एक्सेलेटर पर जाता है लेकिन कहता है कि मैं 15 मिनट जिम में रेग्यु लर दौड़ता हूं। वॉक कर जाता हूँ। यानी यहां भी बिजली खराब करता हूँ, और वहां भी। मैं किसी की आलोचना नहीं कर रहा हूं क्योंहकि मैं भी एक्स लेटर पर चढ़ता हूं। कहने का तात्परर्य यह है कि हम लोग की आदत इतनी बदल गई है कि हमें पता नहीं है कि सचमुच में हम हमारी भावी पीढ़ी के भाग्यी का जो है वो हम ही खाते चले जा रहे है। और ऐसे कैसे मां-बाप हो सकते है जो बच्चोंद का खाएं। हम अपनी भावी पीढ़ियों का खा रहे है। कोई मां-बाप ऐसा नहीं होगा जो अपने बच्चों कर्जदार देखना चाहेंगा हर मां-बाप चाहते है बच्चों के लिए कुछ विरासत छोड़कर जाएं। क्याद हम हमारी भावी पीढ़ी के लिए ये बर्बाद विश्व‍ देना चाहते है, बर्बाद पृथ्वीद देना चाहते है? हम उसको खुली हवा में जीने का अधिकार भी नहीं देना चाहते? क्याा हमारी भावी पीढ़ी के अधिकारों की रक्षा करना ये हमारा दायित्वद नहीं है? और इसलिए हमने अपने जीवनशैली में भी बदलाव लाना चाहिए। और इसलिए जब climate के issueको Address करते है तो व्यलक्ति से शुरू कर करके ब्रह्मांड तक की चर्चाएं होनी चाहिए लेकिन हो रहा है ब्रह्मांड से शुरू हो रहा है लेकिन व्यकक्ति तक आने तक कोई तैयार नहींहो रहा है। सारे Discourses बदलने की आवश्यहकता है और यह बदला जा सकता है।

दूसरी बात है कि हम लोग जिस परंपरा में पले बड़े हैं हमारे यहां जो कल्पंना जगत है उस कल्पसना जगत में कहते हैं ऊर्जा में उन्होंेने सूर्य भगवान की कल्पेना की है। और सूर्य भगवान के पास सात घोड़ों का रथ होता है। Mythology वाले या कल्पमना जगत वाले इस बारे में क्याा सोचते होंगे इसका मुझे पता नहीं लेकिन सूर्य ऊर्जा का केन्द्रन तो है ही इससे तो कोई इंकार नहीं कर सकता। आज के युग में मैं देख रहा हूं वो सात घोड़े कौन से होने चाहिए। हमारा जो यह सूर्य का घोड़ा है, ऊर्जा का घोड़ा है, वो कौन से सात घोड़े उसको चलाए? अब तक हमको आदत है एक Thermal की एक घोड़ा, दूसरी है Gas की, तीसरी Hydro की, चौथी है Nuclear करके। इसके आसपास तो थोड़ा हम चल रहे हैं। लेकिन हमें तीन और घोड़े लगाने की जरूरत है – Solar,Wind and Biogas. जो हमारी पहुंच में हैं और इसलिए इन सात घोड़ों से यह हमारा ऊर्जा का रथ आगे कैसे बढ़े, उसको लेकर के हमें चलना चाहते हैं।

मैंने इस दिशा में प्रयास शुरू किया है। दुनिया में 50 से अधिक देश ऐसे हैं कि जिनके पास Solar radiation में ईश्वंर की कृपा रही है उन देशों पर, 50 के करीब देश है। हमारी कोशिश है कि इन 50 देशों का एक संगठन बनें और वे Solar Energy के क्षेत्र में साथ मिलकर के Research करे। Solar Energy को और viable कैसे बनाया जा सकता है। Technology up gradation कैसे किया जा सकता है। ये पचासों देश, जिनके पास यह सामर्थ्यT पड़ा है, वे मिलकर के अपनी ऊर्जा के सारे सवालों का जवाब खुद मिलकर के खोजने की दिशा में प्रयास करें। इस दिशा में हम कुछ काम कर रहे हैं। मुझे विश्वाकस है कि थोड़े से प्रयास में कभी न कभी हमें इसमें सफलता मिलेगी।

मुझे याद है जब मैं गुजरात में था तो शुरू में तो Solar की बात करते ही बड़ी आग-सी लग जाती थी, क्योंहकि 19 रुपया, 20 रुपया से कम कोई बात नहीं करता था। और कोई भी ऐसी हिम्मगत करेगा तो दूसरे दिन ऐसी Headlines बनती है कि बाजार में ढ़ाई रुपये में बिजली मिलती है और मोदी 20 रूपये में ले रहा है। बहुत बड़ा भ्रष्टााचार! पता नहीं क्याे-क्याम होता, लेकिन हमने हिम्मतत रखी उस समय मैंने कहा होगी बदनामी होगी, लेकिन देश को बदलना है तो बदनामी किसी को तो झेलनी पड़ेगी। और हमने झेली, झेली लेकिन वो Game changer बना। जैसे ही हमने बड़े Mass scale पर Initiative लिया तो 20 का 19, 19 का 16, 15, 13 पर कम होते होते साढ़े सात पर आ गए है। और शायद उससे भी कम हो गया होगा इस बार। यानी हम Thermal के साथ बराबरी करने की दिशा में जा रहे हैं। यह अपने आप में Game changer बन गया, लेकिन हम सोचते ही रहते तो नहीं होता। आने वाले दिनों में मैं मानता हूं कि हम Solar Energy के क्षेत्र में जो नए Research हो रहे हैं, अवश्यन हम इसको सामान्य मानव को सुविधाजनक हो, ऐसी स्थिति में हम पहुंच पाएंगे, ऐसा मेरा पूरा विश्वायस है। और हमारे देश का Youth talent यह Research करेगा। नई नई चीजें खोजेगा।

कुछ प्रयोग और भी कर सकते हैं। कुछ Hybrid system को हमने develop करना चाहिए। हम नहीं चाहते कि ज्यागदा जमीन इसमें चली जाए। लेकिन क्याe हम पहले उन location को पसंद कर सकते हैं, जहां Solar और Wind का Hybrid system हम develop करे। जहां wind velocity भी है, Solar रेडिएशन भी है, एक ही इलाके में विंड भी हो Solar भी हो, तो फिर Transmission cost एक दम से कम हो जाता है, infrastructure का खर्चा कम हो जाता है अपने आप कीमत कम होने के कारण हमें फायदा हो सकता है। यह जो मैं idea दे रहा हूं इसकी कोई consultancy fee नहीं है। क्यों न हम इस प्रकार से करें, जैसे अभी पीयूष जी बता रहे थे गुजरात में एक प्रयोग Canal के ऊपर डाला।

हमारे देश में जो तालाब है। अब नरेगा के द्वारा तालाब खोदे भी जाते हैं। क्यां तालाब के अंदर ही Solar panel लगाए जा सकते हैं? नीचे पानी है ऊपर Solar है। पानी भी बच जाएगा, जमीन का खर्चा नहीं होगा और आपका Solar project अपने आप इतने नजदीक में आप develop कर सकते हैं। हम उस प्रकार की innovative चीजें जो हमारे देश को सुसंगत है, हम सोचे, खर्चा कम आएगा और कम खर्चे से हम ज्या दा प्राप्त कर सकते हैं। हम rooftop policy पर जा रहे हैं। जो remotest से remote area हैं जहां पर बिजली पहुंचाने के लिए infrastructure का इतना खर्चा है, कोई हिम्मeत ही नहीं नहीं करता है। क्यों न हम Solar पर काम करे?

हमारे देश की talent ऐसे हैं, मुझे याद है। मैं कई वर्षों पूर्व हिमालय में एक गांव में देखने के लिए गया था उस गांव में ऊपर से पानी का झरना बड़ी ताकत से गिरता था। तो उसने, वहीं पर एक छोटा टर्बाइन अब फौज का कोई रिटायर्ड जवान था, छोटा टर्बाइन लगाकर के वो गेहूं पीसने की चक्कीो चलाता था। अब यह उसका Hydro Project था। यानी हम इस प्रकार की विकेंद्रित व्यकवस्था ओं को कैसे विकसित करें। जितनी बड़ी मात्रा में हम विकेंद्रित अवस्थाि डिसेंटलाइज सिस्टैम को develop करेंगे, वो सामान्यव व्यंक्ति को भी भी फायदा करेगा, खर्च कम होगा और loss minimize हो जाएगा। हम उस दिशा में कैसे आगे बढ़े?

हमारे देश में किसान को कैसे इसका लाभ उठाए? मैं चाहता हूं हमारे जो Engineering field के लोग हैं उस पर काम करें। Solar pump हमारे देश के किसानों को अगर Solar पम्पक से पानी निकालने के लिए व्यrवस्था मिल जाती है, तो आज हमारे किसान की Input cost कम हो जाएगी और Input cost कम हो जाएगी, तो हमारा किसान ताकतवर बनेगा। आज उसकी Input cost में पानी की सबसे बड़ी कीमत देनी पड़ती है और पानी की कीमत का मूल कारण है बिजली। और बिजली मुहैया नहीं कर पाते फिर political पार्टियां क्याी करती हैं, हर चुनाव में घोषणा करती है “बिजली मुफ्त में देंगे”। और मुफ्त में देने की घोषणा कौन करते हैं, जिनके पास बिजली नहीं है। तो बिल देंगे, तो फिर उसका बिल आएगा न। लेकिन किसानों की समस्या,ओं को हमें समझना पड़ेगा और हमारे लिए आवश्यगक है कि हम किसानों को Solar pump के द्वारा पानी निकालने की पूरी व्यएवस्थाे मिले और अपने खेत में पानी... और एक बार उसके पास Solar Pump होगा, तो वो Micro irrigation में तुरंत चला जाएगा, क्योंेकि उसको Pumping System का भी लाभ मिलेगा। और micro irrigation में जाएगा तो न सिर्फ हम ऊर्जा की बचत करेंगे, हम पानी की भी बचत करेंगे। Not only that यह माना गया है कि agriculture sector में micro irrigation के द्वारा crop ज्यायदा मिलता है, quality ज्यामदा अच्छीे मिलती है, किसान को multiple benefit की संभावना होती है। तो हम जिस ऊर्जा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। हम समाज जीवन में कितना बड़ा बदलाव ला सकते हैं और उन बदलाव को लेकर के हम कैसे काम कर सकते हैं। इस पर हम गंभीरता से सोचेंगे।

जैसे मैंने कहा ऊर्जा बचाना यह समय की मांग है। हमें सहज स्वहभाव बनाना पड़ेगा और ऊर्जा हम जितनी बचाएंगे, हम आने वाली पीढि़यों को बचाएंगे। ऊर्जा पीढि़यों के रक्षक के रूप में काम आ सकती है। और उस बात को गंभीरता से लेकर चलना भी आवश्य क है। भारत सरकार अकेली इस दिशा में आगे बढ़ रही है ऐसा नहीं है, आपने देखा करीब-करीब सभी राज्यर यहां पर मौजूद हैं। और यह वो राज्य हैं जिन्होंोने कुछ न कुछ achieve किया है। यानी आज हिंदुस्तामन के सभी राज्योंय में awareness है, initiative है और ज्याeदा लोग राज्यों के साथ मिलकर के इसमें काम भी कर रहे हैं। मैं इसे एक शुभ संकेत मानता हूं। सभी राज्य जैसे मिलकर के आगे बढ़ते हैं तो मेगावाट का गीगावाट होने में देर नहीं लगती जी। यह ताकत वो है सब राज्यि जब मिलकर के काम कर रहे हैं, तो मेगावाट से गीगावाट का सफर अपने आप चल पड़ता है और उस सफर को पाने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं। मैं आपको विश्वा स दिलाता हूं। यह क्षेत्र ऐसे हैं जो मेरे article of faith हैं। मेरा इसमें विश्वामस है, मेरी इसमें श्रद्धा है।

मैं मानता हूं कि मानवजाति के कल्या ण के जो रास्तेo हैं उस रास्तोंम से हटना नहीं चाहिए और मेरा यह विश्वांस है कि दुनिया को यह global warming से बचने के रास्ते दिखाने की अगर किसी के पास सहज शक्ति है, तो हिंदुस्तायन के पास है, क्योंस‍कि हम लोग जन्मनजात रूप से प्रकृति को प्रेम करना हमें सिखाया गया है। हमारे डीएनए में है, लेकिन हम ही उसको अगर भूल जाएंगे, तो दुनिया को रास्ताय कौन दिखाएगा? और फिर दुनिया Emission के हिसाब-किताब से अपने समय बर्बाद करती रहेगी। जीने का रास्ताे क्याय हो वो दिखाने की ताकत भारत के पास के है और जो हजारों साल उसने जीकर के दिखाया है। अकेले महात्मात गांधी को लें, उन्हों ने जिन बातों को जीकर दिखाया है उसी को भी अगर दुनिया समझना शुरू करे, तो मैं समझता हूं global warming से लड़ने का रास्ताद उसको मिल जाएगा, बचने का रास्ताो मिल जाएगा। हम प्रकृति को प्रेम करने वाले लोग हैं, हम ही तो लोग हैं, जो नदी का मां कहते हैं। यह हमारे स्वामभाव में है और इसलिए मानवजाति जिस संकट की ओर आगे बढ़ रही है उसको बचाने का भी मार्ग... लेकिन भारत को खुद ने भी उसको जीने का प्रयास एक बार फिर से शुरू करना पड़ेगा। हम यह कहे कि हमारे ग्रंथों में इतना महान पड़ा हुआ है, तो हमारी गाड़ी चल जाएगी। यह होना नहीं है। जो उत्त म है उसको जीने का हौसला भी चाहिए और जो जीने का हौसला होता है तो औरों को भी उस रास्तेी पर खींच कर ले जाने की ताकत रखते हैं। उस ताकत के भरोसे हम आगे बढ़ना चाहते हैं। मैं फिर एक बार इस प्रयास को बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

मैं चाहूंगा कि अनेक विषयों पर चर्चा होने वाली है, विभिन्न expert लोगों से विचार-विमर्श होगा और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग भी हमें भी मिलकर के research और innovation पर बल देना होगा। सिर्फ हम Quantum jump कितना करते हैं, पहले कितना मेगावाट थी और कितना गीगावाट हो गई उससे बात बननी नहीं है। हमें technological qualitative change लाने की जरूरत है और उसके लिए research की आवश्यoकता है। हम जो कुछ भी कर रहे हैं उस पर बल देना चाहिए।

दूसरा Manufacturing. हम Make in India की बात कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमारे Solar या wind हो, Equipment manufacturing पर बल यहां पर मिले। अगर हम equipment manufacturing नहीं करेंगे और हम Equipment बाहर से लाएंगे और ईश्वमर कृपा से solar का फायदा उठाएंगे और बिजली बेचते रहेंगे तो हमारे यहां job creation ज्या‍दा नहीं होगा। अगर हमें Job create करनी है तो हमें Equipment Manufacturing पर भी बल देना पड़ेगा और उसमें भी innovations समय की मांग है। आज Wind energy में कितना Innovation हो रहा है और अब तो उसमें भी Hybrid system की संभावना दिखती है। मेरी क्षेत्र में रूचि होने के कारण इस प्रकार से काम करने वालों में, हमारे एक मित्र बता रहे थे कि अब wind mill जो होगी वो हवा में से जो humidity है उसको absorb करके वो बिजली भी दे सकती है और एक Wind Mill 10,000 litre शुद्ध पीने का पानी भी दे सकती है, हवा में से लेकर के। अब गांव में एक Wind लग जाए, मैं नहीं जानता वो technology सफल हुई है या नहीं, लेकर प्रयास चल रहे थे। अगर यह सफल होता है तो गांव में एक wind mill होगी। तो छोटा गांव होगा तो पीने के पानी की समस्याह भी अपने आप solve हो जाएगी। समुद्री तट के पीने के पानी तो तुरंत solution हो सकता है। यानी संभावनाएं जितनी पड़ी हैं हम innovation की तरफ जाए और इस समस्याu के समाधान के लिए काम करें। मुझे विश्वा स है हम एक ऐसे भारत को बना सकते हैं जो भारत में कभी आने वाली पीढि़यों का चिंता का विषय न रहे।

और हम जो भी कर रहे हैं, गरीब के घर में दीया जलाने की हमारी कोशिश है। हम जो भी कर रहे हैं भावी पीढि़यों की जिंदगी बचाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। उस कोशिश में आप हमारे साथ चल पड़े हैं। मैं आपका स्वा गत करता हूं और विश्वाोस दिलाता हूं कि हम सब मिलकर के इन सपनों को यथाशीघ्र पूर्ण करेंगे।

बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यावाद।

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Shivaji Maharaj always gave paramount importance to upholding the unity and integrity of India: PM Modi
June 02, 2023
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“National welfare and public welfare have been the basic elements of Shivaji Maharaj’s governance”
“Shivaji Maharaj always gave paramount importance to upholding the unity and integrity of India”
“Reflection of the thoughts of Chhatrapati Shivaji Maharaj can be seen in the vision of Ek Bharat, Shrestha Bharat”
“Shivaji Maharaj inspired people for nation-building by ending the mentality of slavery”
“Chhatrapati Shivaji Maharaj is completely different from other heroes of history because of his vision”
“The flag of the Indian Navy with the identity of British rule has been replaced by the emblem of Shivaji Maharaj”
“The bravery, ideology and justice of Chhatrapati Shivaji Maharaj have inspired many generations”
“This journey will be to build the India of Chhatrapati Shivaji Maharaj's dreams will be the journey of Swaraj, good governance and self-reliance. This will be the journey of a developed India”

पुन्हा एकदा,

आपल्या सर्वांना तीन सौ पचास व्या, शिवराज्याभिषेक, सोहोळ्यानिमित्त खूप खूप शुभेच्छा !

छत्रपती शिवाजी महाराजांची, पवित्र भूमी असलेल्या, महाराष्ट्राला आणि महाराष्ट्रातील माझ्या,

बंधू- भगिनींना, माझे कोटी कोटी वंदन!

आजादी के अमृत महोत्सव में छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक दिवस, हम सभी के लिए नई चेतना, नई ऊर्जा लेकर आया है। मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं। छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक साढ़े तीन सौ साल पहले के उस कालखंड का एक अद्भुत और विशिष्ट अध्याय है।

इतिहास के उस अध्याय से निकलीं स्वराज, सुशासन और समृद्धि की महान गाथाएं हमें आज भी प्रेरित करती हैं। राष्ट्र कल्याण और लोक कल्याण उनकी शासन व्यवस्था के मूल तत्व रहे हैं। मैं छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं। आज स्वराज्य की पहली राजधानी रायगढ़ किले के प्रांगण में शानदार आयोजन किया गया है। पूरे महाराष्ट्र में आज का दिन महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। पूरे साल भर इस तरह के आयोजन महाराष्ट्र में होंगे। इसके लिए मैं महाराष्ट्र सरकार को भी शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

आज से साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व, जब छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था, तो उसमें स्वराज्य की ललकार और राष्ट्रीयता की जय-जयकार समाहित थी। उन्होंने हमेशा भारत की एकता और अखंडता को सर्वोपरि रखा था। आज एक भारत, श्रेष्ठ भारत के विजन में छत्रपति शिवाजी महाराज के विचारों का ही प्रतिबिंब देखा जा सकता है।

साथियों,

इतिहास के नायकों से लेकर आज के दौर में नेतृत्व पर रिसर्च करने वाले मैनेजमेंट गुरुओं तक, हर युग में किसी भी लीडर का सबसे बड़ा दायित्व होता है कि वो अपने देशवासियों को motivated और confident रखे। आप छत्रपति शिवाजी महाराज के समय देश की परिस्थितियों की कल्पना कर सकते हैं। सैकड़ों वर्षों की गुलामी और आक्रमणों ने देशवासियों से उनका आत्मविश्वास छीन लिया था। आक्रमणकारियों के शोषण और गरीबी ने समाज को कमजोर बना दिया था।

हमारे सांस्कृतिक केंद्रों पर हमला करके लोगों का मनोबल तोड़ने की कोशिश की गई। ऐसे समय में, लोगों में आत्म विश्वास जगाना एक कठिन कार्य था। लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने ना सिर्फ क्रमणकारियों का मुकाबला किया बल्कि जनमानस में ये विश्वास भी पैदा किया कि स्वयं का राज संभव है। उन्होंने गुलामी की मानसिकता को खत्म कर लोगों को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित किया।

साथियों,

हमने ये भी देखा है कि इतिहास में कई ऐसे शासक हुए जो अपनी सैन्य ताकत के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उनकी प्रशासनिक क्षमता कमजोर थी। इसी तरह, ऐसे भी कई शासक हुए जो अपनी बेहतरीन शासन व्यवस्था के लिए जाने गए, लेकिन उनका सैन्य नेतृत्व कमजोर था। लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व अद्भुत था। उन्होंने स्वराज की भी स्थापना की और सुराज को भी साकार किया। वो अपने शौर्य के लिए भी जाने जाते हैं और सुशासन के लिए भी। बहुत छोटी उम्र में उन्होंने किलों को जीतकर और शत्रुओं को हराकर अपने सैन्य नेतृत्व का परिचय दे दिया। दूसरी तरफ, एक राजा के तौर पर, लोक-प्रशासन में सुधारों को लागू करके उन्होंने सुशासन का तरीका भी बताया।

एक तरफ, उन्होंने आक्रमणकारियों से अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा की, तो दूसरी तरफ, उन्होंने राष्ट्र निर्माण का व्यापक विजन भी सामने रखा। अपने विजन की वजह से ही वो इतिहास के दूसरे नायकों से एकदम अलग हैं। उन्होंने शासन का लोक कल्याणकारी चरित्र लोगों के सामने रखा और उन्हें आत्मसम्मान के साथ जीने का भरोसा दिया। इसके साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज, धर्म, संस्कृति और धरोहरों को ठेस पहुंचाने की कोशिश करने वालों को भी संकेत दिया। इससे जन-जन में दृढ़ विश्वास पैदा हुआ, आत्मनिर्भरता की भावना का संचार हुआ और राष्ट्र का सम्मान बढ़ा। किसान कल्याण हो, महिला सशक्तिकरण हो, शासन-प्रशासन तक सामान्य मानवी की पहुंच आसान बनाना हो, उनके कार्य, उनकी शासन प्रणाली और उनकी नीतियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व के इतने पहलू हैं कि किसी ना किसी रूप में उनका जीवन हमें अवश्य प्रभावित करता है। उन्होंने भारत के सामुद्रिक सामर्थ्य को पहचानकर जिस तरह नौसेना का विस्तार किया, अपना प्रबंध कौशल दिखाया, वो आज भी सबको प्रेरणा देता है। उनके बनाए जलदुर्ग समंदर के बीच में, तेज लहरों और ज्वार-भाटा के थपेड़े सहने के बावजूद आज भी शान से खड़े हैं। उन्होंने समुद्र के किनारों से लेकर पहाड़ों तक किले बनवाए और अपने राज्य का विस्तार किया। उस काल में उन्होंने जल प्रबंधन-वाटर मैनेजमेंट से जुड़ी जो व्यवस्थाएं खड़ी की थीं, वो विशेषज्ञों को हैरत में डाल देती हैं। ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर पिछले वर्ष भारत ने गुलामी के एक निशान से नौसेना को मुक्ति दे दी। भारतीय नौसेना के ध्वज पर अंग्रेजी शासन की पहचान को हटाकर शिवाजी महाराज से प्रेरित उनकी राजमुद्रा को जगह दी गई है। अब यही ध्वज नए भारत की आन-बान-शान बनकर समंदर और आसमान में लहरा रहा है।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता, विचारधारा और न्यायप्रियता ने कई-कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है। उनकी साहसिक कार्यशैली, सामरिक कौशल और शांतिपूर्ण राजनीतिक प्रणाली आज भी हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं। हमें इस बात का गर्व है कि दुनिया के कई देशों में आज भी छत्रपति शिवाजी महाराज की नीतियों की चर्चा होती है और उस पर रिसर्च होती है। एक महीने पहले ही मॉरीशस में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित की गई। आजादी के अमृतकाल में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 साल पूरे होना एक प्रेरणायादी अवसर है। इतने वर्ष बाद भी उनके द्वारा स्थापित किए गए मूल्य हमें आगे बढ़ने का मार्ग दिखा रहे हैं। इन्हीं मूल्यों के आधार पर हमें अमृतकाल की 25 वर्षों की यात्रा पूरी करनी है। ये यात्रा होगी छत्रपति शिवाजी महाराज के सपनों का भारत बनाने की, ये यात्रा होगी स्वराज,

सुशासन और आत्मनिर्भरता की, ये यात्रा होगी विकसित भारत की।

पुन्हा एकदा, आपल्या सर्वांना तीन सौ पचास व्या, शिवराज्याभिषेक, सोहोळ्यानिमित्त खूप खूप शुभेच्छा!

जय हिंद, भारत माता की जय!