Press is responsible for upholding free speech: PM Modi

Published By : Admin | November 16, 2016 | 23:21 IST
Press Council was ceased to exit during Emergency. Things normalised after Morarji Desai became PM: Shri Modi
Press is responsible for upholding free speech: PM Modi
Media has played pivotal role in furthering message of cleanliness across the country: PM Modi

आज जिन महानुभावों का सम्‍मान हुआ है, सत्‍कार हुआ है, उन सबको मैं ह्दय से बधाई देता हूं और बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। Press Council, 50 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं, लेकिन ये भी सही है इसमें बीच में एक कालखंड ऐसा भी आया था जबकि Press Council को खत्‍म कर दिया गया था। इसलिए हो सकता है इस कालखंड को जोड़ करके करें तो आपको फिर दो साल बाद एक बार फिर 50 साल मनाने के बारे में। वैसे 1916 में शायद, स्‍वीडन में इसकी दिशा में काम हुआ, लेकिन तब जब उसका नाम था वो था Court of honor for the press और बाद में इसका नाम बदलते-बदलते Press Council की ओर चला और शायद दुनिया में आजकल वो Press Council इस नाम से ही एक परिचित है। एक स्‍वतंत्र व्‍यवस्‍था है, और ये व्‍यवस्‍था ज्‍यादातर तो इस क्षेत्र की स्‍वतंत्रता बनाए रखना, अभिव्‍यक्ति की आजादी को बरकरार रखना, और कभी कोई तकलीफ आएं तो खुद बढ़ करके उसको सुलझाना, खुद ही इसमें बदलाव लाते रहना। उसी प्रकार से पुराने युग में इतनी चुनौतियां नहीं थीं जितनी शायद इस युग में हैं।

बहुत ही वरिष्‍ठ जो पत्रकारिता से जुड़े हुए लोग हैं, उनके पास सोचने का समय रहता था, जब वो अपना Report File करके शाम को घर लौटते थे, तब भी दिमाग में रहता था कि मैंने आज Report File की है, कल छप के आएगी, शायद ये शब्‍द ठीक नहीं रहेगा, तो फिर घर जाके वो कोशिश करते थे desk के जो chief होंगे उसको contact करना है या editor को contact करना है, अब भई मैं लिख करके आया था लेकिन शायद ये शब्‍द ठीक नहीं रहेगा, लगता है ये शब्‍द अच्‍छा रहेगा। उस समय उसका telephone communication जो नहीं था, कभी वो वापिस चले जाते थे रात को भी और पेज निकलने के समय भी जा करके, अरे भई कुछ देखो ये न हो तो। उसके पास एक लिखने के बाद भी सुबह छपने तक उसके मन पर एक दबाव रहता था, चिन्‍ता रहती थी, कि मैं जो Report करके आया हूं या जो मैं लिख करके आया हूं, कल निकलेगा तो उसके क्‍या-क्‍या प्रभाव होंगे, मेरा शब्‍द ठीक था कि नहीं था? मेरा ये headline मैं बनाने की कोशिश था, उचित है? और उसको सुधार के लिए कोशिश भी करता था।

आज जो लोग हैं उनके पास ये अवसर ही नहीं है। इतनी तेज गति से उसको दौड़ना पड़ रहा है। खबरों की भी स्‍पर्धा है, उद्योग गृहों की भी स्‍पर्धा है, ऐसे में उसके सामने बड़ा संकट रहता है, कि भई फिर जो बोलने वालों के लिए जो बोल दिया, बोल दिया; दिखाने वालों के‍ लिए जो दिखा दिया, दिखा दिया, और छपने वाला छपते, लेकिन वो पहले, अब उनको भी Online media चलाना पड़ रहा है। यानी इतना तेजी से बदलाव आया है।

इस बदलाव की स्थिति में इस प्रकार के Institutions, कैसे इन सबको मदद रूप हो, उनकी कठिनाइयों को कैसे दूर करें? Senior लोग बैठ करके नई पीढ़ी के लोगों को किस प्रकार से उपयोगी होना को एक मैकेनिज्‍म तैयार हो, क्‍योंकि ये ऐसा क्षेत्र है, उस क्षेत्र को, महात्‍मा गांधी कहते थे कि अनियंत्रित लेखनी ये बहुत बड़ा संकट पैदा कर सकती है, लेकिन महात्‍मा गांधी ये भी कहते थे; कि एक बाहर का नियंत्रण तो तबाही पैदा कर देगा। और इसलिए बाहर के नियंत्रण की कल्‍पना उस समाज को आगे ले जाने वाली कल्‍पना हो ही नहीं सकती।

स्‍वतंत्रता, उसकी अभिव्‍यक्ति, उसकी आजादी, उस principle को पकड़ना, लेकिन साथ-साथ अनियंत्रित अवस्‍था, हम कितने ही तंदुरुस्‍त क्‍यों न हो; फिर भी मां कहती है कि अरे भाई थोड़ा कम खाओ, या ये मत खाओ। कोई मां दुश्‍मन नहीं है, लेकिन वो मां घर में है इसलिए कह रही है। बाहर वाला कहेगा तो? के भई तुम कौन होते हो मेरे बेटे की चिन्‍ता करने वाले, मैं हूं। और इसलिए ये व्‍यवस्‍था ऐसी है कि जो परिवार में ही संभलनी चाहिए, सरकारों ने तो जरा भी उसमें टांग नहीं अड़ानी चाहिए। आप ही लोगों ने बैठ करके इसी council जैसी व्‍यवस्‍था के माध्‍यम से, senior लोगों के अनुभव के माध्‍यम से, और समाज का सर्वग्राही हित देख करके हम इन अवस्‍थाओं को विकसित कैसे करें? ये बहुत कठिन है क्‍योंकि अपनों के बीच में किसी की आलोचना कैसे करें? कोई बाहर वाला कर ले तो हम report करने के लिए तैयार हैं लेकिन हम बैठ के क्‍या करें? और इसलिए ये कठिन काम होता है।

आत्‍मावलोकन बहुत कठिन काम होता है। मुझे बराबर याद है, मैं जब दिल्‍ली में रहता था, मेरी पार्टी का, संगठन का काम करता था, उन दिनों में कंधार की घटना हुई थी। अब कंधार की घटना हुई, विमान highjack हुआ, और हमारे देश में electronic media उस समय शुरुआती दौर में था तो एकदम उनका भी कोई दोष नहीं था कि कोई कैसे हो गया, लेकिन वो शुरूआती दौर एक प्रकार से था। लेकिन उसमें जो परिवार के लोग जहाज में फंसे थे, उनकी खबरें; वो परिवार लोग जुलूस निकाल रहे थे, सरकार के खिलाफ नारे लगाते थे, और बस उनको छुड़वा दो, और जैसे ही यहां गुस्‍सा बढ़ता था, वहां आतंकवादियों का हौसला बुलंद होता था कि अच्‍छा-अच्‍छा हिन्‍दुस्‍तान का हाल ऐसा है कि अब तो जो चाहे वो करवा सकते हैं। लेकिन ये घटना चलती रही, लेकिन मेरी जानकारी है कि बाद में media के सभी leader लोग बैठे थे, सभी प्रमुख लोग बैठे थे। In house बैठे थे और press council शायद उसमें नहीं थी। अपने-आप बैठे थे और बैठ करके स्‍वयं ने अपने बाल नोच लिए थे। मैं मानता हूं ये छोटी घटना नहीं है। बहुत लोगों को ये तो याद है, कि ऐसा-ऐसा reporting हुआ था, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि खुद media के लोगों ने मिल करके अपने खुद के बाल नोचे थे। और हमने क्‍या गलती की, क्‍यों की, कैसे नुकसान हुआ, हम कैसे बह गए? और सबने मिल करके, कुछ norms पालन करना चाहिए, इसकी काफी चर्चा की थी। अरुण जी यहां बैठे हैं, शायद उनको पता होगा कि शायद उन सब उनके बीच शुरुआत होगयी थी। और उन्‍होंने कुछ norms तय किए थे। मैं समझता हूं ये बहुत बड़ी सेवा का वो अवसर था।

दूसरा अवसर आया था, 26/11 का। उसके बाद, उसके बाद जब मुम्‍बई की घटना घटी, उसमें बैठे, उसका reference भी आया, अफगानिस्‍तान वाली घटना का। लेकिन इतने अलग-अलग views हो गए कि वो न आत्‍मनिरीक्षण कर पाए, इसलिए नहीं कि वो करना नहीं चाहते थे; बैठे हुए थे तो करने के लिए, खुद ही बैठे थे; लेकिन बात अधूरी छूट गई। लेकिन जब तक इस प्रकार की संवेदन मानसिकता की leadership, press world में है, media world में है, मैं मानता हूं गलती हमसे भी होती है; गलती आपसे भी होती है; गलती औरों से भी होती है। गलतियों के आधार पर media का मूल्‍यांकन करना उचित नहीं होगा। लेकिन एक खुशी की बात है, उसमें एक बहुत ही mature जिम्‍मेवार वर्ग है, जो चाहता है कि इसको हमीं बैठ करके बुराइयों से कैसे बचाएं, कमियों से कैसे बचाएं, और अधिक ताकतवार कैसे बनाएं। ये अपने-आप में इस जगत के लिए एक उम्‍दा प्रयास है, ऐसा मैं मानता हूं; और ये निरंतर चलते रहना चाहिए, लेकिन बाहर के नियंत्रणों से, बाहर के नियमों से स्थिति नहीं बदलेगी।

जब देश में Emergency आई Press Council को ही खत्‍म कर दिया गया था यानी मूलभूत बात को ही खत्‍म कर दिया गया था और करीब‍ डेढ़ साल तक ये बंद रहा। बाद में (78) seventy-eight में जब मोरारजी भाई की सरकार आई तो इस व्‍यवस्‍था का पुनर्जन्‍म हुआ और उस समय media के प्रति बड़ी उदारता का माहौल था जब (78) seventy-eight में फिर से काम हुआ तब। इसका रूप उसमें से निर्माण हुआ लेकिन अब तक वो वैसा ही चल रहा है।

ये Press Council के साथ जुड़े हुए लोगों का, Press से जुड़े हुए लोगों का भी ये दायित्‍व बनता है कि हम समयानुकूल परिवर्तन लाने के लिए क्‍या-क्‍या कर सकते हैं? नई पीढ़ी को तैयार करने के लिए क्‍या कर सकते हैं? सरकार को भी, एक तो होता है कि daily हमारा जो क्षेत्र है वहां के द्वारा हमको सरकार को जो कहना है कहते रहें, लेकिन उसके अलावा भी एक व्‍यवस्‍था हो सकती है, क्‍या? कि जिसमें सरकार की जानकारियों का अभाव, इसके कारण समस्‍याएं कैसे पैदा होती हैं? सरकार को जानकारियां देने के तरीके अगर 30 साल पुराने होंगे तो कैसे काम चलेगा? लेकिन सरकार में ये बदलाव लाने के लिए भी, सरकार की कार्यशैली में बदलाव लाने के लिए भी, Press Council के senior लोग मदद कर सकते हैं। जानकारियां देने के तरीके कैसे बदलें हम लोग? और ये सब सरकारों की जिम्‍मेदारी है।

ये ठीक है पत्रकारिता का एक अनिवार्य हिस्सा ये भी है कि जो दिखता है, जो सुनाई देता है, उसके सिवाय भी कुछ खोजना; इसका महत्‍वपूर्ण अंग है, इसको इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन कम से कम जो सुनाई देके दिखाई दे, वो भी कुछ ढंग से दिखाई दे, सुनाई दे और समय पर सुनाई दे, समय पर दिखाई दे, ये जिम्‍मेदारी प्रमुखतया सरकार में बैठे हुए लोगों की है। लेकिन ये मैं देख रहा हूं कि इस communication gape को, क्‍योंकि हर बार, मेरी पत्रकार जगत के मित्रों से दोस्‍ती बहुत पुरानी रही है, उन सब, उनका ये हमेशा, अरे भाई कुछ पता ही नहीं चल रहा क्‍या हो रहा है। ये ठीक है कि उसको 10% ही जानकारी चाहिए, 90 तो फिर वो अपना कहीं से पहुंच जाएगा, ले आएगा। उसको सिर्फ पता चलना कि अच्‍छा ये हो रहा है वो बाद में पहुंच जाएगा। उसकी शिकायत उस पहले वाले 10% की है। लेकिन दुर्भाग्‍य ये भी है फिर सरकारों में भी Selective leakage का शौक हो जाता है। जो अच्‍छे प्रिय लगते हैं जहां सरकार की वाहवाही की, उसको जरा खबर दे दो, ये ऐसी सरकार की भी बुराइयां, कमियां। या कहीं-कहीं non-serious attitude, ये भी बदलाव की जरूरत मांगता है।

Press Council में ऐसी भी अगर कुछ चर्चाएं होती हैं, और सरकार के सामने रखा जाए, सरकार कर पाए, नहीं कर पाए, वो मैं नहीं कह सकता हूं, लेकिन कम से कम ये भी तो होना चाहिए भई आप हम media वालों को तो, सुबह उठते ही आप लोगों की शिकायत रहती है, लेकिन हमारी शिकायत भी तो सरकार सुने। ये two-way channel, ये two-way channel अगर हमारी जीवंत होती है तो बदलाव की जो अपेक्षाएं हैं, दोनों तरफ अपेक्षाएं हैं; और उसका लाभ जनता को मिलना चाहिए, उसका लाभ किसी party in power को या किसी person in power को नहीं मिलना चाहिए। जो भी benefit है वो जनता को जाना चाहिए, जो भी benefit है वो भविष्‍य को जाना चाहिए, उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए, नींव डालने के लिए होना चाहिए। ये अगर हम कर पाते हैं तो ऐसे institutions, ऐसे अवसर बहुत काम आते हैं और उस अवसरों का हमें उपयोग करना चाहिए।

इन दिनों खास करके Press के media के क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों, और पिछले दिनों जो हत्‍या की खबरें आईं, ये दर्दनाक है। किसी भी व्‍यक्ति की हत्‍या दर्दनाक है, लेकिन media वाले की हत्‍या इसलिए हो कि वो सत्‍य उजागर करने की कोशिश करता था, तब वो जरा अति-गंभीर बन जाती है, अधिक चिंताजनक बन जाती है। जब हम मुख्‍यमंत्रियों की एक meeting मिली थी तब मैंने आग्रह से इस विषय को रखा था कि हमने सिर्फ हम आजादी के पक्षकार हैं, हम स्‍वतंत्रता के पक्षकार हैं, ये हमारे सिद्धान्‍तों को हम कहते रहें ये ही काफी नहीं है।

हम सरकारों का दायित्‍व बनता है कि ऐसे लोगों के साथ जो भी गलत आचरण होता है, उनको न्‍याय मिलना चाहिए, उनकी सुरक्षा की चिन्‍ता होनी चाहिए, और ये सरकारों की priority की list में होनी चाहिए; वरना सत्‍य को दबाने का ये दूसरा अति भयंकर तरीका है। एकाध बार कोई गुस्‍से में आ करके किसी media की आलोचना कर दे तो वो वाणी स्‍वतंत्रता है, negative हिस्‍सा है, मान करके सब लोग माफ कर देंगे लेकिन हाथ उठा ले कोई; शरीर पर वार कर दे; ये तो सबसे बड़ा क्रूर जुल्‍म है स्‍वतंत्रता के ऊपर। अब इसलिए सरकारों को भी इस विषय में उतना ही संवेदनशील होना, उसकी priorities को लेना जो बहुत आवश्‍यक है। ये खुशी की बात है कि आज हमारे अड़ोस-पड़ोस के देशों के महानुभाव भी हमारे बीच में हैं। क्‍योंकि एक प्रकार से हम आज बृहत जगत, उसका प्रभाव की कुछ सीमाएं नहीं रही हैं, ये बहुत तेजी से travel कर रही हैं। Coordinated effort जितना होता है उतना लाभ होता है।


नेपाल के भूकम्‍प की खबरों ने पूरे हिन्‍दुस्‍तान को नेपाल के लिए दौड़ने के लिए प्रेरित किया था। लेकिन किसी और के देश की खबर है, चलो है खबर, ऐसा ही रहा होता। तो शायद हिन्‍दुस्‍तान में जितनी तेजी से नेपाल को मदद पहुंचने का हुआ, वो शायद समाज पूरा नहीं हिलता, क्‍योंकि पता नहीं चलता, लेकिन जैसे ही नेपाल की खबरें आईं और हिन्‍दुस्‍तान के media ने नेपाल के लोगों की तकलीफ की बात हिन्‍दुस्‍तान के लोगों को पहुंचाई और सारे देश में, नेपाल के लिए कुछ करना चाहिए, इसका माहौल बना, मानवता का एक बहुत बड़ा काम हुआ। तो ये आज हमारी सीमाएं रही नहीं हैं, इस प्रकार से हम एक-दूसरे को पूरक बनें, एक-दूसरे की मदद करें, इससे भी एक पूरे इस भू-भाग में एक सहयोग का माहौल, इस प्रकार से मिलन से कुछ verify करना है तो बड़ी आसानी से verify हो जाता है।

कभी-कभार, हरेक कोई प्रतिनिधि हर देश में तो होते नहीं हैं, लेकिन contact होते हैं तो बात करते हैं, पूछते हैं भई जरा सुना है जरा बताइए ना, तो कहेगा अभी मैं एकाध घंटे में बता देता हूं, देखता हूं मैं, मेरा कोई दो-तीन source हैं मैं कोशिश करता हूं। लेकिन आवश्‍यक है कि इस प्रकार का हमारा co-ordination जितना बढ़े और खास करके हमारे पड़ोस के देशों के साथ जहां हमारा मित्रता का व्‍यवहार बहुत अधिक है, सुख-दुख के हमारे साथी हैं, उन सबके लिए हम जितना जोड़ करके चलेंगे तो हो सकता है कि इस पूरे भू-भाग के लिए और विश्‍व में भी एक सकारात्‍मक छवि बनाने में ये हमें काम आ सकता है।

एक तंदुरूस्‍त स्‍पर्धा समाज-जीवन में बहुत आवश्‍यक हो गई है और healthy competition को catalystic agent के रूप में media बहुत बड़ी सेवा कर सकती है। इन दिनों आपने देखा होगा, India Today ने तो बहुत पहले शुरू किया था; राज्‍यों के बीच वो rating करते थे, कि कौन राज्‍य किसमें क्‍या perform कर रहा है। वो धीरे-धीरे राज्‍यों के लिए वो एक benchmark बनने लगा कि भई चलिए हम भी कुछ इन चार चीजों में पीछे हैं; हम आगे आगे बढ़ें; हम करें।

एक सकारात्‍मक contribution रहा। इसने एक healthy competition का वातावरण बनाया। इन दिनों media के द्वारा जो कि उनके क्षेत्र का विषय नहीं है, सफाई को ले करके award देना; सफाई को ले करके लोगों को सम्‍मानित करना; सफाई को ले करके jury बना करके इलाके में जाना; ये media के द्वारा हो रहा है; ये सरकार के द्वारा नहीं हो रहा है। मैं समझता हूं ये जो माहौल शुरू हुआ है, ये भारत को नई ताकत दे सकता है। जिसमें एक Competitive nature create हो रहा है। Healthy Competition का nature create हो रहा है जो, अच्‍छा उस राज्‍य ने ये किया, हम ये करेंगे; उस शहर ने ये किया, हम ये करेंगे; ये एक साकारात्‍मक माहौल बन रहा है।

स्‍वच्‍छता के अभियान में तो जरूर इसने बहुत बड़ा contribution किया है, लेकिन हमारे समाज-जीवन में अच्‍छाइयों की कोई कमी नहीं है। और मैं पहले भी कहा हूं और ये आलोचना के रूप में नहीं कहा है; जीवन की सच्‍चाई के रूप में कहा है कि जो TV के पर्दे पर दिखता है वो ही देश ऐसा नहीं है, इसके सिवाय भी देश बहुत बड़ा है, जो अखबार के पन्‍नों में चमकते हैं वो ही नेता हैं ऐसा नहीं है, जो कभी नाम अखबार में नहीं छपा वो भी समाज-जीवन में बहुत उत्‍तम नेतृत्‍व करने वाले लोग होते हैं। और इसलिए इन शक्तियों को बाहर लाना और भारत जैसे देश में ऐसा एक Competitive साकारात्‍मक वातावरण, उसको अगर हम बल देंगे तो समाज को भी लगता है यार हम अच्‍छा करेंगे, हम भी अच्‍छा करेंगे।

मुझे विश्‍वास है कि आज का ये दिवस हम सबके लिए आत्‍मचिंतन के साथ और अधिक सशक्‍त बनने के लिए काम आए, मानवीय मूल्‍यों की रक्षा करने के लिए काम आए, भारत की भावी पीढ़ी के लिए हम ऐसी नींव को मजबूत करते चले जाएं जो भावी पीढ़ी को मानवीय मूल्‍यों की सुरक्षा के लिए सहज अनुभूति करा सके। इसके लिए आज के अवसर पर फिर एक बार इस क्षेत्र को समर्पित सभी महानुभावों को बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। धन्‍यवाद।

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मां जानकी प्रकट स्थली से...माँ जानकी, बाबा हलेश्वरनाथ, पंथपाकर, भगवती स्थान सहित, सम्पूर्ण मिथिलावासी के प्रणाम करैत छी।

साथियों,

पहले चरण के मतदान में बिहार ने कमाल कर दिया है। पहले चरण में जंगलराज वालों को 65 वोल्ट का झटका लगा है। चारों तरफ ये चर्चा है कि...बिहार के नौजवानों ने...विकास को चुना है, NDA को चुना है। बिहार की बहनों-बेटियों ने भी... NDA की रिकॉर्ड विजय पक्की कर दी है।

यहां सीतामढ़ी का जो माहौल है... आपका जो प्यार है और इतना जो उमंग उत्साह है, दुनिया की किसी भी ताकत से बड़ी ताकत होती है जनता जनार्दन का आशीर्वाद। इससे बड़ी कोई ताकत नहीं होती है। और हम आज सीतामढ़ी में जो माहौल देख रहे दिल को छूने वाला है दिल को छूने वाला है और यह माहौल भी यही कह रहा है ये माहौल भी इस बात का सदेश दे रहा है, ये माहौल भी इस संकल्प का परिचय करा रहा है। नहीं चाहिए कट्टा सरकार...फिर एक बार.. फिर एक बार.. फिर एक बार... नहीं चाहिए... नहीं चाहिए... नहीं चाहिए... फिर एक बार.. फिर एक बार... फिर एक बार... NDA सरकार!

साथियों,

आप ने तो कई लोगों की नींद हराम कर दी... आप लोगों ने इन तीन मिनट में अच्छों-अच्छों की नींद उड़ा दी है जी। यही तो जनता जनार्दन की ताकत होती है।

साथियों,

मां सीता की इस पुण्य भूमि पर आया हूं। ये भी बड़ा सौभाग्य है और मुझे 5-6 साल पहले का आज का ही दिन याद आता है। आपको भी याद आ जाएगा। वो तारीख थी 8 नवंबर 2019। याद कीजिए 8 नवंबर 2019। माता सीता की इस धरती पर आया था, और यहां से अगले दिन मुझे सुबह-सुबह पंजाब में करतारपुर साहब कॉरिडोर के लोकार्पण के लिए निकलना था। और अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या पर फैसला भी आना था। मैं मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि सीता मैया के आशीर्वाद से फैसला, रामलला के पक्ष में ही आए। मैं लगातार प्रार्थना कर रहा था और साथियों, जब सीता माता की धरती से निकलते हुए प्रार्थना करूं वो प्रार्थना कभी भी विफल जाती है क्या। इस धरती की ताकत है कि नहीं है। और यही तो मां का आशीर्वाद है और साथियों ऐसा ही हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने, रामलला के पक्ष में ही फैसला दिया। आज मां सीता की इस पुण्य भूमि पर आया हूं...आपका आशीर्वाद ले रहा हूं...और इतने सारे उत्साह से भरे लोगों के बीच वो दिन याद आना बहुत स्वभाविक है।

साथियों,

मां सीता के आशीर्वाद से ही बिहार...विकसित बिहार बनेगा। ये जो चुनाव है...ये विकसित बिहार बनाने के लिए है। ये चुनाव तय करेगा आने वाले सालों में बिहार के बच्चों का भविष्य क्या होगा। आपके संतानों का भविष्य क्या होगा। आपके बेटे-बेटियों के आने वाले कल कैसा होगा। और इसलिए ये चुनाव बहुत अहम है।

साथियों,

आरजेडी वाले, बिहार के बच्चों के लिए क्या करना चाहते हैं... ये इनके नेताओं के चुनाव प्रचार में साफ-साफ दिखता है। आप जरा जंगलराज वालों के गाने और उनके नारे जरा सुन लीजिए। आप कांप जाएंगे, क्या बोलते हैं। क्या सोचते हैं। RJD के मंचों पर मासूम बच्चों से कहलवाया जा रहा है। क्या कहलवाया जा रहा है वो बच्चे कह रहे हैं उन्हें रंगदार बनना है। रंगदार बनना है। आप मुझे बताइए...बिहार का बच्चा रंगदार बनना चाहिए या डॉक्टर बनना चाहिए? रंगदार बनना चाहिए या डॉक्टर बनना चाहिए? क्या हम हमारे बच्चों को रंगदार बनने देंगे? क्या रंगदार बनाने वालों को जीतने देंगे। बिहार का बच्चा रंगदार नहीं बन सकता अब हमारा बच्चा इंजीनियर बनेगा, डॉक्टर बनेगा...एडवोकेट बनेगा, अदालत में जज बनेगा.. मैं बिहार में आपको, यहां फैशन है ना कट्टा लेकर के आ जाते हैं और फिर बोलते हैं हैंड्स अप.. यही है ना, मैं आपको बिहार में हैंड्स-अप कहने वाले के लिए अब बिहार में जगह नही है अब तो बिहार में स्टार्ट-अप के सपने देखने वाले चाहिए.. हैंड्स-अप वाले नहीं चाहिए हमे..

साथियों,

हम बच्चों के हाथ में किताबें, कंप्यूटर-लैपटॉप दे रहे हैं...हमारे बच्चे खेल में आगे बढ़ें...इसलिए हम उन्हें बैट दे रहे हैं, हॉकी स्टिक दे रहे हैं...फुटबॉल दे रहे हैं वॉलीबॉल दे रहे हैं लेकिन RJD के लोग...बिहार के युवाओं को कट्टा और दु-नाली देने की बात कर रहे हैं। ये लोग.खुद के बच्चों को मंत्री बनाना चाहते हैं.. बेटा हो या बेटी कोई सांसद बने कोई एमएलए बने, कोई मंत्री बने कोई मुख्यमंत्री बने। अपनी संतानों के लिए तो वे ये सपने देखते हैं.और आप सभी के बच्चों को रंगदार बनाना चाहते हैं। रंगदार बनाना चाहते हैं। मुझे पूरी ताकत से बताइये भाइयों, ये रंगदार बनाने वाला पाप आपको मंजूर है क्या? ये बिहार को मंजूर है क्या? क्या इन बच्चों को मंजूर होगा क्या?

साथियों,

जंगलराज का मतलब है...कट्टा, क्रूरता, कटुता, कुसंस्कार, करप्शन.. क्या कर रहे हैं ये लोग। ये कुसंस्कार से भरे हुए लोग हैं। कुशासन का राज चाहते हैं। भारत रत्न जन-नायक कर्पूरी ठाकुर जी..भोला पासवान शास्त्री जी...ऐसे महान नेताओं ने बिहार को सामाजिक न्याय और विकास का विश्वास दिया था। लेकिन जैसे ही जंगलराज आया...वैसे ही बिहार में बर्बादी का दौर शुरु हो गया। RJD वालों ने बिहार में विकास का पूरा माहौल ही खत्म कर दिया।

साथियों,

ये RJD और कांग्रेस वाले...उद्योगों की ABC भी नहीं जानते। ये उद्योगों में सिर्फ ताले लगाना जानते हैं...15 वर्ष के जंगलराज में... एक भी नई फैक्ट्री, एक नया कारखाना बिहार में नहीं लगा। यहीं मिथिला में...जो मिलें थीं, फैक्ट्रियां थीं, वो भी बंद हो गईं। 15 वर्ष के जंगलराज में...कोई भी बड़ा अस्पताल, मेडिकल कॉलेज...बिहार में नहीं बना। इसलिए जंगलराज वालों के मुंह से विकास की बातें सिर्फ सफेद झूठ हैं।

साथियों,

जंगलराज के समय में बिहार के लोगों का सरकार से भरोसा ही उठ गया था। भरोसा उठ गया था कि नहीं उठ गया था.. भरोसा बचा था? नीतीश जी के नेतृत्व में NDA सरकार ने बिहार का टूटा हुआ भरोसा लौटाया है। अब निवेशक...बिहार आने के लिए उत्सुक हैं। यहां अच्छी सड़कें बन रही हैं...रेल और हवाई कनेक्टिविटी बेहतर हो गई है...बिजली के नए-नए कारखाने बन रहे हैं... यहां जो रीगा चीनी मिल है...वो फिर से शुरु हो चुकी है। आने वाले समय में...बिहार में ऐसी मिलें और फैक्ट्रियां बनाने का काम और मजबूती के साथ आगे बढ़ेगा। गन्ना किसानों के हितों को देखते हुए..हमारी सरकार गन्ने के इथेनॉल बनाने को भी बढ़ावा दे रही है।

साथियों,

भाजपा- एनडीए जो कहती है...वो करके दिखाती है। और मोदी की गारंटी, मोदी की गारंटी मतलब पूरा होने की गारंटी। बिहार की समृद्धि का बहुत बड़ा आधार आत्मनिर्भर भारत अभियान भी है। मोदी...देश को दुनिया की फैक्ट्री...बहुत बड़ा मैन्युफेक्चरिंग हब बनाने में जुटा है...ये तभी हो सकता है...जब बिहार में खेती से जुड़े उद्योग लगें.. बिहार में पर्यटन का विस्तार हो...यहां टेक्नॉलॉजी से जुड़े उद्यम लगें...मैन्युफेक्चरिंग पर ज्यादा से ज्यादा निवेश हो। आने वाले सालों में हम इस काम को और तेज़ी से करने वाले हैं। और इसका रास्ता NDA ने अपने घोषणापत्र में भी बताया है, बताकर के ऱखा हुआ है।

साथियों,

यहां के हमारे नौजवानों में, हमारी बहनों में अद्भुत सामर्थ्य है। और मोदी आपके श्रम, आपका सामर्थ्य, आपकी कला का ब्रैंड एंबेसेडर है। अब आप कहेंगे मोदी कहां से मेरा ब्रैंड एंबेस्डर बन गया मैं बताता हूं कैसे बन गया.. अभी कुछ महीने पहले मैं अर्जेंटीना गया था...बहुत दूर है यहां से। वहां के जो उपराष्ट्रपति हैं, उनको मैंने यहां की बहनों की बनाई..मधुबनी पेंटिंग भेंट की थी। और वो ऐसे देखते थे, बड़ा अजूबा लगा था उनको, जब मैंने कहा कि मेरी बहनें बनाती हैं इसे, बिहार के एक कोने में बैठी बहनें बनाती हैं इसे गांव की बहनें बनाती हैं इसे… तो ऐसे देख रहे हैं मेरे सामने बताइए, मैं आपका एंबेसडर बना कि नहीं बना। मैं आपका ब्रैंड एंबेसडर बना कि नहीं बना। बिहार की बात दुनिया में पहुंचाई कि नहीं पहुंचाई… आपका मधुबनी पेंटिंग पहुंचाया कि नहीं पहुंचाया। इसी तरह, दिल्ली में G-20 समिट के दौरान... दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति को भी मैंने मधुबनी पेंटिंग देने का काम किया।

साथियों,

ये सब मैं इसलिए करता हूं...क्योंकि मुझे बिहार पर गर्व है। मुझे बिहार की माताओं-बहनों के सामर्थ्य पर गर्व है। मुझे बिहार की बेटियों की ताकत पर गर्व है। मैं चाहता हूं आपकी कला, आपका कौशल दुनिया भर में पहुंचे। भारत में बनी चीज़ों के लिए दुनिया में नए बाज़ार बनें।

साथियों,

एक समय था जब बिहार...दूसरे राज्यों से मछली मंगाता था। लेकिन NDA सरकार की नीतियों का असर है...कि बिहार अब दूसरे राज्यों को मछली भेजने लगा है। और ये हमारे मछली के क्षेत्र में काम करने वालों की ताकत देखिए, बड़े-बड़े लोग भी यहां की मछली देखने आ रहे हैं। पानी में डुबकी लगा रहे हैं। किसी ने मुझे कहा कि बिहार के चुनाव में डूबने की प्रैक्टिस कर रहे हैं। साथियों जैसे मछली के क्षेत्र में बिहार के लोगों ने बड़ी कमाल की है। सरकार ने और बिहार के हमारे मछुआरे भाई-बहनों ने मिलकर के एक नया क्षेत्र खोल दिया है। अब इसी तरह हम मखाने को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाना चाहते हैं। बिहार का मखाना दुनिया के घर-घर तक पहुंचेगा....तो फायदा छोटे किसानों को होगा।

साथियों,

ये माता सीता की धरती है... नारीशक्ति का सामर्थ्य कैसे, एक परिवार को, पूरे समाज को ताकत देता है...ये धरती उसकी साक्षी रही है। हमारी NDA सरकार भी महिला सशक्तिकरण के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है।

साथियों

सरकार की नीतियों और निर्णयों का असर हम हर क्षेत्र में देख रहे हैं। साथियों, यहीं बिहार के राजगीर में पिछले वर्ष...महिला हॉकी की एशियाई चैंपियन्स ट्रॉफी हुई थी। हमारी बेटियां चैंपियन बनी थीं। कुछ दिन पहले भारत की बेटियों ने क्रिकेट विश्व कप भी जीता है...ये क्रिकेट के इतिहास में पहली बार हुआ है। तीन दिन पहले ही...ये विश्व विजेता हमारी बेटियां, दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास पर आई थीं। उनका आत्मविश्वास देखकर, मुझे गर्व हो रहा था। गांव-कस्बों से निकलकर हमारी बेटियां...140 करोड़ भारतीयों का अभिमान बनी हैं।

साथियों,

हमारी बेटियों का ये नया आत्मविश्वास इसलिए आया है..क्योंकि हमारी सरकार कदम-कदम पर नारीशक्ति के साथ खड़ी है। अब आप देखिए, जनधन बैंक खाते, मजाक उड़ाते थे मेरी, कि महिलाओं की जेब में पैसा नहीं होता है खाते कैसे खुलेंगे? मैंने कहा एक रुपया दिए बिना भी मैं खाते खोलूंगा। ये सिर्फ एक पासबुक देने का मामला नहीं था। ये बहनों-बेटियों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने का माध्यम बना है। मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं...आजकल मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की बहुत चर्चा है। बिहार की एक करोड़ चालीस लाख बहनों के खाते में...दस-दस हज़ार रुपए पहुंच चुके हैं। कल्पना कीजिए...अगर बहनों के बैंक खाते ही न खुलते... तो क्या ये योजना बन पाती? मोदी ने बैंक खाते खुलवाए...नीतीश जी की सरकार उनमें बहनों को सहायता भेज रही है। आज पाई-पाई बहनों के खाते में पहुंच रही है। इसलिए आप याद रखिए...अगर कांग्रेस-RJD का जंगलराज होता...तो आपके हक का ये पैसा भी लुट जाता। और ये मैं नहीं कह रहा हूं, ये कांग्रेस के नामदार हैं ना उनके पिताजी खुद कहते थे। वो प्रधानमंत्री थे और पूरे देश में पंचायत से पार्लियामेंट तक सिर्फ कांग्रेस का ही झंडा फहरता था, सारी सरकारें उनकी थीं। मुयनिसपैलिटी उनकी, ग्राम पंचायतें उनकी, पार्षद उनका सब उनका था। उस समय कांग्रेस के एक प्रधानमंत्री, ये नामदार के पिताजी वो कहते थे दिल्ली से एक रुपया निकलता है तो गांव में जाते-जाते 15 पैसा हो जाता है। जरा बताओ वो कौन सा पंजा था, जो एक रुपये को घिसता-घिसता-घिसता 15 पैसे कर देता था, कौन सा पंजा था। आज भाइयो-बहनों अगर पटना से एक रुपया निकलता है तो पूरे सौ पैसे आपके खाते में जमा होते हैं। आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है तो सौ के सौ पैसे आपके खाते में जमा होते हैं। और इसलिए मेरे माताओं, बहनों, भाइयों, नौजवानों.. आपको सावधान रहना है...क्योंकि कांग्रेस-RJD आपका पैसा लूटने की फिराक में बैठी है।

साथियों,

कांग्रेस और आरजेडी के लोग...इतने सालों तक सत्ता में रहे...इन लोगों ने...विकास के नाम पर सिर्फ घोटाले किए...जो दूर-दराज के क्षेत्र थे...उनको ये लोग पिछड़ा घोषित कर देते थे। ताकि वहां लोग विकास के बारे में सोच ही न पाएं। देश के सौ से अधिक जिले ऐसे ...जिनको कांग्रेस ने पिछड़ा घोषित कर रखा था। इसमें बिहार के भी अनेक जिले थे...और सीतामढ़ी भी उनमें से एक था। साथियों, जिनको इन्होंने पिछड़ा घोषित किया था...उनको हमने आकांक्षी जिला बनाया...वहां मिशन मोड पर विकास शुरु किया...मुझे गर्व है कि हमारा सीतामढ़ी भी आज विकास के मामले में दूसरे जिलों को टक्कर दे रहा है। आज सीतामढ़ी में, पूरे बिहार में विकास की नई रफ्तार दिखाई दे रही है। नई रेल लाइनें...अमृत भारत जैसी नई रेल सेवा...आधुनिक रेलवे स्टेशन.. नया इंजीनियरिंग कॉलेज... नया मेडिकल कॉलेज....ये सब अब सीतामढ़ी की पहचान बन रहे हैं। और मैं आपको भरोसा दिलाता हूं...बिहार में फिर से NDA सरकार बनते ही...हम विकास की इस गति को और मजबूती देंगे, और आपलोगों का कल्याण का काम करेंगे।

साथियों,

हमारी सरकार...यहां विकास भी कर रही है...और विरासत को भी सम्मान दे रही है। हम इस क्षेत्र को रामायण सर्किट से जोड़ रहे हैं। सीतामढ़ी से अयोध्या के लिए सीधी रेलसेवा भी इसी प्लान का हिस्सा है। आपके पाहुन, आपके दामाद जी तो खुद प्रभु श्रीराम हैं। अयोध्या में सीतामढ़ी के दामाद जी का भव्य मंदिर बन गया है...अब माता के मायके की बारी है। पुनौराधाम की भव्यता अब पूरी दुनिया देखेगी।

साथियों,

एक तरफ NDA सरकार अपने तीर्थों का विकास कर रही है। वहीं दूसरी तरफ...कांग्रेस और आरजेडी के लोग हमारी आस्था का अपमान कर रहे हैं। आपने कांग्रेस के नामदार की बातें सुनी होंगी...उन्होंने छठ पूजा के लिए क्या कहा... छठ महापर्व के लिए क्या कहा। छठ महापर्व आज देश और दुनिया में लोग श्रद्धापूर्वक मनाने लगे हैं। ये छठ महापर्व हमारी बिहार की माताओं और बहनों की तपस्या का एक गौरवपूर्ण याद रखने वाला इतिहास की तारीख में गोल्डेन अक्षरों से लिखने वाला तप है। तीन-तीन दिन तक तपस्या करती है, आखिर में तो पानी तक नहीं पीती है। इतनी बड़ी तपस्या छठ महापर्व की होती है और कांग्रेस के ये नामदार क्या कह रहे हैं.. छठ महापर्व.. छठ पूजा ये तो ड्रामा है ड्रामा, नौटंकी है.. माताओं बहनों ये आपका अपमान है कि नहीं है? ये आपका अपमान है कि नहीं है? ये छठ मैया का अपमान है कि नहीं है? हमारी परंपरा का अपमान है कि नहीं है? हमारी विरासत का अपमान है कि नहीं है? हमारी संस्कृति का अपमान है कि नहीं है? ऐसा अपमान करने वालों को सजा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? ऐसा करने वालों को आप सजा देंगे कि नहीं देंगे। बड़ी ताकत से सजा देंगे कि नहीं देंगे? और लोकतंत्र में सजा देने का तरीका है वोट। आपका एक वोट उन्हें ऐसी सजा देगा ऐसी सजा देगा कि दुबारा ऐसा कहने की हिम्मत नहीं करेंगे। यही लोग है, जिन्होंने महाकुंभ को लेकर गलत बातें कीं..महाकुंभ को फालतू कहा..। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का भी इन्होंने अपमान किया। अयोध्या में राम मंदिर परिसर में ही...महर्षि वाल्मीकि का भी मंदिर बनाया गया है...निषादराज का भी मंदिर बहां बनाया गया है...माता शबरी का मंदिर भी बनाया गया है...ये RJD-कांग्रेस वाले… अपने वोट बैंक की वजह से राम जी का वहिष्कार करते ऐसा ही नहीं ये निषादराज का बहिष्कार करते हैं, ये वाल्मीकि जी का बहिष्कार करते हैं, शबरी माता का बहिष्कार करते हैं।

साथियों,

जिनकी नीतियां तुष्टिकरण से ही प्रेरित हैं..वो बिहार का भला नहीं कर सकते। ये लोग तो समाज में कटुता ही पैदा कर सकते हैं। आप देखिए...RJD-कांग्रेस के नेता वोटबैंक के तुष्टिकरण के लिए घुसपैठियों तक को बचाने के लिए पूरी शक्ति से लगे हुए हैं। जिन घुसपैठियों का भारत से कोई लेना-देना नहीं...ये लोग उनको बचा रहे हैं।

साथियों,

जो घुसपैठिए हैं...ये आपके हक पर डाका डालते हैं…ये घुसपैठिये आपके संतानों के हक की चोरी करते हैं। और ये उन चोरों को बचाने के लिए मैदान में उतरे हैं। आपकी रोजी-रोटी पर कब्जा कर लेते हैं...हमारी बेटियों की सुरक्षा, देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाते हैं। अब आप मुझे बताइए साथियों… आप पूरी तरह जवाब देंगे मुझे… सबके सब जवाब देंगे.. पूरी ताकत से जवाब देंगे.. ये जंगलराजवालों के कान फट जाए ना ऐसा जवाब दीजिए मुझे। देंगे? आप मुझे बताइए.. ये घुसपैठियों को निकालना चाहिए कि नहीं निकालना चाहिए? ये घुसपैठिये जाने चाहिए कि नहीं जाने चाहिए? ये घुसपैठिए जहां से आए हैं वहां जाने चाहिए कि नहीं जाने चाहिए? आप मुझे बताइए ये घुसपैठिये का हिसाब कौन कर सकता है। घुसपैठियों का हिसाब कौन कर सकता है? पूरी ताकत से बताइए कि घुसपैठियों का हिसाब कौन कर सकता है? कौन घुशपैठियों को निकाल सकता है? कौन घुसपैठियों को सजा दे सकता है। मोदी नहीं, ये आपका जवाब गलत है। ये घुसपैठियों का हिसाब चुकते करने का काम मोदी नहीं आपका एक वोट कर सकता है.. आपका एक वोट कर सकता है। आपके वोट की ताकत है, NDA को मिला आपका हर वोट... घुसपैठियों के विरुद्ध कार्रवाई को करके रहेगा ये मैं आपसे वादा कर रहा हूं।

साथियों,

पहले चरण में NDA ने बिहार में जीत की तरफ बड़ा मजबूत कदम रख दिया है। 11 नवंबर को आपका वोट NDA के सभी उम्मीदवारों को मिलेगा.. तो NDA की प्रचंड जीत तय हो जाएगी। और तभी गरीबों का कल्याण का काम, गरीबों के लिए पक्के घर बनाने का काम, हमारी बढ़ी हुई पेंशन सभी को पहुंचाने का काम, जिस तरह पहले चरण में बिहार ने मतदान के पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए...वैसे ही आपको दूसरे चरण में भी मतदान का रिकॉर्ड तोड़ना है। तोड़ेंगे? तोड़ेंगे? जरा पूरी ताकत से सब बताइये मतदान का रिकॉर्ड तोड़ेंगे? हर बूथ में ज्यादा मतदान कराएंगे? हर बुथ में पहले से ज्यादा सौ वोट जाना चाहिए। सौ लोग मतदान के लिए जाने का पक्का करेंगे। आप इतनी बड़ी तादाद में हमारे उम्मीदवारों को आशीर्वाद देने आए हैं। मैं सभी चुनाव के उम्मीदवारों को कहता हूं कि आप आगे आ जाइए.. बस यहीं खड़े रह जाइए..हां.. मैं आप सबसे मिलने के लिए आ रहा हूं। आपको शुभकामनाएं देने के लिए आ रहा हूं। इन सबके आशीर्वाद में बोलिए...
भारत माता की... जय!
भारत माता की... जय!
भारत माता की.. जय!
वंदे मातरम के डेढ़ सौ साल.. मेरे साथ बोलिए
वंदे मातरम् वंदे... वंदे... वंदे... वंदे... वंदे... वंदे... वंदे... वंदे... वंदे...