PM Narendra Modi interacts with Indian Community in San Jose, California #ModiAtSAPCenter
PM Narendra Modi pays tribute to Shaheed Bhagat Singh during his speech #ModiAtSAPCenter
A new image of India has emerged across the world. Old thoughts about India are going away: PM #ModiAtSAPCenter
Your fingers created magic on keyboard & computer. This gave India a new identity. Your skill & commitment is wonderful: PM #ModiInUSA
“Brain-Gain, not Brain-Drain.” India is Bahuratna Vasundhara; there will be many brains there: PM #ModiAtSAPCenter
It is being believed that 21st Century is Asian Century: PM #ModiAtSAPCenter #ModiInUSA
Am working round the clock for welfare of 125 crore Indians: PM #ModiAtSAPCenter #ModiInUSA
The world today is looking at India with a new hope & confidence, says Prime Minister #ModiAtSAPCenter #ModiInUSA
I have faith in the nation because India is youthful. What can a country with 800 million youth not achieve? PM #ModiAtSAPCenter
Terror and global warming are two pressing issues the world faces today. We need to mitigate these menaces: PM #ModiAtSAPCenter
India is now the fastest growing economy of the world: PM #ModiAtSAPCenter #ModiInUSA
E-governance is effective governance, easy governance & most economical governance: PM #ModiAtSAPCenter #ModiInUSA
From Upanishads we have moved to upgraha. India succeeded in its Mars Mission in the very first attempt: PM #ModiAtSAPCenter #ModiInUSA
PM explains the JAM concept. J=Jan Dhan financial inclusion program, A=Aadhar unique identity card M=Mobile Governance #ModiInUSA
Terrorism is terrorism. It’s neither good nor bad: PM #ModiAtSAPCenter #ModiInUSA
If it has taken the UN 15 years to define terrorism, how long will it take to fight terrorism? Asks PM #ModiAtSAPCenter

Good Evening California,

आप लोगों का उत्‍साह देखते ही बनता है। आज 27 सितंबर है और भारत में आज 28 सितंबर है। 28 सितंबर भारत मां के वीर सपूत शहीद भगत सिंह की जन्‍म जयंती है। भारत मां के लाडले वीर सपूत शहीद भगत सिंह जी को मैं कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं। मैं कहूंगा वीर भगत सिंह, आप सब लोग दोनों हाथ ऊपर करके बोलेंगे --- अमर रहें, अमर रहें।

वीर भगत सिंह... (अमर रहें, अमर रहें!)

वीर भगत सिंह.. (अमर रहें, अमर रहें!)

वीर भगत सिंह.. (अमर रहें, अमर रहें!)

मैं दो दिन से आपके इस क्षेत्र में भ्रमण कर रहा हूं। बहुत लोगां से मिलने का मुझे मौका मिला। गत वर्ष September में यू.एन. समिट के लिए मैं आया था। गत वर्ष 28 September को मुझे Madison Square पर देशवासियों से दर्शन करने का मौका मिला था। आज California में एक के बाद आप सबके दर्शन करने का मुझे सौभाग्‍य मिला है। मैं आज यहां करीब-करीब 25 साल के बाद आया हूं। बहुत कुछ बदला हुआ नजर आता है। बहुत नए चेहरे नजर आए हैं। एक प्रकार से हिंदुस्‍तान की vibrant छवि मैं California में अनुभव कर रहा हूं। यहां जिसे भी मिला उसके चेहरे पर चमक है, आंखों में सपने हैं, और कुछ कर दिखाने के संकल्‍प के साथ जुड़े हुए यहां लोग मुझे नजर आ रह है। और सबसे बड़ी बात, यहां के नागरिक भारतीय समुदाय के प्रति इतना गौरव अनुभव करते हैं, इतना आदर अनुभव करते हैं - मैं इसके लिए आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं।

आज पूरे विश्‍व में भारत की जो एक नई पहचान बनी है, भारत की जो एक नई छवि बनी है। भारत के संबंध में जो पुरानी सोच थी, वो बदलने के लिए दुनिया को मजबूर होना पड़ा है उसका कारण आपकी उंगलियों की कमाल है। आपने computer के keyboard पर उंगलियां घुमा-घुमा करके दुनिया को हिंदुस्तान की एक नई पहचान करा दी है। आपका यह सामर्थ्‍य, आपका यह commitment, आपके innovations, आप यहां बैठे-बैठे सारे दुनिया को बदलने के लिए मजबूर कर रहे हैं। और जो बदलने से इंकार करेगा, जो बदलना नहीं है यह तय करके बैठेगा, वो 21वीं शताब्‍दी में irrelevant होने वाला है।

और जब मेरे देशवासी, मेरे देश के नौजवान, विदेश की धरती पर रह करके सारी दुनिया को एक नई दिशा में ले जाते हो, तो मेरे जैसे एक इंसान को कितना आनंद होता होगा, कितनी खुशी होती होगी। और इसलिए भारत को गौरव दिलाने में भारत का सम्‍मान बढ़ाने में, पूरे विश्‍व को भारत को नए सिरे से देखने में मजबूर करने के लिए - आप सबने जो पुरुषार्थ किया है उसे मैं लाख-लाख अभिनंदन करता हूं, बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

कभी-कभी हमारे देश में ये बातें सुनाई देती थीं, भारत में चर्चा भी होती थी, “कुछ करो यार ये Brain-Drain रुकना चाहिए, Brain-Drain रुकना चाहिए।“ अरे मां भारती तो बहु रत्‍ना वसुंधरा है। वहां तो एक से बढ़कर एक, एक से बढ़कर एक brain की फसल होती रहने वाली है। ये brain-drain, brain-gain भी बन सकता है ये क्‍या किसी ने भी सोचा था? और इसलिए इस सारी घटना इस को देखने का मेरा नजरिया अलग है। कभी जो लगता था ये brain-drain है, मुझे लगता है ये brain deposit हो रहा है। और ये जो deposit हुआ brain है वो मौके तलाश में है। जिस दिन मौके पर मौका मिलेगा, ब्‍याज समेत ये brain मां भारती के काम आएगा। आएगा कि नहीं आएगा... (हाँ!)

आएगा कि नहीं आएगा... (हाँ!)

पक्‍का आएगा?... (हाँ !)

और इसलिए ये brain-drain नहीं है, ये तो deposit है। ये बहुमूल्‍य deposit है। अब मेरे देशवासियों मैं कहता हूं, अब वो मौसम आया है, अब वो मौका आया है जहां हर हिन्‍दुस्‍तानी को अपनी शक्ति का परिचय करवाना, अपने ज्ञान का लाभ लेना, जिस धरती ने, जिस पानी ने, जिस हवा ने, जिस संस्‍कार ने हमें यहां तक पहुंचाया है, अब वो भी हमारा इंतजार कर रही है। ये West Coast, ये California, आज वो IT के कारण, हमारी युवा पीढ़ी के कारण, हमारे लोकतांत्रिक मूल्‍यों के कारण, हम एक ऐसे बंधन से बंधे हुए नजर आते हैं।

लेकिन अगर इतिहास के झरोखे से देखें 19th Century... 19th Century में हिन्‍दुस्‍तान के मेरे सिक्‍ख भाई यहां आए और यहां पर किसानी करते थे और हिंदुस्‍तान का नापा झोंक दिया। आजादी की लड़ाई हिन्‍दुस्‍तान की धरती पर हो रही थी, देश को आजादी की ललक हिन्‍दुस्‍तान में थी, लेकिन हजारों मील दूर यहां वो गदर को कौन भूल सकता है, जहां आजादी के आन्‍दोलन की ज्‍योति जलाई गई थी? हिन्‍दुस्‍तान आजाद हो इसके लिए ये California, ये West Coast, यहां आकर के बसे हुए हमारे सिक्‍ख भाई-बहन, हमारे हिन्‍दुस्‍तानी, हिन्‍दुस्‍तान की आजादी की जंग की लड़ाई के लिए हर प्रकार की कोशिश करते थे, ये नाता है। अगर 19वी शताब्‍दी में, अगर 19वीं शताब्‍दी में खेत में काम करने के लिए मजदूरी करने के लिए आया हुआ मेरा किसान भारत की गुलामी के लिए अगर बैचेन था, तो 21वीं सदी में मेरा नौजवान भारत की गरीबी के लिए बैचेन है और वो भी भारत के लिए कुछ करेगा। इससे बड़ी प्रेरणा क्‍या हो सकती है?


और यही तो है विशेषता, 1914, गोपाल मुखर्जी... 1914, गोपाल मुखर्जी, Stanford University के पहले Graduate बने थे यहां पर। इतना ही नहीं 1957-63, दिलीप सिंह सूद यहीं से Congressman बने थे, M.P चुनकर के आए थे, और पहले भारतीय जो Washington में जाकर के बैठ करके अपनी बात बताते थे। बहुत कम लोगों को पता होगा भारत की आजादी के लिए जिन्‍होंने अपनी जवानी खपा दी थी, महात्‍मा गांधी के आदर्शों पर, जिन्‍होंने अपना जीवन व्‍यतीत किया था, और देश जब दोबारा लोकतंत्र पर खतरा आया, देश में आपातकाल लगा था, देश के गणमाण्‍य नेताओं को 1975 में जेलों में बंद कर दिया गया था... और उसका नेतृत्‍व कर रहे थे जय प्रकाश नारायण। लोकनायक जय प्रकाश नारायण! आप में से बहुत लोगों को पता नहीं होगा लोकनायक जय प्रकाश नारायण इसी California में पढ़ाई करने के लिए आए थे। यानि भारत का नाता इस क्षेत्र के साथ अभिन्‍न रहा है, अटूट रहा है। और आज एक नए विश्‍व के निर्माण में भारतीय समुदाय यहां बैठकर के एक भावी इतिहास का निर्माण कर रहा है और इसलिए हर भारतीय को आप लोगों को याद करते ही गौरव की अनुभूति होती है, और इसलिए मुझे आज आप को मिल करके अतएव आनंद होता है प्रसन्‍नता होती है।

मुझे अब दिल्‍ली में आए करीब 16 महीने हो गए हैं। 16 महीने पहले मैं एक अजनबी की तरह आया था। रास्‍ते भी मालूम नहीं थे। Parliament में जाना है तो किस गली से कहाँ जाना है तो... किसी की मदद लेनी पड़ती थी। मुझ जैसे बिल्‍कुल नये व्‍यक्ति को सवा सौ करोड़ देशवासियों ने एक जिम्‍मेवारी दी। आपके सबके आर्शीवाद से उसे भलि-भांति पूरा करने का प्रयास कर रहा हूं। आज पूरे विश्‍व में दुनिया के किसी भी कोने में जाइये, भारत के प्रति एक आशा और विश्‍वास के नजरिए से देखा जा रहा है। पिछले 20-25 साल से एक चर्चा चल रही है – “21वीं सदी किसकी है?” हर कोई यह तो जरूर मानता है कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। यह हर कोई मानता है। लेकिन पिछले कुछ समय से अब लोग यह नहीं कहते हैं कि 21वीं सदी एशिया की सदी है, अब लोग कह रहे हैं कि 21वीं सदी हिंदुस्‍तान की सदी है। यह आज दुनिया मानने लगी है!

यह बदलाव क्‍यों आया? यह बदलाव कैसे आया? (मोदी! मोदी! मोदी!)

यह बदलाव मोदी, मोदी, मोदी के कारण नहीं आया है। यह बदलाव सवा सौ करोड़ देशवासियों के संकल्‍प की शक्ति से आया है। सवा सौ करोड़ देशविासयों ने ठान ली है मन में संकल्‍प कर लिया है कि अब... अब हिंदुस्‍तान पीछे नहीं रहेगा। और जब जनता जर्नादन संकल्‍प करती है, तो ईश्‍वर के भी आर्शीवाद मिलते हैं। सारा विश्‍व, जो कल तक हिंदुस्‍तान को हाशिये पर देखता था आज वो हिंदुस्‍स्‍तान को केंद्र-बिंदु के रूप में देख रहा है। कभी भारत विश्‍व के साथ जुड़ने के लिए अथाह परिश्रम करता था, पुरूषार्थ करता था। हर किसी ने अपने-अपने तरीके से प्रयास किया था। लेकिन आज ऐसा वक्‍त बदला है कि दुनिया हिंदुस्‍तान से जुड़ने के लिए लालायित हो रही है। यह जो विश्‍वास का वातावरण पैदा हुआ है। यह विश्‍वास का वातावरण ही हिंदुस्‍तान को नई ऊंचाईयों पर पहुचंने वाला है।

मैंने सरकार में आया, तब कहा था, और मैं आज आपको भी याद दिलाना चाहता हूं। क्‍योंकि आज technology आपने ऐसी दी है दुनिया को, कि कुछ छिपा नहीं रह सकता। कुछ दूर नहीं रह सकता, और कोई खबर इंतजार नहीं कर सकती। घटना घटी नहीं कि आपके मोबाइल फोन पर आकर टपकी नहीं। यह जो आपने काम किया है, और इसलिए आपको भारत की बारीक से बारीक खबर रहती है। कभी-कभार तो अगर आप स्‍टेडियम में बैठकर के क्रिकेट मैच देखते हैं तो इधर-उधर देखना पड़ता है कि बॉल कहां गया, फील्‍डर कहां खड़ा है, विकेट कीपर क्‍या कर रहा है मुंड़ी घूमानी पड़ती है। लेकिन अगर घर में टीवी पर देखते हैं तो सब पता चलता है बॉल इधर गया, फील्‍डर यह कर रहा है, विकेट कीपर यह कर रहा है, एम्‍पायर यह है। पता चलता है कि नहीं चलता है? इसलिए जो हिंदुस्‍तान में रह करके हिंदुस्‍तान देखते हैं, उससे ज्‍यादा हिंदुस्‍तान बारीकी से दूर बैठे हुए आपको दिखाई देता है। आपको हर चीज का पता रहता है कि क्‍या हो रहा है, क्‍या नहीं हो रहा है। और इसलिए आपको यह भी मालूम है कि हिंदुस्‍तान में क्‍या हो रहा है, मोदी क्‍या कर रहा है, मोदी पहले क्‍या कहता था, मोदी ने क्‍या किया - सब पता है आपको।

आपको याद होगा मैंने कहा था कि मैं परिश्रम करने में कोई कमी नहीं रखूंगा। सवा सौ करोड़ देशवासियों ने मुझे जो जिम्‍मेदारी दी है, इसके लिए पल-पल और शरीर का कण-कण मैं शत-प्रतिशत काम में लगाए रखूंगा। आज 16 महीने के बाद मुझे आपका certificate चाहिए।

मैंने वादा निभाया? ... (हाँ!)

मैंने वादा निभाया? ... (हाँ!)

मैंने वादा निभाया? ... (हाँ!)

परिश्रम की पराकाष्‍ठा की? ... (हाँ!)

दिन रात मेहनत कर रहा हूं? ... (हाँ!)

देश के लिए कर रहा हूं? ... (हाँ!)

आपने जो मुझे जिम्‍मेदारी दी है और मैंने जो वादा किया था, वो पूरी तरह मैं उसका पालन कर रहा हूं। हमारे देश में राजनेताओं पर कुछ ही समय में आरोप लग जाते हैं। इसने 50 करोड़ बनाया, उसने 100 करोड़ बनाया, बेटे ने 250 सौ करोड़ बनाया, बेटी ने 500 करोड़ बनाया, दामाद ने 1000 करोड़ बनाया, चचेरे भाई ने contract ले लिया, मौसेरे भाई ने फ्लैट बना दिया।

यह सुनने को मिलता है कि नहीं मिलता है? ... (हाँ!)

यह सुन-सुन कर कान पक गए या नहीं पक गए? ... (हाँ!)

देश निराश हो गया या नहीं हो गया? ... (हाँ!)

भ्रष्‍टाचार के प्रति नफरत पैदा हुई कि नहीं हुई? ... (हाँ!)

गुस्‍सा पैदा हुआ कि नहीं हुआ? ... (हाँ!)

मेरे देशवासियों,

मैं आज आपके बीच में खड़ा हूं। है कोई आरोप मुझ पर? ... (नहीं!)

है कोई आरोप? ... (नहीं!)

आज भी मैं देश को यह विश्‍वास दिलाना चाहता हूं - हम जीएंगे तो भी देश के लिए, और मरेंगे तो भी देश के लिए।

(भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!)

भाईयो बहनों,

हमारा देश शक्ति और सामर्थ्‍य से भरा हुआ है। लोग कभी-कभी मुझे पूछते हैं कि मोदी जी इतना आपका आत्‍मविश्‍वास कहां से आता है? आपको कैसे लगता है कि आपका देश आगे बढ़ेगा? हमारे देश के लोग भी मुझे पूछते हैं, बोले मोदी जी “यह हुआ, वो हुआ, ढिकना हुआ, आपको चिंता नहीं हो रही, डर नहीं लगता? फिर भी आप कहते रहते हो कि देश आगे बढ़ेगा?” मेरा विश्‍वास है कि बढ़ेगा। विश्‍वास इसलिए है कि मेरा देश जवान है। 65% जनसंख्‍या... जिस देश की 65% जनसंख्‍या 35 साल से कम उम्र की हो, वो देश दुनिया में क्‍या नहीं कर सकता है? 800 मिलियन जिस देश के पास नौजवान हो, 1600 मिलियन भुजाएं हो, वो क्‍या कुछ नहीं कर सकते हैं, मेरे भाईयों-बहनों? और एक बात पर विश्‍वास करके मैं कह रहा हूं, अब यह देश पीछे नहीं रह सकता है।

आपको मालूम है कुछ वर्ष पहले एक नई terminology आई थी दुनिया में? कि आने वाले दिनों में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाले देश कौन से हैं? किस-किस की संभावना है? तो उसमें से एक शब्द निकला था – “BRICS”. B, R, I, C, S. और जिन्‍होंने यह शब्‍द coin किया था, उनका कहना था कि ये पांच देश ऐसे हैं जो आने वाले दिनों में तेज गति से आगे बढ़ेंगे, lead करेंगे - ब्राजील, रशिया, इंडिया, चाइना, साउथ अफ्रीका। इन पांचों देशों की चर्चा होती थी। लेकिन आपने ध्‍यान से अगर देखा होगा, तो पिछले दो साल से सुगबुगाहट चल रही थी कि “यार यह BRICS की terminology तो बदलनी पड़ेगी, क्‍योंकि हम सोच रहे थे “I”, है आगे बढ़ेगा, लेकिन “I” तो लुढ़क रहा है।“ यह चर्चा शुरू हो गई थी। BRICS में से India का “I” अपनी भूमिका अदा करने में दुनिया को कम नजर आता था। लोगों ने मान लिया था कि BRICS theory “I” के बिना कैसे चलेगी?

मेरे देशवासियों आज मैं गर्व के साथ कहता हूं कि पूरे BRICS में अगर दमखम के साथ कोई खड़ा है तो “I” खड़ा है। 15 महीने के भीतर-भीतर विकास की ऊंचाईयों को पार करने के कारण, आर्थिक स्थिरता के कारण, विकास के नए नए initiative कारण आज यह विश्‍वास पैदा हुआ है कि BRICS की जो कल्‍पना की गई थी आज भारत उसमें एक शक्ति बनकर उभर कर आया है।

World Bank हो, IMF हो, Moody’s हो, अलग-अलग rating agencies हो - एक स्‍वर से पिछले छह महीने से दुनिया की सभी ऐसी संस्‍थाओं ने एक स्‍वर से कहा है मेरे दोस्‍तों। और यह कहा है कि आज बड़े देशों में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली economy किसी की है तो उस देश का नाम है... (India!)

उस देश का नाम है... (India!)

भाइयों-बहनों,

जिस आर्थिक क्षेत्र में भारत कुछ कर नहीं सकता है। इतना बड़ा देश, इतनी गरीबी, ऐसी हालत में देश कैसे आगे बढ़ सकता है? उन हालातों के बीच भी देश रास्‍ता पार कर रहा है और आगे बढ़ रहा है और दुनिया उसको स्‍वीकार करने लगी है। विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने एक नई पहचान बनाई है। हमारी पहले पहचान थी - उपनिषद की। भारत गौरव करता था उपनिषद, उपनिषद, उपनिषद। अब दुनिया के पल्‍ले तो पड़ता नहीं था। लेकिन आज वही देश उपनिषद से बढ़ते-बढ़ते उपग्रह की चर्चा करने लग गया है। उपग्रह की चर्चा।

हमारे Mars Mission की सफलता... पूरे विश्‍व में भारत पहला देश है जो पहले ही प्रयास में Mars Mission में सफल हो गया। दुनिया के कई देशों ने प्रयास किए, लेकिन अनेक बार प्रयास करने के बाद सफलता मिली। भारत को first attempt... मेरा भी ऐसा ही हुआ।

क्‍यों? देश की संकल्‍प शक्ति की ताकत देखिए, देश का सामर्थ्‍य देखिए। और आज Space Technology का उपयोग.. बहुत जमाने पहले हमारे यहां विवाद होता था, जब विक्रम साराभाई वगैरह थे, भाभा थे, तो भारत में चर्चा चलती थी कि “हमारा गरीब देश है और यह Space में क्‍या पड़ी है यार? यह इतने रुपये क्‍यों खर्च कर रहे?हो। यह उपग्रह में नहीं जाओगे तो नहीं चलेगा क्‍या?” यह बहुत चर्चा होती थी हमारे देश में। लेकिन आज वही उपग्रह देश के विकास में काम आ रहे हैं। किसान को मौसम की जानकारी चाहिए, तो वही उपग्रह देता है। Fisherman का मछली पकड़ने के लिए जाना है, कहां जाना, कितनी दूर है, वो satellite बता देता है कि भई उधर जाओ, माल मिल जाएगा।

मैं जब दिल्‍ली में आया तो मैंने सरकार के अधिकारियों से कहा कि “भई, देखिए, जमाना बदल चुका है। हमने E-governance की तरफ जाना चाहिए, Technology का भरपूर governance में उपयोग होना चाहिए। और मेरा यह अनुभव रहा है, मैं बहुत लम्‍बे अर्से तक एक राज्‍य का मुख्‍यमंत्री रहा। मेरा अनुभव रहा है कि Technology, E-governance is effective governance, E-governance is easy governance and E-governance is most economic Governance.” तो मैं अपने अफसरों के साथ बैठा था, मैंने कहा कि “Space Technology का क्‍या उपयोग करते हो?” तो ज्‍यादातर अफसरों ने कहा कि नहीं.. “हम ज्‍यादा नहीं कर रहे हैं वो Space वाले कर रहे हैं।“ मैंने कहा कि “भई नहीं Space वाले नहीं तुम भी कर सकते हो।“ मैं उसके पीछे लग गया। Space Technology वालों को बुलाया, हरेक Department से मीटिंग करवाई, Workshop करवाएं, पीछे पड़ गया मैं।

और आज मुझे खुशी के साथ कहना है, हमारे यहां सरकारों में करीब-करीब 170 प्रकार के विभाग काम छोटे-मोटे ऐसे हैं कि जिसमें भारत सरकार ने Space Technology का उपयोग करना शुरू कर दिया है। जिस प्रकार से Technology ने पूरे जगत को एक नई शक्ति दी है, नई दिशा भी दी है। और इसके लिए हमने भी सपना संजोया है – Digital India.

आज गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी आपको मिलेगा। वो भी मोबाइल फोन रखता है। सब्‍जी बेचता है, लेकिन मोबाइल फोन रखता है। दूध बेचने जाता है मोबाइल फोन रखता है। अखबार बेचने जाता है, मोबाइल फोन रखता है। इतना penetration है Technology का। सरकार अगर उसके साथ जुड़ जाए, और इसलिए हमारा मिशन है जाम, JAM for all. मैं जब JAM theory की बात करता हूं तब J, A, M.

"J" का मतलब है – जनधन बैंक अकाउंट। आपने में से जो मेरी पीढ़ी के होंगे, उन्‍हें पता होगा कि हमारे यहां बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण किया गया था 69 में.. बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण किया गया था 69, 70, 71 के आसपास। और यह कहा गया था कि यह बैंक जो है वो अमीरों के काम आते है, गरीबों के काम नहीं आती है। इसलिए बैंकों को Nationalise कर दिया जाए। और सारी चीजें सरकार ने अपने हाथ में ले ली और यह कह करके ली थी कि ये बैंक गरीबों के लिए खोल दी जाएगी।

मुझे आज दुख के साथ कहना पड़ता है कि जब मैं दिल्‍ली आया तो हमने पाया कि हमारे देश के करीब-करीब आधे लोग ऐसे थे, जिन्‍होंने बेचारे ने बैंक का दरवाजा नहीं देखा था। आज के युग में Financial व्‍यवस्‍था की रीढ़ की हड्डी के रूप में बैंक काम करती है और अगर मेरे देश के 50 प्रतिशत लोग बैंक व्‍यवस्‍था से अछूते रह जाए, तो फिर आर्थिक व्‍यवस्‍था में उनकी भागीदारी कैसे बनेगी?

हमने बेड़ा उठाया कि 100 दिन में मुझे सबके बैंक के खाते खोलने है। अब आपको भी लगा होगा कि मोदी जी को क्‍या हो गया है। जो काम 40 साल में नहीं हुआ, यह 100 दिन में करने निकल पड़ा है। लेकिन मेरे देशवासियों आपको जानकर के आनंद होगा आज उस अभियान का परिणाम यह आया है 18 करोड़ नए बैंक खाते खुल गए। गरीब से गरीब का बैंक खाता खुल गया। और गरीब था, बैंक का खाता खोलना था, वो बेचारा पैसे कहां से लाएगा? तो हमने नियम बनाया कि प्रधानमंत्री जनधन योजना में जो खाता खुलेगा, वो जीरो बैलेंस से भी उसका बैंक खाता खुलेगा। तो बैंक वाले मेरे से नाराज हो गए, बोले साहब stationery को तो खर्चा दे दो! मैंने कहा हमने 40 साल तक बहुत मौज की है। अब हमें पसीना बहाना होगा। देखिए जीरो amount से bank account खोलना था, जीरो amount से। लेकिन मैंने गरीबों की अमीरी देखी। अमीरों की गरीबी तो हम जानते हैं, लेकिन जब गरीबों की अमीरी देखते हैं, तो सीना तन जाता है। सरकार ने कहा था कि जीरो amount से बैंक अकाउंट खुलेगा, लेकिन हमारे देश के गरीबों ने 50 रुपया, 100 रुपया, 200 रुपया बचाया, और करीब-करीब 32 हजार करोड़ रुपया बैंक में जमा करवाया।

देखिए, देश के लोगों का मिजाज देखिए। गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी देश के लिए कुछ करने के लिए तैयार हुआ है। तो एक तो है यह जनधन अकाउंट जो “J” कहता हूं मैं जिसके द्वारा आर्थिक सुचारू व्‍यवस्‍था खड़ी की गई।

दूसरा है “A” - आधार कार्ड। पूरे देश में movement चला है कि Biometric system से हर नागरिक का अपना एक Identity card हो, एक number हो, special number हो, ताकि Duplicate न हो। वरना हमारे यहां क्‍या होता है? एक ही व्यक्ति दस जगह पर अलग-अलग नाम से रुपये लेकर आ जाता है। हमने आधारकार्ड को केंद्र बिंदू बनाया।

और तीसरा है “M” – Mobile governance. मोबाइल फोन पर सरकार क्‍यों न चले? नागरिकों के हक मोबाइल फोन पर क्‍यों available न हों?

तो हम JAM - उसको केंद्र में रखकर के जन सुखाकारी, जन सुविधाओं को ले करके आगे बढ़ रहे हैं। और उसका परिणाम देखिए!

मुझे बताइये Corruption से देश तबाह हुआ है या नहीं हुआ है? ... (हाँ!)

Corruption जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? ... (हाँ!)

लेकिन मैं अकेला corruption न करूं, इससे बात बनेगी क्‍या? ... (नहीं!)

कुछ और करना पड़ेगा ना? ... (हाँ!)

बोले बिना भी होता है, चुपचाप भी होता है। मैं आपको उदाहरण देता हूं। हमारे देश में घरों में जो गैस सिलेंडर होता है, वो गैस सिलेंडर में सरकार सब्सिडी देती है। एक-एक सिलेंडर के पीछे 150-200 रुपये करीब की सब्सिडी जाती है सरकार की तिजोरी से, ताकि आपका चूल्‍हा जले। और यह सब्सिडी अमीर से अमीर को भी मिलती है और जो गरीब, जिसके घर में गैस सिलेंडर होगा, उसको भी मिलती है। हमने तय किया कि यह जो गैस सब्सिडी है, वो सीधी आधार कार्ड के नंबर से तय करेंगे कौन-कौन उसके client सही हैं। और उसका जनधन अकाउंट होगा तो उसके जनधन अकाउंट में सीधे पैसे पहुंचेंगे।

पहले करीब 19 करोड़ लोगों को गैस सिलेंडर जाता था। मतलब कि सरकारी तिजोरी से हर महीना, 19 करोड़ गैस सिलेंडर की सब्सिडी जाती थी। हमने जब आधार और जनधन अकाउंट जोड़ करके हिसाब शुरू किया कि “भई लेना है तो इधर लिखवाओ।“ मामला 13 करोड़ तक पहुंचा। आगे कोई लेने वाला निकला ही नहीं। पहले 19 करोड़ जाता था, अभी 13-14 करोड़ पर अटक गया, तो पांच करोड़ कहां गए भई? वो पांच करोड़ सिलेंडर की सब्सिडी कहां जाती थी? अगर मैं पुराने गैस के दाम के हिसाब से गिनूं, आजकल तो दाम बहुत कम हो गए हैं, लेकिन पुराने हिसाब से गिनू तो 19 हजार करोड़ रुपये की चोरी होती थी, 19 हजार करोड़ रुपये की! आज वो सारे पैसे हिंदुस्‍तान की तिजोरी में बच गए, मेरे दोस्‍तो। बिचौलिए गए, दलाल गए, चोरी करने वाले गए - यह जो मेरी JAM योजना है – जनधन, आधार, मोबाइल - मुझे बताइये Corruption गया कि नहीं गया? ... (हाँ!)

बिचोलिए गए कि नहीं गए? ... (हाँ!)

रुपये बचे कि नहीं बचे? ... (हाँ!)

ये रुपये गरीब के काम आएंगे कि नहीं आएंगे? ... (हाँ!)

बदलाव कैसे आता है? इतना ही नहीं मैंने देशवासियों की ऐसे ही प्रार्थना की, कोई ज्‍यादा Campaign नहीं चलाया, ऐसे ही मैंने request की, मैंने कहा “इतना कमाते हो, उद्योग है, कारखाने है, गाड़ी चलाते हो, यह सिलेंडर की सब्सिडी क्‍यों लेते हो? छोड़ दो यार।“ मैंने ऐसे ही कह दिया। लेकिन देश के लोगों का भरोसा देखिए, भाईयों बहनों! मनुष्‍य का स्‍वभाव है, मिला तो कोई छोड़ने को तैयार नहीं होता है - कितना ही बड़ा क्‍यों न हो। लेकिन आज मैं गर्व के साथ कहता हूं, मेरे देशवासियों का गुणगान करना चाहता हूं। 30 लाख लोग ऐसे निकले, जिन्‍होंने अपने गैस सिलेंडर की सब्सिडी surrender कर दी। आज के युग में 30 लाख लोग सामने से voluntarily लिए अपनी सब्सिडी surrender करें, इससे बड़ी देश की ताकत क्‍या हो सकती है भाईयों? और इसलिए मैं कहता हूं यह देश की वो ताकत है, जिसके भरोसे देश आगे बढ़ने वाला है। जिसके भरोसे देश आगे बढ़ने वाला है!

भाईयों-बहनों, युवाओं के लिए Skill Development - हर हाथ में हुनर होना चाहिए, इसका एक बड़ा अभियान चलाया है। 800 million अगर नौजवान मेरे देश में हैं, तो उनके हाथ में हुनर होना चाहिए और वही हुनर आने वाले हिंदुस्‍तान को बनाने वाला है। माताओं-बहनों - उनकी शक्ति राष्‍ट्र के विकास में काम आए – “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” - इसका एक आंदोलन चल पड़ा है। मेरे देश का किसान उसकी पैदावार कैसे बढ़े? Soil Heath Card का मैं Technology का आग्रही हूं - Soil health card. हमारे देश में शरीर का भी Health Card नहीं होता है, मैं किसान की जमीन का Health Card निकालने में लगा हुआ हूं। ताकि उसको पता चले कि उसकी जमीन में क्‍या ताकत है, क्‍या कमी है और क्‍या करें तो उसकी जमीन ठीक होगी। और वो कैसे ज्‍यादा कमाई कर सके। एक-एक ऐसे initiative लिये हैं।

अभी मैंने एक छोटा काम किया। किसानों को यूरिया की बहुत जरूरत पड़ती है। खेत में यूरिया का उपयोग करते हैं, और सरकार यूरिया के लिए सब्सिडी देती है। करीब 80 हजार करोड़ रुपया सब्सिडी जाती है, लेकिन उसमें किसान के पास कितना जाता है, और कहीं और कितना जाता है कोई हिसाब ही नहीं है। तो हमने एक काम किया यूरिया को Neem Coating किया - फिर एक बार विज्ञान, फिर टेक्‍नोलॉजी, मुझे यही सूझता है। Neem Coating किया। Neem Coating करने के बाद उस यूरिया का उद्योग खेत के सिवा कहीं और हो ही नहीं सकता है। पहले यूरिया chemical factory में चला जाता था। मैं विश्‍वास से कहता हूं मेरे दोस्‍तों, अगले साल जब हिसाब निकलेगा फसल के बाद, हजारों करोड़ रुपयों की चोरी बच गई होगी और मेरे किसान को Neem Coating वाला यूरिया मिलेगा, ताकि उसकी फसल को भी अधिक लाभ होगा। अलग प्रकार के तत्‍व भी उसको प्राप्‍त होंगे और उसको यूरिया की आवश्‍यकता भी कम हो जाएगी।

ऐसे अनेक क्षेत्रों में आज विकास की नई ऊंचाईयों को पार करने का प्रयास चल रहा है। अगर मैं हर चीज यहां बताना शुरू करूंगा, और रोज अगर दो-दो घंटे बोलूं, तो 15 दिन तो कम से कम लगेंगे ही। और इसलिए मैं आज थोड़ा आपको trailer दिखाकर के जा रहा हूं। आपको अंदाजा आया होगा कि देश विकास की नई ऊंचाईयों को पार कर रहा है। आज विश्‍व के सामने दो प्रमुख चुनौतियां आई हैं - एक तरफ आतंकवाद और दूसरी तरफ ग्‍लोबल वार्मिंग। और मैं मानता हूं, इन चुनौतियों को भी, अगर दुनिया की मानव सर्वाधिक शक्तियां एक हो, मानवता में विश्‍वास करने वाले लोग एक हो, तो आतंकवाद को भी परास्‍त किया जा सकता है और ग्‍लोबल वार्मिंग से भी दुनिया को बचाया जा सकता है, और उस रास्‍ते पर हम चल सकते हैं। उन चुनौतियों को हमने स्‍वीकार किया है।

भारत पूरी तरह सज्ज है हर संकटों का सामना करने के लिए। और आज विश्‍व में हम जहां भी जाते हैं इस विषय की गंभीरतापूर्वक चर्चा करते हैं। हमने UN पर भी दबाव डाला। UN की 70वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। लेकिन अभी तक United Nations terrorism की definition नहीं कर पाया है। अगर definition करने में इतना वक्‍त लगेगा तो terrorism को निपटने में कितने साल लगेंगे? मैंने दुनिया के सभी देशों को चिट्ठी लिखी है। और मैंने कहा कि समय की मांग है कि UN यह तय करें कि यह-यह चीजें हैं, जिसे हम terrorism कहते हैं, ये-ये लोग हैं जिनकों हम terrorism के मददगार मानते हैं, ये-ये लोग हैं जिनको हम मानवतावादी कहते हैं, दुनिया के सामने ये नक्‍शा clear होना चाहिए – “कौन terrorist है? कौन मानवतावादी है? कौन terrorist के साथ खड़ा है? कौन मानवता के साथ खड़ा है?” ये विश्‍व में तय हो जाना चाहिए।

और मैं आशा करता हूं, मैं आशा करता हूं कि इतनी गंभीर समस्‍या पर United Nations ये generation अब बहुत दिन टाल नहीं पाएगा। दुनिया की मानवतावादी शक्तियों ने दबाव पैदा करना पड़ेगा कि एक बार Black and White में तय हो जाना चाहिए कि आतंकवाद आखिर है क्‍या? और ये परिभाषा न होने के कारण ये Good terrorism और bad terrorism चल रहा है। ये good terrorism और bad terrorism से हम मानवता की रक्षा नहीं कर सकते।

Terrorism, terrorism होता है! आतंकवाद, आतंकवाद होता है! और आज, आज आतंकवाद मुझे याद है, मैं ‘93 में यहां State Department के कुछ लोगों को मिला था तो मैं उनको समझा रहा था हमारे देश में terrorism के कारण बड़ी परेशानी है, terrorist इस प्रकार से निर्दोषों को मारते हैं। तो वो मुझे समझा रहे थे ये terrorism नहीं है ये तो Law & order problem है। मैंने कहा, “भाई यह terrorism है, ये Law & order problem नहीं है।“ तो वो समझने को तैयार नहीं। एक साल के बाद मैं फिर आया, यहां तो उन लोगों ने मेरे से समय मांगा, हम आपसे मिलना चाहते हैं। मेरे लिए भी बड़ा आश्‍चर्य था क्‍योंकि मैं तो कुछ था नहीं, मिलना चाहते थे, मैंने कहा ठीक है मिलेंगे। तो दूसरी बार में आया तो मुझे पूछने लगे कि ये terrorism क्‍या होता है? मैंने कहा नहीं नहीं वो तो Law & order होता है। नही, नहीं बोले ऐसा मत करो जरा हमें समझाओ क्‍या होता है? मैंने कहा ये आपको ब्रह्म ज्ञान कहां से हुआ? आपको, आपको terrorism की चिंता कैसे सताने लगी मुझे जरा बताइए। मैंने कहा मेरा देश तो 40 साल से terrorism के कारण परेशान है। निर्दोषों को मौत के घाट उतार दिया जाता है, हम दुनिया को समझा रहे हैं। दुनिया हमारे पर सवालिया निशान खड़ा कर रही है। मैंने कहा ये आपको ब्रह्म ज्ञान कहां से हुआ और ब्रह्मज्ञान इसलिए हुआ था कि उसके कुछ महीने पहले यहां पे स्‍टॉक मार्केट में एक बम फूटा था। उस बम की आवाज के कारण उनको पता चला कि हिन्‍दुस्‍तान में terrorism क्‍या होता है और तब जा करके terrorism को पहचानने के लिए...।

दुनिया ने समझना पड़ेगा, कोई ये मत सोचो के आज उधर है तो कल हमारे यहां नहीं आएगा, ये दुनिया के किसी भी कोने में जा सकता है और इसमें मानवतावादी शक्तियों का एक होना, मानवतावादी शक्तियों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ना, ये विश्‍व की मांग है और उस मांग को पूरा करने के लिए हमें तैयार होना चाहिए। और उस बात को ले करके मैं निकला हुआ हूं। और ये UN की जिम्‍मेवारी है, जब हम 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं तो ये UN की जिम्‍मेवारी है कि दुनिया के सामने चित्र स्‍पष्‍ट होना चाहिए कि UN किसको terrorist मानता है किसको आतंकवादी मानता है और किसको मानवतावादी मानता है। एक बार नक्‍शा साफ होना चाहिए ताकि फिर दुनिया तय कर लेगी किस रास्‍ते पर चलना है, और तभी दुनिया में शांति आएगी।

हम तो उस धरती से आए हैं जहां गांधी और बुद्ध ने जन्‍म लिया था। सिद्धार्थ... सिद्धार्थ नेपाल की धरती पर पैदा हुए थे, लेकिन सिद्धार्थ बुद्ध बने थे बोधगया में आकर के। जिस धरती से अहिंसा का मंत्र निकला हो, वो विश्‍व को शांति के लिए आग्रहपूर्वक कह सकता है कि मानव जाति के लिए 21वीं सदी रक्‍तरंजित नहीं हो सकती है। निर्दोषों को मौत के घाट उतारने वाली 21वीं सदी को कलंकित होने से बचाना चाहिए। और उस बात को लेकर के मैंने ताल ठोक करके UN में अपनी बात बताई है, कल भी दोबारा जा रहा हूं, कल दोबारा बताने वाला हूं।

California मे मेरे भाइयो बहनों, आपने जो प्‍यार दिया, स्‍वागत किया, सम्‍मान किया, इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। और हम सब, हर हिन्‍दुस्‍तानी का जो सपना है, हम सभी सवा सौ करोड़ देशवासियों ने मिल करके उन सपनों को पूरा करना है - गरीब से गरीब का कल्‍याण हो, नौजवान को रोजगार हो, मां-बहनों का सम्‍मान हो, किसान हमारा सुखी संपन्‍न हो, गांव, गरीब किसान की जिंदगी में बदलाव आए - उस बात को ले करके हम चल पड़े हैं।

आपके अनेकानेक आर्शीवाद बने रहें, इसी एक अपेक्षा के साथ मैं फिर एक बार आपका धन्‍यवाद करता हूं।

और मैं, यहां के Senator यहां के Congressman इतनी बड़ी संख्‍या में आज आए, उन्‍होंने हमारे साथ भारत के प्रति अपना जो प्रेम दिखाया है, मैं उन सबका ह्दय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं। उन सभी वरिष्‍ठ नेता, जो अमेरिका की राजनीति का नेतृत्‍व कर रहे हैं, उनका मैं ह्दय से अभिनंदन करता हूं कि इतनी बड़ी मात्रा में यहां आए और इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

मेरे साथ दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की ... (जय!)

आवाज हिन्‍दुस्‍तान तक पहुंचनी चाहिए।

भारत माता की ... (जय!)

भारत माता की ... (जय!)

भारत माता की ... (जय!)

भारत माता की ... (जय!)

भारत माता की ... (जय!)

एक बार फिर, एक बार फिर वीर भगतसिंह जी को याद करेंगे,

वीर भगत सिंह ... (अमर रहें, अमर रहें!)

वीर भगत सिंह ... (अमर रहें, अमर रहें!)

वीर भगत सिंह ... (अमर रहें, अमर रहें!)

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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PM chairs Fifth National Conference of Chief Secretaries in Delhi
December 28, 2025
Viksit Bharat is synonymous with quality and excellence in governance, delivery and manufacturing: PM
PM says India has boarded the ‘Reform Express’, powered by the strength of its youth
PM highlights that India's demographic advantage can significantly accelerate the journey towards Viksit Bharat
‘Made in India’ must become a symbol of global excellence and competitiveness: PM
PM emphasises the need to strengthen Aatmanirbharta and strengthen our commitment to 'Zero Effect, Zero Defect’
PM suggests identifying 100 products for domestic manufacturing to reduce import dependence and strengthen economic resilience
PM urges every State must to give top priority to soon to be launched National Manufacturing Mission
PM calls upon states to encourage manufacturing, boost ‘Ease of Doing Business’ and make India a Global Services Giant
PM emphasises on shifting to high value agriculture to make India the food basket of the world
PM directs States to prepare roadmap for creating a global level tourism destination

Prime Minister Narendra Modi addressed the 5th National Conference of Chief Secretaries in Delhi, earlier today. The three-day Conference was held in Pusa, Delhi from 26 to 28 December, 2025.

Prime Minister observed that this conference marks another decisive step in strengthening the spirit of cooperative federalism and deepening Centre-State partnership to achieve the vision of Viksit Bharat.

Prime Minister emphasised that Human Capital comprising knowledge, skills, health and capabilities is the fundamental driver of economic growth and social progress and must be developed through a coordinated Whole-of-Government approach.

The Conference included discussions around the overarching theme of ‘Human Capital for Viksit Bharat’. Highlighting India's demographic advantage, the Prime Minister stated that nearly 70 percent of the population is in the working-age group, creating a unique historical opportunity which, when combined with economic progress, can significantly accelerate India's journey towards Viksit Bharat.

Prime Minister said that India has boarded the “Reform Express”, driven primarily by the strength of its young population, and empowering this demographic remains the government’s key priority. Prime Minister noted that the Conference is being held at a time when the country is witnessing next-generation reforms and moving steadily towards becoming a major global economic power.

He further observed that Viksit Bharat is synonymous with quality and excellence and urged all stakeholders to move beyond average outcomes. Emphasising quality in governance, service delivery and manufacturing, the Prime Minister stated that the label "Made in India' must become a symbol of excellence and global competitiveness.

Prime Minister emphasised the need to strengthen Aatmanirbharta, stating that India must pursue self-reliance with zero defect in products and minimal environmental impact, making the label 'Made in India' synonymous with quality and strengthen our commitment to 'Zero Effect, Zero Defect.’ He urged the Centre and States to jointly identify 100 products for domestic manufacturing to reduce import dependence and strengthen economic resilience in line with the vision of Viksit Bharat.

Prime Minister emphasised the need to map skill demand at the State and global levels to better design skill development strategies. In higher education too, he suggested that there is a need for academia and industry to work together to create high quality talent.

For livelihoods of youth, Prime Minister observed that tourism can play a huge role. He highlighted that India has a rich heritage and history with a potential to be among the top global tourist destinations. He urged the States to prepare a roadmap for creating at least one global level tourist destination and nourishing an entire tourist ecosystem.

PM Modi said that it is important to align the Indian national sports calendar with the global sports calendar. India is working to host the 2036 Olympics. India needs to prepare infrastructure and sports ecosystem at par with global standards. He observed that young kids should be identified, nurtured and trained to compete at that time. He urged the States that the next 10 years must be invested in them, only then will India get desired results in such sports events. Organising and promoting sports events and tournaments at local and district level and keeping data of players will create a vibrant sports environment.

PM Modi said that soon India would be launching the National Manufacturing Mission (NMM). Every State must give this top priority and create infrastructure to attract global companies. He further said that it included Ease of Doing Business, especially with respect to land, utilities and social infrastructure. He also called upon states to encourage manufacturing, boost ‘Ease of Doing Business’ and strengthen the services sector. In the services sector, PM Modi said that there should be greater emphasis on other areas like Healthcare, education, transport, tourism, professional services, AI, etc. to make India a Global Services Giant.

Prime Minister also emphasized that as India aspires to be the food basket of the world, we need to shift to high value agriculture, dairy, fisheries, with a focus on exports. He pointed out that the PM Dhan Dhanya Scheme has identified 100 districts with lower productivity. Similarly, in learning outcomes States must identify the lowest 100 districts and must work on addressing the issues around the low indicators.

PM also urged the States to use Gyan Bharatam Mission for digitization of manuscripts. He said that States may start a Abhiyan to digitize such manuscripts available in States. Once these manuscripts are digitized, Al can be used for synthesizing the wisdom and knowledge available.

Prime Minister noted that the Conference reflects India’s tradition of collective thinking and constructive policy dialogue, and that the Chief Secretaries Conference, institutionalised by the Government of India, has become an effective platform for collective deliberation.

Prime Minister emphasised that States should work in tandem with the discussions and decisions emerging from both the Chief Secretaries and the DGPs Conferences to strengthen governance and implementation.

Prime Minister suggested that similar conferences could be replicated at the departmental level to promote a national perspective among officers and improve governance outcomes in pursuit of Viksit Bharat.

Prime Minister also said that all States and UTs must prepare capacity building plan along with the Capacity Building Commission. He said that use of Al in governance and awareness on cyber security is need of the hour. States and Centre have to put emphasis on cyber security for the security of every citizen.

Prime Minister said that the technology can provide secure and stable solutions through our entire life cycle. There is a need to utilise technology to bring about quality in governance.

In the conclusion, Prime Minister said that every State must create 10-year actionable plans based on the discussions of this Conference with 1, 2, 5 and 10 year target timelines wherein technology can be utilised for regular monitoring.

The three-day Conference emphasised on special themes which included Early Childhood Education; Schooling; Skilling; Higher Education; and Sports and Extracurricular Activities recognising their role in building a resilient, inclusive and future-ready workforce.

Discussion during the Conference

The discussions during the Conference reflected the spirit of Team India, where the Centre and States came together with a shared commitment to transform ideas into action. The deliberations emphasised the importance of ensuring time-bound implementation of agreed outcomes so that the vision of Viksit Bharat translates into tangible improvements in citizens’ lives. The sessions provided a comprehensive assessment of the current situation, key challenges and possible solutions across priority areas related to human capital development.

The Conference also facilitated focused deliberations over meals on Heritage & Manuscript Preservation and Digitisation; and Ayush for All with emphasis on integrating knowledge in primary healthcare delivery.

The deliberations also emphasised the importance of effective delivery, citizen-centric governance and outcome-oriented implementation to ensure that development initiatives translate into measurable on-ground impact. The discussions highlighted the need to strengthen institutional capacity, improve inter-departmental coordination and adopt data-driven monitoring frameworks to enhance service delivery. Focus was placed on simplifying processes, leveraging technology and ensuring last-mile reach so that benefits of development reach every citizen in a timely, transparent and inclusive manner, in alignment with the vision of Viksit Bharat.

The Conference featured a series of special sessions that enabled focused deliberations on cross-cutting and emerging priorities. These sessions examined policy pathways and best practices on Deregulation in States, Technology in Governance: Opportunities, Risks & Mitigation; AgriStack for Smart Supply Chain & Market Linkages; One State, One World Class Tourist Destination; Aatmanirbhar Bharat & Swadeshi; and Plans for a post-Left Wing Extremism future. The discussions highlighted the importance of cooperative federalism, replication of successful State-level initiatives and time-bound implementation to translate deliberations into measurable outcomes.

The Conference was attended by Chief Secretaries, senior officials of all States/Union Territories, domain experts and senior officers in the centre.