PM Modi launches #Saubhagya, an initiative aimed at providing power to all homes
#Saubhagya Yojana will provide power connections to all the estimated 4 crore households which currently did not have a power connection
Coal shortages have become a thing of the past, and capacity addition in power generation has exceeded targets: PM
PM outlines his vision of an increase in renewable power installed capacity, towards the target of 175 GW by 2022
UDAY scheme has brought down losses of power distribution companies: PM Modi
New India requires an energy framework that works on the principle of equity, efficiency and sustainability: PM Modi
Change in work culture in the Union Government is strengthening the energy sector: PM Modi

पेट्रोलियम मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान जी, ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह जी, ऊर्जा सचिव श्री अजय के भल्ला जी, पेट्रोलियम सचिव श्री कपिल देव त्रिपाठी जी, ONGC के CMD श्री डी. के. सर्राफ जी, और यहां उपस्थित अन्य महानुभाव,

आज एक साथ तीन पवित्र अवसरों की त्रिवेणी का संयोग बना है। आज नवरात्र का पाँचवाँ दिन है औऱ इस दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता को सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। स्कंदमाता के आशीर्वाद से नवरात्र के इन दिनों में देश की महिलाओं की सुरक्षा और उनकी जिंदगी से जुड़ी एक बहुत महत्वपूर्ण योजना की आज शुरुआत होने जा रही है।

आज ही श्रद्धेय पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का जन्मदिन है, और आज ही देश को दीन दयाल ऊर्जा भवन भी मिल रहा है। पर्यावरण के अनुकूल और बिजली की कम खपत वाली इस ग्रीन बिल्डिंग का लोकार्पण करते हुए मुझे बहुत सुखद अनुभूति हो रही है। मुझे बताया गया है कि इस समय ONGC के हजारों कर्मचारी विशेष रूप से वीडियो लिंक के माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं। मैं आप सभी को इस भव्य भवन के लिए बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

आज एक तरह से देखें तो यहाँ पर अध्यात्म, आस्था और आधुनिक तकनीक, तीनों ही क्षेत्र ऊर्जा से जगमग हैं, रोशन हैं।

भाइयों और बहनों, पिछले वर्ष आज के ही दिन से गरीब कल्याण वर्ष का आरंभ हुआ था। सरकार ने तय किया था कि एक साल तक पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के जन्मशती वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाएगी। आज वर्ष के तौर पर भले इसका समापन हो रहा है लेकिन गरीब कल्याण इस सरकार की पहचान के साथ जुड़ा हुआ है।

जनधन योजना से लेकर स्वच्छ भारत अभियान तक, उज्जवला से लेकर मुद्रा तक, स्टार्ट अप से लेकर स्टैंड अप इंडिया तक, उजाला से लेकर उड़ान तक, आपको सिर्फ गरीब का कल्याण ही दिखेगा।

किसने सोचा था कि कभी ऐसी सरकार भी आएगी जो 30 करोड़ गरीबों के लिए बैंक खाते खुलवाएगी, किसने सोचा था कि कभी ऐसी सरकार आएगी जो एक रुपए महीने और 90 पैसे प्रतिदिन के प्रीमियम पर लगभग 15 करोड़ गरीबों को बीमा उपलब्ध कराएगी। किसने सोचा था कि कभी ऐसी सरकार आएगी जो बिना बैंक गारंटी 9 करोड़ खाताधारकों को साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज देगी।

किसने सोचा था कि कभी ऐसी सरकार आएगी जो इस बारे में सोचेगी कि महिलाओं को रसोई में धुएं से मुक्ति मिले, किसने सोचा था कि कभी ऐसी सरकार आएगी, जो इस बारे में सोचेगी कि हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में उड़ सके।

किसने सोचा था कि कभी ऐसी सरकार आएगी जो स्टंट की कीमतें कम कर देगी, घुटने के इम्प्लांट की कीमतें भी गरीब और मध्यम वर्ग की पहुंच में ले आएगी।

गरीब का सपना, मेरी सरकार का सपना है और गरीब की मुश्किलें, उसकी रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाली परेशानी कम करना मेरी सरकार का सबसे बड़ा दायित्व। आज इसी कड़ी में, देश के करोड़ों गरीब परिवारों से जुड़ी, गरीब महिलाओं से जुड़ी, एक बहुत ही बड़ी, बहुत ही महत्वपूर्ण, और बहुत ही आवश्यक योजना की शुरुआत की जा रही है।

भाइयों और बहनों, इस योजना का नाम है- प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना यानि सौभाग्य।

साथियों, स्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी हमारे देश में चार करोड़ से ज्यादा घर ऐसे हैं जिनमें बिजली कनेक्शन नहीं है। आप सोचिए, चार करोड़ घरों में रहने वाले लोगों की जिंदगी कैसी होती होगी। आप कल्पना करिए कि आपकी जिंदगी से अभी बिजली चली जाए तो आपकी जिंदगी कैसी होगी।

साथियों, सवा सौ साल से ज्यादा का समय बीत चुका है जब महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन ने बल्ब का आविष्कार किया था। दुनिया को अपना आविष्कार दिखाते हुए एडिसन ने कहा था- "We will make electricity so cheap that only the rich will burn candles” यानि हम बिजली को इतना सस्ता बना देंगे कि सिर्फ अमीर ही मोमबत्तियां जलाया करेंगे।

हम सभी के लिए ये दुखद है, अफसोसजनक है कि आज तक देश के चार करोड़ घरों में बल्ब तो दूर, बिजली तक नहीं पहुंच पाई है। उन घरों में आज भी मोमबत्तियां जल रही हैं, ढिबरी जल रही है, लालटेन जल रही है। उन करोड़ों गरीब परिवारों में आज भी शाम के बाद बच्चों को पढ़ने में दिक्कत होती है, पढ़ते भी हैं तो उसी लालटेन की रोशनी में। सुख-सुविधाओं की बात छोड़िए, घर की महिलाओं को भी अंधेरे में खाना बनाना पड़ता है। इसलिए ज्यादातर महिलाओं पर, दिन ढलने से पहले ही रसोई का काम खत्म करने का भी दबाव रहता है।

घरों में रोशनी नहीं, बिजली कनेक्शन नहीं, तो इसका सीधा असर रास्तों की रोशनी पर पड़ता है। अंधेरे में घर से बाहर निकलना और मुश्किल हो जाता है। विशेषकर महिलाएं तो जैसे घर में ही बंध कर रह जाती हैं।

बिना बिजली के जिंदगी कैसे होती है, ये समझना हमारे-आपके, हर उस व्यक्ति के लिए जरूरी है जिसके पास बिजली का कनेक्शन है। बिन बिजली वाले इन घरों में जब बिजली का कनेक्शन पहुंचेगा, तभी उनका भाग्य चमकेगा, तभी उनके लिए सौभाग्य होगा।

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना यानि सौभाग्य के तहत सरकार देश के हर ऐसे घर, चाहे वो गांव में हो, शहर में हो, दूर-दराज वाले इलाके में हो, उस घर को बिजली कनेक्शन से जोड़ेगी। किसी गरीब से बिजली कनेक्शन के लिए किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा। सरकार गरीब के घर पर आकर बिजली कनेक्शन देगी। जिस बिजली कनेक्शन के लिए गरीब को गांव के मुखिया के घर पर, सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगाने पड़ते थे, उस गरीब को घर जाकर ये सरकार खुद बिजली कनेक्शन देगी। बिना एक भी रुपया लिए, बिजली कनेक्शन।

देश के हर गरीब के घर में बिजली कनेक्शन पहुंचाने के लिए 16 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आएगा। हमने ये तय किया है कि इसका बोझ किसी गरीब पर नहीं डाला जाएगा।

इस सरकार ने गरीब को ये सौभाग्य देने का संकल्प लिया है। गरीब को सौभाग्य का ये संकल्प हम सिद्ध करके रहेंगे।

साथियों, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने कहा था- ''आर्थिक योजनाओं तथा आर्थिक प्रगति का माप समाज में ऊपर की सीढ़ी पर पहुंचे हुए व्यक्ति नहीं बल्कि सबसे नीचे के स्तर पर विद्यमान व्यक्ति से होगा यानि सरकार की योजनाओं की परख, उनकी पड़ताल इसी आधार पर होनी चाहिए कि उससे गरीब का कितना भला होता है। आज मुझे खुशी है कि पंडित दीन दयाल जी के जन्मदिवस पर देश के करोड़ों गरीब परिवारों के सपनों को पूरा करने वाली इतनी बड़ी योजना की शुरुआत हो रही है।

घर में बिजली ना होने पर गरीबों और विशेषकर महिलाओं-बच्चों को जिस तरह की दिक्कत आती है, उसे समझते हुए ही सरकार ने ऐसे 18 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाने की ठानी थी, जहां आजादी के इतने वर्षों के बाद भी बिजली नहीं पहुंची। मैंने लाल किले से एक हजार दिन में ये काम पूरा कर लेने का वादा किया था।

इन 18 हजार गांवों में से अब तीन हजार से भी कम गांव ही ऐसे बचे हैं जहां बिजली पहुंचाई जानी बाकी है। मेरा विश्वास है कि इन गावों में भी तय समय के भीतर बिजली पहुंच जाएगी।

भाइयों और बहनों, न्यू इंडिया में हर गांव तक ही बिजली नहीं पहुंचेगी, बल्कि न्यू इंडिया के हर घर में बिजली कनेक्शन भी होगा।

प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना यानि सौभाग्य की शुरुआत होना सरकार की इच्छाशक्ति और देश में ऊर्जा क्रांति के लिए किए जा रहे उपायों का भी प्रतीक है। बिना बिजली संकट दूर किए, बिना व्यवस्थाओं में सुधार किए, बिना पुराने सिस्टम का आधुनिकीकरण किए, इस तरह की योजना की शुरुआत नहीं की जा सकती। ये योजना पिछले तीन वर्षों में किए गए केंद्र सरकार के प्रयासों की भी प्रतीक है।

देश के लोग वो दिन नहीं भूल सकते, जब टीवी चैनलों पर बड़ी-बड़ी ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी- कोयला घरों में एक दिन का कोयला बचा, दो दिन का कोयला बचा। बिजली संकट का वो दौर था, जब ग्रिड फेल हो जाया करते थे, राज्य के राज्य अंधेरे में डूब जाते थे। और ये मैं कई दशक पहले की बात नहीं कर रहा। ये सब कुछ इस दशक की शुरुआत में ही हुआ है, पिछली सरकार के दौरान ही हुआ है।

अब याद करिए, कितने दिन हुए वैसी ब्रेकिंग न्यू चले। साथियों, देश बिजली संकट को पीछे छोड़कर अब बिजली सरप्लस हो चला है। और ये सब कुछ एक बड़ी रणनीति के तहत, नई अप्रोच के साथ, नई नीतियों के साथ, multidimensional step उठाने से हुआ है।

देश की बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए चार अलग-अलग चरणों पर एक साथ काम किया गया- Production, Transmission, Distribution और Connection.  अगर Production  नहीं होगा, Transmission - Distribution system मजबूत नहीं होगा, तो Connection की चाहे जितनी बातें कर ली जाएं, घर-घर बिजली नहीं पहुंचाई जा सकती थी।

इसलिए सरकार बनने के बाद, सबसे पहले Production बढ़ाने पर जोर दिया गया। सौर ऊर्जा, पानी से बनने वाली बिजली, कोयले से बनने वाली बिजली और न्यूक्लियर पावर, सभी से उत्पादन बढ़ाने के लिए चौतरफा काम शुरू हुआ।

  1. साथियों, वर्ष 2015 में हमने कोयला खदानों के लिए एक नया अधिनियम लागू किया था जिसके तहत पहली बार कोयला खदानों का रिवर्स ई-ऑक्शन हुआ है। साल 2009 से 2014 तक, पांच सालों में कोयले का उत्पादन सिर्फ 34 मिलियन टन बढ़ा था, वहीं पिछले 3 वर्षों में हमने 93 मिलियन टन उत्पादन बढ़ाकर 659 मिलियन टन प्रति वर्ष कर दिया है। मुझे आपको बताते हुए खुशी है कि इस सरकार के तीन वर्षों में ही PSU’s द्वारा कोयले के उत्पादन में हुई वृद्धि, पिछली सरकार के पांच वर्षों के कार्यकाल में हुई वृद्धि की तुलना में डेढ़ गुना से अधिक है।

जिन्हें खदान नहीं, कोयला चाहिए, उनके लिए चार महीना पहले सरकार ने "शक्ति" नाम से एक नई कोयला आवंटन की नीति भी लागू की है। इसके तहत बिजली पैदा करने वाले थर्मल प्लांटों को कोयले का आवंटन पारदर्शी तरीके से नीलामी द्वारा किया जाएगा। पिछले साल फरवरी में सरकार coal linkage के दोबारा आवंटन के लिए भी पारदर्शी नीलामी नीति को जारी कर चुकी है।

  1. साथियों, जिस कोयले की नीलामी में करोड़ों का घोटाला हुआ था, उसी कोयले की नीलामी की एक पारदर्शी और आधुनिक व्यवस्था इस सरकार ने देश को दी है। ये इस सरकार की नीतियों की नीयत है। ये सरकार बिजली के क्षेत्र में सुलभसस्तीस्वच्छसुनियोजितसुनिश्चित एवं सुरक्षित बिजली उपलब्ध कराने के 6 मूलभूत सिद्धांतों पर काम कर रही है।
  2. पिछले तीन वर्षों में सरकार के प्रयासों से पहली बार Installed Power Capacity में 60 हजार मेगावॉट की वृद्धि हुई है, जो लक्ष्य से 12% अधिक है।
  3. साथियों, भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते समय हमने ये भी संकल्प लिया था कि ये काम clean energy को प्राथमिकता देते हुए किया जाएगा। इसलिए ही सरकार ने 2022 तक 175 गीगावॉट clean energy के उत्पादन का लक्ष्य रखा था। यानि ऐसी बिजली जो Solar, Wind और Hydro से बने।
  4. इस लक्ष्य पर चलते हुए पिछले तीन वर्षों में भारत में Renewable Energy Capacity को लगभग दोगुना कर दिया गया है और इसमें 27 हजार मेगावॉट से ज्यादा क्षमता की वृद्धि की गई है। इसी अवधि में सौर ऊर्जा की क्षमता लगभग पांच गुना बढ़ गई है।
  5. Renewable Energy के सेक्टर में कंपटीशन को बढ़ावा देकर, सरकार ने ये भी सुनिश्चित किया है कि वो देश के आम नागरिकों के लिए किफायती भी रहे। Renewable Energy की लागत में कमी पर लगातार ध्यान दिया जा रहा है। इसी वजह से साल 2016-17 में हमें सौर ऊर्जा सिर्फ 2 रुपए 44 पैसे और पवन ऊर्जा सिर्फ 3 रुपए 42 पैसे के Minimum teriff पर मिली है। इतनी कम कीमतों ने अंतरराष्ट्रीय जगत का ध्यान भी अपनी ओर खींचा है।
  6. साथियों, सरकार ने बिजली ट्रांसमिशन के क्षेत्र में भी investment काफी बढ़ाया है जिसकी वजह से देश के Transmission Network में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले तीन सालों में डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स पर काम किया गया है। ये पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों की तुलना में 83 प्रतिशत अधिक है। इस सरकार में लक्ष्य से 12 प्रतिशत से ज्यादा ट्रांसमिशन लाइन लगाई गई हैं।

इसके कारण न केवल आज देश को सुरक्षित और संतुलित ग्रिड उपलब्ध हुआ है, बल्कि हम अब तेजी के साथ One Nation, One Grid, One Price के लक्ष्य की ओर भी बढ़ रहे हैं।

  1. भाइयों और बहनों, बरसों तक देश के पावर सेक्टर की उपेक्षा किए जाने की वजह से इस सेक्टर की बहुत बड़ी कमजोरी बन गया था Power Distribution. इस वजह से जितनी बिजली देश में पैदा हो रही थी, उतनी बिजली लोगों को मिल नहीं रही थी। Power Distribution कंपनियां भी हर अतिरिक्त यूनिट पर आर्थिक नुकसान उठा रहीं थीं।

इस कमजोर कड़ी को तोड़ने के लिए, Power Distribution System मजबूत करने के लिए, 2015 में सरकार ने उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना यानि उदय की शुरुआत की थी। उदय योजना का मकसद बिजली Distribution के काम में लगी कंपनियों में बेहतर Operational और Financial Managment की स्थापना करना था। जब इन कंपनियों में स्थायित्व होगा, वो व्यवसायिक रूप से मजबूत होंगी, तभी Distribution पर भी ध्यान दे पाएंगी।

आज तीन वर्षों के लगातार प्रयास की वजह से बिजली डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों की सेहत में सुधार आता दिख रहा है। इसी का नतीजा है कि Distribution कंपनियों ने अगस्त 2017 तक लगभग 23,500 करोड़ रुपये की राशि बचाई है जो उन्हें ब्याज के तौर पर देनी पड़ती।

उदय के एक ही वर्ष में, साल 2016 के मुकाबले डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों का सालाना नुकसान वर्ष 2017 में लगभग 42 प्रतिशत घट गया है। उदय योजना विकास के लिए competitive-cooperative fedrelism का भी शानदार उदाहरण है।

  1. साथियों, ये सरकार गांवों और शहरों में बिजली के डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम को मजबूत करने के लिए भी दो बड़ी योजनाओं पर काम कर रही है।

गांवों में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना चल रही है और शहरों में इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम यानि IPDS. इन दोनों योजनाओं से जुड़ी 69 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। इन योजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को भी पिछले तीन सालों में बिजली के वितरण क्षेत्र की योजनाओं के तहत लगभग 22 हजार करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई है। ये राशि, पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में उपलब्ध कराई गयी राशि से दो गुना से भी ज्यादा है।

  1. भाइयों और बहनों, देशभर में Power Distribution सेक्टर में केंद्र सरकार ने जो फैसले लिए हैं, जो नीतियां बनाई हैं, उसका सीधा असर Ease of Doing Business पर भी पड़ा है। पावर सेक्टर में Ease of Doing Business के मामले में भारत साल 2015 में 99वें स्थान पर था। जबकि अब उसकी रैंकिंग 26 हो गई है। रैंकिंग में इतना बड़ा उछाल इस सेक्टर को सुधारने में लगे लोगों के लिए गौरव की बात है।
  2. पावर सेक्टर में भारत के कार्यों पर एक और अंतरराष्ट्रीय एजेंसी की तरफ से Point किया गया है। अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA ने पिछले साल रात में अंतरिक्ष से भारत का एक चित्र लिया था। इस चित्र में भारत जगमगा रहा था। ऐसा ही एक चित्र साल 2012 का भी है और उसमें पावर सेक्टर की अलग कहानी नजर आती है।
  3. साथियों, ये सरकार पावर सेक्टर को मजबूत करने के साथ ही, इस बात पर भी जोर दे रही है कि पावर की डिमांड कम करने वाले आधुनिक तरीकों को अपनाया जाए। ये आधुनिक तरीके बिजली तो बचाते ही हैं, लोगों का बिजली का बिल भी कम करते हैं।

सरकार के प्रयास की वजह से LED बल्ब, जो फरवरी 2014 में 310 रुपए का था, अब सितंबर 2017 में लगभग 40 रुपए का हो गया है। उजाला योजना के तहत अब तक देश में 26 करोड़ से ज्यादा LED बल्ब बांटे जा चुके हैं। इससे लोगों को बिजली बिल में सालाना 13 हजार 700 करोड़ रुपए से ज्यादा की अनुमानित बचत हुई है। प्राइवेट सेक्टर ने भी 41 करोड़ से ज्यादा LED बल्बों का वितरण किया है।

इसके अलावा सरकार द्वारा बिजली बचाने वाले लगभग 13 लाख पंखे और 33 लाख से ज्यादा ट्यूब लाइटों का भी वितरण किया गया है। विश्व के सबसे बड़े कार्यक्रम के तहत 33 लाख 60 हजार से ज्यादा LED स्ट्रीट लाइटें भी लगाई गई हैं।

  1. साथियों, पारदर्शिता और जवाबदेही इस सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। देश के आम नागरिक, देश का गरीब, देश का हर 'उपभोक्ता हमारे लिए सर्वोपरि है'। उनसे हर स्तर पर सुझाव लेना और उन्हें कार्यों की जानकारी देना, दोनों को ही लेकर सरकार बहुत गंभीर है। मोबाइल App, वेब पोर्टल, dashboard के जरिए योजनाओं की प्रगति को तो लोगों तक पहुंचाया जा ही रहा है, लोगों से सुझाव भी लिए जा रहे हैं।

 

साथियों, हमारी अर्थव्यवस्था के विस्तार को देखते हुए ये भी स्वाभाविक है कि आने वाले वर्षों में हमारी energy demand और बढ़ने जा रही है। ऐसे में हमें एक balance बनाकर चलना पड़ेगा। देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में Hydrocarbons की बड़ी भूमिका है। अभी देश की ऊर्जा जरूरत मुख्यत: कोयले से पूरी होती है। आने वाले दिनों में इसे हमें Gas और साथ-साथ renewable energy से भी संतुलित करना पड़ेगा। Carbon-related Emissions को कम करना हमारे COP-21 कमिटमेंट के साथ भी जुड़ा हुआ है।

न्यू इंडिया में हमें एक ऐसे energy framework की आवश्यकता है जो equity, efficiency and sustainability के सिद्धांत पर चले। ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम घरेलू सप्लाई को कितना बढ़ा पाते हैं और आयात पर अपनी निर्भरता कितनी कम कर पाते हैं।

अगर 2022 तक हम तेल आयात में 10 प्रतिशत की कटौती कर सकें तो ये सिर्फ उद्योगों को ही नहीं देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। पिछले दस वर्षो में Crude Imports पर हमने लगभग एक ट्रिलियन डॉलर खर्च किया है। ये हमारे आम बजट से भी करीब-करीब तीन गुना ज्यादा है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि तेल आयात में कटौती करके, जो राशि बचेगी, वो जब देश के ग्रामीण इलाकों में विकास की योजनाओं पर खर्च होगी तो कितना ज्यादा सामाजिक और आर्थिक विकास होगा।

साथियों, पिछले तीन वर्षों में Oil और Gas सेक्टर में सुधार करते हुए कई बड़े consumer centric initiatives शुरू किए गए हैं। जैसे प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, LPG सब्सिडी को direct benefit transfer स्कीम से जोड़ना, Piped नैचुलर गैस सप्लाई और सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का विस्तार करना, LPG कवरेज बढ़ाना।

इसके अलावा पॉलिसी स्तर पर भी कई बड़े फैसले लिए गए हैं। जैसे Liquid fuels की कीमत को डिरेग्यूलेट करना, Gas pricing के लिए नई नीतियां बनाना, घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए नए उपाय, HELP यानि Hydrocarbon Exploration और Licencing policy बनाना, DSF यानि Discovered Small Field की नीलामी के लिए पॉलिसी का गठन करना, फर्टिलाइजर सेक्टर में गैस पूलिंग करना।

भाइयों और बहनों, सरकार पर्यावरण की रक्षा को लेकर भी पूरी तरह संवेदनशील है। इसी को ध्यान में रखते हुए व्यापक स्तर पर पेट्रोल में इथेनॉल की ब्लेन्डिंग, बायो डीजल से जुड़ी योजनाएं, LNG टर्मिनलों के विकास के कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

भविष्य में देश की ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित करने के लिए तेल का उत्पादन करने वाले बड़े देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया जा रहा है। इसी कड़ी में भारत-रूस energy bridge का गठन किया गया है। पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मंत्रालय की तरफ से विदेश में ऐसे कई समझौते किए गए हैं जो भविष्य में हमारे हितों को ध्यान में रखेंगे।

सरकार के work-culture में बदलाव से पूरा Energy सेक्टर मजबूत हो रहा है और Energy सेक्टर के मजबूत होने से देश को भी एक नया work-culture मिलेगा। देश के दूर-दराज वाले इलाकों में रहने वालों की जिंदगी में जब रोशनी पहुंचेगी, Gas पहुंचेगी, तो उनके जीने का तरीका, काम करने का तरीका भी बदल जाएगा। मुझे उम्मीद है कि “उज्जवला योजना” की तरह ही “सौभाग्य योजना” भी विशेषकर नारी शक्ति की जिंदगी में सुरक्षा और सेहत के नए भाग्य का उदय करेगी। इससे हमारे समाज का एक बड़ा असुतंलन भी खत्म होगा।

गरीबों की जिंदगी बदलने के लिए, उनकी जिंदगी से अँधेरा दूर करने के लिए, न्यू इंडिया के लिए, उठाए गए इस कदम के लिए मैं देश को फिर बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !!!

जय हिंद !!!

 

 

 

 

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Cabinet approves Rs 1,526.21 crore upgrade of NH-326 in Odisha
December 31, 2025

The Union Cabinet chaired by the Prime Minister Shri Narendra Modi today approved the widening and strengthening of existing 2-Lane to 2-Lane with Paved Shoulder from Km 68.600 to Km 311.700 of NH-326 in the State of Odisha under NH(O) on EPC mode.

Financial implications:

The total capital cost for the project is Rs.1,526.21 crore, which includes a civil construction cost of Rs.966.79 crore.

Benefits:

The upgradation of NH-326 will make travel faster, safer, and more reliable, resulting in overall development of southern Odisha, particularly benefiting the districts of Gajapati, Rayagada, and Koraput. Improved road connectivity will directly benefit local communities, industries, educational institutions, and tourism centres by enhancing access to markets, healthcare, and employment opportunities, thereby contributing to the region’s inclusive growth.

Details:

  • The section of Mohana–Koraput of the National Highway (NH-326) at present have sub-standard geometry (intermediate lane/2-lane, many deficient curves and steep gradients); the existing road alignment, carriageway width and geometric deficiencies constrain safe, efficient movement of heavy vehicles and reduce freight throughput to coastal ports and industrial centres. These constraints will be removed by upgrading the corridor to 2-lane with paved shoulders with geometric corrections (curve realignments and gradient improvements), removal of black spots and pavement strengthening, enabling safe and uninterrupted movement of goods and passengers and reducing vehicle operating costs.
  • The upgradation will provide direct and improved connectivity from Mohana–Koraput into major economic and logistics corridors — linking with NH-26, NH-59, NH-16 and the Raipur–Visakhapatnam corridor and improving last-mile access to Gopalpur port, Jeypore airport and several railway stations. The corridor connects important industrial and logistic nodes (JK Paper, Mega Food Park, NALCO, IMFA, Utkal Alumina, Vedanta, HAL) and education/tourism hubs (Central University of Odisha, Koraput Medical College, Taptapani, Rayagada), thereby facilitating faster freight movement, reducing travel time and enabling regional economic development.
  • The project lies in southern Odisha (districts of Gajapati, Rayagada and Koraput) and will significantly improve intra-state and inter-state connectivity by making vehicle movement faster and safer, stimulating industrial and tourism growth and improving access to services in aspirational and tribal areas. Economic analysis shows the project’s EIRR at 17.95% (base case) while the financial return (FIRR) is negative (-2.32%), reflecting the social and non-market benefits captured in the economic appraisal; the economic justification is driven largely by travel-time and vehicle-operating-cost savings and safety benefits (including an estimated travel-time saving of about 2.5–3.0 hours and a distance saving of ~12.46 km between Mohana and Koraput after geometric improvements).

Implementation strategy and targets:

  • The work will be implemented on EPC mode. Contractors will be required to adopt proven construction and quality-assurance technologies, which may include precast box-type structures and precast drains, precast RCC/PSC girders for bridges and grade separators, precast crash barriers and friction slabs on Reinforced-Earth wall portions, and Cement Treated Sub-Base (CTSB) in pavement layers. Quality and progress will be verified through specialized survey and monitoring tools such as Network Survey Vehicle (NSV), periodic drone-mapping. Day-to-day supervision will be carried out by an appointed Authority Engineer and project monitoring will be conducted through the Project Monitoring Information System (PMIS).
  • The work is targeted to be completed in 24 months from the appointed date for each package, followed by a five-year defect liability/maintenance period (total contract engagement envisaged as 7 years: 2 years construction + 5 years DLP). Contract award will follow after completion of statutory clearances and required land possession.

Major impact, including employment generation potential:

  • This project is aimed at providing faster and safer movement of traffic and improving connectivity between the southern and eastern parts of Odisha, particularly linking the districts of Gajapati, Rayagada, and Koraput with the rest of the State and neighbouring Andhra Pradesh. The improved road network will facilitate industrial growth, promote tourism, enhance access to education and healthcare facilities, and contribute to the overall socio-economic development of the tribal and backward regions of southern Odisha.
  • Various activities undertaken during the construction and maintenance period are expected to generate significant direct and indirect employment opportunities for skilled, semi-skilled and unskilled workers. The project will also boost local industries involved in the supply of construction materials, transportation, equipment maintenance, and related services, thus supporting the regional economy.
  • The project is located in the State of Odisha and traverses three districts — Gajapati, Rayagada, and Koraput. The corridor connects major towns such as Mohana, Rayagada, Laxmipur, and Koraput, providing improved intra-state connectivity within Odisha and enhancing inter-state linkage with Andhra Pradesh through the southern end of NH-326.

Background:

Government has declared the stretch “the Highway starting from its junction with NH-59 near Aska, passing through Mohana, Raipanka, Amalabhata, Rayagada, Laxmipur and terminating at its junction with NH-30 near Chinturu in the State of Odisha” as NH-326 vide Gazette Notification dated 14th August 2012.