Gita teaches us harmony and brotherhood, says PM Modi

Published By : Admin | February 26, 2019 | 17:11 IST
QuoteBhagavad Gita is a world heritage which has been enlightening generations across the world since thousands of years: PM
QuoteGita teaches us harmony and brotherhood, says PM Modi
QuoteGita is not only a ‘Dharma Granth’ but also a ‘Jeevan Granth’: PM Modi

हरे कृष्‍णा – हरे कृष्‍णा

एस्कॉन के चेयरमैन पूज्‍य गोपाल कृष्‍ण महाराज जी, मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्री महेश शर्मा जी, संसद में मेरे सहयोगी श्रीमती मीनाक्षी लेखी जी, एस्कॉन के अन्‍य महत्‍वपूर्ण सदस्‍यगण और यहां उपस्थित देवियो और सज्‍जनों।
मुझे बताया गया है कि इस कार्यक्रम में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, हंगरी समेत कई देशों से लोग पहुंचे हैं; आप सभी का भी बहुत-बहुत अभिवादन।

सा‍थियो, आज का दिन बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। हरे कृष्‍णा, हरे कृष्‍णा। आज का दिवस इसलिए महत्‍वपूर्ण है कि आज सुबह ही मैंने गांधी शांति पुरस्‍कारों के कार्यक्रम में हिस्‍सा लिया और अभी मुझे दिव्‍यत्तम ग्रंथ गीता के भव्‍यत्तम रूप को राष्‍ट्र को स‍मर्पित करने का अवसर मिल रहा है। ये अवसर मेरे लिए और भी खास है क्‍योंकि मैं उस जगह खड़ा हूं, जहां करीब दो दशक पहले अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इस मन्दिर परिसर का शिलान्‍यास किया था।

साथियो, दुनिया की ये भव्‍यत्तम श्रीमद्भभगवदगीता तीन मीटर लम्‍बी और 800 किलो की है। ये सिर्फ अपने आकार की वजह से ही खास नहीं है, वास्‍तव में ये सदियों तक दुनिया को दिए गए महान भारतीय ज्ञान का प्रतीक बन करके, प्रतिचिन्‍ह बन करके रहने वाली है। इस गीता को बनाने में एस्‍कॉन से जुड़े आप सभी ने अपना पूरा सामर्थ्‍य और रचनात्‍मकता लगाई है। ये गीता भगवान श्रीकृष्‍ण और स्‍वामी पूर्वार्द्ध के श्रद्धालुओं की भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इस सराहनीय प्रयास के लिए आप सभी बधाई के पात्र हैं। इससे भारत के पुरातन और दिव्‍य ज्ञान की परम्‍परा की तरफ विश्‍व की रुचि और अधिक बढ़ेगी।

साथियो, भगवदगीता को सामान्‍य से सामान्‍य मानवी तक पहुंचाने के अनेक प्रयास अब तक हो चुके हैं। सबसे छोटी गीता से लेकर सबसे बड़ी गीता तक- इस दिव्‍य ज्ञान को सरल और सुलभ कराने के लिए निरन्‍तर कोशिशें हुई हैं। देश-विदेश की अनेक भाषाओं में भगवद-गीता का अनुवाद हो चुका है।

साथियो, लोकमान्‍य बाल गंगाधर तिलक जी ने तो जेल में रह करके गीता रहस्‍य लिखा है। इसमें लोकमान्‍य तिलक ने भगवान श्रीकृष्‍ण के निष्‍काम कर्मयोग की बहुत ही सरल व्‍याख्‍या की है। उन्‍होंने लिखा है कि गीता के संदेश का प्रभाव केवल दार्शनिक या विद्वानों की चर्चा तक सीमित नहीं है बल्कि आचार-विचार के क्षेत्र में भी वो सदैव जीता-जागता प्रतीत होता है। लोकमान्‍य तिलक ने मराठी में गीता के ज्ञान को सामान्‍य मानवी तक पहुंचाया और गुजराती में भी इसका अनुवाद कराया।

इसी गुजराती अनुवाद को राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने जेल में पढ़ा और इससे गांधीजी को भगवदगीता according to Gandhi, को लिखने में बहुत अधिक मदद मिली। इस रचना के माध्‍यम से गांधीजी ने गीता का एक और पक्ष दुनिया के सामने रखा। गांधीजी की ये पुस्‍तक मैंने अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति श्रीमान बराक ओबामा जी को भी उपहार के रूप में दी थी।

साथियो, श्रीमद्भगवदगीता भारत का दुनिया को सबसे प्रेरक उपहार है। गीता पूरे विश्‍व की धरोहर है। गीता हजारों साल से प्रासंगिक है। विश्‍व के नेताओं से लेकर सामान्‍य मानवी तक, सभी को गीता ने लोकहित में कर्म करने का मार्ग दिखाया है। भारत के करीब-करीब हर घर में तो किसी न किसी रूप में भगवदगीता विराजमान है ही, दुनिया भर की अनेक महान विभूतियां भी इसकी दिव्‍यता से अछूती नहीं रह पाई हैं। ज्ञान से लेकर विज्ञान तक हर क्षेत्र के अनेक लोगों की प्रेरणा, कुरुक्षेत्र के मैदान पर कही गई ये अमरवाणी है।

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साथियो, मशहूर जर्मन philosopher Schopenhauer ने लिखा था- गीता और उपनिषद के अध्‍ययन से अधिक हितकर सम्‍पूर्ण विश्‍व में कोई अध्‍ययन नहीं है, जिसने मेरे जीवन को शांति से परिचित कराया और मेरी मृत्‍यु को भी अनंत शांति का भरोसा दिया। ये बातें उन्‍होंने उस दौर में कहीं जब हमारा देश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था, हमारी संस्‍कृति, हमारी परम्‍परा को भी कुचलने के अनेक प्रयास किए जा रहे थे, भारतीय दर्शन को नीचा दिखाने के भरपूर प्रयास चल रहे थे।

साथियो, दुनिया को भारत के इस पुरातन ज्ञान से, पवित्रता से परिचित कराने का एक बड़ा प्रयास मंच पर विराजमान विभूतियों ने किया है और मेरे सामने मौजूद अनेक विद्वानों और भगतों ने भी किया है। श्रीमद-भक्ति वेदान्‍त स्‍वामी प्रभुनाथ जी ने तो खुद को भगवद-गीता के लिए समर्पित कर दिया था। जिस प्रकार गांधीजी के लिए गीता और सत्‍याग्रह जीवन का अहम हिस्‍सा रहा है, उसी तरह स्‍वामीजी के लिए भी मानवता की सेवा के ये दो मार्ग हमेशा प्रिय रहे। यही कारण है कि उन्‍होंने पहले गांधीजी के नेतृत्‍व में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्‍सा भी लिया था और देश के आजाद होने के बाद वो मानव-मुक्ति की अलख जगाने के लिए दुनिया के भ्रमण पर निकल गए। अपनी मजबूत इच्‍छाशक्ति से हर प्रकार की चुनौतियों का सामना करते हुए उन्‍होंने एस्‍कॉन जैसा एक अभियान छेड़ा जो आज भगवान श्रीकृष्‍ण के दिखाए मार्ग से दुनिया को परिचित कराने में जुटा हुआ है।

साथियो, गीता धर्मग्रंथ तो है, पर ये जीवन ग्रंथ भी है। हम किसी भी देश के हों, किसी भी पंथ के मानने वाले हों, पर हर दिन समस्‍याएं घेरती रहती हैं। हम जब भी वीर अर्जुन की तरह अनिर्णय के दौराहे पर खड़े होते हैं तो श्रीमद्भगवदगीता हमें सेवा और समर्पण के रास्‍ते इन समस्‍याओं के हल दिखाती है। अगर आप एक विद्यार्थी हैं और अनिर्णय की स्थिति में हैं, आप किसी देश के राष्‍ट्राध्‍यक्ष हैं या फिर मोक्ष की कामना रखने वाले आप योगी हैं; आपको अपने हर प्रश्‍न का उत्‍तर श्रीमद्भगवदगीता में मिल जाएगा।

मैं तो मानता हूं कि गीता मानव जीवन की सबसे बड़ी manual book है। जीवन की हर समस्‍या का हल गीता में कहीं न कहीं मिल जाता है। आप प्रभु ने तो स्‍पष्‍ट कहा है-


परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्‍कृताम्
धर्मसंस्‍थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे।।

मतलब दुष्‍टों से, मानवता के दुश्‍मनों से धरती को बचाने के लिए प्रभु की शक्ति हमारे साथ हमेशा रहती है। यही संदेश हम पूरी प्रमाणिकता के साथ दुष्‍ट आत्‍माओं, असुरों को देने का प्रयास कर रहे हैं।

भाइयो और बहनों, प्रभु जब कहते हैं कि क्‍यों व्‍यर्थ चिंता करते हो, किससे व्‍यर्थ डरते हो, कौन तुम्‍हें मार सकता है, तुम क्‍या लेकर आए थे और क्‍या ले करके जाओगे- तो अपने-आप में खुद को जन सेवा और राष्‍ट्रसेवा के लिए समर्पित होने की प्रेरणा अपने-आप मिल जाती है।

साथियो, हमने ये प्रयास किया है कि सरकार के हर फैसले, हर नीति के मूल में न्‍याय हो, समभाव हो, समता का सार हो। सबका साथ-सबका विकास का मंत्र इसी भावना का परिणाम है और हमारी हर योजना, हर निर्णय इसी भाव को परिलक्षित भी करते हैं। चाहे वो भ्रष्‍ट आचरण के विरुद्ध उठाए गए कदम हों या फिर गरीब कल्‍याण से जुड़े ये हमारे निरतंर कार्य। ये हमारा निरन्‍तर प्रयास रहा है कि अपने-पराये के चक्‍कर से राजनीति को बाहर निकाला जाए।

साथियो, हमारी सरकार का हमेशा से ये दृढ़ विश्‍वास रहा है कि भारतीय संस्‍कृति, भारतीय मूल्‍य, भारतीय परम्‍परा में दुनिया की अनेक समस्‍याओं का समाधान है। हिंसा हो, परिवारों के संकट हों, पर्यावरण से जुड़ी समस्‍या हो; ऐसी हर चुनौती जिससे दुनिया आज जूझ रही है, उसका समाधान भारतीय दर्शन में है। योग और आयुर्वेद की मुहिम को विश्‍वभर में पहचान और उसमें जुटे आप जैसे संस्‍थान और देश के अनेक संतों की तपस्‍या को हमारी सरकार ने बुलंद आवाज दी है। जिसके परिणामस्‍वरूप आज Health and Wellness के लिए विश्‍व तेजी से योग और आयुर्वेद की तरफ आकर्षित हो रहा है।

साथियो, मेरा ये भी मानना है कि योग आयुर्वेद से ले करके हमारे प्राचीन ज्ञान और विज्ञान से अभी दुनिया का सही मायने में परिचय होना काफी बाकी है। हमारा सर्वश्रेष्‍ठ अभी दुनिया के सामने आना बाकी है।

मेरा आप सभी से, हमारे पुरातन ज्ञान-विज्ञान से जुड़े तमाम कर्मयोगियों से ये आग्रह रहेगा कि वो अपने प्रयासों को और गति दें और नई पीढ़ी को भी रिसर्च से जोड़ें। सरकार आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार है।

एक बार फिर एस्‍कॉन से जुड़े हर भगत को, हर भारतवासी को, मानवता में विश्‍वास रखने वाले दुनिया के हर व्‍यक्ति को इस दिव्‍य भगवद-गीता के लिए मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई।

आपने मुझे यहां आम‍ंत्रित किया, इस पवित्र अवसर का भागीदार बनाया। इसके लिए मैं आप सबका बहुत-बहुत आभारी हूं।
बहुत-बहुत धन्‍यवाद, हरे कृष्‍णा।

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PM Modi's statement ahead of departure for visit to Cyprus, Canada and Croatia
June 15, 2025

Today, I will embark on a three-nation tour to the Republic of Cyprus, Canada and Croatia.

On June 15-16, I will visit the Republic of Cyprus at the invitation of President H.E Nikos Christodoulides. Cyprus is a close friend and an important partner in the Mediterranean region and the EU. The visit provides an opportunity to build upon the historical bonds and expand our ties in the areas of trade, investment, security, technology and promote people-to-people exchanges.

From Cyprus, I will travel to Kananaskis, Canada to attend the G 7 Summit at the invitation of Prime Minister H.E. Mark Carney. The Summit will provide space for exchange of views on pressing global issues and the priorities of the Global South. I also look forward to engaging withleaders from partner countries.

On 18 June, I look forward to my visit to the Republic of Croatia and meetings with President Zoran Milanovic and Prime Minister Andrej Plenkovic. Both our countries enjoy centuries-old close cultural links. As the first visit by an Indian Prime Minister to Croatia, it will open new avenues for bilateral cooperation in areas of mutual interest.

This three-nation tour is also an opportunity to thank partner countries for their steadfast support to India in our fight against cross-border terrorism, and to galvanize global understanding on tackling terrorism in all its forms and manifestations.