PM Narendra Modi congratulates the children who received bravery awards
The presence of mind of these children is really commendable: PM Modi
The bravery of a few gave a new life to many others. Sahas has to be a part of Swabhav: PM Modi
Children should continue to develop their career, as well as serve society to best of their abilities: PM

मंत्री परिषद के मेरे साथी श्रीमती मेनका जी… गीता जी और आज जिन वीर बालकों को पुरस्कार मिल रहा है और उनके परिवारजन और सभी उपस्थित महानुभाव मैं इन सभी बालकों को हृदय से बहुत-बहुत अभिनन्दन करता हूं। उनके माता -पिता का भी गौरव करता हूं। लेकिन मैं देख रहा था कि ज्यादातर पुरस्कार पानी से जुड़ा हुआ है और कुछ जो है बिजली से जुड़ा हुआ है। शायद ये बातें होगी जो जल्दी ध्यान में आती होगी।

घटना का उतना महत्व नहीं होता है कि जितना कि उस समय उस पल उस बालक के मन में विचार कैसे आया होगा कैसे उसने कदम उठाया। हम भी देखते होंगे हमारे जीवन भी बहुत सी घटनाएं घटती होंगी लेकिन उस समय हमें ध्यान नहीं आता है कि हां इसका शायद यह हो सकता है। और इसलिए presence of mind और उसके अनुरूप Act उसी का परिणाम होता है कि किसी का साहस किसी को नई जिन्दगी देता है।

ये वो बालक है जिन्होंने उस प्रकार की बातों को कर दिखाया है। लेकिन व्यक्ति के जीवन में साहस एक स्वभाव बनना चाहिए। अगर साहस एक स्वभाव नहीं बनता है । साहस सिर्फ एक घटना रह जाती है, तो फिर समाज जीवन में जिस प्रकार के लोगों की जरूरत होती है उसकी कमी महसूस होती है। जिन बालकों ने इन बातों को किया है। हमें आज लगता होगा कि यार ठीक है कर लिया होगा। लेकिन उस घटना के संबंध और उस परिपेक्ष को देखें तो पता चलता है ये कैसे किया होगा। उस समय अगर तार याद आया उसको प्लास्टिक के स्लीपर याद आ गए ,उसको करंट लगता है तो बचाना चाहिए। सारी चीज एक साथ उसके मन में आई। यही अपने आप में एक बहुत बड़ी बात होती है। वरना ठीक है कोई देखे तो कोशिश करेगा चलो मैं जरा बचा लूं। लेकिन इतनी चीजों को एक साथ जोड़ कर के सफलतापूर्वक कर लेता है, तो उसका मतलब कोई न कोई उसका मन चलता है।

सामान्य रूप से व्यक्ति बहादुर है इसलिये सहासिक होता है ऐसे जरूरी नहीं है। बहादुर होता है व्यक्ति। लड़ाई के मैदान में है तो परास्त भी कर सकता है। लेकिन जब तक भीतर संवेदना नहीं होती है साहस प्रकट नहीं होता है। किसी के लिए कुछ करने का भाव सहज रूप से स्वभाव का हिस्सा नहीं हुआ है, तो नहीं होता है और ये तब होता है जब हरेक के प्रति अपनापन का भाव हो।

हमारी आंख में कुछ गिर जाए, तो कोई सर्कुलर नहीं निकालना पड़ता है कि हाथ ऊप जाएगा, आंख के पास जाएगा और आंख को ठीक करेगा ऐसा सर्कुलर नहीं निकालना पड़ता है। लेकिन आंख में कुछ गिरा नहीं कि हाथ वहां पहुंचा नहीं उंगली ने जाकर के कुछ न कुछ आंख की मदद की नहीं ...क्यों करते हैं क्योंकि अंगा अंगी भाव होता है। शरीर का एक अंग दूसरे अंग के साथ इतना आत्मीय रूप से जुड़ा होता है कि सहज रूप से शरीर का दूसरा अंग Act करता है।

समाज जीवन में भी मानव जात के प्रति, समाज के प्रति, प्रकृति के प्रति जब ये अंगा अंगी भाव होता है। अपनत्व का भाव होता है। मैं इस समुद्र का एक हिस्सा हूं तब जाकर के उसके लिए कुछ करने की प्रेरणा पैदा होती है और वो साहस में परिवर्तित होकर के स्थितियों को बदलती है। इन बालकों ने जो काम किया है मैं उसके लिए उनको बधाई देता हूं। लेकिन मैं चाहूंगा कि यही एक तस्वीर, यही एक घटना, वही उनकी जिन्दगी के लिए सबकुछ नहीं हो जाना चाहिए वरना एक ग्लैमर आ जाता है, वाह-वाही हो जाती है। घर में मेहमान आते हैं तो मां-बाप भी पहले दस मिनट यही बात बताते रहते हैं। वो मेहमान चार बार आएगा तभी वही बात बताते रहते हैं। तो वह स्वाभाविक भी है। लेकिन कभी कभार ये विकास यात्रा के लिए रुकावट भी बन जाती है।

मैं नहीं चाहूंगा कि इन बालकों के जीवन में ये पुरस्कार, ये सम्मान, ये गौरव गाथाएं, ये घटनाएं वहीं पर रुक जाएं। उसकी जिन्दगी को रोक देना उसकी जिन्दगी निरंतर नई ऊंचाइयों को पार करनी चाहिए। और जो पुस्तक का विमोचन हुआ है। वो उस बात को लेकर के संग्रहित किया गया है के उन बालकों को पुरस्कार तो मिला, बाद में क्या हुआ। इस पुस्तक में उन बातों को खोजकर के रखा गया है। ये मैं समझता हूं सबसे बड़ा संदेश है कि जीवन में एक पल थी उस पल में कुछ कर दिखाया, लेकिन ये पल ही जिन्दगी नहीं है। हजारों करोड़ों उन पल से जिन्दगी बनती है। उस यात्रा का पूरा खाका इस किताब में है।

मुझे विश्वास है कि बालक और उनके परिवारजन बाकी लोग भी ऐसे बालकों की तरफ उनका ध्यान जाएगा कि जिसने अपने बचपन में कुछ किया था। लेकिन उसने निरंतर कुछ करता रहा था। जीवन के कुछ कालखंड में जब पहुंचा तो अपने पैरों पर खड़े होकर के उसने समाज के लिए क्या किया वो सारी बातें इस किताब में हैं। मैं उन सभी बालकों को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। धन्यवाद।

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PM Modi congratulates Shri Devendra Fadnavis on taking oath as Maharashtra's Chief Minister
December 05, 2024
Congratulates Shri Eknath Shinde and Shri Ajit Pawar on taking oath as Deputy Chief Ministers
Assures all possible support from Centre in furthering development in Maharashtra

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has congratulated Shri Devendra Fadnavis on taking oath as Chief Minister of Maharashtra. He also congratulated Shri Eknath Shinde and Shri Ajit Pawar on taking oath as Deputy Chief Ministers. Shri Modi assured all possible support from the Centre in furthering development in Maharashtra.

The Prime Minister posted on X:

“Congratulations to Shri Devendra Fadnavis Ji on taking oath as Maharashtra's Chief Minister.

Congratulations to Shri Eknath Shinde Ji and Shri Ajit Pawar Ji on taking oath as the Deputy Chief Ministers of the state.

This team is a blend of experience and dynamism, and it is due to this team's collective efforts that the Mahayuti has got a historic mandate in Maharashtra. This team will do everything possible to fulfil the aspirations of the people of the state and to ensure there is good governance.

I assure all possible support from the Centre in furthering development in Maharashtra.”