குஜராத் மாநிலம் மெஹ்சானாவில் உள்ள வாலிநாத் மகாதேவ் ஆலயத்தில் பிரதமர் திரு நரேந்திர மோடி இன்று பூஜை மேற்கொண்டு சாமி தரிசனம் செய்தார்.

 

சமூக ஊடக எக்ஸ் பதிவில் பிரதமர் கூறியிருப்பதாவது:

“இன்று, நான் மெஹ்சானா கரையில் உள்ள வாலிநாத் மகாதேவரை தரிசனம் செய்து, அனைவரின் நலனுக்காகவும் பிரார்த்தனை செய்துகொண்டேன்.”

 

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Text of PM's address at birth centenary celebrations of Sri Sathya Sai Baba at Puttaparthi, Andhra Pradesh
November 19, 2025
The central value of Indian civilisation is Seva or service: PM
‘Sevo Paramo Dharmah’ is the ethos that has sustained India through centuries of changes and challenges, giving our civilisation its inner strength: PM
Sri Sathya Sai Baba placed Seva at the very heart of human life: PM
Sri Sathya Sai Baba transformed spirituality into a tool for social service and human welfare: PM
Let us resolve to further strengthen the spirit of Vocal for Local; to build a Viksit Bharat, we must empower our local economy: PM

साईं-राम!

एंदरो महानुभावुलु, अंदरिकि वंदनमुलु।

मुख्यमंत्री श्री चंद्रबाबू नायडू, केंद्र में मेरे सहयोगी राममोहन नायडू, जी. किशन रेड्डी, भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा, सचिन तेंदुलकर जी, डिप्टी सीएम पवन कल्याण जी, राज्य सरकार में मंत्री नारा लोकेश जी, श्री सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी आर. जे. रत्नाकर जी, वाइस चांसलर के. चक्रवर्ती जी, ऐश्वर्या जी, अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों, साईं राम!

साथियों,

आज इस पावन भूमि पुट्टपर्थी में, आप सभी के बीच उपस्थित होना मेरे लिए एक भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव है। मुझे कुछ देर पहले बाबा की समाधि पर श्रद्धा-सुमन अर्पित करने का अवसर मिला। उनके चरणों में नमन करना, उनका आशीर्वाद प्राप्त करना, ये अनुभव हमेशा हृदय को भावनाओं से भर देता है।

साथियों,

श्री सत्य साईं बाबा का यह जन्म शताब्दी वर्ष, हमारी पीढ़ी के लिए सिर्फ एक उत्सव नहीं, यह एक दिव्य वरदान है। आज भले ही वे हमारे बीच दैहिक स्वरूप में नहीं हैं, लेकिन उनकी शिक्षा, उनका प्रेम, उनकी सेवा भावना, आज भी करोड़ों लोगों का मार्गदर्शन कर रही है। 140 से ज्यादा देशों में लाखों जीवन, नए प्रकाश, नई दिशा, और नए संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

साथियों,

श्री सत्य साईं बाबा का जीवन ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का जीवंत स्वरूप था। इसलिए उनका ये Birth Centenary वर्ष हमारे लिए universal love, peace और service का महापर्व बन गया है। हमारी सरकार का सौभाग्य है कि आज इस अवसर पर 100 रुपए का स्मृति सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया गया है। इस सिक्के और डाक टिकट में उनके सेवाकार्यों का प्रतिबिंब है। मैं इस शुभ अवसर पर दुनिया भर में फैले सभी श्रद्धालुओं, साथी-सेवकों, और बाबा के भक्तों को हृदय से बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

Friends,

The central value of Indian civilisation is Seva or service. All our diverse spiritual and philosophical traditions, ultimately lead to this one ideal. Whether one walks the path of Bhakti, Gyan or Karma, each is connected to Seva. What is Bhakti without service to the divine present in all beings? What is Gyan if it does not awaken compassion for others? What is Karma if not the spirit of offering one’s work as service to society? सेवा परमो धर्म: is the ethos that has sustained India through centuries of changes and challenges. It has given our civilization its inner strength. Many of our great saints and reformers have carried forward this timeless message in ways suited to their times. Sri Sathya Sai Baba placed Seva at the very heart of human life. He often said, “Love All Serve All”. For him, Seva was love in action. His institutions in education, healthcare, rural development, and many such areas stand as living proof of this philosophy. They show spirituality and service are not separate, but different expressions of the same truth.

Further, someone inspiring people while physically present is not uncommon. But the Seva activities of the institutions created by Baba are increasing day by day, despite him not being with us physically. This shows that the impact of truly great souls does not decrease with time, it actually grows.

साथियों,

श्री सत्य साईं बाबा का संदेश केवल पुस्तकों और प्रवचनों और आश्रमों की सीमाओं में नहीं रहा है। उनकी शिक्षा का प्रभाव लोगों के बीच दिखता है। आज भारत के शहरों से लेकर छोटे गांवों तक, स्कूलों से लेकर आदिवासी बस्तियों तक, संस्कृति, शिक्षा और चिकित्सा सेवा का एक अद्भुत प्रवाह दिखाई देता है। बाबा के करोड़ों अनुयायी बिना किसी स्वार्थ के इस काम में लगे हैं। मानव सेवा ही माधव सेवा है, ये बाबा के अनुयायियों का सबसे बड़ा आदर्श है। उन्होंने ऐसे कई विचार हमें सौंपे, जिनमें संवेदना, कर्तव्य, अनुशासन और जीवन-दर्शन का सार मिलता है। वो कहते थे- Help Ever, Hurt Never, Less Talk, More Work, हम सभी के मन में आज भी श्री सत्य साईं बाबा के ऐसे जीवन-सूत्र गूंजते रहते हैं।

साथियों,

साईं बाबा ने आध्यात्म का उपयोग समाज और जनकल्याण के लिए किया। उन्होंने इसे निष्काम सेवा, चरित्र निर्माण और मूल्य आधारित शिक्षा से जोड़ा। उन्होंने किसी मत या सिद्धांत पर अपनी शक्ति नहीं लगाई। उन्होंने गरीबों की सहायता की और उनके दुखों को दूर करने के लिए कार्य किया। मुझे याद है, गुजरात के भूकंप के बाद पीड़ितों को राहत पहुंचाने में बाबा का सेवादल और सारे सेवावृति आगे की पंक्ति में आकर के खड़े हो गए थे। उनके अनुयायी पूरी निष्ठा से कई दिनों तक सेवा में जुटे रहे। उन्होंने प्रभावित परिवारों तक सहायता पहुंचाने, आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराने, और मानसिक-सामाजिक सहयोग देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

साथियों,

एक मुलाकात में अगर किसी का हृदय पिघल जाए, किसी के जीवन की दिशा बदल जाए, तो इससे उस व्यक्ति की महानता का पता चलता है। आज यहां इस कार्यक्रम में भी हमारे बीच ऐसे कई लोग हैं, जिन पर सत्य साईं बाबा के संदेशों का गहरा असर हुआ, और उनका पूरा जीवन बदल गया।

साथियों,

मुझे संतोष है कि श्री सत्य साईं बाबा की प्रेरणा से साई सेंट्रल ट्रस्ट और उससे जुड़े संगठन, सेवा को Organised, Institutional और Long-Term व्यवस्था के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं। आज ये एक व्यवहारिक मॉडल के रूप में हमारे सामने है। आप सभी पानी, हाउसिंग, हेल्थकेयर, न्यूट्रिशन, डिज़ास्टर–सपोर्ट और क्लीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में अद्भुत कार्य कर रहे हैं। मैं कुछ सेवाकार्यों का विशेष तौर पर जिक्र करना चाहूंगा। जैसे रायलसीमा में पीने के पानी की गंभीर समस्या थी, तब ट्रस्ट ने 3 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी पाइपलाइन बिछाई। ओडिशा में बाढ़ प्रभावित परिवारों के लिए एक हजार मकान बनाए। जो गरीब परिवार पहली बार श्री सत्य साईं अस्पतालों में आता है, वो देखकर दंग रह जाता है कि अस्पताल में बिलिंग का कोई काउंटर ही नहीं है। यहां इलाज भले मुफ्त है, लेकिन मरीजों और उनके परिजनों को किसी असुविधा का सामना नहीं करना पड़ता।

साथियों,

आज ही यहां 20,000 से ज्यादा बेटियों के नाम पर सुकन्या समृद्धि योजना के खाते खोले गए हैं। इससे उन बेटियों की शिक्षा और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित हुआ है।

साथियों,

भारत सरकार ने 10 साल पहले बेटियों की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए, उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए ये सुकन्या समृद्धि योजना शुरू की थी। ये देश की उन योजनाओं में से एक है, जिसमें 8.2 परसेंट का सबसे ज्यादा Interest rate हमारी बेटियों को मिलता है। अब तक देश की 4 करोड़ से ज्यादा बेटियों के खाते सुकन्या समृद्धि योजना के तहत खोले जा चुके हैं। और आपको ये जानकर खुशी होगी कि अब तक इन बैंक अकाउंट्स में सवा तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि जमा कराई जा चुकी है। ये प्रयास बहुत अच्छा है कि श्री सत्य साईं परिवार ने यहां 20 हजार सुकन्या सृमृद्धि खाते खुलवाने का नेक काम किया है। वैसे मैं काशी का सांसद हूं तो एक उदाहरण वहां का भी दूंगा। पिछले साल फरवरी में हमने वहां 27 हजार बेटियों के सुकन्या समृद्धि खाते खुलवाए थे। और हर बेटी के बैंक खाते में 300 रुपए भी ट्रांसफर किए गए थे। बेटियों की एजुकेशन और बेहतर भविष्य में सुकन्या समृद्धि योजना बड़ी भूमिका निभा रही है।

साथियों,

देश में पिछले 11 वर्ष में ऐसी अनेक योजनाएं शुरू हुई हैं, जिन्होंने नागरिकों की सामाजिक सुरक्षा को, सोशल सिक्योरिटी कवच को बहुत मजबूत कर दिया है। और देश के गरीब-वंचित निरंतर सोशल सिक्योरिटी के दायरे में आ रहे हैं। 2014 में देश में 25 करोड़ लोग ही सोशल सिक्योरिटी के दायरे में थे। आज मैं बड़े संतोष के साथ कहता हूं, और बाबा के चरणों में बैठ करके कहता हूं, आज ये संख्या करीब-करीब 100 करोड़ तक पहुंच चुकी है। भारत की गरीब कल्याण की योजनाओं की, सोशल सिक्योरिटी देने वाली योजनाओं की विदेशों तक, सभी इंटरनेशनल फोरम में चर्चा हो रही है।

साथियों,

आज ही यहां मुझे गोदान के कार्यक्रम में सहभागी होने का भी अवसर मिला है। ट्रस्ट द्वारा 100 गायें गरीब किसान परिवारों को दी जा रही हैं। हमारी परंपरा में गौ-माता को जीवन, समृद्धि और करुणा का प्रतीक माना गया है। ये गायें इन परिवारों की आर्थिक, पोषण-संबंधी और सामाजिक स्थिरता में सहायक होंगी।

साथियों,

गौमाता के संरक्षण से समृद्धि का संदेश, देश-विदेश के कोने-कोने में दिखता है। कुछ वर्ष पहले राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत वाराणसी में 480 से ज्यादा गिर गायें वितरित की थीं। और मेरा एक नियम था कि जो पहली बछड़ी होती थी, वो मैं वापिस लेता था, और दूसरे परिवार को देता था। आज वाराणसी में गिर गायों और बछड़ों की संख्या लगभग 1700 हो गई है। और वहां हमने जो एक परंपरा शुरू की है, जो गाय वहां वितरित की गई हैं, उनसे पैदा हुआ मादा बछिया को दूसरे इलाके के किसानों को मुफ्त दिया जाता है। इसलिए इन गायों की संख्या भी बढ़ रही है। मुझे याद है, 7-8 साल पहले अफ्रीका में रवांडा की यात्रा के दौरान, मैं एक गांव में वहां गया था, और वहां भारत की 200 गिर गायें भेंट की थी। और ये दान देने वाली परंपरा वहां भी है। वहां गिरिन्का नाम की प्रथा है जिसका अर्थ है “may you have a cow”, इसमें गाय से पैदा होने वाली पहली मादा बछिया को पड़ोसी परिवार को दान देना होता है। इस प्रथा से वहां न्यूट्रिशन, मिल्क प्रोडक्शन, इनकम और सोशल यूनिटी बढ़ी है।

साथियों,

ब्राज़ील ने भी भारत की गिर और कांकरेज नस्लों को अपनाकर उन्हें आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक प्रबंधन के साथ आगे बढ़ाया है। और आज वे बेहतर डेयरी परफॉर्मेंस का स्रोत बन गई हैं। ये सभी उदाहरण बताते हैं कि जब परंपरा, करुणा और वैज्ञानिक सोच एक साथ चलती है, तो गाय आस्था के साथ ही सशक्तिकरण, पोषण और आर्थिक प्रगति का साधन बन जाती है। और मुझे खुशी है कि आप इस परंपरा को यहां बहुत नेक नीयत के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।

साथियों,

आज देश कर्तव्य-काल की भावना के साथ विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस लक्ष्य को पाने के लिए नागरिक भागीदारी आवश्यक है। और इसमें सत्य साईं बाबा का ये जन्मशताब्दी वर्ष हमारी बड़ी प्रेरणा है। मेरा आग्रह है कि इस वर्ष हम विशेष तौर पर Vocal for Local के मंत्र को मजबूत करने का संकल्प लें। विकसित भारत बनाने के लिए हमें लोकल इकोनॉमी को बढ़ावा देना ही होगा। हमें याद रखना है, जब हम स्थानीय उत्पाद खरीदते हैं, तो हम एक परिवार, एक छोटे उद्यम, और स्थानीय सप्लाई-चेन को सीधे सशक्त बनाते हैं। इसी से आत्मनिर्भर भारत का रास्ता भी तैयार होता है।

साथियों,

आप सभी श्री सत्य साईं बाबा की प्रेरणा के साथ राष्ट्र निर्माण में अपना निरंतर योगदान दे रहे हैं। इस पावन भूमि में वाकई एक अद्भुत शक्ति है, यहां आने वाले हर व्यक्ति की वाणी में करुणा, विचारों में शांति, और कर्म में सेवा का भाव दिखने लगता है। मुझे विश्वास है, जहां भी अभाव या पीड़ा दिखाई देगी, वहां आप इसी तरह एक आशा, एक प्रकाश बनकर खड़े होंगे। इसी भावना के साथ मैं सत्य साईं परिवार, सभी संस्थानों, सभी सेवादल के सेवावृति और देश–दुनिया से जुड़े सभी श्रद्धालुओं को प्रेम, शांति और सेवा के इस यज्ञ को आगे बढ़ाने के लिए हृदय से शुभकामनाएं देता हूँ।

बहुत-बहुत धन्यवाद। साईं-राम!