PM Modi's interview to Hindusthan Samachar

Published By : Admin | June 3, 2015 | 11:29 IST

एनडीए सरकार के एक साल पूरे होने पर विपक्ष के आरोपों को झेलते, आम आदमी के अच्छे दिनों के सपनों को पूरा करने का विश्वास दिलाते देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीब, किसान , खेतीहर मजदूर, बेरोजगार युवा की बातें करते नजर आए। नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को लेकर अपने दौरे के बारे में खुलासा किया। हिन्दुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज एजेंसी के एडिटोरियल डॉयरेक्टर श्रीराम जोशी को दिए अपने विशेष साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि अधिग्रहण बिल के मुद्दे पर विपक्ष को तीखे जवाब दिए ।

 

हिन्दुस्थान समाचार- एनडीए (राजग) सरकार आने के बाद देश के माहौल में एक सकारात्मक बदलाव आया है । इसका श्रेय आपको जाता है । इसे आप कैसे देखते हैं ?

प्रधानमंत्री - देश में 30 वर्षों के बाद पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है । सरकार बनने के पीछे देश के करोड़ों देशवासियों की मनोस्थिति थी और देश की तत्कालीन स्थिति थी । चारो तरफ निराशा का माहौल था । आए दिन भ्रष्टाचार की नई खबर उजागर होती थी । सरकार के अस्तित्व की कहीं अनुभूति नहीं होती थी। ऐसे घोर निराशा के माहौल में इस सरकार का जन्म हुआ है ।

आज हर कोई देशवासी गर्व के साथ कह सकता है कि हम बहुत ही कम समय में निराशा को न सिर्फ आशा में अपितु विश्वास में तब्दील करने में सफल हुए हैं । एक समय था सरकार नहीं थी ऐसी चर्चा थी, आज चर्चा है, सरकार सबसे पहले पहुंच जाती है । एक समय था रोज नए भ्रष्टाचार की घटनाएं.. आज एक वर्ष हो गया भ्रष्टाचार का कोई आरोप, हमारे राजनीतिक विरोधियों ने भी नहीं लगाया ।

विदेशी निवेशकों और विदेशी संस्थाओं का दृष्टिकोण भारत के प्रति संपूर्ण रूप से बदल गया है । विश्व बैंक हो या अंर्तराष्ट्रीय मौद्रिक संगठन सभी ने एक सुर से भारत की अर्थव्यवस्था की सही दिशा पर मुहर लगाई है । अभी कुछ ही दिन पहले वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर रेटिंग दी है । जैसे-जैसे एक के बाद एक काम में सफलता मिलती जा रही है, एक के बाद एक अच्छे परिणाम मिलते जा रहे हैं । जनता का प्रेम और आर्शीवाद बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे हमारे काम करने की उमंग भी बढ़ती जा रही है ।

हिन्दुस्थान समाचार -आपकी सरकार के दूसरे कार्यकाल की क्या प्राथमिकताएं हैं?

प्रधानमंत्री - देश के आर्थिक विकास के आधार क्या है? जमीन में से क्या अतिरिक्त पैदावार हासिल कर सकते हैं यह एक आधार है । अपनी खनिज संपदा से हम क्या नया निर्माण कर सकते हैं, वह दूसरा है और तीसरा आधार है हमारी युवा जनशक्ति जिसकी बुद्धि, बल और परिश्रम देश के परिवर्तन में योगदान के लिए आवश्यक है । हमें खुद तय करना है । यदि इन तीन बातों को एक सूत्र में ठीक ढंग से पिरो लिया जाए तो देश तरक्की कर सकता है। भारत एक युवा देश है। रोजगार अधिकत्तम लोगों को कैसे मिले, ये हमारी प्राथमिकता है। हम उद्योग चाहते हैं, हम नए उद्योग भी चाहते हैं । जैसे कृषि आधारित क्षेत्र में वैल्यू एडिशन कैसे हो ताकि किसान को ज्यादा लाभ मिले। कृषि आधारित उद्योग का जाल कैसे बने। दूसरा क्षेत्र है हमारी जो खनिज सम्पदा है, उसमें मूल्यवृद्वि कैसे हो । हम कच्चा माल विदेश भेंजे, कि हम कच्चे माल के आधार पर उद्योग लगाएं और तैयार सामान दुनिया को भेंजे । और हमारी खनिज सम्पदा से मूल्यवृद्वि हो । हमारी कोशिश है कि अब देश से लौह अयस्क बाहर नहीं जाना चाहिए, स्टील क्यों नहीं तैयार होना चाहिए । हमारा सूती कपड़ा विश्व बाजार में जाकर रेडिमेड गारमेंट और फैशन बनता है । हम इसे देश में क्यों नहीं कर सकते जिससे देश के नौजवानों को रोजगार मिले ।

हम कब तक पिछड़े रहेंगे, हमारा गरीब कब तक बेघर रहेगा । गरीब को घर देना, ये राष्ट्र की जिम्मेवारी है, साथ-साथ घर देने का कार्यक्रम एक बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर का काम भी है । अगर देश में करोड़ों मकान बनते हैं तो करोड़ो नौजवानों को रोजगार भी मिलता है । रेलवे एक गरीब व्यक्ति का साधन है । अगर गरीबों को लिए कुछ करना है तो रेलवे की उपेक्षा नहीं चल सकती क्योंकि गरीब रेलवे में जाता है । हमारी रेल गंदी हो, रेल के समय का कोई ठिकाना न हो, ऐसा कब तक चलेगा ? हम रेलवे को आधुनिक बनाना चाहते हैं, हम रेलवे की गति बढ़ाना चाहते हैं और रेलवे के माध्यम से भी हम रोजगार बढ़ाना चाहते हैं और गरीब की सुविधा बढ़ाना चाहते हैं। यह कुछ उदाहरण हैं ।

 हिन्दुस्थान समाचार - भूमि अधिग्रहण बिल पर विपक्ष को कैसे मनाएंगे ? विपक्ष आपको किसान विरोधी साबित करने पर आमादा है।

प्रधानमंत्री - मेरा देश के नागरिकों से एक सवाल है कि इस झूठ को फैलाने वालों से यह सवाल पूछें क्या भारत सरकार के पास जमीन होती है ? सबको मालूम है कि जमीन राज्य सरकारों के पास होती है। अपना कार्यालय बनाने के लिए भी भारत सरकार को जमीन राज्य सरकारों से मांगनी पड़ती है । राजनीतिक स्वार्थ एवं स्वार्थी माहौल के कारण सत्य लोगों तक पहुंचने में अनेक रूकावटें आई हैं । जैसे भूमि अधिग्रहण बिल से व्यवसायिक घरानों के लिए जमीन ले ली जाएगी, ये झूठ फैलाने में हमारे विरोधी दिन-रात एक कर रहे हैं । हमने जो सुधार सूचित किए हैं उनसे एक इंच जमीन भी उद्योग को मिलने में सुविधा नहीं होगी । ये सरासर झूठ है लेकिन चलाया जा रहा है । लेकिन मुझे विश्वास है कि जैसे-जैसे निष्पक्ष लोग सत्य जानते जाएंगे, और जानने लगेंगे, वैसे-वैसे स्वार्थी राजनीतिक शक्तियां अलग-थलग पड़ जाएंगी । और किसान इस नए बिल से अधिक सुरक्षित महसूस करेगा, ऐसा मेरा पूरा विश्वास है। पहले के भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव करना, न भारतीय जनता पार्टी का एजेंडा था, और न ही मेरी सरकार का। नई सरकार बनने के बाद के बाद करीब-करीब सभी राज्यों की सरकारों की तरफ से आग्रहपूर्वक मांग की गई कि भारत सरकार इस कानून में परिवर्तन करे । और आज राज्यों में सभी दलों की सरकारें हैं। हमारे भी ध्यान में आया है कि जल्दबाजी में बने हुए 2013 के कानून में, किसान विरोधी जितनी बातें हैं, विकास विरोधी जो प्रावधान हैं, अफसरशाही को बढावा देने के लिए जो व्यवस्थाएं है, उनको ठीक करके किसान को संरक्षित करना चाहिए ।

नए विधेयक के जरिए हम जो सुधार करना चाहते हैं अगर वो नहीं लाते, तो किसानों के लिए सिंचाई योजनाएं असंभव बन जातीं । गांवों में किसानों को पक्के रास्ते नहीं मिलते, गांव में गरीबों के लिए घर नहीं बन पाते । और इसलिए गांव के विकास के लिए, किसान की भलाई के लिए, कानून की जो कमियां थी वो दूर करनी जरूरी थीं । और जिसकी राज्यों ने मांग की थी । हमने किसान हित में एक पवित्र एवं प्रमाणिक प्रयास किया है । मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में झूठ बेनकाब होगा, और भ्रम से मुक्ति मिलेगी। जानबूझ के फैलाये गए भ्रम से देश को मुक्ति मिलेगी ।

 हिन्दुस्थान समाचार - राज्यसभा में राजग की कमजोर स्थिति सरकार के लिए परेशानी बनी हुई है। इससे निपटने का कोई खास तरीका?

प्रधानमंत्री - मैं समझता हूं कि किसी भी देशहित में विचार करने वाले नागरिक के मन में यह विचार आना बहुत स्वाभाविक है । लेकिन इसके लिए सरकार को कठघरे में रखने की जो परंपरा बनी है वो उचित नहीं है । हम सब भली-भांति जानते हैं कि राज्यसभा में हमारा बहुमत नहीं है । हम ये भी जानते है कि राज्यसभा में जो दल हैं उनके हरेक के अपने-अपने राजनीतिक विचार हैं । और इसलिए सरकार की कोशिश है कि इस परिस्थिति में भी सबको साथ ले करके चलना । रास्ते निकालना और देश हित को आगे बढ़ाना । मुझे खुशी हैं कि इतने कम समय में 40 से अधिक विधेयक हम पारित करवा चुके हैं । और मैं इसके लिए विपक्ष का भी धन्यवाद करता हूं । हम सबका प्रयास रहे कि लोकसभा ने जिन भावनाओं को प्रकट किया हो, राज्यसभा भी उन भावनाओं को आदर करते हुए देश हित के निर्णयों को आगे बढ़ाये।

हिन्दुस्थान समाचार - विदेश में आपकी बहुत चर्चा है। आपको सुनने के लिए लोग उमड़ रहे हैं। लेकिन क्या आपको नहीं लगता है कि आपके कुछ बयान (जैसे कि देश के लोग पहले भारतीय होने पर शर्मिंदा होते थे आदि) से लोगों को नाराजगी हो सकती है?

प्रधानमंत्री - मेरा यह कहना है कि जब तक हम अपना आत्मविश्वास नहीं बढ़ाएंगे तब तक विश्व में ऊंचा स्थान नहीं मिलेगा । और यह आत्मविश्वास तब बढ़ता है जब देश के अन्दर की व्यवस्था सुचारू रूप से चले । हम जानते हैं कि 21वीं सदी की शुरुआत में पूरे विश्व में भारत के प्रति बहुत आशाएं थीं । लेकिन गत एक दशक में पूरे विश्व में भारत के प्रति निराशा का माहौल बन गया । ऐसी स्थिति में मेरी सरकार की जिम्मेवारी बनी । मैं जानता था चुनौतियां बहुत बड़ी है । विश्व मेरे लिए भी नया था और मैं भी विश्व के लिए नया था । विश्व में भारत के प्रति नजरिया बदले, ये अनिवार्य था, और इसलिए मैंने इस चुनौती को स्वीकार किया- खुद जाउंगा ! दुनिया को भारत के प्रति, इसकी शक्ति के संबंध में, भारत की संभावनाओं के संबंध में संवाद करुंगा, बराबरी से बात करुंगा। देश का दुर्भाग्य है कि जाने-अनजाने हम लोगों को अपनी बुराइयां बताने का एक फैशन सवार हो गया है । कोई भी मौका अपने देश की नकारात्मक छवि बनाने के लिए नही छोड़ा जाता। इस कारण भले ही हमारा ध्येय देश में सुधार लाने का रहा हो, पर हमारे अपने इस अजीब फैशन के कारण हमारे आत्मगौरव को गहरी चोट पहुंचती है । अभी भी कुछ लोग हैं जिनको दुनिया के सामने देश के बारे में नकारात्मक बाते करने में आनंद आता है, पर ऐसे लोगों के चेहरे छुपे नहीं है ।

आज मुझे इस बात का संतोष है कि विश्व में भारत की तरफ देखने का नजरिया बहुत ही सकारात्मक हुआ है। इस सफलता में हमारी सरकार की नीति, रणनीति और प्रयासों का तो योगदान है ही, लेकिन साथ-साथ सवा सौ करोड़ देशवासियों का बड़ा योगदान है । 30 वर्षों के बाद पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनी है, उसके कारण भी निर्णायक सरकार की छवि होने के कारण विश्वास पैदा करने में सुविधा बढ़ी है। कोई भी भारतीय इस बात पर गर्व कर सकता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की तरफ से अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए प्रस्ताव रखा जाए और संयुक्त राष्ट्र संघ के इतिहास में पहली बार दुनिया के 177 देश उसको समर्थन करें और सिर्फ 100 दिन में ये प्रस्ताव पारित हो जाए । ये घटना अपने आप में हर भारतीय के लिए गर्व की बात है ।

हिन्दुस्थान समाचार -पाकिस्तान से संबंधों पर आपकी क्या राय है ? क्या भविष्य में आप वहां का दौरा भी करेंगे?

प्रधानमंत्री - पाकिस्तान से मात्र और मात्र एक ही उम्मीद है कि वह शांति एवं अहिंसा के मार्ग पर चले, बाकी कोई अड़चन नहीं है। हिंसा का मार्ग न ही उनके लिए , न हमारे लिए लाभदायक है । यह समस्या दौरे से नहीं दिल से सुलझेगी। अब भारत और पाकिस्तान दोनों ने तय करना होगा कि आपस में लड़ने से आवाम का भला होगा या मिलकर गरीबी से लड़ने से अवाम का भला होगा ?

 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का हिन्दुस्थान समाचार को दिया विशेष साक्षात्कार (भाग-दो)

 

एनडीए सरकार के एक साल पूरे होने पर हिन्दुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज एजेंसी को दिए अपने विशेष साक्षात्कार में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सहकारिता को राजनीति से मुक्त करने की बात की। किसानों द्वारा आत्महत्या करने का सिलसिला नहीं रुकने के सवाल पर प्रधानमंत्री ने समस्या को जड़ से खत्म करने के प्रयासों पर काम करने का आह्वान किया। वहीं स्वच्छ भारत और गंगा स्वच्छता अभियान को लेकर अपना संकल्प दोहराया।

हिन्दुस्थान समाचार- जिस प्रकार गुजरात और महाराष्ट्र में सहकारिता को काफी मजबूती मिली है उसी प्रकार देश के अन्य राज्यों में भी सहकारी संस्थायें मजबूत बनकर जनहित कार्यों में भागीदारी निभायें। इन दो राज्यों को छोड़ अन्य राज्यों में सहकारी संस्थायें काफी कमजोर हैं आप सहकारिता को मजबूत करने के लिये क्या कदम उठा रहे हैं।

प्रधानमंत्री -सहकारी क्षेत्र को शक्ति मिलनी चाहिए । परंतु यह विषय एक तो राज्य के अधिकार क्षेत्र में है और समाज के स्वभाव से अधिक जुड़ा हुआ है । जहां-जहां सहकारी क्षेत्र को राजनीतिक अखाड़े से मुक्त रखा गया, वहां सहकारी क्षेत्र को लाभ हुआ है । कानूनों का इस्तेमाल करके टोलियां बना करके सहकारी संस्था खड़ी करने से सहकारिता की भावना नहीं आती है । इसलिए सहकारी क्षेत्र की सफलता नियम कानूनों की चौखट से नही निकलती है । सहकारिता एक दायित्व है, जिसमें समर्पण की भावना सबसे पहले दिखनी चाहिए । तभी हाथ में हाथ मिलाकर आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है । कानून और राज्य के भरोसे सहकारिता की शुरुआत तो की जा सकती है, लेकिन सहकारिता की भावना को समाज व क्षेत्र के नेतृत्व से ही आगे बढ़ाना होगा। इस तरफ से जो भी जरूरत उनकी सामर्थ्य को साकार करने के लिए जरूरी है हम करते रहेंगे ।

हिन्दुस्थान समाचार - भारत में कृषि पर मंडराते खतरे को आप कैसे खत्म करेंगे? क्या सरकार की कोई खास योजना है?

प्रधानमंत्री - दुर्भाग्य है कि आजादी के 68 सालों के बाद भी भारत में सिर्फ 45 प्रतिशत कृषि जमीन सिंचित है। बाकी 55 प्रतिशत वर्षा पर निर्भर रहती है। इसलिए आपकी चिंता सही है । बदलते हुए युग में हमारी कृषि को वैज्ञानिक और आधुनिक बनाने पर बल देना चाहिए था। समय रहते ये होना चाहिए था, परिवारों में वृद्वि हो रही है, पीढ़ी-दर-पीढ़ी जमीन छोटे-छोटे टुकड़ों में परिवार में विभाजित होती जा रही है। कृषि की लागत लगातार बढ़ रही है। एक समय था जब देश का किसान भारत के विकास में 60 प्रतिशत योगदान करता था। आज उतने ही किसान सिर्फ 15 प्रतिशत योगदान दे पा रहे हैं। खेत मजदूरों को तो कभी कोई पूछता भी नहीं है, इसलिए भारत में कृषि को आधुनिक भी बनाने की जरूरत है। वैज्ञानिक बनाने की आवश्यकता है। प्रति एकड़ उत्पादकता कैसे बढ़े ? ताकि कम जमीन में भी किसान को आर्थिक रूप से लाभ मिले। हमने मृदा स्वास्थ्य कार्ड लागू करने का काम शुरु किया है, जिससे किसान के खेत में कम लागत से सही इनपुट जाए और उत्पादकता बढ़े। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के जरिए सिंचाई की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का प्रयास है। यूरिया में नीम की कोटिंग करने पर बल दिया है जिससे की किसानों को मिलने वाली यूरिया बिचौलिये एवं व्यापारी वर्ग बेच न खाएं। किसानों के लिए मौसम की जानकारी से लेकर बाजार भाव की समयोचित सूचना एवं कृषि पैदाइश के संग्रह एवं लम्बे समय तक रख-रखाव के लिए व्यवस्थाओं को खड़ी करना एवं सुदृढ़ करने की दिशा में हमने काम किसान चैनल प्रारंभ करके हाथ में लिया है। इन सारे प्रयासों का सुखद परिणाम देश के अन्नदाताओं को जरुर मिलेगा।

हिन्दुस्थान समाचार - ओलावृष्टि में खराब हुई फसलों से बर्बाद किसानों के लिए सरकार क्या करने जा रही है? किसानों की आत्महत्या आज भी जारी है।

प्रधानमंत्री - हमारे देश में हर वर्ष किसी न किसी भू-भाग पर प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों का नुकसान होता रहा है। इस बार ओले गिरने से और बिन मौसम बारिश के कारण नुकसान हुआ है। ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के समय भूतकाल में बातों से ज्यादा किसानों को कुछ नहीं मिलता था। मैं स्वयं गुजरात में मुख्यमंत्री था । ऐसी अनेक आपदाएं हमने झेली लेकिन कभी केंद्र सरकार से कोई विशेष लाभ हम किसानों के लिए नहीं ले पाए थे। जबकि इस बार इस आपदा के समय सरकार की सक्रियता, मंत्रियों की आपदाग्रस्त किसानों के साथ सीधी बातचीत, मंत्रियों का क्षेत्र में भ्रमण , सरकारी अधिकारियों की टोलियों को पहुंचाने का काम, सर्वेक्षण का काम तेज गति से हुआ है। जिन विषयों पर राज्यों के द्वारा वर्षों से मांग होती थी, उनके बारे में हमने नीति-विषयक निर्णय कर लिए हैं । भारत सरकार ने प्रभावित किसानों की मदद के लिए अभी तक के नियमों में बदलाव किया है। उन किसानों को भी राहत दी जा रही है जिनका नुकसान 33 प्रतिशत है। अभी तक यह मापदंड 50 प्रतिशत था। जिन राज्यों से भारत सरकार को ज्ञापन प्राप्त हुआ है। वहां भारत सरकार की टीम जा चुकी है और अग्रिम कार्यवाही हो रही है ।

हिन्दुस्थान समाचार - स्वच्छता अभियान और गंगा की सफाई में सारा देश आपके साथ जुड़ गया है। ये निरंतर जारी रहे इसके लिए जनता से कोई अपील?

प्रधानमंत्री - जब हम 2019 में राष्ट्रपति महात्मा गांधी जी की 150वीं जन्म जयंती मना रहे होंगे तब स्वच्छ भारत देकर हम भारतवासी अपनी सर्वोत्तम श्रद्धांजलि अपने प्रिय बापू को सच्चे मन से दे सकते हैं। जिन्होंने भी गांधी जी को देखा है, उनके बारे में पढ़ा है, वे सब जानते हैं कि स्वच्छता एक ऐसा विषय है जो बापू को अत्यंत प्रिय था और सफाई के विषय में वे कभी भी समझौता नहीं करते थे । हमें अपने व्यवहार में बापू के स्वच्छता के प्रति इस समर्पण को पूरे देश को दिखाना होगा और स्वच्छ भारत को अपने जीवन में उतारना होगा।

मैंने शुरु से ही यह बात कही है कि जनता के सहयोग के बिना स्वच्छता अभियान सफल नहीं होगा। हमें घर, मुहल्ले, गलियां साफ-सुथरा रखना होगा। हम जहां काम करते हैं, वह जगह साफ रखनी होगी। खासकर रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, अस्पताल एवं स्कूल जैसे संस्थान साफ रहें इसके लिए हर नागरिक को चौकन्ना रहना पड़ेगा। मैंने शुरु से ही यह कहा है कि देश का हर नागरिक संकल्प करे कि हम गंदगी करेंगे नहीं और न ही होने देंगे। देशवासियों से मेरी अपील है कि उनका एक कदम भारत को स्वच्छ बनाने में महत्वपूर्ण होगा। उसी प्रकार गंगा की सफाई की भी बात है इसके प्रदूषण में हम नागरिकों का ही योगदान है। हम कोई ऐसा काम न करें जिससे पावन गंगा हमारे ही कर्मों के द्वारा दूषित हो ।

हिन्दुस्थान समाचार - आपकी दिनचर्या से सारा देश अवगत है। आप सुबह पांच बजे उठते हैं और देर रात एक बजे सोते हैं । काम के इस दबाव से कैसे मुक्त हो पाते हैं ?

प्रधानमंत्री- काम करने में सफलता मिले तो काम करने का दबाव महसूस नहीं होता। मैं इस बात का भी पक्षधर हूं कि थकावट काम पूर्ण करने से नहीं काम अधूरा रखने से आती है, उससे मानसिक तनाव बढ़ता है। इसीलिए मैंने एक आदत बनाई हैं कि सामने जो काम है उसे पूर्ण करके ही विश्राम करना। इसीलिए विश्राम का छोटा समय भी पर्याप्त होता है। कभी-कभी व्यक्ति अपने काम को स्वयं ऐसे हिस्सों में बांट लेता है कि यह मेरा अच्छा काम है। मैं लोगों से कह सकता हूं कि कोई काम छोटा –बड़ा नहीं होता । छोटे-बड़े की उलझन में पड़ना ठीक नहीं है, क्योंकि इस उलझन में न तो छोटे काम होते हैं और न ही हम बड़े काम कर पाते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार – हमसे बात करने के लिए आपका धन्यवाद।

प्रधानमंत्री- धन्यवाद।

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December 18, 2025

नमस्ते!
अहलन व सहलन !!!

ये युवा जोश आपकी एनर्जी यहां का पूरा atmosphere चार्ज हो गया है। मैं उन सब भाई बहनों को भी नमस्कार करता हूँ, जो जगह की कमी के कारण, इस हॉल में नहीं हैं, और पास के हॉल में स्क्रीन पर यह प्रोग्राम लाइव देख रहें हैं। अब आप कल्पना कर सकते हैं, कि यहाँ तक आएं और अंदर तक नहीं आ पाएं तोह उनके दिल में क्या होता होगा।

साथियों,

मैं मेरे सामने एक मिनी इंडिया देख रहा हूं, मुझे लगता है यहां बहुत सारे मलयाली भी हैं।

सुखम आणो ?

औऱ सिर्फ मलयालम नहीं, यहां तमिल, तेलुगू, कन्नड़ा और गुजराती बोलने वाले बहुत सारे लोग भी हैं।

नलमा?
बागुन्नारा?
चेन्ना-गिद्दिरा?
केम छो?

साथियों,

आज हम एक फैमिली की तरह इकट्ठा हुए हैं। आज हम अपने देश को, अपनी टीम इंडिया को सेलिब्रेट कर रहे हैं।

साथियों,

भारत में हमारी diversity, हमारी संस्कृति का मजबूत आधार है। हमारे लिए हर दिन एक नया रंग लेकर आता है। हर मौसम एक नया उत्सव बन जाता है। हर परंपरा एक नई सोच के साथ आती है।

और यही कारण है कि हम भारतीय कहीं भी जाएं, कहीं भी रहें, हम diversity का सम्मान करते हैं। हम वहां के कल्चर, वहां के नियम-कायदों के साथ घुलमिल जाते हैं। ओमान में भी मैं आज यही होते हुए अपनी आंखों के सामने देख रहा हूं।

यह भारत का डायस्पोरा co-existence का, co-operation का, एक लिविंग Example बना हुआ है।

साथियों,

भारत की इसी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक और अद्भुत सम्मान हाल ही में मिला है। आपको शायद पता होगा, यूनेस्को ने दिवाली को Intangible Cultural Heritage of Humanity में शामिल किया है।

अब दिवाली का दिया हमारे घर को ही नहीं, पूरी दुनिया को रोशन करेगा। यह दुनिया भर में बसे प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का विषय है। दिवाली की यह वैश्विक पहचान हमारी उस रोशनी की मान्यता है, जो आशा, सद्भाव, और मानवता के संदेश को, उस प्रकाश को फैलाती है।

साथियों,

आज हम सब यहां भारत-ओमान "मैत्री पर्व” भी मना रहे हैं।

मैत्री यानि:
M से maritime heritage
A से Aspirations
I से Innovation
T से Trust and technology
R से Respect
I से Inclusive growth

यानि ये "मैत्री पर्व,” हम दोनों देशों की दोस्ती, हमारी शेयर्ड हिस्ट्री, और prosperous future का उत्सव हैं। भारत और ओमान के बीच शताब्दियों से एक आत्मीय और जीवंत नाता रहा है।

Indian Ocean की Monsoon Winds ने दोनों देशों के बीच ट्रेड को दिशा दी है। हमारे पूर्वज लोथल, मांडवी, और तामरालिप्ति जैसे पोर्ट्स से लकड़ी की नाव लेकर मस्कट, सूर, और सलालाह तक आते थे।

और साथियों,

मुझे खुशी है कि मांडवी टू मस्कट के इन ऐतिहासिक संबंधों को हमारी एंबेसी ने एक किताब में भी समेटा है। मैं चाहूंगा कि यहां रहने वाला हर साथी, हर नौजवान इसको पढ़े, और अपने ओमानी दोस्तों को भी ये गिफ्ट करे।

अब आपको लगेगा की स्कूल में भी मास्टरजी होमवर्क देते हैं, और इधर मोदीजी ने भी होमवर्क दे दिया।

साथियों,

ये किताब बताती है कि भारत और ओमान सिर्फ Geography से नहीं, बल्कि Generations से जुड़े हुए हैं। और आप सभी सैकड़ों वर्षों के इन संबंधों के सबसे बड़े Custodians हैं।

साथियों,

मुझे भारत को जानिए क्विज़ में ओमान के participation बारे में भी पता चला है। ओमान से Ten thousand से अधिक लोगों ने इस क्विज में participate किया। ओमान, ग्लोबली फोर्थ पोज़िशन पर रहा है।

लेकिन में तालियां नहीं बजाऊंगा। ओमान तो नंबर एक पे होना चाहिए। मैं चाहूँगा कि ओमान की भागीदारी और अधिक बढ़े, ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग जुड़ें। भारतीय बच्चे तो इसमें भाग ज़रूर लें। आप ओमान के अपने दोस्तों को भी इस क्विज़ का हिस्सा बनने के लिए मोटिवेट करें।

साथियों,

भारत और ओमान के बीच जो रिश्ता ट्रेड से शुरू हुआ था, आज उसको education सशक्त कर रही है। मुझे बताया गया है कि यहां के भारतीय स्कूलों में करीब फोर्टी सिक्स थाउज़ेंड स्टूड़ेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें ओमान में रहने वाले अन्य समुदायों के भी हज़ारों बच्चे शामिल हैं।

ओमान में भारतीय शिक्षा के पचास वर्ष पूरे हो रहे हैं। ये हम दोनों देशों के संबंधों का एक बहुत बड़ा पड़ाव है।

साथियों,

भारतीय स्कूलों की ये सफलता His Majesty the Late सुल्तान क़ाबूस के प्रयासों के बिना संभव नहीं थी। उन्होंने Indian School मस्कत सहित अनेक भारतीय स्कूलों के लिए ज़मीन दी हर ज़रूरी मदद की।

इस परंपरा को His Majesty सुल्तान हैथम ने आगे बढ़ाया।

वे जिस प्रकार यहां भारतीयों का सहयोग करते हैं, संरक्षण देते हैं, इसके लिए मैं उनका विशेष तौर पर आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

आप सभी परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम से भी परिचित हैं। यहां ओमान से काफी सारे बच्चे भी इस प्रोग्राम से जुड़ते हैं। मुझे यकीन है, कि यह चर्चा आपके काम आती होगी, पैरेंट्स हों या स्टूडेंट्स, सभी को stress-free तरीके से exam देने में हमारी बातचीत बहुत मदद करती है।

साथियों,

ओमान में रहने वाले भारतीय अक्सर भारत आते-जाते रहते हैं। आप भारत की हर घटना से अपडेट रहते हैं। आप सभी देख रहे हैं कि आज हमारा भारत कैसे प्रगति की नई गति से आगे बढ़ रहा है। भारत की गति हमारे इरादों में दिख रही है, हमारी परफॉर्मेंस में नज़र आती है।

कुछ दिन पहले ही इकॉनॉमिक ग्रोथ के आंकड़े आए हैं, और आपको पता होगा, भारत की ग्रोथ 8 परसेंट से अधिक रही है। यानि भारत, लगातार दुनिया की Fastest growing major economy बना हुआ है। ये तब हुआ है, जब पूरी दुनिया चुनौतियों से घिरी हुई है। दुनिया की बड़ी-बड़ी economies, कुछ ही परसेंट ग्रोथ अचीव करने के लिए तरस गई हैं। लेकिन भारत लगातार हाई ग्रोथ के पथ पर चल रहा है। ये दिखाता है कि भारत का सामर्थ्य आज क्या है।

साथियों,

भारत आज हर सेक्टर में हर मोर्चे पर अभूतपूर्व गति के साथ काम कर रहा है। मैं आज आपको बीते 11 साल के आंकड़े देता हूं। आपको भी सुनकर गर्व होगा।

यहां क्योंकि बहुत बड़ी संख्या में, स्टूडेंट्स और पेरेंट्स आए हैं, तो शुरुआत मैं शिक्षा और कौशल के सेक्टर से ही बात करुंगा। बीते 11 साल में भारत में हज़ारों नए कॉलेज बनाए गए हैं।

I.I.T’s की संख्या सोलह से बढ़कर तेईस हो चुकी है। 11 वर्ष पहले भारत में 13 IIM थे, आज 21 हैं। इसी तरह AIIMs की बात करुं तो 2014 से पहले सिर्फ 7 एम्स ही बने थे। आज भारत में 22 एम्स हैं।

मेडिकल कॉलेज 400 से भी कम थे, आज भारत में करीब 800 मेडिकल कॉलेज हैं।

साथियों,

आज हम विकसित भारत के लिए अपने एजुकेशन और स्किल इकोसिस्टम को तैयार कर रहे हैं। न्यू एजुकेशन पॉलिसी इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है। इस पॉलिसी के मॉडल के रूप में चौदह हज़ार से अधिक पीएम श्री स्कूल भी खोले जा रहे हैं।

साथियों,

जब स्कूल बढ़ते हैं, कॉलेज बढ़ते हैं, यूनिवर्सिटीज़ बढ़ती हैं तो सिर्फ़ इमारतें नहीं बनतीं देश का भविष्य मज़बूत होता है।

साथियों,

भारत के विकास की स्पीड और स्केल शिक्षा के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी दिखती है। बीते 11 वर्षों में हमारी Solar Energy Installed Capacity 30 गुना बढ़ी है, Solar module manufacturing 10 गुना बढ़ी है, यानि भारत आज ग्रीन ग्रोथ की तरफ तेजी से कदम आगे बढ़ा रहा है।

आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा फिनटेक इकोसिस्टम है। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा Steel Producer है। दूसरा सबसे बड़ा Mobile Manufacturer है।

साथियों,

आज जो भी भारत आता है तो हमारे आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को देखकर हैरान रह जाता है। ये इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि बीते 11 वर्षों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर पांच गुना अधिक निवेश किया है।

Airports की संख्या double हो गई है। आज हर रोज, पहले की तुलना में डबल स्पीड से हाइवे बन रहे हैं, तेज़ गति से रेल लाइन बिछ रही हैं, रेलवे का इलेक्ट्रिफिकेशन हो रहा है।

साथियों,

ये आंकड़े सिर्फ उपलब्धियों के ही नहीं हैं। ये विकसित भारत के संकल्प तक पहुंचने वाली सीढ़ियां हैं। 21वीं सदी का भारत बड़े फैसले लेता है। तेज़ी से निर्णय लेता है, बड़े लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ता है, और एक तय टाइमलाइन पर रिजल्ट लाकर ही दम लेता है।

साथियों,

मैं आपको गर्व की एक और बात बताता हूं। आज भारत, दुनिया का सबसे बड़ा digital public infrastructure बना रहा है।

भारत का UPI यानि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, दुनिया का सबसे बड़ा रियल टाइम डिजिटल पेमेंट सिस्टम है। आपको ये बताने के लिए कि इस पेमेंट सिस्टम का स्केल क्या है, मैं एक छोटा सा Example देता हूं।

मुझे यहाँ आ कर के करीब 30 मिनट्स हुए हैं। इन 30 मिनट में भारत में यूपीआई से फोर्टीन मिलियन रियल टाइम डिजिटल पेमेंट्स हुए हैं। इन ट्रांजैक्शन्स की टोटल वैल्यू, ट्वेंटी बिलियन रुपीज़ से ज्यादा है। भारत में बड़े से बड़े शोरूम से लेकर एक छोटे से वेंडर तक सब इस पेमेंट सिस्टम से जुड़े हुए हैं।

साथियों,

यहां इतने सारे स्टूडेंट्स हैं। मैं आपको एक और दिलचस्प उदाहरण दूंगा। भारत ने डिजीलॉकर की आधुनिक व्यवस्था बनाई है। भारत में बोर्ड के एग्ज़ाम होते हैं, तो मार्कशीट सीधे बच्चों के डिजीलॉकर अकाउंट में आती है। जन्म से लेकर बुढ़ापे तक, जो भी डॉक्युमेंट सरकार जेनरेट करती है, वो डिजीलॉकर में रखा जा सकता है। ऐसे बहुत सारे डिजिटल सिस्टम आज भारत में ease of living सुनिश्चित कर रहे हैं।

साथियों,

भारत के चंद्रयान का कमाल भी आप सभी ने देखा है। भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है, जो मून के साउथ पोल तक पहुंचा है, सिर्फ इतना ही नहीं, हमने एक बार में 104 सैटेलाइट्स को एक साथ लॉन्च करने का कीर्तिमान भी बनाया है।

अब भारत अपने गगनयान से पहला ह्युमेन स्पेस मिशन भी भेजने जा रहा है। और वो समय भी दूर नहीं जब अंतरिक्ष में भारत का अपना खुद का स्पेस स्टेशन भी होगा।

साथियों,

भारत का स्पेस प्रोग्राम सिर्फ अपने तक सीमित नहीं है, हम ओमान की स्पेस एस्पिरेशन्स को भी सपोर्ट कर रहे हैं। 6-7 साल पहले हमने space cooperation को लेकर एक समझौता किया था। मुझे बताते हुए खुशी है कि, ISRO ने India–Oman Space Portal विकसित किया है। अब हमारा प्रयास है कि ओमान के युवाओं को भी इस स्पेस पार्टनरशिप का लाभ मिले।

मैं यहां बैठे स्टूडेंट्स को एक और जानकारी दूंगा। इसरो, "YUVIKA” नाम से एक स्पेशल प्रोग्राम चलाता है। इसमें भारत के हज़ारों स्टूडेंट्स space science से जुड़े हैं। अब हमारा प्रयास है कि इस प्रोग्राम में ओमानी स्टूडेंट्स को भी मौका मिले।

मैं चाहूंगा कि ओमान के कुछ स्टूडेंट्स, बैंगलुरु में ISRO के सेंटर में आएं, वहां कुछ समय गुज़ारें। ये ओमान के युवाओं की स्पेस एस्पिरेशन्स को नई बुलंदी देने की बेहतरीन शुरुआत हो सकती है।

साथियों,

आज भारत, अपनी समस्याओं के सोल्यूशन्स तो खोज ही रहा है ये सॉल्यूशन्स दुनिया के करोड़ों लोगों का जीवन कैसे बेहतर बना सकते हैं इस पर भी काम कर रहा है।

software development से लेकर payroll management तक, data analysis से लेकर customer support तक अनेक global brands भारत के टैलेंट की ताकत से आगे बढ़ रहे हैं।

दशकों से भारत IT और IT-enabled services का global powerhouse रहा है। अब हम manufacturing को IT की ताक़त के साथ जोड़ रहे हैं। और इसके पीछे की सोच वसुधैव कुटुंबकम से ही प्रेरित है। यानि Make in India, Make for the World.

साथियों,

वैक्सीन्स हों या जेनरिक medicines, दुनिया हमें फार्मेसी of the World कहती है। यानि भारत के affordable और क्वालिटी हेल्थकेयर सोल्यूशन्स दुनिया के करोड़ों लोगों का जीवन बचा रहे हैं।

कोविड के दौरान भारत ने करीब 30 करोड़ vaccines दुनिया को भेजी थीं। मुझे संतोष है कि करीब, one hundred thousand मेड इन इंडिया कोविड वैक्सीन्स ओमान के लोगों के काम आ सकीं।

और साथियों,

याद कीजिए, ये काम भारत ने तब किया, जब हर कोई अपने बारे में सोच रहा था। तब हम दुनिया की चिंता करते थे। भारत ने अपने 140 करोड़ नागरिकों को भी रिकॉर्ड टाइम में वैक्सीन्स लगाईं, और दुनिया की ज़रूरतें भी पूरी कीं।

ये भारत का मॉडल है, ऐसा मॉडल, जो twenty first century की दुनिया को नई उम्मीद देता है। इसलिए आज जब भारत मेड इन इंडिया Chips बना रहा है, AI, क्वांटम कंप्यूटिंग और ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर मिशन मोड पर काम कर रहा है, तब दुनिया के अन्य देशों में भी उम्मीद जगती है, कि भारत की सफलता से उन्हें भी सहयोग मिलेगा।

साथियों,

आप यहां ओमान में पढ़ाई कर रहे हैं, यहां काम कर रहे हैं। आने वाले समय में आप ओमान के विकास में, भारत के विकास में बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगे। आप दुनिया को लीडरशिप देने वाली पीढ़ी हैं।

ओमान में रहने वाले भारतीयों को असुविधा न हो, इसके लिए यहां की सरकार हर संभव सहयोग दे रही है।

भारत सरकार भी आपकी सुविधा का पूरा ध्यान रख रही है। पूरे ओमान में 11 काउंसलर सर्विस सेंटर्स खोले हैं।

साथियों,

बीते दशक में जितने भी वैश्विक संकट आए हैं, उनमें हमारी सरकार ने तेज़ी से भारतीयों की मदद की है। दुनिया में जहां भी भारतीय रहते हैं, हमारी सरकार कदम-कदम पर उनके साथ है। इसके लिए Indian Community Welfare Fund, मदद पोर्टल, और प्रवासी भारतीय बीमा योजना जैसे प्रयास किए गए हैं।

साथियों,

भारत के लिए ये पूरा क्षेत्र बहुत ही स्पेशल है, और ओमान हमारे लिए और भी विशेष है। मुझे खुशी है कि भारत-ओमान का रिश्ता अब skill development, digital learning, student exchange और entrepreneurship तक पहुंच रहा है।

मुझे विश्वास है आपके बीच से ऐसे young innovators निकलेंगे जो आने वाले वर्षों में India–Oman relationship को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। अभी यहां भारतीय स्कूलों ने अपने 50 साल celebrate किए हैं। अब हमें अगले 50 साल के लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ना है। इसलिए मैं हर youth से कहना चाहूंगा :

Dream big.
Learn deeply.
Innovate boldly.

क्योंकि आपका future सिर्फ आपका नहीं है, बल्कि पूरी मानवता का भविष्य है।

आप सभी को एक बार फिर उज्जवल भविष्य की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद!
Thank you!