The nerve centre of India's development lies in eastern India: PM Modi

Published By : Admin | March 12, 2016 | 15:52 IST
PM Modi lays foundation stone of additional bridge at Hajipur, Bihar
PM Modi lays stress on development of eastern India for all round progress of the country
The nerve centre of India's development lies in Eastern India: PM
Infrastructure, roads & railways sow seeds of development for the country: PM Modi

मंच पर विराजमान सभी महानुभाव और विशाल संख्‍या में पधारे हुए प्‍यारे भाइयो और बहनों, 

ये आपका उत्‍साह देख करके मैं अंदाज लगा सकता हूं कि इस bridge के प्रति आप लोगों के मन में कितना महात्‍मय है, इस bridge के कारण न सिर्फ यातायात लेकिन यहां के आर्थिक जीवन में भी कितना बड़ा बदलाव आ सकता है इसका भली-भांति अंदाज आप सबके उत्‍साह के कारण मैं अनुमान लगा सकता हूं।

मां गंगा उत्‍तरी बिहार और दक्षिणी बिहार, दोनों को जोड़ती है लेकिन नागरिकों को जुड़ने के लिए व्‍यवस्‍थाएं आवश्‍यक होती हैं। अब आप कल्‍पना कर सकते हैं जब नीतीश जी रेल संभालते थे, अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे, तब का ये सपना इतने सालों के बाद आज पूरा हो रहा है। अगर पिछले दस साल में इसको अगर neglect न किया गया होता, routine budget के हिस्‍से से भी अगर काम किया होता तो भी शायद पांच-सात साल पहले ये काम पूरा हो गया होता। 600 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला प्रोजेक्‍ट विलंब होने के कारण 3000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। ये पैसे जनता-जनार्दन के हैं लेकिन कोई न कोई ऐसे कारण आते हैं कि हमारे देश में विकास की प्रक्रिया अलग हो जाती है और बाकी प्रक्रियाएं उभर करके आ जाती हैं। पिछले 18 महीनों में इसका सबसे ज्‍यादा काम इतने कम समय में, 18 महीनों में हुआ। करीब 34 प्रतिशत काम जो अधूरा पड़ा था इसको पूरा किया गया और हम मानते हैं कि अगर भारत का sustainable development करना है, अगर भारत को आने वाले 25 साल, 30 साल तक लगातार विकास के नए-नए आंक पार  करते जाना है वो तब तक संभव नहीं होगा जब तक हमारा पूर्वी हिंदुस्‍तान develop नहीं होगा। चाहे पूर्वी उत्‍तर प्रदेश हो, चाहे बिहार हो, चाहे पश्चिम बंगाल हो, असम हो, नार्थ-ईस्‍ट हो, उड़ीसा हो, ये सारे क्षेत्र जितने तेजी से develop होंगे हिंदुस्‍तान उतनी ही तेजी से आगे बढ़ने वाला है। अब भारत के विकास की जो Nerve centre है वो Nerve centre Eastern India में है और अगर हम पूर्वी भारत को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो हम यह shortcut के रास्‍ते से नहीं कर पाएंगे।

अब तक हम तत्‍कालीन समस्‍याओं को स्‍पर्श करते गए। लोगों की तत्‍कालीन आवश्‍यकताओं को address करते गए लेकिन अब समय की मांग है कि हम लोगों की तत्‍कालीन आवश्‍यकताओं को तो जरूर address करें लेकिन इस पूरे क्षेत्र को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाना है तो लंबे अरसे की व्‍यवस्‍थाओं को भी विकसित करना अनिवार्य है।

Rail और road, infrastructure, उसके अंदर इतनी ताकत होती है कि वह विकास की न सिर्फ नींव रख देते हैं बल्‍कि विकास को गति भी दे देते हैं और इसलिए पिछली सरकार ने पांच साल में रेलवे के पीछे बिहार में जितना खर्चा किया, उससे करीब-करीब ढाई गुना ज्‍यादा पिछले डेढ़ साल में वर्तमान सरकार ने किया है। यह इसलिए किया है कि बिल्‍कुल मेरा यह conviction है कि भारत का भाग्‍य बदलना है तो हमें बिहार का भाग्‍य पहले बदलना होगा। बिहार को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाना होगा। केन्‍द्र और राज्‍य मिलकर के, कंधे से कंधा मिलाकर के इस काम को करेंगे, यह मेरा पूरा विश्‍वास है और इसलिए infrastructure मुख्‍यतः , रेलवे और road आज उत्‍तर बिहार-दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले तीन प्रोजेक्‍ट का एक साथ लोकार्पण एवं शिलान्‍यास हो रहा है।

अब आप देखिए, एक काम तो मैं आज वो कर रहा हूं कि जहां पर पहले मोकामा दोनों तरफ डबल लाइन थी लेकिन बीच में bridge ऐसा था कि वहां डबल लाइन नहीं थी और उसके कारण वो दोनों तरफ की डबल लाइन का जो खर्चा है उसका कोई उपयोग ही नहीं है क्‍योंकि वो आकर के bottleneck बन जाता था। अब इस बात को हमने हाथ में लिया है और मुझे विश्‍वास है कि हम समय की सीमा में इसको पूरा करके देंगे और उस इलाके के विकास के लिए भी एक बहुत बड़ी गति आ जाएगी।

मेरे बिहार के नौजवानों, आपकों एक बहुत बड़ा तोहफा इन दिनों मिला है। दो locomotives, इसके बहुत बड़े कारखाने बिहार के धरती पर लग रहे हैं। 2006-07 से यह कागज पर मसला चल रहा है, भाषणों में काम आ रहा है लेकिन धरती पर कुछ हो नहीं पा रहा है। कोई टेंडर के लिए तैयार नहीं होता था। हमने कुछ innovative चीजें कीं टेंडर में। हमने export का लक्ष्‍य तय किया, हमने भारत की requirement का हिसाब लगाकर के order place का निर्णय किया और वह एक ऐसी रचना थी कि दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों को लगा कि अब हम इसके अंदर टेंडर लेकर के जा सकते हैं और अगर मिल गया तो काम हो सकता है। उस प्रक्रिया ने रंग लाया। दुनिया की बहुत बड़ी कंपनियां आईं। 40 हजार करोड़ रुपयों का Foreign direct investment इन दो जगहों पर, बिहार की धरती पर आने वाला है, वो हिन्‍दुस्‍तान के अंदर सबसे बड़ा माना जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और कम समय में यह सरकार बनने के बाद, 18 महीने मिले है हमें दिल्‍ली में लेकिन 18 महीनों में बिहार हमारी प्राथमिकता है क्‍योंकि भारत का विकास करने के लिए बिहार का विकास अनिवार्य है, यह हम मानते हैं। इसलिए इस काम को भी अंजाम दिया गया है और उसका परिणाम भी आने वाले दिनों में मिलने वाला है।

भाइयो-बहनों, आज के युग में गैस पाइपलाइन भी उतना ही महत्‍व रखती है। अगर हम गैस कनेक्‍टिविटी करते हैं, पाइपलाइन का खर्चा बहुत होता है लेकिन उसके बावजूद भी बिहार को गैस कनेक्‍टिविटी से जोड़ने की दिशा में हम तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं जो आने वाले दिनों में यहां के जीवन में एक बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला है।

मेरे बिहार के प्‍यारे भाइयो-बहनों, आपने इस बजट में देखा होगा कि हमने गरीब परिवारों को गैस कनेक्‍शन देने का बीड़ा उठाया है। मैं जानता हूं काम कठिन है। गरीबी की रेखा के नीचे जीने वाले पांच करोड़ परिवारों को आने वाले तीन वर्ष के अंदर-अंदर चूल्‍हे की जगह पर गैस का सिलेंडर मिल जाए और उन माताओं-बहनों को धुएं से बचा लिया जाए, उनके आरोग्‍य की चिन्‍ता की जाए, इसके लिए एक अहम जिम्‍मेवारी सिर पर उठाई है। वैज्ञानिक कहते हैं कि चूल्‍हा जलाकर के, लकड़ी जलाकर के, कोयला जलाकर के जो मॉं खाना पकाती है तो खाना पकाते-पकाते जितना धुंआ उसके शरीर में जाता है वो 400 सिगरेट के बराबर होता है। एक दिन में 400 सिगरेट का धुंआ अगर हमारी माताओं के शरीर में जाए तो उनके शरीर का क्‍या हाल होगा, उनके बच्‍चों का क्‍या हाल होगा। यह मानवता का काम है इसलिए हमने सरकार की तिजोरी से जितना खर्चा लगे लेकिन बीड़ा उठाया है कि गरीब परिवारों को अब यह चूल्‍हा, यह कोयला, उसका धुंआ, उससे मुक्‍ति दिलानी है।

मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, हमारे देश में आजादी के इतने साल हो गए। अब भी गांवों में बिजली नहीं पहुंची है और बिजली पहुंचाना, यह कोई लक्‍ज़री नहीं है। बिजली अब जीवन का हिस्‍सा बन गई है। वो कोई रईसों का खेल नहीं है, गरीबों के लिए जरूरी है। मैंने एक दिन review लिया कि भई क्‍या हाल है? मैं हैरान था आजादी के 70 साल होने आए, 18 हजार गांव ऐसे थे जहां अभी बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा। मैंने अफसरों को कहा, मुझे एक हजार दिन में काम पूरा करना है। जो 70 साल में नहीं हुआ वो एक हजार दिन में पूरा करना है। बीड़ा उठाया। अभी तो हजार दिन पूरा होने में देर है, बहुत दिन बाकी है लेकिन मुझे आज पता चला कि 6,000 से अधिक गांवों का काम पूरा होगा, बिजली पहुंच गई है और उसका सबसे ज्‍यादा लाभ उत्‍तर प्रदेश और बिहार के गांवों को मिला है। मैं नीतीश जी का आभारी हूं कि इस काम को गति देने में उनकी राज्‍य सरकार की तरफ से भी पूरा सहयोग मिलता रहा है और उसके कारण यह काम भारत सरकार गति से कर रही है। मुझे तो विश्‍वास है अगर एक बार भारत सरकार और बिहार सरकार तय कर ले तो पूरे हिन्‍दुस्‍तान में ये जो 18,000 गांवों का काम बाकी है, उसमें से बिहार को सबसे पहले हम पूरा करके एक गौरावान्‍वित बिहार बना सकते हैं और जिस तरह काम चला है, मेरा विश्‍वास है कि हो जाएगा, यह काम हो जाएगा।

मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, चाहे बिजली हो, सड़क हो, पानी हो, रेल हो, इन चीजों को सामान्‍य मानिवकी की आवश्‍यकताएं हैं और उन आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने का प्रयास है। बिहार से बहुत बड़ी मात्रा में हमारे नौजवान हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में आते-जाते रहते हैं। पढ़ने के लिए जाते हैं, रोजी-रोटी कमाने के लिए जाते हैं लेकिन रेलवे में अगर जाना है तो उसका दम उखड़ जाता है। लंबी सफर की ट्रेनों में आरक्षण की सीमा रहती है। इस बार हमारे रेल मंत्री श्रीमान सुरेश प्रभु जी ने एक बड़ा अहम कदम उठाया है और मैं मानता हूं उस अहम कदम का अगर सबसे ज्‍यादा कोई फायदा उठाएगा तो बिहार का नौजवान उठाएगा। वो अहम कदम यह उठाया है कि लंबी सफर की जो ट्रेन है उसमें दो या चार डिब्‍बे ऐसे लगेंगे, दीन-दयाल डिब्‍बे, जिसमें आप last moment भी चढ़ जाना है तो चढ़ जाओ और जहां जाना है पहुंच जाओ। ये इसलिए किया कि गरीब व्‍यक्ति, उसको अगर दूर जाना है, बेटा अगर बिहार से बाहर कहीं काम कर रहा है, अचानक मां‍बीमार पड़ गई और उसको पहुंचना है तो reservation तो संभव नहीं होता है। ये एक ऐसी व्‍यवस्‍था रहेगी कि जिसके कारण ऐसे लोग परेशानी न भुगतें, और समय पर पहुंच सकें। 

विषयों को ऐसे लिया गया है कि जिसके कारण आज हमारे देश में एक neo middle class, middle class उसका bulk भी बहुत बढ़ रहा है। बहुत बड़ी मात्रा में middle class का bulk बढ़ रहा है। वो पहले से थोड़ी plus सुविधा चाहता है। और इसलिए हमने एक हमसफर ट्रेन शुरू करना तय किया है जिसमें तृतीय श्रेणी की air-condition train रहेगी जो सामान्‍य middle class, lower middle class के लोग आर्थिक रूप से उनको ये सुविधा रहेगी और वे अच्‍छी स्‍पीड से चल पाएगी। 

हमारे देश में रेल बहुत पुरानी है। लेकिन रेलवे को हम अब पुरानी रहने देंगे तो रेल बोझ बन जाएगी। जिस रेल ने हिंदुस्‍तान को गति दी, वह रेल अगर वैसे ही पुराने हालात में रही तो वो ही बोझ बनते देर नहीं लगेगी इसलिए रेल का पूरी तरह नवीनीकरण होना चाहिए। उस दिशा में सुरेश जी हमारे बड़े innovative हैं, नए-नए ideas लाते हैं, दुनिया के लोगों से माथापच्‍ची करते रहते हैं। विदेशों से धन भी लाते हैं और मैं विश्‍वास से कहता हूं कि बहुत ही कम समय में पूरी रेल का कायाकल्‍प हो जाएगा, रेल का नवीनीकरण हो जाएगा। चाहे वो infrastructure का मसला हो, चाहे गति का मामला हो, चाहे पैसेंजरों की qualitative सेवा का मसला हो, चाहे रेलवे स्‍टेशनों की सुविधा का मसला हो, चाहे passenger की complaint का मुद्दा हो, चाहे digital technology के द्वारा मोबाइल फोन से रेलवे की सेवाएं लेने की बात हो, अनेक पहलुओं पर एक बहुत ही comprehensive way में रेलवे के नवीनीकरण का काम चल रहा है।

एक बीड़ा उठाया है, तेजस नाम की ट्रेन। ये तेजस ट्रेन 130 की स्‍पीड से चलाने का इरादा है। आज हमारी ट्रेन बहुत कम स्‍पीड से चलती है। इतना बड़ा देश वो अब छुक-छुक गाड़ी से नहीं चल सकता है, उसको गति देने की आवश्‍यकता है इसलिए एक नया concept प्रायोगिक रूप में , तेजस के द्वारा तेज गति से चलाने का इरादा ले करके हम आगे बढ़ रहे हैं।

मैं ये सारी बातों से आपको विश्‍वास दिलाना चाहता हूं, मैं देशवासियों को विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि रेल ये सिर्फ यातायात या आवागमन का साधन नहीं है, रेल भारत के अर्थतंत्र को गति देने वाला एक गतिशील माध्‍यम है और उसको गति देने की दिशा में हम स्‍वयं सरकार को गतिशील बनाये हैं और ये ही आने वाले दिनों में परिणाम देने वाला है। 

आज ये जो तीनों प्रोजेक्‍ट प्रारंभ हुए हैं, मैं मानता हूं पटना के लिए एक बहुत बड़ा वरदान है। आज already ट्रेनें चलनी शुरू हो गई हैं। चाहे मुंगेर हो, चाहे मोकामा हो, ये तीनों पूरे बिहार को एक प्रकार से अपने-आप में समाहित कर लेते हैं। इसका कितना बड़ा प्रभाव पैदा होने वाला है, इसका बिहार के हर व्‍यक्ति को पता है। 

मैं आज बिहार को लाख-लाख शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं और Railway ministry को भी बहुत बधाई देता हूं। धन्यवाद ।

 

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பிரதமர் மோடிக்கு வழங்கப்பட்ட மிக உயரிய சிவில் விருது
December 18, 2025

பிரதமர் நரேந்திர மோடிக்கு பல நாடுகளால் மிக உயரிய சிவில் விருதுகள் வழங்கப்பட்டுள்ளன. உலக அரங்கில் இந்தியாவின் வளர்ச்சியை வலுப்படுத்துவதற்கான பிரதமர் மோடியின் தலைமைத்துவம் மற்றும் தொலைநோக்குப் பார்வையை அங்கீகரிப்பதன் பிரதிபலிப்பாக இவை இருக்கின்றன. உலகம் முழுவதும் உள்ள நாடுகளுடன் இந்தியாவின் வளர்ந்து வரும் உறவுகளையும் இது பிரதிபலிக்கிறது

 கடந்த ஏழு ஆண்டுகளில் பிரதமர் மோடிக்கு வழங்கப்பட்ட விருதுகள் பற்றிய ஒரு கண்ணோட்டத்தை நாம் காண்போம்.

நாடுகளால் வழங்கப்பட்ட விருதுகள்:

1. 2016, ஏப்ரலில் சௌதி அரேபியாவுக்கான அவரது பயணத்தின் போது, சௌதி அரேபியாவின் மிக உயரிய சிவில் விருது - மன்னர் அப்துல்லாசிஸ் சாஷ். பிரதமர் நரேந்திர மோடிக்கு வழங்கப்பட்டது.  கௌரவமிக்க இந்த விருது மன்னர்  சல்மான்வின் அப்துலாசிஸ் அவர்களால் பிரதமருக்கு வழங்கப்பட்டது.

2. அதே ஆண்டில் ஆப்கானிஸ்தானின் மிக உயரிய சிவில் விருதான ஸ்டேட் ஆர்டர் ஆஃப் காஸி அமீர் அமானுல்லா கான் விருது பிரதமர்  மோடிக்கு வழங்கப்பட்டது.

3. 2018- ஆம் ஆண்டு பாலஸ்தீனத்திற்கு பிரதமர் நரேந்திர மோடி வரலாற்றுச் சிறப்புமிக்க பயணம் மேற்கொண்டபோது தி கிராண்ட் காலர் ஆஃப் தி ஸ்டேட் ஆஃப் பாலஸ்தீன் விருது அவருக்கு வழங்கப்பட்டது.

4. 2019-ல், ஆர்டர் ஆஃப் சையது விருது  பிரதமருக்கு வழங்கப்பட்டது. இது ஐக்கிய அரபு அமீரகத்தின் மிக உயரிய சிவில் விருதாகும்.

5. 2019-ல் ரஷ்யாவின் மிக உயரிய சிவில் விருதான ஆர்டர் ஆஃப் செயின்ட் ஆண்ட்ரு விருது பிரதமர் மோடிக்கு வழங்கப்பட்டது.

6. வெளிநாட்டு பிரமுகர்களுக்கு வழங்கப்படும் மாலத்தீவின் மிக உயரிய கௌரவமான ஆர்டர் ஆஃப் தி டிஸ்டிங்குயிஷ்ட் ரூல் ஆஃப் நிஷான் இஸ்ஸூதின் விருது 2019-ல் பிரதமர் மோடிக்கு வழங்கப்பட்டது.

7. 2019-ல் கௌரவமிக்க மன்னர் ஹமாத் ஆர்டர் ஆஃப் தி ரினைசான்ஸ் விருதினை பிரதமர் மோடி பெற்றுக் கொண்டார். இந்த விருதினை பஹ்ரைன் வழங்கியது.

8. ஒப்பற்ற சேவைகள் மற்றும் சாதனைகள் செய்தவர்களுக்கு அமெரிக்க ராணுவத்தின் விருதான லெஜியன் ஆஃப் மெரிட் அமெரிக்க அரசால் 2020-ல் பிரதமர் மோடிக்கு வழங்கப்பட்டது.

9. பூடானின் மிக உயரிய சிவில் விருதான ஆர்டர் ஆஃப் தி ட்ரூக் ஜியால்போ விருது 2021 டிசம்பரில் பிரதமர் மோடிக்கு வழங்கி கௌரவிக்கப்பட்டது.

மிக உயரிய சிவில் விருதுகளுக்கு அப்பால் உலகம் முழுவதும் உள்ள கௌரவமிக்க அமைப்புகளால் பல விருதுகளும் பிரதமர் மோடிக்கு வழங்கப்பட்டுள்ளன.

1. சியோல் அமைதிப் பரிசு: மனித குலத்தின் நல்லிணக்கம், நாடுகளுக்கிடையே சமரசம் செய்தல், உலக சமாதானம் ஆகியவற்றுக்கு பங்களிப்பு செய்ததன் மூலம் சிறப்பு பெறும் தனி நபர்களுக்கு சியோல் அமைதிப் பரிசு, கலாச்சார அறக்கட்டளையால் இரண்டு ஆண்டுகளுக்கு ஒருமுறை இந்தப் பரிசு வழங்கப்படுகிறது. கௌரவமிக்க இந்த விருது 2018-ல் பிரதமர் மோடிக்கு வழங்கப்பட்டது.

2. புவிக்கோளின் சாம்பியனுக்கான ஐநா விருது: இது ஐநா சபையின் மிக உயரிய சுற்றுச்சூழலுக்கான விருதாகும் உலகளாவிய அரங்கில் பிரதமர் மோடியின் துணிச்சலான சுற்றுச்சூழல் தலைமைத்துவத்தை அங்கீகரித்து . 2018-ல் ஐநா இதனை வழங்கியது.

3. பிலிப் கோட்லர் ஜனாதிபதி விருது: முதல் முறையாக இந்த விருது பிரதமர் மோடிக்கு 2019-ல் வழங்கப்பட்டது. ஒவ்வொரு ஆண்டும் ஒரு நாட்டின் தலைவருக்கு இந்த விருது வழங்கப்படுகிறது. “தேசத்தின் சிறப்புமிக்க தலைமைத்துவத்திற்காக”  பிரதமர் மோடி தெரிவு செய்யப்பட்டுள்ளார் என்று விருதுக்கான பட்டயத்தில் கூறப்பட்டிருந்தது.

4. உலகளாவிய கோல்கீப்பர் விருது”: தூய்மை இந்தியா திட்டத்திற்காக பில் மற்றும் மெலிண்டா கேட்ஸ் அறக்கட்டளையால்  இந்த விருது 2019-ல் பிரதமர் மோடிக்கு வழங்கப்பட்டது. தூய்மை இந்தியா பிரச்சாரத்தை “மக்கள் இயக்கமாக” மாற்றிய மற்றும் தங்களின் அன்றாட வாழ்க்கையில் தூய்மைக்கு அதிகபட்ச முன்னுரிமை அளித்த இந்தியர்களுக்கு இந்த விருதினைப் பிரதமர் மோடி அர்ப்பணித்தார்.

5. பிலிப் கோட்லர் ஜனாதிபதி விருது: முதல் முறையாக இந்த விருது பிரதமர் மோடிக்கு 2019-ல் வழங்கப்பட்டது. ஒவ்வொரு ஆண்டும் ஒரு நாட்டின் தலைவருக்கு இந்த விருது வழங்கப்படுகிறது. “தேசத்தின் சிறப்புமிக்க தலைமைத்துவத்திற்காக”  பிரதமர் மோடி தெரிவு செய்யப்பட்டுள்ளார் என்று விருதுக்கான பட்டயத்தில் கூறப்பட்டிருந்தது.