मंच पर विराजमान मंत्री परिषद के मेरे सभी साथी विद्यार्थी मित्रों और सभी गुरुजन,
5 सितंबर भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन जी का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। लेकिन कल कृष्ण का भी जन्मदिन आ गया और राधाकृष्ण का भी जन्मदिन आ गया और इसके कारण विद्यार्थियों से मिलने का मुझे आज मौका मिला है। कभी-कभी लोगों को लगता है कि शिक्षक दिवस पर विद्यार्थियों से क्यों समय बिताते हो। और मेरा अनुभव है कि शिक्षक की पहचान विद्यार्थी होता है। विद्य़ार्थी अपने करत्रूप से अपने पराक्रम से अपने गुरुजन का नाम रौशन करता है। और शायद ही दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जो इस बात को स्वीकार न करता हो कि उसके जीवन को बनाने में उसकी माता का और उसके शिक्षक का योगदान न हो। हर व्यक्ति के जीवन में, कितने ही आप biography- autobiography पढ़ लें इस बात का जिक्र आता है - मां जन्म देती है और गुरू जीवन देता है। एक जीवन जीने की sense देता है। और हम लोगों के मन पर भी शिक्षक का इतना प्रभाव होता है अगर हम 8वीं कक्षा में पढ़ते हों और एकाद हमारे टीचर ने कह दिया कि रात को सोते समय pillow ऐसे रखो, हमने कभी उसको नहीं पूछा होगा कि आप ये कहां से लाए, पढ़ा था, कहां पढ़ा था, किस साइंस में है, कौन सा डॉक्टर कहता है, लेकिन हमारे मन में ऐसा रजिस्टर्ड हो जाता है, जब भी सोने के लिये जाते हैं तो वो टीचर याद आता है, वो pillow याद आता है। हम भूल नहीं सकते जीवन भर भूल नहीं सकते।
हर व्यक्ति के जीवन में अपने बचपन में अपने टीचर ने कही हुई कोई न कोई ऐसी बात होगी, जो हमारे जीवन का हिस्सा बन गई हो गई, लेकिन करीब-करीब हम सब लोग ऐसे होंगे कि टीचर ने हमें जो कठिन बात बताई होगी वो हम सब बिना भूले, भूल गए होंगे। और इसलिये विद्यार्थी के जीवन में शिक्षक का माहात्म्य क्या है और शिक्षक के जीवन में विद्यार्थी का महत्व क्या है। ये जब तक आपसी समझदारी विकसित नहीं होती है, तब तक एक gap बना रहता है।
कभी-कभी तो मुझे लगता है कि जिन शिक्षक मित्रों को लिखने की आदत हो, उन्होंने अपने जीवनकाल के यादगार विद्यार्थियों के जीवन पर कुछ लिखना चाहिए। जब मैं टीचर था तो पांचवीं कक्षा में एक ऐसा बच्चा था, ऐसा करता था, तब पता चलेगा कि शिक्षक ने विद्यार्थी के जीवन में कितना वो involve था। सिर्फ result आयें और अच्छे marks लाने वाले विद्यार्थी दिखाई दे रहे हैं और बाकी विद्यार्थी नजर ना आएं तो मैं मानता हूं कि वो शिक्षक अधूरा है। उसके साथ जीने वाले और हमें ये न भूलें कि एक उम्र के बाद विद्यार्थी सबसे ज्यादा, बालक सबसे ज्यादा समय किसी के साथ बिताता है, तो अपने शिक्षक के साथ बिताता है परिवार के साथ भी कम बिताता है और ऐसे समय शिक्षक का बहुत बड़ा दायित्व बनता है।
डॉक्टर राधाकृष्णन जी जीवन के सर्वोच्च स्थान पर पहुंचने के बावजूद भी अपने भीतर के शिक्षक को उन्होंने अमर बनाए रखा था। उसे कभी मरने नहीं दिया। शिक्षक कभी उम्र से बंधा नहीं होता, शिक्षक कभी रिटायर हो ही नहीं सकता, अगर वो सच्चा शिक्षक है तो। आपने देखा होगा कभी गांव में दादा होंगे 80 - 90 साल के वो टीचर रहे होंगे, तो 90 साल की उम्र में भी पोतों के पोते को भी बैठकर के पढ़ाते होंगे। पोता कहता होगा कि अब सिलेबस बदल गया है फिर भी दादा कहते होंगे नहीं ये पढ़ो। ये जो उसके रगों में शिक्षकत्व रहा है, वो उसे इस काम को करने की प्रेरणा देता है।
हम लोगों को, हम में से बहुत लोग हैं, विद्यार्थी मित्र तो सभी हैं, जिनको डॉ. राधाकृष्णन जी के जमाने में जीने का अवसर नहीं मिला। लेकिन अभी-अभी हमें डॉ. अब्दुल कलाम जी को तो निकट से हम लोगों ने देखा है। वे भी भारत के राष्ट्रपति थे और बच्चों को बहुत प्यार करते थे। और यानी सचमुच में उनका वो passion उनको किसी ने पूछा था एक बार कि आप क्या चाहेंगे लोग आपको कैसे याद रखें तो डॉ. एपीजी अब्दुल कलाम जी ने कहा कि लोग मुझे अगर याद रखना है तो टीचर के रूप में याद रखें। मेरे लिये, अब ये उनके सिर्फ शब्द नहीं थे, राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के दूसरे ही दिन वे चेन्नई चले गए। और चेन्नई में जाकर के क्लास रूम में बच्चों को पढ़ाना शुरु कर दिया। और जीवन के अंतकाल में भी विद्यार्थियों के साथ अपने विचारों का विमर्श करते – करते ही उन्होंने अपना देह छोड़ दिया। यानी ये भीतर शिक्षक के प्रति अपने आप में संजोया हुआ समर्पण भाव, कितना उत्तम होगा के जिसके कारण वे एक पल भी जीवन में विद्यार्थी से अलग नहीं हो पाए, विद्या के मार्ग से अलग नहीं हो पाए और हर पल नई प्रतिभाओं को खोजते रहे।
हमारे देश में, इस बात को हमें स्वीकार करना होगा और दुनिया के हर देश में शिक्षक दिवस सिर्फ हमारे देश में मनाया जाता है, ऐसा नहीं है, दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है। अलग-अलग inspiration होते हैं लेकिन मनाया जाता है। और उसका कारण यह है कि जो व्यवस्था है ये व्यवस्था निरंतर प्राणवान बनी रहनी चाहिए। विद्यार्थी का शिक्षक के प्रति आदर, शिक्षक का शिक्षा के प्रति समर्पण और विद्यार्थी और शिक्षक के बीच में एक अपनत्व का भाव, यही एक जोड़ी होती है, जो न सिर्फ ज्ञान परोसती है लेकिन जीवन जीने की कला भी सिखाती है और सपने संजोने की आदत भी बनाती है। और इसलिये हम लोगों का प्रयास रहना चाहिए और ये जरूरी नहीं है कि ये बड़े-बड़े लोग ही उत्तम शिक्षक होते हैं ऐसा नहीं होता है।
मुझे कभी एक बार किसी ने अनुभव बताया था। एक आंगनवाड़ी में काम करने वाली एक महिला थी, आंगनवाड़ी में काम करने वाली worker थी। वो खुद पाचवीं कक्षा तक पढ़ी होगी। ज्यादा पढ़ी नहीं होगी। पांचवी सातवीं कक्षा में और आंगनवाड़ी आते हैं उनको बच्चे गीत करना, खेलाना-खेलना ऐसे ही छोटे मोटे कार्यक्रम रहते हैं आंगनवाडी में। लेकिन इस महिला में आंगनवाड़ी worker में उन बच्चों के प्रति इतना लगाव था कि गरीब होने के बावजूद उसने काम शुरु किया। देखिए संस्कार कैसे करती है टीचर अपनी जो साड़ी थी, गरीब परिवार में साड़ी पुरानी हो तो उसको जितना लंबा हो खींच सकें, खींचते हैं और बाद में सोचते हैं जब बर्तन बेचने वाला आएगा तब इसके बदले में कुछ बर्तन खरीद लेंगे। कोई न कोई चीज खरीदने का प्रयास करेंगे। ये आंगनबाड़ी worker जो कि गरीब, उसने क्या किया अपनी जो पुरानी साड़ी थी छोटे छोटे टुकड़े करके हाथ से उसके बार्डर को ठीक करके छोटे छोटे handkerchief बनाया। बाजार से अपने जेब के पैसों से safety pin ले आई और उसके आंगनवाड़ी में 20-22 बच्चे आते थे जब वो स्कूल आते थे, तो उसके यहां handkerchief लगाकर करके पिन लगा देती थी और बच्चों को समझाती थी कैसे हाथ पोछना है, कैसे नाक पोंछना है, handkerchief का कैसे उपयोग करना है। वो regular सीखाती थी। और बच्चे जब वापस जाते थे तब फिर वो निकाल देती थी और घर ले जाकर के दूसरे दिन धो करके ले आती थी। आप मुझे बताइये एक टीचर ने उन बच्चों के जीवन को कितना बड़ा संस्कार दिया होगा। ये जो involvement होता है ये जब विद्यार्थी के प्रति शिक्षक का भक्तिभाव होता है। तब जाकर करके सहज रुप से प्रवृति बनती है और उस प्रवृति से हम जिस प्रकार का जीवन चाहते हैं। जीवन बनता है। जैसे एक कुम्हार मिट्टी की लोंदा लेकर करके उसको संभालता भी है और उसको shape भी देता रहता है। एक हाथ से संभालता है और shape भी देता रहता है।
टीचर भी एक-एक बालक के जीवन को संवारता है। आज शिक्षक दिवस पर विद्यार्थी के मन में भी शिक्षक के प्रति वो भाव आवश्यक है और शिक्षक के लिए भी। ये और व्यवसाय जैसा नहीं है। ये उससे कुछ प्लस 1 है। एक डॉक्टर ऑपरेशन करके अगर किसी की जिन्दगी बना दे, बचा ले। कठिन से कठिन ऑपरेशन करके, तो देशभर के अखबारों में उसकी story छपती है। लेकिन एक टीचर ऐसे जीवनकाल में सौ डॉक्टर बना दे, तो उस टीचर की तरफ ध्यान नहीं जाता है। आज का समय उन तपस्याओं का स्मरण करने का समय है कि अगर हमें अच्छे डॉक्टर मिले होंगे, अच्छे इंजीनियर मिले होंगे, अच्छे साइंटिस्ट मिले होंगे, तो उसके पीछे कोई न कोई शिक्षक होगा, जिसने उसे बनाया होगा और जो देश को बनाने में लगा होगा।
और इसलिए हम सब के लिए हमारे शिक्षकों के प्रति और एक जमाना था, जब मैं छोटा था, गांव में शिक्षक तो इतना आदर का केन्द्र होता था। परिवार में कोई भी सुप्रसंग हो तो सबसे पहले बच्चों को कहते थे घरवाले, देखो भई तुम्हारे टीचर के यहां ये रखकर आ जाओ, देकर आ जाओ। ये प्रसाद टीचर के यहां रख दो। यानी एक इस प्रकार का पूरे गांव की एक सम्मानजनक व्यवस्था। इन व्यवस्थाओं को हमें फिर से विकसित करना होगा। अब हर चीज रुपयों पैसों से होती नहीं है। संस्कार से होती है, अपनेपन से होती है, उसके माहात्म्य से होती है। इस प्रकार के कार्यक्रमों के द्वारा उन चीजों को पनपाने का प्रयास है, एक व्यापक रूप में बने।
शिक्षक दिवस पहले भी मनाया जाता था, लेकिन क्या होता था। कुछ स्कूल में होता था तो उस दिन एक-आध टीचर अगर बड़ा उत्साही हो, initiative लेता है तो सुबह assembly में डॉ. राधाकृष्णन के जीवन पर कुछ बता देता था। या तो फिर कहते थे कि भई आज टीचर बनना है, तो विद्यार्थी भी क्या सोचते थे कि टीचर बनना है, मतलब कपड़े बदलना। पहले स्कूल की uniform में आते थे तो आज कुछ टीचर जैसे कपड़े पहनकर आना है। बच्चियां हैं, तो साड़ी पहनकर आना। फिर क्लासरूम में जा करके, एक-आध चीज पढ़ाना और ख़ुशी करना। ये इससे आगे नहीं होता था। हमारी कोशिश है कि इस प्रेरक पर्व को, हमारी व्यवस्थाओं में प्राण कैसे लाया जाएं। व्यवस्था को प्राणमान कैसे बनाया जाए। इसका माहात्म्य कैसे बढ़ाया जाए और इसी के लिए कोशिश कर रहे हैं।
मेरे लिए खुशी की बात है कि मुझे विद्यार्थियों के साथ गप्पा-गोष्ठी करने का अवसर मिल जाता है। क्योंकि बालक मन जितना हमको सिखा पाता है उतना कोई नहीं सिखा पाता। बालक का जो observation होता है, वो सही होता है। यानी एक प्रकार से घटनाओं का सही दर्पण अगर कहीं है, तो बालक उस घटना को किस नजरिए से देखता है, वो उसका सही दर्पण होता है और उस देशभर के बालकों से आज बात करने का मुझे अवसर मिला है। मैं विभाग का आभारी हूं।
आज यहां दो और काम हुए। एक डॉ. राधाकृष्णन जी का 125 रुपए का एक coin एक 10 रुपए का coin, इसको भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने आज इसको देश के सामने रखा है। और दूसरा एक “कला उत्सव” की website का भी launching हुआ है। हमारे देश में college के student के लिए तो youth-festival होता है, लेकिन अब वक्त बदल चुका है। हमारे छोटे-छोटे बालकों में भी इतनी talent होती हैं। उनको अवसर मिलना चाहिए और देश robot तैयार करना नहीं चाहता है। हम कितने पढ़े-लिखे क्यों न हो, हमें कितना ही ज्ञान engineering का, technology का क्यों न हो, लेकिन हमें robot बनने से बचना है। हमारे भीतर संवेदनाएं हों और ये कला, साधना से आती है। कला के साक्षात्कार से आती है। कला के साथ सहजता से आती है और बिना कला के जीवन एक प्रकार से robot सा बन जाता है। इस कला उत्सव के माध्यम से हमारे स्कूल के जो बालक है उनको अवसर मिले, उनकी प्रतिभा को निखार मिले। लेकिन ये सिर्फ नाट्य-नृत्य का कार्यक्रम नहीं है इसके अंदर एक कल्पना है कि कोई न कोई एक theme हो। जैसे मान लीजिए हम एक बार theme तय करेंगे कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। तो उस कला उत्सव में जितने ड्रामा आएंगे, उसी विषय पर आने चाहिए, गीत आए तो उसी विषय पर आने चाहिए, नृत्य आए तो उसी विषय पर आने चाहिए। तो पूरे देश में कला उत्सव के साथ-साथ एक सामाजिक दायित्व का माहौल भी बनेगा और इसलिए उसको वेबसाइट पर रखा है। मैं चाहूंगा कि देश भर के सभी स्कूल के लोग इसके साथ अपने आप को जोड़ेंगे और कला उत्सव को सचमुच में एक उत्सव के रूप में तैयार करेंगे। मैं अपेक्षा करता हूं।
मैं फिर एक बार आज डॉ. राधाकृष्णन जी को नमन करता हूं, देश के सभी गुरूजनों को नमन करता हूं और सभी शिक्षकों से अपेक्षा करता हूं कि हमारा काम है पीढ़ियों को बनाना, पीढ़ियों को बढ़ाना, वहीं देश को बढ़ाएंगे। उस काम को हम सब मिलकर करें, इसी अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद।
From Rural Livelihoods to International Laurels: India's Rise Under PM Modi
Viksit Bharat – Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission (Gramin) is a transformative leap for rural India!
— Zahid Patka (Modi Ka Parivar) (@zahidpatka) December 17, 2025
PM @narendramodi Ji#ViksitBharat
Moving beyond old limitations, it empowers our villages with dignity, livelihood, and development. https://t.co/VpN5vokHqr@PMOIndia pic.twitter.com/O37rFpMKpC
PM @narendramodi Ji’s words at the Ethiopian Parliament highlight India’s growing global stature, decisive leadership, and commitment to stronger international partnerships and shared progress.
— Sajan (@HeySajan) December 17, 2025
"Another feather in the cap"
— Nishant🇮🇳 (@iNishant4) December 17, 2025
Honoured with Ethiopia’s highest honour, the ‘Great Honour Nishan of Ethiopia’ is another proof of the growing stature and popularity of @narendramodi ji's leadership in the world. This is the 28th international accolade to our #NarendraModi Ji,… pic.twitter.com/QFs2kwT8eh
PM Modi's approach 2good governance, enable integrated planning for efficient implementation &sustainable livelihoods @mygovindia Ajeevika Mission seeks to empower rural women. G_RAM_G Bill provides 4issuance of Gramin Rozgar Guarantee Cards to rural adults #ViksitBharat_G_RAM_G pic.twitter.com/lakirJAD0l
— Rukmani Varma 🇮🇳 (@pointponder) December 17, 2025
What a proud moment! Ethiopian artists sing Vande Mataram for PM Modi ji, evoking deep emotions on its 150th anniversary. Your statesmanship making the world embrace Bharat's heritage. Jai Hind! #VandeMataram150 #PMModi
— Muskan Aggarwal (@AggarwalMahi586) December 17, 2025
PM Modi's masterstroke in Ethiopia: Agreement on Mutual Administrative Assistance in Customs Matters signed! Streamlining trade, fighting illicit flows – India leading Global South partnerships! #PMModiInEthiopia pic.twitter.com/XSbOX5rVFy
— Riya Chaudhary (@RiyaChS93535683) December 17, 2025
Kudos to PM @narendramodi
— Happy Samal (@Samal_Happy) December 17, 2025
for bold diplomacy! Sets ambitious $5B trade target with Jordan in 5 years, focusing on defence, agri-tech & infrastructure. India's rising global stature under your guidance! Proud moment! #AtmanirbharBharat pic.twitter.com/neGIF6rrv3
Under PM Modi's dynamic leadership, Apple hits $2 billion iPhone exports in just one month highest ever! From $14B in 8 months FY26. PLI magic making India Apple's key production base. Proud moment! #MakeInIndiahttps://t.co/9CBFj2ZoDS
— Pooja Soni (@Poojasoni432) December 17, 2025
Watching the Ethiopian PM shower praise on Modi ji warms my heart! From leading the best G20 ever to elevating India-Ethiopia ties to strategic levels, his vision is unmatched. India shines globally because of Modi ji's leadership. Proud to be Indian! #ModiMagic pic.twitter.com/Vu3qGsza97
— Nial Vidyarthi (@NialVidyarthi) December 17, 2025


