NDA Government is committed to development of Northeast, says PM Modi

Published By : Admin | May 26, 2017 | 18:18 IST
By 2022, we want to double our farmers' income: PM Modi
Through 'Sampada Yojana' we want to ensure value addition of agri-products: PM
In our decisions, people have supported us. This inspires us to work even more: PM Narendra Modi 
People made Swachhata a mass movement. Media too played a key role in furthering the message of cleanliness: PM 
Let us all commit ourselves for the next five years to take the country to new heights. Let us build a New India: PM

मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान रंजीत दास जी, असम के लोकप्रिय एवं यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमान सर्बानंद सोनेवाल जी, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीमान प्रेमा खान्डू जी, मणिपुर के मुख्यमंत्री श्रीमान एन बिरेन सिंह जी, राज्य सरकार में मंत्री श्रीमान हेमंता विश्वशर्मा जी, केन्द्र सरकार में मंत्री परिषद के के मेरे साथी डाक्टर जितेन्द्र सिंह, फग्गन सिंह, अनुप्रिया जी, राज्य सरकार के मंत्री श्रीमान केशव बहंता, बीटीसी प्रमुख श्रीमान हगरामा मोयली जी, श्रीमान अजय जामवाल जी, प्रमिला रानी ब्रहमा जी, सासंद के मेरे साथी रमन डेका जी, राज्य सरकार के मंत्री श्रीमान रेहान डायमरी जी, चन्द्रमोहन पटवारी जी, विश्वस्वरुप भट्टाचार्य जी और विशाल संख्या में पधारे हुए असम के मेरे भाइयों-बहनों।

तीन साल पहले इसी समय 26 मई को दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के परिसर में राष्ट्रपति जी ने मुझे प्रधानमंत्री के कार्यभार के लिए शपथ दिलवाई थी। आज इसी समय ठीक उस बात को 3 वर्ष हो रहे हैं। और ये 3 वर्ष, असम का आग्रह था आज मैं यहां आ सकूं तो अच्छा होगा। पहले तो परंपरा ऐसे रही थी कि ऐसे अवसरों पर दिल्ली का महत्व ज्यादा रहता है। लेकिन हमारे सरकार का कार्य संस्कृति ऐसी है कि हमारे लिए हिन्दुस्तान का हर कोना दिल्ली है। और आज इस 3 वर्ष के निमित और असम सरकार के 1 वर्ष निमित, इतनी बड़ी तदाद में लोग आकर के लोग आप आकर आशीर्वाद दिए। मैं आपका ह्रदय से बहुत-बहुत आभारी हूं। और स्वयं मेघ राजा ने भी आ करके आशीर्वाद दिए। और कार्यक्रम शुरू होते ही मेघ राजा ने भी हमारे लिए अनुकूलता कर दी। इसलिए मेघ राजा का भी आभार व्यक्त करता हूं।

भाइयों-बहनों।

आज सुबह हिन्दुस्तान सबसे लम्बे ब्रिज का लोकार्पण करने का मुझे सौभाग्य मिला। और आज दो महत्वपूर्ण संस्थानों का शिलान्यास हुआ। हम ये समझें कि कृषि क्षेत्र में रिसर्च के लिए इतनी बड़ी इंस्टीट्यूशन का असम में आना और गुवाहाटी में एम्स का शिलान्यास होना, आज एक ही दिन में करीब साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट का या तो शिलान्यास या लोकार्पण करने का अवसर मिला है। एक ही दिन में करीब साढ़े तीन हजार करोड़ रुपया, एक राज्य के अंदर आना, अपने आप में ये बताता है कि सरकार की सोच क्या है? हिन्दुस्तान के हर राज्यों के विकास का हमारा जो सपना है, उसको इसमें आप देख सकते हैं।  

भाइयों-बहनों।

आज सुबह मैंने घोषणा की थी कि हिन्दुस्तान का ये जो लम्बा ब्रिज बना है ब्रह्मपुत्रा के ऊपर ये ब्रिज बना है। भूपेन्द्र हजारिका जीवनभर ब्रह्मपुत्रा की उपासना करते रहे, ब्रह्मपुत्रा के गीत गाते रहे, वो ब्रह्मपुत्रामय हो रहे थे। और इसलिए आज ये ब्रिज भी उन्हीं के नाम समर्पित कर दिया। और ये ब्रिज भूपेन्द्र हजारिका के नाम से जाना जाएगा। आज मुझे एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूशन के शिलान्यास का अवसर मिला था। वहां मैंने एक और घोषणा की - किसान सम्पदा योजना की। 2022 में हिन्दुस्तान के किसान की इनकम डबल करने का इरादा, एक संकल्प, उसको ले करके आगे बढ़ रहे हैं तब, एक किसान सम्पदा योजना के तहत एग्रो-प्रोडक्ट में फूड प्रोसेसिंग हो, वेल्यू एडिशन हो, मूल्यवृद्धि हो। उस काम के लिए 6000 करोड़ रुपया की सीड मनी के साथ दुनियाभर के FDI को इन्वाइट करके एक लाख करोड़ का कारोबार कृषि उत्पादन की मूल्य वृद्धि में करने की दिशा में एक योजना की मैंने आज घोषणा की है। ये किसान सम्पदा योजना सच्चे अर्थ में किसानों की सम्पदा बनेगा। देश की अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम देगा।

और आज मैं जब गुवाहाटी में आपके बीच आया हूं तब, आप जानते हैं। पिछली बार लोकसभा चल रही थी। हमने एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण फैसला किया। बहुत वर्षों से हमारे देश के पिछले वर्ग के लोग एक ओबीसी कमीशन का मांग कर रहे थे। लेकिन पहले की सरकारें सुनती रही, आश्वासन देती रही। लेकिन ओबीसी कमीशन का कभी निर्णय नहीं किया। हमने ये निर्णय कर लिया। कानून पारित कर दिया और पहली बार हिन्दुस्तान के कोटी-कोटी, ओबीसी जन जो हैं, पिछड़े वर्ग के लोग हैं, उनके लिए एक संवैधानिक व्यवस्था देने का काम हमने किया।

भाइयों-बहनों।

आने वाले दिनों में, स्कूलों में, कॉलेजेज में एडमिशन का दौर चलेगा। इन सब को ध्यान से रखते हुए ओबीसी क्रिमीलेयर जो अब तक 6 लाख रुपया माना गया है। उसमें 25% वृद्धि करके क्रिमीलेयर की सीमा 8 लाख करने का सरकार ने फैसला किया है। और इसके कारण पिछड़े वर्ग के बालक इस बार जब एडमिशन के लिए जाएंगे तो 2 लाख की जो बढ़ोतरी हुई है, उनके बच्चे जो छूट जाने की संभावना है, उनको इसका लाभ मिलेगा। और समाज के बहुत बड़े तबके को इस सुविधा से अपने जीवन में, शिक्षा में प्रगति करने के लिए एक बहुत बड़ा लाभ होगा।

भाइयों-बहनों।

आज मैं देश के नागरिकों का ह्रदय से आभार व्यक्त करना चाहता हूं। आपने हम पर एक विश्वास रख करके पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने का अवसर दिया। एक प्रधान सेवक के रूप में मुझे कार्य करने का मौका दिया लेकिन इससे भी ज्यादा मैंने इन 3 साल में देखा है कि आपने सिर्फ वोट दे करके, हमें सत्ता में पहुंचा करके, आप सो नहीं गए। अब मोदी जी आए हैं सब करेंगे, ऐसा आपने नहीं किया। मैं 3 साल में बड़े संतोष के साथ, बड़े गर्व का साथ, सवा सौ करोड़ देशवासियों के सामने सर झुका करके इस बात का गौरव से स्वीकार करता हूं कि ये देश, सवा सौ करोड़ देशवासी, हर कदम पर हमारे साथ चले। हर परिस्थिति में हमारे साथ चलें। कड़े से कड़े फैसले हमने लिए। सवा सौ करोड़ देशवासी उन्होंने विश्वास को और मजबूत बनाया। भरोसे को नई ताकत दी। शायद सार्वजनिक जीवन में सरकार बनाने में जनता का सहयोग, ये तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। लेकिन सरकार चलाने में जनता, सरकार से भी दो कदम आगे चले, ये आजादी के बाद पहली बार हिन्दुस्तान ने इस 3 साल में देखा है। हर हिन्दुस्तानी को इस बात में गर्व होगा। जब लाल किले पर से मुझे पहली बार देश के सामने अपनी बातें रखने का सौभाग्य मिला था। और मैंने स्वच्छता का विषय छेड़ा था। सब लोगों के लिए अचरज था। ये कैसा प्रधानमंत्री है। लाल किले पर से शौचालय की बात कर रहा है। स्वच्छता की बातें कर रहा है। अब तक तो हमने बहुत बड़ी-बड़ी बातें सुनी है। बड़े-बड़े आकड़ें, बड़ी-बड़ी योजनाओं के नाम यही लाल किले से सुना है। ये कैसा प्रधान सेवक आ गया है कि वो शौचालय की बात कर रहा है। स्वच्छता की बात रहा है। बड़ा अजूबा लगा था लोगों के लिए ...।

लेकिन भाइयों-बहनों।

एक बार के लिए अजूबा हो सकता है। उनके लिए आश्चर्य हो सकता है। लेकिन मैं जिस पार्श्वभूमि से आया हूं। जिस जिंदगी को जीकर निकला हूं। और इसलिए इन चीजों के जिंदगी में क्या अहमियत होती है। इन बातों को मै भली भांति अनुभव कर सकता हूं। देश के छोटे-छोटे लोगों को कैसी-कैसी चीजों से गुजरना पड़ता है। ये अपने अनुभव से मैंने जाना है, समझा है। और इसलिए एक बार मैंने कहा था। मेरी पार्श्वभूमि ऐसी है। मेरा लालन-पालन ऐसी है कि जिसमें एक छोटे व्यक्ति को अत्यंत पीछे आखरी कतार से आए हुए व्यक्ति को जो अनुभूति होती है। और इसलिए मैंने कहा था। मैं छोटा हूं और छोटे-छोटे लोगों के लिए बड़े-बड़े काम करके रहूंगा। ये मेरा इरादा है। मैं देशवासियों का अभारी हूं कि स्वच्छता अभियान को जनता ने अपना कार्यक्रम बना लिया। मीडिया ने भी शत प्रतिशत मदद की। प्रारंभ में राजनीतिक विरोध के लोगों ने उसका उपहास किया। लेकिन बाद में भी उन्होंने भी उसकी आलोचना करना बंद कर दिया। एक प्रकार से हर किसी का सहयोग मिला। आजादी के बाद जन समर्थन से शासन कैसे चल सकता है। जनभागीदारी से शासन कैसे चल सकता है। जनता जनार्दन की अगुआई से सरकार कैसे चल सकती है। इसके अनेक उदाहरण आपने देखे हैं।

भाइयों-बहनों।

हमारे देश में गैस सिलेंडर 9 देना या 12 देना, उस पर हिन्दुस्तान के बड़े-बड़े नेता उलझे हुए थे। सासंद में घंटों तक 9 सिलेंडर से 12 सिलेंडर तय हुआ करती थी। वो भी एक वक्त था। ये भी एक वक्त है। एक ऐसी सरकार आपने बैठायी, जिस सरकार ने लोगों से कहा कि आप गैस की सब्सिडी छोड़ते क्यों नहीं हो। अरे गरीब के लिए कुछ छोड़ो और आज मैं सर झुका करके 1 करोड़ से ज्यादा उन परिवारों को सर झुका करके नमन करता हूं कि उन्होंने अपनी गैस की सब्सिडी छोड़ दी। और गरीब के घर में गैस के चूल्हा जलाने के लिए, उन्होंने भागीदारी की।

भाइयों-बहनों।

हिन्दुस्तान के जन-मन की ताकत को समझ करके, जन सामर्थ्य के समझ करके योजनाओं में जनभागीदारी को बढ़ाते-बढ़ाते आगे बढ़ने की हमने फैसले किए हैं। भाइयों-बहनों। नोटबंदी बड़ा कठोर निर्णय था। अभी भी कुछ लोग यही कहते हैं। हमने इतने बड़े कठोर निर्णय की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। और उन दिनों टीवी पर राजनेताओं के भाषणों में पूरे देश में आक्रोश पैदा करने के लिए, क्या कुछ नहीं हुआ था। अगर सरकार का इरादा नेक ना होता, सदइच्छा से लिया हुआ फैसला न होता। इतने बड़े कड़े फैसले को जिस प्रकार से आग लगाने की कोशिश चली थी। कितनी बड़ी ताकतवर सरकार हो, भस्म हो जाती, लेकिन ये सवा सौ करोड़ देशवासी थे। उनके आशीर्वाद थे कि इतने बड़े कृत्रिम बवंडर के बावजूद भी, भ्रमित करने के कोटी-कोटी प्रयासों के बावजूद, देश की जनता तसू भर भी डगमगाई नहीं, हिली नहीं और कंधे से कधा मिलाकर के मुझ जैसे प्रधान सेवक के साथ खड़ी रही। आप मुझे बताइये। ऐसी जनता के लिए जिंदगी खपा देने से कितना आनंद मिलता होगा। ये आनंद की अनुभूति मैं करता हूं। लोग मुझे कभी-कभी पूछते हैं। मोदी जी थकते नहीं हो क्या। इतना दौड़ते रहते हो। मैंने कहा सवा सौ करोड़ देशवासी हर पल मुझसे एक कदम आगे चलते हैं। हर बात पर मेरा साथ देते हैं। उनके लिए ये जिदंगी खपाने का जो आनंद है। वो मुझे थकते नहीं देता है, मुझे काम करने का प्रेरणा देता है। तन समर्पित, मन समर्पित और ये जीवन समर्पित, चाहता हूं मां तुझे और क्या दूं। इसी भाव को लेकर के काम करने का प्रेरणा मिलती है।  

भाइयों-बहनों।

हमारे देश में निर्णय और बदलाव, जनता में एक वक्त था क्या माहौल था सामान्य जीवन में, निराशा व्याप्त था। और निराशा इस हद कर तक घर कर गयी थी। कि भाई अब कुछ होने वाला नहीं है। अब गुजारा कर लो, जिंदगी गुजार लो। अब कुछ होने वाला नहीं है। भाइयों-बहनों। देखते ही वक्त बदल चुका है। आज अब कुछ होगा नहीं, ऐसा ही चलने वाला है। ऐसे ही जीना पड़ेगा। जिंदगी का गुजारा कर लो, ये भाव खत्म हो चुका है। हर किसी के दिल में एक आशा जगी है। नहीं नहीं जरूर होगा। कुछ ना कुछ अच्छा होगा। हम जरूर आगे बढ़ेंगे। देश दुनिया में ताकतवर बनेगा। ये विश्वास हिन्दुस्तान के कोटी-कोटी जनों में आज पैदा हुआ है।

भाइयों-बहनों।

एक वक्त था। ठहराव ही ठहराव नजर आता था। पता ही नहीं चल रहा था कि सरकार है या नहीं है। है तो कुछ हो रहा है या नहीं हो रहा है। हो रहा है तो क्या हो रहा है। कैसे हो रहा है। किसके लिए हो रहा है। सब कुछ एक ठहराव सा महसूस होता था। आज प्रतिपल ठहराव से निकल करके एक निरंतर अविरत प्रवाह, हर दिन नये कार्यक्रम, हर दिन नयी योजना, हर दिन नया प्रयास, हर दिन नयी कोशिश, देश अनुभव कर रहा है, जब कार्य संस्कृति बदलती है। कार्यशैली बदलती है। नेतृत्व की सोच बदलती है। ईमानदारी के साथ चलने का फैसला होता है। तो फिर सरकार वही, मुलाजिम वही, फाइलें वही, दफ्तर वही, समय वही, उसके बावजूद हर कोई काम में लग जाता है। बदलाव शुरू हो जाता है। आज देश अनुभव कर रहा है। बदलाव देख रहा है। जब सरकारी दफ्तर में लोग समय पर आने लगे। तो मीडिया में सुर्खियां बन गयी। इसका मतलब दफ्तर का क्या हाल पहले रहता होगा। इसका हम भलीभांति अंदाज कर सकते हैं।

भाइयों-बहनों।

सरकार कैसे चलती है। सांसद में कानून बनने के बाद इतनी बड़ी महत्वपूर्ण पार्लियामेंट, कोटी-कोटी जनों के वोट से चुनकर के आए हुए पार्लियामेंट के मेंबर, कोई कानून पास करने के लिए, घंटों बहस करें, तर्क-वितर्क करें, जानकारियां एकत्रित करें, रात-रात अध्ययन करें, सांसद में चर्चा करें, संसद में कानून पारित हो लेकिन सरकारें ऐसे चलती थी कि संसद में पारित कानून भी दफ्तर में अंदर जा करके फाइल के डिब्बे में बंद हो जाता था। ना कभी नोटिफिकेशन होता था और ना कभी रूल बनते थे। इससे बड़ी संसद की अवमानना क्या हो सकती है। आपने देखा होगा बेनामी संपत्ति... । इस देश के हर नागरिक को भ्रष्टाचार, बेइमानी के खिलाफ गुस्सा है, आक्रोश है। 1988 में बेनामी संपत्ति के संबंध में एक कानून बना। 28 साल तक वो नोटिफाई नहीं हुआ, रूल्स नहीं बने। कैसी सरकार?

भाइयों बहनों

आज देश में एक और माहौल नजर आ रहा है। एक समय था जब अच्छे से अच्छे ईमानदार व्यक्ति को भी, ईमानदारी से जीना चाहिए कि नहीं जीना चाहिए। इस पर सवालिया निशान खड़ा हो चुका था। उसका मन विचलित होने लगा था। पीढ़ी दर पीढ़ी ईमानदारी से जिंदगी जीने के बाद वो सोचने लगा था कि ईमानदार रह करके क्या पाया? देखो वो बेइमान कहां पहुंच गया, देखो वो बेइमान क्या होता है उसकोदेखिये उसकी बेईमानी, ये सरकारी नौकरी करता है, वैकेशन में विदेश घूमने का पैसा कहां से लाता है। ये कल तक तो साइकिल चलाता था, आज इतना बड़ा बंग्लो कहां से आया? ईमानदार व्यक्ति भी जब ये देखने लगा। उसकी ईमानदारी भी लड़खड़ाने लगी, मन विचलित होने लगा। वो दिन थे आज।

भाइयों बहनों।

सवा सौ करोड़ देशवासी इस बात को अनुभव करते हैं कि हिंदुस्तान में पहली बार ईमानदारी का अवसर आया है। ईमानदारी के लिए जीने का अवसर आया है। जो ईमानदारी से जीता था उसका विश्वास बढ़ा हैउसको लगता है अब बेईमानों के लिए चैन से जीना मुश्किल हुआ है, अब मेरी ईमानदारी रंग लाएगी, भले ही मेरी जिंदगी में सुख वैभव नहीं आया लेकिन शांति से जीने का अवसर आया है, आज ये वातावरण बना है। कुछ दिन पहले मुझे बड़े अच्छे घराने के बच्चे मिले थे। ऐसे ही मैंने पूछा नौजवानों को कि भाई यूथ में क्या चल रहा है। उन्होंने कहा, साब हमारे घर में एक चर्चा है, हम हमारे माता-पिता से चर्चा करते हैं कि आपके जमाने में जो था वो था, आपने बेईमानी की होगी, की होगी, सरकारी नियमों को तोड़ा होगा, तोड़ा होगा, आपने लोगों को खरीदा होगा, खरीदा होगा लेकिन अब वक्त बदला है। हमारी पीढ़ी ईमानदारी से कुछ करना चाहती है और हमें विश्वास है कि हम ईमानदारी से अच्छी जिंदगी जी सकते हैं।  

भाइयों बहनों।

ईमानदारी को अवसर मिले, मैं जानता हूं इसके लिए मुझे कितना कष्ट झेलना पड़ता है। कितनी बातों पर मुझे कठोरता बरतनी पड़ती है लेकिन मैं देश की जनता को वादा करके आया हूं और उस वादे को मैं पूरी तरह निभाऊंगा।

भाइयों बहनों।

एक वक्त था जब देश में काले धन का ही कोहराम मचा हुआ था। काला धन, काला धन, काला धन यही कान पर आता था। ये कैसी सरकार है जहां काला धन नहीं जन धन, जन धन, जन धन यही शब्द सुनाई देते हैं। ये फर्क है दोस्तों, ये फर्क है। ...और आजआज जन धन की चर्चा होती है। आने वाले दिवसों में डिजिधन की चर्चा भी सहज रूप से होगी। कहां काला धन, वहां से निकलकर के जन धन और अब आगे डिजिधन। एक के बाद एक हमारी यात्रा का रास्ता खुलता जा रहा है।

भाइयों बहनों। 

हमने सरकार बनाई। 26 को शपथ लिया, 2 दिन के बाद हमारी पहली केबिनेट मीटिंग हुई। पहली मीटिंग में पहला निर्णय था, काले धन के खिलाफ कदम उठाने का। और भाइयों बहनों। चोरी के पैसों से जो बड़े-बड़े बंग्ले बनाकर बैठे हैं, बेनामी संपत्ति जिन्होंने बनाई है। 18-20 साल के उनके बेटे दुनिया की महंगी से महंगी मोटरबाइक लेकर के दुनिया में घूम रहे हैं। अगर वो पैसा बेईमानी का है तो हम निकालकर के रहेंगे, गरीबों को लौटा कर रहेंगे भाइयों बहनों। मैं जानता हूं इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी, हर कीमत चुकाने के लिए तैयार हूं लेकिन जनता को जो वादा किया है, उस वादे से मैं कभी मुकरने वाला नहीं हूंमैं ये लड़ाई, लड़ाई लड़ने वाला हूं क्योंकि मैं देख रहा हूं सवा सौ करोड़ देशवासी ईमानदारी का उत्सव मनाने के लिए फैसला कर चुके हैं और मैं देश की जनता के साथ चलने के लिए तैयार हूं भाइयों बहनों।

भाइयों बहनों।

जब सवा सौ करोड़ देशवासी संकल्प कर लेते हैं, आगे बढ़ने का निर्णय कर लेते हैं और शासन प्रो-पीपल होता है, प्रो-पूअर होता है, प्रो-एक्टिव होता है तो जनता जनार्दन का भरोसा भी अनेक गुना बढ़ जाता है। फिर काम सरल हो जाते हैं। आज मैं अनुभव कर रहा हूं। अब नोटबंदी के बाद किसी ने सोचा होगा कि करीब-करीब 90 लाख से भी ज्यादा लोग ईमानदारी के उत्सव में जुड़ गएटैक्स देने के लिए सामने से आगे आए और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के साथ अपने आपको जोड़ दिया। अभी तो सरकार ने किसी को कुछ कहा नहीं है, अभी तो सिर्फ मैं चीजें तैयार कर रहा हूं। उसके बावजूद भी 90 लाख लोगों का अपने आप देश को कर्ज चुकाने के लिए आगे आना, ये अपने आपमें ईमानदारी के अवसर को एक ताकत देने वाली घटना के रूप में मैं देखता हूं।

भाइयों बहनों।

हमारा ये विश्वास रहा है कि हम जनता-जनार्दन पर भरोसा करें। अंग्रेजों ने कभी भी हिंदुस्तान की जनता पर भरोसा नहीं किया। वे इस देश को गुलाम बनाए रखने के लिए हर हिंदुस्तानी पर शक करते हुए अपनी शासन व्यवस्था को विकसित किया था। दुर्भाग्य से आजादी के बाद भी सरकारों की आदत वही रही और जनता पर शक करना।

भाइयों बहनों।

पिछले साल में आपने देखा होगा। हमने हर काम में जनता पर भरोसा करने को प्राथमिकता दी है। शुरुआत यहीं से करते हैं, जनता-जनार्दन नागरिक सही बोलता है। हमें पहले मानकर चलना चाहिए कि सही बोलता है। अगर गलत हमारे पास जानकारी आए तब उसकी गलती की बात करनी चाहिए, आते ही उसको गलत मानकर नहीं चलना चाहिए।  अब आपको मालूम है, पहले कभी स्कूल में एडमिशन लेना है, कॉलेज में एडमिशन लेना है, नौकरी की अर्जी करनी है तो जिरॉक्स कॉपी सर्टिफिकेट की, उसको भी किसी पॉलिटीशियन के घर जाकर के ठप्पा मरवाना पड़ता था। क्यों भाई... ? जब जिरॉक्स मशीन है जब फाइनल इंटरव्यू होगा, नौकरी का उस समय जो ऑरिजनल कॉपी है वो देख लीजिए, अभी उसको क्यों दौड़ाते हो...? हमारी सरकार ने निर्णय कर लिया देश की जनता पर भरोसा करो। वो खुद अपने आप अपना साइन कर दे, खुद ही कह दे कि हां ये मेरे ट्रू कॉपी है, मान लो उसको। घटना छोटी होगी लेकिन सोचने का तरीका क्या है। उसकी शुरुआत यहीं से होती हैहमने इनकम टैक्स में लोगों को कहा कि 50 लाख का अगर आपका कारोबार है। प्रोफेशनल का आप अपने हिसाब से सरकार को बता दीजिए और इतनी मात्रा में टैक्स दे दीजिए आपको कोई हिसाब रखने की जरूरत नहीं, दिखाने की जरूरत नहीं। जनता पर भरोसा करना चाहिए। जनता पर विश्वास करना चाहिए। दिल्ली में एक ऐसी सरकार है जिसका अपने पर ईमानदारी का इतना विश्वास है कि वो जनता को ईमानदार मानती है और ईमानदार जनता पर भरोसा करके आगे बढ़ने का फैसला लेकर के चलती है। एक अलग कार्य संस्कृति क्या होती है? एक अलग कार्य करने का तरीका क्या होता है? ये आज देश अनुभव कर रहा है।

भाइयों बहनों।

आज देश में दुनिया के अंदर जो आईटी रिवोल्यूशन आया हैहिंदुस्तान पीछे नहीं रह सकता है। अफवाह फैलाने वाले फैलाते रहेंगे लेकिन हमने इस टेक्नोलॉजी का भरपूर फायदा उठाना है। एक के बाद एक हमारे कदम गरीब से गरीब व्यक्ति को इम्पॉवर करने वाले हैं। बैंकों की ब्रांच कम थी, हमने पोस्ट ऑफिस को पेमेंट बैंक में बदलने का निर्णय कर लिया। एक दम रातों-रात लाखों नईं बैंकें बन गईं। हमने डिजिटल पेमेंट की व्यस्था कीहर इंसान का मोबाइल फोन अपने आप बैंकिंग व्यवस्था का हिस्सा बन गया। मॉस स्कैल पर बदलाव कैसे लाया जा सकता है। ये आप अनुभव कर सकते हैं।

भाइयों बहनों।

कुछ काम ऐसे हैं जो हमारा इंतजार नहीं कर सकते। हम हमारी पुरानी आदत से चलेंगे तो ये तो लगेगा कि काम हो रहा हैसरकार कुछ कर रही है लेकिन जनता-जनार्दन या देश को कोई लाभ नहीं होगा। हिंदुस्तान को आज से 10 साल पहले ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ने की जरूरत थीपुरानी सरकारों में निर्णय भी हुआ लेकिन भाइयों बहनों। 100 गांव तक भी ऑप्टिकल फाइबर का काम पहुंचा नहीं। 3 साल ऐसे ही गए, हमने आने के बाद बीड़ा उठाया। 

भाइयों बहनों।

आज करीब-करीब 1 लाख गांवों तक हमने इस काम को पहुंचा दिया है। तेज गति से पहुंचा दिया है। काम को गति चाहिए, सरकार है, चलती है, कुछ हो रहा है, नहीं... । समय सीमा में तय किया 4 करोड़ टॉयलेट बनाना, देश की जनता ने हमारा साथ दिया टॉयलेट बन गए दोस्तों। पहली बार देश में लाखों गांव अपने आपको ओपन डेफिकेशन फ्री घोषित करने में पूरी तैयारी करके आगे आए हैं। जन सामान्य बदलाव के लिए किस प्रकार से जुड़ता है, ये हम सामने से देख रहे हैं।

भाइयों बहनों। 

महंगी दवाइयां, मंहगे स्टैंट हार्ट के लिए हमने कंपनियों से कहा, भरोसा किया, जेनरिक दवाइयों के विषय में आगे आए जो स्टैंट लाख-सवा लाख के थे वो 20, 25, 27 हजार पर पहुंच गए। जो 40, 45 हजार के थे वो 5 हजार, 7 हजार पर आकरके रूक गए। जो दवाइयां 1200, 1500, 2000, 3000 में बिकती थीं वो 80 रुपया, 100 रुपये, 125 रुपये में दवाई बिकने लग गई। गरीब को दवाई मिले, लोगों के सहयोग से निर्णय किया जा सकता है, बदलाव लाया जा सकता है।

भाइयों बहनों।

सैटेलाइट पहले भी जाते थे लेकिन जब 104 सैटेलाइट एक साथ जाते हैं तो दुनिया चौंक जाती है, गति ये होती है, काम का स्कैल ये होता है इसके ये नमूने हैं। भाइयों बहनों। एक बहुत बड़े फर्क पर काम को आगे बढ़ाने की दिशा में हमारा प्रयास है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, कौन कहता है पहले की सरकारों में तालाब नहीं बनते थे...? बनते थेकौन कहता है कि पहले की सरकारों में डैम नहीं बनते थे...? बनते थेकौन कहता है कि पहले की सरकारों में पानी की व्यवस्था की चिंता नहीं थी? थी। हमने कभी मना नहीं किया लेकिन देश के किसान की जो आवश्यकता है वो और सरकार के काम की गति ये दोनों इतनी मिसमैच थी कि कभी देश के किसान को देश की इकॉनामी को एग्रीकल्चर का कोई लाभ नहीं मिल सका। हमने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एक फोकस एक्टिविटी शुरू की। 90 प्रोजेक्ट हाथ में लिएहजारों, करोड़ों रुपये लगाने का फैसला किया और उन 90 योजनाओं को पूरा करके लाखों हेक्टेयर धरती को पानी से सिंचित करने की दिशा में हमने बीड़ा उठाया और आज मैं विश्वास से कहता हूं कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के द्वारा हर खेत को पानी ये सपना पूरा करने की संभावना पैदा हुई है और अगर हमारे देश का किसान मदद करे Per Drop More Crop, बूंद-बूंद पानी से फसल का उत्तम उत्पादन करने का फैसला करे, माइक्रो एरिगेशन, ट्रिप एरिगेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग इसको हम महत्व दें।

भाइयों बहनों।

मुझे विश्वास है कि मेरे देश के किसान की जिंदगी में पानी कभी संकट पैदा न करें, ये स्थिति पैदा की जा सकती है। इनपुट कॉस्ट कम हो। हमने सोलर पंप का अभियान चलाया हैबिजली के खर्चे से किसान को मुक्ति मिल जाएसफलतापूर्वक काम आगे बढ़ रहा है। एक जमाना था यूरिया के लिए 24, 24 घंटे किसान को कतार में खड़ा रहना पड़ता था, लाठी चार्ज हुआ करता था। हर मुख्यमंत्री भारत सरकार के दरवाजे पर दस्तक देता था कि हमें यूरिया चाहिए। हमने यूरिया का नीम-कोटिंग किया, नीम-कोटिंग करने से जो यूरिया किसान के नाम पर निकलता था लेकिन केमिकल की फैक्ट्री में चला जाता था। अब नीम-कोटिंग यूरिया का खेती के अलावा कहीं उपयोग ही नहीं हो सकता हैऔर ये अनुभव आया कि दो साल हो गए इस देश में यूरिया के लिए कहीं पर कमी महसूस नहीं हुईकोई चर्चा ही नहीं है कि यूरिया है कि नहीं है और नीम-कोटिंग करने के कारण पहले से किसान उसका उपयोग भी कम करने लगा है। फसल ज्यादा पैदा करने लगा है। हर प्रकार की फसल में नीम-कोटिंग यूरिया के कारण वृद्धि हुई है। किसान को सीधा-सीधा लाभ हुआ है।

हमने LED बल्ब का अभियान चलाया। आज मध्यम वर्ग के परिवार जिसके घर के अंदर 4 या 5 लट्टू होंगे। LED बल्ब लगाया तो आज उसके घर में 200, 500, 1000 रुपए की बचत हुईबिजली की बचत हुईलाखों-करोड़ों रुपए की बचत हुई। हमने Direct Benefit Scheme चालू कीलाभार्थी के खाते में सीधा पैसा जमा करने की योजना चालू की। और उसका परिणाम ये आया कि हजारों-करोड़ रुपये, मोटा-मोटा अंदाज है। 60 हजार करोड़ रुपया जो कभी गलत हाथों में चला जाता था, योजनाओं के नाम पर चला जाता था, गरीब लाभार्थी के नाम पर चला जाता था, सच्ची व्यवस्था से बैंक अकाउंट में पैसे जाने लगे। सारी चोरी पकड़ी गई, 60 हजार करोड़ रुपया, सालाना 60 हजार करोड़ रुपया इस देश का चोरी होता बच गया भाइयों बहनों। आधार की मदद से हुआ। मेरे कहने का तात्पर्य ये है कि विकास कैसे, स्कैल कितना बड़ा हो, एक्टिविटी का फोकस कितना साफ हो, ये इस सरकार ने करके दिखाया।

भाइयों बहनों।

लेकिन हम जन समर्थन बढ़ रहा है, लोगों का विश्वास बढ़ रहा है इसलिए चैन से बैठने वाले लोगों में से नहीं हैं। जितना विश्वास बढ़ता जा रहा है, उतना काम का उत्साह बढ़ता जा रहा है। न्यू इंडिया का सपना लेकर चले हैं। 2022, आजादी के 75 साल होंगे, देश के वीर नायकों ने मातृभूमि की आजादी के लिए जीवन खपा दिया है। हम 5 साल देश के लिए कुछ करने का संकल्प करें, न्यू इंडिया बनाने का संकल्प करें, जहां हर काम में हमारे अपने सपने नजर आते हों, ऐसे कामों को आगे बढ़ाना है, जन भागीदारी से आगे बढ़ाना है। एक ऐसा हिंदुस्तान, जो आधुनिक हिंदुस्तान हो, एक ऐसा हिंदुस्तान जिसको देश का नौजवान ड्राइव करता हो, एक ऐसा हिंदुस्तान जहां पर श्रम की पूजा होती है, श्रम का गौरव होता हो, श्रमिक के प्रति आदर का भाव होता हो। एक ऐसा हिंदुस्तान जहां हमारी माताएं-बहनें कंधे से कंधा मिलाकर हमारे साथ चलती हों, कोई भेद न हो, न कोई ऊंचा हो, न कोई नीचा हो। ऐसा हिंदुस्तान, ऐसा न्यू इंडिया जो आर्थिक ऊंचाइयों को पाने के सपनों को लेकर के चलने वाला हिंदुस्तान हो।

भाइयो-बहनों

तीन साल, एक दिन ऐसा नहीं है जब कोई नया इनिशिएटिव न लिया हो। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां नई पहल न की हो। कथा इतनी लंबी है कि मैं महीनों तक इस सरकार के नए-नए कदमों की बातें आपको बता सकता हूं लेकिन मैंने आज इन सारी प्रक्रियाओं के पीछे हमारी सोच क्या है, हम किस दिशा में सोचते हैं और कहां जाना चाहते हैं। इसकी एक छोटी से झलक आपके सामने प्रस्तुत करने का प्रयास किया है लेकिन आज असम के लोगों ने पूरे दिन मुझे आपके बीच रहने का मौका दिया।, आपने जो प्यार दिया, मैं इसके लिए आभारी हूं और गुवाहटी की धरती से मां कामाख्या की धरती से मैं देशवासियों को भी विश्वास दिलाता हूं आपने, आपने जो विश्वास रखा है, इस विश्वास की हर कसौटी पर हमें कसके देखिए हम खरा उतरने का भरपूर प्रयास करेंगे। आपका भरोसा, आपका समर्थन, आपका विश्वास हमें काम करने की ताकत देता है और नए काम करने की ताकत देता है और नई योजनाएं बनाने की ताकत दे रहा है। ये आपका ही सहयोग है, ये जो भी सफलता है, वो सवा सौ करोड़ देशवासियों की हैये जो कुछ भी प्रगति है, वो सवा सौ करोड़ देशवासियों की है। सवा सौ करोड़ देशवासी, यही मेरी टीम इंडिया है, टीम इंडिया की सफलता है और यही सफलता दुनिया में भारत को गौरव से सर ऊंचा करने के लिए तैयार करेगी। इस विश्वास के साथ, आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Bharatiya Antariksh Station (BAS) Our own Space Station for Scientific research to be established with the launch of its first module in 2028
September 18, 2024
Cabinet approved Gaganyaan Follow-on Missions and building of Bharatiya Antariksh Station: Gaganyaan – Indian Human Spaceflight Programme revised to include building of first unit of BAS and related missions
Human space flight program to continue with more missions to space station and beyond

The union cabinet chaired by the Prime Minister Shri Narendra Modi has approved the building of first unit of the Bharatiya Antariksh Station by extending the scope of Gaganyaan program. Approval by the cabinet is given for development of first module of Bharatiya Antariksh Station (BAS-1) and undertake missions to demonstrate and validate various technologies for building and operating BAS. To revise the scope & funding of the Gaganyaan Programme to include new developments for BAS & precursor missions, and additional requirements to meet the ongoing Gaganyaan Programme.

Revision in Gaganyaan Programme to include the scope of development and precursor missions for BAS, and factoring one additional uncrewed mission and additional hardware requirement for the developments of ongoing Gaganyaan Programme. Now the human spaceflight program of technology development and demonstration is through eight missions to be completed by December 2028 by launching first unit of BAS-1.

The Gaganyaan Programme approved in December 2018 envisages undertaking the human spaceflight to Low Earth Orbit (LEO) and to lay the foundation of technologies needed for an Indian human space exploration programme in the long run. The vision for space in the Amrit kaal envisages including other things, creation of an operational Bharatiya Antariksh Station by 2035 and Indian Crewed Lunar Mission by 2040. All leading space faring nations are making considerable efforts & investments to develop & operationalize capabilities that are required for long duration human space missions and further exploration to Moon and beyond.

Gaganyaan Programme will be a national effort led by ISRO in collaboration with Industry, Academia and other National agencies as stake holders. The programme will be implemented through the established project management mechanism within ISRO. The target is to develop and demonstrate critical technologies for long duration human space missions. To achieve this goal, ISRO will undertake four missions under ongoing Gaganyaan Programme by 2026 and development of first module of BAS & four missions for demonstration & validation of various technologies for BAS by December, 2028.

The nation will acquire essential technological capabilities for human space missions to Low Earth Orbit. A national space-based facility such as the Bharatiya Antariksh Station will boost microgravity based scientific research & technology development activities. This will lead to technological spin-offs and encourage innovations in key areas of research and development. Enhanced industrial participation and economic activity in human space programme will result in increased employment generation, especially in niche high technology areas in space and allied sectors.

With a net additional funding of ₹11170 Crore in the already approved programme, the total funding for Gaganyaan Programme with the revised scope has been enhanced to ₹20193 Crore.

This programme will provide a unique opportunity, especially for the youth of the country to take up careers in the field of science and technology as well as pursue opportunities in microgravity based scientific research & technology development activities. The resulting innovations and technological spin-offs will be benefitting the society at large.