"Shri Narendra Modi has empowered rural communities in managing drinking water supply with a the special purpose vehicle, WASMO."
"The formation of Pani Samitis (Water committees) has encouraged rural citizen’s participation in the decision making process of water management."
"Shri Modi’s attitude in bringing people at the centre of governance and leveraging local leadership has truly delineated decentralization."

श्री नरेन्‍द्र मोदी ने ग्रामीण समुदायों में पीने के पानी की आपूर्ति की समस्‍या को सुलझाने के लिए एक विशेष उद्देश्‍य वाली गतिविधि, WASMO को राज्‍य भर में लागू किया है। जिससे ग्रामीण समुदायों में पीने की पानी की काफी पुरानी समस्‍या का हल हुआ है। जल प्रबंधन के निर्णय लेने की प्रक्रिया में, पानी समितियों ( वॉटर कमेटी ) के गठन के दौरान ग्रामीण नागरिकों को भाग लेने के लिए प्रोत्‍साहित किया गया है।

श्री मोदी द्वारा लोगों को उनके लिए बनाई जानी वाली योजनाओं और शासन में शामिल करने का तरीका व स्‍थानीय स्‍तर किए जाने वाले नेतृत्‍व के कारण विकेन्‍द्रीकरण की सही छवि सामने आई है। थॉमस फुलर द्वारा सही ही कहा गया था कि "हमें पानी की कीमत तब तक पता नहीं चलती, जब तक कुआं सूख नहीं जाता है।" गुजरात एक ऐसा राज्‍य है जहां 20 % क्षेत्र में 71 % जल संसाधन और शेष 80 % क्षेत्र में 29 % जल संसाधन हैं और ग्रामीण क्षेत्रों को पीने के पानी के संकट से जूझना पड़ता है। जल संसाधनों की व्‍यवस्‍था, राज्‍य सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।

हालांकि, इस संकट को श्री नरेन्‍द्र मोदी ने अपनी दक्ष नेतृत्‍व क्षमता के चलते एक अवसर का रूप दे दिया और इस संकट से उभरने के लिए बेहतरीन प्रयास किए। इसके लिए उन्‍होने एक कदम आगे बढ़ाया और 2002 में एक विशेष उद्देश्‍य गतिविधि को राज्‍य में लागू किया, जिसे WASMO ( वॉटर एंड सेनीटेशन मैनेजमेंट आर्गेनाइजेशन ) से नाम से जाना जाता है। इस गतिविधि  को चलाने का मुख्‍य उद्देश्‍य ग्रामीण समुदायों में पीने के पानी की आपूर्ति और स्‍वच्‍छता को बनाएं रखना है। इसके अलावा, इस योजना के बारे में और अधिक जानने के लिए यह बात भी उल्‍लेखनीय है कि कैसे इस ग्रामीण समुदाय को ध्‍यान में रखकर चलाए जाने वाले प्रोजेक्‍ट ने शानदार वास्‍तविक परिणाम के साथ – साथ विकेन्‍द्रीकरण के मुद्दे को भी उचित ढ़ंग से संचालित किया है। पानी की आपूर्ति के निर्णय लेने की प्रक्रिया में ग्रामीण नागरिकों को शामिल करने के लिए ग्राम पंचायत के उप - समितियों के रूप में पानी समितियों का गठन किया गया है।

इन समितियों की खास विशेषता यह है कि महिलाओं और उपेक्षित समूहों को पर्याप्‍त प्रतिनिधित्‍व का आश्‍वासन दिया गया है। WASMO, एक व्‍यापक क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाने वाला संगठन है जो कमिटी के सदस्‍यों के बीच समिति की वित्‍तीय गतिविधियों को सामने रखता है और अन्‍य पहलुओं पर सोच विचार कर जनहित में निर्णय लेता है। समिति के सदस्‍यों को भी निर्देश दिया जाता है कि वह स्‍वामित्‍व की भावना रखते हुए और गांव के कल्‍याण की दिशा में पूंजी की लागत के दस प्रतिशत को जोड़ने में सहयोग प्रदान करें। पानी समिति को विशेष रूप से स्‍वच्‍छता, स्‍वास्‍थ्‍य, गंदे पानी से होने वाली बीमारियों और कठिन परिश्रम में कमी के मामले में अग्रणी महिलाओं के सकारात्‍मक रवैये को ध्‍यान में रखते हुए संस्‍थागत किया गया है। राज्‍य में पानी समितियों की संख्‍या तेजी से बढ़ रही है जो 2002 से 2012 के बीच 82 से 18,076 हो गई।

ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के स्‍वच्‍छ पानी को पहुंचाने के लिए WASMO ने ग्रामीण पेयजल गुणवत्‍ता और सर्वीलांस प्रोग्राम को लागू किया है। आर्गेनाइजेशन से जुड़े विभिन्‍न सेक्‍टरों के पार्टनर जैसे - गुजरात वॉटर सप्‍लाई, सीवरेज बोर्ड (GWSSB) और यूनीसेफ (UNICEF ) ने इस प्रकिया में अह्म् भूमिका निभाई है। 2012 के अंत तक, 16,676 वॉटर क्‍वालिटी टीमों ने विभिन्‍न गांवों में जाकर लोगों को पीने के स्‍वच्‍छ पानी के बारे में जागरूक किया है और व्‍यक्तिगत स्‍वच्‍छता के बारे में जानकारी दी है। रोचक बात यह है कि इन वॉटर क्‍वालिटी टीमों ने न केवल पानी समिति,  स्‍वंय - सहायता समूह (SHG) और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद ली है बल्कि स्‍कूल और कॉलेज के छात्रों व शिक्षकों को भी इस स्‍वच्‍छता अभियान का हिस्‍सा बनाया है।

WASMO के माध्‍यम से राज्‍य के ग्रामीण समुदायों में ग्रामीण जल आपूर्ति करके श्री नरेन्‍द्र मोदी ने जन शक्ति में विश्‍वास जताया है और इसे हमारी संस्‍कृति और मूल्‍य प्रणाली का अभिन्‍न अंग बनाया है, इतना ही नहीं बल्कि इस योजना से गुजरात को अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहचान मिली है। WASMO को यूनाईटेड नेशंस पब्लिक सर्विस अवॉर्ड - 2009 द्वारा "फोस्‍टरिंग पार्टीसिपेशन इन पॉलिसी - मेकिंग डिसीजन थ्रु इनोवेटिव मैकेनिज्‍म" ( नवीन प्रक्रियाओं द्वारा नीति – निर्माण में भागीदारी को बढ़ावा देना ) श्रेणी के अंतर्गत "ग्रामीण समुदायों में पेयजल आपूर्ति प्रंबधन के संस्‍थानीकरण कार्यक्रम और लोगों को पीने के पानी की गुणवत्‍ता" के बारे में बताने के लिए, अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर सम्‍मान दिया गया।

एक सामाजिक कार्यविधि द्वारा विकेन्‍द्रीकरण के दूरगामी प्रभाव को WASMO ने समझा और लागू करने की पुरजोर कोशिश की है, जिसका सकारात्‍मक प्रभाव ग्रामीण जीवन के स्‍तर पर स्‍पष्‍ट रूप से देखा जा सकता है। 2011 के अंत तक, राज्‍य में 72.22 % घरों में नलों की व्‍यवस्‍था कर दी गई थी, जो 26.6 % के राष्‍ट्रीय स्‍तर की तुलना से काफी बेहतर है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी परिस्थिति से जूझ रही महिलाओं का स्‍तर भी दिनों- दिन कम होता जा रहा है पहले 53.8 % महिलाएं गांवों में गरीबी रेखा के नीचे अपना जीवन व्‍यतीत करती थी, वहीं वर्तमान में यह दर घटकर मात्र 7.7 % रह गई है। इसके अलावा, गांवों की पानी के टैंकर पर निर्भरता भी धीरे - धीरे कम हो गई है, 2003 में 3961 गांवों को पानी के टैंकों की आवश्‍यकता पड़ती थी, जबकि 2011 तक मात्र 7 गांवों को ही पानी के टैंकों की जरूरत रह गई।

गांवों में पेयजल की आपूर्ति के लिए राज्‍य सरकार द्वारा लागू की गई योजना में सभी बातों का विशेष ध्‍यान रखा गया है, जिसे WASMO ने राज्‍य में अच्‍छी तरह लागू किया, पेयजल आपूर्ति के अलावा कई और मुद्दों जैसे - दूर जगहों से पानी लाना, पानी के बंटवारे में मतभेद होना, बाहरी एजेंसियों पर निर्भर होना आदि को भी मद्देनजर रखकर योजना को लागू किया गया। लोगों को शासन के केंद्र में लाने की नीति और स्‍थानीय नेतृत्‍व को बल देने का श्री नरेन्‍द्र मोदी का रवैया नि:सन्‍देह गांधी जी के विचार "सुराज्‍य" को पूरा करता है जिसमें पंचायत राज प्रणाली को मजबूत बनाने के बारे में कहा गया था। WASMO द्वारा लोगों को शासन का हिस्‍सा बनकर उनके स्‍वंय के लिए कार्य करने का मौका दिया गया, जो वाकई में प्रंशसनीय है।

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जल जीवन मिशन के 6 साल: हर नल से बदलती ज़िंदगी
August 14, 2025
"हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन, एक प्रमुख डेवलपमेंट पैरामीटर बन गया है।" - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

पीढ़ियों तक, ग्रामीण भारत में सिर पर पानी के मटके ढोती महिलाओं का दृश्य रोज़मर्रा की बात थी। यह सिर्फ़ एक काम नहीं था, बल्कि एक ज़रूरत थी, जो उनके दैनिक जीवन का अहम हिस्सा थी। पानी अक्सर एक या दो मटकों में लाया जाता, जिसे पीने, खाना बनाने, सफ़ाई और कपड़े धोने इत्यादि के लिए बचा-बचाकर इस्तेमाल करना पड़ता था। यह दिनचर्या आराम, पढ़ाई या कमाई के काम के लिए बहुत कम समय छोड़ती थी, और इसका बोझ सबसे ज़्यादा महिलाओं पर पड़ता था।

2014 से पहले, पानी की कमी, जो भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक थी; को न तो गंभीरता से लिया गया और न ही दूरदृष्टि के साथ हल किया गया। सुरक्षित पीने के पानी तक पहुँच बिखरी हुई थी, गाँव दूर-दराज़ के स्रोतों पर निर्भर थे, और पूरे देश में हर घर तक नल का पानी पहुँचाना असंभव-सा माना जाता था।

यह स्थिति 2019 में बदलनी शुरू हुई, जब भारत सरकार ने जल जीवन मिशन (JJM) शुरू किया। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक सक्रिय घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) पहुँचाना है। उस समय केवल 3.2 करोड़ ग्रामीण घरों में, जो कुल संख्या का महज़ 16.7% था, नल का पानी उपलब्ध था। बाकी लोग अब भी सामुदायिक स्रोतों पर निर्भर थे, जो अक्सर घर से काफी दूर होते थे।

जुलाई 2025 तक, हर घर जल कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगति असाधारण रही है, 12.5 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को जोड़ा गया है, जिससे कुल संख्या 15.7 करोड़ से अधिक हो गई है। इस कार्यक्रम ने 200 जिलों और 2.6 लाख से अधिक गांवों में 100% नल जल कवरेज हासिल किया है, जिसमें 8 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश अब पूरी तरह से कवर किए गए हैं। लाखों लोगों के लिए, इसका मतलब न केवल घर पर पानी की पहुंच है, बल्कि समय की बचत, स्वास्थ्य में सुधार और सम्मान की बहाली है। 112 आकांक्षी जिलों में लगभग 80% नल जल कवरेज हासिल किया गया है, जो 8% से कम से उल्लेखनीय वृद्धि है। इसके अतिरिक्त, वामपंथी उग्रवाद जिलों के 59 लाख घरों में नल के कनेक्शन किए गए, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विकास हर कोने तक पहुंचे। महत्वपूर्ण प्रगति और आगे की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय बजट 2025–26 में इस कार्यक्रम को 2028 तक बढ़ाने और बजट में वृद्धि की घोषणा की गई है।

2019 में राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए जल जीवन मिशन की शुरुआत गुजरात से हुई है, जहाँ श्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में सुजलाम सुफलाम पहल के माध्यम से इस शुष्क राज्य में पानी की कमी से निपटने के लिए काम किया था। इस प्रयास ने एक ऐसे मिशन की रूपरेखा तैयार की जिसका लक्ष्य भारत के हर ग्रामीण घर में नल का पानी पहुँचाना था।

हालाँकि पेयजल राज्य का विषय है, फिर भी भारत सरकार ने एक प्रतिबद्ध भागीदार की भूमिका निभाई है, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए राज्यों को स्थानीय समाधानों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार दिया है। मिशन को पटरी पर बनाए रखने के लिए, एक मज़बूत निगरानी प्रणाली लक्ष्यीकरण के लिए आधार को जोड़ती है, परिसंपत्तियों को जियो-टैग करती है, तृतीय-पक्ष निरीक्षण करती है, और गाँव के जल प्रवाह पर नज़र रखने के लिए IoT उपकरणों का उपयोग करती है।

जल जीवन मिशन के उद्देश्य जितने पाइपों से संबंधित हैं, उतने ही लोगों से भी संबंधित हैं। वंचित और जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को प्राथमिकता देकर, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करके, और स्थानीय समुदायों को योगदान या श्रमदान के माध्यम से स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित करके, इस मिशन का उद्देश्य सुरक्षित जल को सभी की ज़िम्मेदारी बनाना है।

इसका प्रभाव सुविधा से कहीं आगे तक जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि JJM के लक्ष्यों को प्राप्त करने से प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक की बचत हो सकती है, यह समय अब शिक्षा, काम या परिवार पर खर्च किया जा सकता है। 9 करोड़ महिलाओं को अब बाहर से पानी लाने की ज़रूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी अनुमान है कि सभी के लिए सुरक्षित जल, दस्त से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोक सकता है और स्वास्थ्य लागत में 8.2 लाख करोड़ रुपये की बचत कर सकता है। इसके अतिरिक्त, आईआईएम बैंगलोर और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, JJM ने अपने निर्माण के दौरान लगभग 3 करोड़ व्यक्ति-वर्ष का रोजगार सृजित किया है, और लगभग 25 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया है।

रसोई में एक माँ का साफ़ पानी से गिलास भरते समय मिलने वाला सुकून हो, या उस स्कूल का भरोसा जहाँ बच्चे बेफ़िक्र होकर पानी पी सकते हैं; जल जीवन मिशन, ग्रामीण भारत में जीवन जीने के मायने बदल रहा है।