पर्यावरण की सुरक्षा के लिए, आइये, कंधे से कंधा मिलाकर काम करें

प्रिय मित्रों,

5 जून को प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। पर्यावरण को लेकर खड़ी हुई समस्याओं के संबंध में जागरूकता पैदा करना ही इसका मकसद है। वर्ष 1972 में इसी रोज संयुक्त राष्ट्र की ओर से ह्युमन एनवायर्नमेंट विषय पर एक परिषद आयोजित की गई थी, जो स्टाकहोम कॉन्फ्रेंस के तौर पर भी जानी जाती है। यह एक ऐतिहासिक पल था, जब पृथ्वी पर पर्यावरण के बिगड़ते हालात में सुधार लाने को इच्छुक दुनिया भर के देशों ने आपस में हाथ मिलाये।

प्रकृति के साथ सामंजस्य का विचार पश्चिमी राष्ट्रों के लिए शायद नया हो, लेकिन प्रकृति के प्रति आदर का भाव तो हमारी भव्य संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। पृथ्वी और मनुष्य के बीच का संबंध मां और बच्चे जैसा ही है। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश जैसे पांच तत्वों का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर याज्ञवल्क्य स्मृति तक में मिलता है। हमारे आसपास के वातावरण को नुकसान पहुंचाए बगैर, पर्यावरण के साथ पूर्णत: सामंजस्य स्थापित कर जीवन जीने की कला हमें हमेशा से सिखाई गई है।

देखा जाए तो पर्यावरण की सुरक्षा का सवाल हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है। क्योंकि यह हमारी आने वाली पीढिय़ों से जुड़ा मसला है। इस विषय में महात्मा गांधी और उनके ट्रस्टीशिप के सिद्घांत का मुझ पर गहरा प्रभाव रहा है। इस सिद्घांत को पर्यावरण के सन्दर्भ में देखें तो, आज की पीढ़ी को प्राकृतिक संपदा के ट्रस्टी के तौर पर व्यवहार करना चाहिए, और इनका उपयोग कुछ इस तरह करना चाहिए कि आने वाली पीढिय़ां भी इसके लाभ से वंचित न हो।

मित्रों, पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे और वह ज्यादा से ज्यादा शुद्घ और स्वच्छ बने इस दिशा में प्रयास करने में गुजरात ने कोई कसर बाकी नहीं रखी है। एशिया में पहली बार गुजरात ने जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) के लिए एक अलग विभाग का गठन किया। समूचे विश्व में महज चार सरकारें ही ऐसी हैं जिन्होंने जलवायु परिवर्तन की समस्या के निराकरण के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की है, और गुजरात सरकार उन चार सरकारों में से एक है। भारत में सर्वाधिक कार्बन क्रेडिट हासिल करने वाला राज्य गुजरात ही है। इसके साथ ही हमने विद्युत उत्पादन के लिए ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है।

विद्युत-सरप्लस राज्य होने के बावजूद गुजरात ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में विराट कदम बढ़ाएं हैं। सौर ऊर्जा की नीति बनाने में गुजरात अव्वल रहा है। चंद महीने पहले ही गुजरात ने चारणका स्थित एशिया का सबसे बड़ा 600 मेगावाट क्षमता वाला सोलर पार्क राष्ट्र को समर्पित किया है। आज, देश की कुल सौर ऊर्जा में से दो तिहाई उत्पादन अकेला गुजरात करता है।

गैर परंपरागत स्रोतों के जरिए विद्युत उत्पादन करने के अलावा राज्य ने अपना ध्यान जलशक्ति पर भी केंद्रित किया है। आज, गुजरात में जलसंचय के छह लाख से अधिक ढांचों का निर्माण किया गया है। इनमें से अनेक जनभागीदारी के तहत तैयार किए गये हैं। हमारा राज्य पानी की किल्लत के लिए जाना जाता था, लेकिन आज हमारा कृषि क्षेत्र 11 फीसदी की दर से सरपट विकास कर रहा है। भूगर्भ जल का स्तर 3 से 13 मीटर तक ऊंचा आया है। आपसे यह बात साझा करते हुए मुझे बेहद खुशी महसूस हो रही है कि गुजरात ने टपक सिंचाई को बड़े पैमाने पर अपना लिया है। पिछले दशक के दौरान चार लाख हेक्टेयर जितनी भूमि का टपक सिंचाई के अंतर्गत समावेश किया जा चुका है। राज्य की 21 नदियों को परस्पर जोडऩे की दिशा में राज्य सरकार ने काम शुरू किया है। नतीजतन, शहरी और ग्रामीण आबादी को इसके विविध लाभ मिलने लगे हैं। अहमदाबाद की साबरमती नदी के तट की उपयोगिता पहले क्रिकेट के मैदान के रूप में थी, वहां सर्कस के तंबू ताने जाते थे। लेकिन अनेक चेक डैम और सिंचाई परियोजनाओं के चलते अब साबरमती नदी पर जल का अविरत प्रवाह नजर आता है। इतना ही नहीं, नदी का जल भी पहले की तुलना में स्वच्छ बना है।

गुजरात अब समुद्री लहरों की ऊर्जा का उपयोग करने और गैस आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। भारत का एकमात्र और एशिया का सबसे बड़ा टाइडल एनर्जी प्रोजेक्ट गुजरात में है। गत छह वर्षों में गुजरात में पवन ऊर्जा के उत्पादन में दस गुनी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पर्यावरण को हो रहे नुकसान को नियंत्रित करने के लिए ग्रीन गवर्नेंस का मॉडल निश्चित तौर पर एक नजीर साबित होगा।

मित्रों, हमारे समक्ष सिर्फ दो ही विकल्प हैं। या तो हम पर्यावरण को हो रहे नुकसान को इसी तरह जारी रहने दें, या फिर उचित कदम उठाते हुए भावी पीढ़ी की खुशियां सुनिश्चित करें। चुनाव स्पष्ट है। गुजरात में मेरे अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सिर्फ सरकार के प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं। जनभागीदारी जैसा सामथ्र्य अन्य किसी ताकत में नहीं। दैनिक जीवन में उठाया गया आपका एक छोटा-सा कदम हमारे ग्रह के पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में बड़ी भूमिका अदा करेगा। आज, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, चलिए हम सभी इस विश्व को और भी स्वच्छ तथा हरित बनाने के वास्ते संभव हो उतने अधिक प्रयास करने का संकल्प करें। इसके साथ गत एक दशक में क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों का सामना करने के लिए गुजरात के लोगों के प्रयासों का वर्णन करने वाली मेरी पुस्तक च्कन्वीनियंट एक्शनज् की लिंक रख रहा हूं।

‘Convenient Action: Gujarat’s Response to Challenges of Climate Change’

 

Video of Gujarat’s initiatives on climate change.

आपका,

नरेन्द्र मोदी

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आपकी पूंजी, आपका अधिकार
December 10, 2025

कुछ दिन पहले ‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ में अपनी स्पीच के दौरान, मैंने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े रखे थे:

भारतीय बैंकों में हमारे अपने नागरिकों के 78,000 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड पड़े हैं।

इंश्योरेंस कंपनियों के पास करीब 14,000 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड पड़े हैं।

म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास लगभग 3,000 करोड़ रुपये हैं और 9,000 करोड़ रुपये के डिविडेंड भी अनक्लेम्ड पड़े हैं।

इन बातों ने बहुत से लोगों को चौंका दिया है।

आखिरकार, ये एसेट्स अनगिनत परिवारों की मेहनत से बचाई गई सेविंग और इन्वेस्टमेंट को दिखाते हैं।

इसे ठीक करने के लिए, अक्टूबर 2025 में आपकी पूंजी, आपका अधिकार - Your Money, Your Right पहल शुरू की गई थी।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक अपने अधिकार के अनुसार अपना हक वापस पा सके।

फंड को ट्रैक करने और क्लेम करने की प्रक्रिया को आसान व पारदर्शी बनाने के लिए, डेडिकेटेड पोर्टल भी बनाए गए हैं। जो इस प्रकार हैं:

• भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) – UDGAM पोर्टल https://udgam.rbi.org.in/unclaimed-deposits/#/login

• भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) – बीमा भरोसा पोर्टल: https://bimabharosa.irdai.gov.in/Home/UnclaimedAmount

• भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)– MITRA पोर्टल: https://app.mfcentral.com/links/inactive-folios

• कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, IEPFA पोर्टल: https://www.iepf.gov.in/content/iepf/global/master/Home/Home.html

मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि दिसंबर 2025 तक, पूरे ग्रामीण और शहरी भारत के 477 जिलों में फैसिलिटेशन कैंप लगाए गए हैं। हमारा जोर दूर-दराज के इलाकों को कवर करने पर रहा है।

सरकार, नियामक संस्थाओं, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों सहित सभी हितधारकों की संयुक्त कोशिशों के माध्यम से, करीब 2,000 करोड़ रुपये पहले ही वास्तविक हकदारों को वापस मिल चुके हैं।

लेकिन हम आने वाले दिनों में इस अभियान को और बढ़ाना चाहते हैं। और ऐसा करने के लिए, मैं आपसे इन बातों पर मदद का अनुरोध करता हूँ:

पता कीजिए कि क्या आपके या आपके परिवार के पास कोई अनक्लेम्ड डिपॉजिट, बीमा की रकम, डिविडेंड या इन्वेस्टमेंट हैं।

ऊपर बताए गए पोर्टलों पर जाएं।

अपने जिले में सुविधा कैंप का लाभ उठाएं।

जो आपका है, उसे क्लेम करने के लिए अभी कदम बढ़ाएं और एक भूली हुई फाइनेंशियल संपत्ति को एक नए अवसर में बदलें। आपका पैसा आपका है। आइए, यह सुनिश्चित करें कि यह आपको वापस मिले।

आइए, साथ मिलकर एक पारदर्शी, आर्थिक रूप से सशक्त और समावेशी भारत बनाएं!