प्रिय मित्रों,

आज मैं सोमनाथ की धरती से भगवान विश्वनाथ की नगरी के लिए एक अनुपम और अविस्मरणीय यात्रा आरम्भ करने जा रहा हूँ। कुछ देर बाद मैं वाराणसी से भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल करूँगा। मैं पार्टी नेतृत्व को धन्यवाद करना चाहूँगा कि उन्होंने मुझे इस महान ऐतिहासिक शहर से चुनाव लड़ने का मौका दिया। मैं अपने पार्टी कार्यकर्ताओं का अभिनंदन करता हूँ जो मेरी उम्मीदवारी घोषित होने के तुरंत बाद से ही जमीनी स्तर पर मेहनत कर रहे हैं और मैं नमन करता हूँ, देश भर के उन कार्यकर्ताओं एवं शुभचिंतकों को जो पिछले कई महीनों से मुझे अपना समर्थन और आशीर्वाद दे रहे हैं।

वाराणसी के बारे में मार्क ट्वेन ने कहा था, "वाराणसी इतिहास से भी पुरातन है, परम्पराओं से भी पुराना है, किंवदंतियों से भी प्राचीन है और अगर इन सभी को एक साथ रख दिया जाए तो उनसे भी कहीं अधिक पुराना है.”

वाराणसी भारत की गौरवशाली संस्कृति का उद्गम और परंपराओं, लोक-नीतियों तथा सदाश्यता का संगम स्थल है. यह संकट मोचन मंदिर की मंगल भूमि है. यह धरा दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करती है, जो यहाँ शांति और मोक्ष की तलाश में आते हैं. सारनाथ में ही गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना प्रथम धर्मोपदेश दिया था. वाराणसी पूजनीय संत रविदास की जन्मस्थली है. बनारस में ही महात्मा कबीर का भी जन्म हुआ, परवरिश हुई और यहीं से उन्होंने अपने ज्ञान का उजियारा दुनिया भर में फैलाया. मिर्जा ग़ालिब ने बनारस को ‘काबा-ए-हिन्दुस्तान’ और ‘चिराग-ए-दैर’ यानि दुनिया की रोशनी कहा था. जब पंडित मदन मोहन मालवीय को शिक्षण केंद्र की स्थापना के लिए स्थान का चयन करना था, उन्होंने बनारस को ही चुना. गंगा-जमुनी तहज़ीब के महान दूत उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जिक्र किये बिना वाराणसी का परिचय अधूरा सा लगता है. वाराणसी के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का प्यार अतुलनीय और अविस्मरणीय है. मुझे बेहद खुशी हुई जब अटल जी की सरकार ने वर्ष 2001 में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को भारत रत्न से नवाज़ा.

सच में वाराणसी और यहाँ के लोगों में कुछ तो ख़ास है. इस देवभूमि का हर निवासी अपने अन्दर कहीं न कहीं देवत्व लिए हुए है. इसी सत्प्रेरणा और भगवान विश्वनाथ के आशीर्वाद के साथ शानदार अतीत वाले वाराणसी के वैभवशाली भविष्य के निर्माण के लिए हम निकल पड़े हैं.

हमारी सोच है कि वाराणसी विश्व विरासत स्थल के तौर पर उभरे जो उपासकों के साथ साथ भारत की संस्कृति को समझने और आत्मसात करने वाले लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करे. इसका अर्थ है कि हमें वाराणसी के लिए अत्याधुनिक पर्यटन सुविधाओं का निर्माण करना होगा. मेरा दृढ़ विश्वास है कि एक बार अगर हम पर्यटन को आवश्यक प्रोत्साहन देने में सक्षम हो जाते हैं, तो इससे न केवल अधिक से अधिक पर्यटक यहाँ आयेंगे बल्कि गरीब से गरीब व्यक्ति अपनी आजीविका में इज़ाफ़ा कर सकेगा. ज्यादा सैलानी आएंगे तो यह उन लोगों के लिए लाभप्रद होगा जो मंदिरों से जुड़े हैं, घाटों पर रह रहे हैं, जो गंगा के घाटों से सवारियों का परिवहन करते हैं. समूचा शहर और उससे जुड़े क्षेत्र की काया ही पलट जायेगी.

गंगा वाराणसी की जीवन रेखा है, यहाँ की पहचान का मूल आधार है – यह हमारी माँ है. दुर्भाग्यवश हम गंगा के प्रति उतना ध्यान नहीं दे सके हैं, जितना कि देना चाहिए था. उत्तर प्रदेश के कई भागों में गंगा की हालत दयनीय है. हम ऐसा चलने नहीं दे सकते. समय की मांग है कि गंगा की समुचित सफाई हो और इसके पूर्व गौरव को बहाल किया जाए. 1986 में तत्कालीन सरकार गंगा एक्शन प्लान लेकर आई थी, लेकिन यह केवल प्लान बनकर ही रह गया, इसमें एक्शन हर प्रकार से नदारद था. बजट आवंटित हुआ लेकिन निर्धारित उद्देश के लिए कभी उपयोग नहीं किया गया. वरुणा की स्थिति भी ऐसी ही है. अब समय है कि इस असंगति को तत्काल प्रभाव से दूर किया जाए.

जब मैं गंगा की सफाई के लिए अपनी प्रतिबद्धता की बात करता हूँ, तब वह केवल एक वादा मात्र नहीं होता है. जब मैं 2001 में गुजरात का मुख्यमंत्री बना तब साबरमती की हालत भी ऐसी ही थी. यह सर्कसों के आयोजन और बच्चों के क्रिकेट खेलने के स्थान के तौर पर जानी जाती थी. आज 2014 में समूचा दृश्य ही बदल गया है. हम नर्मदा से पानी लेकर आए जो अब साबरमती में बह रहा है. एक विश्व स्तरीय साबरमती रिवर फ्रंट का निर्माण किया गया, जो कि अहमदाबाद का सबसे लोकप्रिय मनोरंजन और सांस्कृतिक स्थल बन गया है. भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से, हम वाराणसी में भी इसी प्रकार के बदलाव का मंशा रखते हैं.


To know more about the Sabarmati Riverfront Development Project, click here

केवल गंगा ही सरासर लापरवाही का शिकार नहीं बनीं हैं, बल्कि यहां की सफाई व्यवस्था भी चरमराई हुई है। हम वाराणसी में सफाई के मुद्दों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि हम वाराणसी के निवासियों को स्वच्छ और हरित शहर दे सकें. हम कचरे को इकट्ठा करने से लेकर रिसाइकलिंग तक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर ध्यान केन्द्रित करेंगे. कचरा निपटान के लिए अभी तक प्रचलन में रही व्यवस्था वाराणसी के लोगों की उम्मीदों के मुताबिक नहीं रही है. बेहद कम समय में हम इस व्यवस्था को इतिहास का हिस्सा बना देंगे. एक तय समय सीमा में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के साथ ही सीवर और रासायनिक अपशिष्ट से जुड़ी समस्याओं को कम करने का प्रयास करेंगे।​​

वाराणसी के बुनकर इस शहर के इतिहास, वर्तमान और भविष्य का अभिन्न अंग हैं. दुर्भाग्यवश दिल्ली और लखनऊ सरकारों की उदासीनता से उनका काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है. इस क्षेत्र को नवीनतम प्रौद्योगिकी और गुणात्मक मूल्य संवर्धन के साथ बढ़ावा देने के लिए मैं दृढ़ संकल्पित हूँ ताकि वाराणसी के बुनकर विश्वस्तर पर हमारी शान बन सकें. उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाले कच्चे माल की उपलब्धता से लेकर उनके उत्पादों के बेहतर विपणन तक, ये सुनिश्चित करना मेरा संकल्प है कि वो अपने गर्व के साथ अपने पैरों पर खड़े हों और उनकी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य उज्ज्वल बने.


Read more on the 5F formula to support farmers and weavers

कुछ दिन पहले एक व्यथित कर देने वाली घटना मेरी जानकारी में आई. वाराणसी के पास एक गाँव में हाई वोल्टेज लाइन टूट कर गिर गई, जिसकी वजह से कुछ लोग घायल हो गए, जिनमें महिलायें भी शामिल थीं. मुझे यह जानकार बेहद हैरानी हुई कि घायलों को चिकित्सा सहायता तक प्रदान नहीं की गई, स्थानीय प्रशासन मूक दर्शक बना रहा. उत्तर प्रदेश की अवनति और यहां चल रहे कुशासन का यह लक्षण हैं. हम इसे खत्म करना चाहते हैं.

मित्रों, चूँकि आज मैं वाराणसी जा रहा हूं, मुझे आपका समर्थन और शुभकामनाएँ चाहिए. मुझे आशीर्वाद दीजिये कि मैं इस गौरवशाली शहर को श्रेष्ठता के शिखर पर फिर से पुनर्स्थापित कर सकूं. मैं पूरे सामर्थ्य के साथ प्रयास करूँगा कि न केवल वाराणसी बल्कि समस्त पूर्वांचल के लोगों के जीवन में सुखद बदलाव आये ताकि यह क्षेत्र एक बार फिर हमारे राष्ट्र और सांस्कृतिक गौरव का केंद्र बन सके.

आपका,

नरेन्द्र मोदी

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
In young children, mother tongue is the key to learning

Media Coverage

In young children, mother tongue is the key to learning
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
भारत के रतन का जाना...
November 09, 2024

आज श्री रतन टाटा जी के निधन को एक महीना हो रहा है। पिछले महीने आज के ही दिन जब मुझे उनके गुजरने की खबर मिली, तो मैं उस समय आसियान समिट के लिए निकलने की तैयारी में था। रतन टाटा जी के हमसे दूर चले जाने की वेदना अब भी मन में है। इस पीड़ा को भुला पाना आसान नहीं है। रतन टाटा जी के तौर पर भारत ने अपने एक महान सपूत को खो दिया है...एक अमूल्य रत्न को खो दिया है।

आज भी शहरों, कस्बों से लेकर गांवों तक, लोग उनकी कमी को गहराई से महसूस कर रहे हैं। हम सबका ये दुख साझा है। चाहे कोई उद्योगपति हो, उभरता हुआ उद्यमी हो या कोई प्रोफेशनल हो, हर किसी को उनके निधन से दुख हुआ है। पर्यावरण रक्षा से जुड़े लोग...समाज सेवा से जुड़े लोग भी उनके निधन से उतने ही दुखी हैं। और ये दुख हम सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में महसूस कर रहे हैं।

युवाओं के लिए, श्री रतन टाटा एक प्रेरणास्रोत थे। उनका जीवन, उनका व्यक्तित्व हमें याद दिलाता है कि कोई सपना ऐसा नहीं जिसे पूरा ना किया जा सके, कोई लक्ष्य ऐसा नहीं जिसे प्राप्त नहीं किया जा सके। रतन टाटा जी ने सबको सिखाया है कि विनम्र स्वभाव के साथ, दूसरों की मदद करते हुए भी सफलता पाई जा सकती है।

 रतन टाटा जी, भारतीय उद्यमशीलता की बेहतरीन परंपराओं के प्रतीक थे। वो विश्वसनीयता, उत्कृष्टता औऱ बेहतरीन सेवा जैसे मूल्यों के अडिग प्रतिनिधि थे। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह दुनिया भर में सम्मान, ईमानदारी और विश्वसनीयता का प्रतीक बनकर नई ऊंचाइयों पर पहुंचा। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी उपलब्धियों को पूरी विनम्रता और सहजता के साथ स्वीकार किया।

दूसरों के सपनों का खुलकर समर्थन करना, दूसरों के सपने पूरा करने में सहयोग करना, ये श्री रतन टाटा के सबसे शानदार गुणों में से एक था। हाल के वर्षों में, वो भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम का मार्गदर्शन करने और भविष्य की संभावनाओं से भरे उद्यमों में निवेश करने के लिए जाने गए। उन्होंने युवा आंत्रप्रेन्योर की आशाओं और आकांक्षाओं को समझा, साथ ही भारत के भविष्य को आकार देने की उनकी क्षमता को पहचाना।

भारत के युवाओं के प्रयासों का समर्थन करके, उन्होंने नए सपने देखने वाली नई पीढ़ी को जोखिम लेने और सीमाओं से परे जाने का हौसला दिया। उनके इस कदम ने भारत में इनोवेशन और आंत्रप्रेन्योरशिप की संस्कृति विकसित करने में बड़ी मदद की है। आने वाले दशकों में हम भारत पर इसका सकारात्मक प्रभाव जरूर देखेंगे।

रतन टाटा जी ने हमेशा बेहतरीन क्वालिटी के प्रॉडक्ट...बेहतरीन क्वालिटी की सर्विस पर जोर दिया और भारतीय उद्यमों को ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करने का रास्ता दिखाया। आज जब भारत 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, तो हम ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करते हुए ही दुनिया में अपना परचम लहरा सकते हैं। मुझे आशा है कि उनका ये विजन हमारे देश की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और भारत वर्ल्ड क्लास क्वालिटी के लिए अपनी पहचान मजबूत करेगा।

रतन टाटा जी की महानता बोर्डरूम या सहयोगियों की मदद करने तक ही सीमित नहीं थी। सभी जीव-जंतुओं के प्रति उनके मन में करुणा थी। जानवरों के प्रति उनका गहरा प्रेम जगजाहिर था और वे पशुओं के कल्याण पर केन्द्रित हर प्रयास को बढ़ावा देते थे। वो अक्सर अपने डॉग्स की तस्वीरें साझा करते थे, जो उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा थे। मुझे याद है, जब रतन टाटा जी को लोग आखिरी विदाई देने के लिए उमड़ रहे थे...तो उनका डॉग ‘गोवा’ भी वहां नम आंखों के साथ पहुंचा था।

रतन टाटा जी का जीवन इस बात की याद दिलाता है कि लीडरशिप का आकलन केवल उपलब्धियों से ही नहीं किया जाता है, बल्कि सबसे कमजोर लोगों की देखभाल करने की उसकी क्षमता से भी किया जाता है।

रतन टाटा जी ने हमेशा, नेशन फर्स्ट की भावना को सर्वोपरि रखा। 26/11 के आतंकवादी हमलों के बाद उनके द्वारा मुंबई के प्रतिष्ठित ताज होटल को पूरी तत्परता के साथ फिर से खोलना, इस राष्ट्र के एकजुट होकर उठ खड़े होने का प्रतीक था। उनके इस कदम ने बड़ा संदेश दिया कि – भारत रुकेगा नहीं...भारत निडर है और आतंकवाद के सामने झुकने से इनकार करता है।

व्यक्तिगत तौर पर, मुझे पिछले कुछ दशकों में उन्हें बेहद करीब से जानने का सौभाग्य मिला। हमने गुजरात में साथ मिलकर काम किया। वहां उनकी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किया गया। इनमें कई ऐसी परियोजनाएं भी शामिल थीं, जिसे लेकर वे बेहद भावुक थे।

जब मैं केन्द्र सरकार में आया, तो हमारी घनिष्ठ बातचीत जारी रही और वो हमारे राष्ट्र-निर्माण के प्रयासों में एक प्रतिबद्ध भागीदार बने रहे। स्वच्छ भारत मिशन के प्रति श्री रतन टाटा का उत्साह विशेष रूप से मेरे दिल को छू गया था। वह इस जन आंदोलन के मुखर समर्थक थे। वह इस बात को समझते थे कि स्वच्छता और स्वस्थ आदतें भारत की प्रगति की दृष्टि से कितनी महत्वपूर्ण हैं। अक्टूबर की शुरुआत में स्वच्छ भारत मिशन की दसवीं वर्षगांठ के लिए उनका वीडियो संदेश मुझे अभी भी याद है। यह वीडियो संदेश एक तरह से उनकी अंतिम सार्वजनिक उपस्थितियों में से एक रहा है।

कैंसर के खिलाफ लड़ाई एक और ऐसा लक्ष्य था, जो उनके दिल के करीब था। मुझे दो साल पहले असम का वो कार्यक्रम याद आता है, जहां हमने संयुक्त रूप से राज्य में विभिन्न कैंसर अस्पतालों का उद्घाटन किया था। उस अवसर पर अपने संबोधन में, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि वो अपने जीवन के आखिरी वर्षों को हेल्थ सेक्टर को समर्पित करना चाहते हैं। स्वास्थ्य सेवा एवं कैंसर संबंधी देखभाल को सुलभ और किफायती बनाने के उनके प्रयास इस बात के प्रमाण हैं कि वो बीमारियों से जूझ रहे लोगों के प्रति कितनी गहरी संवेदना रखते थे।

मैं रतन टाटा जी को एक विद्वान व्यक्ति के रूप में भी याद करता हूं - वह अक्सर मुझे विभिन्न मुद्दों पर लिखा करते थे, चाहे वह शासन से जुड़े मामले हों, किसी काम की सराहना करना हो या फिर चुनाव में जीत के बाद बधाई सन्देश भेजना हो।

अभी कुछ सप्ताह पहले, मैं स्पेन सरकार के राष्ट्रपति श्री पेड्रो सान्चेज के साथ वडोदरा में था और हमने संयुक्त रूप से एक विमान फैक्ट्री का उद्घाटन किया। इस फैक्ट्री में सी-295 विमान भारत में बनाए जाएंगे। श्री रतन टाटा ने ही इस पर काम शुरू किया था। उस समय मुझे श्री रतन टाटा की बहुत कमी महसूस हुई।

आज जब हम उन्हें याद कर रहे हैं, तो हमें उस समाज को भी याद रखना है जिसकी उन्होंने कल्पना की थी। जहां व्यापार, अच्छे कार्यों के लिए एक शक्ति के रूप में काम करे, जहां प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता को महत्व दिया जाए और जहां प्रगति का आकलन सभी के कल्याण और खुशी के आधार पर किया जाए। रतन टाटा जी आज भी उन जिंदगियों और सपनों में जीवित हैं, जिन्हें उन्होंने सहारा दिया और जिनके सपनों को साकार किया। भारत को एक बेहतर, सहृदय और उम्मीदों से भरी भूमि बनाने के लिए आने वाली पीढ़ियां उनकी सदैव आभारी रहेंगी।