भारत वर्तमान की सबसे तेजी से उभरती महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था है, और एफडीआई के लिए सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है: प्रधानमंत्री
हम एक समन्वित राष्ट्रीय बाजार बनाने के लिए वस्तु एवं सेवा कर कानून पर अमल कर रहे हैं: प्रधानमंत्री
भारत एक डिजिटल क्रांति का अनुभव कर रहा है, यह भारतीय समाज में डिजिटल और आर्थिक विभाजन को पाट रहा है: नरेंद्र मोदी
इनोवेटिव बिजनेस मॉडल्स और ऐप आधारित स्टार्ट-अप्स ने भारतीयों में उद्यमिता की भावना पैदा की है: प्रधानमंत्री
हमने दूरगामी न्यायिक सुधारों की शुरुआत की है, और एक हजार से ज्यादा पुराने कानूनों को खत्म कर दिया है: प्रधानमंत्री
भारत में अच्छे और प्रतिभाशाली वकीलों एवं न्यायाधीशों की कमी नहीं है: नरेंद्र मोदी

भारत के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर,

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के माननीय न्यायाधीश,

विशिष्ट अतिथिगण एवं मित्रों,

देवियों और सज्जनों,

मैं इस वैश्विक सम्मेलन के आयोजन के लिए नीति आयोग को बधाई देते हुए अपनी बात शुरू करता हूं।

शायद, मध्यस्थता की सबसे सरल परिभाषा महात्मा गांधी ने दी है, उन्होंने कहा था -

“मैंने कानून का वास्तविक अभ्यास सीखा है। मैंने मानव स्वभाव के बेहतर पहलुओं का पता लगाना और लोगों के दिलों में जगह बनाना सीखा है। मुझे यह एहसास हुआ कि एक वकील का सच्चा काम विवाद में शामिल दलों को एकजुट करना है। यह सबक मेरे अंदर इस तरह घर कर गया था कि वकील के तौर पर बीस वर्ष की प्रैक्टिस के दौरान मेरा ज्यादातर समय सैकड़ों मामलों में निजी समझौते कराने में बीता। मैंने कुछ भी नहीं गंवाया, न पैसा और निश्चित रूप से न ही मेरी आत्मा।”

मित्रों,

भारत आज तेजी से विकास कर रही एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है। दरअसल, हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक उज्जवल स्थान की तरह हैं। यह भारत की आधारभूत क्षमताओं जैसे लोकतंत्र, जनसांख्यिकीय लाभ और मांग का परिणाम है। हमें इन क्षमताओं का पूरी तरह उपयोग करने की जरूरत है। यह तभी हो सकता है जब कारोबार में दीर्घकालिक निवेश किया जाए जिससे रोजगार के अवसर बनें और सतत आर्थिक विकास हो।

हमारा घरेलू बाजार टुकड़ों में बंटा है। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग टैक्सों ने वस्तु एवं सेवाओं को ज्यादा महंगा बना दिया है। इसने अंतरराज्यीय व्यापार में वृद्धि को बाधित किया है। हम एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाने के लिए वस्तु एवं सेवा टैक्स कानून ला रहे हैं। यह आगे चलकर घरेलू मांग को बढ़ाएगा, भारतीय बिजनेस में ज्यादा संभावनाएं पैदा करेगा और रोजगार के अवसर बढ़ाएगा।

भारत एक डिजिटल क्रांति के दौर में है। यह सामान्य रूप से भारतीय समाज और विशेष रूप से ग्रामीण समाज में डिजिटल और आर्थिक विभाजन को पाट रहा है। इस क्रांति के जरिए ग्रामीण अर्थव्यस्था को मिलने वाले बढ़ावा भारतीय अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाएगा।

अभिनव बिजनेस मॉडल और एप्लीकेशन आधारित स्टार्टअप्स ने भारतीयों के मन में उद्यमिता की भावना को बिठा दिया है। कल तक नौकरी मांगने वाले आज नौकरी देने वाले बन रहे हैं। डिजिटल दुनिया के कारण कानूनी पेशे में भी खुलापन आ रहा है। कारण-सूचियों से लेकर केस-लॉ तक, वकील की लाइब्रेरी अब आपके मोबाइल से एक क्लिक भर की दूरी पर है।

मित्रों,

उद्यम भारतीय बाजार में कानून की व्यापकता का आश्वासन चाहते हैं। वे इस बात से आश्वस्त होना चाहते हैं कि रातोंरात मनमाने तरीके से नियम नहीं बदले जाएंगे। साथ ही व्यावसायिक विवाद कुशलता से हल किए जाएंगे। एक जीवंत मध्यस्थता संस्कृति द्वारा समर्थित एक मजबूती कानूनी ढांचा आवश्यक है।

इस दिशा में हमने दूरगामी कानूनी सुधार शुरू किए हैं। एक हजार से अधिक पुराने कानून खत्म कर दिए गए हैं। हमने एक व्यापक दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 अधिनियमित की है। हमने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण लागू कर दिया है और एक सांविधिक मौद्रिक नीति समिति स्थापित की है। वस्तुओं एवं प्रतिभूति बाजार के विलय को प्रभावी किया है।

इसके अलावा, दिवालियापन संहिता में सामंजस्य बिठाते हुए हमने इस वर्ष बदलते क्रेडिट परिदृश्य के अनुरूप और कारोबारी सुगमता के लिए एसएआरएफएईएसआई एवं डीआरटी अधिनियम में संशोधन किया है।

हालांकि, कानूनी सुधार तभी अपेक्षित परिणाम दे सकते हैं जब एक प्रभावी और कुशल विवाद समाधान तंत्र उपलब्ध हो। न्यायपालिका की स्वतंत्रता भारतीय संविधान की एक बुनियादी सुविधा है। आम नागरिकों के साथ-साथ उद्यम न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता में अपार विश्वास व्यक्त करते हैं। हमारी सरकार ने बुनियादी न्यायिक ढांचे और प्रशासन में सुधार के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।

हमने वाणिज्यिक विवादों के त्वरित समाधान के लिए उच्च न्यायालयों के वाणिज्यिक अदालतों, वाणिज्यिक प्रभाग एवं वाणिज्यिक अपीलीय डिवीजन 2015 के अधिनियम को अधिनियमित किया है।

एक राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड देशभर में जिला अदालतों में लंबित मामलों पर डेटा प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है। समूची कोर्ट प्रणाली के कंप्यूटरीकरण के लिए ई-कोर्ट मिशन के तहत कदम उठाए गए हैं।

हमारी सरकार ने मौजूदा न्यायाधिकरण के अभिसरण के लिए एक रणनीति पर काम कर रही है। यह मौजूदा जटिल न्यायाधिकरण प्रणाली को एक सरल संरचना में ढालने में मददगार होगी।

पंचाट, मध्यस्थता और सुलह सहित वैकल्पिक विवाद समाधान के लिए एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र बनाए जाने की जरूरत है। यह उद्यमों और निवेशकों को अतिरिक्त सुविधा प्रदान करेगा। इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि ये भारतीय अदालतों पर काम के बोझ को कम करेगा।

विवादों का मध्यस्थता के जरिए निपटारा हमारे लिए नई बात नहीं है। प्राचीन भारत में भी दो पक्षों के बीच में विवादों के निपटारे के लिए कई तंत्र थे। इनमें शामिल थे कुलानी, या ग्राम परिषद; श्रेणी या निगम; और पूगा या सभा। इसी तरह, वाणिज्यिक मामलों में निर्णय महाजनों और मंडलों द्वारा किया जाता था।

आज कंपनियों और वित्तीय संस्थानों को कानूनी विशेषज्ञों की जरूरत होती है, जो किसी भी विवाद एवं मुकदमों के बिना नजदीकी व्यापारिक सौदों और लेनदेन में मदद कर सकते हैं। यदि कोई विवाद खड़ा होता है तो कंपनियां बिना अदालत जाए, उसे मध्यस्थता के जरिए जल्दी निपटाना चाहती हैं। इसके लिए उन्हें मध्यस्थता में विशेषज्ञता वाले वकील की आवश्यकता होती है। वैकल्पिक विवाद समाधान प्रक्रिया व्यक्तिगत और व्यावसायिक रिश्तों का संरक्षण करती है अन्यथा विरोधात्मक प्रक्रिया से नुकसान हो सकता है।

हाल के रुझान ये संकेत देते हैं कि हांगकांग और सिंगापुर जैसे एशियाई केंद्र मध्यस्थता के प्राथमिकता वाले स्थलों के रूप में उभरे हैं। लोकप्रिय व्यापारिक केंद्र के तौर पर वे कारोबारी सुगमता की रैंकिंग में भी ऊंचे पायदान पर खड़े हैं। इस प्रकार, गुणवत्ता वाले मध्यस्थता तंत्र की उपलब्धता कारोबारी सुगमता का महत्वपूर्ण अंग है और इसके लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।

मित्रों,

संस्थागत मध्यस्थता के लिए एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हमारी सरकार की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में से एक है। हाल ही में, पंचाट और सुलह अधिनियम में प्रमुख संशोधन किए गए हैं। इसने मध्यस्थता की प्रक्रिया को आसान, समयबद्ध और परेशानी मुक्त बनाया है। हमारा कानून यूएनसीआईटीआरएएल मॉडल कानून पर आधारित है।

उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सामान्य परिस्थितियों में मध्यस्थ न्यायाधिकरण 12 महीने के भीतर अपना फैसला दे दे। फॉस्ट ट्रैक प्रक्रिया के दौरान यह फैसला छह माह में आ जाना चाहिए। यहां तक कि न्यायालय द्वारा मध्यस्थ की नियुक्ति पर 60 दिन की अवधि के भीतर निर्णय ले लिया जाना चाहिए। फैसले की प्रक्रिया और मंजूरी के दौरान पूर्व में पेश आने वाली बाधाओं को हटा लिया गया है।

इसके अलावा, नए कानून के अनुसार, फैसले को चुनौती देने वाले किसी भी आवेदन का न्यायालय द्वारा एक वर्ष के भीतर निपटारा किया जाएगा। कोर्ट द्वारा फैसले को लागू करने से इनकार अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं के अनुसार ही किया जा सकता है। इन संशोधनों से हमारी मध्यस्थता प्रक्रिया विश्व की सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ तालमेल बिठा सकेगी। इसने हमें एक अग्रणी मध्यस्थता अधिकार क्षेत्र के रूप में उभरने का मौका दिया है। हालांकि, महान अवसरों के साथ महान चुनौतियां भी खड़ी होती हैं। इन चुनौतियों में शामिल है, उत्कृष्ट गुणवत्ता एवं विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त मध्यस्थों की उपलब्धता; पेशेवर आचरण, तटस्थता सुनिश्चित करना, प्रक्रिया का समयबद्ध पालन; और कम लागत वाली मध्यस्थता की कार्यवाही।

मित्रों,

भारत में प्रतिभाशाली वकीलों और न्यायाधीशों की कोई कमी नहीं है। भारत के पास बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त न्यायाधीश, इंजीनियर और वैज्ञानिक उपलब्ध हैं, जो कि विभिन्न क्षेत्रों में सक्षम मध्यस्थों के रूप में काम कर सकते हैं। भारत के आर्थिक हितों की काफी संख्या में उपलब्ध मध्यस्थता विशेषज्ञों और वकीलों के द्वारा बेहतर सेवा की जा सकती है। इसके लिए भारत में कानूनी शिक्षा का दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञताप्राप्त मध्यस्थता बार एसोसिएशन विकसित करने की आवश्यकता है। हमें पेशेवर पंचायती संस्थाओं को चलाने की जरूरत है, जो उद्यमों को भारत में उचित कीमत पर अंतरराष्ट्रीय मानकों वाली सेवाएं दे सके। हम इस प्रयास में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्थानों का स्वागत करते हैं।

हमें न्यायपालिका और मध्यस्थता तंत्र के प्रयासों को पूरा करने के तरीकों और साधनों पर विचार-विमर्श करना चाहिए। मध्यस्थता एक ऐसी व्यवस्था है, जिसका देश में संभावना के अनुरूप ज्यादा उपयोग नहीं किया गया है।

मित्रों,

एक समर्थ वैकल्पिक विवाद समाधान पारिस्थितिकी तंत्र भारत के लिए एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है। हमें भारत को एक मध्यस्थता केंद्र के रूप में विश्व स्तर पर बढ़ावा देने की जरूरत है। रोसको पाउंड का प्रख्यात कथन है - "कानून स्थिर होना चाहिए, लेकिन यह सीधा खड़ा नहीं होना चाहिए।" इस सम्मेलन ने महत्वपूर्ण नियामक, नीति और सुधारों पर विचार-विमर्श करने के लिए आदर्श मंच प्रदान किया है।

मुझे यकीन है, यहां हुआ विचार-विमर्श भारत में पंचाट को मजबूत बनाने में मददगार होगा और अंतरराष्ट्रीय व्यवसायियों, कॉर्पोरेट घरानों तथा कानूनी बिरादरी के बीच मध्यस्थता के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने में एक मील का पत्थर साबित होगा। हम प्रभावी रूप से आपकी सिफारिशों को लागू करने के लिए तत्पर हैं।

धन्यवाद।

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Gen Z और Gen Alpha भारत को विकसित भारत के लक्ष्य तक ले जाएगी: पीएम मोदी
December 26, 2025
प्रधानमंत्री ने कहा - आज के दिन हम राष्ट्र के गौरव, अदम्य साहस और वीरता के सर्वोच्च आदर्शों के प्रतीक वीर साहिबजादों को याद करते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा - माता गुजरी जी, श्री गुरु गोविंद सिंह जी और चारों साहिबजादों का साहस और आदर्श प्रत्येक भारतीय को शक्ति प्रदान करते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा - भारत ने गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्त होने का संकल्प लिया है
प्रधानमंत्री ने कहा - जैसे-जैसे भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्त हो रहा है, हमारी भाषाई विविधता शक्ति के स्रोत के रूप में उभर रही है
प्रधानमंत्री ने कहा - जेनरेशन जेड और जेनरेशन अल्फा देश के विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करेगी

केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी अन्नपूर्णा देवी, सावित्री ठाकुर, रवनीत सिंह, हर्ष मल्होत्रा, दिल्ली सरकार से आए हुए मंत्री महोदय, अन्य महानुभाव, देश के कोने-कोने से यहां उपस्थित सभी अतिथि और प्यारे बच्चों !

आज देश ‘वीर बाल दिवस’ मना रहा है। अभी वंदे मातरम की इतनी सुंदर प्रस्तुति हुई है, आपकी मेहनत नजर आ रही है।

साथियों,

आज हम उन वीर साहिबजादों को याद कर रहे हैं, जो हमारे भारत का गौरव है। जो भारत के अदम्य साहस, शौर्य, वीरता की पराकाष्ठा है। वो वीर साहिबजादे, जिन्होंने उम्र और अवस्था की सीमाओं को तोड़ दिया, जो क्रूर मुगल सल्तनत के सामने ऐसे चट्टान की तरह खड़े हुए कि मजहबी कट्टरता और आतंक का वजूद ही हिल गया। जिस राष्ट्र के पास ऐसा गौरवशाली अतीत हो, जिसकी युवा पीढ़ी को ऐसी प्रेरणाएं विरासत में मिली हों, वो राष्ट्र क्या कुछ नहीं कर सकता।

साथियों,

जब भी 26 दिसंबर का ये दिन आता है, तो मुझे ये तसल्ली होती है कि हमारी सरकार ने साहिबजादों की वीरता से प्रेरित वीर बाल दिवस मनाना शुरू किया। बीते 4 वर्षों में वीर बाल दिवस की नई परंपरा ने साहिबजादों की प्रेरणाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाया है। वीर बाल दिवस ने साहसी और प्रतिभावान युवाओं के निर्माण के लिए एक मंच भी तैयार किया है। हर साल जो बच्चे अलग-अलग क्षेत्रों में देश के लिए कुछ कर दिखाते हैं, उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। इस बार भी, देश के अलग-अलग हिस्सों से आए 20 बच्चों को ये पुरस्कार दिए गए हैं। ये सब हमारे बीच में हैं, अभी मुझे उनसे काफी गप्पे-गोष्टि करने का मौका मिला। और इनमें से किसी ने असाधारण बहादुरी दिखाई है, किसी ने सामाजिक सेवा और पर्यावरण के क्षेत्र में सराहनीय काम किया है। इनमें से कुछ विज्ञान और टेक्नोलॉजी में कुछ इनोवेट किया है, तो कई युवा साथी खेल, कला और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं। मैं इन पुरस्कार विजेताओं से कहूंगा, आपका ये सम्मान आपके लिए तो है ही, ये आपके माता-पिता का, आपके टीचर्स और मेंटर्स का, उनकी मेहनत का भी सम्मान है। मैं पुरस्कार विजेताओं को, और उनके परिवारजनों को उज्ज्वल भविष्य के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

वीर बाल दिवस का ये दिन भावना और श्रद्धा से भरा दिन है। साहिबजादा अजीत सिंह जी, साहिबजादा जुझार सिंह जी, साहिबजादा जोरावर सिंह जी, और साहिबजादा फतेह सिंह जी, छोटी सी उम्र में इन्हें उस समय की सबसे बड़ी सत्ता से टकराना पड़ा। वो लड़ाई भारत के मूल विचारों और मजहबी कट्टरता के बीच थी, वो लड़ाई सत्य बनाम असत्य की थी। उस लड़ाई के एक ओर दशम गुरु श्रीगुरु गोविंद सिंह जी थे, दूसरी ओर क्रूर औरंगजेब की हुकूमत थी। हमारे साहिबजादे उस समय उम्र में छोटे ही थे। लेकिन, औरंगजेब को, उसकी क्रूरता को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वो जानता था, उसे अगर भारत के लोगों को डराकर उनका धर्मांतरण कराना है, तो इसके लिए उसे हिंदुस्तानियों का मनोबल तोड़ना होगा। और इसलिए उसने साहिबजादों को निशाना बनाया।

लेकिन साथियों,

औरंगजेब और उसके सिपाहसालार भूल गये थे, हमारे गुरु कोई साधारण मनुष्य नहीं थे, वो तप, त्याग का साक्षात अवतार थे। वीर साहिबजादों को वही विरासत उनसे मिली थी। इसीलिए, भले ही पूरी मुगलिया बादशाहत पीछे लग गई, लेकिन वो चारों में से एक भी साहिबजादे को डिगा नहीं पाये। साहिबजादा अजीत सिंह जी के शब्द आज भी उनके हौसले की कहानी कहते हैं- नाम का अजीत हूं, जीता ना जाऊंगा, जीता भी गया, तो जीता ना आउंगा !

साथियों,

कुछ दिन पूर्व ही हमने श्रीगुरू तेग बहादुर जी को, उनके तीन सौ पचासवें बलिदान दिवस पर याद किया। उस दिन कुरुक्षेत्र में एक विशेष कार्यक्रम भी हुआ था। जिन साहिबजादों के पास श्री गुरू तेग बहादुर जी के बलिदान की प्रेरणा हो, वो मुगल अत्याचारों से डर जाएंगे, ये सोचना ही गलत था।

साथियों,

माता गुजरी, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और चारों साहिबजादों की वीरता और आदर्श, आज भी हर भारतीय को ताकत देते हैं, हमारे लिए प्रेरणा है। साहिबजादों के बलिदान की गाथा देश में जन-जन की जुबान पर होनी चाहिए थी। लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद भी देश में गुलामी की मानसिकता हावी रही। जिस गुलामी की मानसिकता का बीज अंग्रेज राजनेता मैकाले ने 1835 में बोया था, उस मानसिकता से देश को आजादी के बाद भी मुक्त नहीं होने दिया गया। इसलिए आजादी के बाद भी देश में दशकों तक ऐसी सच्चाइयों को दबाने की कोशिश की गई।

लेकिन साथियों,

अब भारत ने तय किया है कि गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पानी ही होगी। अब हम भारतीयों के बलिदान, हमारे शौर्य की स्मृतियां दबेंगी नहीं। अब देश के नायक-नायिकाओं को हाशिये पर नहीं रखा जाएगा। और इसलिए वीर बाल दिवस को हम पूरे मनोभाव से मना रहे हैं। और हम इतने पर ही नहीं रुके हैं, मैकाले ने जो साजिश रची थी, साल 2035 में उसके 200 साल अब थोड़े समय में हो जाएंगे। इसमें अभी 10 साल का समय बाकी है। इन्हीं 10 सालों में हम देश को पूरी तरह गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे। 140 करोड़ देशवासियों का ये संकल्प होना चाहिए। क्योंकि देश जब इस गुलामी की मानसिकता से मुक्त होगा, उतना ही स्वदेशी का अभिमान करेगा, उतना ही आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ेगा।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के इस अभियान की एक झलक कुछ दिन पहले हमारे देश की पार्लियामेंट में भी दिखाई दी है। अभी संसद के शीतकालीन सत्र में सांसदों ने हिन्दी और अंग्रेजी के अलावा, दूसरी भारतीय भाषाओं में लगभग 160 भाषण दिये। करीब 50 भाषण तमिल में हुए, 40 से ज्यादा भाषण मराठी में हुए, करीब 25 भाषण बांग्ला में हुए। दुनिया की किसी भी संसद में ऐसा दृश्य मुश्किल है। ये हम सबके लिए गौरव की बात है। भारत की इस language diversity को भी मैकाले ने कुचलने का प्रयास किया था। अब गुलामी की मानसिकता से मुक्त होते हमारे देश में भाषाई विविधता हमारी ताकत बन रही है।

साथियों,

यहां मेरा युवा भारत संगठन से जुड़े इतने सारे युवा यहां उपस्थित हैं। एक तरह से आप सभी जेन जी हैं, जेन अल्फा भी हैं। आपकी जनरेशन ही भारत को विकसित भारत के लक्ष्य तक ले जाएगी। मैं जेन जी की योग्यता, आपका आत्मविश्वास देखता हूं, समझता हूं, और इसलिए आप पर बहुत भरोसा करता हूं। हमारे यहां कहा गया है, बालादपि ग्रहीतव्यं युक्तमुक्तं मनीषिभिः। अर्थात्, अगर छोटा बच्चा भी कोई बुद्धिमानी की बात करे, तो उसे ग्रहण करना चाहिए। यानी, उम्र से कोई छोटा नहीं होता, और कोई बड़ा भी नहीं होता। आप बड़े बनते हैं, अपने कामों और उपलब्धियों से। आप कम उम्र में भी ऐसे काम कर सकते हैं कि बाकी लोग आपसे प्रेरणा लें। आपने ये करके दिखाया है। लेकिन, इन उपलब्धियों को अभी केवल एक शुरुआत के तौर पर देखना है। अभी आपको बहुत आगे बढ़ना है। अभी सपनों को आसमान तक लेकर जाना है। और आप भाग्यशाली हैं, आप जिस पीढ़ी में जन्में हैं, आपकी प्रतिभा के साथ देश मजबूती से खड़ा है। पहले युवा सपने देखने से भी डरते थे, क्योंकि पुरानी व्यवस्थाओं में ये माहौल बन गया था कि कुछ अच्छा हो ही नहीं सकता। चारों तरफ निराशा, निराशा का वातावरण बना दिया गया था। उन लोगों को यहां तक लगने लगा कि भई मेहनत करके क्या फायदा है? लेकिन, आज देश टैलेंट को, प्रतिभा को खोजता है, उन्हें मंच देता है। उनके सपनों के साथ 140 करोड़ देशवासियों की ताकत लग जाती है।

डिजिटल इंडिया की सफलता के कारण आपके पास इंटरनेट की ताकत है, आपके पास सीखने के संसाधन हैं। जो साइंस, टेक और स्टार्टअप वर्ल्ड में जाना चाहते हैं, उनके लिए स्टार्टअप इंडिया जैसे मिशन हैं। जो स्पोर्ट्स में आगे बढ़ रहे हैं, उनके लिए खेलो इंडिया मिशन है। अभी दो ही दिन पहले मैंने सांसद खेल महोत्सव में भी हिस्सा लिया। ऐसे तमाम मंच आपको आगे बढ़ाने के लिए हैं। आपको बस focused रहना है। और इसके लिए जरूरी है कि आप short term popularity की चमक-दमक में न फंसे। ये तब होगा, जब आपकी सोच स्पष्ट होगी, जब आपके सिद्धान्त स्पष्ट होंगे। और इसलिए, आपको अपने आदर्शों से सीखना है, देश की महान विभूतियों से सीखना है। आपको अपनी सफलता को केवल अपने तक सीमित नहीं मानना है। आपका लक्ष्य होना चाहिए, आपकी सफलता देश की सफलता बननी चाहिए।

साथियों,

आज युवाओं के सशक्तिकरण को ध्यान में रखकर नई पॉलिसी बनाई जा रही हैं। युवाओं को राष्ट्र-निर्माण के केंद्र में रखा गया है। ‘मेरा युवा भारत’, ऐसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से युवाओं को जोड़ने, उन्हें अवसर देने और उनमें लीडरशिप स्किल विकसित कराने का प्रयास किया जा रहा है। स्पेस इकोनॉमी को आगे बढ़ाना, खेलों को प्रोत्साहित करना, फिनटेक और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को विस्तार देना, स्किल डेवलपमेंट और इंटर्नशिप के अवसर तैयार करना, इस तरह के हर प्रयास के केंद्र में मेरे युवा साथी ही हैं। हर सेक्टर में युवाओं के लिए नए अवसर खुल रहे हैं।

साथियों,

आज भारत के सामने परिस्थितियां अभूतपूर्व हैं। आज भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। आने वाले पच्चीस वर्ष भारत की दिशा तय करने वाले हैं। आज़ादी के बाद शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि भारत की क्षमताएं, भारत की आकांक्षाएं और भारत से दुनिया की अपेक्षाएं, तीनों एक साथ मिल रही हैं। आज का युवा ऐसे समय में बड़ा हो रहा है, जब अवसर पहले से कहीं ज्यादा हैं। हम भारत के युवाओं की प्रतिभा, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को बेहतर मौके देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मेरे युवा साथियों,

विकसित भारत की मजबूत नींव के लिए भारत की एजुकेशन पॉलिसी में भी अहम Reforms किए गए हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का फोकस 21वीं सदी में लर्निंग के नए तौर-तरीकों पर है। आज फोकस प्रैक्टिकल लर्निंग पर है, बच्चों में रटने के बजाय सोचने की आदत विकसित हो, उनमें सवाल पूछने का साहस और समाधान खोजने की क्षमता आए, पहली बार इस दिशा में सार्थक प्रयास हो रहे हैं। Multidisciplinary studies, skill-based learning, स्पोर्ट्स को बढ़ावा और टेक्नोलाजी का उपयोग, इनसे स्टूडेंट्स को बहुत मदद मिल रही है। आज देशभर में अटल टिंकरिंग लैब्स में लाखों बच्चे इनोवेशन और रिसर्च से जुड़ रहे हैं। स्कूलों में ही बच्चे रोबोटिक्स, AI, सस्टेनेबिलिटी और डिजाइन थिंकिंग से परिचित हो रहे हैं। इन सारे प्रयासों के साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति में, मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प दिया गया है। इससे बच्चों को पढ़ाई में आसानी हो रही है, विषयों को समझने में आसानी हो रही है।

साथियों,

वीर साहिबजादों ने ये नहीं देखा था कि रास्ता कितना कठिन है। उन्होंने ये देखा था कि रास्ता सही है या नहीं है। आज उसी भावना की आवश्यकता है। मैं भारत के युवाओं के, और मैं भारत के युवाओं से यही अपेक्षा करता हूं, बड़े सपने देखें, कड़ी मेहनत करें, और अपने आत्मविश्वास को कभी भी कमजोर न पड़ने दें। भारत का भविष्य उसके बच्चों और युवाओं के भविष्य से ही उज्ज्वल होगा। उनका साहस, उनकी प्रतिभा और उनका समर्पण राष्ट्र की प्रगति को दिशा देगा। इसी विश्वास के साथ, इस जिम्मेदारी के साथ और इसी निरंतर गति के साथ, भारत अपने भविष्य की ओर आगे बढ़ता रहेगा। मैं एक बार फिर वीर साहिबजादों को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। सभी पुरस्कार विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।