स्वच्छ भारत की दिशा में पहल

Published By : Admin | January 1, 2016 | 01:06 IST

नई दिल्ली में राजपथ पर स्वच्छ भारत अभियान का शुभारंभ करते हुए श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है।” 2 अक्टूबर 2014 को देश भर में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई।

स्वच्छता के लिए जन आंदोलन की अगुवाई करते हुए प्रधानमंत्री ने लोगों से आह्वान किया कि वे साफ और स्वच्छ भारत के महात्मा गांधी के सपने को पूरा करें। श्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के पास सफाई अभियान शुरू किया। प्रधानमंत्री ने स्वयं झाड़ू उठाई और देश भर में स्वच्छ भारत अभियान को एक जन आंदोलन बनाते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को न स्वयं गंदगी फैलानी चाहिए और न किसी और को फैलाने देनी चाहिए। उन्होंने ‘ना गंदगी करेंगे, ना करने देंगे’ का मंत्र दिया। श्री मोदी ने स्वच्छता अभियान में शामिल होने के लिए नौ लोगों को आमंत्रित भी किया और उनसे अनुरोध किया कि वे सभी नौ अन्य लोगों को इस पहल से जोड़ें।

इस अभियान में शामिल होने के लिए लोगों को आमंत्रित करने के कारण स्वच्छता अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया। स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से लोगों में जिम्मेदारी की भावना आई। देश भर में लोग सक्रिय रूप से स्वच्छ भारत अभियान में शामिल हो रहे हैं और महात्मा गांधी का ‘स्वच्छ भारत’ का सपना अब साकार होने लगा है।

प्रधानमंत्री ने अपने आह्वान और कार्यों के माध्यम से लोगों के बीच स्वच्छ भारत का संदेश फैलाया। उन्होंने वाराणसी में भी सफाई अभियान चलाया। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन के तहत वाराणसी के अस्सी घाट में गंगा नदी के पास कुदाल से साफ़-सफ़ाई की। स्थानीय लोगों के एक बड़े दल ने स्वच्छ भारत अभियान में उनका साथ दिया। साफ़-सफ़ाई के महत्व को समझते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय परिवारों की उन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी जिक्र किया जो उन्हें घर में समुचित शौचालयों के अभाव के कारण झेलनी पड़ती हैं।

समाज के विभिन्न वर्गों के लोग आगे आए और सफाई के इस जन आंदोलन में शामिल हुए। सरकारी अधिकारियों से लेकर जवानों तक, बॉलीवुड अभिनेताओं से लेकर खिलाड़ियों तक, उद्योगपतियों से लेकर आध्यात्मिक गुरुओं तक, सभी इस पवित्र कार्य से जुड़े। देश भर में लाखों लोग दिन-प्रति-दिन सरकारी विभागों, एनजीओ और स्थानीय सामुदायिक केंद्रों के स्वच्छता कार्यक्रमों से जुड़ रहे हैं। होने से में सफाई को लेकर जागरुकता आई लोगों। सफ़ाई अभियानों के निरंतर आयोजनों के साथ-साथ देश भर में नाटकों और संगीत के माध्यम से सफ़ाई के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

बॉलीवुड हस्तियों से लेकर टीवी कलाकार भी सक्रिय रूप से इस अभियान में शामिल हुए। अमिताभ बच्चन, आमिर खान, कैलाश खेर, प्रियंका चोपड़ा जैसी प्रसिद्ध हस्तियों और सब टीवी शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ की पूरी टीम ने स्वच्छ भारत अभियान में अपना योगदान दिया। स्वच्छ भारत अभियान में सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल और मैरी कॉम एवं अन्य कई खिलाड़ियों के योगदान भी सराहनीय हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर प्रसारित होने वाले अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में लगातार देश भर के विभिन्न व्यक्तियों एवं संगठनों के उन प्रयासों की सराहना की जिससे स्वच्छ भारत अभियान को व्यापक रूप से सफ़ल बनाने में मदद मिली। प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के हरदा जिले के सरकारी अधिकारियों की एक टीम की स्वच्छ भारत में उनकी भूमिका की सराहना की। प्रधानमंत्री ने बंगलौर के न्यू होराइजन पब्लिक स्कूल के उन पांच छात्राओं की भी प्रशंसा की जिन्होंने अपशिष्ट खरीदने और बेचने के लिए एक मोबाइल आधारित एप्लीकेशन बनाई।

आईसीआईसीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एक्सएलआरआई जमशेदपुर और आईआईएम-बंगलुरु जैसे संगठनों ने बड़े पैमाने पर साफ़-सफ़ाई अभियान शुरू किया और आम जनों को सफ़ाई के लिए जागरूक किया।

श्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया के माध्यम से हमेशा ही लोगों की भागीदारी की खुलकर तारीफ़ की है। श्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में ‘मिशन प्रभुघाट’ पहल के लिए तेमसुतुला इमसोंग, दर्शिका शाह और स्वयंसेवकों के एक दल के प्रयासों की सराहना की।

स्वच्छ भारत अभियान के तहत ‘#MyCleanIndia’ का भी शुभारंभ किया गया ताकि देश भर में सफ़ाई कार्य करने वाले लोग अपने कार्यों को सबके सामने रख सकें।

स्वच्छ भारत अभियान लोगों का जोरदार समर्थन पाकर ‘जन आंदोलन’ बन गया। आम नागरिक भी बड़ी संख्या में आगे आए और उन्होंने साफ़-सुथरे भारत का प्रण लिया। स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत के बाद सड़कों की सफ़ाई के लिए हाथों में झाडू थामना, सफाई पर ध्यान केंद्रित करना और स्वच्छ माहौल बनाने की कोशिश लोगों की आदत बन गई। लोग इस अभियान में शामिल हो रहे हैं और इस संदेश को फैलाने में मदद कर रहे हैं कि ‘ईश्वर की भक्ति के बाद स्वच्छता सबसे बड़ी भक्ति है’।

शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण, सामुदायिक शौचालय और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत स्तर पर पारस्परिक संवाद, कार्यान्वयन और वितरण तंत्र को मज़बूती के साथ-साथ लोगों में व्यावहारिक बदलाव पर जोर दिया गया है और राज्यों को यह छूट दी गई है कि वे वितरण तंत्र को इस तरह से डिजाईन करें कि उसमें स्थानीय संस्कृतियों, प्रथाओं, उनके भावों एवं मांगों का ध्यान रखा गया हो। शौचालय निर्माण के लिए प्रोत्साहन राशि में 2,000 की वृद्धि करते हुए इसे 10,000 से 12,000 कर दिया गया है। ग्राम पंचायतों में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए भी राशि आवंटित की गई है।

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जल जीवन मिशन के 6 साल: हर नल से बदलती ज़िंदगी
August 14, 2025
"हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन, एक प्रमुख डेवलपमेंट पैरामीटर बन गया है।" - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

पीढ़ियों तक, ग्रामीण भारत में सिर पर पानी के मटके ढोती महिलाओं का दृश्य रोज़मर्रा की बात थी। यह सिर्फ़ एक काम नहीं था, बल्कि एक ज़रूरत थी, जो उनके दैनिक जीवन का अहम हिस्सा थी। पानी अक्सर एक या दो मटकों में लाया जाता, जिसे पीने, खाना बनाने, सफ़ाई और कपड़े धोने इत्यादि के लिए बचा-बचाकर इस्तेमाल करना पड़ता था। यह दिनचर्या आराम, पढ़ाई या कमाई के काम के लिए बहुत कम समय छोड़ती थी, और इसका बोझ सबसे ज़्यादा महिलाओं पर पड़ता था।

2014 से पहले, पानी की कमी, जो भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक थी; को न तो गंभीरता से लिया गया और न ही दूरदृष्टि के साथ हल किया गया। सुरक्षित पीने के पानी तक पहुँच बिखरी हुई थी, गाँव दूर-दराज़ के स्रोतों पर निर्भर थे, और पूरे देश में हर घर तक नल का पानी पहुँचाना असंभव-सा माना जाता था।

यह स्थिति 2019 में बदलनी शुरू हुई, जब भारत सरकार ने जल जीवन मिशन (JJM) शुरू किया। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक सक्रिय घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) पहुँचाना है। उस समय केवल 3.2 करोड़ ग्रामीण घरों में, जो कुल संख्या का महज़ 16.7% था, नल का पानी उपलब्ध था। बाकी लोग अब भी सामुदायिक स्रोतों पर निर्भर थे, जो अक्सर घर से काफी दूर होते थे।

जुलाई 2025 तक, हर घर जल कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगति असाधारण रही है, 12.5 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को जोड़ा गया है, जिससे कुल संख्या 15.7 करोड़ से अधिक हो गई है। इस कार्यक्रम ने 200 जिलों और 2.6 लाख से अधिक गांवों में 100% नल जल कवरेज हासिल किया है, जिसमें 8 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश अब पूरी तरह से कवर किए गए हैं। लाखों लोगों के लिए, इसका मतलब न केवल घर पर पानी की पहुंच है, बल्कि समय की बचत, स्वास्थ्य में सुधार और सम्मान की बहाली है। 112 आकांक्षी जिलों में लगभग 80% नल जल कवरेज हासिल किया गया है, जो 8% से कम से उल्लेखनीय वृद्धि है। इसके अतिरिक्त, वामपंथी उग्रवाद जिलों के 59 लाख घरों में नल के कनेक्शन किए गए, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विकास हर कोने तक पहुंचे। महत्वपूर्ण प्रगति और आगे की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय बजट 2025–26 में इस कार्यक्रम को 2028 तक बढ़ाने और बजट में वृद्धि की घोषणा की गई है।

2019 में राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए जल जीवन मिशन की शुरुआत गुजरात से हुई है, जहाँ श्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में सुजलाम सुफलाम पहल के माध्यम से इस शुष्क राज्य में पानी की कमी से निपटने के लिए काम किया था। इस प्रयास ने एक ऐसे मिशन की रूपरेखा तैयार की जिसका लक्ष्य भारत के हर ग्रामीण घर में नल का पानी पहुँचाना था।

हालाँकि पेयजल राज्य का विषय है, फिर भी भारत सरकार ने एक प्रतिबद्ध भागीदार की भूमिका निभाई है, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए राज्यों को स्थानीय समाधानों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार दिया है। मिशन को पटरी पर बनाए रखने के लिए, एक मज़बूत निगरानी प्रणाली लक्ष्यीकरण के लिए आधार को जोड़ती है, परिसंपत्तियों को जियो-टैग करती है, तृतीय-पक्ष निरीक्षण करती है, और गाँव के जल प्रवाह पर नज़र रखने के लिए IoT उपकरणों का उपयोग करती है।

जल जीवन मिशन के उद्देश्य जितने पाइपों से संबंधित हैं, उतने ही लोगों से भी संबंधित हैं। वंचित और जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को प्राथमिकता देकर, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करके, और स्थानीय समुदायों को योगदान या श्रमदान के माध्यम से स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित करके, इस मिशन का उद्देश्य सुरक्षित जल को सभी की ज़िम्मेदारी बनाना है।

इसका प्रभाव सुविधा से कहीं आगे तक जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि JJM के लक्ष्यों को प्राप्त करने से प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक की बचत हो सकती है, यह समय अब शिक्षा, काम या परिवार पर खर्च किया जा सकता है। 9 करोड़ महिलाओं को अब बाहर से पानी लाने की ज़रूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी अनुमान है कि सभी के लिए सुरक्षित जल, दस्त से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोक सकता है और स्वास्थ्य लागत में 8.2 लाख करोड़ रुपये की बचत कर सकता है। इसके अतिरिक्त, आईआईएम बैंगलोर और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, JJM ने अपने निर्माण के दौरान लगभग 3 करोड़ व्यक्ति-वर्ष का रोजगार सृजित किया है, और लगभग 25 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया है।

रसोई में एक माँ का साफ़ पानी से गिलास भरते समय मिलने वाला सुकून हो, या उस स्कूल का भरोसा जहाँ बच्चे बेफ़िक्र होकर पानी पी सकते हैं; जल जीवन मिशन, ग्रामीण भारत में जीवन जीने के मायने बदल रहा है।