प्रधानमंत्री सुशील कोइराला जी, दक्षिण एशिया के मेरे सहयोगियों।

मैं काठमांडू लौटकर प्रसन्न हूं।

कोइराला जी, एक शानदार सम्मेलन के आयोजन पर बधाईयां।

एक बार फिर से आपकी गर्मजोशी से भरी मेहमाननवाजी के लिए नेपाल आपको धन्यवाद।

यहां उपस्थित पर्यवेक्षक देशों को बधाईयां।

यह मेरा पहला सार्क सम्मेलन है। लेकिन, आप में से ज्यादातर से मैं दूसरी बार मिल रहा हूं। मैंने पूरी दुनिया की बधाईयों के साथ पदभार ग्रहण किया। लेकिन प्यारे सहयोगियों, जिसने मेरा दिल छू लिया, वह दुनिया की एक चौथाई आबादी की शुभकामनाओं के साथ आपकी व्यक्तिगत उपस्थिति थी। क्योंकि मैं भारत के लिए जिस भविष्य का स्वप्न देखता हूं, मेरी इच्छा हमारे पूरे क्षेत्र के लिए वैसे ही भविष्य की है।

पिछला सम्मेलन तीन वर्ष पहले हुआ था। यहां उपस्थित हम में से केवल दो ही अड्डु में मौजूद थे। यहां तक कि प्रधानमंत्री शेख हसीना भी उनके फिर से चुने जाने के बाद यहां आई है। राष्ट्रपति राजपक्षे भी जल्द ही चुनाव का सामना करेंगे और मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। मैं विशेष रूप से हमारे सबसे नये सहयोगी, राष्ट्रपति गनी का स्वागत करता हूं।

हमारा क्षेत्र एक जीवंत लोकतंत्र का, समृद्ध विरासत का, युवाओं की अतुलनीय ताकत का और बदलाव तथा प्रगति के लिए मजबूत चाहत का क्षेत्र है।

पिछले कुछ महीनों में, मैंने पूरी दुनिया की यात्रा की है। प्रशांत के मध्य से लेकर अटलांटिक महासागर के दक्षिणी तट तक मैं एकीकरण का एक बढ़ता हुआ ज्वार देख रहा हूं। और, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी, अंत: प्रशांत साझेदारी और अंत: अटलांटिक व्यापार एवं निवेश साझेदारी जैसे बड़े व्यापार समझौतों पर बातचीत बढ़ रही है।

क्योंकि सीमाओं के अवरोध प्रगति को अवरूद्ध करते हैं; अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियां इसमें गति प्रदान करती हैं। क्योंकि, किसी भी व्यक्ति विशेष या राष्ट्र के जीवन में एक अच्छा पड़ोस एक सार्वभौमिक अभिलाषा होती है।

दक्षिण एशिया इस विश्व में कहां खड़ा होना चाहता है?

दुनिया में कहीं भी सामूहिक प्रयासों की उतनी जरूरत नहीं है, जितनी दक्षिण एशिया में; और कहीं भी यह उतनी विनम्र भी नहीं है। छोटी हो या बड़ी, हम एक ही चुनौती का सामना करते हैं – विकास के शिखर पर एक लंबी चढ़ाई की। लेकिन मुझे हमारी असीमित क्षमताओं में पूरा भरोसा है और आत्म विश्वास, जो हमारे देशों में से प्रत्येक से जुड़े नवाचारों और नवीन पहलों की कई प्रेरणादायी कहानियों से हमें मिलता है। हमें एक-दूसरे से काफी कुछ सीखना है और इससे भी ज्यादा – एक साथ मिलकर काम करना है।

यही वो उम्मीद और आकांक्षा थी, जिसने 30 वर्ष पहले सार्क के रूप में हमें एकजुट किया। तबसे हम एक साथ लंबी दूरी तय कर चुके हैं। हमारा प्रत्येक क्षेत्र में एक समझौता, एक संस्थान या सहयोग का एक ढांचा है। हमें कई सफलताएं भी मिली हैं।

फिर भी जब हम सार्क की बात करते हैं, तो आमतौर पर हमें दो प्रतिक्रियाएं सुनने को मिलती हैं – निराशावाद और संशयवाद की। दुख की बात है कि यह ऐसे क्षेत्र में है, जो हमारे युवाओं की आशावादिता से स्पंदित है।

आज, क्षेत्र के वैश्विक व्यापार का 5 प्रतिशत से भी कम हमारे बीच होता है। इस सीमित स्तर पर भी क्षेत्र के आंतरिक व्यापार का 10 प्रतिशत से भी कम सार्क मुक्त व्यापार क्षेत्र के तहत होता है। भारतीय कंपनियां विदेशों में अरबों का निवेश कर रही है। लेकिन हमारे अपने क्षेत्र में एक प्रतिशत से भी कम का प्रवाह होता है। अभी भी, बैंकाक या सिंगापुर की यात्रा करना हमारे अपने क्षेत्र के भीतर यात्रा करने से भी ज्यादा कठिन है; और एक दूसरे से बातचीत करनी ज्यादा महंगी है।

हमने अपनी प्राकृतिक संपदा को साझेदारी वाली समृद्धि में बदलने में या अपनी सीमाओं को एक साझेदारी वाले भविष्य के लिए एक मोर्चे के रूप में बदलने में सार्क में कितना कुछ किया है?

फिर भी, दक्षिण एशिया धीरे-धीरे एकजुट हो रहा है। भारत और बांग्लादेश ने रेल, सड़क, बिजली और पारगमन के जरिये अपने सम्पर्कों को मजबूत किया है। भारत और नेपाल ने ऊर्जा में सहयोग के एक नये युग की शुरूआत की है; और, भारत और भूटान उन रिश्तों को लगातार मजबूत बना रहे है। श्रीलंका के साथ, हमने एक मुक्त व्यापार समझौते के जरिये व्यापार को रूपांतरित कर दिया है। हम मालदीव की तेल की जरूरत की पूर्ति करने के लिए जल्दी ही एक नये समझौते की शुरूआत करेंगे। दूरियां और कठिनाईयां भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों के बीच आड़े नही आई है। भारत और पाकिस्तान के लोगों के बीच बस और रेलगाड़ी का सम्पर्क बना हुआ है। हमने दक्षिण एशिया के पांच साझेदारों को उनकी वस्तुओं पर 99.7 प्रतिशत की निशुल्क पहुंच उपलब्ध कराई है और दूसरों के साथ भी ऐसा करने को तैयार है।

भारत को पिछले एक दशक के दौरान दक्षिण एशिया में लगभग 8 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता मुहैया कराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

आज के समय में यह एक बड़ी रकम प्रतीत नहीं होती हो, लेकिन हम कृतज्ञ हैं कि हमें हमारे क्षेत्र में कुछ भाईयों और बहनों के जीवन में एक बदलाव लाने का अवसर प्राप्त हुआ। हम में से प्रत्येक ने अपनी खुद की पहल की है। बहरहाल, सार्क के रूप में हम उस गति के साथ बढ़ने में विफल रहे है, जितनी हमारे लोगों ने उम्मीद की थी। कुछ लोगों का तर्क है कि ऐसा इस क्षेत्र के विकास की कमी की वजह से हुआ। लेकिन, उसे वास्तव में हमें ज्यादा कुछ करने के लिए प्रेरित करना चाहिए था। या, ऐसा इसलिये है कि हम अपने मतभेदों की दीवारों के पीछे ठिठक गये हैं और अतीत के साये से बाहर निकलने में हिचकिचा रहे है।

इससे हमारे मतभेदों का समाधान नहीं होगा, लेकिन यह निश्चित रूप से हमें अवसरों से वंचित कर देगा। आज एक पंजाब से दूसरे पंजाब तक वस्तुओं का आवागमन दिल्ली, मुम्बई, दुबई और कराची के जरिये होता है, जिससे यात्रा 11 गुनी लंबी और लागत 4 गुनी महंगी हो जाती है।

अपने आकार और स्थान के कारण भारत की भी अपनी जिम्मेदारियां है। मैं जानता हूं कि आपकी भी बहुत सारी वस्तुओं को उनके गंतव्यों तक पहुंचने के लिए भारत की परिक्रमा करनी पड़ती है।

जरा सोचिये हम अपने उपभोक्ताओं के साथ – और अपने वातावरण के साथ क्या कर रहे हैं! हमें निश्चित रूप से हमारे उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच दूरी को कम करना चाहिए और व्यापार के ज्यादा प्रत्यक्ष रास्तों का उपयोग करना चाहिए। मैं जानता हूं कि भारत को अग्रणी भूमिका का निर्वाह करना है और हम अपने हिस्से का काम करेंगे। मैं उम्मीद करता हूं, कि आप में से प्रत्येक भी ऐसा ही करेंगे।

बुनियादी ढांचा हमारे क्षेत्र की सबसे बड़ी कमजोरी है और सबसे महती आवश्यकता भी। जब मैंने सड़क मार्ग द्वारा काठमांडू आने का विचार किया, तो इससे भारत में कई अधिकारी परेशान हो गये। वह सीमा पर सड़कों की स्थिति देखकर चिंतित थे। भारत में बुनियादी ढांचे का विकास मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता है और मैं हमारे क्षेत्र में ढांचागत परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए भारत में एक विशिष्ट उद्देश्य सुविधा का भी गठन करना चाहता हूं, जो हमारे सम्पर्क और व्यापार को बढ़ाये।

हम भारत में व्यवसाय करने को सरल बनाने की बात करते है। इसे हम अपने क्षेत्र तक विस्तारित करे। मैं यह सुनिश्चित करने का वायदा करता हूं कि सीमा पर हमारी सुविधाएं व्यापार में तेजी लाएंगी, मंदी नही। आईऐ हम सभी अपनी प्रक्रियाओं को सरल बनाये, सुविधाओं को बेहतर करे, अपने मानदंडों को समान बनाये और अपने कागज़ी कार्यों को कम बोझिल बनाये। भारत सार्क के लिए 3-5 वर्षों के लिए व्यापार वीजा देगा। हम अपने व्यवसाय को एक सार्क बिजनेस ट्रेवलर कार्ड के जरिये और अधिक आसान बना सकते हैं। महानुभावों, भारत का सार्क देशों के साथ एक विशाल व्यापार अधिशेष है। मेरा विश्वास है कि यह न तो सही है और न ही निर्वहनीय। हम आपकी चिंताओं को दूर करेंगे और भारत में एक समान अवसर प्रदान करेंगे। लेकिन, मैं आपको भारतीय बाजार के लिए उत्पादन करने के लिए भारतीय निवेश आकर्षित करने और आपके युवाओं के लिए रोजगारों का सृजन करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं। मैं भविष्य की ओर भी देखता हूं जब आपकी कंपनियां अपने देशों में निवेश के लिए भारत में आसानी से फंड जुटा सकती हैं; और जब हमारे पास सीमा पार औद्योगिक गलियारे होंगे, जिससे हम अपने सीमावर्ती राज्यों में प्राकृतिक समन्वयों और संबंधित जीवनों का लाभ उठा सकते है।

मेरा यह भी विश्वास है कि अगर हम एक दूसरे के शहरों और गांवों को प्रकाशित कर सकते है, तो हम अपने क्षेत्र के लिए एक सुनहरे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। या, एक ऐसे भविष्य का सामना कर सकते है, जब कोई अंतरिक्ष से हमारी ओर नीचे देखे और कहे कि यह दुनिया का सबसे अंधकारपूर्ण कोना है। आईये, हम बिजली को किसी भी अन्य वस्तु की तरह देखें, जिसमें हम निवेश और व्यापार कर सकते है। भारत इस क्षेत्र में इन नवीन पहलों का पूरा समर्थन करेगा। हमें महत्वाकांक्षापूर्वक सौर ऊर्जा और सूक्ष्म ग्रिडों का उपयोग करने पर भी विचार करना चाहिए, जिससे हम शीघ्रता से पूरे क्षेत्र में गांवों को स्वच्छ बिजली मुहैया करा सकें।

जब हम अपने देशों के सामान्य नागरिकों के जीवनों को जोड़ते है, तो हमारे संबंध और मजबूत हो जाते हैं। यहीं वजह है कि रेल और सड़क के जरिये सम्पर्क और सेवायें इतनी महत्वपूर्ण हैं। हमें अपने को वायु मार्ग से भी ज्यादा से ज्यादा जोड़ना चाहिए। हम न केवल अपने लोगों के जीवन में अंतर ला पायेगे, बल्कि क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा देंगे। हमें अपनी साझी विरासत और विविधता की ताकत का अपने क्षेत्र के भीतर उपयोग करना चाहिए और विश्व के सामने दक्षिण एशिया को पेश करना चाहिए। हम बौद्ध सर्किट के साथ शुरूआत कर सकते हैं लेकिन हमें वहां रूकना नहीं है।

जैसा कि हम समृद्धि के लिए पुल बनाने की कोशिश करते है, हमें बिना किसी उम्मीद के साथ जी रहे लाखों लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से आंखें नहीं मूंदनी चाहिए। हमें अपने हृदय के आवेग के साथ तो काम करना ही चाहिए, विज्ञान की ताकत का भी उपयोग करना चाहिए।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में, भारत तपेदिक और एचआईवी के लिए सार्क क्षेत्रीय सुप्रा रेफरेंस लैबोरेट्री की स्थापना में फंड की कमी की पूर्ति करेगा। हम दक्षिण एशिया के बच्चों के लिए एक-में-पांच टीकों की पेशकश करते हैं। हम पोलियो मुक्त देशों की निगरानी और चौकसी का समर्थन करेंगे और जहां भी यह फिर से दिखाई देगा टीके मुहैया करायेंगे और ऐसे लोगों के लिए जो ईलाज के लिए भारत आ रहे हैं, भारत रोगी और एक परिचारक के लिए तत्काल मेडिकल वीजा मुहैया करायेगा।

सूचना प्रौद्योगिकी ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मार्ग की सभी बाधाओं को दूर कर दिया है। भारत ऑन लाइन कोर्स और ई-लाईब्रेरी के जरिये हमारे दक्षिण एशियाई छात्रों के साथ जुड़ने को तैयार है। जब हम भारत के नेशनल नॉलेज नेटवर्क की स्थापना करेंगे तो इसे सार्क क्षेत्र तक विस्तारित करके प्रसन्न होंगे। एक दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय का स्वप्न नई दिल्ली में एक वास्तविकता बन चुका है, लेकिन वास्तव में दक्षिण एशियाई बनने के लिए प्रत्येक सार्क देश में कम से कम एक विश्वविद्यालय के साथ इसकी साझेदारी भी होनी चाहिए। सार्क क्षेत्र के लिए भारत का नया तोहफा एक उपग्रह के रूप में है जो शिक्षा, टेलीमेडिसिन, आपदा प्रबंधन, संसाधन प्रबंधन, मौसम और संचार के क्षेत्र में हमें बेहद लाभ पहुंचाएगा। हम अगले साल अपने दक्षिण एशियाई सहयोगियों के लिए भारत में एक सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं जो आर्थिक विकास और सुशासन में स्पेस टेक्नोलॉजी की हमारी सामूहिक क्षमता को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। साथ ही, हमारी योजना इस उपग्रह को 2016 में सार्क दिवस पर शुभारंभ करने की है।

पड़ोसी के रूप में हमें अच्छे और बुरे समय में साथ रहना है। आपदा प्रबंधन में भारत की क्षमता और अनुभव दक्षिण एशिया के लिए सदा उपलब्ध रहेगा। साथ ही, पूरे विश्व में जहां भी हम युद्ध और आपदा जैसी परिस्थितियों में फंसे भारतीयों की मदद के लिए जाएंगे, वहां हमारा लक्ष्य सभी दक्षिण एशियाई नागरिकों की मदद करना भी होगा।

संपन्न सार्क के लिए सुरक्षित दक्षिण एशिया की मजबूत नींव डालनी होगी। यदि हम एक-दूसरे और अपने लोगों की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील है तो हमारी दोस्ती गहरी होगी, आपसी सहयोग बढ़ेगा और पूरे क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।

आज जब हम 2008 में मुंबई में उस खौफनाक आतंकी घटना को याद करते हैं तो हमें अपने लोगों को खोने का कभी न खत्म होने वाला दर्द महसूस होता है। आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से लड़ने के लिए हमने जो प्रतिज्ञा की है उसे पूरा करने के लिए हमें साथ मिलकर काम करना होगा।

भारत के लिए सार्क क्षेत्र पर हमारा दृष्टिकोण पांच स्तंभों पर निर्भर है। वे हैं – व्यापार, निवेश, सहायता, सभी क्षेत्रों में सहयोग, हमारे लोगों के बीच आपसी संवाद और इन सभी के लिए मजबूत सूचना तंत्र (कनेक्टिविटी), यहीं आज के समय की मांग है। यह सोशल मीडिया का युग है जहां सीमाएं मायने नहीं रखती। दक्षिण एशिया में एक नए जागरण की शुरुआत हुई है। एक-दूसरे से जुड़े भाग्य व मंजिलों को नई पहचान और अवसरों को साझा करने की नई उम्मीद इस जागरण की विशेषता है।

हमारे संबंध और प्रगाढ़ होंगे।

सार्क के जरिए और इससे बाहर भी।

हम सभी में और कुछेक आपस में।

हम सभी अपनी मंजिलों के लिए अपने पथ का चुनाव कर सकते हैं। लेकिन जब हम एक-दूसरे का हाथ पकड़कर कदम आगे बढ़ाते हैं तो मार्ग सुगम हो जाता है यात्रा तेज होती है और मंजिल भी बिलकुल पास दिखती है।

ये सारी बातें, जितनी मैं आपको कह रहा हूं उतनी ही बातें मैं अपने देशवासियों और अपनी सरकार को भी कहता हूं।

हम हिमालय की गोद में मिल रहे हैं। वही हिमालय जिसने हमें सदियों से पोसा है। आज वह हमें एकजुट कार्य करने को कह रहा है।

हमें संकीर्णता को आशावाद में बदलने के लिए साथ काम करना होगा।

दक्षिण एशिया की बढ़ती हुई उम्मीदों को हमें शांति और संपन्नता के एक विस्तृत क्षेत्र में परिवर्तित करना है।

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आज जॉर्डन के हर बिजनेस, हर इन्वेस्टर के लिए भी भारत में अवसरों के नए द्वार खुल रहे हैं: भारत-जॉर्डन बिजनेस फोरम में पीएम मोदी
December 16, 2025

His Majesty किंग Abdulla,
The Crown Prince,
दोनों देशों के delegates,
बिजनेस जगत के लीडर्स,

नमस्कार।

Friends,

दुनिया में कई देशों के borders मिलते ही हैं, कई देशों के मार्केट्स भी मिलते हैं। लेकिन भारत और जॉर्डन के संबंध ऐसे है, जहाँ ऐतिहासिक विश्वास और भविष्य के आर्थिक अवसर एक साथ मिलते हैं।

कल His Majesty के साथ मेरी बातचीत का सार भी यही था। geography को opportunity में और opportunity को growth में कैसे बदला जाए, इस पर हमने विस्तार से चर्चा की।

Your Majesty,

आपकी लीडरशिप में, जॉर्डन एक ऐसा Bridge बना है जो अलग-अलग रीजन्स के बीच सहयोग और तालमेल बढ़ाने में बहुत मदद कर रहा है। कल हमारी मुलाकात में आपने बताया कैसे भारतीय companies जॉर्डन के मार्ग से USA, कनाडा, और अन्य देशों की मार्केटस तक पहुँच सकती हैं। मैं यहाँ आई भारतीय कॉम्पनियों से इन अवसरों का पूरा लाभ उठाने का अनुरोध करूँगा।

Friends,

भारत आज जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा Trading partner है। मैं जानता हूं कि बिजनेस की दुनिया में नंबर्स का महत्व होता है। लेकिन यहां हम सिर्फ numbers गिनने नहीं आए हैं, बल्कि हम long term relationship बनाने आए हैं।

एक ज़माना था, जब गुजरात से Petra के रास्ते यूरोप तक का व्यापार होता था। हमारी फ्यूचर prosperity के लिए हमें वो links फिर से revive करने होंगे। और इसको साकार करने मे आप सभी का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।

Friends,

आप सभी जानते हैं कि भारत, Third Largest Economy की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। भारत की ग्रोथ रेट Eight percent से ऊपर है। ये ग्रोथ नंबर, productivity-driven governance और Innovation driven policies का नतीजा है।

आज जॉर्डन के हर बिजनेस, हर इन्वेस्टर के लिए भी भारत में अवसरों के नए द्वार खुल रहे हैं। भारत की तेज़ ग्रोथ में आप सहयोगी बन सकते हैं, और अपने निवेश पर शानदार रिटर्न भी पा सकते हैं।

Friends,

आज दुनिया को नए growth engines चाहिए। दुनिया को एक trusted supply chain की ज़रूरत है। भारत और Jordan मिलकर, दुनिया की ज़रूरतों को पूरा करने में बड़ा रोल निभा सकते हैं।

मैं आपसी सहयोग के कुछ key sectors की चर्चा आपके साथ ज़रूर करना चाहूंगा। ऐसे सेक्टर, जहाँ vision, viability और velocity, ये तीनों मौजूद हैं।

पहला, Digital Public Infrastructure और IT. इसमें भारत का अनुभव जॉर्डन के भी बहुत काम आ सकता है। भारत ने डिजिटल टेक्नॉलॉजी को inclusion और efficiency का model बनाया है। हमारे UPI, Aadhaar, डिजिलॉकर जैसे frameworks आज global benchmarks बन रहे हैं। His Majesty और मैंने इन frameworks को Jordan के सिस्टम्स से जोड़ने पर चर्चा की है। हम दोनों देश, Fintech, Health-tech, Agri-tech ऐसे अनेक सेक्टर्स में अपने startups को directly connect कर सकते हैं। एक shared ecosystem बना सकते हैं, जहाँ हम ideas को capital से, और innovation को scale से कनेक्ट कर सकते हैं।

Friends,

Pharma और Medical Devices के क्षेत्र में भी अनेक संभावनाएं हैं। आज healthcare सिर्फ एक sector नहीं है, बल्कि एक strategic priority है।

जॉर्डन में भारतीय कंपनियां मेडिसन बनाएं, मेडिकल डिवाइस बनाएं, इससे जॉर्डन के लोगों को तो फायदा होगा ही. West Asia और Africa के लिए भी जॉर्डन एक reliable hub बन सकता है। Generics हों, vaccines हों, आयुर्वेद हो या wellness, India brings trust and Jordan brings reach.

Friends,

अब अगला सेक्टर Agriculture का है। भारत को dry climate में खेती का बहुत अनुभव है। हमारा ये experience, जॉर्डन में real difference ला सकता है। हम Precision farming और micro-irrigation जैसे solutions पर काम कर सकते हैं। Cold chains, food parks और storage facilities बनाने में भी हम मिलकर काम कर सकते हैं। जैसे Fertilisers में हम Joint Venture कर रहे हैं, वैसे ही अन्य क्षेत्रों में भी हम आगे बढ़ सकते हैं।

Friends,

Infrastructure और Construction तेज ग्रोथ के लिए बहुत ज़रूरी हैं। इन क्षेत्रों में हमारा collaboration हमें Speed और Scale, दोनों देगा।

His Majesty ने जॉर्डन में रेलवे और नेक्स्ट-gen इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने का विज़न साझा किया है। मैं उनको विश्वास दिलाना चाहता हूँ, कि हमारी कॉम्पनियाँ उनके विज़न को साकार करने के लिए सक्षम भी है, और उत्सुक भी।

कल हमारी मुलाकात में His Majesty ने सिरिया में इंफ्रास्ट्रक्चर reconstruction की जरूरतों के बारे में भी बताया। भारत और जॉर्डन की कॉम्पनीस इन जरूरतों को पूरा करने पर मिलकर काम कर सकती हैं।

Friends,

आज की दुनिया Green Growth के बिना आगे नहीं बढ़ सकती। Clean Energy अब केवल विकल्प नहीं है, बल्कि एक need बन चुकी है। Solar, wind, green hydrogen, energy storage इसमें भारत बहुत बड़ी इन्वेस्टर के रूप में काम कर रहा है। जॉर्डन के पास भी बहुत बड़ा potential है, जिसे हम Unlock कर सकते हैं।

ऐसे ही Automobile और Mobility का सेक्टर है। भारत आज Affordable EVs, two-wheelers और CNG mobility solutions में दुनिया के टॉप देशों में से एक है। इस क्षेत्र में भी हमें ज्यादा से ज्यादा काम मिलकर करना चाहिए।

Friends,

भारत और जॉर्डन, दोनों देश अपने कल्चर, अपनी हैरिटेज पर बहुत गर्व करते हैं। हैरिटेज और कल्चरल टूरिज्म के लिए भी दोनों देशों में बहुत अधिक स्कोप है। मैं समझता हूं कि दोनों देशों के इन्वेस्टर्स को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

भारत में, इतनी सारी फिल्म्स बनती हैं। इन फिल्मों की शूटिंग जॉर्डन में हो, यहां joint film festivals हों, इसके लिए भी ज़रूरी प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं। भारत में होने वाली अगले WAVES समिट में हम जोर्डन से एक बड़े delegation की अपेक्षा करते हैं।

Friends,

geography, जॉर्डन की strength है, और भारत के पास, स्किल भी है और स्केल भी। दोनों की strength जब एक साथ आएंगी, तो इससे दोनों देशों के नौजवानों को नए अवसर मिलेंगे।

दोनों देशों की सरकारों का विजन बिल्कुल स्पष्ट है। अब बिजनेस वर्ल्ड के आप सभी साथियों को अपनी imagination, innovation और entrepreneurship से इसको ज़मीन पर उतारना है।

अंत में मैं आपसे फिर कहूंगा।

Come…
Let us invest together
Innovate Together
And Grow Together

Your Majesty,

मैं एक बार फिर आपका, जॉर्डन सरकार का और इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी महानुभावों का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।

'शुक्रान'।
बहुत-बहुत धन्यवाद।