Quote“भारत के लोगों ने पिछले 10 वर्षों में देश की सेवा करने के लिए हमारी सरकार के प्रयासों का दिल से समर्थन और आशीर्वाद दिया है”
Quote“यह बाबा साहेब अंबेडकर का दिया गया संविधान ही है जिसने मेरे जैसे लोगों को, जिनका कोई राजनीतिक वंश नहीं है, राजनीति में प्रवेश करने और इस मुकाम तक पहुंचने का मौका दिया है”
Quote“हमारा संविधान हमें प्रकाश स्तंभ की तरह मार्गदर्शन करता है”
Quote“लोगों ने हमें पूरे भरोसे और दृढ़ विश्वास के साथ तीसरा जनादेश दिया है कि हम भारत की अर्थव्यवस्था को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाएंगे”
Quote“अगले 5 साल देश के लिए महत्वपूर्ण हैं”
Quote“सुशासन की मदद से हम इस युग को ऐसे युग में बदलना चाहते हैं जहां बुनियादी जरूरतों की कहीं कोई कमी न रह पाए”
Quote“हम यहीं नहीं रुकना चाहते। अगले पांच वर्षों में हम नए क्षेत्रों में आने वाली समस्याओं का अध्ययन कर उनका समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं”
Quote“हमने हर स्तर पर सूक्ष्म नियोजन के माध्यम से किसानों को बीज से लेकर बाजार तक एक मजबूत व्यवस्था प्रदान करने का भरसक प्रयास किया है”
Quote“भारत महिलाओं के नेतृत्व में विकास के लिए सिर्फ नारे के तौर पर नहीं बल्कि अटूट प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहा है”
Quote“आपातकाल का दौर सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं था बल्कि यह भारत के लोकतंत्र, संविधान और मानवता से जुड़ा था”
Quote“जम्मू-कश्मीर के लोगों ने भारत के संविधान, लोकतंत्र और चुनाव आयोग को मंजूरी दी है”

आदरणीय सभापति जी,

राष्ट्रपति जी के अभिभाषण पर धन्यवाद देने के लिए मैं भी इस चर्चा में शामिल हुआ हूं। राष्ट्रपति महोदया के भाषण में देशवासियों के लिए प्रेरणा भी थी, प्रोत्साहन भी था और एक प्रकार से सत्य मार्ग को पुरस्कृत भी किया गया था।

आदरणीय सभापति जी,

पिछले दो ढाई दिन में इस चर्चा में करीब 70 माननीय सांसदों ने अपने विचार रखे हैं। इस चर्चा को समृद्ध बनाने के लिए राष्ट्रपति महोदया के अभिभाषण को व्याख्याहित करने में आप सभी माननीय सांसदों ने जो योगदान दिया है, इसके लिए मैं आप सबका भी आभार व्यक्त करता हूं।

आदरणीय सभापति जी,

भारत की आजादी के इतिहास में हमारी संसदीय लोकतांत्रिक यात्रा में बहुत दशकों बाद देश की जनता ने एक सरकार को तीसरी बार देश की सेवा करने का मौका दिया है। 60 साल के बाद ये हुआ है कि दस साल के बाद कोई एक सरकार फिर से उसकी वापसी हुई है। और मैं जानता हूं कि भारत के लोकतंत्र की छह दशक के बाद आई हुई ये घटना असामान्य घटना है। और कुछ लोग जानबूझकर के उससे अपना मुंह फेरकर के बैठे रहे, कुछ लोगों को समझ नहीं आया और जिनको समझ आया, उन्होंने हो-हल्ला उस दिशा में किया कि ताकि देश की जनता की इस विवेक बुद्धि पर, देश की जनता के इस महत्वपूर्ण निर्णय पर कैसे छाया कर दी जाए, कैसे उसको blackout कर दिया जाए इसकी कोशिश हुई। लेकिन मैं पिछले दो दिन से देख रहा हूं कि आखिर तक पराजय भी स्वीकार हो रहा है और दबे मन से, कम मन से विजय भी स्वीकार हो रहा है।

आदरणीय सभापति जी,

कांग्रेस के हमारे कुछ साथियों को मैं हृदय से धन्यवाद करना चाहता हूं क्योंकि ये नतीजे आए तब से हमारे एक साथी की तरफ से मैं देख रहा था उनकी पार्टी उनको समर्थन तो नहीं कर रही थी लेकिन अकेले झंडा लेकर दौड़ रहे थे। और मैं कहता हूं वो जो कहते थे उनके मुंह में घी शक्कर। और ये मैं क्यों कह रहा हूं? क्योंकि उन्होंने बार-बार ढोल पीटा था एक तिहाई सरकार। इससे बड़ा सत्य क्या हो सकता है? कि हमारे दस साल हुए हैं बीस और बाकी हैं। एक तिहाई हुआ है, एक तिहाई हुआ है दो तिहाई बाकी है। और इसलिए उनकी इस भविष्यवाणी के लिए मैं उनके मुंह में घी शक्कर।

आदरणीय सभापति जी,

दस वर्षों के लिए अखंड एकनिष्ठ अविरत सेवा भाव से किए हुए कार्य को देश की जनता ने जी भरकर के समर्थन दिया है। देश की जनता ने आशीर्वाद दिए हैं। आदरणीय सभापति जी, इस चुनाव में देशवासियों की विवेक बुद्धि पर गर्व होता है, क्योंकि उन्होंने propaganda को परास्त कर दिया है। देश की जनता ने performance को प्राथमिकता दी है। भ्रम की राजनीति को देशवासियों ने ठुकराया है और भरोसे की राजनीति पर विजय की मुहर लगा दी है।

आदरणीय सभापति जी,

संविधान के 75वें वर्ष में हम प्रवेश कर रहे हैं। इस सदन के लिए भी ये पड़ाव विशेष है। क्योंकि इसे भी 75 साल हुए हैं और इसलिए एक सुखद संयोग है।

आदरणीय सभापति जी,

मेरे जैसे बहुत लोग हैं, इस देश के सार्वजनिक जीवन में जिनके परिवार में कोई गांव का सरपंच भी नहीं रहा है, गांव का प्रधान भी नहीं रहा है। राजनीति से कोई सरोकार नहीं रहा है। लेकिन आज अनेक महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचकर के देश की सेवा कर रहे हैं। और उसका कारण बाबा साहब अंबेडकर ने जो संविधान दिया है उससे हम जैसे लोगों को अवसर मिले हैं। और मेरे जैसे अनेक लोग हैं, जिनको बाबा साहब अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान के कारण यहां तक आने का अवसर मिला है। और जनता जनार्दन ने उस पर मुहर लगाई है, तीसरी बार आने का मौका मिल गया।

आदरणीय सभापति जी,

संविधान हमारे लिए ये कोई articles का compilation मात्र नहीं है। हमारे लिए उसका spirit भी और उसके शब्द भी बहुत मूल्यवान हैं। और हमारा मानना है कि किसी भी सरकार के लिए, किसी भी सरकार की नीति निर्धारण में, कार्यकलापों में हमारा संविधान लाईट हाउस का काम करता है, दिशा दर्शक का काम करता है, हमारा मार्गदर्शन करता है।

आदरणीय सभापति जी,

मुझे याद है, मैंने जब लोकसभा में हमारी सरकार की तरफ से कहा गया कि हम 29 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनायेंगे। तो मैं हैरान हूं, जो आज संविधान की प्रति लेकर के कूदते रहते हैं, दुनिया में लहराते रहते हैं, उन लोगों ने विरोध किया था 26 जनवरी तो है तो ये संविधान दिवस क्यों लाए और आज संविधान दिवस के माध्यम से, आज संविधान दिवस के माध्यम से देश के school, colleges में संविधान की भावना को, संविधान की रचना में क्या भूमिका रही है, देश के गणमान्य महापुरूषों ने संविधान के निर्माण में किन कारणों से कुछ चीजों को छोड़ने का निर्णय किया, किन कारणों से कुछ चीजों को स्वीकार करने का निर्णय किया, इसके विषय में हमारे school, colleges में विस्तार से चर्चा हो, निबंध स्पर्धाएं हों, चर्चा सभाएं हों, एक व्यापक रूप से संविधान के प्रति आस्था का भाव जगे और संविधान के प्रति समझ विकसित हो, देशवासियों के लिए आने वाला पूरा कालखंड संविधान हमारी सबसे बड़ी प्रेरणा रहे, इसके लिए हम कोशिश करते रहे हैं। और अब जब 75 वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं तो हमने इसे एक जन उत्सव के रूप में राष्ट्रव्यापी उत्सव मनाने का तय किया है। और इससे देश के कोने-कोने में संविधान की भावना को, संविधान के पीछे जो मक्सद है, उसके विषय में भी देश को अवगत कराने का प्रयास है।

आदरणीय सभापति जी,

देश की जनता ने हमें तीसरी बार जो अवसर दिया है। वो अवसर विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत इस यात्रा को मजबूती देने के लिए, इस संकल्प को सिद्धि तक ले जाने के लिए हमें देश के कोटि-कोटि जनों ने आशीर्वाद दिए हैं।

आदरणीय सभापति जी,

ये चुनाव दस वर्ष की सिद्धियों पर तो मुहर है ही, लेकिन ये चुनाव भविष्य के संकल्पों के लिए भी देश की जनता ने हमें चुना है। क्योंकि देश की जनता का एकमात्र भरोसा हम पर होने के कारण आने वाले सपनों को, संकल्पों को सिद्ध करने के लिए हमें अवसर दिया है।

आदरणीय सभापति जी,

देश भलीभाँति जानता है, देश ने पिछले दस वर्षों में हमारे देश की अर्थव्यवस्था को दस नंबर से पांच नंबर पर पहुंचाने में सफलता पाई है। और जैसे-जैसे नंबर निकटता की सिद्धि की ओर पहुंचता है, एक की तरफ पहुंचता है तो चुनौतियां भी बढ़ती हैं। और कोरोना के कठिन कालखंड के बावजूद, संघर्षों की वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद, तनाव के वातावरण के बावजूद भी हम हमारे देश की अर्थव्यवस्था को दस नंबर से आज विश्व में पांच नंबर पर पहुंचाने में सफल हुए हैं। इस बार देश की जनता ने हमें पांच नंबर से तीन नंबर की इकोनॉमी तक पहुंचाने के लिए जनादेश दिया है और मुझे पक्का विश्वास है कि देश की जनता ने हमें जो जनादेश दिया है हम भारत की अर्थव्यवस्था को विश्व के टॉप-3 में पहुंचाकर रहेंगे। मैं जानता हूं आदरणीय सभापति जी, यहां कुछ ऐसे विद्वान हैं जो ये मानते हैं कि इसमें क्या है ये तो होने ही वाला है, ये तो अपने आप तीसरे नंबर पर पहुंचने वाली है, ये तो अपने आप हो ही जाएगा, ऐसे विद्वान हैं। अब ये लोग ऐसे हैं, जिन्होंने auto-pilot mode पर सरकार चलाने का या तो remote-pilot पर सरकार चलाने का उनको आदि हैं इसलिए वो कुछ करने-धरने में विश्वास नहीं करते, वो कुछ करने-धरने में विश्वास नहीं करते हैं, वो इंतजार करना जानते हैं। लेकिन हम परिश्रम में कोई कमी नहीं रखते। आने वाले वर्षों में, पिछले 10 वर्षों में हमने जो किया है, उसकी गति भी बढ़ाएंगे, उसका विस्तार भी बढाएंगे और गहराई भी होगी, ऊंचाई भी होगी, और हम इस संकल्प को पूरा करेंगे।

आदरणीय सभापति जी,

चुनाव के दरमियान मैं देशवासियों को कहता था कि जो 10 साल हमने काम किया है, हमारे जो सपने और संकल्प हैं उसके हिसाब से तो ये appetizer है, main course तो अभी शुरू हुआ है।

आदरणीय सभापति जी,

आने वाले 5 साल मूल सुविधाओं के सैचुरेशन के हैं। और हम एक सामान्य नागरिक की जो रोजमर्रा की जिंदगी की आवश्यकताएं होती हैं, एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए जिन व्यवस्थाओं की, जिन सुविधाओं की, जिस प्रकार के गवर्नेंस की आवश्यकताएं होती हैं, हम इन मूलभूत सुविधाओं के सैचुरेशन का युग के रूप में उसको परिवर्तित करना चाहते हैं।

आदरणीय सभापति जी,

आने वाले 5 वर्ष ग़रीबी के ख़िलाफ़ निर्णायक लड़ाई के हैं, आने वाले 5 वर्ष गरीबी के खिलाफ गरीबों की लड़ाई और मैं मानता हूं गरीब जब गरीबी के खिलाफ लड़ाई के लिए एक सामर्थ्य के साथ खड़ा हो जाता है तो गरीबों की गरीबी के खिलाफ की लड़ाई सफलता को प्राप्त करती है। और इसलिए आने वाले 5 साल गरीबी के खिलाफ लड़ाई के निर्णायक वर्ष हैं और ये देश गरीबी के खिलाफ लड़ाई में विजयी होकर के रहेगा। ये पिछले 10 साल के अनुभव के आधार पर मैं बहुत विश्वास से कह सकता हूं।

आदरणीय सभापति जी,

जब देश दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनेगा तो इसका लाभ, इसका प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ने वाला है। विकास के, विस्तार के अनेक अवसर उपलब्ध होने वाले हैं और इसलिए जब हम दुनिया की तीसरे नंबर की इकोनॉमी बनेंगे तब भारत के हर स्तर पर सकारात्मक प्रभाव तो होगा, लेकिन वैश्विक परिवेश में अभूतपूर्व प्रभाव पैदा होने वाला है।

आदरणीय सभापति जी,

हम आने वाले कालखंड में नए स्ट्राट अप्स का, नई कंपनियों का वैश्विक उभार देख रहे हैं। और मैं देख रहा हूं कि आने वाले कालखंड में हमारे टीयर-2, टीयर-3 cities भी growth engine की भूमिका में देश में बहुत बड़ा contribution करने वाले हैं।

आदरणीय सभापति जी,

ये शताब्दी technology driven शताब्दी है और इसलिए हम कई नए सेक्टर्स में नए footprints भी अवश्य रूप से देखेंगे।

आदरणीय सभापति जी,

आने वाले 5 साल में public transport में बहुत तेजी से बदलाव आने वाला है और इसका लाभ भारत के कोटि-कोटि जनों को जल्द से जल्द मिले, उस दिशा में हम गंभीरता से आगे बढ़ना चाहते हैं।

आदरणीय सभापति जी,

भारत की विकास यात्रा में हमारे छोटे शहर चाहे खेल जगत हो, चाहे शिक्षा जगत हो, चाहे innovation हो, चाहे patent की रजिस्ट्री हो, मैं साफ देख रहा हूं कि हमारे छोटे-छोटे शहर, हजारों की तादाद में ऐसे शहर भारत में एक विकास का नया इतिहास गढ़ने वाले हैं।

आदरणीय सभापति जी,

मैंने पहले भी कहा है कि भारत के विकास यात्रा में 4 प्रमुख स्तंभ, उसका सशक्तिकरण, उनको अवसर ये बहुत बड़ी ताकत देने वाले हैं।

आदरणीय सभापति जी,

हमारे देश के किसान, हमारे देश के गरीब, हमारे देश के युवा और हमारे देश की नारीशक्ति, आदरणीय सभापति जी, हमने हमारी विकास यात्रा में हमारा जो फोकस है उसको हमने रेखांकित किया है।

आदरणीय सभापति जी,

यहां भी कई साथियों ने खेती और किसानी को लेकर के हर एक ने विस्तार से अपने विचार रखे हैं, और अनेक बातें सकारात्मक रूप से भी रखी हैं। मैं किसानों को लेकर सभी सदस्यों को और उनकी भावनाओं का आदर करता हूं। बीते 10 वर्ष में हमारी खेती हर प्रकार से लाभकारी हो, किसान को लाभकारी हो, उस पर हमने हमारा ध्यान केंद्रित किया है और अनेक योजनाओं में से उसको हमने ताकत देने का प्रयास किया है। चाहे फसल के लिए ऋण हो, लगातार नए बीज किसानों को उपलब्ध हो। आज की कीमत उचित हो और फसल बीमा का लाभ पहले की सारी मुसीबतें दूर करके किसानों को सरलता से उपलब्ध हो ऐसी व्यवस्था की है। चाहे एमएसपी पर खरीद की बात हो, हमने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़कर के किसानों को लाभ पहुंचाया है। एक प्रकार से बीज से बाजार तक हमने किसानों के लिए हर व्यवस्था को बहुत micro-planning के साथ मजबूती देने का भरपूर-भरसक प्रयास किया है, और व्यवस्था को हमने चाक-चौबंद किया है।

आदरणीय सभापति जी,

पहले हमारे देश में छोटे किसानों को किसान क्रेडिट कॉर्ड, लोन पाना करीब-करीब ना के बराबर था, बहुत मुश्किल था। जबकि उनकी संख्या सबसे अधिक थी, आज हमारी नीतियों के कारण, किसान क्रेडिट कॉर्ड के विस्तार के कारण।

आदरणीय सभापति जी,

हमने किसानी को एक व्यापक स्वरूप में देखा हैं और व्यापक स्वरूप में हमने किसान क्रेडिट कॉर्ड, पशुपालकों को और मछुआरों को किसान क्रेडिट कॉर्ड का हमने लाभ मुहैया कराया है। और इसके कारण हमारे किसानों का खेती के काम को उसके विस्तार को भी मजबूती मिली है, उस दिशा में भी हमने काम किया हैं।

आदरणीय सभापति जी,

कांग्रेस के कार्यकाल में 10 साल में एक बार किसानों की कर्ज माफी के बहुत ढोल पीटे गए थे। और एक बढ़-चढ़कर के, बातें बताकर के किसानों को गुमराह करने का भरसक प्रयास किया गया था, और 60 हजार करोड़ की कर्जमाफी उसका इतना हल्ला मचाया, इतना हल्ला मचाया था। और एक अनुमान था कि उसके लाभार्थी सिर्फ देश के तीन करोड़ किसान थे। सामान्य गरीब छोटे किसान को तो उसमें नामो-निशान नहीं था। जिसको सबसे जरूरत थी इसकी उनकी योजना में कोई परवाह नहीं थी, और उन तक कोई लाभ पहुंच भी नहीं पाया था।

लेकिन आदरणीय सभापति जी,

जब किसान कल्याण हमारी सरकार के ह्दय के केंद्र में हो तो नीतियां कैसी बनती हैं, कल्याण कैसे होता है, लाभ कैसे पहुंचता है उसका मैं इस सदन को उदाहरण देना चाहता हूं।

आदरणीय सभापति जी,

हमने प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना चलाई और पीएम किसान सम्मान योजना का लाभ 10 करोड़ किसानों को हुआ है। और पिछले 6 सालों में हम 3 लाख करोड़ रुपए हम किसानों को दे चुके हैं।

आदरणीय सभापति जी,

देश देख रहा है झूठ फैलाने वालों की सत्य सुनने की ताकत भी नहीं होती है। इनका सत्य से मुकाबला करना इसके लिए जिनके हौसले नहीं हैं वो बैठकर के इतनी चर्चा के बाद उन्हें उठाए हुए सवालों के जवाब भी सुनने की हिम्मत नहीं है। ये अपर हाउस को अपमानित कर रहे हैं। इस अपर हाउस की महान परंपरा को अपमानित कर रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

देश की जनता ने हर प्रकार से उनको इतना पराजित कर दिया है कि अब उनके पास गली-मोहल्ले में चीखने के सिवा कुछ बचा नहीं है। नारेबाजी, हो-हल्‍ला और मैदान छोड़कर के भाग जाना, यही उनके नसीब में लिखा हुआ है।

आदरणीय सभापति जी,

आपकी वेदना मैं समझ सकता हूं। 140 करोड़ देशवासियों ने जो निर्णय दिया है, जो जनादेश दिया है, इसे ये पचा नहीं पा रहे और कल उनकी सारी हरकतें फेल हो गईं। तो आज उनका वो लड़ाई लड़ने का भी हौसला नहीं था और इसलिए वो मैदान छोड़कर के भाग गए।

आदरणीय सभापति जी,

मैं तो कर्तव्य से बंधा हुआ हूं और न ही मैं यहां कोई डिबेट में स्कोर करने के लिए आया हूं। मैं तो देश का सेवक हूं। देशवासियों को मुझे हिसाब देना है। देश की जनता को मेरे पल-पल का हिसाब देना मैं उसे अपना कर्तव्य मानता हूं।

आदरणीय सभापति जी,

वैश्विक परिस्थितियां ऐसी पैदा हुईं कि fertiliser के लिए बहुत बड़ा संकट पैदा हुआ। हमने देश के किसान को मुसीबत में नहीं आने दिया और हमने करीब-करीब 12 लाख करोड़ रुपये fertiliser में सब्सिडी दी है और जो भारत की आजादी के इतिहास में सर्वाधिक है और इसी का परिणाम है कि हमारे किसान को fertiliser का इतना बड़ा बोझ उस तक हमने जाने नहीं दिया, सरकार ने अपने कंधे पर उसको उठा लिया।

आदरणीय सभापति जी,

हमने एमएसपी में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी की है। इतना ही नहीं खरीद के भी नए रिकॉर्ड बनाए हैं। पहले एमएसपी की घोषणा होती थी। लेकिन किसानों से कुछ भी लिया नहीं जाता था, बातें बताई जाती थी। पहले की तुलना में अनेक गुना ज्यादा खरीदी कर-करके हमने किसानों को सामर्थ्यवान बनाने का प्रयास किया है।

आदरणीय सभापति जी,

10 वर्षों में हमने कांग्रेस सरकार की तुलना में धान और गेहूं किसानों तक ढाई गुना अधिक पैसा पहुंचाया है और हम आने वाले 5 साल सिर्फ इसी का incremental वृद्धि करके रुकना नहीं चाहते, हम नए-नए क्षेत्रों को उन कठिनाइयों का अध्ययन करके उसकी मुक्ति के लिए प्रयास कर रहे हैं और इसलिए सभापति जी, अन्न भंडारण का विश्व का सबसे बड़ा अभियान हमने हाथ लिया है और लाखों की तादाद में विकेंद्रित व्यवस्था के तहत अन्‍न भंडारणों की रचना करने की दिशा में काम चल पड़ा है। फल और सब्जी एक ऐसा क्षेत्र है, हम चाहते हैं किसान उस तरफ बढ़े और उसके भंडारण के लिए भी एक व्यापक infrastructure की दिशा में हम काम कर रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

सबका साथ, सबका विकास इस मूल मंत्र को लेकर के हमने देश सेवा की हमारी यात्रा को निरंतर विस्तार देने का प्रयास किया है। देशवासियों को गरिमापूर्ण जीवन देना, ये हमारी प्राथमिकता रही है। आजादी के बाद अनेक दशकों तक जिनको कभी पूछा नहीं गया, आज मेरी सरकार उनको पूछती तो है, उनको पूजती भी है। हमारे दिव्यांग भाई-बहनों के साथ हमने मिशन मोड में उनकी कठिनाइयों को समझ कर के माइक्रो लेवल पर उसको address करने का प्रयास किया है और व्‍यवस्‍थाएं विकसित करने का प्रयास किया है ताकि वे गरिमापूर्ण जीवन जी सकें और कम से कम किसी का सहारा उनको लेना पड़े इस दिशा में हमने काम किया है।

आदरणीय सभापति जी,

हमारे समाज में किसी न किसी कारणवश एक उपेक्षित वर्ग यानी एक प्रकार से समाज में बार-बार हर दूत (प्रताड़ित) होने वाला वर्ग वो transgender वर्ग है, हमारी सरकार ने transgender साथियों के लिए कानून बनाने का काम किया है और जब पश्चिम की दुनिया के लोग ये सुनते हैं तो उनको भी गर्व होता है कि भारत इतना progressive है। भारत की तरफ बड़े गर्व की नजरों से देखा जाता है। हमने उनको मुख्यधारा में लाने का प्रयास शुरू किया है। आपने देखा होगा पद्म अवार्ड में भी transgender को अवसर देने में हमारी सरकार आगे आई है।

आदरणीय सभापति जी,

हमारे घूमंत जनजातीय समुदाय, हमारी घूमंत साथी, हमारा बंजारा परिवार, उनके लिए एक अलग कल्‍याण बोर्ड बनाया है ताकि उनकी आवश्यकताओं को हम address कर सकें और उनको भी एक स्थायी, सुरक्षित और संभावनाओं वाला जीवन प्राप्त हो उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

हम एक शब्‍द लगातार सुनते आए हैं, PVTG, PVTG, PVTG, हमारे जनजातीय समूह में ये सबसे पीछे रहा हुआ और आजादी के इतने सालों बाद भी जिन्‍होंने उनको निकट से देखा होगा उनको पता चलता है कि ये कैसी हालत में जीते हैं, उनकी तरफ किसी ने नहीं देखा। हमने एक विशेष व्यवस्था की है और पीएम जनमन योजना के तहत 34 हजार करोड़ रुपए, ये समुदाय बिखरा हुआ है। छोटी संख्‍या में है, वोट की उनकी ताकत नहीं है और यहां देश की परंपरा है कि जिसकी वोट ताकत है उसी की चिंता करना, लेकिन समाज के ऐसे अति पिछड़े लोगों की कोई चिंता नहीं करता था, हमने उसकी चिंता की है क्‍योंकि हम वोट की राजनीति नहीं करते हैं, हम विकास की राजनीति करते हैं।

आदरणीय सभापति जी,

हमारे देश में पारंपरिक पारिवारिक कौशल्य भारत की विकास यात्रा का और व्यवस्था का एक अंग रहा है। जो हमारा विश्‍वकर्मा समूह है, जिनके पास परंपरागत हुनर है वो जो समाज की आवश्यकताओं को पूरी करता है लेकिन उनको कभी address नहीं किया गया। हमने करीब-करीब 13 हजार करोड़ की योजना से विश्वकर्मा समुदाय को आधुनिकता की तरफ ले जाना, उनके अंदर professionalism आये।

आदरणीय सभापति जी,

गरीबों के नाम पर बैंकों का राष्ट्रीयकरण तो कर दिया गया था, लेकिन मेरे रेहड़ी-पटरी वालों को कभी बैंक के दरवाजे तक देखने की हिम्मत नहीं होती थी ये हालत थी। पहली बार देश में पीएम स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों की चिंता की गई है और आज वो ब्याज के कुचक्र से बाहर आ करके अपने परिश्रम से और ईमानदारी से जो रेहड़ी-पटरी वालों को बैंकों से लोन मिले हैं। वे लगातार बैंक वाले भी खुश हैं, लेने वाले भी खुश हैं और जो कल फुटपाथ पर रेहड़ी बैठता था आज एक छोटी दुकान बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। जो पहले खुद मजदूरी करता था आज एकाध दो को रोजगार देने की दिशा में काम कर रहा है और यही कारण है कि गरीब हो, दलित हो, पिछड़े हो, आदिवासी हो, महिला हो, उन्होंने हमारा भारी समर्थन किया है।

आदरणीय सभापति जी,

हम women led development की बात करते हैं। दुनिया के प्रगतिशील देशों के लिए भी women development तो बहुत स्वाभाविक स्वीकार करते हैं। लेकिन women led development की बात करते हैं तो उनके भी उत्साह में थोड़ी कमी नजर आती है। ऐसे समय भारत ने नारा नहीं, निष्‍ठा के साथ women led development की ओर कदम बढ़ाए हैं और महिला सशक्‍तिकरण का लाभ आज दिख रहा है। हर क्षेत्र में दिख रहा है और भारत की विकास यात्रा में वो contribute कर रहा है। मैं आदरणीय सांसद सुधा मूर्ति जी का आभार व्यक्त करता हूं कि कल उन्‍होंने चर्चा में महिलाओं के आरोग्‍य के विषय पर बल दिया था और उसका महात्मय क्‍या है, उसकी आवश्‍यकता क्‍या है, उस पर बड़े विस्‍तार से उन्‍होंने कहा था और उन्‍होंने एक बात ये भी बड़ी इमोशनल बताई थी कि मां अगर चली गई तो उसका कोई उपाय नहीं होता, फिर नहीं मिल सकती। ये भी बड़ी भावात्‍मकता के साथ उन्‍होंने बताया था। Women health, sanitation, wellness पर हमने दस वर्षों में एक priority sector के नाते काम किया है।

आदरणीय सभापति जी,

टॉयलेट हो, सैनेटरी पेड्स हो, गैस कनेक्शन हो, प्रेग्नेंसी के दौरान vaccination की व्यवस्था हो और इसका फायदा हमारी देश की माताओं-बहनों को मिला है।

आदरणीय सभापति जी,

आरोग्य के साथ-साथ महिलाएं आत्मनिर्भर बनें, उस दिशा में भी हम लगातार काम कर रहे हैं। बीते वर्षों में हमने जो 4 करोड़ घर बनाए हैं उसमें से ज्यादातर घर हमने महिलाओं के नाम पर दिए हैं। बैंकों में खाते खुलने से मुद्रा और सुकन्या समृद्धि जैसी योजना से आर्थिक फैसलों में महिलाओें की भूमिका भी बढ़ी है, भागीदारी भी बढ़ी है और एक प्रकार से वो परिवार में भी अब निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा बनने लगी हैं।

आदरणीय सभापति जी,

Women self help groups उससे जुड़ी दस करोड़ बहनें, उनका आत्मविश्वास तो बढ़ा ही बढ़ा है, उनकी आय भी बढ़ी है। अभी तक एक करोड़ बहनें जो इस self help groups में काम करती हैं। छोटा-छोटा गांव में कारोबार करती हैं, मिलकर के करती हैं। किसी गांव वालों की भी नजर नहीं जाती इनकी तरफ। आज मैं बड़े गर्व के साथ कह सकता हूं कि उन्हीं में से एक करोड़ बहनें लखपति दीदी बनी हैं। और हम आने वाले समय में ये आंकड़ा तीन करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने की दिशा में बढ़ा रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

सरकार का प्रयास है कि हर नए सेक्टर को हमारी महिलाएं लीड करें, वो अगुवाई करें, उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। नई technology आती है लेकिन महिलाओं के नसीब में बहुत आखिर में आती है। हमारी कोशिश है कि नई technology का पहला अवसर हमारी महिलाओं के हाथ लगे और वे इसको लीड करें और इसी के तहत नमो ड्रोन दीदी ये अभियान बहुत सफलतापूर्वक आगे बढ़ा है और आज गांव में किसानों की मदद करने का technology के माध्यम से, गांव की हमारी महिलाएं कर रही हैं और मैं जब उनसे बात कर रहा था तो मुझे कह रही हैं अरे साहब हम लोग तो कभी साईकिल भी नहीं चलाना जानते थे, आपने हमें पायलट बना दिया है और पूरा गांव हमें पायलट दीदी के नाम से जानने लगा है। और ये गरिमापूर्ण बात उनके जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत बड़ी ताकत बन जाता है, एक बहुत बड़ा driving force बन जाता है।

आदरणीय सभापति जी,

देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में भी राजनीति जब होती है तब देशवासियों को, विशेषकर महिलाओं को अकल्प पीड़ा होती है। ये जो महिलाओं के साथ होते अत्याचार में विपक्ष का जो selective रवैया है। ये selective रवैया बहुत ही चिंताजनक है।

आदरणीय सभापति जी,

मैं आपके माध्यम से देश को बताना चाहता हूं, मैं किसी राज्य के खिलाफ नहीं बोल रहा, न ही मैं कोई राजनीतिक स्कोर करने के लिए बोल रहा हूं। लेकिन कुछ समय पहले मैंने बंगाल से आई कुछ तस्वीरों को सोशल मीडिया पर वीडियो देखा। एक महिला को वहां सरेआम सड़क पर पीटा जा रहा है, वो बहन चीख रही है लेकिन वहां खड़े हुए लोगों में से कोई उसकी मदद के लिए नहीं आ रहे हैं, लोग वीडियों बनाने में लगे हुए हैं। और जो घटना संदेशखलि में हुई, जिसकी तस्वीरें रोंगटे खड़ी करने वाली हैं। लेकिन बड़े-बड़े दिग्गज मैं सुन रहा हूं कल से, इसके लिए पीड़ा उनके शब्दों में भी नहीं झलक रही है। इससे बड़ा शर्मिंदगी का दुखद चित्र क्या हो सकता है? और जो अपने आप को बहुत बड़े प्रगतिशील नारी नेता मानते हैं वो भी मुंह पर ताले लगाकर के बैठ गए हैं। क्योंकि संबंध उनके राजनीतिक जीवन से जुड़े किसी दल से है या उस राज्य से है और इसलिए आप महिलाओं पर हो रही पीड़ाओें पर चुप हो जाएँ।

आदरणीय सभापति जी,

मैं समझता हूं कि जिस प्रकार से दिग्गज लोग भी ऐसी बातों को नजरअंदाज करते हैं तब देश को तो पीड़ा होती है, हमारी माताओं-बहनों को ज्यादा पीड़ा होती है।

आदरणीय सभापति जी,

राजनीति इतनी selective हो और जहां उनकी राजनीति के अनुकूल नहीं होता है तो इनको सांप सुंघ जाता है, ये बहुत चिंता का विषय है।

आदरणीय सभापति जी,

भारत की जनता ने तीसरी बार पूर्ण बहुमत की स्थिर सरकार चुनकर देश में तो स्थिरता और निरंतरता को तो आदेश दिया ही है लेकिन इस चुनाव के नतीजों ने विश्व को आश्वस्त किया है आदरणीय सभापति जी। और इस नतीजों के कारण भारत विश्वभर के निवेशकों के लिए एक बहुत बड़ा आकर्षण का केंद्र बनकर के उभर रहा है। If’s और But’s का समय पूरा हो चुका है। और भारत में विदेश का निवेश भारत के नौजवानों के लिए रोजगार के नए अवसर लेकर आता है। भारत के युवाओं के टैलेंट को विश्व के मंच पर ले जाने का एक अवसर बन जाता है।

आदरणीय सभापति जी,

वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में संतुलन जो चाहते हैं, उनका भारत का इस विजय उनके लिए बहुत बड़ी नई आशा लेकर के आया है। आज विश्व पारदर्शिता पर भरोसा करती है। और भारत उसके लिए एक बहुत ही श्रेष्ठ भूमि के रूप में उभर रहा है।

आदरणीय सभापति जी,

इस चुनाव नतीजों से जो capital market है, उसमें तो उछाल नजर आ ही रहा है। लेकिन दुनिया में भी बहुत बड़ा उमंग और आनंद का माहौल है। ये मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव बता रहा हूँ। लेकिन इस बीच हमारे कांग्रेस के लोग भी खुशी में मगन हैं। मैं समझ नहीं पाता हूं कि इस खुशी का कारण क्या है? और इस पर कई सवाल हैं। क्या ये खुशी हार की हैट्रिक पर है? क्या ये खुशी nervous 90 के शिकार होने पर है? क्या ये खुशी एक और असफल लॉंच की है?

आदरणीय सभापति जी,

मैं देख रहा था, जब उत्साह उमंग से खड़गे जी भी भरे नजर आ रहे थे। लेकिन शायद खड़गे जी ने उनकी पार्टी की बड़ी सेवा की है। क्योंकि जो ये पराजय का ठीकरा जिन पर फूटना चाहिए था, उनको उन्होंने बचा लिया और खुद दीवार बनकर के खड़े हो गए। और कांग्रेस का रवैया ऐसा रहा है कि जब-जब ऐसी परिस्थितियां आती हैं तो दलित को, पिछड़े को ही ये मार झेलनी पड़ती है और वो परिवार बच निकल जाता है। इसमें भी यही नजर आ रहा है। इन दिनों आपने देखा होगा लोकसभा में स्पीकर के चुनाव का मसला हुआ उसमें भी पराजय तो तय थी, लेकिन आगे किसको किया तो एक दलित को बड़ी चालाकी के लिए खेल खेला उन्होंने। उनको पता था कि वो पराजित होने वाले हैं लेकिन उन्हीं को आगे किया। राष्ट्रपति- उपराष्ट्रपति पद के चुनाव थे तो 2022 में उन्होंने उपराष्ट्रपति पद के लिए सुशील कुमार शिंदे जी को आगे किया, उनको मरवा दिया, दलित मरे उनका कुछ जाता नहीं है। 2017 में हार तय थी तो उन्होंने मीरा कुमार को लगा दिया पराजय हुआ उनको पराजय झेलनी पड़ी। कांग्रेस की एससी, एसटी, ओबीसी ये विरोधी मानसिकता है। जिसके कारण ये पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी का अपमान करते रहे हैं। इसी मानसिकता के कारण देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को भी उन्होंने अपमानित करना, विरोध करने में कोई कमी नहीं दी और ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जो कोई नहीं कर सकता है।

आदरणीय सभापति जी,

ये संसद, ये उच्च सदन सार्थक वाद विवाद संवाद और इस मनोमंथन में से अमृत निकालकर के देशवासियों को देने के लिए है। ये देश का सबसे बड़ा मंच माना जाएगा। लेकिन जब मैंने कई वरिष्ठ नेताओें की बातें सुनी पिछले दो दिन में, सिर्फ मुझे ही नहीं पूरे देश को निराशा हुई है। यहां कहा गया कि ये देश के इतिहास का पहला चुनाव था जिसका मुद्दा संविधान की रक्षा था। मैं जरा उन्हें याद कराना चाहता हूं क्या अब भी ये fake narrative चलाते रहोगे क्या? क्या आप भूल गए 1977 का चुनाव, अखबार बंद थे, रेडियो बंद थे, बोलना भी बंद था और एक ही मुद्दे पर देशवासियों ने वोट किया था। लोकतंत्र की पुन: स्थापना के लिए वोट किया था। संविधान की रक्षा के लिए पूरे विश्व में इससे बड़ा कभी चुनाव नहीं हुआ है और भारत के लोगों की रगों में लोकतंत्र किस प्रकार से जीवित है वो 1977 के चुनाव ने दिखा दिया था। इतना गुमराह करोगे देश को। मैं मानता हूं कि संविधान की रक्षा का वो सबसे बड़ा चुनाव था और उस समय देश की विवेक बुद्धि ने संविधान की रक्षा के लिए उस समय सत्ता पर बैठे हुए लोगों को उखाड़कर के फेंक दिया था। और इस बार अगर संविधान की रक्षा का चुनाव था तो देशवासियों ने संविधान की रक्षा के लिए हमें योग्य पाया है। संविधान की रक्षा के लिए देशवासियों को हम पर भरोसा है कि हां अगर संविधान की रक्षा को कोई कर सकता है तो यही लोग कर सकते हैं और देशवासियों ने हमें जनादेश दिया है।

आदरणीय सभापति जी,

जब खड़गे जी ऐसी बातें बोलते हैं, तो जरा पीड़ादायक लगता है क्योंकि इमरजेंसी के दौरान संविधान पर जो जुल्म हुआ, जो बुलडोजर चलाया गया संविधान के ऊपर, लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा दी गई। तब उसी दल के महत्वपूर्ण नेता के रूप में वो उनके साक्षी है, फिर भी सदन को गुमराह कर रहे है।

आदरणीय सभापति जी,

आपातकाल को मैंनें बहुत निकट से देखा है करोड़ों लोगों को कठिन यातनाएं दी गई हैं, उनका जीन मुश्किल कर दिया गया था। और जो संसद के अंदर होता था वो तो रिकॉर्ड पर है। भारत के संविधान की बातें करने वालों को मैं पूछता हूं, जब आपने लोकसभा को 7 साल चलाया था, लोकसभा का कार्यकाल 5 साल है, वो कौन सा संविधान था जिसको लेकर के आपने 7 साल तक सत्ता की मौज ली और लोगों के ऊपर जुल्म करते रहें और आप संविधान हमें सिखाते हो।

आदरणीय सभापति जी,

दर्जनों articles पर यानि संविधान की आत्मा को छिन्न-विछिन्न करने का पाप इन्हीं लोगों ने उस कालखंड में किया था। 38वां, 39वां, और 42वां संविधान संशोधन और उस संशोधन में यानि mini-constitution, यानि mini-constitution के रूप में कहा जाता था। ये सब क्या था? आपके मुंह में संविधान की रक्षा शब्द शोभा नहीं देता है, ये पाप कर-करके आप बैठे हुए लोग हो। इमरजेंसी में पिछली सरकार में 10 साल ये कैबिनेट में थे खड़गे जी, क्या हुआ था। प्रधानमंत्री संवैधानिक पद है, प्रधानमंत्री के पद के ऊपर NAC बैठ जाना, ये कौन से संविधान में से लाए थे व्यवस्था, किस संविधान में से बनाया था आप लोगों ने। आपने देश के प्रधानमंत्री पद की गरिमा को चकनाचूर कर दिया था। और remote-pilot बनकर के आप उसके माथे पर बैठ गए थे। कौन सा संविधान आपको अनुमति देता है।

आदरणीय सभापति जी,

जरा ये बताए हमको वो कौन-सा संविधान है जो एक सांसद को कैबिनेट के निर्णय को सार्वजनिक रूप से फाड़ देने का हक दे देता है, वो कौन-सा संविधान था, किस हैसियत से फाड़ा गया था।

आदरणीय सभापति जी,

हमारे देश में लिखित रूप में protocol की व्यवस्था है राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, स्पीकर सब कैसे-कहा होते हैं। कोई मुझे बताए कि संविधान की मर्यादाओं को तार-तार करके protocol में एक परिवार को प्राथमिकता कैसे दी जाती थी, कौन-सा संविधान था। संवैधानिक पदों पर बैठे हुए लोग बाद में, एक परिवार को लोग पहले, कौन से संविधान की मर्यादा रखी थी आपने। और आज संविधान की बातें करते हैं, संविधान लहराते हैं, जय संविधान कहते हैं। अरे आप लोग तो India is Indira, Indira is India नारे लगाकर के जीये हो, आप संविधान की कोई आदर-भाव कभी व्यक्त कर नहीं पाए हो।

आदरणीय सभापति जी,

मैं बहुत गंभीरता से कह रहा हूं कि देश में कांग्रेस संविधान की सबसे बड़ी विरोधी है, उसके जहन में है।

आदरणीय सभापति जी,

इस पूरी चर्चा के दरमियान उनको 200, 500 साल की बातें करने का तो हक है लेकिन इमरजेंसी की बात निकली तो...वो तो बहुत पुराना हो गया, तो आपके पाप पुराने हो जाते हैं तो क्या खत्म हो जाते हैं क्या?

आदरणीय सभापति जी,

इस हाऊस में कोशिश की गई, संविधान की बात करना, लेकिन इमरजेंसी को कभी भी आने नहीं देना, ये चर्चा करने का अनुभव है। लेकिन ये देश, इनके साथ जो लोग बैठे हैं उसमें भी बहुत लोग हैं जो इमरजेंसी के भुक्त-भोगी रहे हैं। लेकिन उनकी कुछ मजबूरियां होंगी कि आज उनके साथ उन्होंने बैठना पसंद किया है, मतलब अवसरवादिता का ये दूसरा नाम है। संविधान के प्रति समर्पण भाव होता तो ऐसा नहीं करते।

आदरणीय सभापति जी,

आपातकाल सिर्फ एक राजनैतिक संकट नहीं था। लोकतंत्र संविधान के साथ-साथ ये बहुत बड़ा मानवीय संकट भी था। अनेक लोगों को टॉर्चर किया गया था, अनेक लोग जेल में मृत्यु को शरण हुए थे। जय प्रकाश नारायण जी की स्थिति इतनी खराब हुई की बाहर आकर के वो कभी ठीक नहीं हो पाए, ये हाल इन्होंने कर दिया था। और प्रताड़ना सिर्फ राजनेताओं की नहीं, आम आदमी को भी नहीं छोड़ा गया था, सामान्य मानवी को भी नहीं। और इनके इतने सारे जुल्म, उसमें इनके लोग भी थे अंदर, उसके साथ भी जुल्म हुआ।

आदरणीय सभापति जी,

वो दिन ऐसे थे कि जो कुछ लोग घर से निकले कभी घर लौट करके वापस नहीं आए और पता तक नहीं चला कि उनका शरीर कहाँ गया, यहां तक की घटनाएं घटी थीं।

आदरणीय सभापति जी,

ये बहुत सी पार्टियां जो उनके साथ बैठी हैं, वो अल्पसंख्यकों की आवाज होने का जरा दावा करती हैं और बड़ी ज्यादा चिल्ला करके बोलते हैं। क्या कोई मुजफ्फरनगर और तुर्कमान गेट वहां अल्पसंख्यकों के साथ इमरजेंसी में क्या हुआ था जरा याद करने की हिम्मत करते हैं क्या, बोलने की हिम्मत करते हैं क्या?

आदरणीय सभापति जी,

और ये कांग्रेस को क्लीन चिट दे रहे हैं, कैसे देश उनको माफ करेगा? ऐस शर्मनाक है कि ऐसी तानाशाही को भी आज सही कहने वाले लोग हाथ में संविधान की प्रति लेकर के अपने काले कारनामों को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

उस समय कई अलग छोटे-छोटे राजनैतिक दल थे, ये इमरजेंसी के खिलाफ लड़ाई के मैदान में उतरे थे और धीरे-धीरे उन्होंने अपनी जमीन बनाई थी। आज वो कांग्रेस का सहयोग कर रहे हैं और मैंने कल लोकसभा में कहा था अब कांग्रेस का परजीवी युग शुरू हुआ है, ये परजीवी कांग्रेस है। जहां वो खुद अकेले लड़े वहां उनका स्ट्राइक रेट शर्मजनक है, और जहां किसी के सहारे, किसी के कंधे पर बैठने का मौका मिला वहीं पर से बच करके आए हैं। देश की जनता ने आज भी इनको स्वीकार नहीं किया है, वो किसी की आ़ड़ में आए हैं। ये कांग्रेस परजीवी है किसी और के कारण सहयोगी दलों के वोट खाकर के वो जरा फली-फूली है ऐसा दिखता है। और कांग्रेस का परजीवी होने का कारण उनके अपने कारनामों से है। वे देश की जनता का विश्वास नहीं जीत पाए, वो जोड़ तोड़कर के बचने का रास्ता खोज रहे हैं। जनता-जनार्दन का विश्वास जीतने के लिए इनके पास कुछ नहीं है। इसलिए fake narrative के द्वारा, fake video के द्वारा देश को भ्रमित करके, गुमराह करके अपने कारनामें करने की आदत है।

आदरणीय सभापति जी,

इस सदन में ये उच्च सदन है। यहां विकास के विजन पर चर्चा होना स्वाभाविक, अपेक्षित है। लेकिन भ्रष्ट्राचार के गंभीर आरोपों घिरे लोग, ये कांग्रेस वाले भ्रष्ट्राचारी बचाव आंदोलन चलाने लग गए हैं, बेशर्मी के साथ। जिनको सजाएं मिली हैं भ्रष्ट्राचार में, इनके साथ तस्वीरें निकालने में इनको मजा आ रहा है। पहले ये लोग हमको पूछते थे, बातें तो बड़ी करते थे, भ्रष्ट्राचारियों पर कार्यवाही क्यों नहीं होती है, और जब भ्रष्ट्राचारी जेल जा रहे हैं तो हंगामा कर रहे हैं कि आप लोगों को जेल क्यों भेज रहे हो।

आदरणीय सभापति जी,

यहां चर्चा के दौरान केंद्र की जांच एजेंसियों पर आरोप लगाए गए हैं। जांच एजेंसियों का ये सरकार दुरूपयोग कर रही है ऐसा कहा गया है।

आदरणीय सभापति जी,

अब आप मुझे बताइए भ्रष्ट्राचार करे AAP, शराब घोटाला करे AAP, बच्चों के क्लास को बनाने में घोटाला करे AAP, पानी तक में घोटाला करे AAP, AAP की शिकायत करे कांग्रेस, AAP को कोर्ट में घसीटकर के ले जाए कांग्रेस और अब कार्यवाही हो तो गाली दे मोदी को। और अब आपस में जरा साथी बन गए हैं ये लोग। और हिम्मत है तो सदन में खड़े होकर के जवाब मांगों, कांग्रेस पार्टी से, मैं AAP वालों से कहता हूं। कांग्रेस भी बताए कि आपने प्रेस कांफ्रेंस करके AAP के घोटालों के इतने सारे सबूत देश के सामने रखे थे, कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस की थी, इन्हीं लोगों के खिलाफ की थी। अब ये बताए कि ये जो उन्होंने सबूत प्रेस कांफ्रेंस करके सारी फाइलें बताई थी क्यों वो सबूत सच्चे थे कि झूठे थे। दोनों एक दूसरे को खोलकर के रख देंगे।

आदरणीय सभापति जी,

मुझे विश्वास है ऐसी चीजों में जवाब देने की उनके अंदर हिम्मत नहीं है।

आदरणीय सभापति जी,

ये ऐसे लोग हैं जिनका double standard है, दोहरा रवैया है। और मैं देश को बार-बार ये बात याद दिलाना चाहता हूं कि ये कैसा दोगलापन चल रहा है। ये लोग दिल्ली में एक मंच पर बैठकर के जांच एजेंसियों पर आरोप लगाते हैं, भ्रष्ट्राचारियों को बचाने के लिए रैलियां करते हैं। और केरल में उनके शहजादे उन्हीं के केरल के एक मुख्यमंत्री जो उनके गठबंधन के साथी हैं, उनको जेल भेजने की अपील करते हैं और भारत सरकार को कहते हैं कि इस मुख्यमंत्री को जेल भेज दो। दिल्ली ED, CBI की कार्यवाही उस पर हाय-तौबा करते हैं और वही लोग उसी एजेंसी से केरल के मुख्यमंत्री को जेल भेजने की बात करते हैं शहजादे। तब लोगों के मन में सवाल होता है कि क्या इसमें भी दोगलापन है।

आदरणीय सभापति जी,

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री के साथ शराब घोटाला जुड़ा, यही AAP पार्टी वाले चीख-चीख करके कहते थे कि ED, CBI को लगा दो और इस मुख्यमंत्री को जेल में डाल दो, खुलेआम कहते थे और ED ये काम करे इसके लिए गुजारिश करते थे। उनको तब ED बहुत प्यारा लगता है।

आदरणीय सभापति जी,

ये आज जो लोग जांच एजेंसियों को बदनाम कर रहे हैं, हल्ला मचा रहे हैं, मैं जरा उनकी याददाश्त पर जोर डालना चाहिए, मैं ऐसा उनको आग्रह करता हूं। जांच एजेंसियों का पहले दुरुपयोग कैसे होता था, कैसे होता था, कौन करता था मैं जरा बताना चाहता हूं। मैं कुछ बयान आपके सामने रखता हूं। ये पहला बयान है 2013 का, बयान क्‍या है कांग्रेस से लड़ना आसान नहीं है, जेल में डाल देगी सीबीआई पीछे लगा देगी। कांग्रेस, सीबीआई व इनकम टैक्‍स का भय दिखा करके समर्थन लेती है। ये स्‍टेटमेंट किसका है? ये बयान है स्‍वर्गीय मुलायम सिंह जी का, कांग्रेस एजेंसियों का कैसे दुरुपयोग करती है ये मुलायम सिंह जी ने कहा था और यहां इस सदन के माननीय सदस्‍य रामगोपाल जी को मैं जरा पूछना चाहता हूं कि रामगोपाल जी क्‍या नेता जी कभी झूठ बोलते थे क्‍या? नेता जी तो सच बोलते थे।

आदरणीय सभापति जी,

मैं रामगोपाल जी को भी ये कहना चाहता हूं कि जरा भतीजे को भी बताएं क्‍योंकि उनको भी याद दिलाए कि राजनीति में कदम रखते ही भतीजे पर सीबीआई का फंदा लगाने वाले कौन थे जरा याद दिला दें उनको, पता चलेगा।

आदरणीय सभापति जी,

मैं एक और बयान पढ़ता हूं, ये भी साल 2013 का है। The Congress had used the CBI to strike political bargains in many parties. ये कौन कहते हैं, उनके Comrade श्रीमान प्रकाश करात जी ने ये कहा हुआ है 2013 में कहा, ये एजेंसियों का कौन दुरुपयोग करता था। एक और महत्‍वपूर्ण स्‍टेटमेंट मैं पढ़ता हूं और मैं याद दिलाना चाहता हूँ कि वो स्‍टेटमेंट क्‍या है कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोता है जो मालिक की आवाज में बोलता है। ये किसी राजनीतिक व्‍यक्‍ति का बयान नहीं है, ये हमारे देश की सुप्रीम कोर्ट ने यूपीए सरकार के समय कहा हुआ बयान है। एजेंसियों का दुरुपयोग कौन करता था इसके जीते-जागते सबूत आज मौजूद हैं।

आदरणीय सभापति जी,

भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई ये मेरे लिए चुनाव हार-जीत का तराजू नहीं है। मैं चुनाव हार-जीत के लिए भ्रष्‍टाचार के लिए लड़ाई नहीं लड़ रहा हूं। ये मेरा मिशन है, ये मेरा conviction है और मैं मानता हूं कि ये भ्रष्‍टाचार एक ऐसी दीमक ,है जिसने देश को खोखला कर दिया है। इस देश को भ्रष्‍टाचार से मुक्‍ति दिलाने के लिए, भ्रष्‍टाचार के प्रति सामान्‍य मानवीय के मन में नफरत पैदा करने के लिए मैं जी-जान से जुटा हुआ हूं और मैं इसे पवित्र कार्य मानता हूं। 2014 में जब हमारी सरकार बनीं तब हमने दो बड़ी बातें कहीं थी, एक हमने कहा था मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है और दूसरा भ्रष्टाचार पर, काले धन पर कड़ा प्रहार मेरी सरकार करेगी ये मैंने 2014 में सार्वजनिक रूप से कहा था। इसी ध्येय को लेकर के एक तरफ गरीबों के कल्याण के लिए विश्व की सबसे बड़ी कल्याण योजना हम चला रहे हैं। गरीब कल्याण योजना चला रहे हैं। दूसरी तरफ भ्रष्टाचार के विरुद्ध नए कानून, नई व्यवस्थाएं, नए तंत्र हम विकसित कर रहे हैं। हमने भ्रष्ट्राचार अधिनियम 1988 उसमें संशोधन किया है। हमने काले धन के खिलाफ एक नया कानून बनाया, बेनामी संपत्ति को लेकर हम नया कानून लेकर के आए हैं। इन कानूनों से भ्रष्ट अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो गई है। लेकिन लीकेज हटाने के लिए हमने सकारात्मक रूप से गवर्मेंट में भी बदलाव लाया है। हमने direct benefit transfer पर बल दिया है। हमने digital technology का भरपूर उपयोग किया है। और तभी आज हर लाभार्थी तक उसके हक का फायदा तुरंत सीधा पहुंच रहा है। एक नए पैसे का लीकेज नहीं होता है। ये हमारी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का पहलु है। और जब सामान्य नागरिक को ये व्यवस्थाएँ मिलती हैं तब उसका लोकतंत्र में भरोसा बढ़ता है। उसको सरकार में अपनापन महसूस होता है और जब अपनापन महसूस होता है ना तब तीसरी बार बैठने का मौका मिलता है।

आदरणीय सभापति जी,

मैं नि:संकोच रूप से कहना चाहता हूं। लाग लपेट नहीं रखता हूं। और मैं देशवासियों को भी कहना चाहता हूं कि मैंने एजेंसियों को भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर कठोर से कठोर कार्रवाई करने के लिए खुली छूट देकर रखी है, सरकार कहीं पर भी टांग नहीं अड़ाएगी। हां वो ईमानदारी से काम करे, ईमानदारी के लिए काम करे ये मेरी सूचना है।

और आदरणीय सभापति जी,

मैं फिर देशवासियों को कहना चाहता हूं। कोई भी भ्रष्टाचारी कानून से बचकर के नहीं निकलेगा, ये मोदी की गारंटी है।

आदरणीय सभापति जी,

राष्ट्रपति जी ने अपने संबोधन में पेपर लीक को एक बड़ी समस्या बताया है। मेरी अपेक्षा थी कि सारे दल दलीय राजनीति से ऊपर उठकर इस पर अपनी बात रखते। लेकिन दुर्भाग्य से इतना संवेदनशील महत्वपूर्ण मुद्दा भी, मेरे देश के नौजवानों के भविष्य के साथ जुड़ा मुद्दा भी इन्होंने राजनीति की भेंट चढ़ा दिया इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है? मैं देश के नौजवानों को आश्वस्त करता हूं कि आपको धोखा देने वालों को ये सरकार छोड़ने वाली नहीं है। मेरे देश के नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त से सख्त सजा मिले, इसके लिए एक के बाद एक एक्शन लिए जा रहे हैं। संसद में इन गड़बडियों के खिलाफ सख्त कानून भी हमने बनाया है। हम पूरी सिस्टम को मजबूती दे रहे हैं कि भविष्य में मेरे देश के नौजवानों को आशंका भरी स्थिति में भी रहना ना पड़े, पूरे विश्वास के साथ वो अपने सामर्थ्य को प्रदर्शित करे और अपने हक का प्राप्त करे। इस बात को लेकर के हम काम कर रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

यहां कुछ आरोप लगाने के फैशन हैं लेकिन कुछ आरोप ऐसे उसके जवाब घटनाएं खुद दे देती हैं। अब प्रत्यक्ष को प्रमाण की कोई जरूरत नहीं होती है। जम्मू कश्मीर में हाल में हुए लोकसभा चुनाव में मतदान के जो आंकड़ें हैं, वो पिछले चार दशक के रिकॉर्ड को तोड़ने वाले हैं। और इसको सिर्फ कोई घर से गया बटन दबाकर आया इतना नहीं है। भारत के संविधान को स्वीकृति देते हैं, भारत के लोकतंत्र को स्वीकृति देते हैं, भारत के इलेक्शन कमीशन को स्वीकृति देते हैं। ये बहुत बड़ी success है आदरणीय सभापति जी। देशवासी जिस पल की प्रतीक्षा करते थे वो आज इतनी सहज सरलता के सामने दिख रही है आदरणीय सभापति जी। बीते अनेक दशकों में बंद, हड़ताल, आतंकी धमकियां, इधर-उधर बम धमाकों की कोशिशें एक प्रकार से लोकतंत्र पर ग्रहण बनी हुई थी। आज इस बार लोगों ने संविधान पर अटूट विश्वास रखते हुए अपने भाग्य का फैसला लिया है। मैं जम्मू-कश्मीर के मतदाताओें को विशेष रूप से बधाई देता हूं।

आदरणीय सभापति जी,

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से हमारी लड़ाई एक प्रकार से अंतिम दौर पर है, अंतिम चरण में है। आतंक के बचे हुए नेटवर्क को भी हम सख्ती से नेस्तनाबूद करने के लिए पूरी व्यूह रचना के साथ आगे बढ़ रहे हैं। बीते दस वर्षों में पहले की तुलना में आतंकी घटनाओें में बहुत गिरावट आई है। अब पत्थरबाजी की खबरें भी शायद ही किसी कोने में एकाध बार आ जाए तो आ जाए। अब जम्मू-कश्मीर में आतंक और अलगाव खत्म हो रहा है। और इस लड़ाई में जम्मू-कश्मीर के नागरिक हमारी मदद कर रहे हैं, नेतृत्व कर रहे हैं, ये सबसे ज्यादा विश्वास पैदा करने वाली बात है। आज वहां टूरिज्म नए रिकॉर्ड बना रहा है, निवेश बढ़ रहा है।

आदरणीय सभापति जी,

आज जो नॉर्थ ईस्ट को लेकर सवाल उठाते हैं, उन्होंने नॉर्थ ईस्ट को अपने हाल पर छोड़कर रखा था। क्योंकि उनकी जो चुनावी हिसाब-किताब होता है। नॉर्थ ईस्ट से इतनी ही लोकसभा की सीटें हैं। क्या उससे राजनीति में फर्क पड़ता है। कभी कोई परवाह ही नहीं की। उसे उसके नसीब पर छोड़ दिया था। हम नॉर्थ ईस्ट को आज देश के विकास का एक सशक्त इंजन बनाने की ओर ताकत से लगे हुए हैं। नॉर्थ ईस्ट पूर्वी एशिया के साथ ट्रेन, टूरिज्म और कल्चरल कनेक्टिविटी उसका गेटवे बन रहा है। और ये जो कहते हैं ना 21वीं सदी भारत की सदी। उसमे से initiative बहुत बड़ा रोल प्ले करने वाला है। ये हमें स्वीकार करना होगा।

आदरणीय सभापति जी,

हमने नॉर्थ ईस्ट में गत पांच वर्ष में जो काम किया है और अगर पुराने कांग्रेस के हिसाब से शायद उसको अगर तुलना कर दी जाए, हमने जितना काम पांच साल में किया है इतना अगर उनको करना होता ना तो कम से कम 20 साल लग जाते एक पीढ़ी और चली जाती। हमने इतना तेजी से काम किया है। आज नॉर्थ ईस्ट की कनेक्टिविटी उसका विकास का मूलभूत आधार है। उसको हमने प्राथमिकता दी है और आज भूतकाल के सारे infrastructure से कई गुना आगे हम निकल चुके हैं और हमने उसको करके दिखाया है।

आदरणीय सभापति जी,

नॉर्थ ईस्ट में स्थायी शांति के लिए दस वर्षों में अनेक प्रयास किए गए हैं और निरंतर प्रयास किए हैं, बिना रूके, बिना थके हरेक को विश्वास में लेते हुए प्रयास किए गए हैं। और उसकी चर्चा कम हुई है देश में, लेकिन परिणाम बहुत ही आशा पैदा करने वाले निकले हैं। राज्यों के बीच सीमा विवाद संघर्षों को जन्म देता रहा है। और आजादी से अब तक ये निरंतर चलता रहा है। हमने राज्यों को साथ बिठाकर के सहमति के साथ जितने सीमा विवाद खत्म कर सकते हैं एक के बाद एक accord करते करते जा रहे हैं। Recorded है सहमति के रिकार्ड हैं और उसके लिए जो सीमाओं में किसी को उधर जाना है, किसी को यहां आना है, कहीं रेखा यहां बनानी है, कहीं रेखा वहां, वो सारे काम कर चुके हैं।

आदरणीय सभापति जी,

ये नॉर्थ ईस्ट की बहुत बड़ी सेवा है। हिंसा से जुड़े संगठन जो हथियारबंद गिरोह थे, जो वहां लड़ाई लड़ते रहते थे, अंउरग्राउंड की लड़ाई लड़ते थे, हर व्यवस्था को चुनौती देते थे, हर counter group को चुनौती देते थे, खून-खराबा होता रहता था। आज उनको साथ लेकर के स्थायी समझौते हो रहे हैं, शस्त्र सरेंडर हो रहे हैं। जो गंभीर गुनाहों के under हैं वो जेल जाने के लिए तैयार हो रहे हैं कि अदालत को face करने के लिए तैयार हो रहे हैं। न्यायतंत्र के प्रति भरोसा बढ़ना, संविधान के प्रति भरोसा बढ़ना, भारत के लोकतंत्र के प्रति भरोसा बढ़ना, भारत के गर्वमेंट की रचना पर भरोसा करना ये इसमे से अनुभव होता है और आज हो रहा है।

आदरणीय सभापति जी,

मणिपुर के संबंध में मैंने पिछले सत्र में विस्तार से बात कही थी, लेकिन मैं आज फिर से एक बार दोहराना चाहता हूं। मणिपुर की स्थिति सामान्य करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। वहां जो कुछ भी घटनाएं घटी। 11 हजार से ज्यादा एफआईआर की गई। मणिपुर छोटा सा राज्य है। 11 हजार एफआईआर की गई है। 500 से ज्यादा लोग arrest हुए हैं।

आदरणीय सभापति जी,

इस बात को भी हमें स्वीकार करना होगा कि मणिुपर में लगातार हिंसा की घटनाएं कम होती जा रही हैं। इसका मतलब शांति का, आशा रखना शांति पर भरोसा करना संभव हो रहा है। आज मणिपुर के अधिकांश हिस्सों में आम दिनों की तरह स्कूल चल रहे हैं, कॉलेज चल रहे हैं, दफ्तर और दूसरे संस्थान खुल रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

मणिपुर में भी जैसे देश के अन्य भागों में परीक्षाएं हुई, वहां भी परीक्षाएं हुई हैं। और बच्चों ने अपनी विकास यात्रा जारी रखी है।

आदरणीय सभापति जी,

केंद्र और राज्य सरकार सभी से बातचीत करके शांति के लिए, सौहार्द का रास्ता खोलने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। छोटे-छोटे इकाइयों, हिस्सों को जोड़कर के इन ताने-बाने को गूथना एक बहुत बड़ा काम है और शांतिपूर्ण तरीके से हो रहा है। बीते समय में पहले की सरकारों में ऐसा नहीं हुआ है, गृहमंत्री स्वयं कई दिनों तक वहां रहे हैं। गृह राज्य मंत्री हफ़्तों तक वहां रहे हैं और बार-बार जाकर के संबंधित लोगों को जोड़ने का प्रयास करते रहे।

आदरणीय सभापति जी,

Political leadership तो है ही लेकिन सरकार के सभी वरिष्ठ अधिकारी जिसका-जिसका इन काम से संबंध है वे लगातार वहां physical जाते हैं, लगातार वहां संपर्क में रहते हैं और समस्या के समाधान के लिए हर प्रकार से प्रयासों को बल दिया जा रहा है।

आदरणीय सभापति जी,

इस समय मणिपुर में बाढ़ का भी संकट चल रहा है और केंद्र सरकार, राज्य सरकार के साथ मिलकर के पूरा सहयोग कर रही है। आज ही NDRF की 2 टीमें वहां पहुंची हैं। यानि की प्रकृतिक मुसीबत में भी केंद्र और राज्य मिलकर के मणिपुर की चिंता कर रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

हम सभी को राजनीति से ऊपर उठकर के वहां की स्थिति को सामान्य बनाने में सहयोग करना चाहिए, ये हम सबका कर्तव्य है।

आदरणीय सभापति जी,

जो भी तत्व मणिपुर की आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं, मैं उनसे आगाह करता हूं कि ये हरकतें बंद करें, एक समय आएगा मणिपुर ही उनको रिजेक्ट करने वाला है ऐसे लोगों को।

आदरणीय सभापति जी,

जो लोग मणिपुर के इतिहास को जानते हैं, मणिपुर की घटनाक्रम को जानते हैं, उनको पता है कि वहां का सामाजिक संघर्ष का एक लंबा इतिहास रहा है। उस संघर्ष की मानसिकता की जड़ें बहुत गहरी हैं, इसको कोई नकार नहीं सकता है। और कांग्रेस के लोग ये ना भूले कि मणिपुर में इन्हीं कारणों से 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा है। इतने छोटे से राज्य में 10 बार Presidential Rule लगाना पड़ा है, राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा है। कुछ तो मुसीबतें होगी, और ये हमारे कालखंड में नहीं हुआ है। लेकिन फिर भी राजनीतिक फायदा उठाने के लिए वहां पर जिस प्रकार की हरकतें हो रही हैं।

और आदरणीय सभापति जी,

मैं इस सदन में देशवासियों को भी बताना चाहता हूं, 1993 में मणिुपर में ऐसे ही घटनाओं का क्रम चला था और इतना तीव्र चला था, इतना व्यापक चला था, वो 5 साल लगातार चला था। तो ये सारा इतिहास समझकर के हमें बहुत समझदारीपूर्वक स्थितियों को ठीक करने के लिए प्रयास करना है। जो भी इसमें सहयोग देना चाहते हैं, हरेक का सहयोग भी हम लेना चाहते हैं। लेकिन हम सामान्य स्थिति को बरकरार रखने में, शांति लाने में भरपूर प्रयास कर रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

ये मेरा सौभाग्य रहा है कि मैं प्रधानमंत्री, प्रधानसेवक के रूप में यहां आया उसके पहले लंबे अरसे तक मुझे मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने का अवसर मिला था और इसके कारण मैं अनुभव से सीखा हूं कि federalism का महात्म्य क्या होता है और उसी में से cooperative federalism और उसी में से competitive cooperative federalism इन विचारों को मैं बल देता आया हूं। और इसीलिए जब जी-20 समिट हुई तो हम दिल्ली में कर सकते थे, हम दिल्ली में बहुत बड़ा तामझाम के साथ मोदी की वाहा-वाही कर सकते थे। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया, हमने देश के हर राज्य के अंदर अलग-अलग कोने में जी-20 के महत्वपूर्ण कार्यक्रम किए, उस राज्य को ज्यादा से ज्यादा वैश्विक प्रतिष्ठा मिले इसके लिए प्रयास किया गया। उस राज्य की branding हो, विश्व उस राज्य को जाने-पहचाने उसके सामर्थ्य को जाने और उसकी विकास यात्रा के लिए खुद भी अपना नसीब आजमाए इस दिशा में हमने काम किया है। क्योंकि हम जानते हैं कि federalism के और रूप होते हैं।

आदरणीय सभापति जी,

जब कोविड के खिलाफ हम लड़ाई लड़ते थे जितनी बार मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद हुआ है शायद हिन्दुस्तान की आजादी के इतिहास में इतने कम समय में इतनी बार नहीं हुआ है, हमने किया है।

आदरणीय सभापति जी,

ये सदन एक प्रकार से राज्यों से जुड़ा हुआ सदन है और इसलिए राज्यों के विकास के कुछ focus areas उसकी चर्चा इस सदन में करना मैं उचित मानता हूं। और मैं कुछ आग्रह भी साझा करना चाहता हूं। आज हम एक ऐसी स्थिति में हैं जहां हम अगली क्रांति को नेतृत्व कर रहे हैं इसलिए semiconductors और electronic manufacturing जैसे सेक्टर्स में हर राज्यों ने बड़ी प्राथमिकता के साथ अपनी नीतियां बनानी चाहिए, योजनाओं को लेकर आगे आना चाहिए। और मैं चाहता हूं कि राज्‍यों के बीच विकास की स्‍पर्धा हो। निवेश आकर्षित करने वाली नीतियों में स्‍पर्धा हो और वो भी Good governance के माध्‍यम से हो, स्‍पष्‍ट नीतियों के माध्‍यम से हो। मैं पक्‍का मानता हूं कि आज जब विश्‍व भारत के दरवाजे पर दस्‍तक दे रहा है, तब हर राज्‍य के लिए अवसर है। और जब ये राज्‍यों से जुड़ा हुआ सदन है तो मैं आग्रह करूंगा कि आप आगे आइए और विकास की यात्रा में आप भी इसका फायदा उठाइए।

रोजगार सृजन में राज्‍यों में भी स्‍पर्धा क्‍यों नहीं होनी चाहिए। हमारे राज्‍य की उस नीति के कारण उस राज्‍य के नौजवानों को इतना रोजगार मिला तो दूसरा राज्‍य कहेगा तुम्‍हारी नीति में मैंने +1 कर दिया तो मुझे ये फायदा मिला। रोजगार के लिए राज्‍यों के बीच में स्‍पर्धा क्‍यों नहीं होनी चाहिए। मैं समझता हूं कि ये देश के नौजवानों के भाग्‍य को बदलने में बहुत काम आएगा।

आज नॉर्थ असम में सेमीकंडक्‍टर पर तेज गति से काम चल रहा है। आज इससे असम, नॉर्थ ईस्‍ट, वहां के नौजवानों को बहुत ही फायदा होने वाला है और साथ-साथ देश को भी फायदा होने वाला है।

आदरणीय सभापति जी,

यूएन ने 2023 को year of millets के रूप में घोषित किया था। ये भारत की खुद की अपनी ताकत है millets. हमारे छोटे किसानों की ताकत है। और जहां कम पानी है, जहां सिंचाई की सुविधाएं नहीं हैं, वहां पर millets जो कि एक सुपर फूड हैं, मैं मानता हूं कि राज्‍य इसके लिए आगे आए। अपने-अपने राज्‍य के सुपर फूड को millets को ले करके वैश्विक बाजार में जाने की योजना बनाएं। उसके कारण दुनिया के हर टेबल पर हिन्‍दुस्‍तान का millets होगा, डाइनिंग टेबल पर और हिन्‍दुस्‍तान के किसान के घर में दुनिया से कमाने का अवसर पैदा हो जाएगा। भारत के किसान के लिए समृद्धि के नए द्वार खुल सकते हैं। मैं राज्‍यों से आग्रह करूंगा कि आप आइए।

आदरणीय सभापित जी,

दुनिया के लिए न्‍यूट्रेशन मार्केट, इसका सॉल्‍यूशन भी हमारे देश के millet में है। ये सुपर फूड है। और जहां पर न्‍यूट्रेशन की चिंता है, वहां पर हमारा मिलेट बहुत बड़ा काम कर सकता है। हमें आरोग्‍य की दृष्टि से भी वैश्विक मंच पर ले जाने के लिए हमारे राज्‍य आगे आएं, अपनी पहचान बनाएं।

आदरणीय सभापित जी,

21वीं सदी में ease of living, ये सामान्‍य मानवी का हक है। और मैं चाहता हूं कि राज्‍य सरकारें अपनी यहां की नीति, नियम, व्‍यवस्‍थाएं, उस प्रकार से विकसित करें ताकि सामान्‍य नागरिक को ease of living का अवसर मिले और इस सदन से राज्‍यों को अगर वो संदेश जाता है तो देश के लिए उपयोगी होगा।

आदरणीय सभापति जी,

भ्रष्‍टाचार के खिलाफ हमारी जो लड़ाई है उसको हमें कई स्‍तरों पर नीचे ले जाना पड़ेगा। और इसलिए चाहे पंचायत हो, नगर पालिका हो, महानगर पालिका हो, तहसील पंचायत हो, जिला परिषद हो, ये सारी इकाइयों में एक ही मिशन के साथ भ्रष्‍टाचार से मुक्ति का राज्‍य अगर बीड़ा उठाएंगे तो हम बहुत तेजी से देश के सामान्‍य मानवी को जो भ्रष्‍टाचार से जूझना पड़ता है, उससे मुक्ति दिला सकेंगे।

आदरणीय सभापित जी,

समय की मांग है कि हमारे यहां efficiency अब होती है, चलती है का जमाना चला गया है। 21वीं सदी के भारत को अगर भारत की सदी के रूप में अपने-आपको साबित करना है तो हमारे गर्वनेंस के मॉडल में हमारे डिलीवरी के मॉडल में, हमारी निर्णय प्रक्रिया के मॉडल में efficiency बहुत अनिवार्य है। मैं आशा करता हूँ कि सर्वि‍स की स्‍पीड बढ़ाने में, निर्णयों की स्‍पीड बढ़ाने में efficiency की दिशा में काम होगा। और जब इस प्रकार से काम होते हैं तो transparency भी आती है, if’s एंड but’s भी नहीं रहते हैं और सामान्‍य मानवी के हकों की रक्षा भी होती है। और ease of living, इसका एहसास हर नागरिक कर सकता है।

आदरणीय सभापति जी,

मेरा एक conviction है और मैं मानता हूं कि आज समय की मांग है हमारे देश के नागरिकों के जीवन से सरकार की दखल जितनी कम हो, उस दिशा में हमें प्रयास करना चाहिए। रोजमर्रा की जिंदगी में सरकार, सरकार, सरकार, अब हम उस दिशा में जा रहे हैं तब, हां जिनको सरकार की जरूरत है, जिनके जीवन में सरकार की उपयोगिता, आवश्‍यकता है, उनके जीवन में सरकार का अभाव नहीं होना चाहिए। लेकिन जो अपने बलबूते पर जीवन को आगे बढ़ाना चाहते हैं सरकार का प्रभाव उन्‍हें रोकने का प्रयास न करें। और इसलिए सरकार की दखल जितनी कम हो, वैसी समाज और सरकार की व्‍यवस्‍थाओं को विकसित करने के लिए मैं राज्‍यों से आग्रह करता हूं कि अब आगे आइए।

आदरणीय सभापति जी,

क्‍लाइमेट चेंज के कारण प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति बढ़ती जा रही है। और वो किसी को एक कोने में करने वाला काम नहीं होता है, हमें सामूहिक रूप में मिल करके काम करना होगा। राज्‍यों को अपना सामर्थ्‍य बढ़ाना होगा ताकि प्राकृतिक आपदाओं को हम झेल सकें। पीने के पानी की व्‍यवस्‍था, वो भी उतना ही महत्‍व देना होगा। सामान्‍य मानवी के आरोग्य की सेवा उसे भी उतना ही महत्‍व देना होगा। और मैं मानता हूं कि हमारे राज्‍यों में राजनीतिक इच्‍छा शक्ति के साथ इन मूलभूत कामों की दिशा में हमारे राज्‍य जरूर जुड़ेंगे।

आदरणीय सभापति जी,

ये दशक और ये सदी भारत की सदी है। लेकिन भूतकाल हमें कहता है कि अवसर तो पहले भी आए थे। लेकिन हम अपने ही कारणों से अपने अवसरों को खो चुके थे। अब हमें अवसर खोने की गलती नहीं करनी है। हमें अवसरों को ढूंढना है, हमें अवसरों को जकड़ना है और अवसरों के सहारे हमें अपने संकल्‍पों को सिद्ध करना है। उस दिशा में जाने का इससे बड़ा कोई समय नहीं हो सकता है, जो समय आज भारत के पास है, 140 करोड़ देशवासियों के पास है, विश्‍व के सबसे युवा आबादी वाले देश के पास है। और इस वक्‍त जो देश हमारे साथ आजाद हुए थे, वो हमसे आगे निकल चुके हैं, बहुत तेजी से आगे निकल चुके हैं, हम नहीं पहुंच पाए। हमें इस स्थिति को बदलना है। और इस संकल्‍प को ले करके हमें आगे जाना है। जिन देशों ने 80 के दशक में reforms किए वे आज बहुत तेजी से एक विकसित देश के रूप में खड़े हो गए। हमें reforms पर बुरा मानने की जरूरत नहीं है, reform से कतराने की जरूरत नहीं है, और reform करते हैं तो खुद की सत्ता चली जाएगी, ऐसे भयभीत रहने की जरूरत नहीं है, सत्‍ता को हथियाए रहने की कोई आवश्‍यकता नहीं है, जितनी भागीदारी बढ़ेगी, जितनी निर्णय की शक्ति सामान्‍य मानवी के हाथ जाएगी, मैं समझता हूं हम भी। भले ही हम शायद लेट हुए हों, लेकिन हम उस आकांक्षा को पूर्ण करने को उस गति को प्राप्‍त कर सकते हैं और हम अपने संकल्‍पों की सिद्धि कर सकते हैं।

आदरणीय सभापति जी,

विकसित भारत का मिशन, ये किसी व्‍यक्ति का मिशन नहीं है, 140 करोड़ देशवासियों का है। किसी एक सरकार का मिशन नहीं है। देश की सभी सरकारी इकाइयों का मिशन है। और हम एक सूत्र में एक संकल्‍प के साथ मिल करके चलेंगे तो हम इन सपनों को साकार कर पाएंगे, ऐसा मेरा पक्‍का विश्‍वास है।

आदरणीय सभापति जी,

मैं विश्‍व मंच पर जाता हूं, विश्‍व के अनेक लोगों से मिलता रहता हूं। और मैं आज अनुभव कर रहा हूं कि पूरा विश्‍व निवेश के लिए तैयार है और भारत उनकी पहली पसंद है। हमारे राज्‍यों में निवेश आने वाले हैं। उसका पहला द्वार तो राज्‍य ही होता है। अगर राज्‍य जितना ज्‍यादा इस अवसर को जुटाएंगे, मैं इसको मानता हूं उस राज्‍य का भी विकास होगा।

आदरणीय सभापति जी,

जिन-जिन बातों को हमारे माननीय सदस्‍यों ने उठाया था, उन सबको संकलित रूप में मैंने जानकारी देने का प्रयास किया है। और आदरणीय राष्‍ट्रपति महोदया ने जो अभिभाषण दिया, जो हमारे लिए दिशा-निर्देश दिए हैं और देश के सामान्‍य मानवी के अंदर जो उन्‍होंने विश्‍वास पैदा किया है, इसके लिए मेरी तरफ से भी और इस सदन की तरफ से भी मैं राष्‍ट्रपति जी का हृदय से बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करते हुये मेरी वाणी को विराम देता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

  • Prof Sanjib Goswami May 29, 2025

    Many rejected leaders of other parties, those who fail in Lok Sabha, few who are denied nomination, some with no national contribution, many who as Rajya Sabha MP act like Zila Parishad Members seeking this or that scheme in their home district and few who only enjoy the perks but offer nothing to party or country often find themselves as Rajya Sabha MPs. Meritocracy and long term dedication to party get neglected. Without meritocracy in politics, country cannot have sustainable development. Congress ruined their own party and our Bharat mata through such negative politics. I am sure BJP under pujya Narendra Modiji will not let BJP slip into that Congress era faultline. Only with meritocracy in politics, good capable youngsters will join politics, feel pride in BJP and take our country forward. Just my thought.
  • Galasinga muvel Muvel May 27, 2025

    हमारे देश का प्रधानमंत्री जो हमारा नमस्कार
  • Jitendra Kumar April 30, 2025

    🙏🙏❤️
  • Shubhendra Singh Gaur March 02, 2025

    जय श्री राम ।
  • Shubhendra Singh Gaur March 02, 2025

    जय श्री राम
  • Dheeraj Thakur January 29, 2025

    जय श्री राम,
  • Dheeraj Thakur January 29, 2025

    जय श्री राम।
  • Dheeraj Thakur January 29, 2025

    जय श्री राम
  • krishangopal sharma Bjp December 18, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩,,
  • krishangopal sharma Bjp December 18, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩,
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Prime Minister Shri Narendra Modi interacts with Group Captain Shubhanshu Shukla aboard the International Space Station
June 28, 2025
QuoteI extend my heartiest congratulations and best wishes to you for hoisting the flag of India in space: PM
QuoteScience and Spirituality, both are our Nation’s strength: PM
QuoteWith the success of Chandrayaan mission there is renewed interest in science among the children and youth of the country, There is passion to explore space, Now your historic journey is giving more power to this resolve: PM
QuoteWe have to take Mission Gaganyaan forward, we have to build our own space station and also land Indian astronauts on the Moon: PM
QuoteToday I can say with confidence that this is the first chapter of success of India's Gaganyaan mission, your historic journey is not just limited to space, it will give speed and new vigour to our journey of Viksit Bharat: PM
QuoteIndia is going to open doors of new possibilities of space for the world: PM

The Prime Minister, Shri Narendra Modi interacted with Group Captain Shubhanshu Shukla, the Indian Astronaut, who became the first Indian to go to the International Space Station, via videoconferencing today. The Prime Minister remarked that although Shubhanshu Shukla is presently the farthest from the Indian motherland, he remains closest to the hearts of all Indians. He noted that Shubhanshu’s name itself carries auspiciousness, and his journey marks the beginning of a new era. Shri Modi stated that while it was a conversation between two individuals, it embodied the emotions and enthusiasm of 140 crore Indians. He said that the voice speaking to Shubhanshu carried the collective zeal and pride of the entire nation and extended his heartfelt congratulations and best wishes to Shubhanshu for hoisting India’s flag in space. Shri Modi enquired about Shubhanshu’s well-being and whether all was fine aboard the space station.

Responding to the Prime Minister, astronaut Shubhanshu Shukla thanked for best wishes on behalf of 140 crore Indians and stated that he is in good health and deeply moved by the love and blessings he has received. He described his time in orbit as a profound and novel experience, one that reflects not just his personal journey but also the direction in which India is advancing. The astronaut noted that his 400-kilometre journey from Earth to orbit is symbolic of the aspirations of countless Indians. Recalling his childhood, he shared that he never imagined becoming an astronaut, but under the Prime Minister’s leadership, today’s India enables the realisation of such dreams. Shubhanshu called it a great achievement and said he felt immense pride in representing his country in space.

The Prime Minister remarked, with a touch of humour, that although Shubhanshu is in space where gravity is nearly absent, every Indian can see how grounded he remains. He asked whether the carrot halwa that Shubhanshu carried from India had been shared with his fellow astronauts. Shubhanshu Shukla shared that he brought along several traditional Indian delicacies to the space station, including carrot halwa, moong dal halwa, and aam ras. He expressed his intent to offer his international colleagues a taste of India’s rich culinary heritage. He informed the Prime Minister that they all sat together and enjoyed the dishes, which were very well received. He noted that his fellow astronauts appreciated the flavours so much that some even expressed a desire to visit India in the future to experience these dishes on Indian soil.

Stating that circumambulation, or parikrama, has been a revered Indian tradition for centuries, the Prime Minister said that Shubhanshu now had the rare honour of performing parikrama of Mother Earth herself. He inquired which part of the Earth Shubhanshu might be orbiting over at that moment. Responding to that, the astronaut said while he did not have the exact location at that instant, just a short while earlier, he had seen through the window that they were passing over Hawaii. He shared that they complete 16 orbits a day—witnessing 16 sunrises and 16 sunsets from space—an experience that continues to amaze him. He informed that although they are currently travelling at a speed of nearly 28,000 kilometres per hour, that velocity isn’t perceptible inside the spacecraft. However, he reflected that this great momentum symbolically mirrors the pace at which India is advancing today.

Shubhanshu Shukla, responding to the Prime Minister, shared that the first thought which struck him upon entering orbit and witnessing the vastness of space was the view of Earth itself. He said that from space, one cannot see borders—there are no visible boundaries between nations and what stood out most was the sheer unity of the planet. He noted that when we look at maps, we compare the sizes of countries, including India, and often see a distorted picture because we’re flattening a three-dimensional world onto paper. But from space, Shubhanshu said, India appears truly grand—majestic in scale and spirit. He further described the overwhelming sense of oneness he experienced—a powerful realisation that aligns perfectly with India’s civilisational motto of “unity in diversity.” He shared that from above, Earth looks like a single home shared by all, reminding humanity of the harmony and connection we inherently share.

Highlighting that Shubhanshu Shukla was the first Indian to be on board the International Space Station, the Prime Minister enquired him about the contrast between his rigorous preparation on Earth and the actual conditions aboard the space station. The Astronaut shared that despite knowing about zero gravity and the nature of experiments in advance, the reality in orbit was entirely different. He remarked that the human body becomes so accustomed to gravity that even the smallest tasks in microgravity become unexpectedly complex. He humorously noted that during the conversation, he had to strap his feet down—otherwise, he’d just float away. Simple acts like drinking water or sleeping become significant challenges in space, he added. Shubhanshu explained that one can sleep on the ceiling, on the walls, or wherever—since orientation becomes fluid. Adjusting to this altered environment takes a day or two, but he described the experience as a beautiful harmony of science and wonder.

On being asked whether meditation and mindfulness had benefited him, Shubhanshu Shukla wholeheartedly agreed with the Prime Minister’s reflection that ‘science and spirituality are twin pillars of India’s strength’. He affirmed that India is already progressing rapidly, and his mission represents only the first step in a much larger national journey. Looking ahead, he envisioned many more Indians reaching space, including establishing India’s own space stations. Shubhanshu emphasised the vital role of mindfulness in such an environment. Whether during rigorous training or the high-pressure moments of launch, mindfulness helps in maintaining inner calm and clarity. He shared that staying mentally centered is crucial for making sound decisions in space. Quoting a profound Indian adage, he said, one cannot eat while running—underscoring that the calmer one is, the better choices one makes. Shubhanshu added that when science and mindfulness are practiced together, they greatly aid adaptation to such challenging environments, physically and mentally.

The Prime Minister asked whether any of the space experiments being conducted would benefit the agriculture or health sector in the future. Shubhanshu Shukla shared that, for the first time, Indian scientists have designed seven unique experiments which he has taken to the space station. He informed that the first experiment, scheduled for that day, focuses on stem cells and explained that in the absence of gravity, the body experiences muscle loss, and the experiment seeks to test whether specific supplements can prevent or delay this loss. He highlighted that the outcome of this study could directly help elderly people on Earth who face age-related muscle degeneration. Shubhanshu further stated that another experiment focuses on the growth of microalgae. He remarked that though microalgae are small in size, they are highly nutritious. He noted that if methods can be developed to grow them in larger quantities based on the findings in space, it could significantly aid food security on Earth. He underlined that one major advantage of conducting experiments in space is the accelerated pace of biological processes, enabling researchers to obtain results much faster than on Earth.

The Prime Minister observed that following the success of Chandrayaan, a renewed interest in science and a growing passion for space exploration has emerged among India’s children and youth. He remarked that Shubhanshu Shukla’s historic journey is further strengthening that resolve. Shri Modi stated that today’s children no longer just look at the sky—they now believe they too can reach it. He emphasised that this mindset and aspiration form the true foundation of India’s future space missions. The Prime Minister asked Shubhanshu Shukla what message he would like to convey to the youth of India.

Shubhanshu Shukla, responding to the PM, addressed the youth of India and acknowledged the bold and ambitious direction in which the country is headed. He emphasised that achieving these dreams requires the participation and commitment of every young Indian. He remarked that there is no single path to success—each individual may walk a different road—but the common factor is perseverance. He urged the youth to never stop trying, stating that no matter where one is or which route one chooses, refusing to give up ensures that success will come—sooner or later.

The Prime Minister stated that he was confident Shubhanshu Shukla’s words would greatly inspire the youth of India. He remarked that, as always, he never ends a conversation without assigning some “homework.” He emphasised that India must move forward with Mission Gaganyaan, build its own space station, and achieve the landing of an Indian astronaut on the Moon. He asserted that Shubhanshu’s experiences in space would be immensely valuable for these future missions. Shri Modi expressed trust that Shubhanshu was diligently recording his observations and learnings during the mission.

Shubhanshu Shukla affirmed that throughout his training and current mission, he has absorbed every learning like a sponge. He stated that the lessons gained during this experience will prove to be highly valuable and important for India’s upcoming space missions. He expressed confidence that upon returning, he will apply these insights with full dedication to accelerate mission execution. He shared that his international colleagues on the mission had inquired about their chances of participating in Gaganyaan, which he found encouraging, to which he responded to them with optimism, saying, "Very soon." Shubhanshu reiterated that this dream would be realised in the near future, and he is fully committed to applying his learnings 100 percent towards achieving it swiftly.

Expressing confidence that Shubhanshu Shukla’s message would inspire the youth of India, Shri Modi fondly recalled meeting Shubhanshu and his family before the mission, and observed that they, too, were filled with emotion and enthusiasm. He conveyed his joy in speaking with Shubhanshu and acknowledged the demanding responsibilities he carries—especially while working at a speed of 28,000 kilometres per hour. The Prime Minister affirmed that this marked the first chapter in the success of India’s Gaganyaan mission. He remarked that Shubhanshu’s historic journey was not limited to space alone, but would accelerate and strengthen India’s progress toward becoming a developed nation. “India is opening new frontiers in space for the world and that the country will now not just soar, but also build launchpads for future flights”, stated Shri Modi. He invited Shubhanshu to speak freely from the heart—not as a response to a question, but as an expression of whatever sentiments he wished to share, adding that he—and the entire nation—were eager to listen.

Shubhanshu Shukla thanked the Prime Minister and reflected on the depth of learning throughout his training and journey to space. He acknowledged his personal sense of accomplishment, but emphasised that this mission represents a much larger collective achievement for the country. He addressed every child and youth watching, encouraging them to believe that building a better future for themselves contributes to building a better future for India. He remarked that “the sky has never been the limit”—not for him, not for them, and not for India. He urged young people to hold onto this belief, as it would guide them forward in illuminating their own and the nation’s future. Shubhanshu expressed heartfelt emotion and joy at having had the opportunity to speak with the Prime Minister—and through him, with 140 crore citizens. He shared a moving detail: the Indian national flag visible behind him had not been present at the International Space Station before. It was hoisted only after his arrival, making the moment profoundly meaningful. He said it gave him immense pride to see India now present aboard the International Space Station.

Shri Modi extended his heartfelt wishes to Shubhanshu Shukla and all his fellow astronauts for the success of their mission. He conveyed that the entire nation awaits Shubhanshu’s return and urged him to take care of himself. He encouraged Shubhanshu to continue upholding the honour of Maa Bharati and offered countless good wishes on behalf of 140 crore citizens. The Prime Minister concluded by expressing deep gratitude for the immense effort and dedication that brought Shubhanshu to such heights.