“श्री कल्कि धाम मंदिर भारत के नए आध्यात्मिक केंद्र के रूप में उभरेगा”
“आज का भारत ‘विकास भी विरासत भी’ के मंत्र के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है”
भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान के पीछे की प्रेरणा, हमारी पहचान पर गर्व और इसे स्थापित करने का आत्मविश्वास छत्रपति शिवाजी महाराज से मिलता है
“रामलला की उपस्थिति का वो अलौकिक अनुभव, वो दिव्य अनुभूति अब हमें भावुक कर जाती है”
“पहले जो कल्पना से परे था अब वो साकार हो गया है"
"आज जहां एक ओर हमारे तीर्थस्थलों का विकास हो रहा है, वहीं दूसरी ओर शहरों में हाईटेक इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार किया जा रहा है"
"कल्कि काल चक्र में परिवर्तन के प्रणेता हैं और प्रेरणा के स्रोत भी हैं"
"भारत पराभव से भी विजय को खींच लाने वाला राष्ट्र है"
"आज पहली बार भारत उस मुकाम पर है जहां हम अनुसरण नहीं, बल्कि एक उदाहरण स्थापित कर रहे हैं"
"आज के भारत में हमारी शक्ति अनंत है, और हमारे लिए अपार संभावनाएं भी हैं"
"भारत जब भी बड़े संकल्प लेता है, तो उसका मार्गदर्शन करने के लिए दिव्य चेतना किसी न किसी रूप में हमारे बीच अवश्य आती है"

जय मां कैला देवी, जय मां कैला देवी, जय मां कैला देवी।

जय बूढ़े बाबा की, जय बूढ़े बाबा की।

भारत माता की जय, भारत माता की जय।

सभी संतों से प्रार्थना है कि अपना स्थान लीजिए। उत्तर प्रदेश के ऊर्जावान मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, पूज्य श्री अवधेशानंद गिरी जी, कल्किधाम के प्रमुख आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी, पूज्य स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी जी, पूज्य सदगुरू श्री रितेश्वर जी, विशाल संख्या में पधारे हुए, भारत के भिन्न-भिन्न कोने से आए हुए पूज्य संतगण, और मेरे प्यारे श्रद्धावान भाइयों और बहनों!

आज यूपी की धरती से, प्रभु राम और प्रभु कृष्ण की भूमि से भक्ति, भाव और आध्यात्म की एक और धारा प्रवाहित होने को लालायित है। आज पूज्य संतों की साधना और जन मानस की भावना से एक और पवित्र धाम की नींव रखी जा रही है। अभी आप संतों, आचार्यों की उपस्थिति में मुझे भव्य कल्कि धाम के शिलान्यास का सौभाग्य मिला है। मुझे विश्वास है कि कल्कि धाम भारतीय आस्था के एक और विराट केंद्र के रूप में उभरकर सामने आयेगा। मैं सभी देशवासियों को, और विश्व के सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएँ देता हूँ। अभी आचार्य जी कह रहे थे कि 18 साल की प्रतिक्षा के बाद आज ये अवसर आया है। वैसे भी आचार्य जी कई ऐसे अच्छे काम हैं जो कुछ लोग मेरे लिए ही छोड़कर के चले गए हैं। और आगे भी जितने अच्छे काम रह गए हैं, ना, उसके लिए बस ये संतों का, जनता जनार्दन का आशीर्वाद बना रहे, उसे भी पूरा करेंगे।

साथियों,

आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मजयंती भी है। ये दिन इसलिए और पवित्र हो जाता है, और ज्यादा प्रेरणा दायक हो जाता है। आज हम देश में जो सांस्कृतिक पुनरोदय देख रहे हैं, आज अपनी पहचान पर गर्व और उसकी स्थापना का जो आत्मविश्वास दिख रहा है, वो प्रेरणा हमें छत्रपति शिवाजी महाराज से ही मिलती है। मैं इस अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

साथियों,

पिछले दिनों, जब प्रमोद कृष्णम् जी मुझे निमंत्रण देने के लिए आए थे। जो बातें उन्होंने बताई उसके आधार पर मैं कह रहा हूं कि आज जितना आनंद उनको हो रहा है, उससे अनेक गुना आनंद उनकी पूज्य माताजी की आत्मा जहां भी होगी, उनको होता होगा। और मां के वचन के पालन के लिए एक बेटा कैसे जीवन खपा सकता है, ये प्रमोद जी ने दिखा दिया है। प्रमोद कृष्णम् जी बता रहे थे कि कई एकड़ में फैला ये विशाल धाम कई मायनों में विशिष्ट होने वाला है। ये एक ऐसा मंदिर होगा, जैसा मुझे उन्होंने पूरा समझाया अभी, जिसमें 10 गर्भगृह होंगे, और भगवान् के सभी 10 अवतारों को विराजमान किया जाएगा। 10 अवतारों के माध्यम से हमारे शास्त्रों ने केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि अलग-अलग स्वरूपों में ईश्वरीय अवतार को प्रस्तुत किया गया है। यानी, हमने हर जीवन में ईश्वर की ही चेतना के दर्शन किए हैं। हमने ईश्वर के स्वरूप को सिंह में भी देखा, वराह में भी देखा और कच्छप में भी देखा। इन सभी स्वरूपों की एक साथ स्थापना हमारी मान्यताओं की व्यापक छवि प्रस्तुत करेगी। ये ईश्वर की कृपा है कि उन्होंने इस पवित्र यज्ञ में मुझे माध्यम बनाया है, इस शिलान्यास का अवसर दिया है। और अभी जब वो स्वागत प्रवचन कर रहे थे, तब उन्होंने कहा कि हर किसी के पास कुछ ना कुछ देने को होता है, मेरे पास कुछ नहीं है, मैं सिर्फ भावना व्यक्त कर सकता हूं। प्रमोद जी अच्छा हुआ कुछ दिया नहीं वरना जमाना ऐसा बदल गया है कि अगर आज के युग में सुदामा श्री कृष्ण को एक पोटली में चावल देते, वीडियो निकल आती, सुप्रीम कोर्ट में PIL हो जाती और जजमेंट आता कि भगवान कृष्ण को भ्रष्ट्राचार में कुछ दिया गया और भगवान कृष्ण भ्रष्ट्राचार कर रहे थे। इस वक्त में हम जो कर रहे हैं, और इससे अच्छा है कि आपने भावना प्रकट की और कुछ दिया नहीं। मैं इस शुभ कार्य में अपना मार्गदर्शन देने के लिए पधारे सभी संतों को भी नमन करता हूँ। मैं आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी को भी बधाई देता हूँ।

साथियों,

आज संभल में हम जिस अवसर के साक्षी बन रहे हैं, ये भारत के सांस्कृतिक नव जागरण का एक और अद्भुत क्षण है। अभी पिछले महीने ही, 22 जनवरी को देश ने अयोध्या में 500 साल के इंतज़ार को पूरा होते देखा है। रामलला के विराजमान होने का वो अलौकिक अनुभव, वो दिव्य अनुभूति अब भी हमें भावुक कर जाती है। इसी बीच हम देश से सैकड़ों किलोमीटर दूर अरब की धरती पर, अबू धाबी में पहले विराट मंदिर के लोकार्पण के साक्षी भी बने हैं। पहले जो कल्पना से भी परे था, अब वो हकीकत बन चुका है। और अब हम यहां संभल में भव्य कल्कि धाम के शिलान्यास के गवाह बन रहे हैं।

भाइयों और बहनों,

एक के बाद एक ऐसे आध्यात्मिक अनुभव, सांस्कृतिक गौरव के ये पल हमारी पीढ़ी के जीवनकाल में इसका आना, इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है। इसी कालखंड में हमने विश्वनाथ धाम के वैभव को काशी की धरती पर देखा है, निखरता हुआ देखा है। इसी कालखंड में हम काशी का कायाकल्प होते देख रहे हैं। इसी दौर में, महाकाल के महालोक की महिमा हमने देखी है। हमने सोमनाथ का विकास देखा है, केदार घाटी का पुनर्निर्माण देखा है। हम विकास भी, विरासत भी इस मंत्र को आत्मसात करते हुए चल रहे हैं। आज एक ओर हमारे तीर्थों का विकास हो रहा है, तो दूसरी ओर शहरों में हाइटेक इनफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार हो रहा है। आज अगर मंदिर बन रहे हैं, तो देशभर में नए मेडिकल कॉलेज भी बन रहे हैं। आज विदेशों से हमारी प्राचीन मूर्तियाँ भी वापस लाई जा रही हैं, और रिकॉर्ड संख्या में विदेशी निवेश भी आ रहा है। ये परिवर्तन, प्रमाण है साथियों, और प्रमाण इस बात का है समय का चक्र घूम चुका है। एक नया दौर आज हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। ये समय है, हम उस आगमन का दिल खोलकर स्वागत करें। इसीलिए, मैंने लालकिले से देश को ये विश्वास दिलाया था- यही समय है, सही समय है।

साथियों,

जिस दिन अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, तब मैंने एक और बात कही थी। 22 जनवरी से अब नए कालचक्र की शुरुआत हो चुकी है। प्रभु श्री राम ने जब शासन किया तो उसका प्रभाव हजारों वर्षों तक रहा। उसी तरह, रामलला के विराजमान होने से, अगले हजार वर्षों तक भारत के लिए एक नई यात्रा का शुभारंभ हो रहा है। अमृतकाल में राष्ट्र निर्माण के लिए पूरी सहस्र शताब्दी का ये संकल्प केवल एक अभिलाषा भर नहीं है। ये एक ऐसा संकल्प है, जिसे हमारी संस्कृति ने हर कालखंड में जीकर दिखाया है। भगवान कल्कि के विषय में आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी ने गहरा अध्ययन किया है। भगवान कल्कि के अवतार से जुड़े कई सारे तथ्य और, शास्त्रीय जानकारियाँ भी आचार्य प्रमोद कृष्णम् जी मुझे बता रहे थे। जैसे उन्होंने बताया कि कल्कि पुराण में लिखा है- शम्भले वस-तस्तस्य सहस्र परिवत्सरा। यानी, भगवान राम की तरह ही कल्कि का अवतार भी हजारों वर्षों की रूप रेखा तय करेगा।

इसीलिए भाइयों और बहनों,

हम ये कह सकते हैं कि कल्कि कालचक्र के परिवर्तन के प्रणेता भी हैं, और प्रेरणा स्रोत भी हैं। और शायद इसीलिए, कल्किधाम एक ऐसा स्थान होने जा रहा है जो उन भगवान को समर्पित है, जिनका अभी अवतार होना बाकी है। आप कल्पना करिए, हमारे शास्त्रों में सैकड़ों, हजारों साल पहले भविष्य को लेकर इस तरह की अवधारणा लिखी गई। हजारों वर्षों बाद की घटनाओं के लिए भी सोचा गया। ये कितना अद्भुत है। और ये भी कितना अद्भुत है कि आज प्रमोद कृष्णम् जैसे लोग पूरे विश्वास के साथ उन मान्यताओं को आगे बढ़ा रहे हैं, अपना जीवन खपा रहे हैं। वो भगवान कल्कि के लिए मंदिर बना रहे हैं, उनकी आराधना कर रहे हैं। हजारों वर्ष बाद की आस्था, और अभी से उसकी तैयारी यानी हम लोग भविष्य को लेकर कितने तैयार रहने वाले लोग हैं। इसके लिए तो प्रमोद कृष्णम् जी वाकई सराहना के पात्र हैं। मैं तो प्रमोद कृष्णम् जी को एक राजनैतिक व्यक्ति के रूप में दूर से जानता था, मेरा परिचय नहीं था। लेकिन अभी जब कुछ दिनों पहले मेरी उनसे पहली बार मुलाकात हुई, तो ये भी पता चला कि वो ऐसे धार्मिक-आध्यात्मिक कार्यों में कितनी मेहनत से लगे रहते हैं। कल्कि मंदिर के लिए इन्हें पिछली सरकारों से लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। कोर्ट के चक्कर भी लगाने पड़े! वो मुझे बता रहे थे कि एक समय उन्हें कहा जा रहा था कि मंदिर बनाने से शांति व्यवस्था बिगड़ जाएगी। आज हमारी सरकार में प्रमोद कृष्णम् जी निश्चिंत होकर इस काम को शुरू कर पाये हैं। मुझे भरोसा है कि, ये मंदिर इस बात का प्रमाण होगा कि हम बेहतर भविष्य को लेकर कितने सकारात्मक रहने वाले लोग हैं।

साथियों,

भारत पराभव से भी विजय को खींचकर के लाने वाला राष्ट्र है। हम पर सैकड़ों वर्षों तक इतने आक्रमण हुये। कोई और देश होता, कोई और समाज होता तो लगातार इतने आक्रमणों की चोट से पूरी तरह नष्ट हो गया होता। फिर भी, हम न केवल डटे रहे, बल्कि और भी ज्यादा मजबूत होकर सामने आए। आज सदियों के वो बलिदान फलीभूत हो रहे हैं। जैसे कोई बीज वर्षों के अकाल में पड़ा रहा हो, लेकिन जब वर्षाकाल आता है तो वो बीज अंकुरित हो उठता है। वैसे ही, आज भारत के अमृतकाल में भारत के गौरव, भारत के उत्कर्ष और भारत के सामर्थ्य का बीज अंकुरित हो रहा है। एक के बाद एक, हर क्षेत्र में कितना कुछ नया हो रहा है। जैसे देश के संत और आचार्य नए मंदिर बनवा रहे हैं, वैसे ही मुझे ईश्वर ने राष्ट्र रूपी मंदिर के नव निर्माण का दायित्व सौंपा है। मैं दिन रात राष्ट्र रूपी मंदिर को भव्यता देने में लगा हूँ, उसके गौरव का विस्तार कर रहा हूँ। इस निष्ठा के परिणाम भी हमें उसी तेजी से मिल रहे हैं। आज पहली बार भारत उस मुकाम पर है, जहां हम अनुसरण नहीं कर रहे हैं, उदाहरण पेश कर रहे हैं। आज पहली बार भारत को टेक्नोलॉजी और डिजिटल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में संभावनाओं के केंद्र के रूप में देखा जा रहा है। हमारी पहचान इनोवेशन हब के तौर पर हो रही है। हम पहली बार दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जैसे बड़े मुकाम पर पहुंचे हैं। हम चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव तक पहुँचने वाले पहले देश बने हैं। पहली बार भारत में वन्देभारत और नमो भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें चल रही हैं। पहली बार भारत में बुलेट ट्रेन चलने की तैयारी हो रही है। पहली बार हाइटेक हाइवेज, एक्सप्रेसवेज का इतना बड़ा नेटवर्क और उसकी ताकत देश के पास है। पहली बार भारत का नागरिक, चाहे वो दुनिया के किसी भी देश में हो, अपने आपको इतना गौरवान्वित महसूस करता है। देश में सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास का ये जो ज्वार हम देख रहे हैं, ये एक अद्भुत अनुभूति है। इसीलिए, आज हमारी शक्ति भी अनंत है, और हमारे लिए संभावनाएं भी अपार हैं।

साथियों,

राष्ट्र को सफल होने के लिए ऊर्जा सामूहिकता से मिलती है। हमारे वेद कहते हैं- ‘सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्’। अर्थात्, निर्माण के लिए हजारों, लाखों, करोड़ों हाथ हैं। गतिमान होने के लिए हजारों, लाखों, करोड़ों पैर हैं। आज हमें भारत में उसी विराट चेतना के दर्शन हो रहे हैं। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’, इस भावना से हर देशवासी एक भाव से, एक संकल्प से राष्ट्र के लिए काम कर रहा है। आप पिछले 10 वर्षों में कार्यों के विस्तार को देखिए, 4 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के घर, 11 करोड़ परिवारों को शौचालय यानी इज्जतघर, 2.5 करोड़ परिवारों को घर में बिजली, 10 करोड़ से अधिक परिवारों को पानी के लिए कनेक्शन, 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन, 10 करोड़ महिलाओं को कम कीमत पर गैस सिलिंडर, 50 करोड़ लोगों को स्वस्थ जीवन के लिए आयुष्मान कार्ड, करीब 10 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि, कोरोना काल में हर देशवासी को मुफ्त वैक्सीन, स्वच्छ भारत जैसा बड़ा अभियान, आज पूरी दुनिया में भारत के इन कामों की चर्चा हो रही है। इस स्केल पर काम इसलिए हो सके, क्योंकि सरकार के इन प्रयासों से देशवासियों का सामर्थ्य जुड़ गया। आज लोग सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए गरीबों की मदद कर रहे हैं। लोग शत-प्रतिशत सैचुरेशन के अभियान में हिस्सा बन रहे हैं। गरीब की सेवा का ये भाव समाज को ‘नर में नारायण’ की प्रेरणा देने वाले हमारे आध्यात्मिक मूल्यों से मिली है। इसीलिए, देश ने ‘विकसित भारत का निर्माण’ और अपनी ‘विरासत पर गर्व’ के पंचप्राणों का आह्वान किया है।

साथियों,

भारत जब भी बड़े संकल्प लेता है, उसके मार्गदर्शन के लिए ईश्वरीय चेतना किसी न किसी रूप में हमारे बीच जरूर आती है। इसीलिए, गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा ‘संभावामि युगे-युगे’ इतना बड़ा आश्वासन दे दिया है। लेकिन, इस वचन के साथ ही तो हमें ये आदेश भी देते हैं कि-“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” अर्थात्, हमें फल की चिंता के बिना कर्तव्य भाव से कर्म करना है। भगवान् का ये वचन, उनका ये निर्देश आज 140 करोड़ देशवासियों के लिए जीवन मंत्र की तरह है। अगले 25 वर्षों के इस कर्तव्यकाल में हमें परिश्रम की पराकाष्ठा करनी है। हमें निःस्वार्थ भाव से देश सेवा को सामने रखकर काम करना है। हमारे हर प्रयास में, हमारे हर काम से राष्ट्र को क्या लाभ होगा, ये प्रश्न हमारे मन में सबसे पहले आना चाहिए। यही प्रश्न राष्ट्र की सामूहिक चुनौतियों के समाधान पेश करेगा। मुझे विश्वास है कि, भगवान् कल्कि के आशीर्वाद से संकल्पों की हमारी ये यात्रा समय से पहले सिद्धि तक पहुँचेगी। हम सशक्त और समर्थ भारत के सपने को शत प्रतिशत पूरा होता देखेंगे। इसी कामना के साथ आप सभी का मैं बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। और इस भव्य आयोजन के लिए और इतनी बड़ी तादाद में संतों के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए, मैं ह्दय से प्रणाम करते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूं। मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की जय, भारत माता की जय।

भारत माता की जय

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है: रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान पीएम मोदी
December 05, 2025

Your Excellency, My Friend, राष्ट्रपति पुतिन,
दोनों देशों के delegates,
मीडिया के साथियों,
नमस्कार!
"दोबरी देन"!

आज भारत और रूस के तेईसवें शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। उनकी यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हमारे द्विपक्षीय संबंध कई ऐतिहासिक milestones के दौर से गुजर रहे हैं। ठीक 25 वर्ष पहले राष्ट्रपति पुतिन ने हमारी Strategic Partnership की नींव रखी थी। 15 वर्ष पहले 2010 में हमारी साझेदारी को "Special and Privileged Strategic Partnership” का दर्जा मिला।

पिछले ढाई दशक से उन्होंने अपने नेतृत्व और दूरदृष्टि से इन संबंधों को निरंतर सींचा है। हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने आपसी संबंधों को नई ऊंचाई दी है। भारत के प्रति इस गहरी मित्रता और अटूट प्रतिबद्धता के लिए मैं राष्ट्रपति पुतिन का, मेरे मित्र का, हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

Friends,

पिछले आठ दशकों में विश्व में अनेक उतार चढ़ाव आए हैं। मानवता को अनेक चुनौतियों और संकटों से गुज़रना पड़ा है। और इन सबके बीच भी भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है।परस्पर सम्मान और गहरे विश्वास पर टिके ये संबंध समय की हर कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं। आज हमने इस नींव को और मजबूत करने के लिए सहयोग के सभी पहलुओं पर चर्चा की। आर्थिक सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जाना हमारी साझा प्राथमिकता है। इसे साकार करने के लिए आज हमने 2030 तक के लिए एक Economic Cooperation प्रोग्राम पर सहमति बनाई है। इससे हमारा व्यापार और निवेश diversified, balanced, और sustainable बनेगा, और सहयोग के क्षेत्रों में नए आयाम भी जुड़ेंगे।

आज राष्ट्रपति पुतिन और मुझे India–Russia Business Forum में शामिल होने का अवसर मिलेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि ये मंच हमारे business संबंधों को नई ताकत देगा। इससे export, co-production और co-innovation के नए दरवाजे भी खुलेंगे।

दोनों पक्ष यूरेशियन इकॉनॉमिक यूनियन के साथ FTA के शीघ्र समापन के लिए प्रयास कर रहे हैं। कृषि और Fertilisers के क्षेत्र में हमारा करीबी सहयोग,food सिक्युरिटी और किसान कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। मुझे खुशी है कि इसे आगे बढ़ाते हुए अब दोनों पक्ष साथ मिलकर यूरिया उत्पादन के प्रयास कर रहे हैं।

Friends,

दोनों देशों के बीच connectivity बढ़ाना हमारी मुख्य प्राथमिकता है। हम INSTC, Northern Sea Route, चेन्नई - व्लादिवोस्टोक Corridors पर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे। मुजे खुशी है कि अब हम भारत के seafarersकी polar waters में ट्रेनिंग के लिए सहयोग करेंगे। यह आर्कटिक में हमारे सहयोग को नई ताकत तो देगा ही, साथ ही इससे भारत के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे।

उसी प्रकार से Shipbuilding में हमारा गहरा सहयोग Make in India को सशक्त बनाने का सामर्थ्य रखता है। यह हमारेwin-win सहयोग का एक और उत्तम उदाहरण है, जिससे jobs, skills और regional connectivity – सभी को बल मिलेगा।

ऊर्जा सुरक्षा भारत–रूस साझेदारी का मजबूत और महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। Civil Nuclear Energy के क्षेत्र में हमारा दशकों पुराना सहयोग, Clean Energy की हमारी साझा प्राथमिकताओं को सार्थक बनाने में महत्वपूर्ण रहा है। हम इस win-win सहयोग को जारी रखेंगे।

Critical Minerals में हमारा सहयोग पूरे विश्व में secure और diversified supply chains सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे clean energy, high-tech manufacturing और new age industries में हमारी साझेदारी को ठोस समर्थन मिलेगा।

Friends,

भारत और रूस के संबंधों में हमारे सांस्कृतिक सहयोग और people-to-people ties का विशेष महत्व रहा है। दशकों से दोनों देशों के लोगों में एक-दूसरे के प्रति स्नेह, सम्मान, और आत्मीयताका भाव रहा है। इन संबंधों को और मजबूत करने के लिए हमने कई नए कदम उठाए हैं।

हाल ही में रूस में भारत के दो नए Consulates खोले गए हैं। इससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क और सुगम होगा, और आपसी नज़दीकियाँ बढ़ेंगी। इस वर्ष अक्टूबर में लाखों श्रद्धालुओं को "काल्मिकिया” में International Buddhist Forum मे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का आशीर्वाद मिला।

मुझे खुशी है कि शीघ्र ही हम रूसी नागरिकों के लिए निशुल्क 30 day e-tourist visa और 30-day Group Tourist Visa की शुरुआत करने जा रहे हैं।

Manpower Mobility हमारे लोगों को जोड़ने के साथ-साथ दोनों देशों के लिए नई ताकत और नए अवसर create करेगी। मुझे खुशी है इसे बढ़ावा देने के लिए आज दो समझौतेकिए गए हैं। हम मिलकर vocational education, skilling और training पर भी काम करेंगे। हम दोनों देशों के students, scholars और खिलाड़ियों का आदान-प्रदान भी बढ़ाएंगे।

Friends,

आज हमने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। यूक्रेन के संबंध में भारत ने शुरुआत से शांति का पक्ष रखा है। हम इस विषय के शांतिपूर्ण और स्थाई समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत सदैव अपना योगदान देने के लिए तैयार रहा है और आगे भी रहेगा।

आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भारत और रूस ने लंबे समय से कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया है। पहलगाम में हुआ आतंकी हमला हो या क्रोकस City Hall पर किया गया कायरतापूर्ण आघात — इन सभी घटनाओं की जड़ एक ही है। भारत का अटल विश्वास है कि आतंकवाद मानवता के मूल्यों पर सीधा प्रहार है और इसके विरुद्ध वैश्विक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है।

भारत और रूस के बीच UN, G20, BRICS, SCO तथा अन्य मंचों पर करीबी सहयोग रहा है। करीबी तालमेल के साथ आगे बढ़ते हुए, हम इन सभी मंचों पर अपना संवाद और सहयोग जारी रखेंगे।

Excellency,

मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हमारी मित्रता हमें global challenges का सामना करने की शक्ति देगी — और यही भरोसा हमारे साझा भविष्य को और समृद्ध करेगा।

मैं एक बार फिर आपको और आपके पूरे delegation को भारत यात्रा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ।