“2024 के आम चुनाव के नतीजे बाधाओं से परे होंगे”
“स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जो ज्वार उठा, उसने जनता में जोश एवं सामूहिकता की भावना भर दी और कई बाधाओं को तोड़ दिया”
“चंद्रयान 3 की सफलता ने प्रत्येक नागरिक में गर्व और आत्मविश्वास की भावना पैदा की है और उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है”
“आज हर भारतीय आत्मविश्वास से भरा हुआ है”
“जनधन बैंक खाते गरीबों के बीच मानसिक बाधाओं को तोड़ने और उनके गौरव एवं आत्मसम्मान को फिर से मजबूत करने का माध्यम बने”
“सरकार ने न सिर्फ लोगों का जीवन बदला है, बल्कि गरीबों को गरीबी से उबरने में भी मदद की है”
“सामान्य नागरिक अब स्वयं को सशक्त एवं प्रोत्साहित महसूस करने लगा है”
“आज के भारत के विकास की गति और पैमाना इसकी सफलता का प्रतीक है”
“जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से प्रगति और शांति का मार्ग प्रशस्त हुआ है”
“भारत ने रिकॉर्ड घोटालों से रिकॉर्ड निर्यात तक एक लंबा रास्ता तय किया है”
“स्टार्टअप हो, खेल हो, अंतरिक्ष हो या प्रौद्योगिकी, भारत की विकास यात्रा में मध्यम वर्ग तेज गति से आगे बढ़ रहा है”
“नव-मध्यम वर्ग देश के उपभोग में वृद्धि को गति दे रहा है”
“आज, गरीब से गरीब व्यक्ति से लेकर दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति तक, यह मानने लगे हैं कि यह भारत का वक्त है”

शोभना भरतिया जी, हिंदुस्तान टाइम्स के, आपकी टीम के सभी सदस्य, यहां उपस्थित सभी Guests, देवियों और सज्जनों।

सबसे पहले तो मैं आप सबसे क्षमा चाहता हूं क्योंकि मैं चुनावी मैदान में था तो वहां से आते-आते थोड़ी देर हो गई। लेकिन सीधा एयरपोर्ट से पहुंचा हूं आपके बीच। शोभना जी बहुत बढ़िया बोल रही थी, यानि मुद्दे अच्छे थे, जरूर कभी ना कभी पढ़ने को भी मिलेगा। चलिए उसमें देर हो गई।

साथियों,

आप सबको नमस्कार। हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में एक बार फिर आपने मुझे यहां निमंत्रित किया, इसके लिए मैं HT ग्रुप का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। 2014 में जब हमारी सरकार बनी थी, और हमारा सेवाकाल शुरू हुआ था, उस वक्त इस समिट की थीम थी- Reshaping India यानि HT Group ये मानकर चल रहा था कि आने वाले समय में भारत में बहुत कुछ बदलेगा, Reshape होगा। 2019 में जब हमारी सरकार पहले से भी ज्यादा बहुमत के साथ वापस आई, तो उस समय आपने थीम रखी- Conversations for a Better Tomorrow. आपने HT समिट के माध्यम से दुनिया को संदेश दिया कि भारत एक बेहतर भविष्य के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। अब 2023 में जब देश में अगले वर्ष होने वाले चुनावों की चर्चा हो रही है, तो आपकी थीम है- Beyond Barriers... और मैं जनता के बीच रहने, जीने वाले वाला इंसान हूं, पॉलिटिकल आदमी हूं तो और जनप्रतिनिधि हूं तो मुझे उसमें कुछ एक संदेश दिखता है। आम तौर पर ओपिनियन पोल, चुनावों के कुछ हफ्तों पहले आते हैं और बताते हैं, क्या होने वाला है। लेकिन आपने साफ संकेत दे दिया है कि देश की जनता इस बार सारे बैरियर्स तोड़कर हमारा समर्थन करने वाली है। 2024 Election Results will be beyond barriers.

साथियों,

‘Reshaping India’ से ‘Beyond Barriers’ तक के भारत के इस सफर ने आने वाले उज्ज्वल भविष्य की नींव गढ़ दी है। इसी नींव पर विकसित भारत का निर्माण होगा, भव्य और समृद्ध भारत का निर्माण होगा। लंबे समय तक, भारत और हम भारतीयों को अनेक Barriers का सामना करना पड़ा है। हम पर हुए हमलों और गुलामी के लंबे कालखंड ने भारत को बहुत सारे बंधनों में बांध दिया था। स्वतंत्रता आंदोलन के समय जो एक ज्वार उठा, जो जज्बा पैदा हुआ, सामूहिकता की जो भावना पैदा हुई, उसने ऐसे कई बंधनों को तोड़ दिया था। आजादी के बाद उम्मीद थी कि यही momentum आगे भी जारी रहेगा, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं पाया। अनेक तरह के बंधनों में बंधा हुआ हमारा देश, उस रफ्तार से आगे नहीं बढ़ पाया, जितना उसका सामर्थ्य था। एक बहुत बड़ा Barrier मानसिकता का था, Mental Barriers. कुछ Barriers real थे, असल में थे। कुछ Barriers perceived थे, बनाए गए थे, और कुछ Barriers exaggerated, बढ़ा-चढ़ाकर हमारे सामने हौवे की तरह प्रस्तुत कर दिए गए थे। 2014 के बाद से ही भारत, लगातार इन बंधनों को तोड़ने के लिए मेहनत कर रहा है। मुझे संतोष है कि हमने अनेक बाधाएं पार की हैं और अब हम ‘Beyond Barriers’ की बात कर रहे हैं। आज भारत हर Barrier तोड़ते हुए चांद पर वहां पहुंचा है, जहां कोई नहीं पहुंचा है। आज भारत हर चुनौती को पार करते हुए डिजिटल ट्रांजेक्शन में नंबर वन बना है। आज भारत, हर बाधा से निकलकर, मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग में लीड ले रहा है। आज भारत, स्टार्ट अप्स की दुनिया में टॉप तीन में है। आज भारत, दुनिया का सबसे बड़ा Skilled Pool अपने यहां बना रहा है। आज भारत, जी-20 जैसे आयोजनों में अपना परचम लहरा रहा है। आज भारत अपने को हर बंधन से मुक्त करके आगे बढ़ रहा है। और आपने सुना ही होगा- सितारों के आगे जहां और भी है। भारत, इतने पर ही रुकने वाला नहीं है।

साथियों,

जैसा मैं अभी कह रहा था, सबसे बड़ा बैरियर तो हमारे यहां Mindset का ही था, मेंटल बैरियर्स थे। इसी माइंडसेट की वजह से हमें कैसी-कैसी बातें सुनने को मिलती थीं। इस देश का कुछ हो ही नहीं सकता...इस देश में कुछ बदल ही नहीं सकता...और, अपने यहां सब ऐसे ही चलता है....अगर लेट आए तो भी कहते थे – Indian Time, बड़े गर्व से कहते थे। करप्शन का, अरे उसका तो कुछ हो ही नहीं सकता है साहब, जीना सीख लो...कोई चीज सरकार ने बनाई है तो उसकी क्वालिटी खराब ही होगी ही होगी साहब, ये तो सरकारी है...कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं, जो पूरे देश को मेंटल बैरियर तोड़कर बाहर आने के लिए प्रेरित करती हैं। गांधी जी ने दांडी यात्रा में उठाया तो एक चुटकी भर नमक था, लेकिन पूरा देश खड़ा हो गया, हम आजादी प्राप्त कर सकते हैं लोगों का ये विश्वास बढ़ गया था। अभी चंद्रय़ान की सफलता से कोई 140 करोड़ देशवासी अचानक वैज्ञानिक नहीं बन गए हैं, Astronaut नहीं बन गए हैं। लेकिन पूरे देश में एक आत्म विश्वास से भरे हुए माहौल को आज भी हम अनुभव कर रहे हैं। और क्या निकलता है- हम कर सकते हैं, हम हर सेक्टर में आगे जा सकते हैं। आज हर भारतीय बुलंद हौसले से भरा हुआ है। स्वच्छता का विषय याद होगा आपको। कुछ लोग कहते थे कि लाल किले से पीएम का स्वच्छता की बात करना, टॉयलेट की बात करना, इस पद की गरिमा के खिलाफ है। सैनिटरी पैड, ऐसा शब्द था जिसे लोग, खासकर पुरुष सामान्य बोलचाल की भाषा में भी बोलने से बचते थे। मैंने लालकिले से ये विषय उठाए। और वहीं से माइंडसेट बदलने की शुरुआत हुई। आज स्वच्छता एक जन-आंदोलन बन गया है। आप याद करिए, खादी को कोई पूछता तक नहीं था। बहुत, यानि हम जैसे नेताओं का विषय रह गया था, वो भी चुनाव में जरा लंबा कुर्ता पहनकर पहुंच जाना यहीं हो गया था। लेकिन अब पिछले 10 साल में खादी की बिक्री तीन गुना से ज्यादा बढ़ गई है।

साथियों,

जनधन बैंक अकाउंट्स की सफलता देशवासी जानते हैं। लेकिन जब हम इस योजना को लेकर आए थे, तो कुछ एक्सपर्ट्स ने कहा था कि ये अकाउंट खोलना संसाधनों की बर्बादी है, गरीब इनमें एक पैसा भी नहीं डालेगा। बात केवल पैसे की नहीं थी। बात थी मेंटल बैरियर तोड़ने की, माइंडसेट बदलने की। ये लोग गरीब के उस अभिमान को, उस स्वाभिमान को, कभी समझ ही नहीं पाए, जो जनधन योजना ने उस गरीब में जगाया। उसे तो बैंकों के दरवाजे तक जाने की हिम्मत नहीं होती थी, वो डरता था। उसके लिए बैंक अकाउंट होना भी अमीरों की चीज थी। जब उसने देखा कि बैंक खुद उसके दरवाजे तक आ रहे हैं, तो उसमें एक विश्वास जगा, एक स्वाभिमान जगा, उसके मन में एक नया बीज पनपा। आज वो बड़े अभिमान से अपनी जेब में से रूपे कार्ड निकालता है, रूपे कार्ड का इस्तेमाल करता है। और हम तो जानते हैं, आज से 5-10 साल पहले स्थिति ये थी कि किसी बड़े होटल में बड़े-बड़े लोग खाना खा रहे हैं तो उनके बीच में भी कंपटीशन रहता था, वो जब बटवा निकालता था तो चाहता था कि वो देखें कि उसके बटवे में 15-20 कार्ड हैं, कार्ड दिखाना भी फैशन था, कार्ड की संख्या status विषय था। मोदी ने उसको गरीब की जेब में डालकर के रख दिया। मेंटल बैरियर कैसे तोड़े जाते हैं।

दोस्तों, आज गरीब को लगता है कि जो अमीर के पास है, वो मेरे पास भी है। इस बीज ने वटवृक्ष बनकर कितने ही फल दिए हैं। AC कमरों की नंबर और नैरेटिव वाली दुनिया में रहने वाले लोग, गरीब के इस मनोवैज्ञानिक सशक्तिकरण को कभी नहीं समझ पाएंगे। लेकिन मैं एक गरीब परिवार से आय़ा हूं, गरीबी को जीकर यहां आया हूं, इसलिए जानता हूं कि सरकार के इन प्रयासों ने कितने सारे बैरियर्स को तोड़ने का काम किया है। माइंडसेट में ये परिवर्तन देश के भीतर ही नहीं, बाहर भी आया है। पहले आतंकी हमला होता था, तो हमारी सरकारें दुनिया से अपील करती थीं कि हमारी मदद करिए, वैश्विक मत बढ़ाने के लिए जाना पड़ता था। आतंकियों को रोकिए। हमारी सरकार में आतंकी हमला हुआ, तो हमले का जिम्मेदार देश दुनिया भर से खुद को बचाने के लिए गुहार लगाता है। भारत के एक्शन ने दुनिया का माइंडसेट बदला। 10 साल पहले दुनिया सोचती थी कि भारत Climate Action के संकल्पों में बाधा है, एक रूकावट है, negative है। लेकिन आज भारत दुनिया के Climate Action के संकल्पों को Lead कर रहा है, अपने Targets को समय से पहले हासिल करके दिखा रहा है। आज माइंडसेट बदलने का प्रभाव हम स्पोर्ट्स की दुनिया में भी देख रहे हैं। लोग खिलाड़ियों को कहते थे, खेल तो रहे हो लेकिन करियर में क्या करोगे, नौकरी का क्या करोगे? सरकारों ने भी खिलाड़ियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया था। ना उनकी ज्यादा आर्थिक मदद होती थी और ना ही स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दिया जाता था। हमारी सरकार ने इस बैरियर को भी हटाया। अब आज एक के बाद एक टूर्नामेंट में, हमारे यहां मेडल्स की बारिश हो रही है।

Friends,

भारत में सामर्थ्य की कमी नहीं है, संसाधनों की कमी नहीं है। हमारे सामने एक बहुत बड़ा और Real Barrier रहा है- गरीबी का। गरीबी को Slogans से नहीं Solutions से ही लड़ा जा सकता है। गरीबी को नारे से नहीं, नीति और नीयत से ही हराया जा सकता है। हमारे यहां पहले की सरकारों की जो सोच रही उसने देश के गरीब को सामाजिक और आर्थिक रूप से आगे नहीं बढ़ने दिया। मैं मानता हूं, गरीब में खुद इतना सामर्थ्य होता है कि वो गरीबी से लड़ सके और उस लड़ाई में जीत सके। हमें उसे सपोर्ट करना होता है, उसे मूलभूत सुविधाएं देनी होती हैं, उसे Empower करना होता है। इसीलिए हमारी सरकार ने इन बाधाओं को तोड़ने के लिए, गरीब को Empower करके, उस काम को हमने सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में लिया। हमने ना सिर्फ लोगों का जीवन बदला, बल्कि गरीबों को गरीबी से उबरने में मदद भी की। इसके परिणाम आज देश स्पष्ट देख रहा है। और अभी शोभना जी बता रही थी सिर्फ 5 वर्षों में 13 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर आए हैं। यानि हम कह सकते हैं कि 13 करोड़ लोगों ने अपनी गरीबी के Barrier को तोड़ा और देश के Neo Middle Class में शामिल हुए हैं।

साथियों,

भारत के विकास के सामने एक बहुत बड़ा Real Barrier रहा है, परिवारवाद और भाई-भतीजावाद का। वही आदमी आसानी से आगे बढ़ पाता था जो किसी खास परिवार से जुड़ा हो या फिर किसी शक्तिशाली आदमी को जानता हो। देश के सामान्य नागरिक की कहीं कोई पूछ नहीं थी। चाहे खेल हो, विज्ञान हो, राजनीति हो या पद्म सम्मान हों, देश के सामान्य मानवी को लगता था कि अगर वो किसी बड़े परिवार से नहीं जुड़ा है तो उसके लिए सफल होने की संभावना बहुत कम है। लेकिन आपने बीते कुछ सालों में देखा है कि इन सभी क्षेत्रों में देश का सामान्य नागरिक, अब Empowered और Encouraged feel करने लगा है। अब उसे इसकी चिंता नहीं होती कि उसे किसी ताकतवर आदमी के यहां चक्कर लगाने होंगे, उसकी सहायता लेनी होगी। Yesterday's Unsung Heroes are Country's Heroes today!

Friends,

भारत में वर्षों तक आधुनिक Infrastructure की कमी हमारे विकास के रास्ते में एक बड़े और Real Barrier के समान रही है। हमने इसका समाधान निकाला है, भारत में दुनिया की सबसे बड़ी Infrastructure Building Drive शुरू हुई। आज देश में अभूतपूर्व Infrastructure Development हो रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जिससे आपको भारत की स्पीड और स्केल का अंदाजा लगेगा। साल 2013-14 में हर दिन 12 किलोमीटर हाइवे बनते थे। मेरा सेवाकाल शुरू होने से पहले की बात कर रहा हूं। 2022-23 में हमने लगभग प्रतिदिन 30 किलोमीटर हाइवे हर दिन बनाए हैं। 2014 में देश के 5 शहरों में मेट्रो रेल की कनेक्टिविटी थी। 2023 में देश के 20 शहरों में मेट्रो रेल कनेक्टिविटी है। 2014 में देश में करीब 70 ऑपरेशनल एयरपोर्ट्स थे। 2023 में यह संख्या लगभग 150 तक पहुंच गई है, यानि ये आंकड़ा डबल हो गया है। 2014 में देश में करीब 380 मेडिकल कॉलेज थे। 2023 में हमारे पास 700 से अधिक मेडिकल कॉलेज हैं। 2014 में ग्राम पंचायतों तक सिर्फ 350 किलोमीटर ऑप्टिक फाइबर पहुंचा था। 2023 तक हमने करीब 6 लाख किलोमीटर ऑप्टिक फाइबर बिछाकर ग्राम पंचायतों को जोड़ा है। 2014 में 55 प्रतिशत गांव ही पीएम ग्राम सड़क योजना से जुड़े थे। हमने 4 लाख किलोमीटर से ज्यादा सड़कें बनाकर ये आंकड़ा 99 percent तक पहुंचा दिया है। 2014 तक भारत में करीब 20 हजार किलोमीटर रेल लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन होता था। ध्यान से सुनिए। 70 साल में 20 thousand किलोमीटर रेल लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन। जबकि हमारी सरकार ने 10 साल में करीब 40 हजार किलोमीटर रेल लाइनों का इलेक्ट्रिफिकेशन किया है। ये आज के भारत की स्पीड है, स्केल है और भारत की सक्सेस का प्रतीक है।

साथियों,

बीते वर्षों में हमारा देश कुछ perceived Barriers से भी बाहर निकला है। एक समस्या हमारे यहां Policymakers, हमारे Political Experts के दिमाग में भी थी। वो ये मानते थे कि Good Economics, Good Politics हो ही नहीं सकती। अनेक सरकारों ने भी इसे ही मान लिया और इसके कारण देश को राजनीतिक और आर्थिक दोनों ही मोर्चे पर मुश्किलें बनने लगी। लेकिन हमने Good Economics और Good Politics को एक साथ लाकर के दिखाया है। आज सब ये स्वीकार कर रहे हैं कि Good Economics, Good Politics भी है। हमारी बेहतर आर्थिक नीतियों ने देश में तरक्की के नए रास्ते खोले हैं। इससे समाज के हर वर्ग का जीवन बदला और इन्हीं लोगों ने हमें इतना बड़ा बहुमत देने के लिए स्थिर सरकार के लिए वोट दिया है। चाहे जीएसटी हो, चाहे बैंकिंग क्राइसिस का समाधान हो, चाहे कोविड संकट से निकलने के लिए बनाई गईं नीतियां हों...हमने हमेशा उन नीतियों को चुना जो देश को Long Term Solution दें, और सिटिजन्स को Long Term फायदे की गारंटी दें।

साथियों,

Perceived Barriers का एक और उदाहरण है, महिला आरक्षण बिल। दशकों तक लटकने के बाद ऐसा लगने लगा था कि ये बिल कभी पास नहीं होगा। लेकिन अब ये बाधा भी हमने पार कर ली है। नारीशक्ति वंदन अधिनियम आज एक सच्चाई है।

Friends,

आपसे बात करने, शुरुआत में मैंने एक और विषय कहा था exaggerated Barriers की भी बात की थी। हमारे देश में कुछ बाधाएं, कुछ समस्याएं ऐसी भी रही जिन्हें पहले की सरकारों द्वारा और पंडितों के द्वारा, विवाद करने वाले लोगों के द्वारा अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐसा बड़ा हौवा खड़ा कर दिया था, ऐसा बड़ा बना दिया था, उदाहरण के लिए, जब भी कोई आर्टिकल 370 को जम्मू-कश्मीर से हटाने की बात करता था तो अनेकों बातें मैदान में आ जाती। एक तरह से मनोवैज्ञानिक दबाव बना दिया था कि अगर ऐसा हुआ तो आसमान जमीन पर आ जाएगा। लेकिन 370 की समाप्ति ने उस पूरे इलाके में समृद्धि और शांति और विकास के नए रास्ते खोल दिए हैं। लाल चौक की तस्वीरें बताती हैं कि कैसे जम्मू-कश्मीर का कायाकल्प हो रहा है। आज वहां Terrorism का अंत हो रहा है, Tourism लगातार बढ़ रहा है। जम्मू-कश्मीर, विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचे, इसके लिए भी हमारा कमिटमेंट है।

साथियों,

यहां मौजूद अनेक लोग मीडिया के क्षेत्र से हैं। हम तक ब्रेकिंग न्यूज पहुंचाने वाले मीडिया की प्रासंगिकता बहुत अधिक रही है। समय-समय पर ब्रेकिंग न्यूज देने की परंपरा तो ठीक है, लेकिन ये Analysis भी जरूरी है कि पहले किस तरह की ब्रेकिंग न्यूज होती थी और अब क्या होती है। 2013 से 2023 के बीच भले ही एक दशक का समय बीता हो, लेकिन इस दौरान आए बदलावों में जमीन और आसमान का अंतर है। जिन लोगों ने 2013 में Economy को कवर किया है, उन्हें याद होगा कि कैसे Rating Agencies, भारत की GDP ग्रोथ फोरकास्ट का Downward Revision करती थीं। लेकिन 2023 में बिल्कुल विपरीत हो रहा है। अंतराष्ट्रीय संस्थाएं और Rating Agencies अब हमारी ग्रोथ फोरकास्ट का Upward Revision कर रही हैं। 2013 में बैंकिंग सेक्टर की खस्ता हालत की News आती थी। लेकिन अब 2023 में हमारे बैंक अपने Best Ever Profits और Performance को दिखा रहे हैं। 2013 में देश में अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले की खबर छाई रहती थी। लेकिन 2023 में अखबार और न्यूज चैनल्स में चलता है कि भारत का Defence Export अब Record High पर पहुंच गया है। 2013-14 की तुलना में इसमें 20 गुना से ज्यादा की बढोतरी हुई है। Record Scams से Record Exports तक, हमने एक लंबा रास्ता तय किया है।

साथियों,

2013 में आपको ऐसे कई National और International Publications मिल जाएंगे, जो ये Headline देते थे कि कठिन आर्थिक स्थितियों के कारण मीडिल क्लास के सपने तबाह हो गए हैं। लेकिन साथियों, 2023 में बदलाव कौन कर रहा है? चाहे स्पोर्ट्स हो, स्टार्टअप हो, स्पेस हो या टेक्नॉलजी हो, देश का मिडिल क्लास हर विकास यात्रा में सबसे आगे खड़ा नजर आता है। बीते कुछ वर्षों में भारत के Middle Class ने तेजी से प्रगति की है। उनकी Income बढ़ी है, उनका आकार बढ़ा है। 2013-14 में करीब 4 करोड़ लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते थे। 2023-24 में यह संख्या डबल हो गई है और साढ़े 7 करोड़ से अधिक लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किए हैं। Tax Information से जुड़ी एक स्टडी बताती है कि 2014 में जो Mean Income साढ़े चार लाख रुपए से भी कम थी, वो 2023 में 13 लाख रुपए तक बढ़ गई है। इसका मतलब है कि भारत में लाखों लोग Lower Income Groups से Higher Income Groups की ओर बढ़े हैं। मुझे याद है, हिंदुस्तान टाइम्स में ही पिछले दिनों एक लेख छपा था जिसमें इनकम टैक्स डेटा से जुड़े अनेक Interesting Facts बताए गए थे। एक बड़ा ही दिलचस्प आंकड़ा सालाना साढ़े 5 लाख रुपए से लेकर 25 लाख रुपये की तनख्वाह पाने वालों का है। साल 2011-12 में इस सैलरी ब्रेकेट में कमाने वालों की टोटल इनकम को जोड़ दें तो ये आंकड़ा था- करीब पौने तीन लाख करोड़ रुपए। यानि तब भारत में साढ़े पांच लाख से पच्चीस लाख सैलरी पाने वालों की कुल सैलरी जोड़ दें तो वो पौने तीन लाख करोड़ रुपए से भी कम थी। 2021 तक ये बढ़कर साढ़े 14 लाख करोड़ हो गई है। मतलब इसमें 5 गुना बढोतरी हुई है। इसकी दो वजहें स्पष्ट हैं। साढ़े पांच लाख से 25 लाख रुपए तक सैलरी पाने वालों की संख्या भी बहुत बढ़ी है और इस ब्रेकेट में लोगों की सैलरी में भी काफी वृद्धि हुई है। और मैं आपको फिर याद दिलाउंगा, ये Analysis सिर्फ Salaried Income पर आधारित है। अगर इसमें Business से हुई इनकम, House Property से हुई कमाई, दूसरी Investments से हुई कमाई और इसको जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा इससे भी ज्यादा बढ़ जाएगा।

साथियों,

भारत में बढ़ता हुआ मिडिल क्लास और कम होती हुई गरीबी, ये दो फैक्टर्स एक बहुत बड़ी इकॉनॉमिक सायकिल का आधार बन रहे हैं। जो लोग गरीबी से बाहर निकल रहे हैं, जो Neo Middle Class का हिस्सा बन रहे हैं, वो लोग अब देश की Consumption Growth को गति देने वाली बहुत बड़ी force के रूप में उभर रहे हैं। इस डिमांड को पूरा करने की जिम्मेदारी हमारा मिडिल क्लास ही उठा रहा है। अगर एक गरीब को नए जूते खरीदने का मन करता है तो मिडिल क्लास की दुकान से खरीदता है मतलब कि इनकम मिडिल क्लास की बढ़ती है, जीवन गरीब का बदलता है। ये एक बढ़िया cycle के समय में से भारत आज गुजर रहा है। यानि देश में कम हो रही गरीबी, मिडिल क्लास को भी फायदा पहुंचा रही है। गरीब और मिडिल क्लास के ऐसे ही लोगों की आकांक्षा और इच्छाशक्ति, आज देश के विकास को शक्ति दे रही है। इन लोगों की शक्ति ने ही भारत को 10वीं अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है। औऱ अब यही इच्छाशक्ति हमारे थर्ड टर्म में भारत को दुनिया की टॉप 3 अर्थव्यवस्था में शामिल कराने जा रही है।

साथियों,

इस अमृत काल में देश 2047 तक विकसित भारत बनने के लिए काम कर रहा है। मुझे विश्वास है कि हर बाधा पार करते हुए हम अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल होंगे। आज गरीब से गरीब व्यक्ति से लेकर दुनिया के सबसे अमीर इनवेस्टर्स तक ये मानने लगे हैं कि ये भारत का वक्त है- This is Bharat’s Time. हर भारतीय का आत्मविश्वास ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। इसके बल पर हम किसी भी बैरियर, के पार जा सकते हैं। और मुझे विश्वास है कि 2047 में यहां से कौन, कितने होंगे मुझे मालूम नहीं है, लेकिन मैं विश्वास से कहता हूं, 2047 में जब हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट होगी, तो उसकी थीम होगी- Developed Nation, What Next? एक बार फिर, इस समिट के लिए आप सभी को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं। बहुत बहुत धन्यवाद।

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December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।