एक लाख से अधिक एसएचजी सदस्यों को बीज के लिए आर्थिक सहायता का वितरण किया
वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 के अंग के रूप में फूड स्ट्रीट का भी उद्घाटन किया
"प्रौद्योगिकी और स्वाद का मिश्रण भविष्य की अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करेगा"
"सरकार की निवेशक-अनुकूल नीतियां खाद्य क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही हैं"
"भारत ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के हर क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है"
"खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारत की विकास गाथा के तीन स्तंभ- छोटे कृषक, छोटे उद्योग और महिलाएं हैं"
एक जिला एक उत्पाद' जैसी योजनाएं छोटे किसानों और छोटे उद्योग को नई पहचान दे रही हैं"
"भारतीय महिलाओं में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का नेतृत्व करने की नैसर्गिक क्षमता है"
"भारत की खाद्य विविधता वैश्विक निवेशकों के लिए एक लाभांश है"
"भारत की स्थायी खाद्य संस्कृति हजारों वर्षों में विकसित हुई है; हमारे पूर्वजों ने भोजन आदतों को आयुर्वेद से जोड़ा था"
"बाजरा भारत के 'सुपरफूड बकेट' का एक हिस्सा है और सरकार ने इसे श्री अन्न के रूप में पहचाना है"
"भोजन की कम बर्बादी स्‍थायी जीवन शैली के उद्देश्य को साकार करने में एक महत्वपूर्ण प्रयास है"

कार्यक्रम में उपस्थित केंद्रीय कैबिनेट में मेरे सहयोगी श्री पीयूष गोयल जी, गिरिराज सिंह जी, पशुपति पारस जी, पुरुषोत्तम रुपाला जी, प्रह्लाद सिंह पटेल जी, दुनिया के अलग-अलग देशों से आए सभी अतिथिगण, राज्‍यों से आए मंत्रिगण, उद्योगजगत और startup world के सभी साथियों, देशभर से जुड़े हमारे किसान भाई और बहन, देवियों और सज्जनों, आप सभी का World Food India Global Conference में स्वागत है, आप सबका अभिनंदन है।

अभी मैं technology pavilion को देख कर यहां आया हूं। जिस तरह यहाँ technology pavilion, startup pavilion और food street जैसी व्यवस्थाएं की गई हैं, वो अद्भुत है। Taste और technology का ये fusion एक नए future को जन्म देगा, एक नई economy को गति प्रदान करेगा। आज की बदलती हुई दुनिया में 21वीं सदी की सबसे प्रमुख चुनौतियों में से एक food security भी है। इसलिए World Food India का ये आयोजन और भी अहम हो गया है।

Friends,

भारत में processed food industry को आज sunrise sector के रूप में देखा जा रहा है। पहले World Food India के आयोजन से जो परिणाम प्राप्‍त हुए है, वो भी इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है। पिछले 9 वर्षों में इस sector में 50 हजार करोड़ का FDI आया है। ये भारत सरकार की, pro-industry, और pro-farmers policies का परिणाम है। हमने food processing sector के लिए PLI की scheme प्रारम्भ की है। इसके तहत industry इंडस्ट्री और नए players को विशेष सहयोग मिल रहा है।

आज भारत में Agri Infra Fund के तहत post-harvest infrastructure के लिए भी हजारों projects पर काम हो रहा है। इसमें भी 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का investment हुआ है। Fisheries और animal husbandry में भी processing infrastructure पर हजारों करोड़ रुपए के investment को बढ़ावा दिया जा रहा है।

साथियों,

आज भारत में ये जो Investor-friendly policies बनी हैं, वो food sector को एक नई ऊंचाई पर ले जा रही हैं। पिछले 9 वर्षों में हमारे कृषि निर्यात में processed food का हिस्सा 13 से बढ़कर 23 percent हो गया है। 9 सालों में processed food के export में करीब-करीब 150 percent की वृद्धि हुई है। आज हम 50,000 million USD से ज्यादा का agro export कर globally 7 वें नंबर पर आ गए हैं। Food processing industry से जुड़ा ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें भारत ने अप्रत्याशित वृद्धि न दर्ज की हो ! ये food sector फूड सेक्टर से जुड़ी हर company के लिए, हर startup के लिए एक golden opportunity है।

Friends,

ये ग्रोथ अपने आप-में speedy और rapid जरूर लग रही है, इसके पीछे हमारी consistent और dedicated मेहनत भी रही है। हमारी सरकार के दौरान ही भारत ने पहली बार agri export policy बनाई। हमने nationwide logistics और infrastructure का network खड़ा किया।

आज भारत में 100 से ज्यादा district और district-level पर export hubs तैयार हुए हैं जिस से districts सीधे global market से जुड़े हैं। पहले देश में 2 mega food parks होते थे। आज ये संख्या 20 से भी ज्यादा हो गई है। पहले हमारी processing capacity 12 लाख मीट्रिक टन थी। अब ये 200 लाख मीट्रिक टन से भी ज्यादा है। यानी, 9 वर्षों में 15 गुना से ज्यादा की वृद्धि!

ऐसे कई products हैं जो पहली बार विदेशी बाजारों में जा रहे हैं। जैसे हिमाचल प्रदेश का black garlic, कच्छ का dragon fruit या कमलम, मध्य प्रदेश का soya milk powder, लद्दाख का karkichu apple, पंजाब का cavendish banana, जम्मू का gucchi mushroom, कर्नाटक का raw honey, ऐसे कितने ही products हैं जो कई देशों में पहली पंसद बन गए हैं, बेहद पसंद किये जा रहे हैं। यानी आपके लिए पूरी दुनिया में एक बहुत बड़ा बाजार बन रहा है।

साथियों,

भारत के भीतर भी और एक factor उभर रहा है। मैं इस बारे में भी आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। आज भारत में तेजी से urbanization बढ़ रहा है। बढ़ते अवसरों के साथ घर के बाहर काम करने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। इसके कारण packaged food की मांग काफी बढ़ी है, काफ़ी बढ़ी रही है। इससे हमारे किसानों के लिए, हमारे startups और small entrepreneurs के लिए unexplored opportunities create हो रही है। इन possibilities के लिए, इन ambitious policies के लिए आपके plans भी उतने ही ambitious होने चाहिए।

साथियों,

Food processing sector में भारत की growth story के तीन सबसे प्रमुख आधार हैं। छोटे किसान, छोटे उद्योग, और महिलाएं! छोटे किसानों की भागीदारी और उनका लाभ बढ़ाने के लिए हमने Farmer Produce Organisations- FPOs को प्रभावी platformके रूप में इस्तेमाल किया है। भारत में हम 10,000 नए FPOs बनवा रहे हैं जिनमें से 7 हजार बन भी चुके हैं। इससे किसानों के लिए market तक पहुँच और processing सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ रही है। Small scale industries की भागीदारी बढ़ाने के लिए food processing में करीब 2 लाख micro enterprises को संगठित किया जा रहा है। One District One Product- ODOP जैसी योजनाओं से भी छोटे किसानों और लघु उद्योगों को नई पहचान मिली है।

साथियों,

आज भारत दुनिया को women-led development का मार्ग दिखा रहा है। भारत की economy में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। इसका भी फायदा food processing industry को हो रहा है। आज भारत में 9 करोड़ से ज्यादा महिलाएं self-help groups से जुड़ी हैं। आप सब जानते हैं, भारत में हजारों वर्षों से food science की leading scientists महिलाएं ही रहीं हैं। हम जो food variety देखते हैं, जो food diversity देखते हैं, ये भारतीय महिलाओं की skil और knowledge का नतीजा है। अचार, पापड़, चिप्स, मुरब्बा जैसे कितने ही products के मार्केट को महिलाएं अपने घरों से ही चलाती रही हैं।

भारत की महिलाओं में food processing industry को lead करने की स्वभाविक क्षमता है। इसके लिए हर स्तर पर महिलाओं को, कुटीर उद्योगों और self-help groups को promote किया जा रहा है। आज इस कार्यक्रम में भी 1 लाख से ज्यादा महिलाओं को जो women self-help groups चलाती हैं, करोड़ों रुपए की seed capital दी गई और मैंने technologically अभी यहां से उसको already उनके खाते में जमा कर दिया है। मैं इन महिलाओं को विशेष बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

Friends,

भारत में जितनी सांस्कृतिक विविधता है, उतनी ही खाद्य विविधता, food diversity भी है। हमारी ये food diversity, दुनिया के हर investor के लिए एक dividend है। आज जिस तरह पूरी दुनिया में भारत के प्रति जिज्ञासा बढ़ी है वो भी आप सभी के लिए बहुत बड़ी opportunity लेकर आय़ा है। पूरी दुनिया की food industry के पास, भारत की खाद्य परंपराओं से भी सीखने के लिए बहुत कुछ है।

हमारे यहाँ सदियों से एक बात यानी जीवन का हिससा है, हर परिवार की सोच का हिससा है। हमारे यहां कहा जाता है- ‘यथा अन्नम्, तथा मन्नम्’। अर्थात्, हम जैसा खाना खाते हैं, वैसा ही हमारा मन भी बनता है। यानी, food न केवल हमारी physical health में बहुत बड़ा factor होता है, बल्कि हमारी mental health में भी बहुत बड़ा role निभाता है। भारत का sustainable food culture, हजारों वर्षों की विकास यात्रा का परिणाम है। हमारे पूर्वजों ने food habits को आयुर्वेद से जोड़ा। आयुर्वेद में कहा जाता है-‘ऋत-भुक्’ अर्थात् season के हिसाब से खानपान, ‘मित् भुक्’ अर्थात् balanced diet, और ‘हित भुक्’, अर्थात् healthy foods, ये भारत की वैज्ञानिक समझ का अहम हिस्सा है।

सदियों से भारत से होने वाले खाद्यान्न और खासकर मसालों के व्यापार के जरिए भारत के इस ज्ञान का लाभ पूरे विश्व को मिलेगा। आज जब हम global food security की बात करते हैं, जब global health को लेकर इतने concerns express किए जाते हैं, तो ये जरूरी हो गया है कि हमारी food processing industry sustainable और healthy food habits के इस ancient knowledge को भी जाने, समझे और उसे adopt करे।

मैं आपको उदाहरण देता हूं millets का। इस साल दुनिया International Millets Year मना रही है। हम सब जानते हैं कि millets हमारी superfood bucket का हिस्सा हैं। भारत में हमने इसे श्रीअन्न की पहचान दी है। सदियों से अधिकांश civilizations में millets, यानी श्रीअन्न को बहुत प्राथमिकता दी जाती थी। लेकिन, ये बीते कुछ दशकों में भारत समेत अनेक देशों से millets, food habit से बाहर होते चले गए। इसका बहुत बड़ा नुकसान gloabl health को भी हुआ, sustainable farming को भी हुआ, और sustainable economy को भी हुआ।

भारत की पहल पर आज दुनिया में एक बार फिर millets को लेकर जागरूकता अभियान शुरू हुआ है। मुझे विश्वास है, जैसे इंटरनेशनल योग दिवस ने योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया, वैसे ही अब millets भी दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचेंगे। अभी जब भारत ने G20 Summit में दुनिया के बड़े-बड़े leaders को host किया, और इसी स्‍थान पर हुआ था, तो उन्हें भी millets से बनी dishes खूब पसंद आईं।

आज भारत में कई बड़ी-बड़ी कंपनियां millets से बने processed food items, मार्केट में launch कर रही हैं। इस दिशा में कैसे ज्यादा से ज्यादा अवसर बनें, कैसे श्रीअन्न की food market में हिस्सेदारी बढ़े, आप सब इस पर चर्चा करें, इसका एक collective roadmap तैयार करें, जिसका लाभ industry और किसान, दोनों को हो।

Friends,

इस conference में आपके सामने कई futuristic subjects के लिए चर्चा होने वाली है। Industryऔर बड़े वैश्विक हित, दोनों विषयों पर आप चर्चा करें, उस दिशा में कदम उठाएँ। जैसे कि, G20 Group ने Delhi Declaration में sustainable agriculture, food security और nutrition security पर ज़ोर दिया है। इस विषय में food processing से जुड़े सभी partners की बहुत बड़ी भूमिका है। हमें इसके लिए खुद को तैयार करना होगा।

हम देश में 10 करोड़ से ज्यादा बच्चों को, girls और pregnant women को पोषक आहार उपलब्ध कराते हैं। अब समय है कि हम खाद्य वितरण कार्यक्रम को diversified food basket की दिशा में ले जाएं। इसी तरह, हमें post-harvest losses को और कम करना होगा। Packaging में और बेहतर technology लाने के लिए काम करना होगा। Sustainable lifestyle के लिए food wastage को भी रोकना एक बड़ी चुनौती है। हमारे products ऐसे होने चाहिए, जिनसे wastage रुके।

Technology भी इसमें एक अहम रोल अदा कर सकती है। हमें perishable products की processing ज्यादा से ज्यादा बढ़ानी होगी। इससे wastage भी कम होगा, किसानों को भी फायदा होगा, और price fluctuation को रोकने में भी मदद मिलेगी। हमें किसानों के हितों और consumers satisfaction के बीच भी संतुलन बनाना होगा। मुझे विश्वास है, इस आयोजन में ऐसे सभी विषयों पर विस्तार से विमर्श होगा। यहां जो निष्कर्ष निकलेंगे उनसे विश्व के लिए एक sustainable और food secured भविष्य की नींव पड़ेगी।

आप सभी को एक बार फिर मेरी अनेक-अनेक शुभकामनाएं हैं। और मैं जो लोग दिल्‍ली हैं,‍ दिल्‍ली के आसपास हैं यो जो विषयों में रुचि रखते हैं चाहे agriculture universities के students हों, startup की दुनिया के लोग हों, किसान संगठन चलाने वाले लोग हों; मैं उनसे आग्रह करूंगा कभी....तीन दिन ये festival यहां चलने वाला है; आप जरूर आइए....दो-चार घंटे लगाइए...देखिए दुनिया कितनी तेजी से बदल रही है। हमारे खेत की हर चीज का कितने प्रकार से उपयोग हम कर सकते हैं। हम कैसे value addition करके हमारी income बढ़ा सकते हैं। बहुत सारी चीजें आज यहां मौजूद हैं।

मेरे पास जितना समय था लेकिन उसमें जितना भी मुझे देखने का अवसर मिला, वो वाकई प्रभावित करने वाला है। और इसलिए मैं यहां हैं जो उनको तो आग्रह करूंगा एक-एक stall पर जा करके उन चीजों के देखें उसको आगे बढ़ाने में, उसमें भी value addition का काम आप कर सकते हैं। लेकिन मैं देश के लोगों को भी कहूंगा कि जिसके पास भी दिल्‍ली पहुंचने की अभी संभावना हो वो तीन दिन का फायदा उठाए और इतने बड़े भव्य आयोजन का लाभ वे भी लें। इसी अपेक्षा के साथ आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं।

बहुत बहुत धन्यवाद!

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कैबिनेट ने दिल्ली मेट्रो के फेज V (A) प्रोजेक्ट के अंतर्गत तीन नए कॉरिडोर्स को स्वीकृति दी
December 24, 2025

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली मेट्रो के फेज-V (ए) परियोजना के हिस्से के रूप में तीन नए कॉरिडोर को मंजूरी दी है: 1. आर.के. आश्रम मार्ग से इंद्रप्रस्थ (9.913 किमी), 2. एरोसिटी से आई.जी.डी. एयरपोर्ट टी-1 (2.263 किमी) और 3. तुगलकाबाद से कालिंदी कुंज (3.9 किमी)। यह 16.076 किलोमीटर लंबी परियोजना राष्ट्रीय राजधानी के भीतर कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाएगी। दिल्ली मेट्रो के फेज-V (ए) की कुल लागत 12014.91 करोड़ रुपये है, जिसे भारत सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषण एजेंसियों द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा।

सेंट्रल विस्टा कॉरिडोर सभी कर्तव्य भवनों को कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, जिससे इस क्षेत्र के कार्यालय जाने वालों और आगंतुकों को सीधे ऑफिस तक पहुंचने में आसानी होगी। इस कनेक्टिविटी से दैनिक आधार पर लगभग 60,000 कार्यालय जाने वाले कर्मचारियों और 2 लाख आगंतुकों को लाभ होगा। ये कॉरिडोर प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को और कम करेंगे, जिससे जीवन जीने की सुगमता में वृद्धि होगी।

विवरण:

आर.के. आश्रम मार्ग – इंद्रप्रस्थ सेक्शन, बॉटनिकल गार्डन - आर.के. आश्रम मार्ग कॉरिडोर का विस्तार होगा। यह सेंट्रल विस्टा क्षेत्र को मेट्रो कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, जिसका वर्तमान में पुनर्विकास किया जा रहा है। एयरोसिटी – आईजीडी एयरपोर्ट टर्मिनल 1 और तुगलकाबाद – कालिंदी कुंज सेक्शन, एरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर का विस्तार होंगे। यह विस्तार हवाई अड्डे की कनेक्टिविटी को राष्ट्रीय राजधानी के दक्षिणी हिस्सों जैसे तुगलकाबाद, साकेत, कालिंदी कुंज आदि क्षेत्रों के साथ मजबूत करेगा। इन विस्तारों में कुल 13 स्टेशन शामिल होंगे, जिनमें से 10 स्टेशन भूमिगत और 03 स्टेशन एलिवेटेड होंगे।

पूरा होने के बाद, कॉरिडोर-1 यानी आर.के. आश्रम मार्ग से इंद्रप्रस्थ (9.913 किमी) पश्चिमी, उत्तरी और पुरानी दिल्ली की सेंट्रल दिल्ली के साथ कनेक्टिविटी में सुधार करेगा। वहीं अन्य दो कॉरिडोर— एयरोसिटी से आईजीडी एयरपोर्ट टी-1 (2.263 किमी) और तुगलकाबाद से कालिंदी कुंज (3.9 किमी)— दक्षिण दिल्ली को साकेत, छतरपुर आदि के माध्यम से घरेलू हवाई अड्डे टर्मिनल-1 से जोड़ेंगे, जिससे राष्ट्रीय राजधानी के भीतर कनेक्टिविटी में जबरदस्त वृद्धि होगी।

फेज-V (ए) परियोजना के ये मेट्रो विस्तार मध्य दिल्ली और घरेलू हवाई अड्डे तक दिल्ली मेट्रो नेटवर्क की पहुंच बढ़ाएंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूती मिलेगी। मजेंटा लाइन और गोल्डन लाइन के ये विस्तार सड़कों पर भीड़भाड़ को कम करेंगे। इस प्रकार, मोटर वाहनों के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।

आरके आश्रम मार्ग - इंद्रप्रस्थ सेक्शन पर जो स्टेशन बनेंगे, वे हैं: आर.के. आश्रम मार्ग, शिवाजी स्टेडियम, सेंट्रल सेक्रेटेरिएट, कर्तव्य भवन, इंडिया गेट, वॉर मेमोरियल - हाई कोर्ट, बड़ौदा हाउस, भारत मंडपम, और इंद्रप्रस्थ।

तुगलकाबाद – कालिंदी कुंज सेक्शन के स्टेशन सरिता विहार डिपो, मदनपुर खादर और कालिंदी कुंज होंगे, जबकि एयरोसिटी स्टेशन को आगे आईजीडी टी-1 स्टेशन से जोड़ा जाएगा।

फेज-IV का निर्माण कार्य, जिसमें 111 किमी लंबाई और 83 स्टेशन शामिल हैं, वर्तमान में प्रगति पर है। आज की स्थिति के अनुसार, फेज-IV के (3 प्राथमिकता वाले) कॉरिडोर का लगभग 80.43 प्रतिशत सिविल निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। फेज-IV के इन तीनों प्राथमिकता वाले कॉरिडोर के दिसंबर 2026 तक चरणों में पूरा होने की संभावना है।

आज, दिल्ली मेट्रो प्रतिदिन औसतन 65 लाख यात्रियों को सर्विस देती है। अब तक की सर्वाधिक यात्रा का रिकॉर्ड 8 अगस्त 2025 को 81.87 लाख दर्ज किया गया है। दिल्ली मेट्रो समयपालन, विश्वसनीयता और सुरक्षा जैसे एमआरटीएस के मुख्य मानकों में उत्कृष्टता का प्रतीक बनकर शहर की जीवनरेखा बन गई है।

वर्तमान में दिल्ली और एनसीआर में डीएमआरसी द्वारा लगभग 395 किमी लंबाई वाली कुल 12 मेट्रो लाइनों का संचालन किया जा रहा है, जिनमें 289 स्टेशन शामिल हैं। आज, दिल्ली मेट्रो भारत का सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क है और दुनिया के सबसे बड़े मेट्रो नेटवर्कों में से भी एक है।