कर्नाटक फिर से बीजेपी की सरकार बनाने के लिए तैयार है: हुमनाबाद की जनसभा में पीएम मोदी
कांग्रेस ने केवल जाति धर्म और समुदाय के नाम पर बांटा है कांग्रेस ने केवल शासन के नाम पर तुष्टिकरण किया है: पीएम मोदी
कांग्रेस ने एक बार फिर मुझे गाली देना शुरू कर दिया है; अब तक मुझे 91 बार तरह-तरह की गालियां दे चुके हैं : हुमनाबाद में पीएम मोदी

भारत माता की..
जगद्गुरु बसवेश्वरा मत्तू शिव-शरणरा भूमिगे नन्ना नमस्कारगळू
मंच पर विराजमान कर्नाटक के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान बोम्मई जी, हमारे सांसदगण, भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्ठ नेतागण, इस चुनाव में आप सबने जिनको विधायक बनाने का निर्णय कर लिया है ऐसे मेरे सभी उम्मीदवार और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों, बहनों और साथियो..
ये मेरा सौभाग्य है कि इस विधानसभा चुनाव में मेरी इस यात्रा की शुरुआत बीदर से हो रही है। भगवान बसवेश्वरा के आशीर्वाद और आप सभी के स्नेह ने मुझे हमेशा आपके लिए काम करने की ताकत दी है। ‘कर्नाटकदा किरीटा’ बीदर का आशीर्वाद मुझे तब भी मिला था, जब मैं प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना था। मैं बीदर-कलबुर्गी रेलवे लाइन के लोकार्पण के लिए भी आपके बीच आया था। समय के साथ बीदर के लोगों का अपनापन लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आज, इतनी बड़ी संख्या में यहां आकर आपने पूरे देश को संदेश दे दिया है-ई बारिया निर्धारा, बहुमतदा बीजेपी सरकारा! कर्नाटक का ये चुनाव केवल 5 वर्ष के लिए सरकार बनाने मात्र का चुनाव नहीं है। ये कर्नाटक को देश का नंबर वन राज्य बनाने का चुनाव है। ये विकसित भारत के लिए, कर्नाटक की बड़ी भूमिका तय करने वाला चुनाव है। और भारत विकसित तभी होगा, जब कर्नाटक का कोना-कोना विकसित होगा। विकसित कर्नाटक यानि कर्नाटका के हर अंचल का संतुलित विकास। विकसित कर्नाटक यानि राज्य में विकास के ढेर सारे ग्रोथ सेंटर्स। कर्नाटक की जनता अब अपने इस सपने से पीछे नहीं हटना चाहती। मैं जानता हूं, आप सब एक ऐसा कर्नाटक चाहते हैं जहां हाईवे और एक्सप्रेसवे का विस्तार होता रहे। आप एक ऐसा कर्नाटक चाहते हैं, जहां मेट्रो की सुविधा और ज्यादा जिलों तक हो। आप एक ऐसा कर्नाटक चाहते हैं जहां अधिक संख्या में वंदेभारत जैसी आधुनिक ट्रेनें चलें। आप एक ऐसा कर्नाटक चाहते हैं, जहां हर खेत में सिंचाई की आधुनिक सुविधाएं हों। पिछले 5 वर्षों में सामान्य मानवी ने कर्नाटक में विकास की जो रफ्तार देखी है, उसके बाद वो रुकना नहीं चाहते। और आपके इस सपने को पूरा करने का बीड़ा बीजेपी ने उठाया है।

साथियों,
कर्नाटक को देश का नंबर वन राज्य बनाने के लिए यहां डबल इंजन सरकार का बने रहना जरूरी है। जब केंद्र की बीजेपी सरकार और राज्य की बीजेपी सरकार की डबल शक्ति लगेगी, तो कर्नाटक को नंबर वन बनने से कोई नहीं रोक पाएगा। डबल इंजन सरकार से जो फायदा होता है, उसका एक उदाहरण कर्नाटक में आया विदेशी निवेश है। भाजपा सरकार की वजह से देश में विदेशी निवेश में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह से कर्नाटक में भी रिकॉर्ड विदेशी निवेश आया है। कांग्रेस की सरकार में हर साल 30 हजार करोड़ रुपए के आसपास विदेशी निवेश कर्नाटक में आता था। बीजेपी की सरकार में अब हर साल करीब 90 हजार करोड़ रुपए का विदेशी निवेश कर्नाटक में आ रहा है। ये कांग्रेस सरकार के मुकाबले तीन गुना से भी ज्यादा है। और आपको ध्यान रखना है कि ये उपलब्धि किस समय हुई, इतना बड़ा महामारी का संकट था, युद्ध चल रहे थे, इसके बावजूद भी ये हासिल किया है।

साथियों,
डबल इंजन सरकार का मतलब होता है- डबल बेनिफिट, डबल स्पीड। जब कर्नाटक में डबल इंजन सरकार नहीं थी, तो छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में सालों लग जाते थे। पानी की कमी क्या होती है, ये कर्नाटका के किसानों, यहां की माताओं-बहनों से बेहतर कोई नहीं जान सकत? कांग्रेस सरकार के समय देशभर में 100 से ज्यादा ऐसी सिंचाई परियोजनाएं थीं, जो दशकों से लटकी हुई थीं। बीते 9 वर्षों में दशकों से अधूरी 60 से ज्यादा सिंचाई परियोजनाओ को हम पूरा कर चुके हैं। इनमें से अनेक प्रोजेक्ट कर्नाटक के भी हैं। यहां बीदर में भी मेहकर लिफ्ट इरीगेशन परियोजना जैसे अनेक सिंचाई के प्रोजेक्ट्स पर आज तेज गति से काम चल रहा है। आज आप सभी देखते हैं कि पीएम किसान सम्मान निधि ने किसानों का कितना लाभ किया है। अब छोटे-छोटे खर्चों के लिए किसानों को यहां-वहां भटकना नहीं पड़ता। लेकिन मैं आज आपको एक और बात बताना चाहता हूं। जब हमने ये योजना शुरू की थी, तो यहां कांग्रेस और जेडीएस की ही सरकार थी। लेकिन ये लोग लाभार्थी किसानों की सूची केंद्र सरकार को भेजने में ही रुकावटें पैदा करते थे। लिस्ट नहीं भेजते थे, बताओ, आप सोच सकते हैं, कांग्रेस-जेडीएस को किसानों से कितनी नफरत है। राज्य सरकार को एक नया पैसा नहीं देना था, पैसा हम दिल्ली से भेज रहे थे, उनको तकलीफ ये थी कि बीच में कोई कटकी नहीं हो रही है, माल खाने को मिल नहीं रहा है, ये सीधा उनके बैंक खाते में जा रहा है। इसलिए लिस्ट ही नहीं देते थे।



साथियों,
जब कर्नाटक में भाजपा की सरकार यहां आई, तो उसने यहां के लाखों किसानों के नाम, केंद्र की हमारी सरकार को भेजे। आज उसी वजह से यहां के लाखों किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि के पैसे मिल रहे हैं। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार ने अगर हर किसान के लिए 6 हजार रुपए भेजे, तो यहां की भाजपा सरकार ने उसमें 4 हजार रुपए और जोड़ दिए। यानि किसानों को और ज्यादा मदद। मुझे खुशी है कि पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ कर्नाटक के लगभग 60 लाख किसानों को मिला है। उन्हें केंद्र और राज्य सरकार से मिलाकर 18 हजार करोड़ रुपए मिले हैं। जिसमें से लगभग 400 करोड़ रुपए तो यहां बीदर के किसानों को दिए गए हैं। आप जरा याद कीजिए, कि कैसे कांग्रेस की सरकार भोले-भाले किसानों को हर चुनाव के पहले कर्जमाफी के नाम पर धोखा देती थी। चुनाव से ठीक पहले वो कर्जमाफी का ड्रामा करने लग जाते थे। और कर्जमाफी कभी धरती पर उतरती ही नहीं थी। इन्होंने छत्तीसगढ़ में वादा किया राजस्थान में वादा किया अभी तक किसानों के खातों में कुछ गया नहीं है। और जो जाता भी उन्हीं की पार्टी से जुड़े कुछ ही किसानों को जाता था। ऐसे किसान जिनका बैंक में खाता हो, जिन्होंने बैंक से लोन लिया हो, उन्हीं के नसीब में ये कुछ दान-पानी डाल देते हैं। जबकि सच्चाई ये थी कि जिन करोड़ों छोटे किसानों को सबसे ज्यादा मदद की जरूरत थी, उनका तो न कभी बैंक में कोई खाता था, न बैंक ने कभी उनको एक रुपये का लोन दिया था। वो तो बेचारे बाहर से बाजर से, साहुकार के पास से महंगे ब्याज से कर्ज उठाते थे, और कर्जमाफी का फायदा तो उन्हें कभी नसीब मिला ही नहीं। कांग्रेस का यही असली चेहरा है।

साथियों,
इस क्षेत्र में गन्ना भी बहुत होता है। कांग्रेस ने गन्ना किसानों को भी अपने हाल पर छोड़ दिया था। हम गन्ना किसानों की समस्याओं को भी प्राथमिकता पर दूर कर रहे हैं। गन्ना किसानों की मदद के लिए ही हमने पेट्रोल में इथेनॉल की ब्लेंडिंग बढ़ाने का फैसला लिया। आज देश पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहा है। कांग्रेस सरकार के समय देश में सिर्फ 40 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन होता था। अब हमारी सरकार में इथेनॉल का उत्पादन बढ़कर 400 करोड़ लीटर से भी ज्यादा का हो गया है। इथेनॉल का उत्पादन बढ़ने से, पेट्रोल में उसकी ब्लेंडिंग बढ़ने से सबसे ज्यादा लाभ गन्ना किसानों को ही हुआ है। इस बजट में हमारी सरकार ने गन्ना किसानों के हित में एक और बड़ा फैसला लिया है। हमने गन्ना कॉपरेटिव्स को, यूपीए सरकार ने जो चूना लगाया था, 10 हजार करोड़ का चूना. हमने इस बजट के अंदर उस दस हजार का, जो उन पर चूना लगाया था, वो भी माफ कर दिया और हमने राहत भी दे दी। इसका भी लाभ देश के गन्ना किसानों को मिलेगा। हमारी सरकार ने मिलेट्स- श्रीअन्न को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने का भी अभियान चलाया है। हमारे यहां तो ज्वार की रोटी, आप लोगों को बहुत पसंद है, घर-घर में खाई जाती है। ये ज्वार और उसकी रोटी, जब दुनिया के कोने-कोने में पहुंचेगी, तो उसका भी लाभ यहां के किसानों को होगा।

साथियों,
गरीब की तकलीफ कांग्रेस को कभी समझ नहीं आई। उन्होंने गरीबी देखी नहीं और कांग्रेस वो दल है जो विकास में भी राजनीति करती है। रोड़े अटकाती है, नकारात्मकता में भरी-पड़ी है। इसका एक उदाहरण गरीबों को पक्के घर देने की योजना भी है। ये योजना तो 2019 से भी पहले से चल रही थी। लेकिन जब तक कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार रही, उसने गरीबों के घर बनाने की स्पीड धीमी कर दी। गरीबों के साथ कांग्रेस के इस अत्याचार को भी बीजेपी सरकार ने ही रोका। डबल इंजन की सरकार बनने के बाद हमने यहां घर बनाने की स्पीड को और तेज किया। देखते ही देखते 9 लाख के आसपास पक्के घर मिलना गरीबों को तय हुआ। इस योजना के तहत करीब 30 हजार घर यहीं बीदर में ही बन रहे हैं। 30 हजार घर आप कल्पना कर सकते हैं। इनमें से हर घर कई-कई लाख रुपए का है और वो भी हम घर महिलाओं के नाम पर करते है। यानि भाजपा सरकार ने यहां बीदर में ही 30 हजार बहनों को, जिनके घर की कीमत लाखों में है, 30 हजार बहनों को लखपति दीदी बना दिया है। हमारे देश में गांवों के घरों में नल से पानी ना आने की वजह से भी माताओं-बहनों-बेटियों ने दशकों तक बहुत कष्ट उठाया है। भाजपा की सरकार ने उन्हें इस तकलीफ से मुक्ति दिलाने के लिए ही हर घर जल योजना शुरू की। आज देशभर में 9 करोड़ नए परिवारों को पाइप कनेक्शन से जोड़ा जा चुका है। यहां कर्नाटका के भी 40 लाख से ज्यादा परिवारों को अब नल से जल मिलने लगा है।

साथियों,
शौचालय के अभाव में, गैस कनेक्शन के अभाव में, अच्छे इलाज के अभाव में सबसे अधिक परेशान हमारी माताएं-बहनें होती हैं। गरीब परिवारों की इन बहनों की सुध कांग्रेस ने इतने दशकों तक नहीं ली। लेकिन आपका ये बेटा दिल्ली में बैठा है। करोड़ों माताओं-बहनों के बैंक अकाउंट बीजेपी ने खुलवाए। उसमें सरकारी मदद डायरेक्ट पहुंचे, ये व्यवस्था बीजेपी ने की। बहनों को बिना गारंटी मुद्रा लोन मिले, ये व्यवस्था बीजेपी सरकार ने की। गरीब मां को अपने परिवार के लिए राशन की चिंता ना करनी पड़े, इसके लिए मुफ्त राशन का प्रबंध हमारी सरकार ने किया। दूसरे शहरों में भी फ्री राशन मिल सके, इसके लिए वन नेशन, वन राशन कार्ड भी, बीजेपी सरकार ने दिया। हमारे बंजारा साथी, उनकी भी सुध कांग्रेस ने कभी नहीं ली। ये बीजेपी सरकार है, जिसने उन्हें प्रॉपर्टी का अधिकार दिया। उन्हें विकास के अवसरों से जोड़ा। यही सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का सुशासन है। और साथियों, बीजेपी के इन सेवा कार्यों के बीच कांग्रेस ने क्या किया? कांग्रेस ने सिर्फ समाज को बांटा। जाति-मत-पंथ के नाम पर बंटबारा किया। कांग्रेस ने शासन के नाम पर सिर्फ तुष्टिकरण को बढ़ावा दिया। कांग्रेस की बेरुखी का सबसे बड़ा प्रमाण, हमारी बीदरी आर्ट है। कुछ दिन पहले बिदरी आर्ट की दशकों तक सेवा करने वाले साथी शाह रशीद अहमद कादरी को पद्म पुरस्कार मिला। कांग्रेस की सरकार ने उन्हें सिर्फ हताशा दी थी, निराशा दी थी। भाइयों और बहनों, बीदर, एक भारत श्रेष्ठ भारत की भी तीर्थस्थली है। गोराटा यहां से ज्यादा दूर नहीं है। गोराटा में किसानों के बलिदान को कांग्रेस ने भुला दिया था। सिर्फ इस डर से कि कहीं कांग्रेस का वोट बैंक नाराज़ ना हो जाए। वहां जो शहीदों का स्मारक पत्थर था, वहां धूल सफाई का काम इसे भी बीजेपी ने ही किया। अब तो दर्जनों बलिदानियों को समर्पित शहीद स्मारक वहां बन गया है और तिरंगा शान से लहरा रहा है।

साथियों,
अस्थिर सरकार, जोड़तोड़ से बनी सरकार के दुष्परिणाम कर्नाटक ने बहुत भुगते हैं। एक अस्थिर सरकार का फोकस लोगों की सेवा पर नहीं होता है। आपको याद होगा कि कांग्रेस-जेडीएस सरकार के मुखिया ने माना था कि वो कांग्रेस की दया पर चल रहे हैं। जेडीएस की जवाबदेही कांग्रेस के प्रति है, कर्नाटक के लोगों के प्रति नहीं है। ये जो उनका सत्ता प्रेम है, ये जो उनका कुर्सी गंवाने का डर है, ये उन्हें आपके लिए कुछ करने नहीं देगा। कांग्रेस हर उस व्यक्ति से नफरत करती है जो सामान्य मानवी की बात करता है। जो उनके भ्रष्टाचार को सामने लाता है, जो उनकी स्वार्थ भरी राजनीति पर प्रहार करता है, कांग्रेस की नफरत उससे परमानेंट हो जाती है। अभी इस चुनाव में भी कांग्रेस ने फिर से मुझे गालियां देने का काम शुरू कर दिया है। मैंने देखा किसी ने उन गालियों की लिस्ट बनाई है, और वो गालियों की लिस्ट मुझे दी है। अब तक मुझे ये कांग्रेस के लोगों ने 91 टाइम अलग गालियां दी है। अगर कांग्रेस गालियों की डिक्शनरी में टाइम खराब करने की बजाय अगर इतनी मेहनत कांग्रेस ने good governance के लिए की होती कांग्रेसियों का उत्साह बढ़ाने में किया होता तो आज उसकी ऐसी दुर्दशा न हुई होती, ऐसी दयनीय स्थिति नहीं आती। लेकिन साथियों, जो भी गरीब के लिए काम करता है, जो देश के लिए काम करता है, उसे अपमानित करना ये कांग्रेस का इतिहास है। मैं अकेला नहीं हूं जिस पर इस तरीके से हमले किए गए। आपको मालूम है पिछले चुनाव में चौकीदार चोर चलाया, फिर आगे बढ़ गए मोदी चोर चलाया, फिरा सारा ओबीसी समाज चोर है वो चलाया, और अभी तो चुनाव की शुरुआत हुई कर्नाटक में और मेरे लिंगायत भाइओं-बहनों को भी चोर कहने की हिम्मत कर दी। कांग्रेस के लोग कान खोलकर सुन लें आप ने जब-जब जिसको गाली दी है, उन्होंने आपको ऐसी सजा दी है कि आप दोबारा खड़े नहीं हो पाए हैं। इस बार कर्नाटक में भी इस गाली का जवाब, इनके सम्मान पर जो चोट पहुंची है उसका जवाब वोट से दिया जाएगा। भाइयो-बहनों जब ये लोग मुझे गाली देते हैं, अब इतनी गालियां हो गई-91 और उनके टॉप मोस्ट नेता देते रहे हैं कोई छोटे-मोटे कार्यकर्ता नहीं। तब मैं सोचता हूं कि ये कांग्रेस ऐसी पार्टी है, उसने तो संविधान निर्माता बाबासाहेब आंबेडकर को भी ऐसी-ऐसी गालियां दी थी, बाबासाहेब को छोड़ा नहीं था। एक बार बाबासाहेब ने सार्वजनिक तौर पर विस्तार से बताया था कि कांग्रेस उन्हें बार-बार गालियां देती है। कांग्रेस ने बाबासाहेब को क्या-क्या नहीं कहा। कांग्रेस ने बाबा साहेब को राक्षस, राष्ट्रद्रोही, दगाबाज दोस्त, आप सुनकर के हैरान हो जाएंगे, उस जमाने में बाबासाहेब जैसे महापुरुष को कांग्रेस ने ऐसी-ऐसी गालियां दी थी। ऐसे कितने ही अपमानजनक शब्दों से आए दिन बाबासाहेब को अपमानित करती रही। आज भी हम लोग देखते हैं कि कांग्रेस कैसे वीर सावरकर जी को गालियां देती रहती है। कांग्रेस ने देश के जिन महान सपूतों को गालियां दी हैं, बडे-से बड़े महापुरुष उनकी गालियों के शिकार हुए हैं। और जब मैं ये सब देखता हूं तो मुझे लगता है चलिए कांग्रेस भी मुझे इतना उन लोगों की तरह सम्मान देती है। जो उन्होंने बाबासाहेब आंबेडकर को दिया, जो उन्होंने वीर सावरकर को दिया, ऐसी ही गालियां मोदी को दे रहे हैं। बाबासाहेब और वीर सावरकर की तरह अगर वो मोदी को गाली देते हैं तो मैं उसे उपहार मानता हूं। और कांग्रेस गाली देने में समय बर्बाद करती रहेगी और मैं जनता जनार्दन की सेवा में अपने आपको खपाता रहूंगा। दिन-रात काम करूंगा ज्यादा काम करूंगा और आपके आशीर्वाद से सारी गालियां मिट्टी में मिल जाएगी दोस्तों सारी गालियां मिट्टी में मिल जाएगी। और कांग्रेस वाले लिखकर के रखें, आप जितना कीचड़ उछालोगे कमल उतना ही ज्यादा खिलने वाला है। भाइयों-बहनों आपके आशीर्वाद से मुझे कर्नाटक की सेवा करने से रुकना नहीं है, और ज्यादा सेवा करनी है, पूरी दिल्ली को आपकी सेवा के लिए लगाना है। इस बार फिर एक बार कर्नाटक को तेज विकास के लिए पूर्ण बहुमत की, ये मेरे शब्द हैं याद रखिए, पूर्ण बहुमत की स्थाई और मजबूत बीजेपी सरकार चाहिए। और इसलिए एक ही बात मैं बार-बार कहता हूं - ई बारिया निर्धारा, बहुमतदा बीजेपी सरकारा’! कर्नाटक को डबल इंजन सरकार चाहिए, ताकि केंद्र और राज्य सरकार के बीच तालमेल रहे, हर जगह रुकावटें ना आएं। कर्नाटक को डबल इंजन सरकार चाहिए, ताकि इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट तेज़ी से पूरे हों। कर्नाटक को डबल इंजन सरकार चाहिए, ताकि विदेशी निवेशकों का भरोसा मजबूत हो। कर्नाटक को डबल इंजन सरकार चाहिए, ताकि कर्नाटक कांग्रेस का ATM नहीं, बल्कि देश का ग्रोथ इंजन बना रहे। कर्नाटक को डबल इंजन सरकार चाहिए, ताकि केंद्र की गरीब कल्याण की योजनाएं बंद ना हों।

भाइयों और बहनों,
मुझे पूरा विश्वास है कि 10 मई को भारी संख्या में आप पोलिंग बूथ तक पहुंचेंगे और कमल के फूल पर बटन दबाएंगे। इस बार का वोट- विकास के अमृतकाल के लिए। इस बार का वोट- कर्नाटक को देश का नंबर वन राज्य बनाने के लिए।आप सभी का बहुत आशीर्वाद हम सबको मिलता रहे। कर्नाटक में भाजपा के उम्मीदवारों को आपका आशीर्वाद, उन्हें आपकी सेवा में और ज्यादा परिश्रम के लिए प्रेरित करेगा। इतनी शानदार सभा कर दी, अब ऐसा तो नहीं होगा कि अब तो काम हो गया है, चलो जाओ सो जाओ, अब तो जीत जाएंगे, आप ऐसा नहीं करेंगे ना.. जरा जवाब दीजिए नहीं करोगे ना.. बूथ में जाओगे..हर घऱ जाओगे.. मतदाताओं को मतदान के लिए निकालोगे..भाजपा की बात बताओगे.. पक्का करोगे... अच्छा मेरा एक काम करोगे आपलगो.. करोगे तो बताइए.. पक्का करोगे.. ईमानदारी से करोगे.. हर घर जाकर के करोगे.. तो एक काम करिए 10 मई के पहले सभी मतदाताओं के घर जाइए.. और जाकर के उनको कहिएगा कि आपके सेवक मोदी जी बीदर जिले में आए थे और आपके सेवक मोदी जी ने आपको नमस्कार कहा है। ये मेरे नमस्कार उनको पहुंचाओगे, हर माता और बहनों को पहंचाओगे। मेरे नमस्कार अगर आप पहुंचाओगे न तो मुझे उनके आशीर्वाद मिल जाएंगे, और उनके आशीर्वाद से मेरी ऊर्जा इतनी बढ़ जाती है कि दिन-रात मैं और ज्यादा काम कर सकता हूं और इसलिए मेरे लिए आपको ये काम करना है। हर घर जाकर के कहना है कि आपका सेवक मोदी आया था, मोदी ने आपको नमस्कार कहा है।
बहुत-बहुत धन्यवाद।

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November 17, 2025
India is eager to become developed, India is eager to become self-reliant: PM
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We are continuously working on the mission of saturation; Not a single beneficiary should be left out from the benefits of any scheme: PM
In our new National Education Policy, we have given special emphasis to education in local languages: PM

विवेक गोयनका जी, भाई अनंत, जॉर्ज वर्गीज़ जी, राजकमल झा, इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के सभी अन्य साथी, Excellencies, यहां उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

आज हम सब एक ऐसी विभूति के सम्मान में यहां आए हैं, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र में, पत्रकारिता, अभिव्यक्ति और जन आंदोलन की शक्ति को नई ऊंचाई दी है। रामनाथ जी ने एक Visionary के रूप में, एक Institution Builder के रूप में, एक Nationalist के रूप में और एक Media Leader के रूप में, Indian Express Group को, सिर्फ एक अखबार नहीं, बल्कि एक Mission के रूप में, भारत के लोगों के बीच स्थापित किया। उनके नेतृत्व में ये समूह, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय हितों की आवाज़ बना। इसलिए 21वीं सदी के इस कालखंड में जब भारत विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो रामनाथ जी की प्रतिबद्धता, उनके प्रयास, उनका विजन, हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा है। मैं इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप का आभार व्यक्त करता हूं कि आपने मुझे इस व्याख्यान में आमंत्रित किया, मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

रामनाथ जी गीता के एक श्लोक से बहुत प्रेरणा लेते थे, सुख दुःखे समे कृत्वा, लाभा-लाभौ जया-जयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व, नैवं पापं अवाप्स्यसि।। अर्थात सुख-दुख, लाभ-हानि और जय-पराजय को समान भाव से देखकर कर्तव्य-पालन के लिए युद्ध करो, ऐसा करने से तुम पाप के भागी नहीं बनोगे। रामनाथ जी आजादी के आंदोलन के समय कांग्रेस के समर्थक रहे, बाद में जनता पार्टी के भी समर्थक रहे, फिर जनसंघ के टिकट पर चुनाव भी लड़ा, विचारधारा कोई भी हो, उन्होंने देशहित को प्राथमिकता दी। जिन लोगों ने रामनाथ जी के साथ वर्षों तक काम किया है, वो कितने ही किस्से बताते हैं जो रामनाथ जी ने उन्हें बताए थे। आजादी के बाद जब हैदराबाद और रजाकारों को उसके अत्याचार का विषय आया, तो कैसे रामनाथ जी ने सरदार वल्‍लभभाई पटेल की मदद की, सत्तर के दशक में जब बिहार में छात्र आंदोलन को नेतृत्व की जरूरत थी, तो कैसे नानाजी देशमुख के साथ मिलकर रामनाथ जी ने जेपी को उस आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए तैयार किया। इमरजेंसी के दौरान, जब रामनाथ जी को इंदिऱा गांधी के सबसे करीबी मंत्री ने बुलाकर धमकी दी कि मैं तुम्हें जेल में डाल दूंगा, तो इस धमकी के जवाब में रामनाथ जी ने पलटकर जो कहा था, ये सब इतिहास के छिपे हुए दस्तावेज हैं। कुछ बातें सार्वजनिक हुई, कुछ नहीं हुई हैं, लेकिन ये बातें बताती हैं कि रामनाथ जी ने हमेशा सत्य का साथ दिया, हमेशा कर्तव्य को सर्वोपरि रखा, भले ही सामने कितनी ही बड़ी ताकत क्‍यों न हो।

साथियों,

रामनाथ जी के बारे में कहा जाता था कि वे बहुत अधीर थे। अधीरता, Negative Sense में नहीं, Positive Sense में। वो अधीरता जो परिवर्तन के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कराती है, वो अधीरता जो ठहरे हुए पानी में भी हलचल पैदा कर देती है। ठीक वैसे ही, आज का भारत भी अधीर है। भारत विकसित होने के लिए अधीर है, भारत आत्मनिर्भर होने के लिए अधीर है, हम सब देख रहे हैं, इक्कीसवीं सदी के पच्चीस साल कितनी तेजी से बीते हैं। एक से बढ़कर एक चुनौतियां आईं, लेकिन वो भारत की रफ्तार को रोक नहीं पाईं।

साथियों,

आपने देखा है कि बीते चार-पांच साल कैसे पूरी दुनिया के लिए चुनौतियों से भरे रहे हैं। 2020 में कोरोना महामारी का संकट आया, पूरे विश्व की अर्थव्यवस्थाएं अनिश्चितताओं से घिर गईं। ग्लोबल सप्लाई चेन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा और सारा विश्व एक निराशा की ओर जाने लगा। कुछ समय बाद स्थितियां संभलना धीरे-धीरे शुरू हो रहा था, तो ऐसे में हमारे पड़ोसी देशों में उथल-पुथल शुरू हो गईं। इन सारे संकटों के बीच, हमारी इकॉनमी ने हाई ग्रोथ रेट हासिल करके दिखाया। साल 2022 में यूरोपियन क्राइसिस के कारण पूरे दुनिया की सप्लाई चेन और एनर्जी मार्केट्स प्रभावित हुआ। इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा, इसके बावजूद भी 2022-23 में हमारी इकोनॉमी की ग्रोथ तेजी से होती रही। साल 2023 में वेस्ट एशिया में स्थितियां बिगड़ीं, तब भी हमारी ग्रोथ रेट तेज रही और इस साल भी जब दुनिया में अस्थिरता है, तब भी हमारी ग्रोथ रेट Seven Percent के आसपास है।

साथियों,

आज जब दुनिया disruption से डर रही है, भारत वाइब्रेंट फ्यूचर के Direction में आगे बढ़ रहा है। आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं कह सकता हूं, भारत सिर्फ़ एक emerging market ही नहीं है, भारत एक emerging model भी है। आज दुनिया Indian Growth Model को Model of Hope मान रहा है।

साथियों,

एक सशक्त लोकतंत्र की अनेक कसौटियां होती हैं और ऐसी ही एक बड़ी कसौटी लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी की होती है। लोकतंत्र को लेकर लोग कितने आश्वस्त हैं, लोग कितने आशावादी हैं, ये चुनाव के दौरान सबसे अधिक दिखता है। अभी 14 नवंबर को जो नतीजे आए, वो आपको याद ही होंगे और रामनाथ जी का भी बिहार से नाता रहा था, तो उल्लेख बड़ा स्वाभाविक है। इन ऐतिहासिक नतीजों के साथ एक और बात बहुत अहम रही है। कोई भी लोकतंत्र में लोगों की बढ़ती भागीदारी को नजरअंदाज नहीं कर सकता। इस बार बिहार के इतिहास का सबसे अधिक वोटर टर्न-आउट रहा है। आप सोचिए, महिलाओं का टर्न-आउट, पुरुषों से करीब 9 परसेंट अधिक रहा। ये भी लोकतंत्र की विजय है।

साथियों,

बिहार के नतीजों ने फिर दिखाया है कि भारत के लोगों की आकांक्षाएं, उनकी Aspirations कितनी ज्यादा हैं। भारत के लोग आज उन राजनीतिक दलों पर विश्वास करते हैं, जो नेक नीयत से लोगों की उन Aspirations को पूरा करते हैं, विकास को प्राथमिकता देते हैं। और आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं देश की हर राज्य सरकार को, हर दल की राज्य सरकार को बहुत विनम्रता से कहूंगा, लेफ्ट-राइट-सेंटर, हर विचार की सरकार को मैं आग्रह से कहूंगा, बिहार के नतीजे हमें ये सबक देते हैं कि आप आज किस तरह की सरकार चला रहे हैं। ये आने वाले वर्षों में आपके राजनीतिक दल का भविष्य तय करेंगे। आरजेडी की सरकार को बिहार के लोगों ने 15 साल का मौका दिया, लालू यादव जी चाहते तो बिहार के विकास के लिए बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन उन्होंने जंगलराज का रास्ता चुना। बिहार के लोग इस विश्वासघात को कभी भूल नहीं सकते। इसलिए आज देश में जो भी सरकारें हैं, चाहे केंद्र में हमारी सरकार है या फिर राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें हैं, हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता सिर्फ एक होनी चाहिए विकास, विकास और सिर्फ विकास। और इसलिए मैं हर राज्य सरकार को कहता हूं, आप अपने यहां बेहतर इंवेस्टमेंट का माहौल बनाने के लिए कंपटीशन करिए, आप Ease of Doing Business के लिए कंपटीशन करिए, डेवलपमेंट पैरामीटर्स में आगे जाने के लिए कंपटीशन करिए, फिर देखिए, जनता कैसे आप पर अपना विश्वास जताती है।

साथियों,

बिहार चुनाव जीतने के बाद कुछ लोगों ने मीडिया के कुछ मोदी प्रेमियों ने फिर से ये कहना शुरू किया है भाजपा, मोदी, हमेशा 24x7 इलेक्शन मोड में ही रहते हैं। मैं समझता हूं, चुनाव जीतने के लिए इलेक्शन मोड नहीं, चौबीसों घंटे इलेक्शन मोड में रहना जरूरी होता है, इमोशनल मोड में रहना जरूरी होता है, इलेक्शन मोड में नहीं। जब मन के भीतर एक बेचैनी सी रहती है कि एक मिनट भी गंवाना नहीं है, गरीब के जीवन से मुश्किलें कम करने के लिए, गरीब को रोजगार के लिए, गरीब को इलाज के लिए, मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, बस मेहनत करते रहना है। इस इमोशन के साथ, इस भावना के साथ सरकार लगातार जुटी रहती है, तो उसके नतीजे हमें चुनाव परिणाम के दिन दिखाई देते हैं। बिहार में भी हमने अभी यही होते देखा है।

साथियों,

रामनाथ जी से जुड़े एक और किस्से का मुझसे किसी ने जिक्र किया था, ये बात तब की है, जब रामनाथ जी को विदिशा से जनसंघ का टिकट मिला था। उस समय नानाजी देशमुख जी से उनकी इस बात पर चर्चा हो रही थी कि संगठन महत्वपूर्ण होता है या चेहरा। तो नानाजी देशमुख ने रामनाथ जी से कहा था कि आप सिर्फ नामांकन करने आएंगे और फिर चुनाव जीतने के बाद अपना सर्टिफिकेट लेने आ जाइएगा। फिर नानाजी ने पार्टी कार्यकर्ताओं के बल पर रामनाथ जी का चुनाव लड़ा औऱ उन्हें जिताकर दिखाया। वैसे ये किस्सा बताने के पीछे मेरा ये मतलब नहीं है कि उम्मीदवार सिर्फ नामांकन करने जाएं, मेरा मकसद है, भाजपा के अनगिनत कर्तव्य़ निष्ठ कार्यकर्ताओं के समर्पण की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना।

साथियों,

भारतीय जनता पार्टी के लाखों-करोड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने पसीने से भाजपा की जड़ों को सींचा है और आज भी सींच रहे हैं। और इतना ही नहीं, केरला, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, ऐसे कुछ राज्यों में हमारे सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने खून से भी भाजपा की जड़ों को सींचा है। जिस पार्टी के पास ऐसे समर्पित कार्यकर्ता हों, उनके लिए सिर्फ चुनाव जीतना ध्येय नहीं होता, बल्कि वो जनता का दिल जीतने के लिए, सेवा भाव से उनके लिए निरंतर काम करते हैं।

साथियों,

देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचे। दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित, सभी तक जब सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचता है, तो सामाजिक न्याय सुनिश्चित होता है। लेकिन हमने देखा कि बीते दशकों में कैसे सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ दलों, कुछ परिवारों ने अपना ही स्वार्थ सिद्ध किया है।

साथियों,

मुझे संतोष है कि आज देश, सामाजिक न्याय को सच्चाई में बदलते देख रहा है। सच्चा सामाजिक न्याय क्या होता है, ये मैं आपको बताना चाहता हूं। 12 करोड़ शौचालयों के निर्माण का अभियान, उन गरीब लोगों के जीवन में गरिमा लेकर के आया, जो खुले में शौच के लिए मजबूर थे। 57 करोड़ जनधन बैंक खातों ने उन लोगों का फाइनेंशियल इंक्लूजन किया, जिनको पहले की सरकारों ने एक बैंक खाते के लायक तक नहीं समझा था। 4 करोड़ गरीबों को पक्के घरों ने गरीब को नए सपने देखने का साहस दिया, उनकी रिस्क टेकिंग कैपेसिटी बढ़ाई है।

साथियों,

बीते 11 वर्षों में सोशल सिक्योरिटी पर जो काम हुआ है, वो अद्भुत है। आज भारत के करीब 94 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी नेट के दायरे में आ चुके हैं। और आप जानते हैं 10 साल पहले क्या स्थिति थी? सिर्फ 25 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी के दायरे में थे, आज 94 करोड़ हैं, यानि सिर्फ 25 करोड़ लोगों तक सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ पहुंच रहा था। अब ये संख्या बढ़कर 94 करोड़ पहुंच चुकी है और यही तो सच्चा सामाजिक न्याय है। और हमने सोशल सिक्योरिटी नेट का दायरा ही नहीं बढ़ाया, हम लगातार सैचुरेशन के मिशन पर काम कर रहे हैं। यानि किसी भी योजना के लाभ से एक भी लाभार्थी छूटे नहीं। और जब कोई सरकार इस लक्ष्य के साथ काम करती है, हर लाभार्थी तक पहुंचना चाहती है, तो किसी भी तरह के भेदभाव की गुंजाइश भी खत्म हो जाती है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से पिछले 11 साल में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त करके दिखाया है। और तभी आज दुनिया भी ये मान रही है- डेमोक्रेसी डिलिवर्स।

साथियों,

मैं आपको एक और उदाहरण दूंगा। आप हमारे एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम का अध्ययन करिए, देश के सौ से अधिक जिले ऐसे थे, जिन्हें पहले की सरकारें पिछड़ा घोषित करके भूल गई थीं। सोचा जाता था कि यहां विकास करना बड़ा मुश्किल है, अब कौन सर खपाए ऐसे जिलों में। जब किसी अफसर को पनिशमेंट पोस्टिंग देनी होती थी, तो उसे इन पिछड़े जिलों में भेज दिया जाता था कि जाओ, वहीं रहो। आप जानते हैं, इन पिछड़े जिलों में देश की कितनी आबादी रहती थी? देश के 25 करोड़ से ज्यादा नागरिक इन पिछड़े जिलों में रहते थे।

साथियों,

अगर ये पिछड़े जिले पिछड़े ही रहते, तो भारत अगले 100 साल में भी विकसित नहीं हो पाता। इसलिए हमारी सरकार ने एक नई रणनीति के साथ काम करना शुरू किया। हमने राज्य सरकारों को ऑन-बोर्ड लिया, कौन सा जिला किस डेवलपमेंट पैरामीटर में कितनी पीछे है, उसकी स्टडी करके हर जिले के लिए एक अलग रणनीति बनाई, देश के बेहतरीन अफसरों को, ब्राइट और इनोवेटिव यंग माइंड्स को वहां नियुक्त किया, इन जिलों को पिछड़ा नहीं, Aspirational माना और आज देखिए, देश के ये Aspirational Districts, कितने ही डेवलपमेंट पैरामीटर्स में अपने ही राज्यों के दूसरे जिलों से बहुत अच्छा करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ का बस्तर, वो आप लोगों का तो बड़ा फेवरेट रहा है। एक समय आप पत्रकारों को वहां जाना होता था, तो प्रशासन से ज्यादा दूसरे संगठनों से परमिट लेनी होती थी, लेकिन आज वही बस्तर विकास के रास्ते पर बढ़ रहा है। मुझे नहीं पता कि इंडियन एक्सप्रेस ने बस्तर ओलंपिक को कितनी कवरेज दी, लेकिन आज रामनाथ जी ये देखकर बहुत खुश होते कि कैसे बस्तर में अब वहां के युवा बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन कर रहे हैं।

साथियों,

जब बस्तर की बात आई है, तो मैं इस मंच से नक्सलवाद यानि माओवादी आतंक की भी चर्चा करूंगा। पूरे देश में नक्सलवाद-माओवादी आतंक का दायरा बहुत तेजी से सिमट रहा है, लेकिन कांग्रेस में ये उतना ही सक्रिय होता जा रहा था। आप भी जानते हैं, बीते पांच दशकों तक देश का करीब-करीब हर बड़ा राज्य, माओवादी आतंक की चपेट में, चपेट में रहा। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य था कि कांग्रेस भारत के संविधान को नकारने वाले माओवादी आतंक को पालती-पोसती रही और सिर्फ दूर-दराज के क्षेत्रों में जंगलों में ही नहीं, कांग्रेस ने शहरों में भी नक्सलवाद की जड़ों को खाद-पानी दिया। कांग्रेस ने बड़ी-बड़ी संस्थाओं में अर्बन नक्सलियों को स्थापित किया है।

साथियों,

10-15 साल पहले कांग्रेस में जो अर्बन नक्सली, माओवादी पैर जमा चुके थे, वो अब कांग्रेस को मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, MMC बना चुके हैं। और मैं आज पूरी जिम्मेदारी से कहूंगा कि ये मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, अपने स्वार्थ में देशहित को तिलांजलि दे चुकी है। आज की मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, देश की एकता के सामने बहुत बड़ा खतरा बनती जा रही है।

साथियों,

आज जब भारत, विकसित बनने की एक नई यात्रा पर निकल पड़ा है, तब रामनाथ गोयनका जी की विरासत और भी प्रासंगिक है। रामनाथ जी ने अंग्रेजों की गुलामी से डटकर टक्कर ली, उन्होंने अपने एक संपादकीय में लिखा था, मैं अंग्रेज़ों के आदेश पर अमल करने के बजाय, अखबार बंद करना पसंद करुंगा। इसी तरह जब इमरजेंसी के रूप में देश को गुलाम बनाने की एक और कोशिश हुई, तब भी रामनाथ जी डटकर खड़े हो गए थे और ये वर्ष तो इमरजेंसी के पचास वर्ष पूरे होने का भी है। और इंडियन एक्सप्रेस ने 50 वर्ष पहले दिखाया है, कि ब्लैंक एडिटोरियल्स भी जनता को गुलाम बनाने वाली मानसिकता को चुनौती दे सकते हैं।

साथियों,

आज आपके इस सम्मानित मंच से, मैं गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के इस विषय पर भी विस्तार से अपनी बात रखूंगा। लेकिन इसके लिए हमें 190 वर्ष पीछे जाना पड़ेगा। 1857 के सबसे स्वतंत्रता संग्राम से भी पहले, वो साल था 1835, 1835 में ब्रिटिश सांसद थॉमस बेबिंगटन मैकाले ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान शुरू किया था। उसने ऐलान किया था, मैं ऐसे भारतीय बनाऊंगा कि वो दिखने में तो भारतीय होंगे लेकिन मन से अंग्रेज होंगे। और इसके लिए मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन नहीं, बल्कि उसका समूल नाश कर दिया। खुद गांधी जी ने भी कहा था कि भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था एक सुंदर वृक्ष थी, जिसे जड़ से हटा कर नष्ट कर दिया।

साथियों,

भारत की शिक्षा व्यवस्था में हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना सिखाया जाता था, भारत की शिक्षा व्यवस्था में पढ़ाई के साथ ही कौशल पर भी उतना ही जोर था, इसलिए मैकाले ने भारत की शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़ने की ठानी और उसमें सफल भी रहा। मैकाले ने ये सुनिश्चित किया कि उस दौर में ब्रिटिश भाषा, ब्रिटिश सोच को ज्यादा मान्यता मिले और इसका खामियाजा भारत ने आने वाली सदियों में उठाया।

साथियों,

मैकाले ने हमारे आत्मविश्वास को तोड़ दिया दिया, हमारे भीतर हीन भावना का संचार किया। मैकाले ने एक झटके में हजारों वर्षों के हमारे ज्ञान-विज्ञान को, हमारी कला-संस्कृति को, हमारी पूरी जीवन शैली को ही कूड़ेदान में फेंक दिया था। वहीं पर वो बीज पड़े कि भारतीयों को अगर आगे बढ़ना है, अगर कुछ बड़ा करना है, तो वो विदेशी तौर तरीकों से ही करना होगा। और ये जो भाव था, वो आजादी मिलने के बाद भी और पुख्ता हुआ। हमारी एजुकेशन, हमारी इकोनॉमी, हमारे समाज की एस्पिरेशंस, सब कुछ विदेशों के साथ जुड़ गईं। जो अपना है, उस पर गौरव करने का भाव कम होता गया। गांधी जी ने जिस स्वदेशी को आज़ादी का आधार बनाया था, उसको पूछने वाला ही कोई नहीं रहा। हम गवर्नेंस के मॉडल विदेश में खोजने लगे। हम इनोवेशन के लिए विदेश की तरफ देखने लगे। यही मानसिकता रही, जिसकी वजह से इंपोर्टेड आइडिया, इंपोर्टेड सामान और सर्विस, सभी को श्रेष्ठ मानने की प्रवृत्ति समाज में स्थापित हो गई।

साथियों,

जब आप अपने देश को सम्मान नहीं देते हैं, तो आप स्वदेशी इकोसिस्टम को नकारते हैं, मेड इन इंडिया मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को नकारते हैं। मैं आपको एक और उदाहरण, टूरिज्म की बात करता हूं। आप देखेंगे कि जिस भी देश में टूरिज्म फला-फूला, वो देश, वहां के लोग, अपनी ऐतिहासिक विरासत पर गर्व करते हैं। हमारे यहां इसका उल्टा ही हुआ। भारत में आज़ादी के बाद, अपनी विरासत को दुत्कारने के ही प्रयास हुए, जब अपनी विरासत पर गर्व नहीं होगा तो उसका संरक्षण भी नहीं होगा। जब संरक्षण नहीं होगा, तो हम उसको ईंट-पत्थर के खंडहरों की तरह ही ट्रीट करते रहेंगे और ऐसा हुआ भी। अपनी विरासत पर गर्व होना, टूरिज्म के विकास के लिए भी आवश्यक शर्त है।

साथियों,

ऐसे ही स्थानीय भाषाओं की बात है। किस देश में ऐसा होता है कि वहां की भाषाओं को दुत्कारा जाता है? जापान, चीन और कोरिया जैसे देश, जिन्होंने west के अनेक तौर-तरीके अपनाए, लेकिन भाषा, फिर भी अपनी ही रखी, अपनी भाषा पर कंप्रोमाइज नहीं किया। इसलिए, हमने नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई पर विशेष बल दिया है और मैं बहुत स्पष्टता से कहूंगा, हमारा विरोध अंग्रेज़ी भाषा से नहीं है, हम भारतीय भाषाओं के समर्थन में हैं।

साथियों,

मैकाले द्वारा किए गए उस अपराध को 1835 में जो अपराध किया गया 2035, 10 साल के बाद 200 साल हो जाएंगे और इसलिए आज आपके माध्यम से पूरे देश से एक आह्वान करना चाहता हूं, अगले 10 साल में हमें संकल्प लेकर चलना है कि मैकाले ने भारत को जिस गुलामी की मानसिकता से भर दिया है, उस सोच से मुक्ति पाकर के रहेंगे, 10 साल हमारे पास बड़े महत्वपूर्ण हैं। मुझे याद है एक छोटी घटना, गुजरात में लेप्रोसी को लेकर के एक अस्पताल बन रहा था, तो वो सारे लोग महात्‍मा गांधी जी से मिले उसके उद्घाटन के लिए, तो महात्मा जी ने कहा कि मैं लेप्रोसी के अस्पताल के उद्घाटन के पक्ष में नहीं हूं, मैं नहीं आऊंगा, लेकिन ताला लगाना है, उस दिन मुझे बुलाना, मैं ताला लगाने आऊंगा। गांधी जी के रहते हुए उस अस्पताल को तो ताला नहीं लगा था, लेकिन गुजरात जब लेप्रोसी से मुक्त हुआ और मुझे उस अस्पताल को ताला लगाने का मौका मिला, जब मैं मुख्यमंत्री बना। 1835 से शुरू हुई यात्रा 2035 तक हमें खत्म करके रहना है जी, गांधी जी का जैसे सपना था कि मैं ताला लगाऊंगा, मेरा भी यह सपना है कि हम ताला लगाएंगे।

साथियों,

आपसे बहुत सारे विषयों पर चर्चा हो गई है। अब आपका मैं ज्यादा समय लेना नहीं चाहता हूं। Indian Express ग्रुप देश के हर परिवर्तन का, देश की हर ग्रोथ स्टोरी का साक्षी रहा है और आज जब भारत विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर चल रहा है, तो भी इस यात्रा के सहभागी बन रहे हैं। मैं आपको बधाई दूंगा कि रामनाथ जी के विचारों को, आप सभी पूरी निष्ठा से संरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं। एक बार फिर, आज के इस अद्भुत आयोजन के लिए आप सभी को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं। और, रामनाथ गोयनका जी को आदरपूर्वक मैं नमन करते हुए मेरी बात को विराम देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!