"मुझे एनसीसी में जो ट्रेनिंग मिली, जो जानने सीखने को मिला, आज देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में मुझे उससे असीम ताकत मिलती है"
“हमने देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में 1 लाख नए कैडेट्स बनाए हैं”
“हमारा प्रयास होना चाहिए कि एनसीसी में भी ज्यादा से ज्यादा बेटियाँ शामिल हों”
"जिस देश का युवा, राष्ट्र प्रथम की सोच के साथ आगे बढ़ने लगता है, उसे कोई दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती"
"एनसीसी कैडेट अच्छी डिजिटल आदतों में एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं और गलत सूचना और अफवाहों के खिलाफ लोगों को जागरूक कर सकते हैं"
"एनसीसी हो, एनएसएस हो, आप कैडेट के तौर पर खुद ड्रग्स से मुक्त रहें और साथ ही साथ अपने कैंपस को भी ड्रग्स से मुक्त रखें"

कार्यक्रम में उपस्थित देश के रक्षामंत्री श्रीमान राजनाथ सिंह जी, एनसीसी के DG लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह जी, यहां उपस्थित सभी महानुभाव, अधिकारीगण, गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लेने वाले कलाकार, NSS-NCC के साथियों!

इस समय देश अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। और जब एक युवा देश, इस तरह के किसी ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनता है, तो उसके उत्सव में एक अलग ही उत्साह दिखता है। यही उत्साह मैं अभी करियप्पा ग्राउंड में भी देख रहा था। ये भारत की उस युवा शक्ति के दर्शन हैं जो हमारे संकल्पों को पूरा करेगी, जो 2047 में जब देश आजादी के सौ साल पूरे करेगा, 2047 के भव्य भारत का निर्माण करेंगी।

मुझे गर्व है कि मैं भी कभी आप ही की तरह एनसीसी का सक्रिय कैडेट रहा हूँ। लेकिन जो सौभाग्‍य आपको मिला है वो मुझे नहीं मिला था। मुझे एनसीसी में जो ट्रेनिंग मिली, जो जानने सीखने को मिला, आज देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में मुझे उन संस्‍कारों से, उस ट्रेनिग से असीम ताकत मिलती है। अभी कुछ ही समय पहले मुझे एनसीसी alumni का कार्ड भी मिला था। आज देश के प्रधानमंत्री के साथ साथ मैं उस नाते भी आपका साथी हूँ, आपसे जुड़ा हूँ। मैं एनसीसी के सभी पदाधिकारियों को, और सभी फ़ेलो कैडेट्स को इस अवसर पर salute करता हूँ। आज जिन कैडेट्स को पुरस्कार मिला है, उन्हें भी मैं अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। आज महान स्वतंत्रता सेनानी, पंजाब केसरी लाला लाजपत राय जी की जयंती भी है। आज ही फील्ड मार्शल करियप्पा की भी जयंती है। राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले देश के इन वीर सपूतों को मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

आज जब देश नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहा है, तब देश में एनसीसी को मजबूत करने के लिए भी हमारे प्रयास जारी हैं। इसके लिए देश में एक हाई लेवेल रिव्यू कमेटी की स्थापना की गई है। पिछले दो सालों में हमने देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में 1 लाख नए कैडेट्स बनाए हैं। मुझे खुशी है कि एनसीसी कैडेट्स की ट्रेनिंग में सिमुलेशन जैसी आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी बढ़ रहा है। हमारे एजुकेशन सिस्टम को एनसीसी से जोड़ने के लिए भी देश कई कदम उठा रहा है। पूरी तरह से self-financing scheme के तहत 1 लाख कैडेट्स का विस्तार देश के कॉलेजों में किया गया है। 1 लाख कैडेट्स को लेकर यही प्रयास अब स्कूलों में भी शुरू किया गया है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत देश की 90 universities ने NCC को elective subject के रूप में भी शुरू किया है। मैं आज यहाँ बड़ी संख्या में girl cadets को देख रहा हूँ। ये देश के बदलते मिजाज का प्रतीक है। देश को आज आपके विशेष योगदान की जरूरत है। देश में आपके लिए आज अपार अवसर मौजूद हैं। अब देश की बेटियाँ सैनिक स्कूलों में एड्मिशन ले रही हैं। सेना में महिलाओं को बड़ी जिम्मेदारियाँ मिल रही हैं। एयरफोर्स में देश की बेटियाँ फाइटर प्लेन उड़ा रही हैं। ऐसे में हमारा प्रयास होना चाहिए कि एनसीसी में भी ज्यादा से ज्यादा बेटियाँ शामिल हों। जिन बेटियों ने खुद एनसीसी ज्वाइन किया है, वो इसके लिए एक प्रेरणा बन सकती हैं।

साथियों,

देश के प्रसिद्ध कवि माखनलाल चतुर्वेदी की कविता और उस कविता की पंक्तियों में उन्‍होंने कहा-

भूखंड बिछा, आकाश ओढ़, नयनोदक ले, मोदक प्रहार,

ब्रह्मांड हथेली पर उछाल, अपने जीवन-धन को निहार।

ये पंक्तियां, सामर्थ्य की पराकाष्ठा का वर्णन करती हैं। शक्ति ऐसी हो कि भूखंड को बिछा सकें, आकाश को ओढ़ सकें, ब्रह्मांड को हथेली पर उछाल सकें। ताकत ऐसी हो कि कठिन से कठिन परिस्थिति का भी हंसकर, डटकर मुकाबला कर सकें। आज मां भारती, भारत के युवाओं से यही आह्वान कर रही है।

भूखंड बिछा, आकाश ओढ़, नयनोदक ले, मोदक प्रहार,

ब्रह्मांड हथेली पर उछाल, अपने जीवन-धन को निहार।

आने वाले 25 साल का अमृतकाल, देशभक्ति के ज्वार का है। और आज चुनौती इस बात की नहीं है कि दुनिया में कोई इसे स्वीकार करेगा या नहीं। आज महत्व इस बात का है कि जब दुनिया भारत को इतनी उम्मीदों के साथ देख रही है, इतने भरोसे के साथ देख रही है, तो भारत अपने प्रयासों में कहीं से भी कमजोर तो नहीं पड़ जाएगा।

आज आजादी के अमृत महोत्सव में भारत ने जो संकल्प लिए हैं, जो अभियान शुरू किए हैं, वो निरंतर नई ऊर्जा पाते रहें, इसका बहुत बड़ा दायित्व हमारे देश के कोटि-कोटि नौजवानों पर है। आज इस समय जितने भी युवक-युवतियां NCC में हैं, NSS में हैं, उसमें से ज्यादातर इस शताब्दी में ही पैदा हुए हैं। आपको ही भारत को 2047 तक बड़े आन-बान-शान के साथ लेकर जाना है। इसलिए आपकी कोशिशें, आपके संकल्प, उन संकल्पों की सिद्धि, भारत की सिद्धि होगी, भारत की सफलता होगी। राष्ट्रभक्ति से बड़ी कोई भक्ति नहीं होती, राष्ट्रहित से बड़ा कोई हित नहीं होता। देश को सर्वोपरि रखते हुए, आप जो भी करेंगे, वो देश के विकास में मदद करेगा। आज हमारे युवाओं ने भारत को स्टार्ट-अप की दुनिया में टॉप तीन में पहुंचा दिया है। कोरोना के इस संकट काल में जितने यूनिकॉर्न बने हैं, वो भारत के युवाओं का शक्ति प्रदर्शन है। आप कल्पना कर सकते हैं- 50 से ज्यादा यूनिकॉर्न कोरोना काल के दौरान अस्तित्व में आए हैं। और आपको तो पता ही होगा, एक-एक यूनिकॉर्न, एक-एक स्टार्ट अप की पूंजी साढ़े सात हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। ये क्षमता, ये सामर्थ्य बहुत बड़ा विश्वास जगाता है। और जानते हैं, इसमें सबसे बड़ी बात क्या है? ये हजारों स्टार्ट-अप्स, देश की किसी ना किसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए बने हैं। कोई कृषि क्षेत्र में नया कर रहा है, कोई सप्लाई चेन सुधारने के लिए नया कर रहा है। कोई शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव के लिए कुछ नया कर रहा है। इनमें देश के लिए कुछ करने का जज्बा है, कुछ कर गुजरने का जज्बा है।

साथियों,

जिस देश का युवा, राष्ट्र प्रथम की सोच के साथ आगे बढ़ने लगता है, उसे दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती है। आज खेल के मैदान में, भारत की सफलता भी इसी का एक बड़ा उदाहरण है। खिलाड़ी की प्रतिभा, खिलाड़ी का संकल्प, उन सारी बातों का अपना महत्‍व तो है ही, खिलाड़ी के परिश्रम का भी बहुत महत्‍व है, लेकिन अब उसकी हार-जीत के साथ 130 करोड़ देशवासी जुड़ जाते हैं। भारत का युवा, किसी भी मैदान में किसी से टक्कर ले रहा है, तो पूरा देश उसके पीछे एकजुट हो जाता है। खिलाड़ियों में भी ये भावना प्रबल है कि मैं पुरस्कार के लिए नहीं, अपने देश के लिए खेल रहा हूं। इसी भावना के साथ हर क्षेत्र में भारत के युवाओं को, देश की भावी पीढ़ी को आगे बढ़ना है।

साथियों,

कोरोना के इस काल ने, पूरी दुनिया को हम भारतीयों के अनुशासन, हम भारतीयों की समाज शक्ति का परिचय दिया है। जब जनता कर्फ्यू के दौरान पूरा देश कोरोना से लड़ने के लिए एकजुट हो गया, तो पूरा विश्व हैरान रह गया था। कुछ लोग हमारे समाज को कोसते हैं लेकिन इसी समाज ने दिखा दिया कि जब बात देश की हो, तो उससे बढ़कर कुछ नहीं। जब सही दिशा मिले, सही उदाहरण मिले, तो हमारा देश कितना कुछ करके दिखा सकता है, ये उसका उदाहरण है।

आप NCC और NSS के युवाओं ने भी कोरोना के इस संकट में अपने सेवाभाव से सभी का दिल जीता है। अब आपके ये भी दायित्व है कि जो कुछ आपने NCC में सीखा है, वो सिर्फ जब यूनिफॉर्म पहना हो तभी काम में आए, ऐसा नहीं होता है। वो आपके पूरे जीवन में, इसी तरह कैसे बना रहे, समय-समय पर कैसे प्रकट होता रहे। आपको ये भी सोचना चाहिए कि एक कैडेट के तौर पर जो सीखा है, उसका समाज को कैसे लाभ होगा। जैसे आप अगर किसी गांव में रहते हैं, तो आप पता कर सकते हैं कि कहीं उस गांव में कोई विद्यार्थी स्‍कूल छोड़ करके Dropout तो नहीं है। आप उससे मिलेंगे, उसकी दिक्कत समझेंगे, उसकी पढ़ाई फिर से शुरू हो, इसके लिए प्रयास करेंगे, तो NCC की भावना को आप आगे बढ़ाएंगे।

आप स्वच्छता अभियान को बढ़ावा देने के लिए भी अपने गांव-मोहल्ले, अपने शहर-कस्बे में अलग-अलग टीमें बना सकते हैं। क्‍योंकि आपने यहां पर लीडरशिप के गुण सीखे हैं, अब उसको apply करना है समाज में। जिस तरह आपने समुद्री तटों की सफाई के लिए ‘पुनीत सागर अभियान’ चलाया था, बहुत प्रशंसा पाई थी, वो NCC के कार्यकाल के बाद भी जारी रहनी चाहिए। जैसे आजकल देश में Catch the Rain, इसका एक जनआंदोलन चल रहा है। बारिश के पानी को हम कैसे बचाएं, जो हमारे तालाब हैं, जो झीलें हैं, उन्हें कैसे साफ रखें, इस दिशा में भी आप लोगों को जागृत कर सकते हैं।

साथियों,

आजादी की लड़ाई में, महात्मा गांधी ने देश के सामान्य मानवी को ऐसी-ऐसी प्रवृत्तियों से जोड़ा था, जिनसे लोगों की रोजी-रोटी भी चलती थी, लेकिन साथ-साथ देशभक्ति का आंदोलन भी गति पकड़ता था। जैसे कोई सूत कातने का काम करता था, कोई प्रौढ़ शिक्षा से जुड़ा था, कोई गौ-पालन से जुड़ कर काम करता था, कोई स्वच्छता का काम करता था, इन सारे विषयों को गांधी जी ने आजादी के आंदोलन से जोड़ दिया था। इसी तरह आजादी के अमृतकाल में, आज से लेकर अगले 25 वर्ष हम सबको, आपको अपनी प्रवृतियों को, अपने कार्यों को देश के विकास के साथ, देश की अपेक्षाओं के साथ, देश की आकांक्षाओं के साथ जोड़ना है। आज देश आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ चल रहा है। आप सभी युवा, वोकल फॉर लोकल के अभियान में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

अगर भारत के युवा ठान लें कि जिस चीज के निर्माण में किसी भारतीय का श्रम लगा है, किसी भारतीय का पसीना बहा है, सिर्फ वही चीज इस्तेमाल करेंगे, तो भारत का भाग्य तेज गति से बदल सकता है। वोकल फॉर लोकल का मंत्र सीधे-सीधे देश के युवाओं से भी जुड़ा हुआ है। जब लोग स्थानीय उत्पादों को खरीदेंगे, तो स्थानीय उत्पादन भी बढ़ेगा, उसकी क्‍वालिटी भी improve होती जाएगी। जब स्थानीय उत्पादन बढ़ेगा तो इस वजह से स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए साधन भी बढ़ेंगे।

साथियों,

ये समय technology और innovation का है। ये समय डिजिटल क्रांति का है। इस युग का अगर कोई नायक है, तो वो आप मेरे सभी युवा साथी हैं। इसलिए, बदलाव के इस दौर में बतौर कैडेट कई नई जिम्मेदारियाँ आपके पास हैं। आपको इस क्रांति में भारत को लीडर बनाने के लिए देश को अपना नेतृत्व देना है और साथ ही इसकी चुनौतियों का मुक़ाबला भी करना है। आज एक ओर डिजिटल टेक्नोलॉजी और इन्फॉर्मेशन से जुड़ी अच्छी संभावनाएं हैं, तो दूसरी ओर misinformation के खतरे भी हैं। हमारे देश का सामान्य मानवी, किसी अफवाह का शिकार न हो ये भी जरूरी है। NCC कैडेट्स इसके लिए एक जागरूकता अभियान चला सकते हैं। एक और चैलेंज जो आज के युवाओं के सामने है, वो है virtual और real life में बिगड़ता सामंजस्य! NCC अपने कैडेट्स के लिए इस सामंजस्य की ट्रेनिंग के तरीके तैयार कर सकती है, जो बाकी लोगों के लिए भी मददगार हों।

साथियों,

एक और विषय को मैं आपके सामने उठाना चाहता हूं। ये विषय है ड्रग्स का, नशे का। नशा हमारी युवा पीढ़ी को कितना बर्बाद करता है, ये आप भली-भांति जानते हैं। तो फिर जिस स्कूल-कॉलेज में NCC हो, NSS हो वहां पर ड्रग्स कैसे पहुंच सकती है। आप कैडेट के तौर पर खुद ड्रग्स से मुक्त रहें और साथ ही साथ अपने कैंपस को भी ड्रग्स से मुक्त रखें। आपके साथी, जो NCC-NSS में नहीं हैं, उन्हें भी इस बुरी आदत को छोड़ने में मदद करिए।

साथियों,

देश के ऐसे ही सामूहिक प्रयासों को नई ऊर्जा देने के लिए कुछ वर्ष पहले एक पोर्टल भी शुरू किया गया था। ये पोर्टल है- Self4Society portal. इस पोर्टल पर अलग-अलग व्यक्ति आकर, अलग-अलग कंपनियां आकर, अलग-अलग संगठन आकर, समाज सेवा के जो काम होते हैं, उन कार्यों में वो सहयोग करते हैं। विशेषकर भारत की IT और टेक कंपनियों ने इस दिशा में बहुत अच्छा काम किया है। आज इससे 7 हजार से ज्यादा संगठन और सवा दो लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं, जो कुछ न कुछ समाज सेवा करते हैं। NCC-NSS के लाखों युवाओं को भी इस पोर्टल से जरूर जुड़ना चाहिए।

भाइयों बहनों,

हमें एक ओर एनसीसी कैडेट्स का विस्तार करना है, तो दूसरी ओर कैडेट स्पिरिट को भी आगे बढ़ाना है। ये स्पिरिट जन-जन तक पहुंचानी है, गांव-गावं तक उसकी गूंज पहुंचानी है, ये हम सबका दायित्‍व है। और मैं समझता हूं, इसमें, एनसीसी alumni की बहुत बड़ी भूमिका है। NCC alumni association इस काम में एक ब्रिज की, एक नेटवर्क की भूमिका निभाएगा। चूंकि मैं खुद इस association का सदस्य हूँ, इसलिए मेरी देश विदेश में फैले सभी alumni साथियों से अपील है कि इस मिशन का सक्रिय हिस्सा बनें। क्योंकि, Once a cadet, always a cadet! हम जहां कहीं भी हैं, जिस किसी क्षेत्र में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं, हमारे अनुभव देश और नई पीढ़ी के बहुत काम आ सकते हैं। हमारे अनुभव एक संगठन के रूप में एनसीसी को भी पहले से बेहतर बनाने का माध्यम बन सकते हैं। इससे एनसीसी की स्पिरिट और कर्तव्य की भावना का समाज में भी विस्तार होगा।

मुझे पूरा भरोसा है, आज़ादी के अमृत महोत्सव में हमारे ये प्रयास नए भारत के निर्माण की ऊर्जा बनेंगे, और एनसीसी के कैडेट्स इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगे। इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद !

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December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।