स्वामी विवेकानंद ने दिखाया कि हम अपने छोटे से जीवनकाल में क्या कर सकते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
युवा आज जो काम कर रहे हैं वह देश के भविष्य को प्रभावित करेगा: प्रधानमंत्री
कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए अपने आसपास के लोगों का मार्गदर्शन करें: प्रधानमंत्री
रोजाना कम से कम 10 परिवारों को कैशलेस ट्रांजेक्शन की जानकारी देने की आदत बनाएं: प्रधानमंत्री का युवाओं से आग्रह
प्रधानमंत्री का 3सी- कलेक्टिविटी, कनेक्टिविटी और क्रियेटिविटी का मंत्र दिया
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में युवाओं के समर्थन ने मुझे यह विश्वास दिलाया की देश में सकारात्मक बदलाव लाना संभव है: प्रधानमंत्री

मंचस्थ सभी गण्यमान्य अतिथि और मेरे प्यारे नौजवान दोस्तों, आप सभी को 21वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई। समय की कमी की वजह से मैं रोहतक में खुद मौजूद नहीं हूं लेकिन मैं जो तस्वीरें देख पा रहा हूं, उससे लग रहा है कि जैसे आज ये महोत्सव भी 21 वर्ष का युवा हो गया है। देश के अलग-अलग कोने से आए मेरे नौजवान साथियों के चेहरे पर इतनी ऊर्जा दिखाई दे रही है, जैसे आज रोहतक में युवा महोत्सव के साथ ही प्रकाश महोत्सव भी मनाया जा रहा है।

आज राष्ट्रीय युवा दिवस है। स्वामी विवेकानंद जी की जन्मजयंती। मैं आप सभी के माध्यम से देश के हर नौजवान को इस विशेष दिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। स्वामी विवेकानंद इस बात का सबसे उत्तम उदाहरण हैं कि अल्‍प अवधि में भी कितना कुछ हासिल किया जा सकता है। उनका जीवन बहुत कम समय का था। स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति के असीम प्रेरक हैं। स्वामी विवेकानंद कहते थे- हमारे देश को इस समय आवश्यकता है लोहे की तरह ठोस मांसपेशियों और मजबूत स्नायु वाले शरीरों की। आवश्यकता है इस तरह की दृढ़ इच्छा-शक्ति-संपन्न युवाओं की।

स्वामी विवेकानंद ऐसे युवाओं का निर्माण करना चाहते थे जिनमें बिना भेद-भाव के एक दूसरे के प्रति प्रेम व विश्वास हो। युवा वह होता है, जो बिना अतीत की चिंता किए अपने भविष्‍य के लक्ष्‍यों की दिशा में काम करता है। आप सभी युवा जो काम आज करते हैं, वही तो कल जाकर देश का भविष्य बन जाता है।

साथियों, आज देश के 80 करोड़ से ज्यादा लोगों की आयु इस समय 35 वर्ष से कम है। स्वामी विवेकानंद के बताए मार्ग पर चलकर के आज भारत में एक ऐसे युग की शुरुआत करने की क्षमता है, जो विश्वगुरू बन सकता है।

आज मेरे जो नौजवान साथी इस वक्त रोहतक में हैं, उनके लिए हरियाणा की ये धरती भी बहुत प्रेरणादाई है। हरियाणा की ये धरती वेदों की है, उपनिषदों की है, गीता की है। ये वीरों की कर्म वीरों की है, जय जवान-जय किसान की धरती है। ये सरस्वती की पावन धरा है। अपनी संस्कृति, अपने मूल्यों को सहेजकर आगे बढ़ने का लगातार प्रयास, ये इस धरती से सीखा जा सकता है।

मुझे खुशी है कि इस बार राष्ट्रीय युवा महोत्सव की THEME है- YOUTH FOR DIGITAL INDIA...। इस महोत्सव के माध्यम से युवाओं को रोजमर्रा की जिंदगी में डिजिटल तरीके से लेन-देन की ट्रेनिंग दी जाएगी। मेरी इस महोत्सव में ट्रेनिंग लेने वाले हर युवा से अपील है कि जब वो यहां से ट्रेनिंग लेकर जाएं तो अपने आसपास के कम से कम 10 परिवारों को डिजिटल ट्रांजेक्शन करना सिखाएं। LESSCASH अर्थव्यवस्था बनाने में आप सभी युवाओं की बहुत बड़ी भूमिका है। देश को कालेधन और भ्रष्टाचार से मुक्त कराने की लड़ाई में ये आप लोगों का महत्वपूर्ण योगदान होगा।

इस वर्ष राष्ट्रीय युवा महोत्सव का शुभांकर बेटी के रूप में चुना गया है। दुलार से इसे नाम दिया गया है ‘‘म्हारी लाडो’’। इस महोत्सव के माध्यम से ‘‘बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ’’ अभियान के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास बहुत ही सराहनीय है। हरियाणा से ही केंद्र सरकार ने ‘‘बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ’’ अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान का इस क्षेत्र में बड़ा असर दिख रहा है। बदलाव की शुरुआत हुई है। SEX RATIO में काफी बदलाव आया है। पूरे देश के लिये ये बदलाव बढ़ रहा है। मैं हरियाणा के लोगों को इसके लिए खास तौर पर बधाई देता हूं। ये दर्शाता है कि जब लोग ठान लेते हैं तो असंभव भी संभव हो जाता है। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही पूरे देश के लिये गौरवपूर्ण स्थिति हरियाणा निर्माण करके दिखाएगा।

हरियाणा के भविष्य को संवारने में यहाँ का युवा वर्ग एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। हरियाणा के युवा खिलाड़ियों ने अनेक अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक हासिल कर सदा-सर्वदा पूरे देश का मान बढ़ाया है।

पूरे देश में विकास की नई बुलंदियों को छूने के लिए युवा शक्ति के और अधिक योगदान की आवश्यकता है। भारत का लक्ष्‍य अपने युवकों को, इस सदी को भारत की सदी बनाने के लिए क्षमताएं एवं कौशल प्रदान करना है।

दोस्तों, राष्ट्रीय युवा महोत्सव आप सभी को अपनी प्रतिभा के प्रर्दशन के लिए एक मंच प्रदान करता है। अलग-अलग सांस्कृतिक परिवेश से आए हुए आप सभी नौजवानों को यहां एक दूसरे को जानने का समझने का मौका मिलेगा। यही तो एक भारत-श्रेष्ठ भारत का वास्तविक अर्थ है। अभी थोड़ी देर पहले ही युवा महोत्सव में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सांस्कृतिक दलों का मार्च पास्ट निकाला गया है।

एक भारत-श्रेष्ठ भारत एक प्रयास है देश की सांस्कृतिक विविधता को एक सूत्र में पिरोने का। हमारे देश में भाषाएं भले अलग-अलग हों, खान-पान अलग-अलग हों, रहने का तरीका अलग-अलग हो, रीति-रिवाज अलग-अलग हों, लेकिन आत्मा एक ही है। उस आत्मा का नाम है - भारतीयता। और इस भारतीयता के लिये मैं और आप हम सब गर्व करते हैं।

एक राज्य के नौजवान दूसरे राज्य के युवाओं से मिलेंगे तो उन्हें भी नया अनुभव होगा, एक दूसरे के प्रति सम्मान बढ़ेगा, समझ बढ़ेगी। लोग जब साथ रहते हैं, मिलते-जुलते हैं तो समझ आता है कि ये खान-पान और भाषाई अंतर सतही हैं। गहराई से देखें तो स्पष्ट होता है कि हमारे मूल्य, हमारी मानवीयता, हमारा दर्शन एक जैसा ही है।

दोस्तों, एक भारत-श्रेष्ठ भारत के तहत दो अलग-अलग राज्यों में एक साल के लिए partnership कराई गई है। इस वर्ष हरियाणा ने तेलंगाना के साथ अपनी partnership की है। दोनों राज्यों में किन विषयों पर परस्पर सहयोग होगा, इसके लिए Action Points भी बनाए गए हैं। मुझे उम्मीद है कि आज हरियाणा में तेलंगाना से आए छात्रों को विशेष रूप से बहुत कुछ जानने-सीखने को मिलेगा।

एक भारत-श्रेष्ठ भारत सिर्फ एक योजना नहीं है। इसे एक जनआंदोलन की तरह आगे बढ़ाया जा रहा है और ये तभी कामयाब होगी, जब देश के युवाओं का भरपूर साथ मिलेगा।

मेरे नौजवान साथियों, इस वर्ष देश पंडित दीन दयाल उपाध्याय की शताब्दी मना रहा है। देश के नौजवानों के लिए पंडित जी का मंत्र था- चरैवति-चरैवति, चरैवति यानी चलते रहो, चलते रहो, रुकना नहीं है, थमना नहीं, राष्ट्र निर्माण के पथ पर चलते जाना है।

टेकॉनोलॉजी के इस दौर में आज देश के नौजवानों को थ्री C’s पर ध्यान केंद्रित करना होगा। मैं जब थ्री C’s की बात करता हूं तो मेरा मतलब है पहला सी COLLECTIVITY, दूसरा सी CONNECTIVITY और तीसरा सी CREATIVITY...COLLECTIVITY सामूहिकता जब तक कि हम संगठित शक्ति नहीं बनते हैं, हम भेद भाव को मिटाकर के भारतीय एकत्र नहीं होते हैं, COLLECTIVITY ताकत बहुत बड़ी ताकत होती है। दूसरी बात है CONNECTIVITY देश युग बदल चुका है। टेक्नोलॉजी ने पूरे विश्व को बहुत छोटा बना दिया है। पूरा विश्व आपकी हथेली में आपके हाथ में होता है। CONNECTIVITY समय की मांग है। हम CONNECTIVITY दृष्टि से Technology के साथ-साथ हमारे मानवीय मूल्यों को भी बल देते चलेंगे। और तीसरा सी मैंने कहा CREATIVITY नये विचार, नए INNOVATION, पुरानी समस्याओं के नए समाधान करने के लिये नये तरीके और यही तो युवाओं से अपेक्षा रहती है। जिसपर CREATIVITY खत्म हो जाती है। INNOVATION खत्म हो जाता है। नयापन अटक जाता है एक प्रकार से जिंदगी ठहर जाती है। और इसलिये हमारे भीतर CREATIVITY को जितना अवसर दें हमें देते रहना चाहिए।

इसलिए एक दूसरे से संपर्क करिए, सामूहिक जिम्मेदारी निभाना सीखिए और नए विचारों पर काम करिए। अपने नए विचारों को ये सोचकर समाप्त मत होने दीजिए कि ये तो बहुत छोटे हैं या फिर दूसरे लोग क्या कहेंगे। याद रखिए कि दुनिया में ज्यादातर बड़े और नए विचारों को पहले खारिज ही किया गया है। जो भी मौजूदा सिस्टम होता है, वो नए विचारों का विरोध करता है। लेकिन मुझे विश्वास है कि हमारे देश की युवाशक्ति के आगे ऐसा हर विरोध ठंडा पड़ जाएगा।

साथियों, आज से पचास से भी ज्यादा वर्ष पूर्व एकात्म मानववाद पर बोलते हुए पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने जो कहा था, उसमें भी देश के युवाओं के लिए बड़ा संदेश है। दीन दयाल उपाध्याय जी ने राष्ट्र निर्माण और देश में मौजूद बुराइयों से लड़ने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था-

हमें अनेक रूढ़ियां खत्म करनी होंगी। बहुत से सुधार करने होंगे। जो हमारे मानव का विकास और राष्ट्र की एकात्मता की वृद्धि में पोषक हों, वह हम करेंगे और जो बाधक हो, उसे हटाएंगे। ईश्वर ने जैसा शरीर दिया है, उसमें मीनमेख निकालकर अथवा आत्मग्लानि लेकर चलने की आवश्यकता नहीं है। पर शरीर में फोड़ा होने पर उसका ऑपरेशन तो आवश्यक है। सजीव और स्वस्थ अंगों को काटने की जरूरत नहीं है। आज यदि समाज में छुआछूत और भेदभाव घर कर गए हैं, जिसके कारण लोग मानव को मानव समझकर नहीं चलते और जो राष्ट्र की एकता के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं, हम उनको खत्म करेंगे

पंडित जी का ये आह्वान आज भी उतनी ही अहमियत रखता है। आज भी देश में छुआछूत है, भ्रष्टाचार है, कालाधन है, अशिक्षा है, कुपोषण है। इन सभी बुराइयों को खत्म करने के लिए देश के युवा को अपनी शक्ति झोंकनी होगी। अभी कुछ दिनों पहले सरकार ने कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। इस कार्रवाई को जितना समर्थन मेरे नौजवान दोस्तों ने दिया है, वो इस बात का सबूत है कि समाज में व्याप्त बुराई को मिटाने की आप सभी में कितनी जबरदस्त इच्छाशक्ति है।

इसलिए जब मैं कहता हूं मेरा देश बदल रहा है, तो उसके पीछे आपके प्रयास होते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में हजारों-लाखों नौजवान अपनी-अपनी तरह से सामाजिक कुरितियों और चुनौतियों से लड़ रहे हैं। यही नहीं, वो ऐसे-ऐसे नए विचार सामने ला रहे हैं कि मैं उन्हें नमन किए बिना नहीं रह पाता।

अभी कुछ दिनों पहले मन की बात में मैंने एक बिटिया का जिक्र किया था जिसने ये आइडिया दिया कि शादी में मेहमानों को रिटर्न गिफ्ट के तौर पर आम के पेड़ दिए जाएंगे। पर्यावरण को बचाने के लिए ये कितना अद्भुत तरीका है।

इसी तरह एक इलाके में लोग कूड़े के डिब्बों की कमी से बहुत परेशान थे। ऐसे में वहां के नौजवानों ने मिलकर कूड़े के डिब्बों को एडवर्टाइजिंग से जोड़ दिया। अब वहां की सड़कों पर आपको हर जगह कूड़े के डिब्बे नजर आएंगे जिन पर विज्ञापन भी होगा। अब वहां कूड़े के डिब्बों को dustbin नहीं adbin बोलते हैं।

ऐसे भी नौजवान हैं जिन्होंने पिछले ही महीने relay format में सिर्फ 10 दिन में लगभग 6 हजार किलोमीटर सायकिल चलाकर “Golden Quadrilateral challenge” को पूरा किया है। इनका सूत्रवाक्य बहुत अच्छा है- “Follow the Rules & India will Rule”

हमारे देश में ऊर्जा से भरे हुए ऐसे नौजवान हर कोने में उपस्थित हैं। कोई पहाड़ों से निकलने वाले छोटे झरनों से बिजली बना रहा है, कोई कूड़े से घर निर्माण की चीजें बना रहा है, कोई टेक्नोलॉजी के माध्यम से दूर-दराज वाले इलाके में मेडिकल सुविधा उपलब्ध करा रहा है, कोई सूखाग्रस्त इलाके में किसानों के लिए पानी बचाने के संसाधन जुटा रहा है। ऐसे लाखों युवा राष्ट्र निर्माण के लिए दिन रात एक कर रहे हैं।

ऐसे हर ऊर्जावान युवा के लिए मैं स्वामी विवेकानंद जी का संदेश फिर दोहराना चाहूंगा। उठो, जागो और जब तक लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती, रुको मत।

उठो का मतलब है शरीर को चैतन्यमय करो, शरीर को ऊर्जावान बनाओ, शरीर को फिट रखो। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि लोग उठ तो जाते हैं लेकिन जागृत नहीं होते। इस वजह से वो स्थिति का सही आकलन नहीं कर पाते। इसलिए उठने के साथ ही जागृत होना भी आवश्यक है। जब तक लक्ष्य प्राप्ति ना हो, रुको मत...में भी बड़ा संदेश है। पहले तो स्पष्ट ध्येय का होना ही बहुत आवश्यक है।

जब यही नहीं तय होगा कि जाना कहां है, तो फिर ये कैसे तय हो पाएगा कि किस दिशा की और जाने वाली गाड़ी में बैठना है। इसलिए जब लक्ष्य तय हो जाए, तो फिर उसकी प्राप्ति के लिए बिना रुके , बिना थके प्रयास करते रहो।

मेरे दोस्तों, मेरे सामने आप सब देश की बौद्धिक ताकत के तौर पर मौजूद है। आज आवश्कता है युवाओं की उर्जा का रचनात्मक प्रयोग करने की। आज आवश्कता है युवाओं को दिगभ्रमित होने से बचाने की। आज आवश्कता है युवाओं को नशे और अपराध से दूर रखने की। आप चिंतन एवं मंथन करके नई राह बनाएं, नई मंजिलें हसिल करें। आपके सामने संभावनाओं का खुला आकाश है।

आज आवश्यकता है कि युवा सेवा की बेजोड़ मिसाल बनें। उनके चरित्र में ईमानदारी व निष्पक्षता हो। हर चुनौती का सामना करने का ज़ज्बा हो। उन्हें अपनी गौरवशाली विरासत पर गर्व हो। उनका आचरण एवं चरित्र नैतिक मूल्यों पर आधारित हो। इस पर इसलिए जोर दे रहा हूं, क्योंकि लक्ष्य पाना जितना मुश्किल है, उतना ही आसान लक्ष्य से भटकना होता है।

सुखी-संपन्न जीवन की आकांक्षा रखना सही है लेकिन इसी के साथ समाज और देश के प्रति जिम्मेदारी को भी समझना आवश्यक है। मैं आपको 1,2,3,4,5,6 यानि 6 चुनौतियों के बारे में बताता हूं जिनसे निपटना बहुत ही जरूरी है।

1.समाज के प्रति अज्ञान

2.समाज के प्रति असंवेदना

3.समाज के प्रति घिसी-पिटी सोच

4.जाति-समुदाय के विचार से ऊपर उठने की अक्षमता

5.माताओ-बहनों-बेटियों से दुर्व्यवहार

6.पर्यावरण के प्रति लापरवाही, गैर जिम्मेदार दृष्टिकोण

इन 6 चुनौतियों को आज के नौजवानों को ध्यान में रखना होगा, उन्हें परास्त करने का प्रयास करना होगा। आप जहां भी रहें, जिस भी क्षेत्र में काम करें, वहां इन चुनौतियों के बारे में अवश्य सोचें, उन्हें दूर करने की कोशिश करें।

आप सभी युवा tech-savvy हैं । आप सभी युवाओं को ये सन्देश जन-जन तक पहुँचाना है कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन कैसे आ सकता है।

आप सभी युवा उन लोगों के जीवन को छूने का प्रयास करें जो वंचित हैं-शोषित हैं। दूसरों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए आप सभी युवाओं को अपनी ऊर्जा और समय देना है। युवाओं की ताकत, युवाओं की ऊर्जा और युवाओं का जज़्बा, बदलाव लाने में और भी अधिक कारगर होता है। अब करोड़ों युवा आवाज़ों को इस देश की आवाज़ बनकर विकास के कामों को आगे बढ़ाने में मदद करना है ।

मेरे साथियों, आप सभी नए क्षितिज को छुएं। विकास का नया विज़न तैयार करें, नई उपल्बधियां हासिल करें। इसी शुभकामना के साथ आपको राष्ट्रीय युवा दिवस और महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं और बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। और स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यस्मर्ण करते हुए हमारी भीतर की ऊर्जा को लेते हुए समाज के राष्ट्र के परिवार के गांव के गरीब के किसान के भलाई के लिये अपनी जिंदगी का कुछ न कुछ समय उनके लिये खपाने का संकल्प करें। देखीये जीवन में जो करने का संतोष मिलेगा उस संतोष की जो ताकत होगी। वो संतोष स्वयं में ऊर्जा का रूप धारण कर लेगा। मेरी आपको बहुत – बहुत शुभकामना है। देश के कोने कोने से आये हुए नौजवान एक प्रकार से लघु भारत मेरे सामने है। ये लघु भारत नई प्रेरणा नये उत्साह लेकर के गीता का ये गीता की भूमि है। जो कर्म का संदेश देती है। निष्काम कर्म योग का संदेश देती है। उसी को लेकर के आप चलें इसलिये मेरी इस युवा महोत्सव को बहुत बहुत शुभकामनाएं।

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Prime Minister shares Sanskrit Subhashitam highlighting the power of collective effort
December 17, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi, shared a Sanskrit Subhashitam-

“अल्पानामपि वस्तूनां संहतिः कार्यसाधिका।

तृणैर्गुणत्वमापन्नैर्बध्यन्ते मत्तदन्तिनः॥”

The Sanskrit Subhashitam conveys that even small things, when brought together in a well-planned manner, can accomplish great tasks, and that a rope made of hay sticks can even entangle powerful elephants.

The Prime Minister wrote on X;

“अल्पानामपि वस्तूनां संहतिः कार्यसाधिका।

तृणैर्गुणत्वमापन्नैर्बध्यन्ते मत्तदन्तिनः॥”