मैं अपनी बात शुरू करने से पहले, सबसे पहले श्री वसंत गोवारिकर जो हमारे देश के गणमान्य वैज्ञानिक थे और आज ही हमारे बीच नहीं रहे। मैं इसी धरती की संतान और भारत को विज्ञान जगत में आगे बढ़ाने में जिन्होंने बहुत अहम भूमिका निभाई थी ऐसे श्रीमान वसंत गोवारिकर जो को हृदय अंतःकरण पूर्वक श्रृद्धांजलि देता हूं।

देवियों और सज्जनों,

भारतीय विज्ञान कांग्रेस में शामिल होना एक बड़ा सम्मान है। मैं इस आयोजन के लिए मुम्बई विश्वविद्यालय का धन्यवाद करता हूं।

गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए मुझे विज्ञान कांग्रेस में शामिल होने का मौका मिला था। दस साल बाद दोबारा मिले इस अवसर से मुझे  खुशी हुई है।

मैं सौ साल पुरानी संस्था के समृद्ध इतिहास की प्रशंसा करता हूँ।

मैं वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कार्यों के लिए उनका आभारी हूं और मैं मानता हूं कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी, विकास और सुशासन के अमूल्य सहयोगी हैं।

मानव का स्वभाव दुनिया और ब्रह्माण्‍ड के बारे में जानने और समझने का है इसी वजह से मानव सभ्यता इतनी विकसित हुई है।

यह विश्वास के द्वारा संचालित एक खोज है जिसे हमारे वेदों में सत्य सर्वं प्रतिष्ठानां - सत्य में सबकुछ समाहित है के रूप में व्‍याख्‍या की गई है। ।

विज्ञान मानव मस्तिष्क की उपज हो सकता है लेकिन यह मानव जीवन को बेहतर बनाने की मानवीय भावनाओं द्वारा भी संचालित होता है।

हमारे साथ नोबल पुरस्कार विजेता मौजूद हैं, जिनके विज्ञान के क्षेत्र में कार्य ने जानलेवा बीमारियों से निपटने में नई उम्मीद जगाई है।

हमारे पास एक ऐसे व्यकित भी हैं जिनकी सामाज विज्ञान की समझ ने सबसे गरीब लोगों को आशा, अवसर और सम्मानजनक जीवन दिया है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी, गरीबी से निपटने और समृद्धि के विस्तार में सहायक है; भूख मिटाने और बेहतर पोषण; बीमारियों का खात्मा; स्वास्थ्य का स्तर सुधारने और बच्चों को जीवन देने के ज्यादा अवसर उपलब्ध कराने; अपने प्रियजनों और दुनिया से जुड़ने; शिक्षा और जागरुकता के प्रसार; और हमें पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा उपलब्ध कराता है जो हमारे पर्यावास को ज्यादा वहनीय बनाता है।

राष्ट्र की प्रगति और मानव का विकास विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े हुए हैं। हाल के वर्षों में चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रुप में उभरा है साथ ही उसने खुद को समानांतर रुप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी  दूसरे स्थान पर स्थापित किया है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी राष्ट्र की सीमाओं को लांघते हुए विश्व को एक सूत्र में पिरोता और शांति का प्रसार करता है।  यह विश्व की चुनौतियों से निपटने के सामूहिक प्रयासों में गरीब और अमीर देशों को साथ ला सकता है।

लेकिन हम जानते हैं कि यह असमानता बढ़ा सकता है, युद्धों को ज्यादा संहारक बना सकता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है। कभी कभी हमें जटिलताओं के बारे में बाद में पता चलता है जैसा कि हमने जलवायु परिवर्तन के साथ किया; कभी कभी ये हमारे अपने फैसलों का परिणाम होता है।

उदाहरण के तौर पर, सूचना प्रौद्योगिकी का विकास क्षमता और उत्पादकता बढ़ाने किया गया; यद्यपि इसके विभिन्न भटकाव सरलता से हमें पराजित कर सकते है। जैसा कई बार होता है कि हम किसी बैठक में हैं और मन में अपने संदेशों को पढ़ने का लालच रहता है!

इसलिए, जब भी हम विज्ञान और मानव विकास की बात करते हैं, हम इसे समानता, सिद्धांत और पहुंच जैसे राजनीतिक फैसलों  से अलग नहीं कर सकते।

मानव विकास का वृहद उद्देश्य है जो भारतीय वैज्ञानिक गतिविधियों की असली ताकत है और विज्ञान आधुनिक भारत के निर्माण में सहयोग करता है।

आजादी की शुरूआत के साथ प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय विकास के केंद्र में स्थापित किया था। हमारे वैज्ञानिकों ने मामूली संसाधनों के साथ भलि प्रकार देश की सेवा करने वाले अग्रणी अनुसंधान किए और अभूतपूर्व संस्थाओं का निर्माण किया।

तभी से हमारे वैज्ञानिकों ने कई क्षेत्रों में हमें विश्व में अग्रणी बनाए रखा है।

जब कभी विश्व ने हमारे लिए रास्ते बंद किए, हमारे वैज्ञानिकों ने राष्ट्रीय अभियान की भावना के साथ कार्य किया। जब भी विश्व ने हमसे सहयोग मांगा, हमारे वैज्ञानिकों ने खुलेपन से उनका स्वागत किया जो हमारे समाज में अंतर्निहित है।

उन्होंने मावन विकास की सबसे गंभीर और दूभर चुनौतियों का निवारण किया है। उन्होंने भोजन जैसी आधारभूत आवश्यक्ताओं को पूरा करने के लिए दूसरों पर निर्भरता को समाप्त करने में हमारी मदद की है। उन्होंने हमारी सीमाओं को सुरक्षित बनाया है, औद्योगिक प्रगति में सहायता की और हमारे लोगों को सम्मानजनक और अवसरों से पूर्ण जीवन प्रदान किया है।

हमारे वैज्ञानिकों ने पहले ही प्रयास में मंगलयान को मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया। मैं राधा कृष्णन की टीम को बधाई देता हूं - हुदहुद तूफान के बार में वैज्ञानिकों के सटीक अनुमान से हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी; हमारे परमाणु वैज्ञानिक ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता के लिए काम कर रहे हैं और उन्होंने कैंसर के इलाज और अनुसंधान के मामले में एशिया क्षेत्र में भारत को अग्रणी बना दिया है।

हमारी उपलब्धियों पर हमें गर्व है लेकिन उन चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता जिनका हम देश में सामना करते हैं।

हम उसी तरह की उम्मीदों और उत्साह के माहौल में हैं जैसा कि देश की स्वाधीनता के समय था।

इस समय देश में परिवर्तन के लिए सकारात्मक माहौल है; इसे बनाए रखने के लिए ऊर्जा और इसे हासिल करने के लिए विश्वास की जरूरत है।

लेकिन भारत के बारे में हमारे जो सपने हैं - खेती को ज्यादा व्यवहारिक और उत्पादक बनाना; ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वहनीय और उपयुक्त तकनीकी विकसित करने; पानी की हर बूंद का बेहतर इस्तेमाल; और समुद्रीय  संसाधनों की क्षमता के इस्तेमाल; अपनी जैव विविधता के संरक्षण; अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए - विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर उतना ही नर्भर करते हैं जितना कि नीति और संसाधनों पर

गरीबों की पहुंच योग्य बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और दवाओं और स्वास्‍थ्‍य उपकरणों के विकास; पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा को वहनीय और ज्यादा कारगर बनाने के लिए;

प्रौद्योगिकी के प्रयोग से सभी के लिए घर और स्वच्छता के सपने को पूरा करने के लिए

हमारे शहरों को स्‍वच्‍छ और अधिक रहने योग्‍य बनाने के लिए हमें ही समाधान ढ़ढंना होगा

व्‍यर्थ को संपदा में बदलने और भविष्‍य के सतत ढांचा विकास के लिए संसाधन

मानव विकास के लिए इंटरनेट का उपयोग करना

भारत को प्रमुख विनिर्माण देश और ज्ञान तथा प्रौद्योगिकी आधारित उद्योग के लिए केन्‍द्र बनाना

मेरे लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की पहुंच सबसे गरीब, सबसे पिछड़े और सबसे असहाय लोगों तक होना है

यह राष्‍ट्रीय महत्‍व का उद्यम है जिसमें सरकार, उद्योग, राष्‍ट्रीय प्रयोगशालाओं, विश्‍वविद्यालयों और अनुसंधान संस्‍थानों को मिलकर कार्य करना होगा

अधिकतर विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर बातचीत बजट के प्रश्‍न तक ही सीमित होती है यह महत्‍वपूर्ण है और मुझे विश्‍वास है कि इसमें लगातार वृद्धि होगी

लेकिन हमारी उपलब्‍धियों ने यह दर्शा दिया है कि कई बार सफलता के लिए आवश्‍यकता, विजन और जोश अधिक महत्‍वपूर्ण होते हैं

और संसाधनों का हम कैसे उपयोग कर सकते है कि कैसे प्रभावी निर्धारण हो जिससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को हमारे लिए कारगर बनाया जा सके

हमारे विकास की चुनौतियां, स्वाभाविक रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारी प्राथमिकताएं तय करेगी

हम कुछ महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में ध्‍यान दे रहे है लेकिन हमें अनुसंधान और विकास को कुछ पूर्व निर्धारित लक्ष्‍यों तक ही सीमीत नहीं रखने चाहिए

और अनुसंधान, विकास तथा नवाचार पर जितना ध्‍यान दिया जाता है उनता ही ध्‍यान आधारभूत अनुसंधान पर भी देना महत्‍वपूर्ण है

हमें यह भी मानना चाहिए कि विज्ञान सर्वव्‍यापी है लेकिन प्रौद्योगिकी स्‍थानीय हो सकती है

अगर हम पारंपरिक और स्‍थानीय ज्ञान, प्रणालियों और प्रौद्योगिकीयों को इसमें शामिल करें तो हम अधिक उचित, प्रभावी, वहन करने योग्‍य और सतत समाधान विकसित कर सकते है जो मानव विकास और प्रगति में बड़ा योगदान दे सकते हैं

सरकार को देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रमुख स्रोत के तौर पर विकसित करने के लिए भी कदम बढ़ाना चाहिए

जब मैं देश में रोजगार करने में आसानी की बात करता हूं तब मैं यह भी चाहता हूं कि देश में विकास और  अनुसंधान में भी आसानी पर उतना ही ध्‍यान दिया जाए

प्रस्‍तावित धनराशि स्‍वीकृत करने में अधिक समय ना लगाया जाए, बैठक- आवेदन पत्र की आवश्‍यकताएं अनुसंधान से अधिक जटिल नहीं होनी चाहिए, स्‍वीकृति की प्रक्रिया अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन के लिए बाधा नहीं बननी चाहिए, हमारे वैज्ञानिक विभागों को अनुसंधान गतिविधियों में अंतर्निहित अनिश्‍चिताओं के आधार पर धनराशि के बारे में फैसला लेने में लचीला होना चाहिए

मैं चाहता हूं कि हमारे वैज्ञानिकों तथा शोधकर्ताओं को सरकारी प्रक्रियाओं के बजाए, विज्ञान के रहस्‍यों को उजागर करना चाहिए।

हम चाहते हैं कि उनके शोधकार्य ही उनकी सफलता के प्रतिमान हों और वे सरकारी मंजूरी के मोहताज नहीं हों। हमें जैव तकनीकी, नैनो साइंस, कृषि एवं क्‍नीनिकल शोध के क्षेत्र में शोध एवं विकास संबंधी स्‍पष्‍ट नियामक नीतियां बनानी है। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी मजबूत बौद्धित सपंदा व्‍यवस्‍था लगातार प्रभावी रूप से काम करती रहे और निजी क्षेत्र के प्रोत्‍साहन एवं सामाजिक बेहतरी के बीच सहीं संतुलन बना रहे।

इसके अलावा, न केवल वैज्ञानिक विभागों, बल्‍कि प्रत्‍येक सरकारी विभाग में एक ऐसा अधिकारी होना चाहिए जो अपने क्षेत्र से संबंध कार्य में विज्ञान एवं तकनीकी पर अधिक ध्‍यान दे और ऐसी गतिविधियों के लिए  विभाग के बजट में से कुछ प्रतिशत धनराशि का आवंटन करें। हम यह अनुभव अतंरिक्ष तकनीकी के साथ शुरू कर चुके हैं

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी गतिविधियों में निवेश, कारपोरेट सामाजिक दायित्‍व के व्‍यय का भी एक हि‍स्‍सा बनाया जाना चाहिए जिसे प्रत्‍यक्ष अथवा किसी स्‍वायत धनराशि से पूरा किया जा सकता है। हमें विभिन्‍न क्षेत्रों में हो रहे विकासों, नवाचारों तथा विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए विभिन्‍न संख्‍याओं तथा क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने की मजबूत संस्‍कृति की आवश्‍यकता है। मेरा मानना है कि यह भारत में आदर्श से कहीं अधिक दूर है।

मैं हमारे मंत्रालयों से कहूंगा कि वे अनुसंधान के लिए धनराशि के अनुरोध पर सहायता करने और उनके संस्‍थानों के साथ सहयोग को आवश्‍यक बनाये

हमें देश में विश्‍वविद्यालय प्रणाली को अनुसंधान और विकास गतिविधियों में अग्रणी बनाना होगा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हमारा विनिवेश केन्‍द्र सरकार के एजेंसियों तक ही सीमि‍त है और इसे अधिक क्षेत्रों में बढ़ाया जाना चाहिए

हमारे विश्‍वविद्यालय अत्‍यधिक नियमन के शिकंजे  और बोझि‍ल प्रक्रियाओं से मुक्‍त होने चाहिए। वहां पर अधिक अकादमि‍क स्‍वतंत्रता और स्‍वायतता होनी चाहिए और शिक्षण के समान ही अनुसंधान पर भी जोर दिया जाना चाहिए ।

इसके परिणाम स्‍वरूप विश्‍वविद्यालयों की उच्‍च अकादमिक और अनुसंधान स्‍तरों पर जिम्‍मेदारी बढ़ेगी, जिसमें संपूर्ण समकक्ष समीक्षा शामिल होगी

हमें हमारे उच्‍च शिक्षण क्षेत्रों को तेजी से विस्‍तार करना होगा हालांकि हमारे मौजूदा संस्‍थानों में फेकल्‍टी की कमी है

हमारे पास केंद्रीय संस्थाओं और एजेंसियों में काम करने वाले प्रख्यात वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कमी नहीं है और मैं चाहता हूं कि वे प्रतिवर्ष किसी विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गतिविधियों में कुछ समय व्यतीत करे और पीएचडी के छात्रों को गाइड करें।

      हमारे उद्योग जगत को पहल करते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश को बढ़ाना है।

 भारत के फार्मास्यूटिकल उद्योग ने विश्व में अपनी पहचान बनाई है क्योंकि इसने शोध के क्षेत्र में काफी निवेश किया है। वस्तुत:  हमारी लंबी वैश्विक प्रतिस्पर्धा दूसरों की यह नकल करने पर निर्भर नहीं करेगी कि उन्होंने क्या किया है बल्कि यह सतत विकास एवं नवाचार की प्रक्रिया पर आधारित होगी।

शोध एवं विकास के क्षेत्र में न केवल व्यापारिक जगत में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रवृत्ति बढ़ रही है बल्कि यह विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं में शोध कार्यों और विद्धानों में भी दिख रही है। हमें इसका पूर्ण रूप से लाभ उठाना चाहिए। इसी वजह से मैंने अपने कूटनीतिक एजेंडें में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सबसे आगे रखा है।

      मैंने विश्व की अनेक देशों की यात्रा के दौरान वैज्ञानिकों से व्यक्तिगत रूप से स्वच्छ ऊर्जा, कृषि, जैव-तकनीकी, चिकित्सा, औषधि तथा स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रों में सहयोग के बारे में जानकारी ली है।

विश्व के समक्ष आज विशाल चुनौतियों का समाधान करने के लिए हमने सभी अग्रणी देशों के साथ उत्कृष्ठ सहयोग स्थापित किया है और मैंने अपने पड़ोसी देशों तथा अन्य विकासशील देशों को अपनी विशेषज्ञता की पेशकश की है।

      मैं अक्सर अपने देश के युवाओं के लिए कौशल विकास की बात करता हूं अगर हम अगली पीढी के विश्व स्तरीय वैज्ञानिकों, तकनीकविदों और प्रवर्तकों को तैयार कर सकें तो इससे हमारा भविष्य भी सुरक्षित रहेगा और हमारा वैश्विक नेतृत्व भी संभव हो सकेगा।

स्कूलों में विज्ञान और गणित की शिक्षा को अधिक प्रेरक तथा रचनात्मक बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा हमारे देश के बच्चों तथा युवाओं के साथ वैज्ञानिकों के प्रत्यक्ष सम्पर्क के लिए हमें इंटरनेट के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए जिस प्रकार स्कूल जाना एक बुनियादी अधिकार है उसी तरह डिजिटल कनेक्टिविटी को भी बनाया जाना चाहिए।

मैं विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हजारों बच्चों तथा युवाओं को शामिल करने के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रयासों का स्वागत करता हूं।

इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि हमारे युवा छात्र अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाएं जीत रहे हैं और उनमें से 12 के नाम पर कुछ छोटे धूमकेतुओं का नाम भी रखा गया है।

हमारे देश के बच्चों को खेलों की तरह विज्ञान में भी अपने रोल मॉडल चुनने चाहिए। व्यापार और सिविल सेवाओं की तरह विज्ञान में भी अपना भविष्य चुनने वाले बच्चों पर उनके माता पिता को गर्व होना चाहिए, मगर इसके लिए विज्ञान की शक्ति तथा संभावनाओं को बेहतर तरीके से बताया जाना जरूरी है।

आईए, अब हम निकट भविष्य में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को गणतंत्र दिवस की परेड थीम बनाएं। जिस प्रकार हम अन्य क्षेत्रों में अर्जित सफलताओं पर जश्न मनाते हैं, उसी तरह वैज्ञानिक जगत की उपलब्धियों पर भी उत्सव मनाने की आवश्यकता है।

हमें उन युवा सहभागियों और प्रतियोगियों को समाज में विशेष पहचान देनी चाहिए जो विज्ञान प्रदर्शनियों में शीर्ष स्थान पाते हैं और सरकार की तरफ से भी उन्हें लगातार सहयोग देना चाहिए।

मैं अपने श्रेष्ठ युवा वैज्ञानिकों से व्यक्तिगत रूप से मिलना बेहद पसंद करूंगा। अंत में मुझे यह कहना है कि ज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित इस विश्व में भारत के लिए एक सुरक्षित, सतत और समृद्ध भविष्य या वैश्विक नेतृत्व के लिए हमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवाचर को अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखने की आवश्यकता है।

मुझे पूरा भरोसा है कि हम यह कर सकते हैं।

हम प्राचीन समय से ही विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में भारत की हमेशा उन्नतिशील परपंरा के उत्तराधिकारी हैं। गणित, चिकित्सा, धातुकर्म एवं खनन, गणना एवं वस्त्र, वास्तुकला तथा खगोल विज्ञान के क्षेत्र में विश्व की भारतीय सभ्यता की देन काफी समृद्ध रही है।

      पिछले 6 दशकों में विभिन्न कठिन परिस्थितियों में हमने जो सफलताएं हासिल की हैं हम उनसे प्रेरणा तथा विश्वास हासिल कर सकते हैं। कई संस्थानों की मजबूती विज्ञान के क्षेत्र में भारत की समृद्ध प्रतिभा तथा बारत के पांच प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों के रुप में है और जिनका हाल में ही सम्मान किया है।

      सबसे पहले हमें विज्ञान एवं वैज्ञानिकों के अपने गौरव को बरकरार रखना है। समाज में विज्ञान के प्रति लोगों की उत्सुकता को पुर्नजीवित करना है। हमारे बच्चों में वैज्ञानिक शिक्षा के प्रति प्रेम को फिर से जगाना है और देश के वैज्ञानिकों को कल्पना करने, सपने देखने तथा उन पर काम करने के लिए प्रेरित करना है।

      आपको मुझसे बेहतर सहारा देने वाला कल नहीं मिलेगा और इसके बदले मैं भारत को बदलने के लिए आपकी मदद चाहता हूं।

      आप सभी का धन्यवाद, सभी को शुभकामनाएं!!

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असम सहित पूरा नॉर्थ ईस्ट आज भारत के विकास का नया प्रवेशद्वार: गुवाहाटी में पीएम मोदी
December 20, 2025
प्रधानमंत्री ने कहा- आधुनिक हवाई अड्डे और आधुनिक संपर्क अवसंरचना किसी भी राज्य के लिए नई संभावनाओं और नए अवसरों के द्वार हैं
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा - आज असम और पूरा पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के विकास का नया प्रवेश द्वार बन रहा है
प्रधानमंत्री ने कहा-पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के भविष्य के विकास का नेतृत्व करेगा

नोमोस्कार। लुइटपोरिया राइजोलोई मुर श्रोद्धा अरु मरोम ज़ासिसु!

असम के गर्वनर लक्ष्मण प्रसाद आचार्य जी, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जी, केंद्र में मेरे सहयोगी, हमारे पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल जी, राम मोहन नायडू जी, मुरलीधर मोहोल जी, पबित्रा मार्गेरिटा जी, असम सरकार के मंत्रिगण, अन्य महानुभाव, भाईयों और बहनों।

मैं अपना भाषण शुरू करूं उससे पहले, मैं आप सबसे एक प्रार्थना करता हूं, कि आज विजय का आज का जो दिवस है, एक प्रकार से विकास के उत्सव का दिवस है और ये सिर्फ असम नहीं, पूरे नॉर्थ ईस्ट के विकास का उत्सव है, और इसलिए मेरी आपसे प्रार्थना है कि अपना मोबाइल फोन निकालिए, उसपर फ्लैश लाईट चालू कीजिए और सब के सब इस विकास उत्सव में भागीदार बनिए। हर एक के मोबाईल फोन का लाईट जलना चाहिए, देखिए तालियों के गूंज से पूरा देश देखेगा, कि असम विकास का उत्सव मना रहा है। जब विकास का प्रकाश पहुंचता है, तो जिंदगी की हर राह नई ऊंचाईयों को छूने लग जाती है। बहुत-बहुत धन्यवाद सबका।

साथियों,

असम की धरती से मेरा लगाव, यहां के लोगों का प्यार और स्नेह, और खासकर असम और पूर्वोत्तर की मेरी माताओं-बहनों का अपनापन, ये मुझे निरंतर प्रेरित करते हैं, पूर्वोत्तर के विकास के हमारे संकल्प को ताकत देते हैं। मैं देख रहा हूं, आज एक बार फिर असम के विकास में नया अध्याय जुड़ रहा है, और ऐसे में भारत रत्न भूपेन दा की पंक्तियां बहुत सटीक हो जाती हैं। लुइदोर पार जिलिकाई टुलिबोलोई, आमी प्रोतिज्ञाबोद्ध! आमी हॉन्कल्पबोद्ध! यानी लुइत नदी का तट उज्जवल होगा, अंधकार की हर दीवार टूटेगी और ये होकर रहेगा, यही हमारा संकल्प है, यही हमारी प्रतिज्ञा है।

साथियों,

भूपेन दा की ये पंक्तियां केवल एक गीत नहीं थी, ये असम को प्यार करने वाली हर महान आत्मा का संकल्प था और आज ये संकल्प हमारे सामने सिद्ध हो रहा है। जैसे असम में विशाल ब्रह्मपुत्र की धाराएं कभी नहीं रूकती, वैसे ही बीजेपी की डबल इंजन सरकार में यहां विकास की धारा भी अनवरत बह रही है। आज लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का उद्धघाटन हमारे इस संकल्प का प्रमाण है। मैं सभी असमवासियों को, देश के लोगों को, इस नई टर्मिनल बिल्डिंग के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहनों और भाईयों,

अब से कुछ देर पहले मुझे गोपीनाथ बोरदोलोई जी की प्रतिमा का अनावरण करने का सौभाग्य मिला है। बोरदोलोई जी असम के पहले मुख्यमंत्री थे, असम का गौरव थे, असम की पहचान, असम का भविष्य और असम के हित उन्होंने कभी भी इससे समझौता नहीं किया। उनकी ये प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी, उनमें असम को लेकर गौरव की भावना जगाएगी।

साथियों,

आधुनिक एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं कनेक्टिविटी का आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चऱ ये किसी भी राज्य के लिए नई संभावनाओं और नए अवसरों के गेटवे होते हैं। ये राज्य के बढ़ते आत्मविश्वास और लोगों के भरोसे के स्तम्भ होते हैं। आप भी जब देखते हैं कि असम में इतने शानदार हाईवे बन रहे हैं एय़रपोर्ट बन रहे हैं तो आप भी कहते हैं- अब जाकर असम के साथ न्याय होना शुरू हुआ है।

वरना साथियों,

काँग्रेस की सरकारों के लिए असम और पूर्वोत्तर का विकास उनके एजेंडे में ही नहीं था। काँग्रेस की सरकारें, और उनमें बैठे लोग कहते थे, असम और पूर्वोत्तर में जाता ही कौन है? काँग्रेस कहती थी, असम को, पूर्वोत्तर को, आधुनिक एयरपोर्ट की, हाइवेज और बेहतर रेलवेज की जरूरत ही क्या है? इसी सोच की वजह से कांग्रेस ने दशकों तक इस पूरे क्षेत्र की उपेक्षा की।

साथियों,

कांग्रेस 6-7 दशक तक जो गलतियां करती रही, और मोदी एक एक करके उसको सुधार रहा है। मोदी कहता है, काँग्रेस वाले नॉर्थईस्ट जाएँ या न जाएँ, मुझे तो नॉर्थईस्ट और असम आते ही अपने लोगों के बीच होने का एहसास होता है। मोदी के लिए असम का विकास, ये जरूरत भी है, ज़िम्मेदारी भी है, और इसकी जवाबदेही भी है।

और इसीलिए साथियों,

बीते 11 वर्षों में असम और नॉर्थईस्ट के लिए लाखों करोड़ रुपए की विकास परियोजनाएं शुरू हुईं हैं। आज असम आगे भी बढ़ रहा है, और नए कीर्तिमान भी गढ़ रहा है। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि असम भारतीय न्याय संहिता लागू करने में देश में नंबर-1 राज्य बना है। असम ने 50 लाख से ज्यादा स्मार्ट प्री-पेड मीटरलगाकर भी एक नया रिकॉर्ड बनाया है। कांग्रेस के समय में असम में बिना पर्ची, बिना खर्ची के सरकारी नौकरी मिलना असंभव था। लेकिन आज यहां हजारों युवाओं को बिना पर्ची-बिना खर्ची नौकरी मिल रही है। भाजपा की सरकार में असम की संस्कृति को हर मंच पर बढ़ावा दिया जा रहा है। मैं भूल नहीं सकता, जब पिछले साल 13 अप्रैल को गुवाहाटी स्टेडियम में 11 हजार से ज्यादा कलाकारों ने एक साथ बिहू नृत्य किया था। इस घटना को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। ऐसे ही नए रिकॉर्ड बनाते हुए असम तेजी से आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

अब इस नई टर्मिनल बिल्डिंग से गुवाहाटी और असम की क्षमता और ज्यादा बढ़ जाएगी। इस टर्मिनल पर हर साल करीब सवा करोड़ से ज्यादा यात्री सफर कर सकेंगे! यानी, बड़ी संख्या में पर्यटक भी असम आ सकेंगे। श्रद्धालुओं के लिए माँ कामाख्या के दर्शन की सुविधा भी आसान हो जाएगी। इस नए एयरपोर्ट टर्मिनल में कदम रखते ही ये साफ दिखता है विकास भी औऱ विरासत भी, ये मंत्र के मायने क्या हैं? इस एयरपोर्ट को असम की प्रकृति और संस्कृति को ध्यान में रखकर गढ़ा गया है। टर्मिनल के अंदर हरियाली है। Indoor forest जैसी व्यवस्था है। चारों तरफ प्रकृति से जुड़ा डिजाइन है, यहां आने वाला हर यात्री सुकून महसूस करे। इसकी बनावट में बांस का खास इस्तेमाल किया गया है। बांस असम के जीवन का अभिन्न हिस्सा है, वो यहां मजबूती भी दिखाता है और खूबसूरती भी। और दिल्ली में बैठे हुए भूतकाल की सरकारों को ये बंबू क्या है, इसकी पहचान भी नहीं थी। आप हैरान होंगे, 2014 में आपने मुझे काम दिया उसके पहले हमारे देश में एक कानून था, ये कानून ऐसा था कि आप बंबू को काट नहीं सकते, अब कोई मुझे समझाए भई क्यों? क्योंकि उन्होंने कह दिया बंबू एक ट्री है, वृक्ष है, और जब एक बार वृक्ष कह दिया, तो फिर सारे दरवाजे बंद हो गए। जबकि बंबू दुनिया मानती है, कि ये एक पौधा है और हमने कानून हटाया और ग्रास की कैटेगरी में, जो सचमुच में बंबू की पहचान है उसमें लाया और तब जाकर के आज ये बंबू से इतनी बड़ी भव्य इमारत निर्माण हुई है और आज अगर आप सोशल मीडिया देखोगे, तो दुनिया भर में भारत के एयरपोर्ट की रचनाओं की चर्चा हो रही है।

साथियों,

इनफ्रास्ट्रक्चर के इस विकास का बहुत बड़ा संदेश, भारत की विकास यात्रा की पहचान बन रहा है। इससे उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। निवेशकों को कनेक्टिविटी का भरोसा मिलता है। लोकल प्रोडक्ट्स को दुनिया भर में पहुंचाने का रास्ता खुलता है। और, सबसे बड़ा भरोसा उस युवा को मिलता है, जिसके लिए नए अवसर पैदा होते हैं। और इसलिए आज हम असम को, असीम संभावनाओं की इसी उड़ान पर आगे बढ़ते देख रहे हैं।

साथियों,

आज भारत को देखने का दुनिया का नज़रिया बदला है, और भारत की भूमिका भी बदली है। भारत अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। 11 साल के भीतर-भीतर ये कैसे हुआ?

साथियों,

इसमें बहुत बड़ी भूमिका आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर के विकास की है। भारत 2047 की तैयारी कर रहा है, विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए हम इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस कर रहे हैं। और सबसे अहम बात ये है कि, विकास के इस महान अभियान में देश के हर राज्य की, हर क्षेत्र की भागीदारी है। हम पिछड़ों को प्राथमिकता दे रहे हैं। देश का हर राज्य एक साथ प्रगति करे, और विकसित भारत के मिशन में अपना योगदान दे, हमारी सरकार इस दिशा में काम कर रही है। और मुझे खुशी है कि आज असम और पूर्वोत्तर हमारे इस मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं। हमने Act East पॉलिसी के जरिए पूर्वोत्तर को प्राथमिकता दी, और आज, हम असम को भारत के ईस्टर्न गेटवे के रूप में उभरता देख रहे हैं। असम भारत को ASEAN देशों से जोड़ने के लिए ब्रिज की भूमिका निभा रहा है। ये शुरुआत अभी बहुत आगे तक जाएगी। और, असम कई क्षेत्रों में विकसित भारत का इंजन बनेगा।

साथियों,

आज असम और पूरा नॉर्थ ईस्ट भारत के विकास का नया प्रवेशद्वार बन रहा है। मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के संकल्प ने इस क्षेत्र की दिशा और इसकी दशा, दोनों बदली हैं। असम में नए पुल बनाने की रफ्तार, नए मोबाइल टावर लगाने की स्पीड, विकास के हर काम की गति, सपनों को हकीकत में बदल रही है। ब्रह्मपुत्र पर बने पुलों ने असम की कनेक्टिविटी को नई मजबूती और नया आत्मविश्वास दिया है। आजादी के बाद के 6-7 दशक में यहाँ केवल तीन बड़े पुल बन पाए थे। लेकिन पिछले एक दशक में चार नए मेगा ब्रिज पूरे किए गए हैं, इनके अलावा कई ऐतिहासिक परियोजनाएँ आकार ले रही हैं। बोगीबील और ढोला-सादिया जैसे सबसे लंबे पुलों ने असम को रणनीतिक रूप से और अधिक सशक्त बना दिया है। रेलवे कनेक्टिविटी में भी एक क्रांतिकारी बदलाव आया है। बोगीबील ब्रिज के शुरू होने से अपर असम और देश के बाकी हिस्सों के बीच की दूरी सिमट गई है। गुवाहाटी से न्यू जलपाईगुड़ी तक चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ने यात्रा के समय को कम कर दिया है। देश में वाटरवेज के विकास का फायदा भी असम को मिल रहा है। कार्गो ट्रैफिक में 140 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, ये इस बात का प्रमाण है कि ब्रह्मपुत्र केवल नदी नहीं, बल्कि आर्थिक शक्ति का प्रवाह है। पांडु में पहली शिप रिपेयर सुविधा विकसित हो रही है, वाराणसी से डिब्रूगढ़ तक चलने वाली गंगा विकास क्रूज़ को लेकर उत्साह है, इससे नॉर्थ ईस्ट, ग्लोबल क्रूज़ टूरिज्म के मानचित्र पर स्थापित हो गया है।

साथियों,

काँग्रेस की सरकारों ने असम और पूर्वोत्तर को विकास से दूर रखने का जो पाप किया था, उसका बहुत बड़ा खामियाजा देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता को उठाना पड़ा। काँग्रेस की सरकारों में हिंसा का दौर दशकों तक फलता फूलता रहा, हम केवल 10-11 साल के भीतर उसे खत्म करने की तरफ बढ़ रहे हैं। पूर्वोत्तर में पहले जहां हिंसा और खून-खराबा होता था, आज वहाँ 4G और 5G टेक्नालजी से डिजिटल कनेक्टिविटी पहुँच रही है। जो जिले, कभी हिंसा ग्रस्त माने जाते थे, आजवो आकांक्षी जिलों के रूप में विकसित हो रहे हैं। आने वाले समय में यही इलाके इंडस्ट्रियल कॉरिडॉर भी बनेंगे। इसीलिए, आज नॉर्थईस्ट को लेकर एक नया भरोसा जगा है। हमें इसे और मजबूती देनी है।

साथियों,

हमें असम और पूर्वोत्तर के विकास में कामयाबी इसलिए भी मिल रही है, क्योंकि हम इस क्षेत्र की पहचान और संस्कृति की सुरक्षा कर रहे हैं। काँग्रेस ने एक और पाप किया था, उसने यहाँ की पहचान को मिटाने की साजिश की थी। और ये षड्यंत्र केवल कुछ वर्षों का नहीं है! काँग्रेस के इस पाप की जड़ें आज़ादी के पहले से जुड़ी हैं। वो समय, जब मुस्लिम लीग और अँग्रेजी हुकूमत मिलकर भारत के विभाजन की जमीन तैयार कर रहे थे, उस समय असम को भी अविभाजित बंगाल का, यानी ईस्ट पाकिस्तान का हिस्सा बनाने की योजना बनाई गई थी। काँग्रेस उस साजिश का हिस्सा बनने जा रही थी। तब बोरदोलोई जी अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े हो गए थे। उन्होंने असम की पहचान को खत्म करने के इस षड्यंत्र का विरोध किया। और, असम को देश से अलग होने से बचा लिया। भाजपा पार्टी, हमेशा पार्टी लाइन से ऊपर उठकर हर देशभक्त का सम्मान करती है। अटल जी के नेतृत्व में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई, तब उन्हें भारत रत्न दिया गया।

भाइयों बहनों,

बोरदोलोई जी ने आज़ादी के पहले तो असम को बचा लिया था, लेकिन, उनके बाद काँग्रेस ने फिर से असम विरोधी और देश विरोधी काम शुरू कर दिये। काँग्रेस ने अपना वोटबैंक बढ़ाने के लिए मजहबी तुष्टीकरण के षड्यंत्र रचे हैं। बंगाल और असम में अपने वोटबैंक वाले घुसपैठियों को खुली छूट दी गई है। यहाँ की डेमोग्राफी को बदला गया है। इन घुसपैठियों ने हमारे जंगलों पर कब्जा किया, हमारी ज़मीनों पर कब्जा किया। इसका नतीजा ये हुआ कि पूरे असम की सुरक्षा और पहचान दांव पर लग गई है।

साथियों,

आज हिमंत जी की सरकार और उनकी टीम के सभी साथी बहुत मेहनत से, असम के संसाधनों को इस गैर-कानूनी और देशविरोधी अतिक्रमण से मुक्त करा रही है। असम के संसाधन असम के लोगों के काम आयें, इसके लिए हर स्तर पर काम हो रहा है। केंद्र सरकार ने भी घुसपैठ रोकने के लिए सख्ती की है। अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए उनकी पहचान भी कराई जा रही है।

लेकिन भाइयों बहनों,

काँग्रेस पार्टी और इंडी गठबंधन के लोग खुलकर देशविरोधी एजेंडों पर उतर आए हैं। देश का सुप्रीम कोर्ट तक घुसपैठियों को बाहर करने की बात कर चुका है। लेकिन, ये लोग घुसपैठियों के बचाव में बयानबाजी कर रहे हैं। इनके वकील कोर्ट में घुसपैठियों को बसाने की पैरवी कर रहे हैं। चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव के लिए SIR की प्रक्रिया करवा रहा है, तो, इन लोगों को देश के हर कोने में तकलीफ हो रही है। ऐसे लोग, असमिया भाई-बहनों के हितों को नहीं बचाएंगे। ये लोग आपकी जमीन और जंगलों पर किसी और का कब्जा होने देंगे, इनकी देशविरोधी मानसिकता पुराने दौर की हिंसा और अशांति वाले हालात पैदा कर सकती है। और इसलिए मेरे असम के भाई-बहन, हमें बहुत सावधान रहना है। जिस असम की अस्मिता के लिए बोरदोलोई जी जैसे लोगों ने जीवन भर अपना सब कुछ नौछावर किया, हमें उसकी रक्षा करनी है। असम के लोगों को एकजुट रहना है। हमें असम के विकास को डिरेल होने से बचाना है, काँग्रेस के षडयंत्रों को पल-पल, कदम-कदम पर विफल करते रहना है।

साथियों,

आज दुनिया भारत की ओर उम्मीद से देख रही है। भारत के भविष्य का नया सूर्योदय पूर्वोत्तर से ही होना है। इसके लिए, हमें साथ मिलकर अपने सपनों के लिए काम करना होगा। हमें असम के विकास को सबसे आगे रखकर चलना होगा। मुझे विश्वास है, हमारे ये सामूहिक प्रयास असम को नई ऊंचाई पर लेकर जाएंगे। हम विकसित भारत के सपने पूरा करेंगे। और विकसित असम से विकसित भारत का रास्ता बनने वाला है। इसी कामना के साथ मैं एक बार फिर नए टर्मिनल की बधाई देता हूं। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद। मेरे साथ बोलिए-

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।