भारत ने नई ऊर्जा और नए उत्साह के साथ 21वीं सदी के तीसरे दशक में प्रवेश किया है: प्रधानमंत्री मोदी
21वीं सदी का ये तीसरा दशक उम्मीदों की, आकांक्षाओं की मजबूत नींव के साथ शुरु हुआ है: पीएम मोदी
अब ये हर भारतीय का मानस बन चुका है कि विरासत में जो समस्याएं हमें मिली हैं, उनको हल करना ही होगा, समाज से निकलने वाला यही संदेश हमारी सरकार को भी प्रेरित करता है, प्रोत्साहित करता है: प्रधानमंत्री

पूजनीय श्री सिद्धलिंगेश्वरा स्वामी जी, कर्नाटका के मुख्यमंत्री श्री बी एस येदियुरप्पा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्री डी वी सदानंद गौड़ा जी, श्री प्रह्लाद जोशी जी, कर्नाटका सरकार के मंत्रिगण, यहां उपस्थित आदरणीय संत समाज, श्रद्धालुगण, देवियों और सज्जनों, आप सभी को नमस्कार। तुमकुरू में डॉक्टर शिवकुमार स्वामी जी की धरती, सिद्धागंगा मठ में आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। सबसे पहले आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं।

वर्ष 2020 की आप सभी को मंगलकामनाएं !

ये मेरा सौभाग्य है कि साल 2020 की शुरुआत तुमकुरू की इस पावन धरा से, आप सभी के बीच से कर रहा हूं। मेरी कामना है कि सिद्धागंगा मठ की ये पवित्र ऊर्जा समस्त देशवासियों के जीवन को मंगलकारी बनाए।

साथियों, आज कई वर्ष बाद यहां आया हूं तो एक सूनापन सा भी अनुभव हो रहा है। पूज्य स्वामी श्री श्री शिवकुमार जी की भौतिक अनुपस्थिति हम सभी महसूस करते हैं। मैंने तो साक्षात अनुभव किया है कि उनके दर्शन मात्र से ही जीवन ऊर्जा से भर जाता था। उनके प्रेरक व्यक्तित्व से ये पवित्र स्थान दशकों से समाज को दिशा देता रहा है। विशेषतौर पर एक शिक्षित और समान अवसरों वाले समाज के निर्माण की गंगा यहां से निरंतर बहती रही है। अपने जीवनकाल में, स्वामी जी ने जितने लोगों की जिंदगी पर प्रभाव डाला, वैसा कम ही देखने को मिलता है।

ये मेरा सौभाग्य है कि श्री श्री शिवकुमार जी की स्मृति में बनने वाले म्यूजियम का शिलान्यास करने का अवसर मिला। ये म्यूजियम, न सिर्फ लोगों को प्रेरणा देगा, बल्कि समाज और देश के स्तर पर हमें दिशा देने का भी काम करेगा। मैं पूज्य स्वामी जी को पुन: स्मरण करते हुए उनके चरणों में नमन करता हूं।

साथियों, मैं यहां ऐसे समय में आया हूं जब कर्नाटका की धरती से एक और महान संत का साथ छूट गया है। पेजावर मठ के प्रमुख विश्वेश तीर्थ स्वामी का देहावसान भारत के समाज के लिए एक कमी पैदा कर गया है। हमारे आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन के ऐसे स्तंभों का हमारे बीच से जाना, एक बड़ा शून्य छोड़ जाता है। हम शारीरिक जीवन की इस गति को तो नहीं रोक सकते, लेकिन हमारे इन संतों के दिखाए मार्ग को सशक्त ज़रूर कर सकते हैं, मानवता की सेवा और मां भारती की सेवा में खुद को समर्पित कर सकते हैं।

साथियों, ये इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत ने नई ऊर्जा और नए उत्साह के साथ 21वीं सदी के तीसरे दशक में प्रवेश किया है। आपको याद होगा कि बीते दशक की शुरुआत किस तरह के माहौल से हुई थी। लेकिन 21वीं सदी का ये तीसरा दशक उम्मीदों की, आकांक्षाओं की मजबूत नींव के साथ शुरु हुआ है।

ये आकांक्षा नए भारत की है। ये आकांक्षा युवा सपनों की है। ये आकांक्षा देश की बहनों-बेटियों की है। ये आकांक्षा देश के गरीब, दलित, वंचित, पीड़ित, पिछड़े, आदिवासियों की है। ये आकांक्षा क्या है? भारत को समृद्ध, सक्षम और सर्वहितकारी विश्वशक्ति के रूप में देखने की है। दुनिया के नक्शे पर भारत को अपने स्वाभाविक स्थान को प्रतिष्ठापित होते हुए देखने की।

साथियों, इसी आकांक्षा को पूरा करने के लिए, राष्ट्र के रूप में बड़े बदलावों को देश के लोगों ने सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। अब ये हर भारतीय का मानस बन चुका है कि विरासत में जो समस्याएं हमें मिली हैं, उनको हल करना ही होगा। समाज से निकलने वाला यही संदेश हमारी सरकार को भी प्रेरित करता है, प्रोत्साहित करता है। यही कारण है कि 2014 के बाद से ही सामान्य भारतीय के जीवन में सार्थक परिवर्तन लाने वाले अभूतपूर्व प्रयास देश ने किए हैं।

बीते साल ने तो एक समाज के रूप में, एक राष्ट्र के रूप में हमारे उन प्रयासों को शिखर पर पहुंचाया है। आज, देश को खुले में शौच से मुक्ति का संकल्प सिद्ध हो रहा है। देश की गरीब बहनों को धुएं से मुक्ति का संकल्प सिद्ध हो रहा है। देश के हर किसान परिवार को सीधी मदद, खेत मजदूरों, श्रमिकों, छोटे व्यापारियों को सामाजिक सुरक्षा का, पेंशन जैसी व्यवस्था से जोड़ने का संकल्प सिद्ध हो रहा है।

आतंकवाद के विरुद्ध भारत की नीति और रीति में बदलाव का संकल्प भी सिद्ध हो रहा है। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाकर वहां के जीवन से आतंक और अनिश्चितता को दूर करने का, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों की अगुवाई में विकास के नए युग की शुरुआत का संकल्प भी सिद्ध हो रहा है। और इन सबके बीच, भगवान राम के जन्मस्थान पर एक भव्य मंदिर का मार्ग भी पूरी शांति और सहयोग से प्रशस्त हो चुका है।

साथियों, कुछ हफ्ते पहले ही हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी संस्था, हमारी संसद ने सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट बनाने का भी ऐतिहासिक कार्य किया है। लेकिन कांग्रेस के लोग, उनके साथी दल और उनका बनाया इकोसिस्टम, भारत की संसद के खिलाफ ही उठ खड़ा हुआ है। जिस तरह की नफरत वो हम लोगों से करते हैं, वैसा ही स्वर अब देश की संसद के खिलाफ दिख रहा है। इन लोगों ने भारत की संसद के खिलाफ ही आंदोलन शुरू कर दिया है। ये लोग पाकिस्तान से आए दलितों-पीड़ितों-शोषितों के ही खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।

साथियों, पाकिस्तान का जन्म धर्म के आधार पर हुआ था। देश धर्म के आधार पर बंटा था। और बंटवारे के समय से ही पाकिस्तान में दूसरे धर्म के लोगों के साथ अत्याचार शुरू हो गया था। समय के साथ पाकिस्तान में चाहे हिंदू हों, सिख हों, ईसाई हों, जैन हों, उन पर धर्म के आधार पर अत्याचार बढ़ा ही है। हजारों ऐसे लोगों को वहां से अपना घर छोड़कर शरणार्थी के रूप में भारत आना पड़ा है।

पाकिस्तान ने हिंदुओं पर जुल्म किया, सिखों पर जुल्म किया, जैन और इसाइयों पर जुल्म किया, लेकिन कांग्रेस और उसके साथी, पाकिस्तान के खिलाफ नहीं बोलते। आज हर देशवासी के मन में सवाल है कि जो लोग पाकिस्तान से अपनी जान बचाने के लिए, अपनी बेटियों की जिंदगी बचाने के लिए यहां आए हैं, उनके खिलाफ तो जुलूस निकाले जा रहे हैं लेकिन जिस पाकिस्तान ने उनपर ये जुल्म किया, उसके खिलाफ इन लोगों के मुंह पर ताले क्यों लगे हुए हैं?

हमारा ये फर्ज बनता कि पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की मदद करें, उनके साथ खड़े नजर आएं। हमारा ये फर्ज बनता है कि पाकिस्तान से आए हिंदुओं को, दलितों-पीड़ितों-शोषितों को उनके नसीब पर न छोड़ें, उनकी मदद करें। हमारा ये फर्ज बनता है कि पाकिस्तान से आए सिखों को उनके नसीब पर न छोड़ें, उनकी मदद करें। हमारा ये फर्ज बनता है कि पाकिस्तान से आए जैन और ईसाइयों को उनके नसीब पर न छोड़ें, उनकी मदद करें।

साथियों, जो लोग आज भारत की संसद के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, मैं उन्हें कहना चाहता हूं कि आज जरूरत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की इस हरकत को बेनकाब करने की है। अगर आपको आंदोलन करना ही है तो पाकिस्तान के पिछले 70 साल के कारनामों के खिलाफ आवाज उठाइए।

अगर आपको नारे लगाने ही हैं तो पाकिस्तान में जिस तरह अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है, उसे जुड़े नारे लगाइए। अगर आपको जुलूस निकालना ही तो पाकिस्तान से आए हिंदू-दलित-पीड़ित-शोषितों के समर्थन में जुलूस निकालिए। अगर आपको धरना देना ही है, तो पाकिस्तान के खिलाफ धरना दीजिए।

साथियों, हमारी सरकार, देश के सामने चली आ रही दशकों पुरानी चुनौतियों का समाधान करने के लिए दिन रात एक कर रही है। देश के लोगों का जीवन आसान हो, ये हमारी प्राथमिकता है। देश के हर गरीब के पास पक्की छत हो, हर घर में गैस कनेक्शन हो, हर घर में पाइप से पानी पहुंचे, हर व्यक्ति को स्वास्थ सुविधा सुलभ हो, हर व्यक्ति के पास बीमा सुरक्षा कवच हो, हर गांव में ब्रॉडबैंड हो, ऐसे अनेक लक्ष्यों पर हम काम कर रहे हैं।

साल 2014 में जब मैंने आपसे स्वच्छ भारत अभियान में भागीदारी की प्रार्थना की, तो आपने पूरे सामर्थ्य के साथ हाथ आगे बढ़ाया था। आप जैसे करोड़ों साथियों के सहयोग के कारण ही गांधी जी की 150वीं जयंति पर भारत ने खुद को खुले में शौच से मुक्त कर दिया।

आज मैं संत समाज से 3 संकल्पों में सक्रिय सहयोग चाहता हूं। पहला- अपने कर्तव्यों और दायित्वों को महत्व देने की अपनी पुरातन संस्कृति को हमें फिर मजबूत करना है, लोगों को इस बारे में निरंतर जागृत करना है। दूसरा, प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा। और तीसरा, जल संरक्षण, जल संचयन के लिए जनजागरण में सहयोग।

साथियों, भारत ने हमेशा संतों को, ऋषियों को, गुरुओं को सही मार्ग के लिए एक प्रकाश स्तंभ के रूप में देखा है। न्यू इंडिया में भी सिद्दागंगा मठ, आध्यात्म और आस्था से जुड़े देश के हर नेतृत्व की भूमिका अहम है।

आप सभी संतों का आशीर्वाद, हम सभी पर बना रहे, आपके आशीर्वाद से हम अपने संकल्पों को सिद्ध करें, इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।

आप सभी का बहुत-बहुत आभार!

भारत माता की जय !

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Prime Minister welcomes passage of SHANTI Bill by Parliament
December 18, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has welcomed the passage of the SHANTI Bill by both Houses of Parliament, describing it as a transformational moment for India’s technology landscape.

Expressing gratitude to Members of Parliament for supporting the Bill, the Prime Minister said that it will safely power Artificial Intelligence, enable green manufacturing and deliver a decisive boost to a clean-energy future for the country and the world.

Shri Modi noted that the SHANTI Bill will also open numerous opportunities for the private sector and the youth, adding that this is the ideal time to invest, innovate and build in India.

The Prime Minister wrote on X;

“The passing of the SHANTI Bill by both Houses of Parliament marks a transformational moment for our technology landscape. My gratitude to MPs who have supported its passage. From safely powering AI to enabling green manufacturing, it delivers a decisive boost to a clean-energy future for the country and the world. It also opens numerous opportunities for the private sector and our youth. This is the ideal time to invest, innovate and build in India!”