Quoteडॉ अम्बेडकर ने समाज में अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी: प्रधानमंत्री मोदी
Quote‘ग्राम उदय से भारत उदय’ अभियान के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में विकास संबंधी पहल पर ध्यान दिया जाएगा: प्रधानमंत्री
Quoteविकास संबंधी हमारी विभिन्न पहल ग्रामीण विकास पर केंद्रित होनी चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteबिजली की सुविधा से रहित 18,000 गांवों में 1000 दिन की समय सीमा के अंदर बिजली पहुंचाई जा रही है: प्रधानमंत्री
Quoteडिजिटल कनेक्टिविटी गांवों में आवश्यक है: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
Quoteसरकार का लक्ष्य है - किसानों की आय को दोगुनी करना और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाना: प्रधानमंत्री

विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों,

ये मेरा सौभाग्‍य है कि आज डॉ. बाबा साहेब अम्‍बेडकर की 125वीं जन्‍म जयंती निमित्‍त, जिस भूमि पर इस महा पुरूष ने जन्‍म लिया था, जिस धरती पर सबसे पहली बार जिसके चरण-कमल पड़े थे, उस धरती को नमन करने का मुझे अवसर मिला है।

मैं इस स्‍थान पर पहले भी आया हूं। लेकिन उस समय के हाल और आज के हाल में आसमान-जमीन का अंतर है और मैं मध्‍य प्रदेश सरकार को, श्रीमान सुंदरलाल जी पटवा ने इसका आरंभ किया, बाद में श्रीमान शिवराज की सरकार ने इसको आगे बढ़ाया, परिपूर्ण किया। इसके लिए हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं उनका अभिनंदन करता हूं।

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बाबा साहेब अम्‍बेडकर एक व्‍यक्ति नहीं थे, वे एक संकल्‍प का दूसरा नाम थे। बाबा साहेब अम्‍बेडकर जीवन जीते नहीं थे वो जीवन को संघर्ष में जोड़ देते थे, जोत देते थे। बाबा साहेब अम्‍बेडकर अपने मान-सम्‍मान, मर्यादाओं के लिए नहीं लेकिन समाज की बुराईयों के खिलाफ जंग खेल करके आखिरी झोर पर बैठा हुआ दलित हो, पीढि़त हो, शोषित हो, वंचित हो। उनको बराबरी मिले, उनको सम्‍मान मिले, इसके लिए अपमानित हो करके भी अपने मार्ग से कभी विचलित नहीं हुए। जिस महापुरूष के पास इतनी बड़ी ज्ञान संपदा हो, जिस महापुरूष के युग में विश्‍व की गणमान्‍य यूनिवर्सिटिस की डिग्री हो, वो महापुरूष उस कालखंड में अपने व्‍यक्तिगत जीवन में लेने, पाने, बनने के लिए सारी दुनिया में अवसर उनके लिए खुले पड़े थे। लेकिन इस देश के दलित, पीढि़त, शोषित, वंचितों के लिए उनके दिल में जो आग थी, जो उनके दिल में कुछ कर गुजरने का इरादा था, संकल्‍प था। उन्‍होंने इन सारे अवसरों को छोड़ दिया और वह अवसरों को छोड़ करके, फिर एक बार भारत की मिट्टी से अपना नाता जोड़ करके अपने आप को खपा दिया।

आज 14 अप्रैल बाबा साहेब अम्‍बेडकर की जन्‍म जयंती हो और मुझे हमारे अखिल भारतीय भिक्षुक संघ के संघ नायक डॉ. धम्मवीरयो जी का सम्‍मान करने का अवसर मिला। वो भी इस पवित्र धरती पर अवसर मिला। बहुत कम लोगों को पता होगा कि कैसी बड़ी विभूति आज हमारे बीच में है।

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कहते है 100 भाषाओं के वो जानकार है, 100 भाषाएं, Hundred Languages. और बर्मा में जन्‍मे बाबा साहेब अम्‍बेडकर उन्‍हें बर्मा में मिले थे और बाबा साहेब के कहने पर उन्‍होंने भारत को अपनी कर्म भूमि बनाया और उन्‍होंने भारत में बुद्ध सत्‍व से दुनिया को जोड़ने को प्रयास अविरत किया।

मेरा तो व्‍यक्तिगत नाता उनके इतना निकट रहा है, उनके इतने आर्शीवाद मुझे मिलते रहे है। मेरे लिए वो एक प्रेरणा को स्‍थान रहे है। लेकिन आज मुझे खुशी है कि मुझे उनका सम्‍मान करने का सौभाग्‍य मिला। बाबा साहेब अम्‍बेडकर के साथ उनका वो नाता और बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने कहा तो पूरा जीवन भारत के लिए खपा दिया। और ज्ञान की उनकी कोई तुलना नहीं कर सकता, इतने विद्यमान है। वे आज हमारे मंच पर आए इस काम की शोभा बढ़ाई इसलिए मैं डॉ. धम्मवीरयो जी का, संघ नायक जी का हृदय से आभार करता हूं। मैं फिर से एक बार प्रणाम करता हूं।

आज 14 अप्रैल से आने वाली 24 अप्रैल तक भारत सरकार के द्वारा सभी राज्‍यों सरकारों के सहयोग के साथ “ग्राम उदय से भारत उदय”, एक व्‍यापक अभियान प्रारंभ हो रहा है और मुझे खुशी है कि बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने हमें जो संविधान दिया। महात्‍मा गांधी ने ग्राम स्‍वराज की जो भावना हमें दी, ये सब अभी भी पूरा होना बाकी है। आजादी के इतने सालों के बाद जिस प्रकार से हमारे गांव के जीवन में परिवर्तन आना चाहिए था, जो बदलाव आना चाहिए था। बदले हुए युग के साथ ग्रामीण जीवन को भी आगे ले जाने का आवश्‍यक था। लेकिन ये दुख की बात है अभी भी बहुत कुछ करना बाकि है। भारत का आर्थिक विकास 5-50 बढ़े शहरों से होने वाला नहीं है। भारत का विकास 5-50 बढ़े उद्योगकारों से नहीं होने वाला। भारत का विकास अगर हमें सच्‍चे अर्थ में करना है और लंबे समय तक Sustainable Development करना है तो गांव की नींव को मजबूत करना होगा। तब जा करके उस पर विकास की इमारत हम Permanent बना सकते है।

और इसलिए इस बार आपने बजट में भी देखा होगा कि बजट पूरी तरह गांव को समर्पि‍त है, किसान को समर्पित है। और एक लंबे समय तक देश के ग्रामीण अर्थकारण को नई ऊर्जा मिले, नई गति मिले, नई ताकत मिले उस पर बल दिया गया है। और मैं साफ देख रहा हूं, जो भावना महात्‍मा गांधी की अभिव्‍यक्ति में आती थी, जो अपेक्षा बाबा साहेब अम्‍बेडकर संविधान में प्रकट हुई है, उसको चरितार्थ करने के लिए, टुकड़ो में काम करने से चलने वाला नहीं है। हमें एक जितने भी विकास के स्रोत हैं, सारे विकास के स्रोत को गांव की ओर मोड़ना है।

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मैं सरकार में आने के बाद अगल-अलग कामों का Review करता रहता हूं, बहुत बारिकी से पूछता रहता हूं। अभी कुछ महिने पहले मैं भारत में ऊर्जा की स्थिति का Review कर रहा था। मैंने अफसरों को पूछा कि आजादी के अब 70 साल होने वाले है कुछ ही समय के बाद। कितने गांव ऐसे है जहां आजादी के 70 साल होने आए, अभी भी बिजली का खंभा नहीं पहुंचा है, बिजली का तार नहीं पहुंचा है। आज भी वो गांव के लोग 18वीं शताब्‍दी की जिंदगी में जी रहे है, ऐसे कितने गांव है। मैं सोच रहा था 200-500 शायद, दूर-सुदूर कहीं ऐसी जगह पर होंगे जहां संभव नहीं होगा। लेकिन जब मुझे बताया गया कि आजादी के 70 साल होने को आए है लेकिन 18,000 गांव ऐसे जहां बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा है। अभी तक उन 18,000 हजार गांव के लोगों ने उजियारा देखा नहीं है।

20वीं सदी चली गई, 19वीं शताब्‍दी चली गई, 21वीं शताब्‍दी के 15-16 साल बीत गए, लेकिन उनके नसीब में एक लट्टू भी नहीं था। मेरा बैचेन होना स्‍वाभाविक था। जिस बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने वंचितों के लिए जिंदगी गुजारने का संदेश दिया हो, उस शासन में 18,000 गांव अंधेरे में गुजारा करते हों, ये कैसे मंजूर हो सकता है।

मैंने अफसरों को कहा कितने दिन में पूरा करोंगे, उन्‍होंने न जवाब मुझे दिन में दिया, न जवाब महिनों में दिया, उन्‍होंने जवाब मुझे सालों में दिया। बोले साहब सात साल तो कम से कम लग जाएंगे। मैंने सुन लिया मैंने कहा भई देखिए सात साल तक तो देश इंतजार नहीं कर सकता, वक्‍त बदल चुका है। हमने हमारी गति तेज करनी होगी। खैर उनकी कठिनाईयां थी वो उलझन में थे कि प्रधानमंत्री कह रहे है कि सात साल तो बहुत हो गया कम करो। तो बराबर मार-पीट करके वो कहने लगे साहब बहुत जोर लगाये तो 6 साल में हो सकता है।

खैर मैंने सारी जानकारियां ली अभ्‍यास करना शुरू किया और लाल किले पर से 15 अगस्‍त को जब भाषण करना था, बिना पूछे मैंने बोल दिया कि हम 1000 दिन में 18,000 गांव में बिजली पहुंचा देंगे। मैंने देश के सामने तिरंगे झंडे की साक्षी में लाल किले पर से देश को वादा कर दिया। अब सरकार दोड़ने लगी और आज मुझे खुशी के साथ कहना है कि शायद ये सपना मैं 1000 दिन से भी कम समय में पूरा कर दूंगा। जिस काम के लिए 70 साल लगे, 7 साल और इंतजार मुझे मंजूर नहीं है। मैंने हजार दिन में काम पूरा करने का बेड़ा उठाया पूरी सरकार को लगाया है। राज्‍य सरकारों को साथ देने के लिए आग्रह किया है और तेज गति से काम चल रहा है।

और व्‍यवस्‍था भी इतनी Transparent है। कि आपने अपने मोबाइल पर ‘गर्व’ - ‘GARV’ ये अगर App लांच करेंगे तो आपको Daily किस गांव में खंभा पहुंचा, किस गांव में तार पहुंचा, कहां बिजली पहुंची, इसका Report आपकी हथेली में मोबाइल फोन पर यहां पर कोई भी देख सकता है। ये देश की जनता को हिसाब देने वाली सरकार है, पल-पल का हिसाब देने वाली सरकार है, पाई-पाई का हिसाब देने वाली सरकार है और हिन्‍दुस्‍तान के सामान्‍य मानवी के सपनों को पूरा करने के लिए तेज गति से कदम आगे बढ़ाने वाली सरकार है। और उसी का परिणाम है कि आज जिस गांव में इतने सालों के बाद बिजली पहुंची है उन गांवों में ऊर्जा उत्‍सव मनाए जा रहे है, हफ्ते भर नाच-गान चल रहे है। लोग खुशियां मना रहे है कि चलो गांव में बिजली आई, अब घर में भी आ जाएंगी ये mood बना है।

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हमारी दुनिया बिजली की बात तो दुनिया के लिए 18वीं, 19वीं शताब्‍दी की बात है। आज विश्‍व को optical fiber चाहिए, आज विश्‍व को digital network से जुड़ना है। जो दुनिया में है वो सारा उसकी हथेली पर होना चाहिए। ये आज सामान्‍य-सामान्‍य नागरिक भी चाहता है। अगर दुनिया के हर नागरिक के हाथ में उसके मोबाइल फोन में पूरा विश्‍व उपलब्‍ध है तो मेरे हिन्‍दुस्‍तान के गांव के लोगों के हाथ में क्‍यों नहीं होना चाहिए। ढाई लाख गांव जिसको digital connectivity देनी है, optical fiber network लगाना है। कई वर्षों से सपने देखें गए, काम सोचा गया लेकिन कहीं कोई काम नजर नहीं आया। मैं जानता हूं ढाई लाख गांवों में optical fiber network करना कितना कठिन है, लेकिन कठिन है तो हाथ पर हाथ रख करके बैठे थोड़े रहना चाहिए। कहीं से तो शुरू करना चाहिए और एक बार शुरू करेंगे तो गति भी आएंगी और सपने पूरे भी होंगे। आखिरकर बाबा साहेब अम्‍बेडकर जैसे संकल्‍प के लिए जीने वाले महापुरूष हमारी प्ररेणा हो तो गांव का भला क्‍यों नहीं हो सकता है।

हमारा देश का किसान, किसान कुछ नहीं मांग रहा है। किसान को अगर पानी मिल जाए तो मिट्टी में से सोना पैदा कर सकता है। बाकि सब चीजें वो कर सकता है। उसके पास वो हुनर है, उसके पास वो सामर्थ्‍य है, वो मेहनतकश है वो कभी पीछे मुड़ करके देखता नहीं है। और किसान, किसान अपनी जेब भरे तब संतुष्‍ट होता है वो स्‍वभाव का नहीं है, सामने वाले का पेट भर जाए तो किसान संतुष्‍ट हो जाता है ये उसका चरित्र होता है। और जिसे दूसरे का पेट भरने से संतोष मिलता है वो परिश्रम में कभी कमी नहीं करता है, कभी कटौती नहीं करता है।

और इसलिए हमने देश के किसानों के सामने एक संकल्‍प रखा है। गांव के अर्थ कारण को बदलना है। 2022 में किसान की income double करना बड़े-बड़े बुद्धिमान लोगों, बड़े-बड़े अनुभवी लोगों ने, बड़े-बड़े अर्थशस्त्रियों ने कहा है कि मोदी जी ये बहुत मुश्किल काम है। मुश्किल है तो मैं भी जानता हूं। अगर सरल होता तो ये देश की जनता मुझे काम न देती, देश की जनता ने काम मुझे इसलिए दिया है कि कठिन का ही तो मेरे नसीब में आए। काम कठिन होगा लेकिन इरादा उतना ही संकल्‍पबद्ध हो तो फिर रास्‍ते भी निकलते है और रास्‍ते मिल रहे है।

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मैं शिवराज जी को बधाई देता हूं उन्‍होंने पूरी डिजाइन बनाई है, मध्‍य प्रदेश में 2022 तक किसानों की आया double करने का रास्‍ता क्‍या-क्‍या हो सकता है, initiative क्‍या हो सकते है, तरीके क्‍या हो सकते है, पूरा detail में उन्‍होंने बनाया। मैंने सभी राज्‍य सरकारों से आग्रह किया कि आप भी अपने तरीके से सोचिए। आपके पार जो उपलब्‍ध resource है, उसके आधार पर देखिए।

लेकिन ग्रामीण अर्थकारण भारत की अर्थनीति को ताकत देने वाला है। जब तक गांव के व्‍यक्ति का Purchasing Power बढ़ेगा नहीं और हम सोचें कि नगर के अंदर कोई माल खरीदने आएंगा और नगर की economy चलेंगी, तो चलने वाली नहीं है। इंदौर का बाजार भी तेज तब होगा, जब मऊ के गांव में लोगों की खरीद शक्ति बढ़ी होगी, तब जा करके इंदौर जा करके खरीदी करेगा और इसलिए ग्रामीण अर्थकारण की मजबूती ये भारत में आर्थिक चक्र को तेज गति देने का सबसे बड़ा Powerful engine है। और हमारी सारी विकास की जो दिशा है वो दिशा यही है।

बाबा साहेब अम्‍बेडकर जैसे एक प्रकार कहते थे कि शिक्षित बनो, संगठित बनो, संघर्ष करो। साथ-साथ उनका सपना ये भी था कि भारत आर्थिक रूप से समृद्ध हो, सामाजिक रूप से empowered हो और Technologically के लिए upgraded हो। वे सामाजिक समता, सामाजिक न्‍याय के पक्षकार थे, वे आर्थिक समृद्धि के पक्षकार थे और वे आधुनिक विज्ञान के पक्षकार थे आधुनिक Technology के पक्षकार थे। और इसलिए सरकार ने भी ये 14 अप्रैल से 24 अप्रैल, 14 अप्रैल बाबा अम्‍बेडकर साहेब की 125वीं जन्‍म जन्‍म जयंती और 24 अप्रैल पंचायती राज दिवस इन दोनों का मेल करके बाबा साहेब अम्‍बेडकर से सामाजिक-आर्थिक कल्‍याण का संदेश लेता हुए गांव-गांव जा करके गांव के एक ताकत का निर्णय लिया है।

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आज सरकारी खजाने से, भारत सरकार के खजाने से एक गांव को करीब-करीब 75 लाख रुपए से ज्‍यादा रकम उसके गांव में हाथ में आती है। अगर योजनाबद्ध दीर्घ दृष्टि के साथ हमारा गांव का व्‍यक्ति करें काम, तो कितना बड़ा परिणाम ला सकता है ये हम जानते है।

हमारी ग्राम पंचायत की संस्‍था है। देश संविधान की मर्यादाओं से चलता है, कानून व्‍यवस्‍था, नियमों से चलता है। ग्राम पंचायत के अंदर उस भावना को प्रज्‍जवलित रखना आवश्‍यक है, वो निरंतर चेतना जगाए रखना आवश्‍यक है और इसलिए गांव के अंदर पंचायत व्‍यवस्‍था अधिक सक्रिय कैसे हो, अधिक मजबूत कैसे हो, दीर्घ दृष्‍टि वाली कैसे बने, उस दिशा में प्रयत्‍न करने की आवश्‍यकता, गांव-गांव में एक चेतना जगाकर के हो सकती है। बाबा साहेब अम्‍बेडकर का व्‍यक्‍तित्‍व ऐसा है कि गांव के अंदर वो चेतना जगा सकता है। गांव को संविधान की मर्यादा में आगे ले जाने के रास्‍ते उपलब्‍ध है। उसका पूरा इस्‍तेमाल करने का रास्‍ता उसको दिखा सकता है। अगर एक बार हम निर्णय करें।

मैं आज इंदौर जिले को भी हृदय से बधाई देना चाहता हूं और मैं मानता हूं कि इंदौर जिले ने जो काम किया है। पूरे जिले को खुले में शौच जाने से मुक्‍त करा दिया। यह बहुत उत्‍तम काम.. अगर 21वीं सदीं में भी मेरी मॉं-बहनों को खुले में शौच के लिए जाना पड़े, तो इससे बड़ी हम लोगों के लिए शर्मिन्‍दगी नहीं हो सकती। लेकिन इंदौर जिले ने, यहां की सरकार की टीम ने, यहां के राजनीतिक नेताओं ने, यहां के सामाजिक आगेवानों ने, यहां के नागरिकों ने, यह जो एक सपना पूरा किया, मैं समझता हूं बाबा साहेब अम्‍बेडकर को एक उत्‍तम श्रद्धांजलि इंदौर जिले ने दी है। मैं इंदौर जिले को बधाई देता हूं। और पूरे देश में एक माहौल बना है। हर जिले को लग रहा है Open defecation-free होने के लिए हर जिले में यह स्‍पर्धा शुरू हुई है। भारत को स्‍वच्‍छ बनाना है तो हमें सबसे पहले हमारी मॉं-बहनों को शौचालय के लिए खुले में जाना न पड़ रहा है, इससे मुक्‍ति दिलानी होगी। उसके लिए बहुत बड़ी मात्रा में हर किसी को मिलकर के काम करना पड़ेगा। ये करे, वो न करे; ये credit ले, वो न ले; इसके लिए काम नहीं है, यह तो एक सेवा भाव से करने वाला काम है, जिम्‍मेवारी से करने वाला काम है। इस “ग्रामोदय से भारत उदय” का जो पूरा मंत्र है, उसमें इस बात पर भी बल दिया गया है।

मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, हमारे देश में हम कभी-कभी सुनते तो बहुत है। कई लोग छह-छह दशक से अपने आप को गरीबों के मसीहा के रूप में प्रस्‍तुत करते रहे हैं। जिनकी जुबां पर दिन-रात गरीब-गरीब-गरीब हुआ करता है। वे गरीबों के लिए क्‍या कर पाए, इसका हिसाब-किताब चौंकाने वाला है। मैं अपना समय बर्बाद नहीं करता। लेकिन क्‍या कर रहा हूं जो गरीबों की जिन्‍दगी में बदलाव ला सकता है। अभी आपने देखा मध्‍य प्रदेश के गरीबों के लिए, दलितों के लिए, पिछड़ों के लिए जो योजनाएं थी, उसके लोकार्पण का कार्यक्रम हुआ। कई लाभार्थियों को उनकी चीजें दी गई। इन सब में उस बात का संदेश है कि Empowerment of People. उनको आगे बढ़ने का सामर्थ्‍य दिया जा रहा है। जो मेरे दिव्‍यांग भाई-बहन है, किसी न किसी कारण शरीर का एक अंग उनको साथ नहीं दे रहा है। उनको आज Jaipur Foot का फायदा मिला और यह आंदोलन चलता रहने वाला है। यहां तो एक टोकन कार्यक्रम हुआ है और बाबा साहेब अम्‍बेडकर की जन्‍मभूमि पर यह कार्यक्रम अपने आप को एक समाधान देता है।

भाइयो-बहनों, आपको जानकर के हैरानी होगी। आज भी हमारे करोड़ों-करोड़ों गरीब भाई-बहन, जो झुग्‍गी-झोपड़ी में, छोटे घर में, कच्‍चे घर में गुजारा करते हैं, वे लकड़ी का चूल्‍हा जलाकर के खाना पकाते हैं। विज्ञान कहता है कि जब मॉ लकड़ी का चूल्‍हा जलाकर खाना पकाती है। एक दिन में 400 सिगरेट जितना धुँआ उस मॉं के शरीर में जाता है। आप कल्‍पना कर सकते हो, जिस मॉं के शरीर में 400 सिगरेट जितना धुँआ जाएगा, वो मॉं बीमार होगी कि नहीं होगी? उसके बच्‍चे बीमार होंगे कि नहीं होंगे और समाज के ऐसे कोटि-कोटि परिवार बीमारी से ग्रस्‍त हो जाए, तो भारत स्‍वस्‍थ बनाने क सपने कैसे पूरे होंगे?

पिछले एक वर्ष में, हमने trial basis पर काम चालू किया। मैंने समाज को कहा कि भाई, आप अपने गैस सिलेंडर की सब्‍सिडी छोड़ दीजिए और मुझे आज संतोष के साथ कहना है कि मैंने तो ऐसे ही चलते-चलते कह दिया था, लेकिन करीब-करीब 90 लाख परिवार और जो ज्‍यादातर मध्‍यम वर्गीय है, कोई स्‍कूल में टीचर है, कोई टीचर रिटायर्ड हुई मॉं है, पेंशन पर गुजारा करती है लेकिन मोदी जी ने कहा तो छोड़ दो। करीब 90 लाख लोगों ने अपने गैस सिलेंडर की सब्‍सिडी छोड़ दी और पिछले एक वर्ष में आजादी के बाद, एक वर्ष में इतने गैस सिलेंडर का कनेक्‍शन कभी नहीं दिया गया। पिछले वर्ष एक करोड़ गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर का कनेक्‍शन दे दिया गया और उनको चूल्‍हे के धुँअे से मुक्‍ति दिलाने का काम हो गया। जब ये मेरा ‘पायलट प्रोजेक्ट’ सफलतापूर्वक हुआ और मैंने कोई घोषणा नहीं की थी, कर रहा था, चुपचाप उसको कर रहा था। जब सफलता मिली तो इस बजट में हमने घोषित किया है कि आने वाले तीन वर्ष में हम भारत के पॉंच करोड़ परिवार, आज देश में कुल परिवार है 25 करोड़ और थोड़े ज्‍यादा; कुल परिवार है 25 करोड़। संख्‍या है सवा सौ करोड़, परिवार है 25 करोड़ से ज्‍यादा। पॉंच करोड़ परिवार, जिनको गैस सिलेंडर का कनेक्‍शन देना है, गैस सिलेंडर देना है और उन पॉंच करोड़ परिवार में लकड़ी के चूल्‍हे से, धुँए में गुजारा कर रही मेरी गरीब माताओं-बहनों को मुक्‍ति दिलाने का अभियान चलाया है।

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गरीब का भला कैसे होता है? प्रधानमंत्री जन-धन योजना! हम जानते है, अखबारों में पढ़ते हैं। कभी कोई शारदा चिट फंड की बात आती है, कभी और चिट फंड की बात आती है। लोगों की आंख में धूल झोंककर के बड़ी-बड़ी कंपनियॉं बनाकर के, लोगों से पैसा लेने वाले लोग बाद में छूमंतर हो जाते हैं। गरीब ने बेचारे ने बेटी की शादी के लिए पैसे रखे हैं, ज्‍यादा ब्‍याज मिलने वाला है इस सपने से; लेकिन बेटी कुंवारी रह जाती है क्‍योंकि पैसे जहां रखे, वो भाग जाता है। ये क्‍यों हुआ? गरीब को ये चिट फंड वालों के पास क्‍यों जाना पड़ा? क्‍योंकि बैंक के दरवाजे गरीबों के लिए खुलते नहीं थे। हमने प्रधानमंत्री जन-धन योजना के द्वारा हिन्‍दुस्‍तान के हर गरीब के लिए बैंक में खाते खोल दिए और आज गरीब आदमी को साहूकारों के पास जाकर के ब्‍याज के चक्‍कर में पड़ना नहीं पड़ रहा है। गरीब को अपने पैसे रखने के लिए किसी चिट फंड के पास जाना नहीं पड़ रहा है और गरीब को एक आर्थिक सुरक्षा देने का काम हुआ और उसके साथ उसको रूपे कार्ड दिया गया। उसके परिवार में कोई आपत्‍ति आ जाए तो दो लाख रुपए का बीमा दे दिया और मेरे पास जानकारी है, कई परिवार मुझे मिले कि अभी तो जन-धन एकाउंट खोला था और 15 दिन के भीतर-भीतर उनके घर में कोई नुकसान हो गया तो उनके पास दो लाख रुपए आ गए। परिवार ने कभी सोचा भी नहीं था कि दो लाख रुपए सीधे-सीधे उनके घर में पहुंच जाएंगे।

गरीब के लिए काम कैसे होता है? प्रधानमंत्री जन-धन योजना के द्वारा सिर्फ बैंक में खाता खुला, ऐसा नहीं है। वो भारत की आर्थिक व्‍यवस्‍था की मुख्‍यधारा में हिन्‍दुस्‍तान के गरीब को जगह मिली है, जो पिछले 70 साल में हम नहीं कर पाए थे। उसको पूरा करने से भारत की आर्थिक ताकत को बढ़ावा मिलेगा। आज दुनिया के अंदर हिन्‍दुस्‍तान के आर्थिक विकास का जय-जयकार हो रहा है। विश्‍व की सभी संस्‍थाएं कह रही हैं कि भारत बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। उसका मूल कारण देश के गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति को साथ लेकर के चलने का हमने एक संकल्‍प किया, योजना बनाई और चल रहे हैं। जिसका परिणाम है कि आज आर्थिक संकटों के बावजूद भी भारत आर्थिक ऊंचाइयों पर जा रहा है। दुनिया आर्थिक संकटों को झेल रही है, हम नए-नए अवसर खोज रहे हैं।

अभी मैं मुम्‍बई से आ रहा था। आज मुम्‍बई में एक बड़ा महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम था। बहुत कम लोगों को अम्‍बेडकर साहेब को पूरी तरह समझने का अवसर मिला है। ज्‍यादातर लोगों को तो यही लगता है कि बाबा साहेब अम्‍बेडकर यानी दलितों के देवता। लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि बाबा साहेब अम्‍बेडकर दीर्घदृष्‍टा थे। उनके पास भारत कैसा बने, उसका vision था। आज मैंने मुम्‍बई में एक maritime को लेकर के, सामुद्रिक शक्‍ति को लेकर के एक अंतर्राष्‍ट्रीय बड़े कार्यक्रम का उद्घाटन किया। वो 14 अप्रैल को इसलिए रखा था कि भारत में बाबा साहेब अम्‍बेडकर पहले व्‍यक्‍ति थे जिन्‍होंने maritime, navigation, use of water पर दीर्घदृष्‍टि से उन्होंने vision रखा था। उन्‍होंने ऐसी संस्‍थाओं का निर्माण किया था उस समय, जब वे सरकार में थे, जिसके आधार पर आज भी हिन्‍दुस्‍तान में पानी वाली, maritime वाली, navigation वाली संस्‍थाएं काम कर रही हैं। लेकिन बाबा साहेब अम्‍बेडकर को भुला दिया। हमने आज जानबूझ करके 14 अप्रैल को बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने जो vision दिया था, उनके जन्‍मदिन 14 अप्रैल को, उसको साकार करने की दिशा में आज मुम्‍बई में एक समारोह करके मैं आ रहा हूं, आज उसका मैंने प्रारम्‍भ किया। लाखों-करोड़ों समुद्री तट पर रहने वाले लोग, हमारे मछुआरे भाई, हमारे नौजवान, उनको रोजगार के अवसर उपलब्‍ध होने वाले हैं, जो बाबा साहेब अम्‍बेडकर का vision था। इतने सालों तक उसको आंखों से ओझल कर दिया गया था। उसको आज चरितार्थ करने की दिशा में, एक तेज गति से आगे बढ़ने का प्रयास अभी-अभी मुम्‍बई जाकर के मैं करके आया हूं।

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अभी हमारे दोनों पूर्व वक्‍ताओं ने पंचतीर्थ की बात कही है। कुछ लोग इसलिए परेशान है कि मोदी ये सब क्‍यों कर रहे हैं? ये हमारे श्रद्धा का विषय है, ये हमारे conviction का विषय है। हम श्रद्धा और conviction से मानते हैं कि बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने सामाजिक एकता के लिए बहुत उच्‍च मूल्‍यों का प्रस्‍थापन किया है। सामाजिक एकता, सामाजिक न्‍याय, सामाजिक समरसता, बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने जो रास्‍ता दिखाया है उसी से प्राप्‍त हो सकती है इसलिए हम बाबा साहेब अम्‍बेडकर के चरणों में बैठकर के काम करने में गर्व अनुभव करते हैं।

सरकारें बहुत आईं.. ये 26-अलीपुर, बाबा साहेब अम्‍बेडकर की मृत्‍यु के 60 साल के बाद उसका स्‍मारक बनाने का सौभाग्‍य हमें मिला। क्‍या 60 साल तक हमने रोका था किसी को क्‍या? और आज हम कर रहे हैं तो आपको परेशानी हो रही है। पश्‍चाताप होना चाहिए कि आपने किया क्‍यों नहीं? परेशान होने की जरूरत नहीं है, आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देने के लिए यही तो सामाजिक आंदोलन काम आने वाला है। और इसलिए मेरे भाइयो-बहनों एक श्रद्धा के साथ.. और मैं बड़े गर्व के साथ कहता हूं कि ऐसा व्‍यक्‍ति जिसकी मॉं बचपन में अड़ोस-पड़ोस के घरों में बर्तन साफ करती हो, पानी भरती हो, उसका बेटा आज प्रधानमंत्री बन पाया, उसका credit अगर किसी को जाता है तो बाबा साहेब अम्‍बेडकर को जाता है, इस संविधान को जाता है। और इसलिए श्रद्धा के साथ, एक अपार, अटूट श्रद्धा के साथ इस काम को हम करने लगे हैं। और आज से कर रहे हैं, ऐसा नहीं। हमने तो जीवन इन चीजों के लिए खपाया हुआ है। लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने समाज को टुकड़ों में बांटने के सिवाए कुछ सोचा नहीं है।

बाबा साहेब आम्‍बेडर, उन पर जो बीतती थी, शिक्षा में उनके साथ अपमान, जीवन के हर कदम पर अपमान, कितना जहर पीया होगा इस महापुरुष ने, कितना जहर पीया होगा जीवन भर और जब संविधान लिखने की नौबत आई, अगर वो सामान्‍य मानव होते, हम जैसे सामान्‍य मानव होते तो उनकी कलम से संविधान के अंदर कहीं तो कहीं उस जहर की एक-आध बिन्‍दु तो निकल पाती। लेकिन ऐसे महापुरुष थे जिसने जहर पचा दिया। अपमानों को झेलने के बाद भी जब संविधान बनाया तो किसी के प्रति कटुता का नामो-निशान नहीं था, बदले का भाव नहीं था। वैर भाव नहीं था, इससे बड़ी महानता क्‍या हो सकती है? लेकिन दुर्भाग्‍य से देश के सामने इस महापुरुष की महानताओं को ओझल कर दिया गया है। तब ऐसे महापुरुष के चरणों में बैठकर के कुछ अच्‍छा करने का इरादा जो रखते हैं, उनके लिए यही रास्‍ता है। उस रास्‍ते पर जाने के लिए हम आए हैं। मुझे गर्व है कि आज 14 अप्रैल को पूरे देश में “ग्राम उदय से भारत उदय” के आंदोलन का प्रारंभ इस धरती से हो रहा है। सामाजिक न्‍याय के लिए हो रहा है, सामाजिक समरसता के लिए हो रहा है।

मैं हर गांव से कहूंगा कि आप भी इस पवित्रता के साथ अपने गांव का भविष्‍य बदलने का संकल्‍प कीजिए। बाबा साहेब की 125वीं जयंती की अच्‍छी श्रद्धांजलि वही होगी कि हम हमारे गांव में कोई बदलाव लाए। वहां के जीवन में बदलाव लाए। सरकारी योजनाओं का व्‍यय न करते हुए, पाई-पाई का सदुपयोग करते हुए चीजों को करने लगे तो अपने आप बदलाव आना शुरू हो जाएगा।

मैं फिर एक बार मध्‍यप्रदेश सरकार का, इतनी विशाल संख्‍या में आकर के आपने हमें आशीर्वाद दिया। इसलिए जनता-जनार्दन का हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।

जय भीम, जय भीम। दोनों मुट्ठी पूरी ऊपर करके बोलिए जय भीम, जय भीम, जय भीम, जय भीम।

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'रोजगार मेलों' से अब तक लाखों नौजवानों को भारत सरकार में परमानेंट जॉब मिली: पीएम मोदी
July 12, 2025
Quoteआज 51 हज़ार से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। ऐसे रोज़गार मेलों के माध्यरम से लाखों युवाओं को सरकार में स्थायी नौकरी मिल चुकी है। अब ये युवा राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं: प्रधानमंत्री
Quoteदुनिया आज मानती है कि भारत के पास दो असीम शक्तियां हैं, एक है जनसांख्यिकी, दूसरी है लोकतंत्र। दूसरे शब्दों में, सबसे बड़ी युवा आबादी और सबसे बड़ा लोकतंत्र: प्रधानमंत्री
Quoteआज देश में बन रहा स्टार्टअप्स, नवाचार और अनुसंधान का वातावरण देश के युवाओं की क्षमताओं को बढ़ा रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteहाल ही में मंज़ूर की गई नई योजना, रोज़गार से जुड़ी प्रोत्साबहन योजना के साथ सरकार का ध्यान निजी क्षेत्र में रोज़गार के नए अवसर पैदा करने पर भी है: प्रधानमंत्री
Quoteआज भारत की सबसे बड़ी शक्तियों में से एक हमारा निर्माण क्षेत्र है। निर्माण क्षेत्र में बड़ी संख्या में नए रोज़गारों का सृजन हो रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए इस साल के बजट में मिशन निर्माण क्षेत्र की घोषणा की गई है: प्रधानमंत्री
Quoteअंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन - आईएलओ की एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक दशक में भारत के 90 करोड़ से अधिक नागरिकों को कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में लाया गया है: प्रधानमंत्री
Quoteआज विश्व बैंक जैसी प्रमुख वैश्विक संस्थाएं भारत की प्रशंसा कर रही है, भारत को विश्व में सबसे अधिक समानता वाले शीर्ष देशों में स्थान दिया जा रहा है: प्रधानमंत्री

नमस्कार!

केंद्र सरकार में युवाओं को पक्की नौकरी देने का हमारा अभियान निरंतर जारी है। और हमारी पहचान भी है, बिना पर्ची, बिना खर्ची। आज 51 हज़ार से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। ऐसे रोजगार मेलों के माध्यम से अब तक लाखों नौजवानों को भारत सरकार में परमानेंट जॉब मिल चुकी है। अब ये नौजवान, राष्ट्र निर्माण में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। आज भी आप में से कई ने भारतीय रेल में अपने दायित्वों की शुरुआत की है, कई साथी अब देश की सुरक्षा के भी प्रहरी बनेंगे, डाक विभाग में नियुक्त हुए साथी, गांव-गांव सरकार की सुविधाओं को पहुंचाएंगे, कुछ साथी Health for All मिशन के सिपाही होंगे, कई युवा फाइनेंशियल इंक्लूजन के इंजन को और तेज़ करेंगे और बहुत से साथी भारत के औद्योगिक विकास को नई रफ्तार देंगे। आपके विभाग अलग-अलग हैं, लेकिन ध्येय एक है और वो कौन सा ध्येय, हमें बार-बार याद रखना है, एक ही ध्येय है, विभाग कोई भी हो, कार्य कोई भी हो, पद कोई भी हो, इलाका कोई भी हो, एक ही ध्येय - राष्ट्र सेवा। सूत्र एक- नागरिक प्रथम, सिटिजन फर्स्ट। आपको देश के लोगों की सेवा का बहुत बड़ा मंच मिला है। मैं आप सभी युवाओं को जीवन के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर इतनी बड़ी सफलता के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। आपकी इस नई यात्रा के लिए मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

साथियों,

आज दुनिया मान रही है कि भारत के पास दो असीमित शक्तियाँ हैं। एक डेमोग्राफी, दूसरी डेमोक्रेसी। यानी सबसे बड़ी युवा आबादी और सबसे बड़ा लोकतंत्र। युवाओं का यह सामर्थ्य हमारी, भारत के उज्ज्वल भविष्य की सबसे बड़ी पूंजी भी है और सबसे बड़ी गारंटी भी है। और हमारी सरकार, इसी पूंजी को समृद्धि का सूत्र बनाने में दिन रात जुटी है। आप सबको पता है, दिन पहले ही मैं पांच देशों की यात्रा करके लौटा हूँ। हर देश में भारत की युवाशक्ति की गूंज सुनाई दी। इस दौरान जितने भी समझौते हुए हैं, उनसे देश और विदेश, दोनों जगह भारत के नौजवानों को फायदा होना ही है। डिफेंस, फार्मा, डिजिटल टेक्नॉलॉजी, एनर्जी, रेयर अर्थ मिनरल्स, ऐसे कई सेक्टर्स, ऐसे सेक्टर्स में हुए समझौतों से भारत को आने वाले दिनों में बहुत बड़ा फायदा होगा, भारत के मैन्युफेक्चरिंग और सर्विस सेक्टर को बहुत बल मिलेगा।

साथियों,

बदलते हुए समय के साथ 21वीं सदी में नेचर ऑफ जॉब भी बदल रहा है, नए-नए सेक्टर्स भी उभर रहे हैं। इसलिए बीते दशक में भारत का ज़ोर अपने युवाओं को इसके लिए तैयार करने का है। अब इसके लिए अहम निर्णय लिए गए हैं, आधुनिक जरूरतों को देखते हुए आधुनक नीतियां भी बनाई गईं हैं। स्टार्ट अप्स, इनोवेशन और रिसर्च का जो इकोसिस्टम आज देश में बन रहा है, वो देश के युवाओं का सामर्थ्य बढ़ा रहा है, आज जब मैं नौजवानों को देखता हूं कि वे अपना स्टार्ट अप शुरू करना चाहते हैं, तो मेरा भी आत्मविश्वास बढ़ जाता है, और अभी हमारे डॉक्टर जितेंद्र सिंह जी ने स्टार्टअप के विषय में विस्तार से कुछ आंकड़े भी बताए आपके सामने। मुझे खुशी होती है कि मेरे देश का नौजवान बड़े विजन के साथ तेज गति से मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है, वो कुछ नया करना चाहता है।

साथियों,

भारत सरकार का जोर प्राइवेट सेक्टर में रोजगार के नए अवसरों के निर्माण पर भी है। हाल ही में सरकार ने एक नई स्कीम को मंज़ूरी दी है, Employment Linked Incentive Scheme. इस योजना के तहत सरकार, प्राइवेट सेक्टर में पहली बार रोजगार पाने वाले युवा को 15 हज़ार रुपए देगी। यानी पहली नौकरी की पहली सैलरी में सरकार अपना योगदान देगी। इसके लिए सरकार ने करीब एक लाख करोड़ रुपए का बजट बनाया है। इस स्कीम से लगभग साढ़े 3 करोड़ नए रोजगार के निर्माण में मदद मिलेगी।

साथियों,

आज भारत की एक बहुत बड़ी ताकत हमारा मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर है। मैन्युफेक्चरिंग में बहुत बड़ी संख्या में नई-नई जॉब्स बन रही हैं। मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर को गति देने के लिए इस वर्ष के बजट में मिशन मैन्युफेक्चरिंग की घोषणा की गई है। बीते सालों में हमने मेक इन इंडिया अभियान को मजबूती दी है। सिर्फ PLI स्कीम से, उससे ही 11 लाख से अधिक रोजगार देश में बने हैं। बीते सालों में मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। आज करीब 11 लाख करोड़ रुपए की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफेक्चरिंग हो रही है, 11 लाख करोड़। इसमें भी बीते 11 साल में 5 गुणा से भी अधिक वृद्धि हुई है। पहले देश में मोबाइल फोन मैन्यूफेक्चरिंग की 2 या 4 यूनिट्स थीं, सिर्फ 2 या 4। अब मोबाइल फोन मैन्युफेक्चरिंग से जुड़ी करीब –करीब 300 यूनिट्स भारत में हैं। और इसमें लाखों युवा काम कर रहे हैं। वैसा ही एक और क्षेत्र है और ऑपरेशन सिंदूर के बाद तो उसकी बहुत चर्चा भी है, बड़े गौरव से चर्चा हो रही है और वो है-डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग। डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग में भी भारत नए रिकॉर्ड्स बना रहा है। हमारा डिफेंस प्रोडक्शन, सवा लाख करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच चुका है। भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि लोकोमोटिव सेक्टर में हासिल की है। भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा लोकोमोटिव बनाने वाला देश बन गया है, दुनिया में सबसे ज्यादा। लोकोमोटिव हो, रेल कोच हो, मेट्रो कोच हो, आज भारत इनका बड़ी संख्या में दुनिया के कई देशों में एक्सपोर्ट कर रहा है। हमारा ऑटोमोबाइल सेक्टर भी अभूतपूर्व ग्रोथ कर रहा है।

बीते 5 साल में ही इस सेक्टर में करीब 40 बिलियन डॉलर का FDI आया है। यानी नई कंपनियां आई हैं, नई फैक्ट्रियां लगी हैं, नए रोजगार बने हैं, और साथ-साथ गाड़ियों की डिमांड भी बहुत बढ़ी है, गाड़ियों की रिकॉर्ड बिक्री हुई है भारत में। अलग-अलग सेक्टर्स में देश की ये प्रगति, ये मैन्यूफेक्चरिंग के रिकॉर्ड तभी बनते हैं, ऐसे नहीं बनते, ये सब तब संभव होता है, जब ज्यादा से ज्यादा नौजवानों को नौकरियां मिल रही हैं। नौजवानों का पसीना लगता है उसमें, उनका दिमाग काम करता है, वो मेहनत करते हैं, देश के नौजवानों ने रोजगार तो पाया है, ये कमाल करके भी दिखाया है। अब सरकारी कर्मचारी के तौर पर आपको हर संभव प्रयास करना है कि देश में मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर की ये गति निरंतर बढ़ती रहे। जहां भी आपको दायित्व मिले, आप एक प्रोत्साहन के रूप में काम करें, लोगों को encourage करें, रूकावटें दूर करें, जितना ज्यादा आप सरलता लाएंगे, उतनी सुविधा देश में अन्य लोगों को भी मिलेगी।

साथियों,

आज हमारा देश दुनिया की, और कोई भी हिन्दुस्तानी बड़े गर्व से कह सकता है, आज हमारा देश दुनिया की तीसरी बड़ी इकॉनॉमी बनने की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। ये मेरे नौजवानों के पसीने का कमाल है। बीते 11 वर्षों में हर सेक्टर में देश ने प्रगति की है। हाल में इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइज़ेशन- ILO की एक बहुत बढ़िया रिपोर्ट आई है- शानदार रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते दशक में भारत के 90 करोड़ से अधिक नागरिकों को वेलफेयर स्कीम्स के दायरे में लाया गया है। एक प्रकार से सोशल सिक्योरिटी का दायरा गिना जाता है। और इन स्कीम्स का फायदा सिर्फ वेलफेयर तक सीमित नहीं है। इससे बहुत बड़ी संख्या में नए रोजगार भी बने हैं। जैसे एक छोटा उदाहरण मैं देता हूं - पीएम आवास योजना है। अब ये पीएम आवास योजना के तहत 4 करोड़ नए पक्के घर बन चुके हैं और 3 करोड़ नए घर अभी बनाने की प्रक्रिया चल रही है। इतने घर बन रहे हैं, तो इसमें मिस्त्री, लेबर और रॉ मटीरियल से लेकर ट्रांसपोर्ट सेक्टर में छोटी-छोटी दुकानदारों के काम, माल ढोने वाले ट्रक के ऑपरेटर्स, आप कल्पना कर सकते हैं कितने सारे जॉब्स क्रिएट हुई हैं। इसमें भी सबसे खुशी की बात है कि ज्यादातर रोजगार हमारे गांवों में मिले हैं, उसे गांव छोड़कर के जाना नहीं पड़ रहा है। इसी तरह 12 करोड़ नए टॉयलेट्स देश में बने हैं। इससे निर्माण के साथ-साथ प्लंबर्स हों, लकड़ी का काम करने वाले लोग हों, जो हमारे विश्वकर्मा समाज के लोग हैं उनके लिए तो इतने सारे काम निकले हैं। यही है जो रोजगार का विस्तार भी करते हैं, प्रभाव भी पैदा करते हैं। ऐसे ही आज 10 करोड़ से अधिक नए, मैं जो बात बता रहा हूं, नए लोगों की बताता हूं, नए एलपीजी कनेक्शन देश में उज्ज्वला स्कीम के तहत दिए गए हैं। अब इसके लिए बहुत बड़ी संख्या में बॉटलिंग प्लांट्स बने हैं। गैस सिलेंडर बनाने वालों को काम मिला है, उसमे भी रोजगार पैदा हुए हैं, गैस सिलेंडर की एजेंसी वालों को काम मिला है। गैस सिलेंडर घर-घर पहुंचाने के लिए जो लोग चाहिए, उनको नए-नए रोजगार मिले हैं। आप एक एक काम लीजिए, कितने प्रकार के रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। इन सारी जगहों पर लाखों लाखों लोगों को नए रोजगार मिले हैं।

साथियों,

मैं एक और योजना की भी चर्चा करना चाहता हूं। अब आपको पता है यह योजना तो यानी कहते हैं ना पांचों उंगली घी में, या तो कहते हैं कि दोनों हाथ हाथ में लड्डू ऐसी है। पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना। सरकार आपके घर की छत पर यानी रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाने के लिए एक परिवार को एवरेज करीब-करीब ₹75,000 से भी ज्यादा दे रही है। इससे वह अपने घर के छत के ऊपर सोलर प्लांट लगाता है। एक प्रकार से उसका घर की छत बिजली का कारखाना बन जाती है, बिजली पैदा करता है और वो बिजली खुद भी उपयोग करता है, ज्यादा बिजली है तो बेचता है। इससे बिजली का बिल तो जीरो हो रहा है, उसके पैसे तो बच ही रहे हैं। इन प्लांट्स को लगाने के लिए इंजीनियर्स की ज़रूरत पड़ती है, टेक्नशियन की ज़रूरत पड़ती है। सोलर पैनल बनाने के कारखाने लगते हैं, रॉ मटेरियल के लिए कारखाने लगते हैं, उसको ट्रांसपोर्टेशन के लिए लगते हैं। उसको रिपेयर करने के लिए भी पूरी एक नई इंडस्ट्री तैयार हो रही है। आप कल्पना कर सकते हैं, एक-एक स्कीम लोगों का तो भला कर रही है, लेकिन लाखों लाखों नए रोजगार इसके कारण पैदा हो रहे हैं।

साथियों,

नमो ड्रोन दीदी अभियान ने भी बहनों बेटियों की कमाई बढ़ाई है और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के नए मौके भी बनाए हैं। इस स्कीम के तहत लाखों ग्रामीण बहनों को ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग दी जा रही है। उपलब्ध जो रिपोर्ट्स हैं, यह बताती है कि हमारी यह ड्रोन दीदी हमारी गांव की माताएं बहनें, खेती के एक सीजन में ही, ड्रोन से खेती में जो मदद करती हैं, उसका जो कॉन्ट्रैक्ट पर काम लेती हैं, एक-एक सीजन में लाखों रुपए कमाने लग गई हैं। इतना ही नहीं, इससे देश में ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े नए सेक्टर को बहुत बल मिल रहा है। खेती हो या डिफेंस, आज ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग देश के युवाओं के लिए नए अवसर बना रहा है।

साथियों,

देश में 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का अभियान जारी है। इनमें से 1.5 करोड़ लखपति दीदी बन भी चुकी है। और आप तो जानते हैं लखपति दीदी बनने का मतलब है, 1 साल में कम से कम 1 लाख से अधिक उसकी आय होनी चाहिए और एक बार नहीं हर वर्ष होती रहनी चाहिए, वो है मेरी लखपति दीदी। 1.5 करोड़ लखपति दीदी, अब आप देखिए गांव में जाएंगे तो आपको कुछ बातें सुनने को मिलेगी, बैंक सखी, बीमा सखी, कृषि सखी, पशु सखी, ऐसी अनेक स्कीम्स में भी हमारे गांव की माताओं बहनों को भी रोजगार मिला है। ऐसे ही पीएम स्वनिधि योजना के तहत पहली बार रेहड़ी ठेले फुटपाथ पर काम करने वाले साथियों को मदद दी गई। इसके तहत लाखों साथियों को काम मिला है और डिजिटल पेमेंट के कारण आजकल तो हमारे हर रेहडी पटरी वाला कैश नहीं लेता है, यूपीआई करता है। क्यों? क्योंकि बैंक से उसको तुरंत उसे आगे की रकम मिलती है। बैंक का विश्वास बढ़ जाता है। कोई कागज की उसको जरूरत नहीं पड़ती। यानी एक रेहड़ी पटरी वाला आज विश्वास के साथ गर्व के साथ आगे बढ़ रहा है।

पीएम विश्वकर्मा स्कीम देख लीजिए। इसके तहत हमारे यहां जो पुश्तैनी काम है, परंपरागत काम है, पारिवारिक काम है, उसको आधुनिक बनाना, उसमें नयापन लाना, नई टेक्नोलॉजी लाना, नए-नए उसमें साधन लाना, उसमें काम करने वाले कारीगरों, शिल्पियों और सेवा दाताओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। लोन दिये जा रहे हैं, आधुनिक टूल दिए जा रहे हैं। मैं अनगिनत स्कीमें बता सकता हूं। ऐसी कई स्कीम है जिनसे गरीबों को लाभ भी हुआ है और नौजवानों को रोजगार भी मिला है। ऐसी अनेक योजनाओं का ही प्रभाव है कि सिर्फ 10 वर्षों में ही 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। अगर रोजगार ना मिलता, अगर परिवार में आय का साधन ना होता, तो मेरा गरीब भाई-बहन जो तीन-तीन चार-चार पीढ़ी से गरीबी में जिंदगी गुजार रहा था, जीवन के लिए एक-एक दिन काटने के लिए उसको मौत दिखाई देती, इतना डर लगता था। लेकिन आज वो इतना ताकतवर बना है, कि मेरे 25 करोड़ गरीब भाई-बहनों ने गरीबी को परास्त करके दिखाया। विजयी होकर के निकले हैं। और ये सारे मेरे 25 करोड़ भाई-बहन, जिन्होंने गरीबी को पीछे छोड़ा है ना, उनकी हिम्मत को मैं दाद देता हूं। उन्होंने सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर के हिम्मत के साथ आगे बढ़े, रोते नहीं बैठे। गरीबी को उन्होंने उखाड़ के फेंक दिया, पराजित कर दिया। अब आप कल्पना कीजिए, अब इन 25 करोड़ का कितना नया आत्मविश्वास होगा। एक बार संकट से व्यक्ति निकल जाए ना फिर नई ताकत पैदा हो जाती है। मेरे देश में एक नई ताकत यह भी आई है, जो देश को आगे ले जाने में बहुत काम आने वाली है। और आप देखिए ये सिर्फ सरकार कह रही है ऐसा नहीं है। आज वर्ल्ड बैंक जैसी बड़ी वैश्विक संस्थाएं खुलकर के इस काम के लिए भारत की प्रशंसा कर रही हैं। दुनिया को भारत को मॉडल के रूप में प्रस्तुत करती हैं। भारत को दुनिया के सबसे अधिक इक्वलिटी वाले शीर्ष के देशों में रखा जा रहा है। यानी असमानता तेजी से कम हो रही है। हम समानता की ओर आगे बढ़ रहे हैं। ये भी विश्व अब नोटिस कर रहा है।

साथियों,

विकास का जो ये महायज्ञ चल रहा है, गरीब कल्याण और रोजगार निर्माण का जो मिशन चल रहा है, आज से इसको आगे बढ़ाने का दायित्व आपका भी है। सरकार रुकावट नहीं बननी चाहिए, सरकार विकास की प्रोत्साहक बननी चाहिए। हर व्यक्ति को आगे बढ़ने का अवसर है। हाथ पकड़ने का काम हमारा है। और आप तो नौजवान है दोस्तों। आप पर मेरा बहुत भरोसा है। आपसे मेरी अपेक्षा है कि आप जहां भी दायित्व मिले, आप इस देश के नागरिक मेरे लिए सबसे पहले, उसकी मदद उसकी मुसीबतों से मुक्ति, देखते ही देखते देश आगे बढ़ेगा। आपको भारत के अमृत काल का सहभागी बनना है। आने वाले 20-25 साल आपकी करियर के लिए तो महत्वपूर्ण है, लेकिन आप ऐसे कालखंड में हैं, जब देश के लिए 20-25 वर्ष बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये विकसित भारत के निर्माण के लिए अहम 25 वर्ष हैं। इसलिए आपको अपने काम, अपने दायित्व, अपने लक्ष्यों को विकसित भारत के संकल्प के साथ आत्मसात करना है। नागरिक देवो भव यह मंत्र तो हमारी रगों में दौड़ना चाहिए, दिल दिमाग में रहना चाहिए, हमारे व्यवहार में नजर आना चाहिए।

और मुझे पक्का विश्वास है दोस्तों, यह युवा शक्ति है, पिछले 10 साल में देश को आगे बढ़ाने में मेरे साथ खड़ी है। मेरे एक-एक शब्द को देश की भलाई के लिए उन्होंने जो भी कर सकते हैं किया है। जहां है वहां से किया है। आपको मौका मिला है, आपसे अपेक्षाएं ज्यादा है। आपकी जिम्मेदारी ज्यादा है, आप करके दिखाएंगे यह मेरा विश्वास है। मैं एक बार फिर आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आपके परिवारजनों को भी मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और आपका परिवार भी उज्ज्वल भविष्य का अधिकारी है। आप भी जीवन में बहुत प्रगति करें। iGOT प्लेटफ़ॉर्म पर जाकर के लगातार अपने आप को अपग्रेड करते ही रहें। एक बार जगह मिल गई चुप बैठिए मत, बहुत बड़े सपने देखिए, बहुत आगे जाने के लिए सोचिए। काम कर करके, नया-नया सीख करके, नया-नया परिणाम लाकर के, प्रगति भी कीजिए। आपकी प्रगति में देश का गौरव है, आपकी प्रगति में मेरा संतोष है। और इसलिए मैं आज जब आप एक नए जीवन की शुरुआत कर रहे हैं, आपसे बात करने के लिए आया हूं, शुभकामनाएं देने के लिए आया हूं और बहुत सारे सपनों को पूरा करने के लिए अब आप मेरे एक साथी बन रहे हैं। मेरे एक निकट साथी के रूप में मैं आपका स्वागत करता हूं। आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद। बहुत-बहुत शुभकामनाएं।